0-हड़ताल व अवकाश के चलते बैंकों में 5 दिन प्रभावित रहेगा कामकाज
रायपुर, 20 नवंबर । केन्द्र सरकार की नीति के विरोध में ऑल इंडिया ऑफिसर कन्फडरेशन के आव्हान पर देशभर के सरकारी बैंकों में आज कर्मचारी हड़ताल पर रहे है। छत्तीसगढ़ में बैंक कर्मचारियों की हड़ताल के चलते करोड़ों का लेन-देन प्रभावित होने का अनुमान है, वहीं इस हड़ताल के बाद भी बैंकों में 22, 23, 25 दिसंबर को भी बैंक बंद रहेंगे, वहीं 26 दिसंबर को कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। इस तरह पांच दिनों तक बैंकों में कामकाज नहीं हो पाएगा। जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
देशभर के सरकारी बैंकों में कर्मचारियों द्वारा केन्द्र सरकार की नीति के विरोध तथा 11वें वेतनमान सहित अन्य मांग को मनवाने के लिए दो दिन 21 एवं 26 दिसंबर को हड़ताल पर जाने की घोषणा की है। घोषणानुसार आज देशभर के सरकारी बैंकों में कर्मचारी हड़ताल पर रहे। छग राज्य में भी राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के सभी जिलों में सरकारी बैंकों में कर्मचारी हड़ताल पर रहे, जिससे लेन-देन पूरी तरह प्रभावित रहा। आज बैंकों में कर्मचारियों की हड़ताल के कारण करोड़ों का लेनदेन प्रभावित होने का अनुमान है। बैंकों में आज हड़ताल के बाद कल 23 दिसंबर को चौथा शनिवार पडऩे के कारण भी बैंकों में अवकाश रहेगा, इसके बाद 24 तारीख को रविवार, 25 तारीख को क्रिसमस का बैंकों में अवकाश रहेगा, वहीं 26 तारीख को भी बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। इस तरह 24 तारीख को छोडक़र लगातार 5 दिनों तक बैंकों में लेनदेन नहीं हो पायेगा, जिसके चलते लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
0-विधि विशेषज्ञों से सलाह लेकर तैयार किया जाएगा प्रारूप
रायपुर, 21 दिसंबर । मुख्यमंत्री बनते ही भूपेश बघेल ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने की दिशा में अनूठा पहल करते हुए कानून का प्रारूप तैयार करने का निर्देश दिया है।
श्री बघेल के नेतृत्व वाली राज्य की कांग्रेस सरकार पत्रकारों की सुरक्ष्ज्ञा को लेकर गंभीर नजर आ रही है। मुख्यमंत्री बनने के पूर्व भी श्री बघेल पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर रहे हैं और समय-समय पर इसका पक्ष भी लेते रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने इस विषय को स्मरण रखा और इसी का नतीजा है कि उन्होंने पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए इस कानून का प्रारूप तैयार करने का निर्देश दिया है। ज्ञात हो कि कांग्रेस की जनघोषणा पत्र में भी पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर वादा किया गया था। मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया है कि देश के विभिन्न राज्यों में पत्रकार सुरक्षा के प्रावधानों का अध्ययन करने के साथ ही मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, विधि विशेषज्ञों से सलाह कर इस कानून का एक प्रारूप तैयार किया जाए और प्रारूप तैयार होने पर इसे राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।
सांकरा, 21 दिसंबर । राष्ट्रीय राजमार्ग 53 पर ग्राम भगत देवरी में बाजार से सब्जी खरीदकर अपनी साइकिल से ग्राम लौट रहे एक वृद्ध को एक कार ने ठोकर मार दी जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई। सांकरा थाना प्रभारी वीणा यादव से मिली जानकारी के अनुसार डिगरो साखरे पिता रामेश्वर साखरे (65) साप्ताहिक बाजार भगत देवरी से सब्जी खरीदकर राष्ट्रीय राजमार्ग 53 फोरलेन से होते हुए साइकिल से अपने घर रेमड़ा जा रहा था। नारायणपुर क्रॉसिंग के पास वह जैसे ही सडक़ क्रास कर रहा था, उसी दरमियान बसना से रायपुर की ओर तेज गति से आ रही कार क्रमांक सीजी 06 जीएम 0364 ने वृद्ध को जबरदस्त ठोकर मार दी जिससे डिगरो साखरे की घटनास्थल पर मौत हो गई। ग्रामीणों की सूचना पर सांकरा पुलिस दल बल के साथ तत्काल मौके पर पहुंची और सडक़ पर लगे जाम को हटाया गया तथा शव को अस्पताल लाया। सांकरा पुलिस आरोपी कार चालक के खिलाफ भादवि की धारा 304 ए के तहत जुर्म पंजीबद्ध कर आगे कार्रवाई कर रही है।
