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एनसीएलएटी ने खारिज की एचडीएफसी की आरएचसी होल्डिंग्स के खिलाफ याचिका
Posted Date : 10-Jul-2019 11:54:30 am

एनसीएलएटी ने खारिज की एचडीएफसी की आरएचसी होल्डिंग्स के खिलाफ याचिका

नईदिल्ली,10 जुलाई । राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने अरबपति उद्यमी मालविंदर मोहन सिंह और शिविंदर मोहन सिंह द्वारा प्रवर्तित आरएचसी होल्डिंग्स कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की वित्तीय सेवा कंपनी एचडीएफसी की याचिका बुधवार को खारिज कर दी। एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायाधीश एस. जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की प्रधान पीठ के आदेश को बरकरार रखा है। एनसीएलटी ने भी एचडीएफसी की याचिका को खारिज कर दिया था। एनसीएलएटी ने कहा कि एचडीएफसी की याचिका में उसे ‘ठोस वजह’ नजर नहीं आती और इसलिए यह सुनवाई योग्य नहीं है। एनसीएलएटी ने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी), भारतीय रिजर्व बैंक की निगरानी के दायरे में आती हैं, इसलिए इस बारे में केंद्रीय बैंक से उपाय पूछने चाहिए ना कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता अदालत से। एनसीएलटी ने छह दिसंबर 2018 को दिए अपने आदेश में कहा था कि आरएचसी होल्डिंग्स एक एनबीएफसी कंपनी है और वह दिवाला एवं ऋण शोधन क्षमता संहिता के दायरे में नहीं आती है। एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ एचडीएफसी ने एनसीएलएटी का रुख किया था। एचडीएफसी ने आरएचसी होल्डिंग्से 41 करोड़ रुपये की वसूली के लिए एनसीएलटी में गयी थी। आरएचसी होल्डिंग्स कंपनी ने अप्रैल 2016 में एचडीएफसी से 200 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। कंपनी ने पहली तिमाही में इस ऋण का ब्याज समय पर चुकाया लेकिन बाद में उसने चूक करना शुरू कर दिया। एचडीएफसी के अनुसार गिरवी रखे शेयरों की बिक्री के बाद भी कंपनी के ऊपर उसका 41.09 करोड़ रुपया बकाया है।

स्टेट बैंक ने ब्याज दर में 0.05 प्रतिशत कटौती की, सस्ता हुआ लोन
Posted Date : 10-Jul-2019 11:54:07 am

स्टेट बैंक ने ब्याज दर में 0.05 प्रतिशत कटौती की, सस्ता हुआ लोन

मुंबई ,10 जुलाई । आज के दौर में कर्ज की जरूरत हर किसी को होती है। हर आदमी क सपना होता है कि वह अपना घर खरीदे इसी कारण कई लोग बैंकों से लोन लेकर अपने घर बनाते हैं। अगर आप भी एसबीआई के ग्राहक को तो यह खबर आपके लिए ही है। भारतीय स्टेट बैंक ने अपने ग्राहकों को बड़ा तोहफा दिया है। एसबीआई ने आज यानी 10 जुलाई से होम या ऑटो लोन लेना सस्ता कर दिया है। एसबीआई के इस तोहफे का फायदा बैंक के 40 करोड़ से ज्यादा ग्राहक उठा सकते हैं। 
दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी सभी अवधि के कर्ज पर सीमांत लागत आधारित ब्याज दर में 0.05 फीसदी की कटौती की है। बैंक के इस फैसले के बाद 1 साल की अवधि के होम लोन पर न्यूनतम ब्याज दर 0.05 फीसदी घटकर 8.40 फीसदी हो गया है। करीब 4 महीने के भीतर यह तीसरी बार है जब एसबीआई ने ब्याज दरों में कटौती की है। इससे पहले बैंक ने अप्रैल और मई में ब्याज दर में 0.05-0.05 फीसदी कटौती की थी। इस दौरान एसबीआई के होम लोन पर ब्याज दर में 0.10 फीसदी तक की कमी आई।
बता दें कि एसबीआई ने अपने ग्राहकों को 1 जुलाई से रेपो रेट से जुड़े होम लोन पेश करने का ऐलान किया था। इसका मतलब यह हुआ कि अब जब भी आरबीआई रेपो रेट में बदलाव करेगा एसबीआई के होम लोन की ब्याज दरें भी कम या ज्यादा होंगी। एसबीआई ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब हाल ही में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों से रेपो रेट कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने को कहा था।
दरअसल, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि रेपो दर में एक के बाद एक तीन बार में 0.75 फीसदी कटौती किये जाने के बाद उन्हें बैंकों द्वारा इसका लाभ ग्राहकों तक जल्द पहुंचाये जाने की उम्मीद है। शक्तिकांत दास के पद संभालने के बाद से आरबीआई लगातार तीन बार रेपो रेट में कटौती कर चुका है। लेकिन इसके बावजूद बैंकों ने उम्मीद के मुताबिक ग्राहकों को ब्याज दर में छूट नहीं दी है। हालांकि आरबीआई मौद्रिक नीति की जून में हुई समीक्षा के बाद रेपो दर में 0.25 फीसदी कटौती होने पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र, कार्पोरेशन बैंक, ओरिएंटल बैंक और आईडीबीआई बैंक ने अपनी एमसीएलआर दर को 0.05 से 0.10 फीसदी तक कम किया है।

अब स्विस बैंक में जमा ब्लैकमनी की मिलेगी पूरी जानकारी!
Posted Date : 10-Jul-2019 11:53:53 am

अब स्विस बैंक में जमा ब्लैकमनी की मिलेगी पूरी जानकारी!

