नईदिल्ली। मई महीने की गिरावट से उबरने के बाद जून में एक बार फिर भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बढ़ोतरी देखने को मिली। आज यानी 1 जुलाई को एचएसबीसी द्वारा जारी पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स आंकड़ा मई के 57.5 से बढक़र जून में 58.3 हो गया। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में यह सुधार उत्साहजनक मांग के कारण हुआ, जिससे नए ऑर्डर, प्रोडक्शन और खरीद में इजाफा हुआ।
इसके अलावा, 19 से ज्यादा सालों के डेटा कलेक्शन में कंपनियों में सबसे तेज दर से रोजगार में इजाफा दखने को मिला। इस बीच, लागत दबाव मई से कम हो गया था, लेकिन फिर भी पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक था, जिसके कारण कंपनियों ने मई 2022 के बाद से बिक्री कीमतों को उच्च स्तर तक बढ़ाया।
एचएसबीसी के सर्वेक्षण में कहा गया, ‘भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि ने मई में खोई हुई स्थिति वापस पा ली है, हेडलाइन पीएमआई अपने लॉन्ग रन एवरेज से लगभग पांच अंक ऊपर है। जून के आंकड़ों से पता चला है कि मजबूत मांग की स्थिति ने नए ऑर्डर, आउटपुट और खरीदारी के स्तर में विस्तार को बढ़ावा दिया है।’
इंडेक्स में 50 से ऊपर का आंकड़ा विस्तार को दर्शाता है और नीचे का आंकड़ा संकुचन को दर्शाता है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि उपभोक्ता वस्तु उद्योग का प्रदर्शन विशेष रूप से मजबूत था, हालांकि इंटरमीडिएट और इन्वेस्टमेंट गुड्स कैटेगरी में भी पर्याप्त वृद्धि देखी गई।
सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘जून में भारत में मैन्युफैक्चरर्स की बिक्री में मजबूत वृद्धि देखी गई। मजबूत अंडरलाइंग डिमांड, हाई एक्सपोर्ट वॉल्यूम और सफल एडवर्टाइजिंग ने ग्रोथ को गति दी। नए ऑर्डर में जारी वृद्धि की वजह से कंपनियों ने भर्ती बढ़ा दी।’
एचएसबीसी की वैश्विक अर्थशास्त्री मैत्रेयी दास ने कहा कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने जून तिमाही को मजबूत आधार पर समाप्त किया, जिसे नए ऑर्डर और आउटपुट में बढ़ोतरी से समर्थन मिला और कंपनियों ने सबसे तेज गति से अपनी नियुक्तियां बढ़ाईं।
उन्होंने कहा, ‘कीमत के मोर्चे पर, इनपुट लागत जून में थोड़ी कम हुई, लेकिन ऊंचे स्तर पर रही। मांग मजबूत रहने के कारण मैन्युफैक्चरर्स ग्राहकों पर ज्यादा लागत लगाने में सक्षम थे, और इस वजह से मार्जिन में सुधार हुआ। जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए ओवपआल आउटलुक पॉजिटिव बना हुआ है। भविष्य का आउटपुट इंडेक्स तीम महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया, हालांकि यह ऐतिहासिक औसत से ऊपर बना हुआ है।’
सर्वेक्षण में कहा गया है कि जून में नए निर्यात ऑर्डरों में फिर से काफी वृद्धि देखी गई और कंपनियों ने एशिया, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, यूरोप और अमेरिका से बेहतर मांग के लिए विदेशों से नए काम की अधिक आमद को जिम्मेदार ठहराया।
जून मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई महीने के लिए 58.5 के फ्लैश अनुमान से नीचे आ गया और यह जुलाई 2021 के बाद से लगातार 36वें महीने मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट में ग्रोथ है।
0-180 कमर्शियल पायलटों को दी जाएगी ट्रेनिंग
नईदिल्ली। टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया ने महाराष्ट्र के अमरावती में एक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने की सोमवार को घोषणा की। इस कदम का लक्ष्य सालाना 180 कमर्शियल पायलट को प्रशिक्षित करना है।
