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रंजन गोगोई ने केंद्र को भेजी बोबडे को अगले सीजेआई बनाने की सिफारिश
Posted Date : 18-Oct-2019 3:16:02 pm

रंजन गोगोई ने केंद्र को भेजी बोबडे को अगले सीजेआई बनाने की सिफारिश

नई दिल्ली,18 अक्टूबर । भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़े फैसले सुनाए हैं। वहीं अपने रिटारमेंट से पहले राम मंदिर का मामला भी सुलझाना चाहते हैं। 
रंजन गोगोई ने 3 अक्टूबर 2018 को देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपना पदभार संभाला और आगामी 17 नवंबर को वो सेवानिवृत होंगे। जिसके बाद देश के नए मुख्य न्यायधीश को लेकर चर्चा जारी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के नए चीफ जस्टिस की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मौजूदा चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जस्टिस शरद अरविंद बोबडे को अगला चीफ जस्टिस बनाने की केंद्र सरकार से सिफारिश की है। प्रक्रिया के अनुसार, वर्तमान मुख्य न्यायाधीश ही अगले चीफ जस्टिस की सिफारिश करता है।
कौन हैं शरद अरविंद बोबडे
जस्टिस शरद अरविंद बोबडे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर उन्होंने 12 अप्रैल, 2013 को कार्यभार संभाला है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के बाद जस्टिस बोबडे ही सबसे वरिष्ठ जज हैं। जब सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रें स की, तो कॉन्फ्रें स के बाद बार काउंसिल ने जस्टिस चेलमेश्वर से बात करने के लिए जस्टिस बोबडे से ही बात की थी।
जस्टिस बोबडे के कुछ बड़े फैसले 
जस्टिस शरद बोबडे उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने आदेश दिया कि आधार कार्ड न रखने वाले किसी भी भारतीय नागरिक को सरकारी फायदों से वंचित नहीं किया जा सकता। मई, 2018 में जब कर्नाटक में चुनाव हुए और किसी को बहुमत नहीं मिला, तो राज्यपाल ने बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के लिए बुलाया. कांग्रेस इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची. रात 2 बजे से सुनवाई शुरू हुई और फैसला येदियुरप्पा के पक्ष में आया, येदियुरप्पा के पक्ष में फैसला देने वाली बेंच में शामिल थे जस्टिस बोबडे।  सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन को लेकर जो फैसला दिया था, उस फैसले वाली बेंच में शामिल थे जस्टिस बोबडे।

सुप्रीम कोर्ट में चिदंबरम की याचिका पर फैसला सुरक्षित
Posted Date : 18-Oct-2019 3:15:45 pm

सुप्रीम कोर्ट में चिदंबरम की याचिका पर फैसला सुरक्षित

0-दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ होगा फैसला
नई दिल्ली,18 अक्टूबर । आईएनएक्स मीडिया केस में दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को जमानत नहीं देने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुरक्षित रख लिया। 
दरअसल मनी लॉन्ड्रिंग केस में तिहाड़ में बंद चिदंबरम ने शीर्ष अदालत में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। उधर कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अपनी दलील में कहा कि चिदंबरम की महज उपस्थिति ही गवाहों को डराने-धमकाने के लिए काफी है, उन्हें कम से कम तब तक जमानत नहीं दी जाए जब तक अहम गवाहों से पूछताछ नहीं हो जाती। सीबीआई ने कहा कि आज ऐसा दौर है जब आर्थिक अपराधों के आरोपी देश से भाग रहे हैं, एक राष्ट्र के रूप में हम इस समस्या से जूझ रहे हैं।श् सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि भ्रष्टाचार मामले की जांच जारी है और सिंगापुर तथा मॉरीशस को भेजे गए आग्रह पत्र पर जवाब का इंतजार किया जा रहा है।
सीबीआई ने फाइल की चार्जशीट
उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले गुरुवार को दिल्ली की एक अदालत ने पी चिदंबरम को 24 अक्टूबर तक ईडी की कस्टडी में भेज दिया है और सीबीआई के केस में भी न्यायिक हिरासत 24 अक्टूबर तक बढ़ा दी गई है। आईएनएक्स मीडिया केस में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम सहित 15 लोगों के खिलाफ आईएनएक्स मीडिया केस में चार्जशीट दाखिल की गई है। इसमें पूर्व मीडिया कारोबारी पीटर मुखर्जी, इंद्राणी मुखर्जी का नाम भी शामिल है। अब मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी। 

सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को लगाई दूसरी बार फटकार
Posted Date : 18-Oct-2019 3:15:31 pm

सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को लगाई दूसरी बार फटकार

नई दिल्ली,18 अक्टूबर । योगी आदित्यनाथ की सरकार को सर्वोच्च अदालत की जारी तल्खी के बीच दूसरी बार फटकार सुननी पड़ी। अभी एक मुस्लिम लडक़ी की याचिका पर सुनवाई के दौरान यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से फटकार सुने एक महीना भी नही बीता था, कि देश की सर्वोच्चय अदालत ने योगी सरकार को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। 
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों के प्रशासन से जुड़े मामले में यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा है कि क्या उत्तर प्रदेश में जंगलराज है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां के वकीलों को पता ही नहीं है कि किस नियम के तहत काम किया जा रहा है। कोर्ट ने इसके साथ ही पूछा कि उत्तर प्रदेश में किस कानून के तहत मंदिर और उसके संस्थाओं की निगरानी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान ये भी पूछा कि सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार का कोई अधिकारी अदालत में मौजूद क्यों नहीं है, जो वकील को जानकारी दे सके और सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब भी दे पाए। गौरतलब है कि ये पूरा मामला बुलंदशहर की एक मंदिर से जुड़ा है। जहां मंदिर प्रशासन पर दान के दुरुपयोग का आरोप लगा है। आरोप लगने पर यूपी सरकार ने मंदिर को चलाने के लिए एक बोर्ड का गठन किया था। लेकिन तभी सुप्रीम कोर्ट में मंदिर की ओर से उत्तर प्रदेश की सरकार के खिलाफ याचिका दायर की गई। याचिका में आरोप लगाया गया था कि उत्तर प्रदेश की सरकार का ये निर्णय गलत है और मंदिर का बोर्ड बनाने में किसी कानून का पालन नहीं किया गया है।

दिल्ली के विधायी इतिहास में पहली बार स्पीकर जाएंगे जेल
Posted Date : 18-Oct-2019 3:15:01 pm

दिल्ली के विधायी इतिहास में पहली बार स्पीकर जाएंगे जेल

नई दिल्ली,18 अक्टूबर । राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते दिल्ली विधानसभा का एक महत्व है। इस विधानसभा ने विधायी मामलों में तमाम मानक कायम किए हैं और देश के विधानमंडलों में एक अलग पहचान बनाई है। लेकिन दिल्ली के विधायी इतिहास में पहली बार विधानसभा के अध्यक्ष को जेल की सलाखों के पीछे जाना होगा।
दिल्ली की एक अदालत ने राजधानी के विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल को दोषी करार देते हुए 6 महीने की सजा सुनाई है। साथ ही दिल्ली के रॉउज एवेन्यू कोर्ट ने रामनिवास गोयल के साथ-साथ उनके बेटे सुमित गोयल समेत 5 लोगों को 6-6 महीने की सजा सुनाई है और एक-एक हजार का जुर्माना भी लगाया है। जानकारी के अनुसार यह मामला 2015 में विधानसभा चुनाव के समय का है। 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय भाजपा से जुड़े और लोकल बिल्डर मनीष घई ने गोयल के खिलाफ मतदान से एक दिन पहले, 6 फरवरी की रात अपने विवेक विहार स्थित घर में अपने समर्थकों के साथ जबरन घुसकर मारपीट करने का आरोप लगाया था। कोर्ट ने दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल को मारपीट के मामले में  आईपीसी की धारा  448 के तहत दोषी करार दिया। जबकि उनके बेटे सुमित गोयल को धारा 323 यानी मारपीट करने के मामले में दोषी ठहराया गया है।
कौन हैं रामनिवास गोयल
राम निवास गोयल उत्तरी दिल्ली के शाहदरा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, जहां उन्होंने बीजेपी के जितेंद्र सिंह शंटी को 11 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया। जिसके बाद उन्हें विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया।