नईदिल्ली,10 जुलाई । स्विस बैंक में भारतीयों के खातों की जानकारी अब जल्द ही आधिकारिक तौर पर मिलने वाली है। 30 सितंबर की समय सीमा से पहले भारत और स्विट्जरलैंड, बैंकिंग से संबंधित जानकारियों का पहली बार आदान-प्रदान करेंगे। यह दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित सूचना के स्वचालित विनिमय (एईओआई) समझौते का अनुसरण करता है। यह समझौता जनवरी 2018 से लागू हुआ है।
माना जा रहा है कि 30 सितंबर से पहले भारत और स्विट्जरलैंड इन सभी जानकारियों को सांझा करेंगे। इसमें खास बात यह हैं कि सूचनाएं आदान-प्रदान करने के लिए स्विट्जरलैंड की संसदीय प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं। इस समझौते के तहत अब बैंक से जुड़ी सूचनाएं शेयर करने का रास्ता साफ हो गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक स्विस वित्त मंत्रालय और स्विस फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन के अधिकारियों ने बताया कि भारत के मामले में ऐसी संभावना है कि सूचनाएं कई मुश्त में भेजनी पड़ जाए। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्विट्जरलैंड में सभी भारतीयों के बैंक अकाउंट की जानकारी को भारतीय टैक्स अधिकारियों से शेयर करनी पड़ सकती है।
स्विस एजेंसियों के मुताबिक इस साल 73 देशों के बैंक खातों की जानकारी शेयर की जाएगी। भारत भी उनमें से एक है। पिछले साल 36 देशों के साथ एईओआई समझौता लागू किया गया था। बताया जा रहा है कि बैंक अकाउंट से जुड़ी जानकारियों को शेयर करने के लिए स्विट्जरलैंड की संसदीय प्रक्रिया अब पूरी हो चुकी है। 
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया डेटा की डिलीवरी के बाद स्विस खाता विवरण की तुलना खाताधारकों के टैक्स रिटर्न से की जाएगी और जहां भी आवश्यक होगी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि इस साल स्विस बैंकों में भारतीयों द्वारा रखे जाने वाले धन के मामले में भारत का स्थान एक पायदान नीचे फिसलकर 74वें स्थान पर आ गया है। पिछले साल इस सूची में भारत का स्थान 73वां था जबकि उससे पिछले साल यह 88वें पर था। 

आयात पर ड्यूटी बढ़ाने से गोल्ड के कच्चे और पक्के रेट में आएगा 5 प्रतिशत का अंतर
Posted Date : 09-Jul-2019 1:49:45 pm

आयात पर ड्यूटी बढ़ाने से गोल्ड के कच्चे और पक्के रेट में आएगा 5 प्रतिशत का अंतर

नई दिल्ली,09 जुलाई । सोने के आयात पर कस्टम ड्यूटी 10 से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करने के खिलाफ जूलरी ट्रेडर लामबंद होने लगे हैं। उनका मानना है कि इससे वैध और अवैध व्यापार की खाई बढ़ेगी और 15.5 से 18 प्रतिशत टैक्स बोझ के साथ चलने वाले जूलर अपने ही बाजारों में प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाएंगे। जूलर्स का अनुमान है कि इससे गहनों के रेट भी अलग-अलग हो जाएंगे और कैश एवं बिल के साथ होने वाली खरीद में रेट का अंतर कम-से-कम 5 प्रतिशत तक चला जाएगा।
कस्टम ड्यूटी में इजाफा वापस लेने की मांग के साथ जूलर्स संगठनों ने एकजुट अभियान छेडऩे की पहल शुरू कर दी है। द बुलियन ऐंड जूलर्स असोसिएशन के प्रेजिडेंट योगेश सिंघल ने बताया कि जूलरी पर कस्टम ड्यूटी घटने की उम्मीदों के बीच हुए इजाफे से झटका लगा है। यह एक तरह से ग्रे मार्केट को इंसेंटिव है। बाजार में अवैध सोने की सप्लाई बढ़ेगी। एक तरफ 10 प्रतिशत कस्टम, 3 प्रतिशत जीएसटी और कुछ मामलों में जॉब वर्क पर अतिरिक्त जीएसटी के साथ 15.5 से 18 पर्सेंट तक टैक्स बोझ वाली सेल होगी तो दूसरी तरफ बिना बिल के कैश खरीद-फरोख्त होगी। ग्राहक को कैश और इनवॉइस पर होने वाली बिक्री के रेट में कम-से-कम 5 प्रतिशत का अंतर होगा। हाई वैल्यू ट्रेड में यह अंतर खरीद का रुझान शिफ्ट करने के लिए काफी है। इससे न सिर्फ टैक्स कंप्लायंट ट्रेडर प्रतिस्पर्धा से बाहर होंगे, बल्कि सरकार को राजस्व में भी झटका लगेगा। उन्होंने बताया कि इस पर विरोध दर्ज कराने के लिए दिल्ली में सभी संगठनों और जूलर्स की एक मीटिंग बुलाई गई है।
ऑल इंडिया जेम्स ऐंड जूलरी डोमेस्टिक काउंसिल का अनुमान है कि इससे ग्रे मार्केट में करीब 30 प्रतिशत का इजाफा होगा और असंगठित कारोबारियों को संगठित बाजार में लाने की मुहिम को भी झटका लगेगा। कस्टम ड्यूटी बढऩे से कैश और बिलिंग रेट का अंतर बढ़ेगा, नतीजतन ग्रे मार्केट की डिमांड और सेल्स बढ़ेगी।

पाकिस्तान के सामने ‘कड़ी आर्थिक चुनौतियां’ : आईएमएफ
Posted Date : 09-Jul-2019 1:49:27 pm

पाकिस्तान के सामने ‘कड़ी आर्थिक चुनौतियां’ : आईएमएफ

वाशिंगटन,09 जुलाई । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का कहना है कि कमजोर और असंतुलित वृद्धि के चलते पाकिस्तान ‘कड़ी आर्थिक चुनौतियों’ का सामना कर रहा है। उसकी अर्थव्यवस्था ऐसे अहम मोड़ पर आकर खड़ी हो गयी है जहां उसे महत्वाकांक्षी और मजबूत सुधारों की जरूरत है। नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अगस्त 2018 में आईएमएफ से राहत पैकेज देने के लिए संपर्क किया था। देश के पास वर्तमान में आठ अरब डॉलर से भी कम का विदेशी मुद्रा भंडार है जो उसके मात्र 1.7 माह का आयात करने के लिए काफी है। पिछले हफ्ते आईएमएफ ने आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को छह अरब डॉलर का ऋण देने की मंजूरी दे दी। इसमें से एक अरब डॉलर की राशि तत्काल पाकिस्तान को मुहैया करायी गयी। बाकी की राशि उसे तीन दिन के भीतर दिए जाने का तय हुआ। यह 1980 के बाद से अब तक पाकिस्तान को दिया गया 13वां राहत पैकेज है। आईएमएफ के कार्यकारी निदेशक मंडल के कार्यकारी अध्यक्ष और प्रथम उप प्रबंध निदेशक डेविड लिप्टन ने कहा, ‘‘पाकिस्तान बड़ी राजकोषीय और वित्तीय जरूरतों और कमजोर एवं असंतुलित वृद्धि के चलते कड़ी आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है।’’ उन्होंने कहा कि सार्वजनिक ऋण को कम करने और लचीलापन लाने के लिए निर्णायक राजकोषीय एकीकरण सबसे अहम उपाय है और वित्त वर्ष 2020 का बजट इस दिशा में शुरुआती कदम उठाने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राजकोषीय लक्ष्यों को पाने के लिए एक बहु-वर्षीय राजस्व संग्रहण रणनीति, कर दायरा और कर राजस्व बढ़ाने की जरूरत है। यह सब कार्य एक सटीक संतुलन और न्यायसंगत तरीके से होना चाहिए।

रुपया के मुकाबले डॉलर हुआ मजबूत
Posted Date : 09-Jul-2019 1:49:04 pm

रुपया के मुकाबले डॉलर हुआ मजबूत

मुंबई,09 जुलाई । भारतीय बाजार में लगातार तीन दिनों से जारी बिकवाली से देसी मुद्रा रुपये में डॉलर के मुकाबले कमजोरी आई है। डॉलर के मुकाबले रुपया मंगलवार को तकरीबन सपाट 68.64 रुपये प्रति डॉलर पर खुलने के बाद शुरुआती कारोबार के दौरान पिछले सत्र से 16 पैसे की कमजोरी के साथ 68.82 पर बना हुआ था। पिछले सत्र में भी रुपया 24 पैसे की गिरावट के साथ 68.66 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। बजार के जानकार बताते हैं कि अमेरिका में पिछले सप्ताह जून महीने की नौकरियों के आंकड़े बढक़र आने के बाद केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद घटने से डॉलर को मजबूती मिली है। 
एंजेल ब्रोकिंग के करेंसी व इनर्जी रिसर्च मामलों के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता ने कहा कि बाजार को बहरहाल फेड की अर्धवार्षिक मौद्रिक नीति रिपोर्ट का इंतजार है जो इस सप्ताह कांग्रेस को जारी की होने वाली है। गुप्ता ने कहा कि डॉलर में आई मजबूती के साथ-साथ घरेलू बाजार में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली के कारण तीन दिनों से जारी गिरावट से भी देसी मुद्रा कमजोर हुई। उन्होंने कहा कि हालांकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल में नरमी रहने से रुपये को सपोर्ट बना हुआ है।