नईदिल्ली,09 अपै्रल । ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों से अगर ढील दी जाती है, भारत उसी समय वहां से तेल फिर से खरीदने पर विचार करेगा. इससे भारत को अपने आयात के स्रोत को विविध रूप देने में मदद मिलेगी. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह कहा. ईरान पर अमेरिकी सरकार की पाबंदियों के बाद भारत ने 2019 के मध्य में वहां से तेल आयात रोक दिया.ईरान परमाणु समझौते को दोबारा से पटरी पर लाने के इरादे से अमेरिका और दुनिया के अन्य ताकतवर देशों की विएना में बैठक हो रही है. अधिकारी ने कहा, ‘‘एक बार प्रतिबंध हट जाता है, हम ईरान से तेल आयात पर विचार कर सकते हैं.’’ उसने कहा कि भारतीय रिफाइनरी कंपनियों ने इस संदर्भ में तैयारी शुरू कर दी है
वित्त वर्ष 2020-21 में इराक भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता रहा. उसके बाद सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात का स्थान रहा. नाइजीरिया चौथे तथा अमेरिका का स्थान पांचवां था. अपनी जरूरतों का 85 प्रतिशत से अधिक आयात करता है. भारत एक समय ईरान का दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक था. ईरान के कच्चे तेल से कई लाभ हैं. इसमें यात्रा मार्ग छोटा होने से माल ढुलाई लागत में कमी होती है तथा भुगतान के लिये लंबा समय मिलता है.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 2018 में ईरान पर पाबंदी लगाये जाने के बाद से वहां से निर्यात घटता चला गया पिछलेल दिनों पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि वह कच्चे तेल की खरीद किसी ऐसे देश से करेगा, जो अनुकूल कारोबारी शर्तों के साथ सस्ती दरों की पेशकश करेगा. दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक देश भारत की रिफाइनरी कंपनियां आपूर्ति में विविधीकरण के लिए पश्चिम एशिया के बाहर से अधिक तेल की खरीद कर रही हैं.
नईदिल्ली,08 अपै्रल । पोस्ट ऑफिस की तरफ से ग्रामीण आबादी को इंश्योर्ड करने के मकसद से रूरल पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस आरपीएलआई की शुरुआत 1995 में की गई थी. इंडिया पोस्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा के मुताबिक, 31 मार्च 2017 तक इसके जरिए 146 लाख पॉलिसी की जा चुकी है. आरपीएलआई लोगों की अलग-अलग जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 6 तरह की इंश्योरेंस पॉलिसी ऑफर करता है.
ग्राम सुमंगल एक मनी बैक इंश्योरेंस पॉलिसी है. इसका मैक्सिमम सम अश्योर्ड 10 लाख रुपए है. अगर आपको समय-समय पर रिटर्न की जरूरत है तो यह स्कीम शानदार विकल्प है. बीमित व्यक्ति जब तक जिंदा है उसको समय-समय पर मनीबैक का लाभ मिलता है. अगर बीमित व्यक्ति की मौत हो जाती है तो नॉमिनी को कुल सम अश्योर्ड और बोनस मिलेगा. इस पॉलिसी के तहत 2850 रुपए का प्रीमियम जमा करने पर 20 सालों बाद करीब 14 लाख रुपए मिलेंगे.ग्राम सुमंगल के लिए पॉलिसी टर्म 15 साल और 20 साल है. कम से कम 19 साल में इस पॉलिसी को खरीदा जा सकता है.
अधिकतम 40 साल की उम्र तक इसमें एंट्री की जा सकती है. 40 की उम्र में एंट्री लेने पर पॉलिसी टर्म 20 सालों का हो सकता है. अगर 45 की उम्र में एंट्री लेते हैं तो मैक्सिमम पॉलिसी टर्म 15 सालों का होगा.बेनिफिट्स की बात करें तो 15 सालों की पॉलिसी लेने पर पॉलिसी लेने के 6, 9 और 12 साल पूरा होने पर सम अश्योर्ड का 20-20 फीसदी मनीबैक मिलता है. मैच्योरिटी पर 40 फीसदी मनी बैक और बोनस मिलता है. अगर पॉलिसी टर्म 20 सालों का है तो 8,12, 16 साल पूरा होने पर 20-20 फीसदी का मनी बैक मिलेगा. मैच्योरिटी पर 40 फीसदी मनीबैक के साथ में बोनस की राशि मिलती है.
