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फिक्स्ड डिपॉजिट निवेशकों के लिए खुशखबरी! आज से एफडी ब्याज आय पर टीडीएस सीमा बढ़ी
Posted Date : 01-Apr-2025 8:44:25 pm

फिक्स्ड डिपॉजिट निवेशकों के लिए खुशखबरी! आज से एफडी ब्याज आय पर टीडीएस सीमा बढ़ी

नई दिल्ली। फिक्स्ड डिपॉजिट निवेशकों को संशोधित स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) नियमों से लाभ होगा, जो आज से लागू हो गई हैं. आज से निवेशकों के लिए एफडी ब्याज दरों पर टीडीएस छूट की सीमा अधिक होगी. अब तक फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं से मिले ब्याज पर टीडीएस में कटौती की जाती थी, अगर यह 40,000 रुपये (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपये) से अधिक था. लेकिन केंद्रीय बजट 2025 में एफडी योजनाओं पर टीडीएस छूट की सीमा बढ़ा दी गई.
एफडी योजनाओं पर टीडीएस छूट की सीमा व्यक्तियों के लिए 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है. वरिष्ठ नागरिकों के लिए कर कटौती की सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1,00,000 रुपये कर दी गई है. एफडी की मूल राशि से कोई टीडीएस नहीं काटा जाता, चाहे उसकी राशि कितनी भी हो. हालांकि, अगर कोई व्यक्ति अपनी एफडी की मूल राशि पर 50,000 रुपये से अधिक ब्याज कमाता है, तो ब्याज टैक्स कटौती के अधीन होगा.
बैंक 50,000 रुपये (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 1 लाख रुपये) से अधिक की एफडी ब्याज पर 10 फीसदी की फ्लैट दर से टीडीएस काटते हैं. अगर निवेशक ने पैन कार्ड डिटेल्स देता है. अगर व्यक्ति ने कोई पैन कार्ड डिटेल्स नहीं दिया है, तो एफडी ब्याज आय पर टीडीएस बढक़र 20 फीसदी हो जाता है. ज्वाइंट एफडी के लिए प्राथमिक निवेशक के नाम पर टीडीएस काटा जाता है. टैक्स बचत एफडी निवेश, जो आम तौर पर 5 5 साल की अवधि के लिए किया जाता है. नियमों के आधार पर कर कटौती को भी आकर्षित करता है.
टीडीएस राशि व्यक्ति की कुल आय में जोड़ी जाएगी, और यदि यह अभी भी कर योग्य सीमा से कम है, तो काटे गए टीडीएस का दावा किया जा सकता है और इसकी रीइंबर्समेंट की जाएगी. एफडी योजनाओं के अलावा, बढ़ी हुई टीडीएस सीमा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजनाओं में निवेश से होने वाली आय पर भी लागू होती है.

 

1 अप्रैल से बदले इनकम टैक्स के कई नियम, 12 लाख रुपये तक की रकम होगी टैक्स फ्री
Posted Date : 01-Apr-2025 8:44:09 pm

1 अप्रैल से बदले इनकम टैक्स के कई नियम, 12 लाख रुपये तक की रकम होगी टैक्स फ्री

नई दिल्ली। नया वित्त वर्ष आज से शुरू हो रहा है. इसके साथ ही इनकम टैक्स से जुड़े कई नियम बदलने जा रहे हैं. आम बजट 2025 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई अहम घोषणाएं कीं, जो 1 अप्रैल से लागू हो रही हैं, जिसका सीधा असर नौकरीपेशा लोगों की जेब पर पड़ेगा. इन नए नियमों में आयकर में अधिक छूट और टीडीएस नियमों में बदलाव शामिल हैं.
बजट में वित्त मंत्री द्वारा घोषित नई कर व्यवस्था के तहत आयकर में बढ़ी हुई छूट 1 अप्रैल से लागू हो रही है. अब 12 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले लोग आयकर छूट के दायरे में आएंगे. पहले यह आंकड़ा 7 लाख रुपये था.
इसके अलावा अगर वेतनभोगियों को दी जाने वाली 75,000 रुपये की मानक कटौती को जोड़ दिया जाए तो आयकर छूट बढक़र 12.75 लाख रुपये हो जाती है. हालांकि आयकर छूट में पूंजीगत लाभ को शामिल नहीं किया गया है. इस पर अलग से टैक्स लगेगा.
सरकार ने नई कर व्यवस्था के तहत नए टैक्स स्लैब भी पेश किए हैं, जबकि पुरानी कर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है. अब नई कर व्यवस्था के तहत 4 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त होगी, जबकि 4 लाख रुपये से 8 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी टैक्स लगेगा. जैसे-जैसे आय बढ़ेगी, कर की दरें धीरे-धीरे बढ़ेंगी और 24 लाख रुपये से अधिक की आय पर यह 30 फीसदी तक पहुंच जाएगी.
केंद्र सरकार ने बजट में धारा 87ए के तहत कर छूट को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया है, जिससे नई कर व्यवस्था में 12 लाख रुपये तक की आय कर-मुक्त हो जाएगी.
बैंक जमा पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस कटौती की सीमा 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई है. इसका मतलब है कि अब बैंक जमा पर मिलने वाली 50,000 रुपये तक की राशि पर कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा.

 

ओपनएआई ने जुटाई 3,400 अरब रुपये की नई फंडिंग, 25,000 अरब हुआ कंपनी का मूल्यांकन
Posted Date : 01-Apr-2025 8:43:43 pm

ओपनएआई ने जुटाई 3,400 अरब रुपये की नई फंडिंग, 25,000 अरब हुआ कंपनी का मूल्यांकन

नईदिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) कंपनी ओपनएआई ने 300 अरब डॉलर (लगभग 25,600 अरब रुपये) के मूल्यांकन पर 40 अरब डॉलर (लगभग 3,400 अरब रुपये) की फंडिंग जुटाई है।
यह अब तक का सबसे बड़ा एआई निवेश माना जा रहा है। इस निवेश से कंपनी का मूल्य अक्टूबर में 157 अरब डॉलर (लगभग 13,400 अरब रुपये) के पिछले मूल्यांकन से लगभग दोगुना हो गया।
चैटजीपीटी के निर्माता ने इस फंडिंग को पूरा कर लिया है, जिसमें सॉफ्टबैंक और अन्य निवेशक शामिल हैं।
ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने कहा कि हर हफ्ते करोड़ों लोग चैटजीपीटी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह निवेश एआई को और अधिक उपयोगी बनाने में मदद करेगा।
फंडिंग सौदे में सॉफ्टबैंक मुख्य निवेशक है, जिसने शुरुआत में 7.5 अरब डॉलर (लगभग 640 अरब रुपये) और अन्य निवेशकों के साथ मिलकर 2.5 अरब डॉलर (लगभग 210 अरब रुपये) का निवेश किया है।
माइक्रोसॉफ्ट, कोट्यू मैनेजमेंट, अल्टीमीटर और थ्राइव कैपिटल भी इस फंडिंग में शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत तक 30 अरब डॉलर (लगभग 2,500 अरब रुपये) का अतिरिक्त निवेश किया जाएगा। इसमें सॉफ्टबैंक से 22.5 अरब डॉलर (लगभग 1,900 अरब रुपये) और अन्य निवेशकों से 7.5 अरब डॉलर (लगभग 640 अरब रुपये) आएंगे।
यह सौदा ओपनएआई की क्षमताओं को और आगे बढ़ाएगा, जिससे एआई तकनीक का उपयोग बढ़ेगा। इस निवेश के जरिए कंपनी अपनी सेवाओं का विस्तार करेगी और नए प्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करेगी।

 

एनएसई ने निफ्टी बैंक और निफ्टी मिड सिलेक्ट के डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लॉट साइज में किया बदलाव
Posted Date : 30-Mar-2025 10:01:25 pm

एनएसई ने निफ्टी बैंक और निफ्टी मिड सिलेक्ट के डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लॉट साइज में किया बदलाव

