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भारतीय स्टार्टअप्स ने इस सप्ताह 348 मिलियन डॉलर से अधिक के फंड जुटाए
Posted Date : 08-Sep-2024 9:30:30 pm

भारतीय स्टार्टअप्स ने इस सप्ताह 348 मिलियन डॉलर से अधिक के फंड जुटाए

नई दिल्ली  । भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम ने इस सप्ताह 348 मिलियन डॉलर से अधिक के फंड जुटाए। उद्योग की विकास गति लगातार दूसरे सप्ताह भी जारी रही।
भारतीय स्टार्टअप्स ने इस सप्ताह 19 सौदों के माध्यम से 348 मिलियन डॉलर जुटाए, जबकि पिछले सप्ताह 16 स्टार्टअप्स द्वारा 466 मिलियन डॉलर जुटाए गए थे। इस सप्ताह का नेतृत्व राइड-शेयरिंग प्लेटफॉर्म रैपिडो ने किया। इसने अपनी सीरीज ई फंडिंग में 200 मिलियन डॉलर जुटाए। इससे इस कंपनी की वैल्यू 1.1 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई। फंडिंग राउंड का नेतृत्व वेस्टब्रिज कैपिटल ने किया था। कंपनी ने कहा कि वह पूरे भारत में अपने परिचालन का विस्तार करने और सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए अपने प्रौद्योगिकी प्लेटफ़ॉर्म को बढ़ाने के लिए धन का उपयोग करेगी।
रैपिडो ने बाइक-टैक्सी, थ्री-व्हीलर और टैक्सी-कैब सहित सभी श्रेणियों में अपना परिचालन बढ़ाने की योजना बनाई है। व्यापार वित्त के लिए अग्रणी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म ड्रिप कैपिटल ने 113 मिलियन डॉलर का फंड हासिल किया। इसमें जापानी संस्थागत निवेशकों, जीएमओ पेमेंट गेटवे और सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉरपोरेशन (एसएमबीसी) से 23 मिलियन डॉलर की इक्वटी और इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईएफसी) और ईस्ट वेस्ट बैंक के नेतृत्व में 90 मिलियन डॉलर का ऋण शामिल है।
कर्ज देने वाले प्लेटफॉर्म मनी व्यू ने कथित तौर पर निजी प्लेसमेंट के माध्यम से लगभग 30 मिलियन डॉलर का कर्ज जुटाया।
अगस्त में, स्टार्टअप्स ने 112 सौदों के माध्यम से लगभग 1.6 बिलियन डॉलर जुटाए। इनमें 1.32 बिलियन डॉलर मूल्य के 27 विकास-चरण सौदे और 267 मिलियन डॉलर मूल्य के 71 प्रारंभिक-चरण सौदे शामिल थे। इस साल, इकोसिस्टम में बड़े फंडिंग राउंड (100 मिलियन डॉलर से ज़्यादा) में उछाल देखा गया। 100 मिलियन डॉलर से ज्यादा मूल्य के 13 फंडिंग राउंड हुए हैं। ज़ेप्टो, रैपिडो, लेंसकार्ट, फ्लिपकार्ट, मीशो और फ़ार्मईज़ी जैसे स्टार्टअप ने इन राउंड में फंड जुटाए। त्वरित ई-कॉमर्स कंपनी ज़ेप्टो ने 2024 में एक बिलियन डॉलर ( 340 मिलियन डॉलर + 665 मिलियन डॉलर) की दो राउंड की फंडिंग जुटाई। कंपनी ने पिछली बार 5 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन पर 340 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई थी। आईवियर की प्रमुख कंपनी लेंसकार्ट ने भी 2024 में अब तक 200 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है। कंपनी की वैल्यू लगभग 5 बिलियन डॉलर है।

 

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी से एफपीआई भारत में करेंगे अधिक खरीदारी
Posted Date : 08-Sep-2024 9:29:42 pm

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी से एफपीआई भारत में करेंगे अधिक खरीदारी