नईदिल्ली,08 अपै्रल । कोरोना की दूसरी लहर से सबसे अधिक असर कंज्यूमर गुड्स, वाहन और कपड़ा उद्योग पर पडऩे की आशंका है। दरअसल, कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में आंशिक लॉकडाउन लगाया गया है। आगे इसका दायरा बढऩे की संभावना है। लॉकडाउन की स्थिति ने इन आइटमों की बिक्री में गिरावट की आशंका पैदा कर दी है।
रिेटलेर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ( आरएआई) ने कहा है कि लॉकडाउन की वजह से महाराष्ट्र में रिटेल बिजनेस को लगभग 50 अरब डॉलर से भी ज्यादा का नुकसान पहुंच सकता है क्योंकि महाराष्ट्र की देश के रिटेल बिजनेस में लगभग दस फीसदी हिस्सेदारी है। देश का रिटेल कारोबार 850 अरब डॉलर है और इसमें से 85 अरब डॉलर की हिस्सेदारी सिर्फ महाराष्ट्र की है। महाराष्ट्र में लॉकडाउन के शुरुआती गाइडलाइंस के मुताबिक गाडिय़ों की डीलरशिप बंद रहेगी. इससे जाहिर है गाडिय़ों की बिक्री पर असर पडऩा तय है। लॉकडाउन की वजह सेे राज्य के 15 हजार रिटेलर्स को आर्थिक नुकसान नहीं होगा।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर से पहले से भारी वित्तीय संकट का सामना कर रही होटल, मल्टीप्लेक्स और पर्यटन उद्योग का हाल और बुरा होगा। हाल के दिनों में मल्टीप्लेक्स, रिटेल चेन और होटल शेयरों में गिरावट दर्ज की गई है। आने वाले समय में कई और राज्यो में लॉकडाउन हो सकती है। ऐसे में होटल, मल्टीप्लेक्स और पर्यटन क्षेत्र की कंपनियां जो इस साल बेहतर कारोबार की उम्मीद लगा रखी थी को बड़ा झटका लगा है। इस साल बढ़ते मामले को देखते हुए इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति औैर नाजुक हो सकती है।
नईदिल्ली,07 अपै्रल । कोरोना महामारी के इस दौर में अगर आप भी अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने या उसे रिन्यू करवाने की सोच रहे है, तो ये खबर आपके लिए राहत देने वाली है. दरअसल, केंद्रीय सडक़, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने और रिन्यू कराने के लिए नई गाईडलाइन जारी कर दी है. इसके तहत आप लर्नर के लाइसेंस की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन के माध्यम से पूरा कर सकेंगे.
इतना ही नहीं, इलेक्ट्रॉनिक सर्टिफिकेट और डॉक्यूमेंट का उपयोग मेडिकल सर्टिफिकेट, लर्नर्स लाइसेंस, सरेंडर ऑफ ड्राइवर्स लाइसेंस, ड्राइविंग लाइसेंस के रिन्यूअल आदि के लिए उपयोग किया जा सकता है. साथ ही नई गाईडलाइन के तहत नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी आसान बनाने पर जोर दिया गया है. रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट का रिन्यूअल अब 60 दिन पहले किया जा सकेगा. वहीं, अस्थायी पंजीकरण की समय सीमा को भी एक महीने से बढ़ाकर छह महीने तक कर दिया गया है.
लर्नर लाइसेंस के लिए प्रक्रिया में भी केंद्र सरकार ने बदलाव किए हैं. इसके तहत ट्यूटोरियल के माध्यम से ड्राइविंग टेस्ट अब ऑनलाइन किया जाएगा. इसका मतलब यह हुआ कि अब आपको लाइसेंस के टेस्ट के लिए आरटीओ के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ड्राइविंग पर ट्यूटोरियल में ट्रैफिक सिग्नल, ट्रैफिक सिग्नल और सडक़ नियमों और रेगुलेशन की जानकारी होगी. लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले आवेदक को टेस्ट में कम से कम 60 फीसदी सवालों के सही जवाब देने होंगे.
नईदिल्ली,07 अपै्रल। आज रिजर्व बैंक की तरफ से चालू कैलेंडर ईयर के लिए दूसरी मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के फैसलों की घोषणा की गई.आरबीआई गवर्नर ने कहा, वित्त वर्ष 2022 में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 10.5 फीसदी पर बरकरार है. उनके मुताबिक, एफवाई22 में रियल जीडीपी ग्रोथ 10.5 फीसदी संभव है. इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भारत में आर्थिक गतिविधियां सामान्य होने लगी हैं. यह इंडियन इकोनॉमी के लिए राहत की खबर है.
उल्लेखनीय है कि मुद्राकोष ने मंगवार को अपने एक अनुमान में भारत की आर्थिक वृद्धि में चालू वित्त वर्ष में इसके शानदार 12.5 फीसदी तक रहने का अनुमान लगाया है. यह दर चीन से भी ऊंची रहेगी. चीन एक मात्र ऐसी बड़ी अर्थव्यवस्था थी जिसने 2020 में वृद्धि दिखाई है. मुद्रा कोष और विश्व बैंक की ग्रीष्मकालीन वार्षिक बैठकों से पहले गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारत के बारे में , ‘पिछले दो एक महीनों से हमें जो प्रमाण मिल रहे हैं उससे दिखता है कि आर्थिक गतिविधियां सामान्य हो रही हैं.’
मुद्राकोष ने अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक शीर्षक रपट में कहा है कि अगले वित्त वर्ष (2022-23) में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.9 फीसदी रहेगी. कोविड19 महामारी से प्रभावित 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में अनुमानित रूप से 8 फीसदी का रिकार्ड संकुचन हुआ है. गोपीनाथ ने एक सवाल के जवाब में कहा कि ‘भारत के संबंध में हमने बहुत हल्का संशोधन किया है जो 2021-22 के लिए एक फीसदी है. मु्द्राकोष से पहले चालू वित्त वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पादन में 2020-21 की तुलना में 11.5 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया था.
इधर भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 5.2 फीसदी पर रहेगी. रिजर्व बैंक ने मार्च में खत्म हुई तिमाही के दौरान मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर पांच फीसदी कर दिया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की पहली नीतिगत समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि प्रमुख मुद्रास्फीति फरवरी 2021 में पांच फीसदी के स्तर पर बनी रही, हालांकि कुछ कारक सहजता की ऊपरी सीमा को तोडऩे की चुनौती उत्पन्न कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि आगे चलकर खाद्य मुद्रास्फीति की स्थिति मानसून की प्रगति पर निर्भर करेगी.
उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति को संशोधित कर पांच फीसदी किया गया है. इसी तरह महंगाई दर के अनुमान वित्त वर्ष 2021-22 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए 5.2 फीसदी, तीसरी तिमाही के लिए 4.4 फीसदी और चौथी तिमाही के लिए 5.1 फीसदी हैं. इससे पहले केंद्रीय बैंक ने 2020-21 की चौथी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था.
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नईदिल्ली,06 अपै्रल। लोन की किस्त अदायगी में छूट जैसे राहत उपायों के चलते 31 मार्च 2021 तक बैंकों ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स 9.6-9.7 फीसदी तक बढऩे का अनुमान है. इक्रा रेटिंग के मुताबिक, बैंकों का जीएनपीए मार्च 2022 तक और बढक़र 9.9-10.2 फीसदी तक हो सकता है. रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी के चलते लोन लेने की क्षमता प्रभावित होने के बावजूद बैंकों के लिए ग्रॉस एनपीए चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले नौ महीनों के दौरान काफी कम 1.8 लाख करोड़ रुपए रही, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 3.6 लाख करोड़ रुपए थी.
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि विभिन्न राहत उपायों के चलते ऐसा हुआ, हालांकि, एसेट्स चलिटी को लेकर दबाव फिर से शुरू होने की आशंका है. इंक्रा ने कहा, हमारा अनुमान है कि 31 मार्च 2021 तक जीएनपीए (राइट-ऑफ को छोडक़र) 9.6-9.7 फीसदी तक बढ़ जाएगा, और 31 मार्च 2022 तक यह आंकड़ा बढक़र 9.9-10.2 फीसदी हो जाएगा. जीएनपीए 31 मार्च 2020 तक 8.6 फीसदी था.
बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोराटोरियम पीरियड के दौरान इंट्रेस्ट पर इंट्रेस्ट भुगतान में छूट की घोषणा की थी. हालांकि यह 2 करोड़ से ज्यादा लोन पर लागू होगा. इससे कम अमाउंट पर नवंबर 2020 में ही इंट्रेस्ट पर इंट्रेस्ट माफ किया गया था. सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 1,800 से 2,000 करोड़ रुपए का ‘नुकसान’ उठाना पड़ सकता है. किस्त के भुगतान पर छूट के दौरान कंपाउंडिंग इंट्रेस्ट समर्थन योजना से सरकार पर 2020-21 में 5,500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ा है.
रिजर्व बैंक ने पिछले साल कोविड-19 महामारी की वजह से सभी टर्म लोन पर 1 मार्च से 31 मई, 2020 तक की किस्तों के भुगतान पर छूट दी थी. बाद में इस अवधि को बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट का निर्देश सिर्फ उन खातों तक सीमित है जिन्होंने भुगतान की छूट का लाभ लिया है. ऐसे में मोटे अनुमान के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को 2,000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा.