0 राज्यपाल बिरसा मुण्डा बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित वेबिनार में हुई शामिल
रायपुर, 09 जून । बिरसा मुंडा की तरह समर्पित होकर कार्य करें, हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी। बिरसा मुंडा ने अपने समय में शोषण के विरूद्ध आवाज उठाई और आम लोगों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया। आज उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। यह बात राज्यपाल सु अनुसुईया उइके आज राजभवन में आदिवासी समन्वय मंच द्वारा बिरसा मुण्डा बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर राज्यपाल ने बिरसा मुण्डा को नमन किया।
राज्यपाल ने कहा कि किसी महापुरूषों के कार्यों, अवदानों एवं जीवन का मूल्यांकन इस बात से होता है कि उन्होंने राष्ट्रीय एवं सामाजिक समस्याओं का समाधान किस सीमा तक किया, कितने कठोर संघर्षों से लोहा लिया। बिरसा मुंडा भी ऐसे ही एक युगांतरकारी शख्सियत थे, जिन्होंने अल्प अवधि में एक जननायक की पहचान बनाई। बिरसा मुंडा एक ऐसे आदिवासी नेता थे, जिन्होंने शोषण, गुलामी के खिलाफ आवाज बुलंद की थी। उन्होंने अपनी क्रांतिकारी चिंतन से आदिवासी समाज की दशा एवं दिशा बदल दी। बिरसा मुण्डा ने आदिवासियों को जल, जंगल, जमीन और उनके प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करने के खिलाफ महाविद्रोह ‘ऊलगुलान’ चलाकर तत्कालीन ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती भी दी। उन्होंने ब्रिटिश शासन द्वारा लागू किए गए कानूनों के खिलाफ संघर्ष करने के लिए आदिवासियों को संगठित किया। वे आदिवासियों को महामारी, हैजा, चेचक आदि को दैविक प्रकोप न मानकर उनसे बचने के उपायों के बारे में जानकारी देते थे। बिरसा मुंडा ने उस समय की व्यवस्था और अंधविश्वासों के विरूद्ध आदिवासियों को संगठित किया और अंतिम समय तक संघर्ष करते रहे।
राज्यपाल ने कहा कि बिरसा मुण्डा ने अनुभव किया कि आदिवासी समाज सामाजिक कुरीतियों और आडंबरों से घिरा हुआ है। इसे देखते हुए उन्होंने समाज को इन कुरीतियों से दूर रहने और समाज में प्रचलित आडंबरों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया और समाज को अच्छाईयों को ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि बिरसा मुण्डा, गुण्डाधुर और शहीद वीर नारायण सिंह जैसे अनेक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा महानायकों की बदौलत हमें अमूल्य आजादी मिली है। उन्होंने ब्रिटिश शासन काल के परतंत्रता से मुक्ति दिलाई पर उनका सपना अभी भी पूरा होना बाकी है। इसके लिए हमें सामाजिक बुराईयों, अशिक्षा तथा अन्य आडंबरों से मुक्त होना पड़ेगा।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद श्रीमती सम्पत्तिया उइके, पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम, पूर्व मंत्री रमेश तवडकार, यू.एन.ओ. नेपाल के उपाध्यक्ष फूलमन चौधरी, आदिवासी एकता परिषद के महासचिव अशोक चौधरी, आदिवासी समन्वय मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष नकताराम भील, विधायक धनंजय, विधायक राजकुमार रोत, आदिवासी समन्वय मंच के सह संयोजक विक्रम परते उपस्थित थे।
देश में कोरोना का कहर ढलान पर आया
नई दिल्ली ,09 जून । देश में कोरोना का कहर अब ढलान पर है और पिछले दो दिन से दैनिक मामलों की संख्या एक लाख से नीचे दर्ज की जा रही है। हालांकि इसमें पिछले एक दिन में नए मामलों व मौतों में मामूली इजाफा देखा गया है, लेकिन वहीं कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ती नजर आ रही है। मसलन पिछले 24 घंटे में 92,596 नए मामले दर्ज किये गये, तो वहीं कोरोना संक्रमण की वजह से 2,219 लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में अब तक संक्रमितों की संख्या बढक़र 2,90,89,069 हो गई। देश में लगातार दूसरे दिन एक लाख से कम नए मामले सामने आए हैं और उपचाराधीन सक्रीय मरीजों की संख्या कम होकर 12,31,415 हो गई है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में संक्रमण से 2,219 और लोगों की मौत के बाद मृतक संख्या बढक़र 3,53,528 हो गई है।
