राजनीति

भाजपा की बढ़ी मुश्किलें : हार का ठीकरा फोडऩे से भडक़े कार्यकर्ता
Posted Date : 19-Jan-2019 12:32:40 pm

भाजपा की बढ़ी मुश्किलें : हार का ठीकरा फोडऩे से भडक़े कार्यकर्ता

0-कई नेताओं ने कहा कार्यकर्ताओं के साथ हुई उनकी भी उपेक्षा
0-विस की तरह लोकसभा चुनाव में फिर भुगतना पड़ सकता है खामियाजा

रायपुर, 19 जनवरी । विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली करारी हार और मंथन के बाद हार का ठीकरा कार्यकर्ताओं पर फोडऩा भाजपा नेताओं को महंगा पड़ सकता है। देश में आम चुनाव होने वाले हैं, राजनीतिक दलें इसकी तैयारियों में जुट चुके हैं, ऐसे समय में राज्य की भाजपा में बगावत के सुर तेज हो गए हंै। 
राज्य की भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार को लेकर मंथन किया। बैठक में संगठन के नेताओं ने चुनाव में मिले पराजय का दोष सीधे-सीधे राज्य के भाजपा कार्यकर्ताओं के सिर मढ़ दिया है। भाजपा नेताओं ने कहा कि कार्यकर्ताओं के काम नहीं करने तथा चुनाव को गंभीरता से नहीं लेने के कारण ही राज्य में भाजपा को बुरी तरह से पराजय का मुंह देखना पड़ा। दूसरी ओर भाजपा के ही कुछ नेताओं ने इसका जोरदार विरोध दर्ज करा दिया है। राज्य के पूर्व कृषि मंत्री चंद्रशेखर साहू ने हाल ही में एक बयान जारी करते हुए कहा कि राज्य के किसानों के पैसों से सरकार मोबाइल बांटने में मगन रही, किसानों से किए गए वायदे पूरे नहीं किए गए, इसके चलते ही पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। दूसरी ओर कुछ भाजपा नेताओं ने तो राज्य के पूर्व मुखिया पर ही दोष मढ़ते हुए यहां तक कह दिया कि शासन में रहते हुए केवल अफसरों को महत्व दिया गया, संगठन और पदाधिकारियों को कोई महत्व ही नहीं दिया गया। ऐसे में कार्यकर्ताओं की पूछपरख नहीं की गई, जिसका खामियाजा चुनाव में करारी हार के रूप में पार्टी को चुकाना पड़ा है। कुल मिलाकर इस समय राज्य की भारतीय जनता पार्टी के सामने विकट स्थिति निर्मित हो गई है। भाजपा के हजारों-लाखों कार्यकर्ता जहां नेताओं के उपेक्षापूर्ण व्यवहार और बयान से आहत हैं तो वहीं भाजपा के नेेता भी कार्यकर्ताओं की तरह आहत हैं। जबकि दूसरी ओर देश में आम चुनाव अब निकट हैं, राजनीतिक दलें चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं, वहीं भाजपा में अभी भी खींचतान का दौर चल रहा है। ऐसे में राज्य की सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशी तय करने, उनके पक्ष में प्रचार करने के लिए गिने-चुने चेहरे भी सामने हैं, जबकि भाजपा के कार्यकर्ता पार्टी से बुरी तरह से चिढ़े हुए हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी जायज है, क्योंकि निर्दोष होते हुए भी इन्हीं कार्यकर्ताओं के सिर पर हार का ठिकरा फोड़ दिया गया है। 
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भाजपा में बगावत वाली कोई बात नहीं
हार-जीत के बाद सभी की प्रतिक्रिया आती है। भाजपा को विधानसभा चुनाव में मिली हार की समीक्षा की गई है, जिला स्तर पर भी बैठकें करके हार के कारणों का पता लगाया जा रहा है। पार्टी में बगावत वाली कोई बात नहीं है, हार के चलते सभी दुखी हैं और अपने-अपने विचार सामने रख रहे हैं, इसका गलत मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। यह वही भाजपा है जिसने छत्तीसगढ़ में 15 साल राज किया है। पार्टी हार के सभी कारणों को सामने लाने का प्रयास कर रही है, ताकि दोबारा कोई चूक न हो। 
संजय श्रीवास्तव
भाजपा प्रवक्ता 

तीनों वर्किंग प्रेसिडेंट को शीला ने दी जिम्मेदारी!
Posted Date : 19-Jan-2019 12:07:11 pm

तीनों वर्किंग प्रेसिडेंट को शीला ने दी जिम्मेदारी!

