राजनीति

शिवपाल यादव ने यूपी के मुख्यमंत्री की कामों की तारीफ की
Posted Date : 29-Jul-2017 2:35:46 pm

शिवपाल यादव ने यूपी के मुख्यमंत्री की कामों की तारीफ की

इटावा,(आरएनएस)। राष्ट्रपति पद के चुनाव में पार्टी गाइडलाइन से अलग हटकर रामनाथ कोविंद के पक्ष में मतदान करने वाले समाजवादी पार्टी के विधायक शिवपाल सिंह यादव को प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के काम बेहद पसंद आ रहे हैं। अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शिवपाल सिंह यादव कल अपने विधानसभा क्षेत्र इटावा के जसवंतनगर में थे।  शिवपाल सिंह यादव ने यहां पर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के काम की जमकर तारीफ की। शिवपाल ने कहा कि सरकार गरीबों के लिए काम कर रही है। वह कस्बे के विद्युत पावर हाउस परिसर में आयोजित बीपीएल बिजली कनेक्शन शिविर को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने लाभार्थियों को नि:शुल्क बिजली कनेक्शन वितरित करने के साथ ही साथ क्षेत्रवासियों से बिजली चोरी न करने की अपील की। उन्होंने इन सभी को ज्यादा से ज्यादा कनेक्शन लेकर योजना का पर्याप्त लाभ प्राप्त करने की सलाह दी।  शिवपाल ने कहा कि वर्तमान सरकार गरीबों के लिए काम कर रही है। इसी के तहत बीपीएल कार्ड धारकों को मुफ्त बिजली कनेक्शन देने की योजना शुरू की गई है। उन्होंने बिजली विभाग के अफसरों से क्षेत्रवासियों को शासन की मंशा के अनुरूप बिजली आपूर्ति देने को कहा। यह भी कहा कि किसी भी आदमी को अधिकारियों से परेशानी है तो उसकी शिकायत करें। अधिशासी अभियंता विद्युत कुलदीप यादव ने बताया कि जसवंतनगर, शाहजहांपुर तथा बलरई फीडरों पर कैंप में 595 बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क बिजली कनेक्शन दिए गए हैं। उनके घरों पर मीटर ल"गाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। इस कैंप में एपीएल के 85 लोगों ने भी कनेक्शन लिए हैं और एलईडी बल्ब की भी बिक्री हुई है।

 

मायावती का अब मिशन बीजेपी क्लीन सितंबर से
Posted Date : 29-Jul-2017 2:34:31 pm

मायावती का अब मिशन बीजेपी क्लीन सितंबर से

लखनऊ,(आरएनएस)। बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती 18 जुलाई को राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद से हर 18 तारीख को अहम बनाने की राह पर हैं। प्रदेश में मिशन बीजेपी क्लीन के तहत मायावती सितंबर से हर महीने की 18 तारीख को दो-दो मंडलों में कार्यकर्ता सम्मेलन तथा रैली कर 2019 की तैयारी में हैं।  राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद से अब बसपा सुप्रीमो मायावती अगले अहम कदम की ओर बढ़ रही है। पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में सम्मानजनक स्थान दिलाने के इरादे वे मायावती ने कमर कस ली है। उन्होंने अब अपने मिशन 2019 का ऐलान कर दिया है। मायावती 18 सितंबर, 2017 से 18 जून, 2018 तक उत्तर प्रदेश के सभी मंडलों के दौरे पर रहेंगी। 18 सितंबर 2017 से 18 मई 2018 तक उनका मंडलवार दौरे का कार्यक्रम है। वह पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अभी से तैयार कर रही हैं। मायावती 18 सितंबर 2017 को मेरठ में मेरठ व सहारनपुर मंडल के कार्यकर्ता सम्मेलन के साथ ही रैली करेंगी। 18 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में वाराणसी व आजमगढ़ मंडल के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन होगा। 19 नवंबर को आगरा में आगरा व अलीगढ़ मंडल तथा 19 दिसंबर को फैजाबाद में फैजाबाद व देवीपाटन मंडल के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन तथा रैली होगी। मायावती 18 जनवरी 2018 को जालौन के उरई में झांसी तथा चित्रकूटधाम मंडल के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगी। 18 फरवरी को इलाहाबाद में उनकी इलाहाबाद तथा मीरजापुर मंडल के सभी कार्यकर्ताओं के साथ सम्मेलन होगा। 18 मार्च को पीतलनगरी मुरादाबाद में मायावती बरेली तथा मुरादाबाद मंडल के कार्यकर्ताओं से भेंट करेंगी। 18 अप्रैल को मायावती की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर में गोरखपुर तथा बस्ती मंडल के बसपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक होगी। 18 मई को लखनऊ में वह लखनऊ व कानपुर मंडल के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगी। इसके बाद उनका जून से मंडलवार रैली भी करने का कार्यक्रम है। मायावती 2019 के चुनावों मद्देनजर देश के अन्य हिस्सों का दौरा भी करेंगी।