मनमोहन सिंह के बयान पर घिरी कांग्रेस
Posted Date : 18-Oct-2019 3:14:29 pm

मनमोहन सिंह के बयान पर घिरी कांग्रेस

0-भाजपा ने 370 पर झूठ बोलने का लगाया आरोप
नई दिल्ली,18 अक्टूबर । जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मसले पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ताजा बयान पर कांग्रेस घिर गई है। भाजपा ने मनमोहन सिंह पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है। 
दरअसल  मुंबई में एक प्रेस कांफ्रें स के दौरान 370 पर कांग्रेस का आधिकारिक स्टैंड पूछे जाने पर मनमोहन सिंह ने कहा था कि जब आर्टिकल 370 पर बात हुई, जब यह बिल पार्लियामेंट में आया तो कांग्रेस ने इसके हक में वोट दिया, विरोध नहीं किया। विरोध सिर्फ बिल लाने के तौर-तरीकों पर था। अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर संसद में कांग्रेस की तरफ से तीखी बहस करने वाले वरिष्ठ नेता और आनंदपुर साहिब सांसद मनीष तिवारी पूर्व में कांग्रेस का इस मुद्दे पर आधिकारिक स्टैंड स्पष्ट कर चुके हैं। उन्होंने बीते सात अगस्त को एक टीवी चौनल से बताया था कि कांग्रेस ने दोनों सदनों में अनुच्छेद 370 हटाने के संकल्प और जम्मू-कश्मीर को दो केन्द्रशासित प्रदेशों में बंटवारे के बिल के खिलाफ वोट दिया था। मनीष तिवारी ने तब कहा था कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी बकायदा इसको लेकर लिखित में प्रस्ताव पास कर पार्टी का आधिकारिक स्टैंड साफ कर चुकी है।
ऐसे में अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बीच मुंबई की प्रेस कांफ्रेंस में मनमोहन सिंह की ओर से मनीष तिवारी के विपरीत दावा करने के बाद कांग्रेस के आधिकारिक स्टैंड को लेकर सवाल उठ रहे हैं। बता दें कि पांच अगस्त को जब सरकार ने 370 हटाने की पहल की थी, तब कांग्रेस नेताओं की राय बंट गई थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जनार्दन द्विवेदी जैसे कई नेताओं ने केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया था, वहीं अन्य नेता इसका विरोध कर रहे थे। भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने शुक्रवार को सुबह ट्वीट कर कांग्रेस पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से झूठ बोलवाने का आरोप लगाया है। उन्होंने मनमोहन सिंह की प्रेस कांफ्रेंस और मनीष तिवारी के अगस्त में टीवी चौनल को दिए गए बयान वाले वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर कांग्रेस कहां खड़ी है, वेल, डॉ. मनमोहन सिंह पूरी तरह बेखबर हैं।

देश में दर्ज नहीं हुए करीब 5.4 लाख टीबी मामले
Posted Date : 18-Oct-2019 3:14:13 pm

देश में दर्ज नहीं हुए करीब 5.4 लाख टीबी मामले

नई दिल्ली,18 अक्टूबर । दुनिया में टीबी के सर्वाधिक मामले वाले आठ देशों में शुमार भारत में पिछले साल इस बीमारी के करीब 5.4 लाख मामले दर्ज नहीं हुए। विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीबी रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। 
रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2018 में टीबी के मरीजों की संख्या में पिछले साल की तुलना में करीब 50,000 की कमी आयी। वर्ष 2017 में भारत में टीबी के 27.4 लाख मरीज थे जो साल 2018 में घटकर 26.9 लाख हो गये। प्रति 100,000 लोगों पर टीबी मरीजों की संख्या साल 2017 के 204 से घटकर साल 2018 में 199 हो गयी। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है,कि दुनियाभर में 30 लाख टीबी मामले राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम में दर्ज नहीं हो पाते हैं। भारत में 2018 में टीबी के करीब 26.9 लाख लाख मामले सामने आये और 21.5 लाख मामले (भारत सरकार के) राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत दर्ज किये गये। यानी 5,40,000 मरीजों के मामले इस कार्यक्रम में दर्ज नहीं हुए। जिन रोगियों पर टीबी रोधी महत्वपूर्ण दवा रिफामसिन निष्प्रभावी रही उनकी संख्या 2017 के 32 फीसद से बढक़र 2018 में 46 फीसद हो गयी। नये मरीजों तथा उपचार के बाद फिर इस बीमारी के गिरफ्त में आने वाले मरीजों की उपचार सफलता दर 2016 के 69 फीसद से बढक़र 2017 में 81 फीसद हुई।