मुंबई । नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने निफ्टी बैंक और निफ्टी मिड सिलेक्ट के डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लॉट साइज में बदलाव किया है।
एनएसई के फ्यूचर्स और ऑप्शनंस (एफएंडओ) डिपार्टमेंट द्वारा निकाला गया सर्कुलर सेबी के दिशानिर्देशों के अनुरूप जारी किया गया है।
नए सर्कुलर में निफ्टी बैंक के मौजूदा लॉट साइज को 30 से बढ़ाकर 35 कर दिया गया है। वहीं, निफ्टी मिड सिलेक्ट के एफएंडओ लॉट साइज को बढ़ाकर 140 कर दिया गया है, जो कि पहले 120 था।
इसके अलावा एनएसई ने अन्य किसी इंडेक्स के डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट में कोई बदलाव नहीं किया है।
निफ्टी 50 के एफएंडओ कॉन्ट्रैक्ट्स का लॉट साइज 75 बना हुआ है। इसके अलावा, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज के लॉट साइज को 65 और निफ्टी नेक्स्ट 50 के लॉट साइज को 25 पर बरकरार रखा गया है।
निफ्टी बैंक और निफ्टी मिड सिलेक्ट इंडेक्स के डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स में बदलाव मौजूदा मंथली एक्सपायरी कॉन्ट्रैक्ट्स 24 अप्रैल, 2025, 29 मई, 2025 और 26 जून, 2025 से नहीं होगा। बल्कि, यह 31 जुलाई को होने वाली मंथली एक्सपायरी से प्रभावी होगा।
इससे पहले, एनएसई ने निफ्टी, बैंक निफ्टी समेत सभी इंडेक्सों की एक्सपायरी ‘महीने के आखिरी सोमवार’ को करने का फैसला लिया था।
एनएसई की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया कि निफ्टी, बैंक निफ्टी, फिननिफ्टी, निफ्टी मिडकैप सिलेक्ट और निफ्टी नेक्स्ट 50 के एफएंडओ कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी हर महीने के आखिरी सोमवार को होगी।
लेकिन भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आदेश के बाद, इस सर्कुलर पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी गई है।
सेबी के आदेश में कहा गया कि सभी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी मंगलवार और गुरुवार में से किसी एक दिन हो सकती है।
सेबी की ओर से यह आदेश ऐसे समय पर दिया गया था, जब एक्सचेंज डेरिवेटिव्स सेगमेंट में अधिक मार्केट शेयर हासिल करने के लिए एक्सपायरी में बदलाव कर रहे थे।

 

अधिक यूएस टैरिफ से भारतीय फार्मा कंपनियों को मार्केट शेयर बढ़ाने में मिलेगी मदद : रिपोर्ट
Posted Date : 30-Mar-2025 10:00:56 pm

अधिक यूएस टैरिफ से भारतीय फार्मा कंपनियों को मार्केट शेयर बढ़ाने में मिलेगी मदद : रिपोर्ट

मुंबई । बढ़ते अमेरिकी टैरिफ से भारतीय फार्मा कंपनियों को मार्केट शेयर बढ़ाने में मदद मिल सकती है। यह जानकारी जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में दी गई।
जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय दवा कंपनियों में बेहतर लागत प्रतिस्पर्धात्मकता के कारण अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की कीमत पर बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की क्षमता है।
ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि अधिक टैरिफ के कारण इस बात की भी संभावना कम है कि भारतीय फार्मा कंपनियां अपनी मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं को अमेरिका में शिफ्ट करें।
जेपी मॉर्गन ने कहा कि उपभोक्ताओं के लिए दवाइयों की कीमत में वृद्धि और सीमित आपूर्ति के चलते फार्मास्यूटिकल्स पर 25 प्रतिशत या उससे अधिक टैरिफ असंभव है।
रिपोर्ट में बताया गया कि अगर फार्मास्यूटिकल्स पर 10 प्रतिशत का टैरिफ लगाया जाता है, तो इसका एक बड़ा हिस्सा ग्राहकों को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। इसकी वजह दवाइयों की नियमित मांग बने रहना है।
टैरिफ में बढ़ोतरी का बाकी बचा हिस्सा मैन्युफैक्चरर्स और फार्मेसी बेनिफिट मैनेजर्स (पीबीएम) द्वारा वहन किया जाएगा।
टैरिफ वृद्धि से दवाओं की लागत बढऩे की आशंका है और मध्यम अवधि में अमेरिका में मरीजों के लिए बीमा प्रीमियम में भी वृद्धि होगी। ब्रोकरेज ने कहा कि अगर टैरिफ जारी रहता है, तो बड़ी भारतीय फार्मा कंपनियां अपनी बातचीत की शक्ति बढ़ाने के लिए एकजुट हो सकती हैं, लेकिन उनके बाजार से बाहर निकलने की संभावना नहीं है।
जेपी मॉर्गन का यह भी मानना है कि बायोसिमिलर को टैरिफ से छूट दी जा सकती है। अमेरिका में इन उत्पादों के लिए सीमित मैन्युफैक्चरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर होने के कारण मांग का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा आयात से पूरा किया जाता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बायोसिमिलर पर टैरिफ लगाने से मरीजों के लिए लागत बढ़ सकती है।
जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अलावा, इजराइल और स्विट्जरलैंड से आने वाली जेनेरिक दवाओं पर आयात शुल्क लगाए जाने की संभावना बहुत अधिक है। इसकी वजह इन देशों में टेवा और सैंडोज जैसी दवाओं की बड़ी मैन्युफैक्चरिंग क्षमताएं होना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये कंपनियां भारतीय कंपनियों की तुलना में कम लाभ मार्जिन पर काम करती हैं और इसलिए टैरिफ से उन पर अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

