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अब रेल यात्रा दौरान बच्चे की हाफ टिकट पर नहीं मिलेगा वैकल्पिक बीमा का लाभ, आईआरसीटीसी ने नियमों में किया बदलाव
Posted Date : 28-Apr-2024 9:04:52 pm

अब रेल यात्रा दौरान बच्चे की हाफ टिकट पर नहीं मिलेगा वैकल्पिक बीमा का लाभ, आईआरसीटीसी ने नियमों में किया बदलाव

नई दिल्ली । रेलवे ने यात्रा टिकट पर वैकल्पिक बीमा के नियमों में बदलाव कर दिया है। नए नियमों को मुताबिक अब बच्चे का हाफ टिकट लेने पर वैकल्पिक बीमा का लाभ नहीं मिलेगा। आईआरसीटीसी के मुताबिक अब फुल टिकट बुक कराने पर ही यात्रियों को बीमा सुविधा का लाभ मिल सकेगा। वहीं आईआरसीटीसी ने वैकल्पिक बीमा का प्रीमियम भी बढ़ा दिया है। प्रति यात्री प्रीमियम अब 45 पैसा कर दिया गया है। पहले यह 35 पैसा था।
आईआरसीटीसी के मुताबिक वैकल्पिक बीमा योजना का लाभ केवल ई-टिकट बुक कराने वाले यात्रियों को ही मिल सकेगा। रेल टिकट काउंटर से खरीदे गए टिकट पर बीमा योजना नहीं लागू होगा। ऑनलाइन या ई-टिकट लेने पर ट्रेन के सभी क्लास- फर्स्ट एसी, सेकेंड एसी, थर्ड एसी, स्लीपर, चेयरकार आदि के कंफर्म और आरएसी टिकट पर यह सुविधा मिलेगी। वहीं वेटिंग टिकट वाले यात्री इस बीमा योजना के पात्र नहीं होंगे।
दरअसल, ऑनलाइन टिकट बुक कराते समय यह विकल्प चुनना होता है कि वे बीमा सुविधा का लाभ लेना चाहते हैं या नहीं। अगर यात्री बीमा सुविधा का लाभ लेना चाहता है तो उसे उस ऑप्शन पर क्लिक करना होता है। फिर बीमा कंपनी की ओर से रेल यात्री के मोबाइल और ई-मेल पर मैसेज आता है। अगर यात्रा के दौरान ट्रेन का रूट बदल दिया जाता है तब भी यात्री को इस सुविधा का लाभ मिलेगा।
बता दें कि इस बीमा योजना के तहत रेल यात्री की मौत होने पर 10 लाख रुपये, आंशिक विकलांग होने पर 7.5 लाख और घायल होने पर इलाज के लिए परिजनों को दो लाख रुपए दिए जाते है। रेल यात्री वैकल्पिक बीमा योजना की शुरुआत भारतीय रेलवे ने सितंबर 2016 में की थी। उस वक्त प्रति यात्री बीमा का प्रीमियम 92 पैसा था जो सरकार खुद देती थी। इसके बाद अगस्त में इसे 42 पैसा कर दिया गया और इसका बोझ यात्रियों पर डाल दिया गया था। बाद में इसे घटाकर 35 पैसा कर दिया गया था।

 

डाटा सेंटर बिजऩेस के लिए अदाणीकॉनेक्स ने जुटाए 1.44 बिलियन डॉलर
Posted Date : 28-Apr-2024 9:04:38 pm