मुंबई  । अमेरिका में बेरोजगारी दर में गिरावट आई है, लेकिन फेडरल रिजर्व द्वारा इस महीने ब्याज दरों में कटौती की तैयारी के कारण भर्ती में कमी आई है। बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि इस घटनाक्रम से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा भारत में अपना निवेश बढ़ाने की संभावना है।
सितंबर की शुरुआत में मुख्य रूप से भारतीय बाजार के लचीलेपन के कारण एफपीआई द्वारा बेहतर खरीदारी देखी गई। एफपीआई ने 6 सितंबर तक एक्सचेंजों के माध्यम से इक्विटी में 9,642 करोड़ रुपये और ‘प्राथमिक बाजार और अन्य’ श्रेणी के माध्यम से 1,388 करोड़ रुपये का निवेश किया। मोजोपीएमएस के मुख्य निवेश अधिकारी सुनील दमानिया के अनुसार, एफपीआई से होने वाला निवेश बांड समावेशन से परे कारकों की जटिल परस्पर क्रिया से प्रभावित होता है। प्रमुख चालकों में भू-राजनीतिक गतिशीलता, अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति, येन उधार और प्रचलित जोखिम-मुक्त रणनीतियां शामिल हैं।
उन्होंने कहा, वैश्विक बाजार की धारणा विशेष रूप से सावधानी की ओर बढ़ी है, जैसा कि जून में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद एनवीडिया की 25 प्रतिशत की गिरावट से पता चलता है। अमेरिका में नौकरियों के नवीनतम आंकड़े अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी का संकेत दे रहे हैं, जिसके कारण सितंबर में फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं, संभवत: 50 आधार अंकों तक की कटौती भी हो सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि यदि आने वाले दिनों में अमेरिकी विकास संबंधी चिंताओं का वैश्विक इक्विटी बाजारों पर असर पड़ता है तो एफपीआई इस अवसर का उपयोग भारत में खरीदारी के लिए कर सकते हैं। संभावित अमेरिकी मंदी और चीन की चल रही आर्थिक चुनौतियों के बारे में चिंताएं निवेशकों के लिए अपने आवंटन का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए महत्वपूर्ण विचार हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जोखिम-रहित रणनीति जारी रहा तो उभरते बाजारों में एफपीआई प्रवाह में मंदी आ सकती है।
अगस्त में एफपीआई ने इक्विटी में 7,320 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि जुलाई में यह 32,365 करोड़ रुपये था। एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, उन्होंने भारतीय ऋण बाजार में 11,366 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया, जिससे 2024 में अब तक ऋण खंड में शुद्ध प्रवाह 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

 

भारत ने चीन को छोड़ा पीछे, एमएससीआई ईएम आईएम सूचकांक में हासिल किया शीर्ष स्थान
Posted Date : 08-Sep-2024 9:29:16 pm

भारत ने चीन को छोड़ा पीछे, एमएससीआई ईएम आईएम सूचकांक में हासिल किया शीर्ष स्थान

नई दिल्ली  । मॉर्गन स्टेनली ने घोषणा की है कि एमएससीआई उभरते बाजार निवेश योग्य सूचकांक ((इमर्जिंग मार्केट्स इन्वेस्टेबल मार्केट इंडेक्स, एमएससीआई ईएम आईएमआई) में भारत ने अपने भारित मूल्य के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। भारत में अब इसका भार 22.27 प्रतिशत है, जो चीन के 21.58 प्रतिशत से अधिक है।
एमएससीआई आईएमआई में 3,355 स्टॉक शामिल हैं, जिसमें बड़ी, मध्यम और छोटी कैप कंपनियां शामिल की जाती हैं। यह सूचकांक उभरते बाजारों वाले 24 देशों के स्टॉक को कवर करता है और प्रत्येक देश में निवेशकों के लिए उपलब्ध लगभग 85 प्रतिशत (फ्री फ्लोट एडजस्टेड) बाजार पूंजीकरण को कवर करने का लक्ष्य रखता है।
मुख्य एमएससीआई ईएम सूचकांक (मानक सूचकांक) में बड़ी और मध्यम कैप कंपनियां शामिल होतीं हैं, वहीं आईएमआई को बड़ी, मध्यम और छोटी कैप स्टॉक के साथ अधिक व्यापक बनाया गया है। एमएससीआई आईएमआई में चीन के मुकाबले भारत का अधिक भार, छोटी-कैप की अधिक भारित क्षमता के कारण है।
विश्लेषकों के अनुमान के अनुसार, एमएससीआई ईएम आईएमआई में हुए इस बदलाव के बाद भारतीय इक्विटी में लगभग 4 से 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रवाह दिखाई दे सकता है। यह बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियादी सिद्धांतों और कॉरपोरेट्स के शानदार प्रदर्शन के कारण हुआ है।
इसके अलावा, भारतीय इक्विटी बाजार में लाभ का व्यापक आधार है, जो बड़े कैप के साथ-साथ मध्यम-कैप और छोटे-कैप सूचकांकों में भी दिखाई पड़ता है। साल 2024 की शुरुआत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि, कच्चे तेल की कीमतों में कमी और भारतीय ऋण बाजारों में पर्याप्त विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई), इस सकारात्मक रुझान में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों में शामिल है।
आर्थिक वृद्धि एवं विकास के लिए अपेक्षित निवेश की अपनी गति को बनाए रखने के लिए, भारत को घरेलू एवं विदेशी, दोनों स्रोतों से पूंजी की आवश्यकता है। इस संदर्भ में, वैश्विक ईएम सूचकांकों में भारत के भार में वृद्धि का सकारात्मक महत्व है।