 

यूपीआई के नए नियम 1 अप्रैल से होंगे लागू, इनएक्टिव मोबाइल नंबर वाले यूजर्स को आ सकती है परेशानी
Posted Date : 30-Mar-2025 10:00:34 pm

यूपीआई के नए नियम 1 अप्रैल से होंगे लागू, इनएक्टिव मोबाइल नंबर वाले यूजर्स को आ सकती है परेशानी

नई दिल्ली ।  नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने न्यूमेरिक यूपीआई आईडी सॉल्यूशन पर हाल ही में यूपीआई नंबर से जुड़े भुगतानों के लिए कस्टमर एक्सपीरियंस बढ़ाने के उद्देश्य से नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। नए दिशानिर्देश 1 अप्रैल से प्रभावी होंगे।
इन नए दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना यूपीआई मेंबर बैंक, यूपीआई ऐप्स और थर्ड पार्टी प्रोवाइडर के लिए जरूरी होगा। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, इनएक्टिव मोबाइल नंबर से जुड़ी यूपीआई आईडी भी इनएक्टिव हो जाएगी। अगर किसी यूपीआई यूजर का बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर लंबे समय से इनएक्टिव है तो यूजर की यूपीआई आईडी भी अनलिंक हो जाएगी और यूजर यूपीआई सर्विस का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। ऐसे में यूपीआई सर्विस का इस्तेमाल करने वाले हर यूजर को यह सुनिश्चित करने की जरूरत होगी कि उसके बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर एक्टिव हो।
सही मोबाइल नंबर के साथ बैंक रिकॉर्ड अपडेट रखे जाने पर ही यूपीआई सर्विस का बिना किसी परेशानी के इस्तेमाल किया जा सकेगा। इनएक्टिव या दोबारा असाइन किए गए मोबाइल नंबर को लेकर उनसे जुड़ी यूपीआई सर्विस को लेकर परेशानी आ सकती है। टेलीकॉम डिपार्टमेंट के नियमों के अनुसार, डिसकनेक्ट होने पर मोबाइल नंबर 90 दिन बाद एक नए यूजर को असाइन किया जा सकता है। अगर किसी ग्राहक का मोबाइल नंबर कॉल, मैसेज या डेटा के साथ इस्तेमाल न किया जा रहा हो तो ऐसे नंबर को टेलीकॉम प्रोवाइडर्स डिएक्टिवेट कर देते हैं। इन नंबरों को रिसाइकल या चर्न्ड नंबर कहा जाता है। नए दिशा-निर्देशों के तहत यूजर का बैंक-वेरिफाइड मोबाइल नंबर यूजर के यूपीआई आइडेंटिटीफायर के रूप में काम करेगा। जिसके साथ यूजर अलग-अलग यूपीआई ऐप्स का इस्तेमाल कर सकता है।
दूसरी ओर बैंक और यूपीआई एप्लीकेशन को भी अपने मोबाइल नंबर रिकॉर्ड्स को हर हफ्ते अपडेट करने की जरूरत होगी, जिससे रिसाइकिल या मॉडिफाइड नंबर से होने वाली गलतियों से बचा सके। न्यूमेरिक यूपीआई आईडी असाइन करने से पहले एप्लीकेशन को यूजर्स से इजाजत लेने की जरूरत होगी। यूजर्स को इस फीचर के लिए एक्टिवली ऑप्ट इन करना होगा, यह डिफॉल्ट सेटिंग में ऑप्ट आउट है। किसी स्थिति में अगर एनपीसीआई के वेरिफिकेशन में कुछ देरी होती है तो यूपीआई एप्लिकेशन अस्थायी रूप से न्यूमेरिक यूपीआई आईडी से जुड़ी समस्याओं को इंटरनली हल कर सकते हैं। इन मामलों का डॉक्यूमेंटेशन किया जाना जरूरी होगा और निरीक्षण उद्देश्यों के तहत हर महीने एनपीसीआई को रिपोर्ट किया जाना जरूरी होगा।