डाटा सेंटर बिजऩेस के लिए अदाणीकॉनेक्स ने जुटाए 1.44 बिलियन डॉलर

अहमदाबाद । भारत में डिजिटल बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने के लिए, अदाणी एंटरप्राइजेज और एजकॉनेक्स के बीच एक संयुक्त उद्यम अदाणीकॉनेक्स ने रविवार को कहा कि उसने 1.44 अरब डॉलर जुटाने के लिए देश की सबसे बड़ी सस्टेनेबिलिटी लिंक्ड फाइनेंसिंग स्थापित की है।
इस ट्रांजैक्शन ने अदाणीकॉनेक्स के निर्माण वित्तपोषण पूल को 1.65 बिलियन डॉलर तक बढ़ा दिया है। इससे पहले पिछले साल जून में 213 मिलियन डॉलर की पहली निर्माण सुविधा बनाई गई थी।
अदाणीकॉनेक्स के सीईओ जयकुमार जनकराज ने कहा, यह सफल अभ्यास टिकाऊ और मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे की स्थापना की चुनौतियों का सामना करने, मानदंडों को आगे बढ़ाने और नए उद्योग मानक स्थापित करने के लिए दोनों पक्षों के सामूहिक संकल्प का एक प्रमाण है।
तैयार होने वाली डेटा सेंटर सुविधाएं परिचालन दक्षता को अनुकूलित करते हुए इकोलॉजी फुटप्रिंट को कम करने के लिए अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों का इस्तेमाल करेंगी।
नए वित्तपोषण की शुरूआती प्रतिबद्धता 875 मिलियन डॉलर है, जिसे 1.44 बिलियन डॉलर तक बढ़ाया जा रहा है।
जनकराज ने कहा, निर्माण वित्तपोषण अदाणीकॉनेक्स पूंजी प्रबंधन योजना का एक प्रमुख तत्व है, जो हमें टिकाऊ और पर्यावरणीय प्रबंधन में मजबूती से डेटा सेंटर समाधान प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
कंपनी के अनुसार, डेटा सेंटर सुविधा की एक प्रमुख विशेषता परियोजनाओं की रणनीति के अनुरूप सिंडिकेटेड गारंटी-समर्थित आश्वासन कार्यक्रम है जो अपनी तरह का अनोखा है।
कंपनी ने बताया कि आठ अंतरराष्ट्रीय ऋणदाताओं – आईएनजी बैंक एन.वी., इंटेसा सैनपोलो, केएफडब्ल्यू आईपीईएक्स, एमयूएफजी बैंक लिमिटेड, नेटिक्सिस, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सोसाइटी जेनरल और सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन के साथ समझौते किए गए हैं।
अदाणीकॉनेक्स का लक्ष्य सबसे बड़े निजी डेटा सेंटर ऑपरेटरों में से एक, अदाणी ग्रुप और एज कॉनेक्स की क्षमता का लाभ उठाकर 1 गीगावाट डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेटफॉर्म का निर्माण करना है जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद हो।

 

एफपीआई की बिकवाली को बेअसर कर रहे घरेलू निवेशक
Posted Date : 28-Apr-2024 9:04:15 pm

एफपीआई की बिकवाली को बेअसर कर रहे घरेलू निवेशक

नई दिल्ली । इक्विटी बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारी बिकवाली के असर को घरेलू फंड और खुदरा निवेशक बेअसर कर रहे हैं। एफपीआई ने अप्रैल में अबतक भारतीय पूंजी बाजार में 6,304 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची। इस दौरान नकदी बाजार में इक्विटी बिक्री 20,525 करोड़ रुपये रही। डेट मार्केट में भी नए सिरे से बिकवाली का चलन है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार का कहना है कि अप्रैल में डेट बिक्री 10,640 करोड़ रुपये रही।
उन्होंने कहा कि अमेरिका में बॉन्ड पर ब्याज दर बढऩे से इक्विटी और डेट दोनों में एफपीआई एक बार फिर बिकवाल हो गये हैं। दस साल के बॉन्ड पर ब्याज अब लगभग 4.7 प्रतिशत है जो विदेशी निवेशकों के लिए बेहद आकर्षक है।
विजयकुमार ने कहा कि नवीनतम आंकड़ों में अमेरिका में गैर-खाद्य खुदरा महंगाई बढक़र 3.7 प्रतिशत हो गई जबकि विशेषज्ञ 3.4 प्रतिशत की उम्मीद कर रहे थे। इसका मतलब है कि फेड द्वारा दरों में जल्द कटौती की संभावनाएं कम होती जा रही हैं। इससे बॉन्ड पर ब्याज ऊंची बनी रहेगी जिससे इक्विटी और डेट दोनों में एफपीआई बिकवाल रहेंगे।
उन्होंने कहा कि सकारात्मक कारक यह है कि इक्विटी बाजारों में सभी एफपीआई की बिक्री के प्रभाव को घरेलू संस्थागत निवेशक, धनाढ्य व्यक्तिगत निवेशक और खुदरा निवेशक कम कर रहे हैं। यही एकमात्र कारक है जो एफपीआई की बिकवाली पर हावी हो सकता है।

 

एआर-वीआर बाजार का नेतृत्व करने की चाह में मेटा को अरबों डॉलर का नुकसान
Posted Date : 27-Apr-2024 11:13:41 am

एआर-वीआर बाजार का नेतृत्व करने की चाह में मेटा को अरबों डॉलर का नुकसान

नई दिल्ली। मेटा (पूर्व में फेसबुक) ने गेमिंग पर बड़ा दांव लगाना जारी रखा है। इस कड़ी में उसे अपने ऑगमेंटेड रियलिटी/वर्चुअल (एआर-वीआर) रियलिटी डिविजन पर लगभग 4 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। मार्क जुकरबर्ग द्वारा संचालित कंपनी ने अपने नवीनतम तिमाही परिणामों में एआर/वीआर रियलिटी लैब्स डिवीजन में लगातार घाटा दिखाया है। गेम्स इंडस्ट्री डॉट बिज के अनुसार, कंपनी को अपने एआर/वीआर ड्रीम पर जून 2022 से प्रति माह 1 अरब डॉलर से ज्यादा की दर से नुकसान हो रहा है।
कंपनी ने कहा, हमें उम्मीद है कि हमारे चल रहे प्रोडक्ट डेवलपमेंट और इकोसिस्टम को आगे बढ़ाने के लिए हमारे निवेश के चलते ऑपरेटिंग घाटा साल-दर-साल सार्थक रूप से बढ़ेगा। मेटा सीएफओ सुसान ली ने पहली तिमाही की अर्निंग कॉल पर कहा कि साल-दर-साल ऑपरेटिंग घाटे में वृद्धि हो रही है। मेटा की रियलिटी लैब्स ने 440 मिलियन डॉलर का राजस्व दर्ज किया, लेकिन कुल मिलाकर 3.85 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
जुकरबर्ग ने कहा, यहां शुरुआती संकेत काफी पॉजिटिव हैं, लेकिन लीडिंग एआई का निर्माण भी हमारे ऐप्स में जोड़े गए अन्य अनुभवों की तुलना में एक बड़ा उपक्रम होगा और इसमें कई साल लगने की संभावना है। मेटा ने 2023 में एक्सटेंडेड रियलिटी (एक्सआर) हेडसेट बाजार के 59 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया।
खास तौर से, काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार, मेटा ने रणनीतिक रूप से पूरे साल अपने मौजूदा क्वेस्ट 2 की कीमत कम कर दी, जिससे यह बजट के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया, खासकर छुट्टियों के मौसम के दौरान। इस रणनीति ने मेटा को 2023 की चौथी तिमाही में क्वेस्ट 3 के लॉन्च होने तक अपनी बढ़त बनाए रखने में मदद की।

 

स्मॉल फाइनेंस कंपनियां खोल सकेंगी अपना बैंक, आरबीआई ने मांगे आवेदन
Posted Date : 27-Apr-2024 11:13:16 am

स्मॉल फाइनेंस कंपनियां खोल सकेंगी अपना बैंक, आरबीआई ने मांगे आवेदन

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक ने नियमित या यूनिवर्सल बैंक बनने के लिए 1,000 करोड़ रुपये की न्यूनतम नेटवर्थ सहित निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा करने वाले छोटे वित्त बैंकों से आवेदन आमंत्रित किए। आरबीआई ने नवंबर 2014 में निजी क्षेत्र में लघु वित्त बैंकों को लाइसेंस देने के लिए गाइडलाइन जारी किए। इसमें एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक और उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक सहित लगभग एक दर्जन स्स्नक्चह्य शामिल हैं।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि यूनिवर्सल बैंक बनने का लक्ष्य रखने वाले एसएफबी की पिछली तिमाही (लेखापरीक्षित) के अंत में न्यूनतम शुद्ध संपत्ति 1,000 करोड़ रुपये होनी चाहिए और बैंक के शेयर किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने चाहिए।
पिछले दो वित्तीय वर्षों में इसका शुद्ध लाभ भी होना चाहिए और पिछले दो वित्तीय वर्षों में जीएनपीए और एनएनपीए क्रमश: 3 प्रतिशत और 1 प्रतिशत से कम या उसके बराबर होना चाहिए। अन्य शर्तों में एक निर्धारित सीआरएआर (पूंजी-से-जोखिम भारित संपत्ति अनुपात) आवश्यकता और न्यूनतम पांच वर्षों की अवधि के लिए प्रदर्शन का संतोषजनक ट्रैक रिकॉर्ड शामिल है।
शेयरहोल्डिंग पैटर्न पर, आरबीआई ने कहा कि पात्र एसएफबी के लिए एक पहचाने गए प्रमोटर की कोई अनिवार्य आवश्यकता नहीं है। हालांकि, पात्र एसएफबी के मौजूदा प्रमोटर, यदि कोई हैं, यूनिवर्सल बैंक में बदलाव पर प्रमोटर के रूप में बने रहेंगे।
इसके अलावा, बदलाव अवधि के दौरान पात्र एसएफबी के लिए नए प्रमोटरों को जोडऩे या प्रमोटरों में बदलाव की अनुमति नहीं दी जाएगी। सर्कुलर में कहा गया है कि संक्रमित यूनिवर्सल बैंक में मौजूदा प्रमोटरों के लिए न्यूनतम शेयरधारिता की कोई नई अनिवार्य लॉक-इन आवश्यकता नहीं होगी। दिसंबर 2019 में, आरबीआई ने एसएफबी को यूनिवर्सल बैंकों में परिवर्तित करने के लिए बदलाव पथ प्रदान किया।

 

आरबीआई ने डिजिटल ऋण में डिफ़ॉल्ट हानि गारंटी पर दी स्पष्टता
Posted Date : 27-Apr-2024 11:12:59 am

आरबीआई ने डिजिटल ऋण में डिफ़ॉल्ट हानि गारंटी पर दी स्पष्टता

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने डिजिटल ऋण में डिफ़ॉल्ट हानि गारंटी (डीएलजी) के लिए अपने दिशानिर्देशों पर अधिक स्पष्टता प्रदान करने के लिए नये सिरे से ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न’ (एफएक्यू) जारी किए, जो पहली बार जून 2023 में जारी किए गए थे।
डीएलजी बैंक और एक इकाई के बीच एक समझौता है जिसके तहत वह इकाई बैंक के ऋण पोर्टफोलियो के एक निश्चित प्रतिशत तक डिफ़ॉल्ट के कारण होने वाले नुकसान के लिए मुआवजा प्रदान करने की गारंटी देती है।
जून 2023 में दिशानिर्देश जारी करते समय, आरबीआई ने कहा था कि बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी बकाया पोर्टफोलियो पर डीएलजी कवर की कुल राशि – जो कि अग्रिम रूप से निर्दिष्ट है – उस ऋण पोर्टफोलियो की राशि के पांच प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों की अपनी सूची में, आरबीआई ने कहा कि जिस पोर्टफोलियो के लिए डीएलजी की पेशकश की जा सकती है, उसमें पहचान योग्य और मापने योग्य ऋण संपत्तियां शामिल होनी चाहिए।
यह पोर्टफोलियो डीएलजी कवर के प्रयोजन के लिए स्थिर रहेगा और इसका उद्देश्य गतिशील होना नहीं है।
आरबीआई ने कहा कि पांच प्रतिशत की सीमा किसी भी समय डीएलजी सेट से वितरित कुल राशि पर लागू होती है।
इसमें यह भी कहा गया है कि आरई द्वारा एक बार लागू की गई डीएलजी राशि को ऋण वसूली सहित बहाल नहीं किया जा सकता है।
आरबीआई ने कहा कि दिशानिर्देश डीएलजी कवर स्वीकार करने वाले बैंकों के लिए बोर्ड-अनुमोदित नीति लागू करना अनिवार्य करते हैं, डीएलजी प्रदाता के रूप में कार्य करने वाले बैंकों को विवेकपूर्ण उपाय के रूप में बोर्ड-अनुमोदित नीति भी लागू करनी होगी।
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया है कि एनबीएफसी-पी2पी प्लेटफॉर्म पर व्यवस्थित ऋण पर डीएलजी की अनुमति नहीं है।
इसी प्रकार, क्रेडिट कार्ड के लिए भी डीएलजी व्यवस्था की अनुमति नहीं है।
आरबीआई ने अपनी वेबसाइट पर आसानी से समझने के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को उदाहरणों के साथ समझाया है।

 

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