0- ताकि ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत हर घर को पहुंचे नल से जल
0- राज्य में प्रत्येक ग्रामीण घर को 2023 तक नल से जल सुनिश्चित करने के लिए केंद्र का भारी प्रोत्साहन
नई दिल्ली ,12 जून । हर घर में नल से शुद्ध पेय जल पहुँचाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना को मूर्त रूप देने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत 2021-22 के लिए अनुदान की राशि बढ़ा कर 1,908.96 करोड़ रुपये कर दी है। पिछले वर्ष केन्द्रीय अनुदान की यह राशि 445.52 करोड़ रुपये थी। राष्ट्रीय जल जीवन मिशन, जल शक्ति मंत्रालय, ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 453.71 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी भी कर दी है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्य के आवंटन में चार गुना वृद्धि को मंजूरी प्रदान करते हुए छत्तीसगढ़ को भरोसा दिया है कि राज्य में प्रत्येक ग्रामीण घर में 2023 तक नल से शुद्ध पेय जल पहुंचाने के लिए उसे हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।
2019 में ‘जल जीवन मिशन’ के शुभारंभ के समय देश में कुल मौजूद 19.20 करोड़ ग्रामीण घरों में से केवल 3.23 करोड़ घरों, यानि मात्र 17 % के यहाँ घरेलू नल कनेक्शन था। और, उसके बाद के 21 महीनों के दौरान - कोविड-19 महामारी की विभीषिका और उसके कारण लगे अनेक लॉकडाउन के बावजूद - ‘जल जीवन मिशन’ ने पूरी निष्ठा, समर्पण और कार्यकुशलता से काम करते हुए सवा चार करोड़ नए घरों तक नल से शुद्ध जल पहुंचाया है। यानि इन 21 महीनों में 22 % प्रगति हासिल की गयी जिसके फलस्वरूप आज देश के ग्रामीण इलाकों के 7.50 करोड़ घरों में (अर्थात 39 %) पीने के साफ पानी की सप्लाई नल से होने लग गयी है। गोवा, तेलंगाना, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और पुदुचेरी ने अपने यहाँ के सभी ग्रामीण घरों में नल कनेक्शन पहुंचा कर 100 % कामयाबी हासिल कर ली है और वे ‘हर घर जल’ प्रदेश बन गए हैं। प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ सिद्धान्त में अंतर्निहित मूल भावना के ही अनुरूप ‘जल जीवन मिशन’ का भी संकल्प है कि ‘कोई भी छूटे ना’ और हर गाँव के हर घर में नल से जल उपलब्ध कराया जाए। आज देश के 62 जिलों और 92 हज़ार से ज़्यादा गावों में हर घर में नल से पेय जल मिल रहा है।
छत्?तीसगढ़ में 19,684 गावों में रह रहे कुल 45.48 लाख परिवारों में से केवल 5.69 लाख ग्रामीण परिवारों (12.51 %) को ही नल से जल की आपूर्ति हो पा रही है। 15 अगस्त 2019 को ‘जल जीवन मिशन’ के शुभारंभ के समय राज्य में 3.19 लाख ग्रामीण घरों (7.03 %) में ही नल जल कनेक्शन था। और, इन 21 महीनों के दौरान भी छत्तीसगढ़ में केवल 2.49 लाख (5.49 %) ग्रामीण घरों तक ही नए नल जल कनेक्शन पहुंचाए जा सके- जो धीमी गति के मामले में पूरे देश में दूसरे नंबर पर है। राज्य को ‘हर घर जल’ बनने के लिए अभी शेष 39.78 ग्रामीण घरों में नल जल कनेक्शन पहुंचाना बाकी है। छत्तीसगढ़ के 5,530 गावों में नल जल कनेक्शन देने के लिए तो अब तक जल आपूर्ति संबंधी कार्य भी शुरू नहीं हुए हैं। ‘हर घर जल’ बनने के लिए राज्य ने 2021-22 के दौरान 22.14 लाख घरों में नल जल कनेक्शन देने की योजना बनाई है, जबकि 2022-23 में 11.37 लाख घरों को तथा 2023-24 में शेष बचे 6.29 लाख घरों तक नल कनेक्शन से पीने का पानी पहुंचाया जाएगा।