० दो गंभीर घायल यात्री मेकाज में भर्ती
जगदलपुर, 21 दिसंबर । संभाग मुख्यालय जगदलपुर से भोपालपटनम जा रही यात्री बस आज सुबह बास्तानार घाट पर पलट गयी, जिससे बस में सवार दो यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गयी। हादसे में बस में सवार कुल 7 यात्री घायल हो गए हैं, जिनमें दो गंभीर रूप से घायल है। गंभीर घायलों को मेडिकल कालेज जगदलपुर में उपचारार्थ भर्ती करवाया गया है।
कोड़ेनार टीआई दिलेश्वर चंद्रवंशी ने बताया कि सुबह लगभग 5 बजे जगदलपुर से भोपालपटनम के लिए रवाना हुयी, शिवम टे्रवल्स की बस क्रमांक सीजी 17 एफ 0363 छह बजे के करीब बास्तानार घाट में सीआरपीएफ केम्प के समीप मोड़ पर कोहरे की वजह से सडक़ न दिखने से पलट गयी। उन्होंने बताया कि घटना की सूनचा मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और घायलों को बाहर निकाला गया। हादसे के बाद से बस के ड्रायवर व कंडक्टर फरार हो गए हैं। उन्होंने बताया कि दुर्घटना में दो यात्रियों की मौत हो गयी है, जिनमें एक यात्री की मोहम्मद रफीक खान उम्र 54 निवासी अटल आवास जगदलपुर के तौर पर शिनाख्त की गयी है, जबकि दूसरे यात्री की पहचान की जा रही है। 7 में से 5 घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गयी है, जबकि दो गंभीर घायलों सुखराम कश्यप एवं सुखदेव कश्यप निवासी पंडरीपानी को मेडिकल कालेज जगदलपुर में भर्ती करवाया गया है, जिनकी हालत खतरे से बाहर बतायी गयी है।
धमतरी, 20 दिसंबर । राज्य में संचालित सभी शासकीय/अशासकीय महाविद्यालय, पॉलीटेक्निक, आई.टी.आई., जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान इत्यादि में अध्ययनरत् अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षा सत्र 2018-19 के लिए पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति (कक्षा 11 वी, 12 वी को छोडक़र) आवेदन स्वीकृति एवं वितरण की कार्रवाई जतपइंसण्बहण्हवअण्पदध्ेबीवसंतेीपच पर ऑनलाईन की जा रही है। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग ने बताया कि इसके तहत् विद्यार्थियों के पंजीयन एवं संस्थाओं को प्रस्ताव एवं स्वीकृति लॉक करने के लिए विभाग द्वारा अंतिम तिथि निर्धारित की गई है।
विद्यार्थी द्वारा ऑनलाईन आवेदन के लिए (नवीन एवं नवीनीकरण) 20 दिसंबर से 15 जनवरी 2019 तक तय की गई है। इसी तरह ड्राफ्ट प्रपोजल लॉक करने के लिए 20 दिसंबर से 25 जनवरी 2019 तक, सेंक्शन ऑर्डर लॉक करने के लिए 20 दिसंबर से 30 जनवरी 2019 तक और के.वाय.सी. जमा करने की अंतिम तिथि 30 जनवरी तक है। बताया गया है कि निर्धारित तिथियों के बाद शिक्षा सत्र 2018-19 की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन स्वीकृत नहीं किए जाएंगे। इसी तरह ड्राफ्ट प्रपोजल लॉक अथवा सेंक्शन ऑर्डर लॉक करने का अवसर भी प्रदान नहीं किया जाएगा। उक्त तिथि तक कार्रवाई पूर्ण नहीं करने पर यदि संबंधित विद्यार्थी छात्रवृत्ति से वंचित रह जाते हैं, तो उसके लिए संस्था प्रमुख स्वयं जिम्मेदार रहेंगे।
इसी तरह पोस्ट मैट्रिक (कक्षा 12 वी से उच्चतर) अनुसूचित जनजाति वर्ग के ऐसे विद्यार्थी, जिन्होंने पूर्व में नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर आवेदन किए हैं, उन्हें भी पुन: विभाग की वेबसाईट (जतपइंसण्बहण्हवअण्पदध्मेबीवसंतेीपच) पर आवेदन करना अनिवार्य है। उनको केवल इसी पोर्टल के माध्यम से छात्रवृत्ति प्रदाय की जाएगी। साथ ही 30 जनवरी के बाद किसी भी संस्था की के.वाय.सी. स्वीकार नहीं की जाएगी।