एयर इंडिया ने एक बयान में कहा कि बेलोरा हवाई अड्डे पर नागर विमानन महानिदेशालय लाइसेंस प्राप्त उड़ान प्रशिक्षण संगठन (एफटीओ) दक्षिण एशिया में अपनी तरह का सबसे बड़ा संस्थान होगा। यह अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तैयार हो जाएगा।
एयरलाइन के अनुसार, यह आगामी सुविधा देश में किसी भी भारतीय एयरलाइन द्वारा स्थापित की जाने वाली पहली सुविधा होगी। इसमें प्रशिक्षण के लिए 31 सिंगल इंजन वाले विमान और तीन दोहरे इंजन वाले विमान होंगे।
एयर इंडिया ने कहा कि उसे महाराष्ट्र हवाई अड्डा विकास कंपनी से 30 वर्षों के लिए इस सुविधा की स्थापना और संचालन के लिए निविदा मिली है।
एयर इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैम्पबेल विल्सन ने कहा, ‘अमरावती में एफटीओ भारतीय विमानन को और अधिक आत्मनिर्भर बनाने तथा भारत में युवाओं को पायलट के रूप में उड़ान भरने की उनकी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अधिक अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।’
उन्होंने कहा, ‘इस एफटीओ में प्रशिक्षित युवा पायलट एयर इंडिया की विश्व स्तरीय एयरलाइन बनने की महत्वाकांक्षा को बढ़ावा देंगे..।’
एमएडीसी की वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक स्वाति पांडे ने कहा, ‘‘एमएडीसी तथा एयर इंडिया के बीच सहयोगात्मक पहल से न केवल विमानन क्षेत्र में 3,000 से अधिक नए रोजगार अवसर उत्पन्न होंगे बल्कि महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगाज्.’’
नईदिल्ली। मई में 1,404 करोड़ ट्रांजैक्शन्स के रिकॉर्ड हाई लेवल को छूने के बाद, जून में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन में मामूली गिरावट देखी गई। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जून 2024 में यूपीआई वॉल्यूम 1,389 करोड़ हो गया। इस दौरान 20.07 लाख करोड़ रुपये के ट्रांजैक्शन देखने को मिले। यह मई की तुलना में वॉल्यूम में 1 फीसदी और वैल्यू में 2 फीसदी की गिरावट थी।
हालांकि, जून 2023 के मुकाबले, यूपीआई वॉल्यूम में 49 फीसदी और वैल्यू में 36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। अप्रैल 2016 में यूपीआई के शुरू होने के बाद मई 2024 में वॉल्यूम और वैल्यू दोनों के मामले में ट्रांजैक्शन सबसे ज्यादा हुए थे।।
इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) ट्रांजैक्शन वॉल्यूम जून में 51.7 करोड़ पर था, जो मई के 55.8 करोड़ के मुकाबले 7 फीसदी कम था। वैल्यू के लिहाज से, आईएमपीएस ट्रांजैक्शन जून में 5.78 ट्रिलियन रुपये (5.78 लाख करोड़ रुपये) पर था, जो मई के ?6.06 ट्रिलियन के मुकाबले 5 फीसदी कम था। अप्रैल में यूपीआई 55 करोड़ वॉल्यूम और 5.92 लाख करोड़ रुपये की वैल्यू पर था। जून 2023 के मुकाबल, वॉल्यूम में 10 फीसदी और वैल्यू में 15 फीसदी की वृद्धि हुई।
फास्टैग ट्रांजैक्शन में भी जून के दौरान 4 फीसदी की गिरावट देखी गई, जो मई में 34.7 करोड़ से घटकर 33.4 करोड़ हो गए। वैल्यू के लिहाज से, यह जून में 2 फीसदी की गिरावट के साथ 5,780 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो मई में 5,908 करोड़ रुपये था। अप्रैल में फास्टैग 32.8 करोड़ और 5,592 करोड़ रुपये पर था। जून 2023 की तुलना में, वॉल्यूम में 6 फीसदी और वैल्यू में 11 फीसदी की वृद्धि हुई।
आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम जून में वॉल्यूम के लिहाज से 11 फीसदी बढक़र 10 करोड़ पर पहुंच गया, जो मई में 9 करोड़ और अप्रैल में 9.5 करोड़ था। वैल्यू के लिहाज से भी, यह मई के ?23,417 करोड़ की तुलना में 7 फीसदी बढक़र 25,122 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। अप्रैल में यह 25,172 करोड़ रुपये पर था।
नई दिल्ली । विश्व बैंक ने कम कार्बन उत्सर्जन वाले ऊर्जा उत्पादन के विकास में तेजी लाने के लिए दूसरे ऑपरेशन के तहत भारत को 1.5 अरब डॉलर के ऋण को मंजूरी दी है।
विश्व बैंक ने शुक्रवार को वाशिंगटन में बताया कि ‘लो-कार्बन एनर्जी प्रोग्रामेटिक डेवलपमेंट पॉलिसी ऑपरेशन’ का दूसरा चरण ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइजर के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सुधारों में मददगार होगा, जो ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण तकनीक है।
यह ऑपरेशन सरकार की ऊर्जा सुरक्षा और विश्व बैंक की हाइड्रोजन फॉर डेवलपमेंट (एच4डी) भागीदारी के अनुरूप है।
विश्व बैंक के अनुसार, सुधारों के परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2025-26 से प्रति वर्ष कम से कम 4,50,000 टन ग्रीन हाइड्रोजन और 1,500 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइजर का उत्पादन होने की उम्मीद है।
इसके अलावा, यह अक्षय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन में प्रति वर्ष पांच करोड़ टन कमी लाने में भी महत्वपूर्ण रूप से मदद करेगा।
यह ऑपरेशन राष्ट्रीय कार्बन क्रेडिट बाजार को और विकसित करने के कदमों का भी समर्थन करेगा।
भारत में विश्व बैंक के निदेशक ऑगस्त तानो कुआमे ने कहा, विश्व बैंक को भारत की लो-कार्बन विकास रणनीति का समर्थन जारी रखने की प्रसन्नता है, जो देश के शुद्ध-शून्य लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा और निजी क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में नौकरियां पैदा करेगा।
कुआमे ने कहा, पहले और दूसरे, दोनों ऑपरेशनों में ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा में निजी निवेश को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज़ी से बढऩे की उम्मीद है। विश्व बैंक के अनुसार, आर्थिक विकास के साथ उत्सर्जन वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ाना होगा, ख़ास तौर पर औद्योगिक क्षेत्रों में।
ऑपरेशन के लिए टीम लीडर की भूमिका निभा रहे ऑरेलियन क्रूस, शियाओडोंग वांग और सुरभि गोयल ने कहा, भारत ने ग्रीन हाइड्रोजन के लिए घरेलू बाज़ार विकसित करने के लिए साहसिक कदम उठाए हैं, जो तेज़ी से विस्तारित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता पर आधारित है।
विश्व बैंक ने जून 2023 में 1.5 अरब डॉलर के पहले ऑपरेशन को मंज़ूरी दी थी, जिसमें ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाओं में नवीकरणीय ऊर्जा के लिए ट्रांसमिशन शुल्क की छूट, सालाना 50 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा निविदाएं शुरू करने के लिए एक स्पष्ट राह तैयार करना और राष्ट्रीय कार्बन क्रेडिट बाजार के लिए एक कानूनी ढांचा बनाना शामिल है।
मुंबई । भारतीय शेयर बाजार के लिए पिछला सप्ताह तेजी वाला रहा। सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में करीब दो-दो प्रतिशत उछाल दर्ज किया गया। बाजार में लगातार चौथे सप्ताह तेजी रही। बैंकिंग शेयरों में पिछले सप्ताह जोरदार उछाल देखने को मिला। निफ्टी बैंक सूचकांक में एक प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त दर्ज की गई।
इस सप्ताह बाजार की दिशा कई घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कारकों पर निर्भर करेगी। इसमें भारत और अमेरिका के विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के पीएमआई आंकड़े शामिल हैं।
इसके अलावा आगामी बजट से जुड़े अपटेड और भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों की ओर से जारी किए जाने वाले मासिक बिक्री के आंकड़ों पर भी निवेशकों की निगाहें होंगी।
बाजार के जानकारों का कहना है कि इस सप्ताह बाजार की नजर सीमेंट और टेलीकॉम सेक्टरों की कंपनियों पर हो सकती है। अल्ट्राटेक की ओर से इंडिया सीमेंट में नॉन-कंट्रोलिंग हिस्सेदारी हासिल करने के कारण सीमेंट सेक्टर में कंसोलिडेशन देखने को मिल सकता है। वहीं, सभी टेलीकॉम कंपनियों की ओर से टैरिफ में इजाफा किया गया है। इसका असर इन कंपनियों के मुनाफे में पर भी पड़ेगा। इस वजह से बाजार का फोकस इन कंपनियों पर होगा।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अरविंदर सिंह नंदा का कहना है कि चार्ट पर निफ्टी बुलिश लग रहा है। अगर निफ्टी 24,200 अंक के स्तर को पार कर टिकता है तो यह 24,500 अंक और फिर 24,700 अंक के स्तर तक जा सकता है। अगर यह 24,000 अंक के नीचे उतरता है तो फिर 23,800 अंक, 23,600 अंक और फिर 23,400 अंक के स्तर तक भी लुढक़ सकता है। हमें उम्मीद है कि इस सप्ताह निफ्टी 24,600 अंक से 23,600 अंक की रेंज में रह सकता है।
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से हाई फ्रीक्वेंसी और रियल टाइम डेटा की मॉनिटरिंग के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) का उपयोग किया जा रहा है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
आरबीआई की 18वें सांख्यिकी दिवस कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन पर लोगों को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि एआई और एमएल के जरिए क्षमताओं को बढ़ाने और इस पर फोकस किया जा रहा है। अनस्ट्रक्चर्ड डेटा को एनालिसिस करने पर जोर है। हालांकि, ऐसा करते समय नैतिकताओं का ध्यान रखना चाहिए और एल्गोरिदम में पूर्वाग्रह को दूर करना चाहिए।
एनुअल इवेंट के दौरान उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में आधिकारिक सांख्यिकी के लिए 2025 काफी महत्वपूर्ण होने वाला है। व्यापक आर्थिक आंकड़ों के संकलन के लिए (विशेष रूप से राष्ट्रीय खातों और भुगतान संतुलन के लिए) नए वैश्विक मानकों के रूप में वैश्विक प्रयास एक नए आयाम पर जाने की उम्मीद की जा रही है।
प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस के जन्मदिवस के अवसर पर सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है। भारत में आधुनिक आधिकारिक सांख्यिकी स्थापित करने में उनकी अहम भूमिका है।
आरबीआई गवर्नर ने आगे कहा कि रिजर्व बैंक का कटिंग एज इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट जनता के लिए नीतियां बनाने और देश के आर्थिक विकास में बड़ी भूमिका निभा रहा है। आज से एक साल पहले हमने अगली पीढ़ी की केंद्रीकृत सूचना प्रबंधन प्रणाली (सीआईएमएस) लॉन्च किया था। इसमें कई नए फीचर्स शामिल किए गए थे। कमर्शियल बैंक, शहरी को -ऑपरेटिव बैंक और गैर-वित्त कंपनियां इस नए पोर्टल को अपना चुके हैं।
दास ने कहा कि नए सीआईएमएस में भारतीय अर्थव्यवस्था पर रिसर्च करने की सुविधा है। इसके साथ ही यह रिपोर्टिंग के बोझ को कम करता है। इसके अलावा बेहतर टेक्नोलॉजी के कारण डेटा उपलब्ध करने वालों और यूजर्स दोनों का अनुभव अच्छा है।