पिछले वित्त वर्ष के दौरान छत्तीसगढ़ ‘जल जीवन मिशन’ के तहत केवल 1.51 लाख नल जल कनेक्शन ही उपलब्ध करा पाया था। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस सिलसिले में राज्य के मुख्य मंत्री को पत्र कर छत्तीसगढ़ से आग्रह किया है कि ग्रामीण घरों में नल जल कनेक्शन देने के काम में तेज़ी लायी जाए तथा इस दिशा में हर गाँव में कार्य शुरू कर दिया जाए ताकि राज्य 2023 तक ‘हर घर जल’ बन जाए।
2020-21 के दौरान छत्तीसगढ़ को ‘जल जीवन मिशन’ के तहत केन्द्रीय अनुदान के रूप में 445.52 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन कार्यान्वयन की धीमी रफ्तार के कारण राज्य केवल 334.14 करोड़ रुपये ही आहरित कर पाया, जिस कारण उसे गाँव-देहात की जल आपूर्ति जैसे जनसेवी कार्य के लिए दिए गए 111.48 करोड़ रुपये लौटाने पड़े। छत्तीसगढ़ के लिए केंद्रीय आवंटन (1,908.96 करोड़ रुपये) में इस वित्त वर्ष में हुई इस चार गुना वृद्धि, पिछले वित्त वर्ष के अंत में खर्च न हो पाए 168.52 करोड़ रुपये की राशि और राज्य के समतुल्य अंश के रूप में दी गई राशि में 113.04 करोड़ रुपये की कमी वाली राशि के साथ मौजूदा वित्त वर्ष के लिए राज्य के समतुल्य अंश की राशि को जोड़ कर राज्य के पास ‘जल जीवन मिशन’ से जुड़े कार्यों के लिए 2021-22 में समग्र रूप से 4,268 रुपये पक्के तौर पर उपलब्ध हैं। यानि, ‘हर घर जल’ के लिए धन की कोई कमी नहीं है। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने उम्मीद जताई है कि छत्तीसगढ़ सरकार इस विशाल धनराशि का भरपूर उपयोग कर राज्य के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल जल कनेक्शन सुनिश्चित कर पाएगी।
इसके अलावा, 15वें वित्?त आयोग के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्?थाओं को जलापूर्ति एवं स्?वच्?छता के लिए दी जाने वाली राशि के रूप में छत्तीसगढ़ को 2021-22 में 646 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके फलस्वरूप, राज्य को अगले पांच वर्षों यानी 2025-26 तक 3,402 करोड़ रुपये का पक्का आश्वासन है। राज्य के ग्रामीण इलाकों में इस विशाल राशि के निवेश से निश्चित तौर पर रोजगार के व्यापक अवसर पैदा होंगे तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई तेज़ी और मजबूती आएगी।
स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में बच्चों के लिए शुद्ध पेय जल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सौ दिन के विशेष अभियान की घोषणा की थी, जिसका शुभारंभ केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत तथा राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया ने 2 अक्तूबर 2020 को किया था। इसके परिणामस्वरूप अनेक राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों: हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, आंध्र प्रदेश, गोवा, तमिल नाडु, तेलंगाना तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह ने स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में भी नल से शुद्ध पेय जल उपलब्ध करने का प्रावधान किया है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री, गजेन्द्र सिंह शेखावत ने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की है कि छत्तीसगढ़ में केवल 11,521 स्कूलों (25 %) और 4,810 आंगनवाड़ी केन्द्रों (10 %) में ही नल से पेय जल की व्यवस्था है। उन्होने राज्य का आह्वान किया है कि अगले कुछ महीनों में सभी शेष स्कूलों, आंगनवाड़ी केन्द्रों और आश्रमशालाओं में भी नल से पेय जल पहुंचाया जाए ताकि बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छ माहौल उपलब्ध कराया जा सके।
‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत राज्यों को जल संकटग्रस्त/ सूखाप्रभावित क्षेत्रों, जल गुणवत्ता प्रभावित गांवों, आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति बहुल गांवों, सांसद आदर्श ग्राम योजना गांवों, आदि को प्राथमिकता प्रदान करनी होती है।
इसी प्रकार, जल-गुणवत्ता निगरानी तथा पर्यवेक्षण से जुड़ी गतिविधियों को प्राथमिकता देना भी जरूरी है, जैसे कि प्रत्येक गांव में 5 महिलाओं को प्रशिक्षित करना, पेयजल-स्रोत की जांच करवाना, नियमित स्वच्छता सर्वेक्षण करवाना, जल-जांच प्रयोगशालाओं को आम जनता के लिए खोलना, जल-जांच प्रयोगशालाओं को और बेहतर बनाना, आदि। छत्तीसगढ़ में मौजूद 68 जल जांच प्रयोगशालाओं में से केवल 3 ही एनएबीएल से प्रमाणीकृत हैं। राज्य को शेष प्रयोगशालाओं को भी और बेहतर बनाना होगा तथा ज़्यादा से ज़्यादा प्रयोगशालाओं को एनएबीएल प्रमाणीकरण दिलाने का प्रयास करना होगा।
‘जल जीवन मिशन’ अपनी कार्यप्रणाली में विकास के ‘नीचे से ऊपर की ओर’ के दृष्टिकोण को अपनाए हुये है, जिसमें स्थानीय लोगों को समूची प्रक्रिया के प्रारम्भ से ही साझीदार के रूप में शामिल किया जाता है। इसे हासिल करने के लिए राज्य सरकार को कुछ और सहयोग गतिविधियां भी चलानी होंगी जैसे कि ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति/ पानी समिति को सुदृढ़ और अधिकारसमपन्न बनाना, अगले पाँच वर्षों के लिए ग्राम कार्य योजना बनाना तथा स्वयंसेवी संस्थाओं को ‘कार्यान्वयन सहयोग एजेंसियों’ (आई.एस.ए.) के रूप में शामिल करना ताकि वे सामुदायिक जागृति पैदा करने, ग्रामीणों के प्रशिक्षण और आईईसी गतिविधियों, आदि में मदद कर सकें। छत्तीसगढ़ में गावों की विशाल संख्या के मद्देनजर उसे 2021-22 के लिए निर्धारित 14 की बजाय और ज़्यादा संख्या में कार्यान्वयन सहयोग एजेंसियां शामिल करनी होंगी। ग्रामीण लोगों को इस प्रकार से सहयोग प्रदान करना और उनकी क्षमता में वृद्धि करना हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए चलाई जा रही जल आपूर्ति प्रणाली को लंबे समय तक चलाने तथा उनके प्रचालन और रखरखाव के लिए निर्णायक साबित होती हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से घोषित ‘जल जीवन मिशन’ का लक्ष्य देश के सभी ग्रामीण घरों को 2024 तक नल के जरिये शुद्ध पेय जल उपलब्ध कराना है। इस मिशन को राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों की साझेदारी में चलाया जा रहा है। ‘जल जीवन मिशन’ के लिए इस वित्त वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि उपलब्ध है (केंद्रीय अनुदान के 50,011 करोड़ रुपये, राज्यों का समतुल्य अंश, तथा 15वें वित्त आयोग के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों/ पंचायती राज संस्थाओं को जल एवं स्वच्छता कार्यों के लिए निर्धारित 26,940 करोड़ रुपये) जो गाँव-देहात की पेय जल आपूर्ति परियोजनाओं पर खर्च की जानी है। निश्चित तौर पर इस विशाल धनराशि से देश के ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं, और गाँव-देहात की अर्थव्यवस्था को नई शक्ति, नई ऊंचाई हासिल हो रही है।
0- यह संख्या 70 दिनों के बाद सबसे कम
नई दिल्ली ,12 जून । भारत में दैनिक नये मामलों की संख्या में लगातार कमी दर्ज की जा रही है। पिछले 24 घंटे में देश में 84,332 दैनिक नये मामले दर्ज किए गए। लगातार पांचवें दिन देश में कोविड-19 के नये मामलों की संख्या एक लाख से कम दर्ज की गयी। यह केंद्र और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के सहयोग से किए जा रहे प्रयासों का नतीजा है। भारत में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या लगातार घट रही है। सक्रिय मामलों की संख्या गिरकर आज 10,80,690 हो गयी। लगातार 12वें दिन यह संख्या 20 लाख से कम है।
पिछले 24 घंटे में सक्रिय मामलों की संख्या में कुल 40,981 की कमी आयी है। यह अब देश के कुल कोविड पॉजिटिव मामलों का केवल 3.68 प्रतिशत है।
साथ ही लगातार 30वें दिन भारत में बीमारी से स्वस्थ होने वाले लोगों की दैनिक संख्या कोविड-19 के दैनिक नए मामलों से ज्यादा हैं। पिछले 24 घंटे में बीमारी से 1,21,311 लोग स्वस्थ हुए हैं। पिछले 24 घंटे में दैनिक नये मामलों की तुलना में बीमारी से 36,979 ज्यादा लोग स्वस्थ हुए हैं। भारत में महामारी के शुरू होने के बाद से पहले ही कुल 2,79,11,384 लोगों में कोविड-19 ठीक हो चुका है और पिछले 24 घंटे में बीमारी से कुल 1,21,311 लोग स्वस्थ हुए हैं। बीमारी से स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर भी बेहतर होकर 95.07 प्रतिशत हो गयी है और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है। भारत में पिछले 24 घंटे में कुल 19,20,477 जांच हुई जिसके साथ अब तक हुए जांच की कुल संख्या 37.62 करोड़ से ज्यादा (37,62,32,162) है।
जहां एक तरफ पूरे देश में कोविड की जांच बढ़ गयी है, वहीं दूसरी तरफ साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट भी लगातार घट रहा है। साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट इस समय 4.94 प्रतिशत है जबकि दैनिक पॉजिटिविटी रेट आज 4.39 प्रतिशत हो गया। यह लगातार 19 दिनों से 10 प्रतिशत से कम बना हुआ है।
राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत आज देश में कोविड-19 के टीके की दी जा चुकी खुराक की कुल संख्या करीब 25 करोड़ हो गयी। पिछले 24 घंटे में टीके की 34,33,763 खुराक दी गयीं।
अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार आज सुबह सात बजे तक 34,64,228 सत्रों में कोविड-19 के टीके की कुल 24,96,00,304 खुराक दी जा चुकी हैं।
नई दिल्ली ,12 जून । वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) एवं लैक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड हैदराबाद, को भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई)द्वारा कोविड-19 रोगियों के उपचार के दौरान नैदानिक परिणामों में सुधार के लिए कोल्किसिन दवाकी सुरक्षा और प्रभावकारिता का आकलन करने के लिए टू-आर्म फेज-2 क्लीनिकल ट्रायल करने के लिए विनियामकीय मंजूरी मिल गयी है। इस महत्वपूर्ण क्लीनिकल ट्रायल में सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी), हैदराबाद और सीएसआईआर-भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान (आईआईआईएम), जम्मू भागीदार हैं।
सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने गठिया और संबंधित ज्वलनशील दशाओं के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली इस अनुमोदित दवा के क्लीनिकल ट्रायल के लिए दी गई मंजूरी पर खुशी जाहिर की। सीएसआईआर महानिदेशक के सलाहकार डॉ. राम विश्वकर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वास्थ्य सेवा मानक के साथ संयोजन में कोल्किसिन हृदय संबंधी सह-रुग्णता वाले कोविड रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण चिकित्सीय हस्तक्षेप होगा और साथ ही प्रिनफ्लेमेटरी साइटोकिन्स को कम करने में भी मददगार होगा, जिससे रोगियों की दशा में तेजी से सुधार होगा। कई वैश्विक अध्ययनों ने अब इस बात की पुष्टि की है कि कोविड-19 संक्रमण और पोस्ट-कोविड सिंड्रोम के दौरान हृदय संबंधी जटिलताओं से कई लोगों की जान चली जाती हैऔर इसलिए नई दवाओं या नये उद्देश्य वाले दवाओं की तलाश करना आवश्यक है।
डॉ. एस चंद्रशेखर (निदेशक सीएसआईआर-आईआईसीटी, हैदराबाद) और डॉ. डीएस रेड्डी (निदेशक, सीएसआईआर-आईआईआईएम, जम्मू) और सीएसआईआर के दो सहयोगी संस्थानों ने कहा कि वे कोल्किसिन से जुड़े इस फेज-2नैदानिकप्रभावकारिता परीक्षण के परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिससे अस्पताल में भर्ती मरीजों के प्रबंधन में जीवन रक्षक हस्तक्षेप हो सकता है। भारत इस प्रमुख दवा के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है और अगर यह सफल रहा तो इसे मरीजों को सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराया जाएगा।
लैक्साई के सीईओ डॉ. राम उपाध्याय ने बताया कि भारत भर में कई साइटों पर मरीजों का नामांकन शुरू हो चुका है और अगले आठ से 10 हफ्तों में ट्रायल पूरा होने की संभावना है। उन्होंने आगे कहा कि इस ट्रायल के परिणामों और नियामकीय मंजूरी के आधार पर यह दवा भारत की बड़ी आबादी को उपलब्ध कराई जा सकती है।
प्रमुख चिकित्सा पत्रिकाओं में हाल में प्रकाशित हुए नैदानिक अध्ययनों के अनुसार कोल्किसिन का दिल की सर्जरी और एट्रियल फाइब्रिलेशन एब्लेशन के बाद रिकरंट पेरीकार्डिटिस, पोस्ट-पेरीकार्डियोटॉमी सिंड्रोम और पेरी-प्रोसिजरल एट्रियल फाइब्रिलेशन की दरों में होने वाली महत्वपूर्ण कमी से संबंध है।
नई दिल्ली ,12 जून । रक्षा मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए युद्धों और अभियानों के इतिहास के संग्रह, संकलन, प्रकाशन और उन्हें सार्वजनिक करने की नीति को मंजूरी दे दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को इस नीति को मंजूरी दी। इस नीति के तहत रक्षा मंत्रालय का प्रत्येक संगठन जैसे सेनाएं, एकीकृत रक्षा स्टाफ, असफ राइफल्स और भारतीय तटरक्षक युद्ध डायरियों, कार्यवाही से संबंधित पत्रों, संचालन संबंधी रिकार्ड बुक और अन्य सभी रिकार्ड रक्षा मंत्रालय के इतिहास विभाग को भेजेंगे जिससे कि उन्हें संकलित और संग्रहित कर इतिहास लेखन के काम में इस्तेमाल किया जा सके। रिकार्ड को सार्वजनिक करने की जिम्मेदारी पब्लिक रिकार्ड एक्ट 1993 और पब्लिक रिकार्ड रूल 1997 के तहत संबंधित संगठन की ही होगी। नयी नीति के अनुसार सामान्य तौर पर रिकार्ड 25 वर्षों में सार्वजनिक किए जाने चाहिए। पच्चीस वर्षों से पुराने रिकार्ड युद्ध और अभियानों के इतिहास के संकलन तथा विशेषज्ञों को सूचना देने के बाद राष्ट्रीय अभिलेखागार में भेजे जाने चाहिए।
युद्ध और अभियानों के संकलन, मंजूरी और प्रकाशन के समन्वय की जिम्मेदारी इतिहास विभाग की होगी। नीति में रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का प्रावधान किया गया है जिसमें सेनाओं, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के साथ साथ अन्य संगठनों के प्रतिनिधि और जरूरत पडऩे पर जाने माने सैन्य इतिहासकार शामिल होंगे जो इतिहास का संकलन करेंगे। इस समिति का गठन युद्ध के दो वर्ष के अंदर किया जाना होगा और इसे तीन वर्षों में रिकार्ड का संकलन उसे संबंधित पक्षों को भेजना होगा।