 

भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे से समुद्री सुरक्षा, व्यापार बढ़ेंगे : गोयल
Posted Date : 07-Sep-2024 10:19:30 am

भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे से समुद्री सुरक्षा, व्यापार बढ़ेंगे : गोयल

नई दिल्ली  ।  वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भारत- मिडिल ईस्ट (पश्चिम एशिया)- यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) परियोजना को एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुये कहा कि यह परियोजना भारत की समुद्री सुरक्षा और यूरोप तथा एशिया के बीच व्यापारिक माल की त्वरित आवाजाही में योगदान दे सकती है। गोयल ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित भारत-भूमध्यसागरीय व्यापार सम्मेलन-2024 को संबोधित कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि आईएमईसी की शुरुआत गत सितंबर में भारत की मेजबानी में नयी दिल्ली में आयोजित जी-20 अध्यक्षता के दौरान की गयी थी। इसके अंतर्गत भारत से संयुक्त अरब अमरीता, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजरायल होते हुये यूरोपीय संघ तक के मार्ग में औद्योगिक, व्यापारिक और लॉजिस्टक्स गतिविधियों को समन्वित कर व्यापार-उद्योग तथा रोजगार एवं आय-संवर्धन को प्रोत्साहित करना है। गोयल ने कहा कि इस गलियारे से जुड़े देशों के बीच अच्छे सहयोग से ही परस्पर व्यापार में लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी तथा सामानों का सुरक्षित और तीव्र गति से आवागमन संभव हो सकेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन ( पीएलआई) की योजना, मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) और आर्थिक साझेदारी जैसी केंद्र की पहलों से देश में व्यापार करने में सुगमता (ईओडीबी) बढ़ी है तथा देश का विनिर्माण क्षेत्र तेजी से विकसित हुआ है। उन्होंने कहा कि कृषि-मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के लिये भारत के प्रयास भारत और भूमध्यसागरीय देशों के बीच पहलों का समर्थन कर सकते हैं।
गोयल ने सुझाव दिया कि सरकार को भूमध्यसागरीय देशों और भारत के बीच पर्यटन पर एक कार्य समूह बनाना चाहिये, क्योंकि दोनों देशों के बीच सहयोग और पारस्परिक लाभ की बहुत संभावना है। गोयल ने कहा कि भारत और भूमध्यसागरीय देशों का नौवहन क्षेत्र में बहुत बड़ा साझा हित है, चाहे वह जहाज निर्माण, स्वामित्व, समुद्री क्षेत्र या क्रूज व्यवसाय में हो। उन्होंने कहा कि भारत में बंदरगाहों के विकास में बहुत बड़ा अवसर है। देश में पिछले दशक में बंदरगाहों की क्षमता को दोगुना हुई है और अगले 5 वर्षों में यह क्षमता और दोगुना करने की संभावना है।

 

 

निवेश योग्य बाजारों के सूचकांक में चीन को पछाड़कर शीर्ष पर पहुंचा भारत
Posted Date : 07-Sep-2024 10:17:13 am

