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गैर-बासमती चावल का निर्यात 129 फीसदी बढ़ा, गेहूं 727 फीसदी
Posted Date : 15-Apr-2021 4:54:54 pm

गैर-बासमती चावल का निर्यात 129 फीसदी बढ़ा, गेहूं 727 फीसदी

नईदिल्ली,15 अपै्रल । कोरोना महामारी के संकट के समय भारत ने अपनी 1.35 करोड़ आबादी के लिए खाद्यान्नों की जरूरतों की पूर्ति करने के साथ-साथ दूसरे जरूरतमंद देशों को भी अनाज मुहैया करवाया है। यही वजह है कि देश से गैर-बासमती चावल के निर्यात में बीते वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 129 फीसदी का उछाल आया। वहीं, गेहूं के निर्यात में 727 फीसदी का इजाफा हुआ। कोरोना काल के दौरान देश में जब पूर्ण बंदी यानी लॉकडाउन के समय खाद्य वस्तुओं के अलावा अन्य उत्पाद बनाने वाले तमाम कल-कारखाने बंद हो गए थे और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों का कामकाज ठप पड़ गया था तब भी भारत में खेती-किसानी का काम निर्बाध चल रहा था। देश में खाद्य पदार्थों की सप्लाई दुरुस्त रखने की व्यवस्था के साथ-साथ सरकार ने देश से निर्यात सुगम बनाने के उपाय किए, जिसके फलस्वरूप अनाजों के निर्यात में जोरदार इजाफा हुआ।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 में भारत ने 458.8 करोड़ डॉलर मूल्य का गैर-बासमती चावल निर्यात किया, जबकि पिछले वर्ष 2019-20 में दश से 200.1 करोड़ डॉलर मूल्य का गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ था। इस प्रकार, गैर-बासमती चावल के निर्यात में 129 फीसदी का इजाफा हुआ।
भारत कुछ साल पहले अपनी घरेलू जरूरतों की पूर्ति के लिए गेहूं आयात करता था, लेकिन पांच साल से लगातार गेहूं के उत्पादन में बन रहे नये रिकॉर्ड से अब देश में चावल के साथ-साथ गेहूं का भी अपनी जरूरतों से ज्यादा भंडार बना हुआ है और कोरोना महामारी की विषम परिस्थितियों में भारत अपने पड़ोसी देशों के अलावा अन्य देशों को भी गेहूं निर्यात कर रहा है।
कृषि मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, भारत ने 2020-21 में करीब 51.55 करोड़ डॉलर मूल्य का गेहूं निर्यात किया है जबकि इससे पिछले साल 2019-20 में भारत ने 623.6 लाख डॉलर मूल्य का गेहूं निर्यात किया था। इस प्रकार, गेहूं के निर्यात में 727 फीसदी का इजाफा हुआ है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात प्राधिकरण यानी एपीडा के के पूर्व अधिकारी ए. के. गुप्ता ने बताया कि कोरोना काल की विषम परिस्थितियों में भी भारत ने दूसरे देशों की अनाज की जरूरतों को पूरा किया। उन्होंने कहा कि निस्संदेह इसका श्रेय देश के किसानों को जाता है जिनकी मेहनत के कारण आज देश न सिर्फ खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर है, बल्कि देश में घरेलू जरूरतों से ज्यादा खाद्यान्नों का उत्पादन हो रहा है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) के दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में खाद्यान्नों का कुल उत्पादन 30.33 करोड़ टन रह सकता है, जिनमें चावल का उत्पादन रिकॉर्ड 12.03 करोड़ टन, गेहूं का रिकॉर्ड 10.92 करोड़ टन, पोषक व मोटा अनाज 493 लाख टन, मक्का 301.6 लाख टन और दलहनी फसल 244.2 लाख टन शामिल है।

ई-नाम पर 5 साल में हुआ 1.30 लाख करोड़ का कारोबार
Posted Date : 15-Apr-2021 4:54:34 pm

ई-नाम पर 5 साल में हुआ 1.30 लाख करोड़ का कारोबार

नईदिल्ली,15 अपै्रल । कृषि उत्पादों के व्यापार का इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) को पांच साल पूरे हो गए हैं और इस दौरान करीब 1.70 करोड़ किसान इस मंच से जुड़ चुके हैं, जबकि जो व्यारी इससे जुड़े हैं उनकी तादाद 1.63 लाख है। साथ ही, इस मंच पर अब तक करीब1.30 लाख करोड़ रुपये मूल्य का कुल संयुक्त व्यापार रिकॉर्ड किया गया है। राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) का शुभारंभ 14 अप्रैल 2016 को हुआ था। बुधवार 14 अप्रैल को को इसकी पांचवीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश का एक बड़ा वर्ग कृषि सुधारों का समर्थन कर रहा है।
उन्होंने कहा, जब तक साहसपूर्वक सुधार नहीं किए जाते, तब तक किसी भी क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन करना बहुत मुश्किल काम है। ई-नाम प्रोजेक्ट हो या कृषि सुधार बिल, ये सब किसानों के जीवन स्तर में सुधार लाने वाले हैं, किसानों की आमदनी बढ़ाने वाले हैं, किसानों के घर में समृद्धि लाने वाले हैं, किसानों के बच्चों को कृषि की ओर आकर्षित करने वाले हैं। इसलिए भारत सरकार पूरी ²ढ़ता के साथ इस पर काम कर रही है।
भारत की आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में किसानों की सुविधा के लिए ई-नाम पर मंडी जानकारी पृष्ठ, ई-नाम प्लेटफॉर्म के साथ आईएमडी मौसम पूवार्नुमान सूचना का एकीकरण और सहकारी मॉड्यूल जैसे नए मॉड्यूल लांच किए गए।
तोमर ने कहा कि 1000 मंडियों में ई-नाम की सफलता को देखते हुए अब 1000 अतिरिक्त मंडियों को जोडऩे का निर्णय लिया गया है।
इस मौके पर कृषि राज्यमंत्री परषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी भी मौजूद थे।

बीआईएस ने छोटे उद्योगों के लिए की न्यूनतम चिन्हांक शुल्क में 50 फीसदी कटौती
Posted Date : 14-Apr-2021 2:36:01 pm

बीआईएस ने छोटे उद्योगों के लिए की न्यूनतम चिन्हांक शुल्क में 50 फीसदी कटौती

नईदिल्ली,14 अपै्रल । भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने छोटे सूक्ष्म उद्योग और स्टार्टअप व महिला उद्यमियों के लिए न्यूनतम चिन्हांकन (मार्किं ग) शुल्क में 50 फीसदी की कटौती है। उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने यहां एक वर्चुअल प्रेसवार्ता के दौरान बीआईएस की विभिन्न पहलों की जानकारी दी। इस मौके पर मौजूद बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि छोटे सूक्ष्म उद्योग और स्टार्टअप व महिला उद्यमियों के लिए न्यूनतम चिन्हांकन (मार्किं ग) शुल्क में 50 फीसदी की कटौती की गई है और इसमें पुराने लाइसेंसधारकों को 10 फीसदी अतिरिक्त छूट मिलेगी। उन्होंने कहा कि हितधारकों के लिए नियमों का अनुपालन सुगम बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
मसलन, प्रमाणन की पूरी प्रक्रिया स्वचालित हो गई है, जिसमें लाइसेंस प्रदान करना, लाइसेंस का नवीनीकरण करना आदि सब कुछ अब मानक ऑनलाइन पोर्टल ई-बीआईएस के जरिए स्वचालित हो गया है, जिससे तय समयसीमा के भीतर यह काम होने लगा है।
उन्होंने बताया कि इस सरलीकृत प्रक्रिया के तहत 80 फीसदी से अधिक उत्पाद आ गए हैं और इन उत्पादों के विनिर्माण के लिए एक महीने के भीतर लाइसेंस जारी करना संभव हो गया है। उन्होंने बताया कि बीआईएस के इन पहलों से 90 फीसदी से ज्यादा आवेदनों का निपटान तय समयसीमा के बीच किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि हमारे पास लगभग 21000 भारतीय मानक हैं। इसका मकसद देश की अर्थव्यवस्था और उपभोक्ताओं के लिए विभिन्न उत्पादों बेहतर मानक तय करना है।
उद्योगों, एमएसएमई क्षेत्र के लाभ के लिए भारतीय मानक अब नि:शुल्क उपलब्ध हैं और ई-बीआईएस के मानक-पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न संगठनों में चल रहे मानक तैयारी के कार्य में सामंजस्य स्थापित करने के लिए एक ‘राष्ट्र एक मानक’ स्कीम शुरू की गई है और आरडीएसओ, इंडियन रोड कांग्रेस और प्रतिरक्षा मंत्रालय के अंतर्गत मानकीकरण महानिदेशालय जैसे एसडीओ के साथ परामर्श की प्रक्रिया जारी है।
इस मौके पर उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने संवाददाताओं के एक सवाल पर बताया कि सोने के गहने व कलाकृतियों पर बीआईएस हॉलमार्किं ग की अनिवार्यता आगामी जून महीने में लागू हो जाएगी। कोरोना महामारी का प्रकोप बढऩे के कारण इसे आगे बढ़ाने की संभावनाओं को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि आभूषण विनिर्माताओं की तरफ से इस प्रकार की कोई मांग नहीं आई है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के 2021 में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज करने की संभावना : मूडीज
Posted Date : 14-Apr-2021 2:35:25 pm

भारतीय अर्थव्यवस्था के 2021 में दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज करने की संभावना : मूडीज

नईदिल्ली,14 अपै्रल । कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर से भारत के वृद्धि पूर्वानुमान के लिए खतरा पैदा हो गया है। रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक पिछले साल के निम्न स्तर को देखते हुए जीडीपी वृद्धि दर दोहरे अंक में रह सकती है। मूडीज ने कहा कि वायरस का प्रकोप बढऩे से आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।
मूडीज ने उम्मीद जताई कि संक्रमण की मौजूदा लहर से निपटने के लिए एक देशव्यापी लॉकडाउन के विपरीत छोटे-छोटे कटेंटमेंट जोन पर जोर दिया जाएगा, जिससे 2020 के मुकाबले आर्थिक गतिविधियां कम प्रभावित होंगी।
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा कि भारत में की वजह से कम मृत्यु दर (12 अप्रैल तक 1,70,179 मौतें दर्ज की गई हैं) और अपेक्षाकृत युवा आबादी भी इस जोखिम को कम करने में मदद करती है। 2020 में आर्थिक गतिविधियों के निचले स्तर को देखते हुए जीडीपी के अभी भी दो अंकों में बढऩे की संभावना है।
मूडीज ने कहा कि संक्रमण की दूसरी लहर से आर्थिक सुधार को लेकर कुछ जोखिम पैदा हुए हैं, लेकिन लक्षित रोकथाम के उपायों और तेजी से टीकाकरण से नकारात्मक असर कम होगा। इससे पहले मूडीज ने फरवरी में अनुमान जताया था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 13.7 प्रतिशत रह सकती है।

माइक्रोसॉफ्ट ने नोएडा में देश का सबसे बड़ा सेंटर बनाने का फैसला लिया , 3500 लोगों को मिलेगा रोजग़ार
Posted Date : 14-Apr-2021 2:34:27 pm

माइक्रोसॉफ्ट ने नोएडा में देश का सबसे बड़ा सेंटर बनाने का फैसला लिया , 3500 लोगों को मिलेगा रोजग़ार

नईदिल्ली,14 अपै्रल । दुनिया की सबसे नामी सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट इंडिया देश का सबसे बड़ा सेंटर नोएडा में बनाएगी। कंपनी 3500 से अधिक लोगों को रोजगार देगी। नोएडा प्राधिकरण ने कंपनी को 60 हजार वर्ग मीटर जमीन आवंटित की है। अभी तक कंपनी का हैदराबाद के गाची बावली में सबसे बड़ा ऑफिस है। कंपनी ने प्राधिकरण के समक्ष दावा किया है कि तय समय यानि पांच साल से पहले ही यहां पर शुरुआत कर दी जाएगी ताकि एनसीआर में रहने वाले लोगों को इसका फायदा मिल सके।
नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि सेक्टर-145 स्थित भूखंड संख्या ए-01 व ए-02 में जमीन आवंटित की है। आंवटित की गई जमीन का कुल प्रीमियम 103 करोड़ 66 लाख रुपये है। यह जमीन आईटी-आईटीईएस के उपयोग के लिए दी गई है। नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी राजेश सिंह ने बताया कि कंपनी के आने से एनसीआर क्षेत्र में निवेश एवं रोजगार की संभावनाएं बढ़ेंगी। कंपनी की यह भारत में सबसे बड़ी परियोजना होगी। इससे न केवल नोएडा बल्कि पूरा एनसीआर क्षेत्र सॉफ्टवेयर हब के रूप में विकसित होगा।
ओएसडी ने बताया कि माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के नोएडा में आने से सॉफ्टवेयर क्षेत्र की अन्य कंपनियां भी नोएडा की तरफ आर्कषित होंगी। अधिकारियों ने बताया कि योजना की शर्तों के तहत कंपनी को 30 अप्रैल तक 40 प्रतिशत आवंटन धनराशि जमा कराते हुए रजिस्ट्री की प्रक्रिया करानी होगी। बाकी 60 प्रतिशत राशि 8 छमाही किश्तों में देनी होगी। परियोजना का निर्माण पांच साल में पूरा करना होगा हालांकि कंपनी ने दावा किया है तय समय से पहले ही कंपनी यहां काम की शुरुआत कर देगी।
कंपनियों को जो प्लॉट दिए जा रहे हैं वह सेक्टर-145 में दिए जा रहे हैं। इसके पास ही नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे है। ऐसे में लोग यहां आसानी से पहुंच सकेंगे। एक्सप्रेस-वे के जरिए ग्रेटर नोएडा, दिल्ली व यमुना एक्सप्रेस-वे के जरिए कम समय में गंतव्य को जा सकेंगे।माइक्रोसॉफ्ट का नोएडा में आना यहां के लिए बड़ी उपलब्धि होगी, लेकिन इससे पहले भी देश की कई नामी कंपनियों के यहां पर ऑफिस हैं। इनमें लाखों लोग काम कर रहे हैं। इनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टीसीएस, इंफोसिस, एडोब, एनआईआईटी टेक्नोलॉजीज समेत कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं। नोएडा में अधिकतर सॉफ्टवेयर से जुड़ी कंपनियां पिछले करीब 10 साल में यहां आई हैं।

भारत में पिछले 12 महीनों में डिजिटल पेमेंट में 76 प्रतिशत की वृद्धि
Posted Date : 13-Apr-2021 5:25:13 pm

भारत में पिछले 12 महीनों में डिजिटल पेमेंट में 76 प्रतिशत की वृद्धि

नईदिल्ली,13 अपै्रल । इस साल की पहली तिमाही में ऑनलाइन लेनदेन में 76 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। 2020 में समान अवधि की तुलना में इस वर्ष की पहली तिमाही में यह बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस दौरान टियर 2 और टियर 3 शहरों एवं कस्बों में सभी ऑनलाइन लेनदेन में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान जारी रहा। एक नई रिपोर्ट ने सोमवार को यह दावा किया गया है।
2020 में महामारी के कारण भारी गिरावट के बाद, यात्रा उद्योग में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि अचल संपत्ति (रियल इस्टेट) में इस वर्ष के पहले तीन महीनों में 69 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है।
पर्यटन के खुलने के साथ, जम्मू-कश्मीर ने पहली बार शीर्ष 10 डिजिटल रूप से समावेशी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्थान बनाया है। जम्मू-कश्मीर ने जनवरी-मार्च अवधि में ऑनलाइन लेनदेन में 36 प्रतिशत की वृद्धि के साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों से ऊपर रैंकिंग पाई है। फुल-स्टैक फाइनेंशियल सॉल्यूशंस कंपनी राजोरपे द्वारा अपनी ‘द एरा ऑफ राइजिंग फिनटेक’ रिपोर्ट में पेश किए गए आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है।
भुगतान विकल्प जैसे कि बाय नाऊ पे लेटर (बीएनपीएल) में पिछले 12 महीनों में 569 प्रतिशत की तेजी देखी गई है। उपभोक्ताओं की ओर से थोक भुगतान से बचने वाले और किफायती भुगतान मोड को तरजीह देने के साथ यह तेजी देखी गई है।
यूपीआई भुगतान को दी जाने वाली तवज्जो जारी है, जिसके बाद डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और नेटबैंकिंग का नंबर आता है।
राजोरपे में एसएमई कारोबार के प्रमुख वेदनारायण वेदांथम ने एक बयान में कहा, इस डिजिटल अडॉप्शन का 50 प्रतिशत से अधिक फिलहाल टियर 2 और टियर 3 शहरों से आ रहा है, जो दर्शाता है कि यह महज एक शहरी तथ्य नहीं है। छोटे व्यवसाय नए भुगतान के तरीके प्रदान कर रहे हैं और एक व्यापक ग्राहक आधार तक पहुंच रहे हैं, जो भौगोलिक सीमाओं को पार करता है।
पिछले कुछ महीनों में उपभोक्ता तेजी से ऑनलाइन ऑर्डर कर रहे हैं और एफएंडबी उद्योग में जनवरी से मार्च तक 69 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है, स्कूल, कॉलेजों और ऑनलाइन शिक्षण संस्थानों ने तेजी से फीस और वेतन भुगतान के लिए ऑनलाइन भुगतान स्वीकार किया है, जो कि ऑनलाइन लेनदेन में 40 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।