स्वस्थ रहने के लिए फलों का सेवन करना फायदेमंद होता है. जब भी फलों की बात होती है तो सेब सबसे पहले आता है. सेब में शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं. इसके लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ रोजाना एक सेब खाने की सलाह देते हैं. रोजाना खाली पेट एक सेब खाने से कब्ज से राहत मिलती है तो वहीं मोटापा भी तेजी से कम हो सकता है. लेकिन, सेब खाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूरी है. क्योंकि हर रोज खाली पेट सेब क्यों खाना चाहिए? सेब में ऐसे कौन से पोषक तत्व होते हैं? कौन सी परेशानियों में फायदेमंद है. आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
वजन को कम करता है
रोजाना सुबह खाली पेट 1 सेब खाने से बढ़ते वजन को कम कर सकता है. सेब में फाइबर का काफी मात्रा में पाया जाता है, जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है. इसके बाद आप ज्यादा खाने से बच जाते हैं.
कब्ज और अपच की समस्या से राहत
खाली पेट सेब का सेवन करने से पाचन संबंधी समस्याओं को कम किया जा सकता है. सेब में पाया जाने वाला फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. ऐसे में अगर रोजाना खाली पेट एक सेब खाया जाए तो कब्ज और अपच की समस्या से राहत मिल सकती है.
खून की कमी को दूर करता है
रोजाना सुबह खाली पेट सेब खाने से शरीर में खून की कमी दूर होती है. सेब में आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है. जो शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है. सुबह खाली पेट सेब खाने से कमजोरी, थकान और एनीमिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है.
हृदय संबंधी समस्याएं में कारगर
सुबह सेब का सेवन हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी अच्छा है. सेब में पाया जाने वाला फाइबर और पोटैशियम ब्लड प्रेशरको नियंत्रित करने में मदद करता है. सेब खाने से शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी कम हो जाता है, जिससे हृदय संबंधी समस्याएं ठीक हो सकती हैं.
इन दिनों करियर ओरिएंटेड होने की वजह से बहुत से लोग 30 की उम्र के बाद शादी करते हैं और फिर बच्चे पैदा करने में भी देर लगाते हैं जिसका उनकी फर्टिलिटी के साथ-साथ अजन्मे बच्चे पर भी असर पड़ता है और ऐसा सिर्फ महिलाओं के साथ नहीं है। जी हां, वैज्ञानिकों की मानें तो महिलाओं की तरह पुरुषों के शरीर में भी एक बायोलॉजिकल घड़ी होती है और वैसे पुरुष जो अधिक उम्र में पिता बनते हैं वे अपनी पार्टनर के साथ-साथ होने वाले बच्चे की सेहत को भी खतरे में डाल देते हैं।
पुरुषों की बढ़ती उम्र का भी बच्चे की सेहत पर बुरा असर
मैटूरिटस नाम के जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में 40 साल तक किए गए रिसर्च की समीक्षा की गई जिसमें माता-पिता की उम्र का उनकी फर्टिलिटी, प्रेग्नेंसी और होने वाले बच्चे की सेहत पर क्या असर पड़ता है, इस बारे में जानकारी हासिल की गई। अमेरिका के रटगर्स यूनिवर्सिटी की ग्लोरिया बैचमैन ने बताया, च्यह बात तो दुनियाभर में ज्यादतर लोग मानते हैं कि 35 साल की उम्र के बाद महिलाओं के अंदर जो शारीरिक बदलाव होते हैं उसका गर्भधारण करने में, प्रेग्नेंसी के दौरान और होने वाले बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन पुरुष इस बात को समझ ही नहीं पाते कि उनकी बढ़ती उम्र भी इन बातों पर असर डालती है।
35 से 45 साल के बीच की उम्र- अडवांस्ड पैटरनल एज
हालांकि मेडिकल प्रफेशन में अब तक पिताओं की किस उम्र को अडवांस्ड माना जाए इस बारे में साफतौर पर कोई परिभाषा नहीं दी गई है लेकिन 35 साल से 45 साल के बीच की उम्र के पिताओं को अडवांस्ड पैटरनल एज में माना जा सकता है। स्टडी में यह बात भी सामने आयी कि 45 साल से अधिक उम्र के पुरुषों की फर्टिलिटी कम होने लगती है और पुरुषों की अधिक उम्र की वजह से उनकी पार्टनर को प्रेग्नेंसी के दौरान कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जैसे- गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबीटीज, प्री-क्लाम्पसिया और समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे आदि।
नवजात शिशु में कई तरह की बीमारियों का खतरा
अधिक उम्र के पिताओं से जन्म लेने वाले नवजात शिशु में समय से पहले जन्म लेने का खतरा, जन्म के दौरान मृत पाए जाने का खतरा, जन्म के वक्त वजन बेहद कम और जन्मजात शारीरिक दिक्कतें जैसे- पैदाइशी हृदय रोग, कटा हुआ तालू जैसे खतरे हो सकते हैं। जैसे-जैसे ये बच्चे बड़े होने लगते हैं उनमें बचपन में होने वाला कैंसर, ऑटिज्म और संज्ञानात्मक बीमारी होने का खतरा भी रहता है। इस तरह की समस्याओं की वजह यह होती है कि अधिक उम्र के पुरुष जब पिता बनते हैं तो उनमें उम्र बढऩे के साथ टेस्टोस्टेरॉन में कमी आने लगती है, सीमन की क्वॉलिटी खराब होने लगती है और स्पर्म भी तेजी से घटने लगता है।
अधिकांश लोगों ने शरीर के किसी न किसी हिस्से में कभी न कभी दर्द का सामना जरूर किया होता है। कई बार छोटे-मोटे दर्द में तुरंत डॉक्टर के पास जाना संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति के लिए हम आपको बता रहे हैं आयुर्वेद के अनुसार वे 5 तरीके, जो दर्द को कम करने में मदद करते हैं –
हींग - यह पेट दर्द के लिए अचूक दवा है। न केवल पेट दर्द, बल्कि गैस, बदहजमी और पेट फूलने की समस्या में भी इसका सेवन लाभकारी है। दर्द होने पर हींग का घोल पेट पर लगाना भी असरकारी होता है।
अदरक - गर्म प्रकृति होने के कारण यह सर्दी जनित दर्द में फायदेमंद है। सर्दी खांसी से उपजा दर्द या फिर सांस संबंधी तकलीफ, जोड़ों के दर्द, ऐंठन और सूजन में यह लाभकारी है।
ऐलोवेरा - जोड़ों के दर्द, चोट लगने, सूजन, घाव एवं त्वचा संबंधी समस्याओं से होने वाले दर्द में एलोवेरा का गूदा, हल्दी के साथ हल्का गर्म करके बांधने पर लाभ होता है।
सरसों - सरसों का तेल शारीरिक दर्द, घुटनों के दर्द, सर्दी जनित दर्द में बेहद लाभकारी है। सिर्फ इसकी मसाज करने से दर्द में आराम होता है और त्वचा में गर्माहट पैदा होती है।
लौंग - दांत व मसूड़ों के दर्द, सूजन आदि में लौंग काफी लाभदायक है। दर्द वाली जगह पर लौंग का पाउडर या लौंग के तेल में भीगा रूई का फोहा रखना बेहद असरकारक होगा।
0-इसरो ने फिर रचा इतिहास
श्रीहरिकोटा ,01 अपै्रल । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक इंटेलीजेंस सैटेलाइट एमीसैट को उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया। एमीसैट के साथ-साथ दूसरे देशों के 28 उपग्रह (अमेरिका के 24, लिथुआनिया के दो और स्पेन तथा स्विट्जरलैंड के एक-एक उपग्रह) को लेकर लगभग 239 किलोग्राम वजनी पीएसएलवी रॉकेट ने सुबह 9.27 बजे उड़ान भरी।
इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने इससे पहले कहा था, यह हमारे लिए विशेष मिशन है। हम चार स्ट्रैप-ऑन मोटरों वाला एक रॉकेट का उपयोग करेंगे। इसके बाद पहली बार रॉकेट को तीन विभिन्न दूरियों की कक्षाओं में ले जाने का प्रयास करेंगे। इसरो उपग्रहों के वजन क अनुसार रॉकेट का चयन करता है।
उड़ान भरने के सिर्फ 16 मिनट बाद रॉकेट के चौथे चरण के इंजन के बंद होने से रोमांच और बढ़ गया। इसके 47 सेकेंड बाद 753 किलोमीटर की ऊंचाई पर रॉकेट से एमीसैट निकल गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, सामरिक क्षेत्रों से उपग्रहों की मांग बढ़ गई है। लगभग छह या सात उपग्रहों के निर्माण की योजना है।
भारत जुलाई या अगस्त में किसी समय अपने नए स्मॉल सेटेलाइट लांच व्हीकल (एसएसएलवी) रॉकेट से दो या ज्यादा रक्षा उपग्रहों को भी लांच करेगा। ऐसा करने के बाद भारत कुल 297 विदेशी उपग्रहों को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर लेगा।
नईदिल्ली ,05 मार्च । भारतीय वायुसेना अपने पुराने मिग विमानों को अगले तीन सालों में हटाने वाली है. इन सभी विमानों की जगह अत्याधुनिक राफेल विमान लेंगे. इस साल के आखिर तक भारत को राफेल मिलने शुरू हो जाएंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक इन राफेल विमान के आने के साथ ही मिग-21 विमान को हटाने का काम शुरू कर दिया जाएगा.
रक्षा मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक पहले चरण में साल 2022 तक सभी मिग-21 विमानों को हटाने का काम किया जाएगा. इसके बाद मिग-27 और मिग-29 विमानों को हटाया जाएगा. इन सभी विमानों को साल 2030 तक पूरी तरह से हटा लिया जाएगा. भारत को पहला राफेल विमान सितंबर तक मिलने की उम्मीद है. गौरतलब है कि 1964 में भारतीय वायुसेना का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान मिग-21 मिला था.
सूत्रों के मुताबिक भारत के पास इस समय करीब 40 से 45 मिग-21 विमान हैं. इन विमानों में से ज्यादातर को ट्रेनिंग देने में इस्तेमाल किया जाता है. हाल ही में मिग-21 बाइसन विमान ने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मारकर हर किसी को हैरान कर दिया था. सूत्रों के मुताबिक फ्रांस की ओर से सभी 36 विमान साल 2022 तक भारत को सौंप दिए जाएंगे. गौरतलब है कि मिग विमानों के क्रैश होने की खबरें लगातार बढ़ती जा रही हैं. पिछले 40 सालों में करीब 500 मिग विमान हादसे हुए हैं. इन हादसों में 171 पायलट और 39 नागरिकों की मौत हुई है.
नई दिल्ली ,16 फरवरी। भारतीय वायु सेना को उसकी पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर मिल गई है। लेफ्टिनेंट हिना जायसवाल पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर बन गई हैं। पहले यह पद पुरुषों के पास ही था।
पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हिना जनवरी 2015 में इंजीनियरिंग ब्रांच में कमीशंड हुई थीं। उन्होंने शुक्रवार को अपना कोर्स पूरा किया। हिना ऑपरेशनल हेलीकॉप्टर यूनिट में अपनी सेवा देंगी। फ्लाइट लेफ्टिनेंट हिना जायसवाल आगे बतौर फ्लाइट इंजीनियर ऑपरेशनल हेलिकॉप्टर यूनिट्स में शामिल की जाएंगी। हिना ने येलाहंका स्थित 112 हेलिकॉप्टर एयरफोर्स स्टेशन से फ्लाइट इंजीनियरिंग का कोर्स पूरा किया है। हिना जायसवाल साल 2014 में फ्लाइट इंजीनियर के कोर्स के लिए चुनी गई थीं। उन्होंने ये कोर्स आईएएफ की इंजीनियरिंग ब्रांच में 5 जनवरी, 2015 को शुरू किया था। इससे पहले हिना ने एयर मिसाइल स्क्वॉड्रन के लिए फ्रंटलाइन सरफेस में चीफ ऑफ फायरिंग टीम और बैट्री कमांडर के तौर पर काम किया था। उन्होंने छह महीने तक सख्त प्रशिक्षण लिया, ऐसा ही प्रशिक्षण पुरूषों को भी दिया जाता है। चंडीगढ़ की रहने वाली हिना के माता-पिता डीके जायसवाल और अनिता जायसवाल का कहना है कि अब सपना पूरा हो गया है। उनका कहना है कि बचपन से ही उनकी बेटी हिना सैनिकों की यूनिफॉर्म पहनती थी। अब हिना का सपना पूरा हो गया है।