निवेश योग्य बाजारों के सूचकांक में चीन को पछाड़कर शीर्ष पर पहुंचा भारत

मुंबई  । भारत ने एमएससीआई द्वारा उभरते बाजारों के लिए जारी निवेश योग्य बाजार सूचकांक में चीन को पछाड़ कर शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाला देश ओवरऑल सूचकांक में भी चीन को पीछे छोड़ सकता है।
एमएससीआई एक अमेरिकी वित्तीय कंपनी है जो यह सूचकांक जारी करती है। उभरते बाजारों की श्रेणी में 24 देशों को शामिल किया गया है और 3,355 बड़ी, मझौली तथा छोटी कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर सूचकांक तैयार किया गया है। ये कंपनियां सभी 24 देशों में कुल फ्री फ्लोट-एडजस्टेड बाजार पूंजीकरण के लगभग 99 प्रतिशत को कवर करती हैं।
वैश्विक ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने एक नोट में कहा कि सूचकांक भार में वृद्धि ज्यादा उत्साह का संकेत हो सकता है या फ्री-फ्लोट में सुधार और भारतीय कंपनियों की बढ़ती सापेक्ष आय जैसे मूलभूत कारकों के कारण हो सकती है।
ब्रोकरेज ने कहा, भारत के मामले में बुनियादी कारक निश्चित रूप से लागू होते हैं और इस हद तक, उभरते बाजार क्षेत्र में भारत की नई स्थिति चिंताजनक नहीं है। साथ ही उसने कहा कि उभरते बाजार क्षेत्र में भारत उसकी शीर्ष प्राथमिकता बना हुआ है और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी पसंद है।
नोट के अनुसार, बाजार में गिरावट के लिए कई संभावित ट्रिगर हैं, लेकिन वे भारतीय इक्विटी में तेजी पर ब्रेक लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सूचकांक में भारत के प्रदर्शन के चरम पर पहुंचने से पहले कुछ और दूरी तय करनी पड़ सकती है।
बाजार विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन लगातार अच्छा बना हुआ है और वृहद आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल-जून की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, ब्रेंट क्रूड की कीमतों में लगातार गिरावट के साथ अब इसके 73 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने के संकेत मिल रहे हैं।
वित्तीय स्थिरता है और अर्थव्यवस्था में विकास की गति मजबूत बनी हुई है। इस साल जून में जे.पी. मॉर्गन के उभरते बाजारों के लिए सरकारी बॉन्ड सूचकांक में देश के शामिल होने की वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस साल अब तक भारतीय ऋण बाजार में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।

 

देश में डीमैट खातों की संख्या हुई 17 करोड़ के पार, अगस्त महीने में खुले 40 लाख से ज्यादा अकांउट
Posted Date : 06-Sep-2024 8:51:16 pm

देश में डीमैट खातों की संख्या हुई 17 करोड़ के पार, अगस्त महीने में खुले 40 लाख से ज्यादा अकांउट

नई दिल्ली  । शेयर बाजार की तरफ लोगों का रुझान बढऩे के कारण देश में डीमैट खातों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। अगस्त में देश में 40 लाख से ज्यादा नए डीमैट अकाउंट खुले हैं, जिसके कारण कुल डीमैट खातों की संख्या 17 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड में 31 अगस्त तक कुल डीमैट खातों की संख्या 17.1 करोड़ थी। 2024 की शुरुआत से अब तक हर महीने करीब 40 लाख नए डीमैट अकाउंट खुल रहे हैं। चालू वर्ष के शुरुआती आठ महीनों में करीब 3.2 करोड़ डीमैट अकाउंट खुल चुके हैं।
बड़ी संख्या में डीमैट अकाउंट खुलने की वजह इस कैलेंडर वर्ष में नए आईपीओ का आना भी है। करीब 50 से अधिक कंपनियां 2024 की शुरुआत से 31 अगस्त तक आईपीओ के जरिए 53,419 करोड़ रुपये जुटा चुकी हैं। सेबी की ओर से की गई स्टडी में कहा गया था कि बड़ी संख्या में निवेशक केवल आईपीओ में हिस्सा लेने के लिए डीमैट खाते खोल रहे हैं।स्टडी में बताया गया था कि अप्रैल 2021 से लेकर दिसंबर 2023 तक आईपीओ के आवेदन के लिए उपयोग किए गए डीमैट में से करीब आधे महामारी के बाद खोले गए हैं।
2024 में शेयर बाजार ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक निफ्टी करीब 15 प्रतिशत और बीते एक साल में 27 प्रतिशत का रिटर्न दे चुका है। वहीं, सेंसेक्स इस साल की शुरुआत से अब तक 13 प्रतिशत का रिटर्न दिया है और बीते एक साल में यह 24 प्रतिशत का रिटर्न निवेशकों को दे चुका है। शेयर बाजार में तेजी की वजह अर्थव्यवस्था का मजबूत होना है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत थी, जो कि वित्त वर्ष 2024-25 में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।