चित्रकूट। लगातार तीन दिनों से मूसलाधार बारिश के चलते मन्दाकिनी नदी का पानी बढने के साथ खतरा बढता जा रहा है। मन्दाकिनी खतरे के निशान को पार कर चुकी है। खतरे का निशान पारकर पानी दुकानों में भर गया है। रामघाट पर नाव चल रही हैं।
पिछले एक सप्ताह से थम-थमकर हो रही बारिश अब आफत बनती जा रही है। बारिश से जानकीकुण्ड, भरतघाट, रामघाट समेत नयागांव के कई इलाके जलमग्न हो चुके हैं। भरतघाट, आरोग्यधाम घाट डूब चुके हैं। पानी बढने के साथ खतरा बढता जा रहा है। मन्दाकिनी नदी खतरे के निशान को पारकर दुकानों में पानी भरने से रामघाट में नाव चलने लगी हैं। गुप्त गोदावरी में भी मन्दाकिनी नदी का पानी पहुंचने से अब पानी सडक से लेकर दुकानों तक में भर रहा है।
इससे गुप्त गोदावरी जाने वाले श्रद्धालुओं को रोका गया है। रामघाट और नदी किनारे वाले स्थानों पर एलर्ट जारी किया गया है। पाठा के दर्जन भर गांवों का शहर से कनेक्शन टूट गया है। बरदहा नदी में बाढ से ग्रामीणों की मुसीबतें बढ गई हैं। चमरौंहा, मऊ गुरदरी, पयासीपुरवा, रानीपुर समेत दर्जनों गांवों में बाढ का खतरा मंडरा रहा है। जिलाधिकारी शुभ्रांत कुमार शुक्ल ने क्षेत्रीय अधिकारियों को राहत कार्य में जुटने के निर्देश दिये हैं। पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल ने रामघाट से लेकर मन्दाकिनी पुलघाट किनारे पुलिस कर्मियों को तैनात रहने के निर्देश दिये हैं।
नई दिल्ली । आज से एक महीने के लिए भारत के हाथों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कमान होगी। भारत कल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालेगा और इस महीने के दौरान समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना की कवायद करने और आतंकवाद पर कड़ा प्रहार करने को तैयार है। महासभा अध्यक्ष के कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने यूएन महासभा प्रमुख को भारत की अध्यक्षता के दौरान होने वाली मुख्य गतिविधियों से अवगत कराया है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने अध्यक्षता संभालने की पूर्व संध्या पर एक वीडियो संदेश में कहा कि जब हम अगस्त में अपना 75 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं, उसी महीने सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करना हमारे लिए एक सम्मान की बात है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बतौर अध्यक्ष भारत का पहला कार्य दिवस सोमवार यानी 2 अगस्त को होगा। तिरुमूर्ति संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में महीने भर के लिए परिषद के कार्य को लेकर कार्यक्रम पर प्रेस वार्ता करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक कार्यक्रम के अनुसार, तिरुमूर्ति संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के लिए एक ब्रीफिंग भी प्रदान करेंगे, जो महीने के लिए परिषद के गैर-सदस्य हैं। सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का दो साल का कार्यकाल 1 जनवरी, 2021 को शुरू हुआ। यह सुरक्षा परिषद के गैर स्थायी सदस्य के तौर पर 2021-22 कार्यकाल के दौरान भारत की पहली अध्यक्षता है। भारत अगले साल दिसंबर में फिर से सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करेगा।
अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत समुद्री सुरक्षा, शांति रक्षा और आतंकवाद को रोकने जैसे विषयों पर ध्यान देगा तथा इन मुद्दों पर उच्च स्तरीय कार्यक्रमों की अध्यक्षता करेगा और ठोस रणनीति बनाने पर जोर देगा। तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत परिषद के भीतर और बाहर दोनों जगह आतंकवाद से लडऩे पर जोर देता रहा है। हमने आतंकवाद से लडऩे के प्रयासों को न केवल मजबूत किया है खासतौर से आतंकवाद के वित्त पोषण को, बल्कि हमने आतंकवाद पर ध्यान को कमजोर करने की कोशिशों को भी रोका है।
इस साल की शुरुआत में भारत ने कहा था कि इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवांत (आईएसआईएल) पर महासचिव की रिपोर्ट में आईएसआईएल तथा अल कायदा के तहत आने वाले प्रतिबंधित संगठन मसलन लश्कर-ए-तैयबा और अन्य पाकिस्तानी आतंकवादी समूह मसलन जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियां भी शामिल होनी चाहिए। आतंकवाद से संबंधित मुद्दों पर हाल के महीनों में भारत की भूमिका पर जोर देते हुए तिरुमूर्ति ने कहा कि वैश्विक आतंकवाद रोधी रणनीति पर भारत ने इस रणनीति के अंतिम परिणाम को आकार देने में अत्यधिक सक्रिय भूमिका निभाई।
नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज भारतीय भाषाओं के संरक्षण और कायाकल्प के लिए अभिनव और सहयोगपूर्ण प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भाषाओं को संरक्षित करना और उनकी निरंतरता सुनिश्चित करना केवल एक जन आंदोलन के माध्यम से ही संभव है। नायडु ने कहा कि हमारी भाषा की विरासत को हमारी आने वाली पीढिय़ों को हस्तांतरित करने के प्रयासों में लोगों को एक स्वर से साथ आना चाहिए।
भारतीय भाषाओं को संरक्षित करने के लिए विभिन्न लोगों द्वारा संचालित मार्मिक पहलों पर बात करते हुए, उपराष्ट्रपति ने एक भाषा को समृद्ध बनाने में अनुवाद की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय भाषाओं में अनुवादों की गुणवत्ता और संख्या में सुधार के लिए प्रयास बढ़ाने का आह्वान किया। नायडु ने युवाओं के लिए बोली जाने वाली भाषाओं में प्राचीन साहित्य को अधिक सुलभ और संबंधित बनाने की भी सलाह दी। अंत में, उन्होंने लुप्तप्राय और पुरातन शब्दों को ग्रामीण क्षेत्रों और विभिन्न बोलियों की भाषा में संकलित करने का भी आह्वान किया ताकि उन्हें भावी पीढ़ी के लिए संरक्षित किया जा सके।
मातृभाषाओं के संरक्षण पर तेलुगु कूटमी द्वारा आयोजित एक वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित करते हुए, नायडु ने आगाह किया कि अगर किसी की मातृभाषा लुप्त जाती है, तो उसकी आत्म-पहचान और आत्म-सम्मान अंतत: खो जाएगी। उन्होंने कहा कि हम अपनी विरासत के विभिन्न पहलुओं संगीत, नृत्य, नाटक, रीति-रिवाजों, त्योहारों, पारंपरिक ज्ञान को केवल अपनी मातृभाषा के जरिये ही संरक्षित कर सकते हैं।
इस अवसर पर नायडू ने भारत के मुख्य न्यायाधीश, एन.वी रमना की हालिया पहल की सराहना की, जिन्होंने एक महिला को अपनी मातृभाषा तेलुगु में अपनी परेशानियों को बताने की अनुमति देकर एक सौहार्दपूर्ण तरीके से 21 साल पुराने वैवाहिक विवाद को हल किया जब उन्होंने देखा कि उस महिला को धाराप्रवाह अंग्रेजी में बोलने में कठिनाई हो रही है। उन्होंने कहा कि यह मामला न्यायिक प्रणाली की आवश्यकता पर बदल देता है ताकि लोग अदालतों में अपनी मूल भाषाओं में अपनी समस्याओं को बता सकें और क्षेत्रीय भाषाओं में आदालत निर्णय भी दे सकें।
उपराष्ट्रपति ने प्राथमिक विद्यालय स्तर तक मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने और प्रशासन में मातृभाषा को प्राथमिकता देने के महत्व को भी दोहराया।
नायडू ने एक दूरदर्शी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लाने के लिए केंद्र सरकार की सराहना की, जो हमारी शिक्षा प्रणाली में मातृभाषा के उपयोग पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि एनईपी की परिकल्पना के अनुसार समग्र शिक्षा तभी संभव है जब हमारी संस्कृति, भाषा और परंपराओं को हमारी शिक्षा प्रणाली में एकीकृत किया जाए।
उन्होंने नए शैक्षणिक वर्ष से विभिन्न भारतीय भाषाओं में पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों के हालिया निर्णय की सराहना की। उन्होंने तकनीकी पाठ्यक्रमों में भारतीय भाषाओं के उपयोग में क्रमिक तरीके से बढ़ाने का आह्वान किया। उपराष्ट्रपति ने लुप्तप्राय भाषाओं के सुरक्षा और संरक्षण के लिए योजना (एसपीपीईएल) के माध्यम से लुप्त हो रही देशी भाषाओं की रक्षा करने की पहल के लिए शिक्षा मंत्रालय के प्रयासों की भी सराहना की।
मातृभाषा के संरक्षण में दुनिया में विभिन्न सर्वोत्तम परिपाटी का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने भाषा के प्रति उत्साही भाषाविदों, शिक्षकों, अभिभावकों और मीडिया से ऐसे देशों से पूरा ज्ञान लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों ने इंजीनियरिंग, चिकित्सा और कानून जैसे विभिन्न उन्नत विषयों में अपनी मातृभाषा का उपयोग करते हुए खुद को अंग्रेजी बोलने वाले देशों के मुकाबले हर क्षेत्र में मजबूत साबित किया है।
नायडू ने व्यापक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय भाषाओं में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली में सुधार का भी सुझाव दिया।
यह देखते हुए कि मातृभाषा को महत्व देने का अर्थ अन्य भाषाओं की उपेक्षा नहीं है, नायडु ने बच्चों को अपनी मातृभाषा में मजबूत नींव के साथ अधिक से अधिक भाषाएं सीखने के लिए प्रोत्साहित करने का आह्वान किया।
तेलंगाना सरकार के सलाहकार के.वी. रामनाचारी, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, नंदीवेलुगु मुक्तेश्वर राव, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी, चेन्नुरु अंजनेय रेड्डी, तेलुगु एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (टीएएनए) के पूर्व अध्यक्ष, तल्लूरी जयशेखर, द्रविड़ विश्वविद्यालय के डीन, पुलिकोंडा सुब्बाचारी, तेलंगाना के पूर्व साहित्य अकादमी अध्यक्ष नंदिनी सिद्धारेड्डी, लिंग्विस्टिक सोसाइटी ऑफ इंडिया की अध्यक्ष, गरपति उमामहेश्वर राव, तेलुगु कूटमी के अध्यक्ष, पारुपल्ली कोदंडारमैया और अन्य गणमान्य लोगों ने इस आभासी कार्यक्रम में भाग लिया।
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(नई दिल्ली)संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने जी20 देशों के संस्कृति मंत्रियों की बैठक को किया संबोधित
नई दिल्ली । संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने 30 जुलाई, 2021 को जी20 संस्कृति मंत्रियों की बैठक में भाग लिया। इस बैठक की मेजबानी इटली ने 2021 में जी20 की अध्यक्षता के अपने कार्यकाल के दौरान की।
बैठक के दौरान जिन विषयों पर चर्चा हुई उनमें सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण, संस्कृति के जरिये जलवायु संकट को दूर करना, प्रशिक्षण एवं शिक्षा के जरिये क्षमता निर्माण, संस्कृति के लिए डिजिटल बदलाव एवं नई प्रौद्योगिकी और विकास के वाहक के तौर पर संस्कृति एवं रचनात्मक क्षेत्र शामिल हैं।
संस्कृति राज्यमंत्री ने बैठक के प्रतिभागियों को संबोधित किया और विकास के वाहक के तौर पर संस्कृति एवं रचनात्मक क्षेत्र विषय पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया। उन्होंने आर्थिक विकास एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए संस्कृति एवं रचनात्मक क्षेत्रों के महत्व को उजागर किया। उन्होंने हथकरघा, हस्तशिल्प एवं खादी जैसे पर्यावरण के कहीं अधिक अनुकूल उत्पाद तैयार करने और उनके उपभोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं, युवाओं और स्थानीय समुदायों को अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय समुदायों की क्षमता, महत्व और भारत के लिए प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया। स्थानीय समुदायों की काफी समृद्ध एवं विविध सांस्कृतिक परंपराएं होती हैं।
लेखी ने इस बात पर जोर दिया कि संस्कृति एवं रचनात्मक क्षेत्र रोजगार सृजन, असमानताओं घटाकर, स्थायी विकास को बढ़ावा देकर और लोगों को अलग पहचान प्रदान करते हुए विकास को गति दे सकते हैं।
लेखी ने संस्कृति एवं रचनात्मक क्षेत्रों के विकास के लिए भारत द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों पर प्रकाश डाला। इसी क्रम में उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की योजना वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट यानी एक जिले से एक उत्पाद योजना, पर्यटन सर्किट, योग एवं आयुर्वेद को बढ़ावा आदि का उल्लेख किया।
संस्कृति राज्य मंत्री ने सांस्कृतिक एवं रचनात्मक क्षेत्रों से जुड़े सामान्य मुद्दों से निपटने और सार्वजनिक नीतियों के बारे में उपयुक्त सूचना देने एवं उन्हें लागू करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वार्ता एवं सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने समाज के सांस्कृतिक एवं रचनात्मक क्षेत्रों की मदद एवं सुविधा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक प्रयासों में भारत के सहयोग की प्रतिबद्धता को दोहराया।
चर्चा के अंत में जी20 संस्कृति मंत्रियों ने जी20 संस्कृति कार्य समूह की संदर्भ शर्तों को स्वीकार किया। जी20 के संस्कृति मंत्रियों ने जी20 नेताओं के 2021 शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत करने के लिए मंत्रिस्तरीय घोषणा को अंगीकृत किया। राष्ट्रीय एवं वैश्विक स्तर पर संस्कृति के जबरदस्त आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव को देखते हुए इसे जी20 कार्य धारा में शामिल करने की वकालत की जाएगी।
नई दिल्ली । सीमा सडक़ संगठन (बीआरओ) हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के दौरान बचाव और राहत अभियान का संचालन कर रहा है। लाहौल और स्पीति घाटी में, रणनीतिक मनाली-सरचू मार्ग को कई स्थानों पर भूस्खलनों के कारण यातायात के लिए बंद कर दिया गया था। शिमला स्थित बीआरओ की परियोजना दीपक ने बचाव और राहत अभियान को संचालित करने और क्षतिग्रस्त सडक़ को साफ करने के कार्यों को अंजाम देने के लिए कर्मियों और उपकरणों के साथ अपने प्रशिक्षित अभियंता कार्यबल को शीघ्र इस स्थल पर भेजा।
29 जुलाई, 2021 को मनाली-लेह मार्ग पर बारालाचला दर्रे के आगे सरचू के पास ऐसे ही एक हिस्से पर, महिलाओं और बच्चों सहित कई लोग फंसे हुए थे और इस क्षेत्र के अत्यधिक ऊंचाई पर होने के कारण ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं का सामना कर रहे थे। बीआरओ टीम ने 14,480 फीट की ऊंचाई पर स्थित केनलुंग सराय के पास अन्य भूस्खलनों की एक श्रृंखला से अवरूद्ध हुए मार्ग को साफ करते हुए लोगों को बचाया। हालांकि, बचाव प्रयासों में शामिल दीपक प्रोजेक्ट के नायक रीतेश कुमार पाल ने अपने प्राण गँवा दिए। बाद में सडक़ को यातायात के लिए खोल दिया गया।
27 जुलाई, 2021 को एक अन्य घटना में, भारी भूस्खलन के कारण अवरुद्ध किलर-टांडी सडक़ मार्ग को खोलने के लिए बीआरओ के एक अलग अभियंता कार्य बल को तैनात किया गया था। क्षेत्र में दो यात्री वाहन फंसे हुए थे। पहले से ही इस मार्ग में दो भूस्खलनों को साफ करने वाले इस दल ने फिसलन भरे इस इलाके में फंसे नागरिकों के जीवन को बचाने के लिए देर रात तक निकासी अभियान चलाया। कार्य संचालन के दौरान, टीम के कुछ सदस्य, छह नागरिक और एक नागरिक वाहन अचानक आई बाढ़ में बह गए। घटना में कनिष्ठ अभियंता राहुल कुमार की मृत्यु हो गई, जबकि अन्य को बीआरओ कर्मियों ने बचा लिया।
बाद में बीआरओ कर्मियों ने भूस्खलन से अवरूद्ध हुए मार्ग को साफ किया, फंसे हुए यात्रियों को बचाते हुए उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।
नई दिल्ली । लेफ्टिनेंट जनरल तरुण कुमार चावला, एवीएसएम आज 1 अगस्त 2021 को आर्टिलियरी के महानिदेशक का पदभार ग्रहण करेंगे। उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल के रवि प्रसाद, पीवीएसएम, वीएसएम से यह कार्य संभाला है, जो दिनांक 2021 को सेना में सेवा के उनतीस साल पूरे करने के बाद सेवानिवृत्त हो गए हैं।
जनरल ऑफिसर सेंट थॉमस हाई स्कूल, देहरादून और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के पूर्व छात्र हैं। उन्हें जून 1984 में आर्टिलयरी फील्ड रेजिमेंट में कमीशन प्रदान किया गया था और उन्होंने इस क्षेत्र के व्यापक स्पेक्ट्रम में काम किया है और कई कमांड, स्टाफ और निर्देशात्मक नियुक्तियों में अपनी सेवा प्रदान की है। उन्होंने वेस्टर्न और ईस्टर्न दोनों सेक्टर्स में एक आर्टिलियरी रेजिमेंट की कमान संभाली। उन्होंने नियंत्रण रेखा पर एक आर्टिलियरी ब्रिगेड और बाद में वेस्टर्न थिएटर में एक आर्टिलियरी डिवीजन की कमान संभाली है।
वह डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन, कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट सिकंदराबाद और नेशनल डिफेंस कॉलेज नई दिल्ली के पूर्व छात्र हैं, उन्होंने मिलिट्री सेक्रेट्री ब्रांच, तत्कालीन परस्पेक्टिव और अब स्ट्रैटेजिक कहलाने वाले प्लानिंग डायरेक्टरेट, नॉर्दर्न सेक्टर में इन्फैंट्री डिवीजन तथा अंतत: फाइनेंशियल प्लानिंग ब्रांच में डीजी का पदभार संभाला है । वह डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंगटन में नियुक्ति के अलावा स्कूल ऑफ आर्टिलियरी देवलाली और कॉलेज ऑफ डिफेंस मैनेजमेंट सिकंदराबाद में प्रशिक्षक रहे हैं।
जनरल ऑफिसर ने लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनओएमआईएल) में एक मिलिट्री ऑब्ज़र्वर के रूप में कार्य किया। उनकी शिक्षा की बात करें तो रक्षा और रणनीतिक अध्ययन तथा हथियार प्रणाली में मास्टर डिग्री और रक्षा एवं रणनीतिक अध्ययन में एमफिल की डिग्री शामिल है।
नई दिल्ली । वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे, एवीएसएम, एनएम ने आज सुबह नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में आयोजित एक औपचारिक समारोह में नौसेना स्टाफ के उप-प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया। वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने यह पदभार वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम, एडीसी से ग्रहण किया। वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार 39 वर्ष की शानदार सेवा के बाद आज सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए), खडकवासला, न्यूपोर्ट, रोड आइलैंड स्थितयूनाइटेड स्टेट्स नेवल वॉर कॉलेज और मुंबई के नेवल स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। फ्लैग ऑफिसर को भारतीय नौसेना में 01 जनवरी 1984 को कमीशन किया गया था और वह नौवहन और निर्देशन विशेषज्ञ हैं। फ्लैग ऑफिसर का भारतीय नौसेना के फ्रंटलाइन युद्धपोतों पर व्यापक परिचालन कार्यकाल रहा है। 37 वर्षों से अधिक के अपने करियर के दौरान, उन्होंने असंख्य परिचालन और स्टॉफ नियुक्तियों के माध्यम से अपनी सेवा प्रदान की है। उनकी महत्वपूर्ण परिचालन नियुक्तियों में गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस ब्रह्मपुत्र, सबमरीन रेस्क्यू वेसल आईएनएस निरीक्षक और माइनस्वीपर आईएनएस एलेप्पी के साथ-साथ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस गंगा में सेकेंड-इन-कमांड शामिल हैं। आईएनएस निरीक्षक को उनकी कमान के दौरान पहली बार यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया था।
तट पर उनकी महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्तियों में सहायक प्रमुख कार्मिक (मानव संसाधन विकास), प्रधान निदेशक कार्मिक, निदेशक नौसेना प्लान्स और नौसेना मुख्यालय में संयुक्त निदेशक नौसेना प्लान्स जैसे अलग-अलग कार्य के रूप में, विदेश मंत्रालय (निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मामले)में निदेशक (सैन्य मामले) लोकल वर्कअप टीम (वेस्ट), नेविगेशन डायरेक्शन स्कूल एवं नेशनल डिफेंस एकेडमी में इंस्ट्रक्टर की नियुक्ति भी शामिल रही है। अधिकारी को कर्नाटक नौसेना क्षेत्र के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग और महाराष्ट्र नौसेना क्षेत्र के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग जैसी प्रतिष्ठित पदों पर भी नियुक्त किया गया है।
वाइस एडमिरल के पद पर उन्होंने महानिदेशक नौसेना संचालन, चीफ ऑफ स्टाफ पूर्वी नौसेना कमान और नियंत्रक कार्मिक सेवाओं की चुनौतीपूर्ण और प्रतिष्ठित नियुक्तियों के रूप में कार्यभार संभाला है। रक्षा मंत्रालय (एन) में मुख्यालय में नौसेना स्टाफ के उप-प्रमुख के रूप में वर्तमान नियुक्ति को संभालने से पहलेफ्लैग ऑफिसर मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ में ट्राई-सर्विस नियुक्ति केउप प्रमुख (संचालन और प्रशिक्षण) के तौर पर कार्यरता थे।
फ्लैग ऑफिसर को 26 जनवरी 2017 को अति विशिष्ट सेवा मेडल और 2007 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा नौसेना मेडल और 2000 में नौसेना प्रमुख द्वारा प्रशस्ति से सम्मानित किया गया है।
उन्हें वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार के स्थान पर नियुक्त किया है, जो 2021 को 39 वर्षों से अधिक की शानदार सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं। वीसीएनएस के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान, नौसेना पूंजी अधिग्रहण को प्रोत्साहन देते हुए आवंटित बजट के 100 प्रतिशत उपयोग के साथ बजट आवंटन में वृद्धि की साक्षी रही है। उन्होंने नौसेना के लिए आबंटित पूँजी में से 2/3 से अधिक का उपयोग स्वदेशी स्रोतों से खरीद के लिए करने के साथ आत्मनिर्भर भारत मिशन को अपनाने के लिए सक्रिय रूप से जोर दिया, भारतीय नौसेना के लिए 41 जहाजों और पनडुब्बियों में से 39 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है। परियोजना 75(ढ्ढ) के लिए सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत अब तक का प्रथम खरीद मामला उनके कार्यकाल के दौरान आरएफपी जारी करने के लिए सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया गया था। उनके शानदार कार्यकाल के दौरान, डीआरडीओ और डीपीएसयू के साथ तकनीकी प्रगति, क्षमता वृद्धि और अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के कई अन्य उदाहरणों को भी गति दी गई।