व्यापार

सरसों, सोयाबीन, बिनौला और मूंगफली तेलों के बीच मक्का रिफाइंड ने बनाई जगह, बड़ा उत्पादन
Posted Date : 19-Apr-2021 5:16:14 pm

सरसों, सोयाबीन, बिनौला और मूंगफली तेलों के बीच मक्का रिफाइंड ने बनाई जगह, बड़ा उत्पादन

नईदिल्ली,19 अपै्रल । सरसों, सोयाबीन, बिनौला और मूंगफली तेलों के बीच मक्का रिफाइंड तेल भी अब अपनी जगह बनाता हुआ दिख रहा है। नमकीन बनाने वाली कंपनियों और शादी विवाह के आयोजनों में मक्का रिफाइंड की इन दिनों मांग बढ़ रही है। पिछले चार-पांच साल के दौरान देश में मक्का रिफाइंड तेल का उत्पादन करीब दोगुना हो गया है।
इस लिहाज से मक्का रिफाइंड तेल की मांग बढ़ी है। मक्का रिफाइंड तेल और खल से जुड़े एक अन्य व्यापारी अर्पित गुप्ता का कहना है कि मक्का रिफाइंड तेल का भाव 140 रुपये किलो के आसपास है, जबकि बिनौला तेल 148 रुपये किलो और मूंगफली तेल 160 रुपये किलो तक पड़ता है। उनका कहना है कि नमकीन, मिठाई और इसी तरह के अन्य उत्पाद बनाने वाली प्रमुख कंपनियां जहां पहले बिनौला, सोयाबीन तेल का इस्तेमाल करते थीं, वहीं अब वह मक्का रिफाइंड तेल का अधिक इस्तेमाल कर रही हैं। बिनौला और सरसों की तरह एक्सपैलर से सीधे मक्की खल निकलती है जिसकी अच्छी मांग है।
बिनौला खल में जहां सात प्रतिशत तेल होता है वहीं मक्की खल में 12 से 14 प्रतिशत तक तेल की मात्रा होती है। मक्का खल पशुओं के लिए काफी उपयोगी बताई गई है। इस लिहाज से इसकी मांग काफी बढ़ी है। देश में चार साल पहले जहां 5,000 टन प्रति महीना मक्का रिफाइंड तेल का उत्पादन होता था वहीं अब यह बढक़र आठ से 10 हजार टन महीना तक पहुंच गया है। इस स्थिति को देखते हुये यह कहा जा सकता है कि सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेलों के बीच मक्का रिफाइंड तेल भी अपनी जगह बनाने लगा है।

इंडिगो और स्पाइसजेट के बाद अब एयर एशिया ने दी अपने यात्रियों को यह सुविधा
Posted Date : 18-Apr-2021 5:35:15 pm

इंडिगो और स्पाइसजेट के बाद अब एयर एशिया ने दी अपने यात्रियों को यह सुविधा

नईदिल्ली,18 अपै्रल । इंडिगो और स्पाइसजेट के बाद अब एयर एशिया ने कहा कि वह 15 मई तक यात्रा की तारीख और समय में बदलाव करने पर कोई चार्ज नहीं वसूलेगी. एयरलाइन की तरफ से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि कोरोना के नए वेव के बीच यात्रा प्रतिबंध को ध्यान में रखते हुए उसने यात्रियों को सुविधा दी है कि वे अपनी सुविधा के अनुसार यात्रा की तारीख और समय में बदलाव कर सकते हैं.
एयर एशिया से यात्रा करने वाले यात्री 15 मई तक यात्रा की तारीख और समय में जितनी बार चाहें बदलाव कर सकते हैं और यह सर्विस फ्री होगी. सबसे पहले शुक्रवार को इंडिगो ने इस तरह के ऑफर की घोषणा की थी. इंडिगो के यात्री 30 अप्रैल तक जरूरत के हिसाब से यात्रा की तारीख और समय में बदलाव कर सकते हैं. कंपनी 17 अप्रैल से 30 अप्रैल, 2021 तक नई बुकिंग पर चेंज फीस माफ कर रही है. इसके पीछे की वजह कोरोना महामारी के चलते अलग-अलग राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन हैं.
ग्राहकों को राहत देते हुए स्पाइसजेट ने भी चेंज फीस माफ करने का ऐलान किया है. यात्रा के पांच दिन पहले तक टिकट की तरीख या समय में किए गए बदलाव पर कोई एक्सट्रा चार्ज नहीं लगेगा. स्पाइसजेट ने शनिवार को बताया कि 17 अप्रैल से 15 मई के बीच सीधी डोमेस्टिक फ्लाइट की यात्रा के लिए टिकट बुक कराने वाले यात्री एक बार चेंज फीस में छूट का लाभ ले सकते हैं. नए नियम के तहत वे यात्रा से पांच दिन पहले तक टिकट की तारीख या समय में अपने अनुसार बदलाव कर सकते हैं. इससे पहले यह छूट 7 दिन पहले कराए गए फेरबदल पर लागू होती थी.