महाराष्ट्र में ज्यादा मौंते
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में जिन 2,219 लोगों की संक्रमण से मौत हुई, उनमें से महाराष्ट्र के 702 , तमिलनाडु के 409, कर्नाटक के 179 और केरल के 124 लोग थे। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में संक्रमण से अभी तक कुल 3,53,528 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से महाराष्ट्र के 1,01,172 लोग, कर्नाटक के 32,099 लोग, तमिलनाडु के 27,765 लोग, दिल्ली के 24,668 लोग, उत्तर प्रदेश के 21,425 लोग, पश्चिम बंगाल के 16,460 लोग , पंजाब के 15,219 लोग और छत्तीसगढ़ के 13,257 लोग थे।
सक्रीय मरीजों की संख्या में कमी
देश में कोविड-19 के 92,596 नए मामले, उपचाराधीन मरीजों की संख्या घट कर 12,31,415 रह गई है, जो कुल मामलों का 4.23 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मामलों में कुल 72,287 की कमी आई है। मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 94.55 प्रतिशत है। संक्रमण मुक्त हुए लोगों की संख्या लगातार 27वें दिन संक्रमण के नए मामलों से अधिक रही। आंकड़ो के अनुसार, देश में अभी तक कुल 2,75,04,126 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। वहीं, कोविड-19 से मृत्यु दर 1.22 प्रतिशत है। आंकड़ों के अनुसार देश में अभी तक कुल 37,01,93,563 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई है, जिनमें से 19,85,967 नमूनों की जांच मंगलवार को की गई। नमूनों के संक्रमित आने की दैनिक दर 4.66 प्रतिशत है, पिछले 16 दिन से संक्रमण की दैनिक दर 10 प्रतिशत से कम बनी हुई है। वहीं संक्रमण की साप्ताहिक दर भी कम होकर 5.66 प्रतिशत हो गई है। देश में पिछले साल सात अगस्त को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त को 30 लाख और पांच सितम्बर को 40 लाख से अधिक हो गई थी। वहीं, संक्रमण के कुल मामले 16 सितम्बर को 50 लाख, 28 सितम्बर को 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख, 20 नवम्बर को 90 लाख के पार हो गए। देश में 19 दिसम्बर को ये मामले एक करोड़ के पार और चार मई को दो करोड़ के पार चले गए थे।
नई दिल्ली ,09 जून । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के पास कोविड-19 टीकों की 1.33 करोड़ से अधिक खुराक अब भी मौजूद हैं तथा तीन लाख से अधिक खुराकें अगले तीन दिन के भीतर उन्हें मिल जाएंगी। अब तक राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को 25 करोड़ से अधिक खुराकें दी गई हैं। ये खुराकें उन्हें भारत सरकार की ओर से नि:शुल्क तरीके से तथा राज्यों द्वारा सीधे खरीद की श्रेणी में दी गई हैं।
मंत्रालय ने बुधवार सुबह आठ बजे तक उपलब्ध आंकड़ों के हवाले से बताया कि कुल 23,74,21,808 खुराकों (बरबाद हुए टीकों समेत) का इस्तेमाल हुआ है। उसने बताया, ‘‘ राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के पास कोविड-19 टीकों की कुल 1,33,68,727 खुराक अब भी मौजूद हैं। इसके अलावा, अगले तीन दिन में और 3,81,750 खुराकें उन्हें उपलब्ध करवाई जाएंगी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत भारत सरकार राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को नि:शुल्क टीके दे रही है। इसके अलावा राज्य टीकों की सीधी खरीद भी कर सकते हैं। कोविड टीकाकरण का तीसरा चरण देश में एक मई को आरंभ हुआ था। महामारी से निबटने की सरकार की व्यापक रणनीति का एक अहम स्तंभ टीकाकरण है।
0- रेल कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करने की मांग
नई दिल्ली ,09 जून । देश में कोरोना वायरस के संक्रमितों का आंकड़ा भी हर दिन कम होता दिखाई दे रहा है। भारतीय रेलवे से राहत भरी खबर सामने आ रही है। एक समय जहां रेलवे में रोज एक हजार कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो रहे थे, अब उनकी संख्या घटकर महज 150 तक रह गई है। हालांकि अब तक कोरोना से करीब 2600 से ज़्यादा रेलवे कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है।
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष सुनीत शर्मा के अनुसार रेलवे किसी अन्य राज्य या क्षेत्र से अलग नहीं है। हम परिवहन का काम करते हैं और सामान व लोगों को लाते और ले जाते हैं। हमने भी कोविड संक्रमण की मार झेलते लोगों की मदद की है। रेलवे कर्मचारी हमारी पूंजी है। अब तक करीब 60 फीसदी कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। आज कोरोना संक्रमितों की संख्या में कमी देखने को मिल रही है। रोज करीब 150 कर्मचारी ही संक्रमित हो रहे हैं। हम अपने स्टॉफ का पूरा ख्याल रख रहे हैं। उन्हें आवश्यक मेडिकल सुविधा भी उपलब्ध करा रहे हैं। रेलवे के अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या बढ़ाई गई है, रेल अस्पतालों में ऑक्सीजन संयंत्र लगाए गए हैं। फिलहाल साढ़े तीन से चार हज़ार रेलवे कर्मी या उनके परिवार के सदस्य इन अस्पतालों में भर्ती हैं। हमारा प्रयास है कि वो जल्दी ठीक हो जाएं। हाल ही में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्विटर पर लिखा था कि कोविड महामारी की चुनौती से लडऩे के लिये भारतीय रेल के प्रयास निरंतर जारी हैं। इसी क्रम में रेलवे हॉस्पिटल्स में 86 ऑक्सीजन प्लांट्स लगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही कोविड बेड्स और वेंटिलेटर्स की संख्या भी बढ़ाई गयी है। हमारे रेल कर्मचारी कोरोना महामारी के विरुद्ध इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दे रहे हैं। उन्होंने रेल कर्मचारियों के प्रति उनके इस योगदान के लिए आभार जताया है।
रेलवे के सबसे बड़े कर्मचारी संघ ने सोमवार को एक बड़ा अभियान शुरू किया है। इस अभियान के जरिए उन्होंने मांग की है कि उन्हें फ्रंटलाइन कोविड वर्कर्स घोषित किया जाए क्योंकि वे कोरोनो वायरस संकट के दौरान लोगों की सेवा कर रहे हैं और इस प्रक्रिया में वह 2,000 से अधिक सहयोगियों को खो चुके हैं। उन्होंने अपनी मांग को और मजबूत करने के लिए ट्विटर पर इस अभियान पर लोगों का समर्थन मांगा है। एआईआरएफ के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि दिन-रात अपने कर्तव्यों का पालन करने और अपने मूल्यवान जीवन का बलिदान करने के बावजूद फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में ना पहचाने जाने पर रेलवे कर्मचारियों में गंभीर अशांति और असंतोष है।उन्होंने कहा कि जहां सरकार अन्य विभागों के कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर मानकर तमाम सुविधाएं मुहैया करा रही है, वहीं रेलकर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। अगर मांगें नहीं मानी गईं और सरकार ने उन्हें वो सारे लाभ नहीं दिए जो एक फ्रंटलाइन वर्कर्स को दिए जाते हैं तो आंदोलन तेज कर दिया जाएगा।
केंद्र सरकार ने दिया किसानों को तोहफा
नई दिल्ली ,09 जून । केंद्र सरकार ने बाजार सत्र 2021-22 के लिए खरीफ की फसलों पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) बढ़ाने को अनुमति दे दी। केंद्र ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले एमएसपी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी तिल (452 रुपये प्रति कुंतल) में की गई है। इसके बाद तुअर और उड़द (दोनों 300 रुपये प्रति कुंतल) आते हैं।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने खरीफ की फसलों पर 50 फीसदी तक एमएसपी बढ़ाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पिछले सात साल से किसानों के हित में फैसले ले रही है और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए चर्चा करने के लिए हर वक्त तैयार है। तोमर ने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य पिछले साल के मुकाबले 72 रुपये बढक़र 1940 रुपये प्रति कुंतल हो गया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल यह राशि 1868 रुपये प्रति कुंतल थी। उल्लेखनीय है कि एमएसपी वह दर होती है जिस दर से सरकार किसानों से खाद्यान्न खरीदती है।
इन फैसलों को भी मिली मंजूरी
कैबिनेट ने रेलवे की संचार व सिग्नल प्रणाली उन्नत करने के लिए पांच मेगाहर्ट्ज के 4जी स्पेक्ट्रम को मंजूरी दे दी। इस पर अगले पांच साल में 25 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड में संशोधन के साथ नई निवेश नीति (एनआईपी)-2012 की प्रायोज्यता के विस्तार को भी मंजूरी दे दी गई।
जिद छोड़े केंद्र सरकार : कांग्रेस
वहीं केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने कहा है कि किसानों के आंदोलन को समाप्त करने का एक ही तरीका है कि तीनों नए कृषि कानून वापस लिए जाएं। देश के मुख्य विपक्षी दल ने इन कानूनों को विनाशकारी करार देते हुए कहा कि सरकार को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए और किसानों की मांगें मान लेनी चाहिए।
0- एक जुलाई से जारी होगा इलेक्ट्रॉनिक पेंशन पेमेंट ऑर्डर
नई दिल्ली ,09 जून । केंद्र सरकार में पुरानी पेंशन व्यवस्था के तहत आने वाले लाखों कर्मियों के लिए राहत की खबर है। भारत के महालेखा नियंत्रक कार्यालय ने सभी विभागों को आदेश जारी कर दिया है कि एक जुलाई के बाद रिटायर होने वाले ऐसे कार्मिक, जिन्होंने अपना सेवाकाल पूरा किया है, उन्हें पेंशन पेमेंट ऑर्डर (पीपीओ) की हार्ड कॉपी नहीं मिलेगी। कर्मी को ईपीपीओ जारी होगा। यानी उन्हें इलेक्ट्रॉनिक पेंशन पेमेंट ऑर्डर मुहैया कराया जाएगा। इससे पेंशन दस्तावेजों के खोने की टेंशन भी खत्म होगी। अनेकों ऐसी शिकायतें, जिनमें पेंशन पेपर तैयार करने वाले कर्मियों की लापरवाही सामने आती है, उन पर रोक लगेगी।
भारत के महालेखा नियंत्रक कार्यालय द्वारा जारी आदेशों में कहा गया है कि कुछ केसों में अभी पेंशन पेमेंट ऑर्डर, बतौर हार्ड कॉपी और ईपीपीओ के तौर पर जारी किया जा रहा है। रिटायर होने वाले सभी कर्मियों के मामले में ईपीपीओ सुविधा का इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है। जिन मामलों में पीपीओ, बुक के आकार में और इलेक्ट्रॉनिक आधार पर जारी हुआ है, उन दोनों का मिलान किया जाएगा। उनकी जांच कर यह देखा जाएगा कि उनमें कोई अंतर तो नहीं है। अगर उनमें कोई अंतर पाया जाता है तो उसे 15 जून 2021 तक ठीक कर वापस भेज दें। यह ध्यान रहे कि किसी भी सूरत में पहली जुलाई के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों को पीपीओ जारी नहीं होगा। उन्हें ईपीपीओ ही इश्यू किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि पहले उन कर्मियों के मामले में ईपीपीओ जारी किया जाए, जो अपना सेवाकाल पूरा कर रिटायर होते हैं। इसके बाद रिटायरमेंट की दूसरी श्रेणियों के मामले में ईपीपीओ जारी किया जाएगा। जैसे कोई कार्मिक, जिसे दंड की वजह से तय अवधि से पहले ही सेवा छोडऩी पड़ी हो। विकलांगता, स्वैच्छिक रिटायरमेंट या किसी अन्य कारण से सेवा में नहीं रहने वाले कर्मियों के मामले में भी ईपीपीओ योजना लागू की जाएगी। पहली जुलाई से तय श्रेणी में सौ फीसदी ईपीपीओ जारी होगा। अगर किसी विभाग को ईपीपीओ जारी करने में कोई दिक्कत हो रही है तो वह एक सप्ताह के अंदर भारत के महालेखा नियंत्रक कार्यालय को अवगत करा दे।