० 21 दिसम्बर को महात्मा गांधी के प्रथम छत्तीसगढ़ आगमन की शतकीय वर्षगांठ पर विशेष
धमतरी, 20 दिसंबर । उन्नीसवीं सदी के पूर्वाद्र्ध में जब पूरा भारतवर्ष अंग्रेजों की निरंकुशता और गुलामी के खिलाफ एक साथ उठ खड़ा हुआ था, ऐसे में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन रायपुर सूबे की छोटी सी तहसील धमतरी भी इससे अछूती नहीं रही। दासता की बेडिय़ों से छुटकारा पाने यहां के रणबांकुरों ने भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कण्डेल नहर सत्याग्रह, जंगल सत्याग्रह जैसे ऐतिहासिक आंदोलनों का आगाज इसी धरती के वीर सपूतों ने किया। धमतरी की पावन धरा पंडित सुंदरलाल शर्मा, बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव, नारायणराव मेघावाले, नत्थूजी जगताप, नारायणराव दीक्षित जैसे महान् स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों की जन्म व कर्मभूमि रही है, जिसने आजादी की शैशवावस्था से लेकर गौरवशाली युवावस्था देखी है। कण्डेल नहर सत्याग्रह भारत के प्रमुख स्वतंत्रता आंदोलनों में से एक है, जिसकी वजह से फिरंगी हुकूमत को अपने कठोर फैसले से पीछे हटना पड़ा और अपनी दमनकारी नीतियों को बदलना पड़ा। 21 दिसम्बर 1920 को महात्मा गांधी ने धमतरी पहुंचकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ उक्त आंदोलन की पूर्णाहुति दी।
छत्तीसगढ़ में जल संघर्ष का इतिहास पुराना है। यह सर्वविदित है कि कंडेल नहर सत्याग्रह की घटना ब्रिटिश सरकार के क्रूर फरमान का नतीजा थी। अंग्रेजी सरकार के हुक्मरानों ने जिस तरह आदेश को लागू करवाने के लिए जोर-जबरदस्ती और अमानवीयता का नमूना पेश किया था, उससे संघर्ष को अधिक बल मिला। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में रहने वाले लोगों ने अहिंसक आंदोलन किया और अपने अदम्य साहस, धैर्य व अनुशासन की मिसाल कायम की।
कंडेल नहर सत्याग्रह : वर्ष 1920
धमतरी का कंडेल सत्याग्रह छत्तीसगढ़ के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। राष्ट्रीय चेतना के विकास में धमतरी तहसील अग्रणी रहा है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय चेतना का प्रकाश यहीं से दैदीप्यमान हुआ था। पं. सुंदरलाल शर्मा, पं. नारायणराव मेघावाले और बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव ने यहां आजादी की अलख जगाई। कंडेल नहर सत्याग्रह एक स्वतंत्र संघर्ष था। कंडेल के किसानों ने अगर अंग्रेजी शासन के हुक्म की तामील की होती तो संभवत: गांधीजी वर्ष 1920 में छत्तीसगढ़ नहीं आते।
कंडेल का घटनाक्रम
कंडेल माडमसिल्ली बांध के नजदीक बनाए गए नहर के मार्ग में स्थित है। ब्रिटिश सरकार किसानों से सिंचाई कर की वसूली करती थी। किसानों पर दबाव था कि वे अंग्रेज सरकार से 10 साल का करार करें। हालांकि अनुबंध की राशि इतनी अधिक थी कि इससे सिंचाई के लिए गांव में ही एक विशाल तालाब बनाया जा सकता था। इसलिए किसान अनुबंध के लिए तैयार नहीं थे। इस ग्राम के किसानों के इस निर्णय को ब्रिटिश सरकार ने प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया। कंडेल छोटेलाल श्रीवास्तव की पैतृक संपत्ति थी। धमतरी की नई पीढ़ी को तराशने में बाबू साहब की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्हीं के सुझावों पर किसान दस वर्षीय करार के लिए तैयार नहीं थे। प्रशासन किसानों की आड़ में बाबू साहब को सबक सिखाने की मंशा रखता था। इसकी सूचना मिलने पर छोटेलाल श्रीवास्तव ने ग्रामीणों से एक साथ बैठक की जिसमें सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि जुर्माना नहीं दिया जाएगा। साथ ही इस अन्याय के विरोध में सत्याग्रह करने का फैसला किया गया। इस फैसले को तहसील के नेताओं का भी समर्थन प्राप्त था।
जब मवेशियों की खरीदी करने नहीं आया कोई भी आगे...
अंग्रेजी सरकार के फैसले के खिलाफ गांव-गांव में जनसभाओं का आयोजन किया जाने लगा। ब्रिटिश सरकार के झूठ का पुलिंदा लोगों के सामने खुलने लगा। लगातार चल रही इन गतिविधियों से प्रशासन बौखला गया और आनन-फानन में जुर्माना वसूलने और मवेशियों की जब्ती-कुर्की के आदेश जारी कर दिए गए। जब्त पशुओं को धमतरी के इतवारी बाजार में नीलामी के लिए लाया गया, मगर एक भी व्यक्ति बोली लगाने आगे नहीं आया। लोग समझ चुके थे कि यह सिंचाई विभाग की अन्यायपूर्ण कार्रवाई थी। यह सिलसिला क्षेत्र के अन्य बाजारों में भी दोहराया गया। हर जगह प्रशासन को असफलता मिली।
छोटेलाल श्रीवास्तव के नेतृत्व में तहसील भर में सिंचाई विभाग के खिलाफ अलख जग गई थी। प्रशासन न तो जुर्माना वसूल कर पा रहा था और न ही पशुओं के चारा-पानी की व्यवस्था कर पा रहा था। इस तरह पशु भी बीमार होने लगे। प्रशासन के सामने यह एक नई समस्या थी। दोनों पक्ष झुकने के लिए तैयार नहीं थे। सितम्बर 1920 के पहले सप्ताह में छोटेलाल श्रीवास्तव, पं. सुंदरलाल शर्मा और नारायणराव मेघावाले की उपस्थिति में कंडेल में सभा हुई। इस सभा में सत्याग्रह के विस्तार का निर्णय लिया गया।
सत्याग्रह पर मार्गदर्शन के लिए गांधीजी को किया पत्राचार
अंग्रेजों के अत्याचार भी बढऩे लगा, साथ ही सत्याग्रह भी। इस तरह पांच महीने बीत गए। कंडेल सत्याग्रह के समय महात्मा गांधी बंगाल के दौरे पर थे, तब उन्हें पण्डित सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ आने का न्यौता दिया, जिस पर उन्होंने सहर्ष स्वीकृति दी। 20 दिसम्बर को गांधीजी खिलाफ आंदोलन के प्रणेता मौलाना शौकत अली के साथ रेलगाड़ी से रायपुर पहुंचे। यहां पर उत्साही जनता को गांधी चौक में संबोधित किया। अगले दिन 21 दिसम्बर को कार से सुबह 11 बजे महात्मा गांधी धमतरी पहुंचे। स्थानीय मकईबंध चौक (वर्तमान में मकई चौक) में उनका ऐतिहासिक स्वागत हुआ। यहां पर अधिक भीड़ होने की वजह से गुरूर के व्यापारी उमर सेठ ने गांधीजी को कंधे पर बिठाकर जानी हुसैन बाड़ा सभा स्थल के मंच तक पहुंचाया।
गांधीजी ग्रामीणों के इस आंदोलन से खासे प्रभावित हुए। इससे पहले, कि गांधीजी के धमतरी आगमन पर आंदोलन को और हवा मिलती, सत्याग्रह को बड़े पैमाने पर फैलता देख अंग्रेजी शासन बौखला गया। अंग्रेजों ने हाथ खड़े कर दिए। ग्रामीणों की गौधन संपदा जिन्हें अग्रेजों ने जब्त कर ली थी, वापस कर दी गई। साथ ही जुर्माने की वसूली भी तत्काल रोक दी गई। अंतत: कण्डेल के किसान विजयी हुए और सत्याग्रह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस तरह कण्डेल का यह आंदोलन सत्याग्रहियों की अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ एक बड़ी जीत थी, जिसे देश इतिहास कभी विस्मृत नहीं कर पाएगी।