देश में दवाइयों के निर्यात में आई तेजी, मार्च महीने में हुआ सबसे ज्यादा कारोबार
Posted Date : 18-Apr-2021 5:34:56 pm

देश में दवाइयों के निर्यात में आई तेजी, मार्च महीने में हुआ सबसे ज्यादा कारोबार

नईदिल्ली,18 अपै्रल । कोरोना संकट के बीच दवाइयों की मांग तेज हो गई है. ऐसे में भारतीय औषधियों की डिमांड में भी इजाफा हुआ है. यही वजह है कि कि देश से औषधियों को निर्यात बढ़ गया है. भारतीय औषधि निर्यात संवर्धन परिषद, फार्मेक्सिल के महानिदेशक उदय भास्कर के मुताबिक मार्च 2021 में निर्यात में तेज उछाल देखने को मिला. इस दौरान करीब 2.3 अरब डॉलर का कारोबार हुआ.
मार्च का निर्यात वित्त वर्ष के दौरान किसी भी माह की तुलना में सबसे ज्यादा दर्ज किया गया. एक साल पहले के मार्च से अगर इसकी तुलना की जाएग तो इसमें 48.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ. मार्च 2020 में निर्यात 1.54 अरब डॉलर का हुआ था. बताया जाता है कि वर्ष 2020 में वैश्विक औषधि बाजार में एक से दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन इस साल भारत से दवाइयों की मांग में दोबारा तेजी देखने को मिली.
भारत की दवाओं की गुणवत्ता और इनके मूल्य की व्यावहारिकता के चलते इनकी मांग में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. कोरोना वायरस से लडऩे में भी भारतीय दवाइयां असरदार साबित हो रही हैं. ऐसे में आने वाले समय में भारत से वैक्सीन के निर्यात में अच्छी वृद्धि होने की संभावना दिख रही है. इसी तरह भारत सरकार की उत्पादकता आधारित प्रोत्साहन योजना से औषधि क्षेत्र में आयात पर निर्भरता कम होगी और निर्यात का आधार मजबूत होगा.
भारत की औषधियों की मांग उत्तर अमेरिका में सबसे ज्यादा देखने को मिली. निर्यात के लिहाज से ये सबसे बड़ा बाजार रहा. इस वर्ष के दौरान निर्यात में इस बाजार का हिस्सा 34 प्रतिशत रहा. उसके बाद दक्षिण अफ्रीका में भा भारतीय दवाइयों की मांग काफी तेज रही. वहां 28 प्रतिशत औषधी भेजी गईं और यूरोपीय बाजार में निर्यात 11 प्रतिशत की दर से बढ़ा.

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बिजली की मांग बढ़ी, खपत 60 अरब यूनिट के पार
Posted Date : 18-Apr-2021 5:33:05 pm

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच बिजली की मांग बढ़ी, खपत 60 अरब यूनिट के पार

नईदिल्ली,18 अपै्रल । इस महीने की शुरूआत से ही कोरोना वायरस से पीडि़तों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। लेकिन तब भी उद्योग धंधे चल रहे हैं। इसका अंदाजा बिजली की मांग से मिल रही है। केंद्रीय बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चालू अप्रैल के पहले पखवाड़े में बिजली की मांग पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 45 फीसदी बढ़ी है।
केंद्रीय बिजली मंत्रालय के मुताबिक चालू अप्रैल के पहले पखवाड़े में बिजली की खपत पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 45 प्रतिशत बढ़ी है। इस दौरान 60.62 अरब यूनिट (बीयू) की खपत हुई है। जबकि पिछले साल अप्रैल के पहले पखवाड़े (एक से 15 अप्रैल, 2020) के दौरान बिजली की खपत 41.91 अरब यूनिट रही थी।
इस अप्रैल के पहले पखवाड़े के दौरान व्यस्त समय की बिजली की मांग (एक दिन में सबसे ऊंची आपूर्ति) भी पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले बढ़ी है। चालू महीने के पहले पखवाड़े में आठ अप्रैल, 2021 को व्यस्त समय की बिजली की मांग 182.55 गीगावॉट के उच्चस्तर पर पहुंच गई। जबकि पिछले साल अप्रैल के पहले पखवाड़े में किसी दिन की पीक डिमांड 132.20 गीगावॉट थी। इस साल की पीक डिमांड पिछले साल के पीक डिमांड के मुकाबले 38 फीसदी अधिक है।
पिछले साल अप्रैल महीने के दौरान देश भर में लॉकडाउन था। इसलिए औद्योगिक डिमांड नहीं के बराबर थी। इसलिए बिजली की मांग वर्ष 2019 के समान महीने के 110.11 अरब यूनिट की तुलना में घटकर 84.55 अरब यूनिट पर आ गई थी। इसके साथ ही पिछले साल अप्रैल में व्यस्त समय की बिजली की मांग एक साल पहले के 176.81 गीगावॉट से घटकर 132.20 गीगावॉट रही थी।
विशेषज्ञों कहना है कि चालू महीने के पहले पखवाड़े में बिजली की ऊंची मांग पिछले साल की समान अवधि के निचले आधार प्रभाव की वजह से है। हालांकि, इससे स्पष्ट तौर पर वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियों में सुधार का संकेत मिलता है। इसके साथ ही विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि कोविड-19 संक्रमण के मामले बढऩे के बीच वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होने से आगामी दिनों में बिजली की मांग में गिरावट आ सकती है।

गेहूं की खरीद जोरों पर, किसानों को बैंक खाते में मिल रहा पैसा
Posted Date : 16-Apr-2021 5:20:02 pm

गेहूं की खरीद जोरों पर, किसानों को बैंक खाते में मिल रहा पैसा

नईदिल्ली,16 अपै्रल । केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि पंजाब समेत पूरे देश में गेहूं की सरकारी खरीद जोरों पर चल रही है और किसानों को उनकी फसल के दाम यानी एमएसपी का भुगतान सीधे उनके खाते में होने लगा है। उन्होंने बताया कि चालू रबी विपणन सीजन में 64.79 लाख टन गेहूं की खरीद पूरी हो चुकी है और जिससे रफ्तार से खरीद चल रही है उससे लगता है कि इस साल गेहू की खरीद का एक नया रिकॉर्ड बनेगा। चालू रबी विपणन सीजन 2021-22 में गेहूं की खरीद की ताजा स्थिति को लेकर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान सुधांशु पांडेय ने बताया कि पंजाब में 10 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हुई है और महज पांच दिनों सरकारी एजेंसियों ने राज्य में 10.56 लाख टन से ज्यादा गेहूं किसानों से खरीद लिया है। हरियाणा में एक अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हुई और 14 अप्रैल तक 30 लाख टन से ज्यादा खरीद हो चुकी चुकी थी। वहीं, मध्यप्रदेश में 20.60 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। जबकि उत्तर प्रदेश में किसानों से एमएसपी पर 1.83 लाख टन से ज्यादा गेहूं खरीदा जा चुका है।
इन आंकड़ों का जिक्र करते हुए खाद्य सचिव ने कहा कि गेहूं की सरकारी खरीद की रफ्तार सुस्त पडऩे की कोई भी शिकायत बेबुनियाद है क्योंकि पिछले साल 14 अप्रैल तक जहां देशभर में महज 60 टन गेहूं की खरीद हो पाई थी, वहां इस साल 64.79 लाख टन गेहूं की खरीद पूरी हो चुकी है और उम्मीद है कि पूर्व निर्धारित लक्ष्य 427.36 लाख टन तक गेहूं की खरीद हो जाएगी जोकि एक नया रिकॉर्ड होगा।
पिछले रबी विपणन सीजन 2020-21 में सरकारी एजेंसियों ने देशभर में 389.93 लाख टन गेहूं किसानों से खरीदा था। खाद्य सचिव ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में चालू रबी विपणन सीजन 2021-22 से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते करने की पूरी तरह प्रक्रिया लागू हो गई है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों की सरकारों के सहयोग से इस संभव हुआ और इसके साथ पूरे देश में किसानों को एमएसपी का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में होने लगा है।
उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा में गेहूं की सरकारी खरीद पूरी रफ्तार से चल रही है और आढ़तियों का पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार किसानों को उनकी फसलों का एमएसपी उनके बैंक खाते में भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई उसी प्रकार आढ़तियों को उनका कमीशन भी सीधे उनके बैंक खाते में मिलेगा।

कर्मचारियों को 12 घंटे करना होगा काम, घटेगी सैलरी लेकिन बढ़ेगा पीएफ जाने नए नियम
Posted Date : 16-Apr-2021 5:19:27 pm

कर्मचारियों को 12 घंटे करना होगा काम, घटेगी सैलरी लेकिन बढ़ेगा पीएफ जाने नए नियम

नईदिल्ली,16 अपै्रल । जल्द आपकी ग्रेच्युटी, पीएफ और काम के घंटों में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। कर्मचारियों की ग्रेच्युटी और भविष्य निधि (पीएफ) मद में बढ़ोतरी होगी। वहीं, हाथ में आने वाला पैसा (टेक होम सैलरी) घटेगा। यहां तक कि कंपिनयों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी। इसकी वजह है पिछले साल संसद में पास किए गए तीन मजदूरी संहिता विधेयक (कोड ऑन वेजेज बिल)। सरकार नए लेबर कोड में नियमों को 1 अप्रैल से लागू करना चाहती थी लेकिन राज्यों की तैयारी न होने और कंपनियों को एचआर पॉलिसी बदलने के लिए अधिक समय देने के लिए इन्हें फिलहाल टाल दिया गया।
वेज (मजदूरी) की नई परिभाषा के तहत भत्ते कुल सैलेरी के अधिकतम 50 फीसदी होंगे। इसका मतलब है कि मूल वेतन (सरकारी नौकरियों में मूल वेतन और महंगाई भत्ता) अप्रैल से कुल वेतन का 50 फीसदी या अधिक होना चाहिए। गौरतलब है कि देश के 73 साल के इतिहास में पहली बार इस प्रकार से श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं। सरकार का दावा है कि नियोक्ता और श्रमिक दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे।
नए ड्राफ्ट कानून में कामकाज के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव पेश किया है। ओएसच कोड के ड्राफ्ट नियमों में 15 से 30 मिनट के बीच के अतिरिक्त कामकाज को भी 30 मिनट गिनकर ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है। मौजूदा नियम में 30 मिनट से कम समय को ओवरटाइम योग्य नहीं माना जाता है। ड्राफ्ट नियमों में किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से ज्यादा लगातार काम कराने को प्रतिबंधित किया गया है। कर्मचारियों को हर पांच घंटे के बाद आधा घंटे का विश्राम देने के निर्देश भी ड्राफ्ट नियमों में शामिल हैं।
नए ड्राफ्ट रूल के अनुसार, मूल वेतन कुल वेतन का 50 प्रतिशत या अधिक होना चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों की वेतन संरचना बदलेगी, क्योंकि वेतन का गैर-भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल सैलेरी के 50 फीसदी से कम होता है। वहीं कुल वेतन में भत्तों का हिस्सा और भी अधिक हो जाता है। मूल वेतन बढऩे से आपका पीएफ भी बढ़ेगा। पीएफ मूल वेतन पर आधारित होता है। मूल वेतन बढऩे से पीएफ बढ़ेगा, जिसका मतलब है कि टेक-होम या हाथ में आने वाला वेतन में कटौती होगी।