 

मॉनसून सत्र के पहले दिन ही मोदी ने दिखाई कूटनीति
Posted Date : 21-Jul-2017 6:29:47 pm

मॉनसून सत्र के पहले दिन ही मोदी ने दिखाई कूटनीति

0- जीएसटी ट्रीट इंडिया मूवमेंट : मोदी
नई दिल्ली,(आरएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन कार्यवाही शुरू होने से पहले लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई विपक्षी सदस्यों का अभिवादन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन कार्यवाही शुरू होने से पहले लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित कई विपक्षी सदस्यों का अभिवादन किया। कार्यवाही शुरू होने से पांच मिनट पहले सदन में पहुंचे मोदी विपक्षी सदस्यों की तरफ बढ़े और पहली कतार में बैठे विपक्षी नेताओं का अभिवादन किया। पहली कतार में सोनिया गांधी के अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी.देवगौड़ा, समाजवादी पार्टी (सपा) नेता मुलायम सिंह यादव, सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुजन खडग़े तथा लोकसभा उपाध्यक्ष एम.थंबीदुरई बैठे थे। मोदी ने देवगौड़ा, यादव, खडग़े तथा थंबीदुरई से हाथ मिलाया, जबकि सोनिया का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। उन्होंने खडग़े तथा यादव से संक्षिप्त बातचीत भी की। दूसरी कतार में बैठे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी तथा पार्टी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी उन्होंने अभिवादन किया। सदन में दाखिल होने के तुरंत बाद मोदी ने हाथ जोड़कर सदस्यों को प्रणाम किया। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) सदस्य रामचंद्र पासवान ने आदरस्वरूप मोदी के पांव छुए। मोदी के सदन में दाखिल होते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्य अपनी-अपनी सीटों पर खड़े हो गए और प्रधानमंत्री के बैठने के बाद ही वे अपनी सीटों पर बैठे। इससे पहले दिन में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मोदी ने सभी पार्टियों से देशहित में काम करने की अपील की। उन्होंने उम्मीद जताई कि तीन सप्ताह से लंबे मॉनसून सत्र के दौरान सांसद देश हित में गुणवत्तापूर्ण चर्चा में हिस्सा लेंगे। राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालने आए मोदी ने कहा कि यह मॉनसून सत्र कई तरह से बेहद खास है, क्योंकि देश अपने नए राष्ट्रपति का निर्वाचन करेगा। मोदी ने कहा, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने उस अच्छाई को दर्शाया है, जिसे देशहित में सभी दलों के साथ मिलकर काम कर प्राप्त किया जा सका। जीएसटी की भावना हमारी मजबूती के बढऩे के बारे में है। मुझे उम्मीद है कि जीएसटी के प्रति जो भावना थी, वह सत्र में बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह मॉनसून उम्मीदों का सूत्रपात करता है, 'यह सत्र भी वही उम्मीद लाता है।

 

राहुल की तुलना में प्रियंका अच्छी तो भाजपा ने किया वार: लालू
Posted Date : 15-Jul-2017 5:10:47 pm

राहुल की तुलना में प्रियंका अच्छी तो भाजपा ने किया वार: लालू

नई दिल्ली,(आरएनएस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने प्रियंका वाड्रा के समर्थन की ओर इशारा करते हुए सुझाव दिया कि आगामी 2019 चुनाव के लिए सपा-बसपा गठबंधन आगे आ सकती है, जिसकी निंदा करते हुए भाजपा ने गुरुवार को कहा कि बेनामी संपत्ति का मामला खुलने के बाद सत्ता और पद को लेकर लालू चिंतित हैं। एएनआई से बात करते हुए भाजपा नेता नलिन कोहली ने कहा, 'शायद लालूजी अपने ऑफिस और पावर को लेकर काफी चिंतित हैं और किसी तरह अपना ऑफिस बनाए रखने की जुगाड़ कर रहे हैं क्योंकि उनसे बेनामी संपत्ति को लेकर पूछ गए सवालों में से किसी का जवाब नहीं दिया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की तुलना में प्रियंका गांधी ज्यादा अच्छी होंगी। यदि ऐसा है, तो कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता से स्प्ष्टीकरण लेना अधिक अच्छा होगा। वैसे भी कांग्रेस और लालूजी एक साथ मिले हुए हैं। इसी तरह का विचार भाजपा के एक अन्य नेता गौरव भाटिया ने भी दिया। उन्होंने कहा कि लालू यादव व उनके परिवार के खिलाफ बेनामी संपत्ति का मामला खुलने से वे काफी डरे हुए हैं। उन्होंने कहा, 'लालू का बयान इस बात का सबूत है कि बेनामी संपत्ति का मामला खुलने और कानूनी कार्रवाई से वे काफी डरे हुए हैं। ये सभी राजनीतिक पार्टियों के पास एक समान आदर्श नहीं है। जिसके कारण पूरे देश में भाजपा अपने पंख फैला रही है और युवाओं को जागृत कर रही है।' राजद के 21वें स्थापना दिवस के अवसर पर लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को कहा कि वे राहुल गांधी की जगह प्रियंका वाड्रा का नेतृत्व पसंद करते हैं। इसके बाद उन्होंने 2019 के आम चुनाव के लिए सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के गठबंधन का प्रस्ताव रखा। लालू ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा, 'अखिलेश यादव और मायावती के साथ आने की काफी संभावना है। यदि ऐसा होता है तो 2019 का मैच खत्म। रॉबर्ट वाड्रा, प्रियंका जी, केजरीवाल, ममता दीदी या लालू यादव व उनके परिवार को तोडऩे की कोशिश की जा रही है।

 

अब पॉलिटिकल फंडिंग का सिस्टम साफ करना है: अरुण जेटली
Posted Date : 14-Jul-2017 7:35:57 pm

अब पॉलिटिकल फंडिंग का सिस्टम साफ करना है: अरुण जेटली

मुंबई,(आरएनएस)। सरकार ने अपनी नजरें अब पॉलिटिकल फंडिं" के सिस्टम को साफ करने की ओर मोड़ दी हैं और वह इस समस्या को खत्म करने के लिए जल्द कुछ कदमों का ऐलान करेगी। यह बात वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को बैंकरों और उद्योगपतियों से कही। जेटली ने मुंबई में आयोजित एसबीआई बैंकिंग ऐंड इकनॉमिक कॉन्क्लेव को विडियो लिंक से संबोधित करते हुए कहा, हम कुछ बड़े कदमों के ऐलान के बारे में सोच रहे हैं, जिनके जरिए हम भारत में समूची पॉलिटिकल फंडिंग का सिस्टम साफ करना चाहते हैं। वित्त मंत्री ने कहा, पिछले 70 वर्षों में दुनिया का यह सबसे बड़ा लोकतंत्र ऐसी फंडिंग के सहारे बढ़ा है, जिससे असल में लोकतंत्र की साख नहीं बढ़ती। प्रधानमंत्री का इस बात पर जोर रहा है कि सरकार को इस विषय को टॉप प्रायरिटी बनाते हुए लेना चाहिए। जेटली जीएसटी और डीमॉनिटाइजेशन के बाद किए जा सकने वाले बड़े रिफॉर्म्स के बारे में एसबीआई की चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। हाल के वर्षों में राजनीतिक गतिविधियों पर खर्च तेजी से बढ़ा है और इसकी रफ्तार प्रति व्यक्ति आय से भी तेज रही है। हालांकि राजनीतिक गतिविधियों में होने वाले खर्च का बड़ा हिस्सा चोर दरवाजे से आता रहा है। जेटली ने फरवरी में जो आम बजट पेश किया था, उसमें कैश डोनेशंस की लिमिट तय करने और एक इलेक्टोरल बॉन्ड शुरू करने जैसे कुछ कदमों की बात की गई थी। यह बॉन्ड कुछ बैंकों की ओर से जारी किया जाएगा, जिसके जरिए राजनीतिक दल चंदा ले सकें"े। कैश डोनेशन की लिमिट अब 2000 रुपये है और राजनीतिक दल चेक या डिजिटल माध्यम से दान देने वालों से पैसा ले सकते हैं। जेटली ने हालांकि पॉलिटिकल फंडिंग में करप्शन से लडऩे के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों का जिक्र नहीं किया, लेकिन बजट भाषण में उन्होंने कहा था कि आरबीआई ऐक्ट में बदलाव किया जाएगा ताकि इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जा सकें। जेटली ने यह भी कहा कि गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स लागू होने और नोटबंदी के प्रभावों के लिहाज से उठाए गए कदमों से आने वाले दो वर्षों में विकास को रफ्तार मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा, डीमॉनिटाइजेशन के बाद देश ने जिस तरह कठिन निर्णय किए और उन्हें ला"ू किया, उससे हमारे दमखम का पता चलता है। जीएसटी और डीमॉनिटाइजेशन के इन दो रिफॉर्म्स ने रिफॉर्म की प्रक्रिया को और आसान कर दिया है। मेरा मानना है कि अगले एक-दो वर्षों में टैक्स कलेक्शंस में उछाल के रूप में इनका असर सामने आएगा।

 

जेटली ने अघोषित आपातकाल की बात कहने वालों की आलोचना की
Posted Date : 02-Jul-2017 2:14:09 pm

जेटली ने अघोषित आपातकाल की बात कहने वालों की आलोचना की

नई दिल्ली (आरएनएस)। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भाजपा की मौजूदा सरकार के तहत 'अघोषित आपातकालÓ होने की बात कहने वालों की आलोचना करते हुए कहा है कि उन लोगों को इस बारे में आत्मावलोकन करना चाहिए कि इंदिरा गांधी के समय लगे आपातकाल के दौरान वे कहां थे। आपातकाल के 42 साल पूरे होने के मौके पर रविवार को एक फेसबुक पोस्ट में जेटली ने आलोचकों से पूछा कि उन 19 महीनों के दौरान उनका सार्वजनिक रूप से घोषित रूख कहां था।उन्होंने कहा कि भारत में किसी भी सरकार के आलोचकों के लिए यह परंपरा बन गई है कि वे अघोषित आपातकाल शब्दों का इस्तेमाल करें। उन्होंने लिखा है कि जो लोग बढ़ा चढ़ा कर इस तरह की टिप्पणी कर रहे हैं उन्हें आपातकाल के दौरान अपनी भूमिकाओं के बारे में आत्मावलोकन करने की जरूरत है। उनमें से ज्यादातर लोग आपातकाल का समर्थन कर रहे थे या आपातकाल के खिलाफ किसी तरह के प्रदर्शन से नदारद थे।