इस नीति की सिफारिश कारगिल समीक्षा समिति ने की थी और इसका उद्देश्य विभिन्न सबकों का विश्लेषण करना तथा भविष्य में गलतियों को न दोहराना है। इसके अलावा युद्धों के इतिहास के समय से प्रकाशन से लोगों को घटनाओं की सही जानकारी मिलेगी और शोध में मदद के साथ साथ अफवाहों से निपटने में मदद मिलेगी।
0- एंबुलेंस समेत कई दवाइयों पर टैक्स की दर घटी
नई दिल्ली ,12 जून । आज जीएसटी काउंसिल की 44वीं बैठक हुई। बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की। बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए जैसे कि कोविड संबंधी दवा, वैक्सीन और अन्य जरूरी वस्तुओं जैसे कि एम्बुलेंस आदि पर जीएसटी की दर घटाने का अहम फैसला लिया गया। केंद्र सरकार ने इन सभी आवश्यक वस्तुओं पर लगने वाले जीएसटी कर की अलग-अलग दरों को जरूरत के आवश्यकता के अनुसार घटाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि परिषद में टीके पर पांच फीसदी की कर दर को कायम रखने पर सहमति बनी है। इसके साथ ही एम्बुलेंस पर जीएसटी की दर को 28 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी किया गया है। परिषद ने रेमडेसिविर पर कर की दर को 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करने को लेकर सहमति दी है। टोसिलिमैब, एम्फोटेरिसिन पर भी कोई कर नहीं लगेगा। सीतारमण ने कहा कि जीएसटी परिषद ने मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, बीआईपीएपी मशीनों, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वेंटिलेटर, पल्स ऑक्सीमीटर पर कर की दर को 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया है। ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए काउंसिल ने इसके इलाज में काम आने वाली दवा पर जीएसटी की दर शून्य कर दी है।
2 नागरिकों की भी मौत
श्रीनगर ,12 जून । जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले की घटना सामने आई है। यहां के सोपोर के आरामपोरा में नाका पर आतंकियों ने पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम पर हमला कर दिया है। इस हमले में 2 पुलिसकर्मी शहीद हो गए और 2 आम नागरिकों की मौत हो गई है। वहीं कई लोग घायल भी हुए हैं। सुरक्षाबलों का सर्च ऑपरेशन जारी है। आतंकियों की तलाश की जा रही है। मिली जानकारी के अनुसार सोपोर के अरंपोरा में तैनात पुलिस और सीआरपीएफ की नाका पार्टी को निशाना बनाकर आतंकियों ने फायरिंग की। हमला करने के बाद आतंकी फरार हो गए। हमलावरों को पकडऩे के लिए इलाके की घेराबंदी कर बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
इससे पहले शुक्रवार को शोपियां में लिटर अग्लर इलाके में तैनात पुलिस और सीआरपीएफ की नाका पार्टी को आतंकियों ने दूर से निशाना बनाकर कई राउंड फायरिंग की थी। इसके बाद आतंकी फरार हो गए। हालांकि इस हमले में किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ था।
आतंकी संगठन लगातार सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की साजिशें रच रहे हैं। घाटी में आतंकियों की दो साजिशों को सुरक्षाबलों ने सोमवार को नाकाम किया था। श्रीनगर नगर निगम के बाहर और त्राल में प्लांट की गई आईईडी बरामद कर आतंकियों के मंसूबे को विफल करने में सफलता मिली। दोनों ही स्थानों पर सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान चलाया, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा।