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टीसीएस ने ब्राज़ील में नए डिलीवरी सेंटर की घोषणा की
Posted Date : 17-Apr-2024 4:49:19 am

टीसीएस ने ब्राज़ील में नए डिलीवरी सेंटर की घोषणा की

नई दिल्ली  । टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने ब्राजील में एक नए डिलीवरी सेंटर की घोषणा की, जो अगले पांच साल में 1,600 से अधिक रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा।
यह केंद्र पराना प्रांत के लोन्ड्रिना में होगा। यह स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान देगा और क्षेत्र में टीसीएस की उपस्थिति को मजबूत करेगा।
टीसीएस ब्राज़ील के प्रमुख ब्रूनो रोचा ने कहा, हम साइबर-सुरक्षा, क्लाउड, कॉग्निटिव बिजनेस ऑपरेशंस (सीबीओ), आईटीआईएस, एआई और ऑटोमेशन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोगियों की संख्या दोगुनी करना चाहते हैं, जो प्रौद्योगिकी सेवाओं में नवाचार और उत्कृष्टता के प्रति हमारे समर्पण को दर्शाता है।
कंपनी 2018 से लोन्ड्रिना में मौजूद है और शहर में लगभग 1,700 लोगों को रोजगार देती है।
नया डिलीवरी सेंटर व्यवसाय परिवर्तन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और सीबीओ जैसे प्रमुख क्षेत्रों में विशेषज्ञता लाएगा, जो ब्राजील और दुनिया भर में ग्राहकों को आईटी सेवाओं का एक व्यापक सूट पेश करेगा।
पराना प्रांत के गवर्नर कार्लोस मस्सा रतिन्हो जूनियर ने कहा, मैं उन क्षमताओं के बारे में अधिक जानने के लिए भारत आया हूं जो देश ने कई क्षेत्रों में बनाई हैं, खासकर डिजिटल प्रौद्योगिकियों में, जहां भारत एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता है। यहां से अनुभवों का लाभ उठाते हुए हम ब्राजील की अर्थव्यवस्था में विभिन्न सेवाओं और उत्पादों के डिजिटलीकरण को बढ़ा सकते हैं।
टीसीएस ने कहा कि वह दो दशकों से अधिक समय से ब्राजील में लोन्ड्रिना, साओ पाउलो और रियो डी जेनेरियो में परिचालन कर रही है।

 

सरकार ने कच्चे तेल पर बढ़ाया अप्रत्याशित कर
Posted Date : 17-Apr-2024 4:49:00 am

सरकार ने कच्चे तेल पर बढ़ाया अप्रत्याशित कर

नई दिल्ली । सरकार ने मंगलवार से कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर 6,800 रुपये से बढ़ाकर 9,600 रुपये प्रति मीट्रिक टन कर दिया।
इससे तेल अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड को घाटा हो सकता है। लेकिन सरकार को गरीबों के लिए अपनी सामाजिक कल्याण योजनाओं को संचालित करने व अपने राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने के लिए अधिक संसाधन मिलेगा।
सरकार ने पिछले साल जुलाई में कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर लगाया था और गैसोलीन, डीजल और विमानन ईंधन के निर्यात पर लेवी बढ़ा दी थी, क्योंकि निजी रिफाइनरों ने घरेलू बाजार में बिक्री के बजाय विदेशी बाजारों में रिफाइनिंग मार्जिन से लाभ कमाना शुरू कर दिया था।

 

हेल्थ ड्रिंक्स के नाम पर बेचे जा रहे उत्पादों को लेकर सरकार सख्त, जारी की एडवाइजरी
Posted Date : 15-Apr-2024 4:46:51 pm

हेल्थ ड्रिंक्स के नाम पर बेचे जा रहे उत्पादों को लेकर सरकार सख्त, जारी की एडवाइजरी

नई दिल्ली ।  बच्चों की ग्रोथ बढ़ाने का दावा करने वाले बॉर्नविटा जैसे तमाम हेल्थ ड्रिंक्स बाजार और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर उपलब्ध हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ऐसे हेल्थ ड्रिंक्स वाकई में आपके बच्चों के लिए सेहतमंद हैं या नहीं? अब, भारत सरकार ने हेल्थ ड्रिंक्स के नाम पर बेवरेज बेचने को लेकर ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया है।
दरअसल, बाजार में अब बॉर्नविटा जैसे तमाम ड्रिंक्स ई-कॉमर्स साइट पर हेल्थ ड्रिंक्स के नाम से नहीं बेचे जा सकेंगे। हेल्थ ड्रिंक्स पर उद्योग मंत्रालय ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें बताया गया है कि बॉर्नविटा और दूसरे बेवरेज को हेल्थ ड्रिंक्स कैटेगरी में नहीं रखा जाए।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को वेबसाइट से बॉर्नविटा सहित सभी बेवरेज को ‘हेल्थ ड्रिंक्स कैटेगरी’ से हटाने को कहा है। एडवाइजरी में बताया गया है कि विभाग के संज्ञान में आया है कि बॉर्नविटा सहित कुछ पेय पदार्थों को ई-कॉमर्स साइटों और प्लेटफार्म्स पर ‘हेल्थ ड्रिंक’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने अपनी जांच के बाद पाया कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स कानून के तहत ‘हेल्थ ड्रिंक्स’ की कोई परिभाषा नहीं है। इसे ध्यान में रखते हुए ई-कॉमर्स कंपनियों और वेबसाइट्स को सलाह दी जाती है कि वे अपने प्लेटफॉर्म्स से बॉर्नविटा सहित बेवरेज को ‘हेल्थ ड्रिंक्स’ की कैटेगरी से हटा दें।
मालूम हो कि एनसीपीसीआर ने चि_ी लिखकर बॉर्नविटा जैसे तमाम हेल्थ ड्रिंक्स और बेवरेज को बच्चों की हेल्थ के लिए नुकसानदेह बताया था। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जांच रिपोर्ट आने के बाद डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी) ने चि_ी लिखकर एडवाइजरी जारी की है।

 

एक्स की सख्ती: नीति उल्लंघन करने वाले भारत में 2 लाख से ज्यादा खातों पर प्रतिबंध लगाया
Posted Date : 15-Apr-2024 4:46:28 pm

एक्स की सख्ती: नीति उल्लंघन करने वाले भारत में 2 लाख से ज्यादा खातों पर प्रतिबंध लगाया

नई दिल्ली । एलन मस्क द्वारा संचालित एक्स कॉर्प ने 26 फरवरी से 25 मार्च के बीच भारत में रिकॉर्ड 2,12,627 खातों पर प्रतिबंध लगा दिया, जो ज्यादातर बाल यौन शोषण और गैर-सहमति नग्नता को बढ़ावा देने के लिए थे। माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने देश में अपने प्लेटफॉर्म पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए 1,235 खातों को भी हटा दिया। कुल मिलाकर, एक्स ने देश में समीक्षाधीन अवधि में 213,862 खातों पर प्रतिबंध लगा दिया।
एक्स ने नए आईटी नियम, 2021 के अनुपालन में अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा कि उसे अपने शिकायत निवारण तंत्र के जरिए एक ही समय-सीमा में भारत में उपयोगकर्ताओं से 5,158 शिकायतें प्राप्त हुईं। इसके अलावा, एक्स ने 86 ऐसी शिकायतों पर कार्रवाई की, जिनमें खाता निलंबन के खिलाफ अपील की गई थी।
कंपनी ने कहा, स्थिति की बारीकियों की समीक्षा करने के बाद हमने इनमें से 7 खातों के निलंबन को पलट दिया। बाकी रिपोर्ट किए गए खाते निलंबित रहेंगे। इसमें कहा गया है, हमें इस रिपोर्टिंग अवधि के दौरान खातों के बारे में आम सवालों से संबंधित 29 अनुरोध मिले।
भारत से ज्यादातर शिकायतें (3,074) प्रतिबंध को टालने के बारे में थीं। इसके बाद संवेदनशील वयस्क सामग्री (953), घृणित आचरण (412) और दुर्व्यवहार/उत्पीडऩ (359) थीं। एक्स ने 26 जनवरी से 25 फरवरी के बीच भारत में 5,06,173 अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिया। माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने देश में अपने प्लेटफॉर्म पर आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले 1,982 खातों को भी हटा दिया।

 

बायजू पर एक और संकट, सीईओ अर्जुन मोहन ने दिया इस्तीफा; कंपनी अब तीन क्षेत्रों तक रहेगी सीमित
Posted Date : 15-Apr-2024 4:46:17 pm

बायजू पर एक और संकट, सीईओ अर्जुन मोहन ने दिया इस्तीफा; कंपनी अब तीन क्षेत्रों तक रहेगी सीमित

नई दिल्ली । सात माह पहले एडटेक फर्म बायजू के सीईओ बनाए गए अर्जुन मोहन ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया है। सोमवार को कंपनी ने यह जानकारी दी। मोहन के इस्तीफे के बाद कंपनी के सह-संस्थापक और सीईओ बायजू रवींद्रन कंपनी के दैनिक कामकाज को संभालेंगे। रवींद्रन ने कहा, मोहन ने चुनौतीपूर्ण दौर में कंपनी को आगे बढ़ाया। हम उनके आभारी हैं।
कंपनी ने अब अपने व्यवसाय को द लर्निंग ऐप, ऑनलाइन क्लासेस और ट्यूशन सेंटर व टेस्ट-प्रीप तक सीमित कर लिया है। कंपनी ने कहा कि इनमें से प्रत्येक इकाई को अलग-अलग लोग संचालित करेंगे। रवीन्द्रन के अनुसार, यह पुनर्गठन बायजूस 3.0 की शुरुआत का प्रतीक है। नकदी संकट का सामना कर रही एडटेक कंपनी ने पिछले साल सितंबर में मोहन को अपने भारतीय परिचालन के सीईओ के रूप में पदोन्नत किया था।

 

विदेशी बाजारों में सोयाबीन डीगम दाम टूटने से बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट
Posted Date : 15-Apr-2024 2:51:26 am

विदेशी बाजारों में सोयाबीन डीगम दाम टूटने से बीते सप्ताह अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट

नईदिल्ली। विदेशी बाजारों में सोयाबीन डीगम का दाम टूटने के बीच आयातित खाद्य तेलों की कीमतें प्रभावित होने के कारण बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई।
इस दौरान सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली जबकि किसानों की अपेक्षा के अनुरूप दाम नहीं मिलने के कारण मंडियों में कम बिक्री करने से सोयाबीन तिलहन तथा बाजार में आवक घटने के बीच बिनौला तेल के दाम तेजी दर्शाते बंद हुए।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बंदरगाह सहित अन्य स्थानों पर खाद्य तेलों के कमजोर स्टॉक के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में सोयाबीन डीगम तेल के थोक दाम पहले के 1,015-1,020 डॉलर प्रति टन से घटकर 975-980 डॉलर प्रति टन रह गये। इस गिरावट का असर बाकी तेल-तिलहनों पर भी आया और पिछले सप्ताह के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए। विदेशों में सोयाबीन डीगम के थोक दाम भले ही टूट गये हों पर देश में इन तेलों की बिक्री प्रीमियम दाम के साथ जारी है। बेशक प्रीमियम की राशि पिछले महीने लगभग 10 प्रतिशत थी जो अब घटकर 4-5 प्रतिशत रह गई है।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को इस बात पर ध्यान देना होगा कि खाद्य तेलों के दाम मामूली वृद्धि के साथ लगभग 20 साल पहले की कीमत के आसपास हैं जबकि अन्य वस्तुओं के दाम काफी अधिक हुए हैं। यह स्थिति तेल- तिलहन कारोबार के लिए अच्छा नहीं है।
इसके अलावा तेल- तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की मंशा उचित हो सकती है लेकिन इसके लिए देशी तेल-तिलहन का बाजार विकसित करने तथा आयात नीति और शुल्कों का उचित निर्धारण भी जरूरी है।
उन्होंने कहा कि विदेशी तेलों के थोक दाम सस्ता होने के कारण सरसों जैसा अन्य देशी तेल को बाजार से जूझना पड़ रहा है क्योंकि देशी तेल के दाम बेपड़ता हो रहे हैं और तेल पेराई मिलों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की खरीद तो शुरू हुई मगर यह उम्मीदों से कम थी। इसलिए सरसों की आवक बढऩे की कुछ विशेषज्ञों की उम्मीद (लगभग 16 लाख बोरी) के विपरीत आवक 7.25-9.25 लाख बोरी पर स्थिर बनी हुई है। इस बार भी लगभग 28.2 लाख टन फसल खरीद का लक्ष्य है लेकिन इससे काम पूरा नहीं होगा।
देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया गया तो हम खाद्य तेलों के लिए आगे भी भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करते नजर आयेंगे। सूत्रों ने कहा कि विदेशों में सोयाबीन डीगम का दाम टूटने से यहां सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली लेकिन सोयाबीन तिलहन इसके विपरीत चला। किसानों को दो साल पहले सोयाबीन के एमएसपी से काफी ऊंचे दाम मिलते रहे हैं।
बाजार में पिछले सप्ताह तक किसान सोयाबीन एमएसपी से 2-4 प्रतिशत नीचे दाम पर बेच रहे थे जो अब जाकर लगभग एमएसपी के आसपास हुआ है। किसानों की कम दाम पर बिकवाली कम करने से सोयाबीन तिलहन कीमतों में सुधार दिखा। उन्होंने कहा कि सोयाबीन की कम बिक्री करना सोयाबीन संयंत्र वालों के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि किसान अगर सोयाबीन खेती से विमुख हुए तो इसका सीधा असर देश के तेल संयंत्रों पर आयेगा।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट का कारण इसके अन्य सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले महंगा होना और इस कारण बेपड़ता बैठना है। मूंगफली के किसान इसलिए परेशान हैं क्योंकि उन्हें उपज के दाम नहीं मिल रहे और उन्हें एमएसपी से काफी कम दाम पर फसल बेचने की मजबूरी है।
तेल मिल इसलिए नुकसान में हैं कि एमएसपी से नीचे खरीद करने के बाद भी पेराई में उन्हें 5-7 रुपये किलो का नुकसान हो रहा है। सूत्रों ने कहा कि सीपीओ और पामोलीन की हाजिर में भारी कमी है। पाम, पामोलीन का माल ही नहीं है। जब देश के बंदरगाहों पर लोकप्रिय सॉफ्ट आयल- सोयाबीन और सूरजमुखी 84-85 रुपये लीटर बिक रहा है तो 89 रुपये प्रति किलो वाला पामोलीन (हेवी आयल) कोई क्यों खरीदेगा? यह पाम, पामोलीन में गिरावट का मुख्य कारण है। सूत्रों ने कहा कि बिनौला तेल में सुधार का कारण नकली खल को माना जाना चाहिये क्योंकि नकली खल की वजह से मंडियों में कपास की आवक कम हो रही है।
नकली बिनौला खल के दाम सस्ते में हैं तो कोई असली बिनौला खल महंगे दाम में कैसे खरीद पायेगा। इसी वजह से मंडियों में कपास की आवक कम हो रही क्योंकि उससे सबसे अधिक खल मिलता है जिसके दाम नहीं मिलते। जब असली खल के लिवाल नहीं हों तो इसकी भरपाई बिनौला तेल के दाम को बढ़ाकर पूरा किया जाता है जो बिनौला तेल में सुधार का कारण है। बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 95 रुपये की गिरावट के साथ 5,340-5,380 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सरसों दादरी तेल का भाव 350 रुपये घटकर 10,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 45-45 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 1,720-1,820 रुपये और 1,720-1,835 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 170-170 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,910-4,930 रुपये प्रति क्विंटल और 4,710-4,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसके विपरीत सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 300 रुपये, 400 रुपये और 375 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 10,400 रुपये और 10,050 रुपये और 8,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 75 रुपये की गिरावट के साथ 6,105-6,380 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 250 रुपये और 40 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 14,750 रुपये क्विंटल और 2,240-2,505 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 25 रुपये की गिरावट के साथ 9,425 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 125 रुपये की गिरावट के साथ 10,625 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 150 रुपये की गिरावट के साथ 9,650 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। गिरावट के आम रुख के उलट बिनौला तेल 25 रुपये मजबूत होकर 9,725 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।