नईदिल्ली ,19 जनवरी । दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमिटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित ने अपने तीनों वर्किंग प्रेसिडेंट के कामों का बंटवारा कर दिया है। हारून यूसुफ को ईस्ट एमसीडी, देवेंद्र यादव को साउथ एमसीडी और राजेश लिलोठिया को नॉर्थ एमसीडी की जिम्मेदारी दी है। पदभार संभालने के बाद लगातार दूसरे दिन भी शीला ऑफिस पहुंचीं। करीब दो घंटे ऑफिस में रहीं। हालांकि प्रदेश ऑफिस की तरफ से औपचारिक सूचना नहीं दी गई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कामों का बंटवारा हो गया है।
वर्किंग प्रेसिडेंट में हारून यूसुफ सबसे सीनियर हैं। वो शीला के मंत्रिमंडल में भी रह चुके हैं। यही वजह है कि शीला ने उन पर ज्यादा भरोसा करते हुए ईस्ट एमसीडी के अलावा 4 विधानसभा की भी जिम्मेदारी दी है। उन्हें तीमारपुर, बुराड़ी, ओखला और जंगपुरा की जिम्मेदारी मिली है। महिला कांग्रेस, सेवा दल और एनएसयूआई का काम भी उन्हें सौंपा गया है। देवेंद्र यादव साउथ एमसीडी के साथ यूथ कांग्रेस का भी काम देखेंगे। राजेश लिलोठिया नॉर्थ एमसीडी के अलावा प्रदेश कांग्रेस के सभी सेल्स की जिम्मेदारी संभालेंगे।
देखने वाली बात यह होगी कि वर्किंग प्रेसिडेंट का जो चलन पहली बार आजमाया गया है, वह आने वाले समय में कितना कारगर होता है। तीनों वर्किंग प्रेसिडेंट किस तरह काम करते हैं और इसका रिजल्ट क्या रहता है। शीला ने 70 विधानसभा में से सिर्फ 4 विधानसभा ही वर्किंग प्रेसिडेंट को दी हैं। बाकी किसी विधानसभा का काम नहीं सौंपा जाना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि शीला खुद यहां के काम देखेंगी। सूत्रों का कहना है कि शीला के ऑफिस आने से कार्यकर्ताओं में भी जोश है। वो भी रोज ऑफिस पहुंच रहे हैं। शीला सभी से मुलाकात कर रही हैं। 
दिल्ली में ठंड की वजह से मरनेवालों के मामले में शीला ने कहा कि सरकार को इसे गंभीरता से लेनी चाहिए। उन्हें बेघरों के लिए पूरे इंतजाम करने चाहिए। हालांकि वो सीधे मुख्यमंत्री पर हमला करने से बचती नजर आईं। उन्होंने बिजली के रेट कम करने के मामले में पूछे गए सवाल को टाल दिया।

दिल्ली में कांग्रेस-आप में गठबंधन नहीं, भाजपा के लिए मौका
Posted Date : 19-Jan-2019 12:03:47 pm

दिल्ली में कांग्रेस-आप में गठबंधन नहीं, भाजपा के लिए मौका

नई दिल्ली ,19 जनवरी । लोकसभा चुनाव-2019 में कांग्रेस के साथ गठबंधन की चर्चाओं को खत्म करते हुए शुक्रवार को आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली और पंजाब में अकेले चुनाव लडऩे की घोषणा कर दी। इसके साथ ही दिल्ली में लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष होना तय हो गया है। भाजपा के लिए यह घोषणा मनोबल बढ़ाने वाला माना जा रहा है क्योंकि अगर आप और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ते तो एकजुट विपक्ष की ताकत के सामने भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती थी। बीजेपी त्रिकोणीय संघर्ष को मौके के तौर पर देख रही है।
2015 चुनाव में आप को मिला था प्रचंड बहुमत 
2015 के विधानसभा चुनाव में आप को 54 फीसदी वोट मिले थे। हालांकि, 2017 के नगर निगम चुनाव में आप का वोट प्रतिशत घटकर 26त्न पहुंच गया जबकि बीजेपी को 37 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं, कांग्रेस वोट प्रतिशत 10 फीसदी से बढक़र 21 प्रतिशत हो गया था। अगर आप और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ते तो बीजेपी के लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो जाती।
आप ने कांग्रेस को बताया अहंकारी 
आप ने कांग्रेस को अहंकारी बताते हुए दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में अकेले चुनाव लडऩे की घोषणा की है। हालांकि पिछले साल दिसंबर से ही आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात खटाई में पड़ गई थी। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद शीला दीक्षित ने भी साफ किया था कि आप से कोई गठबंधन नहीं होगा। आप सरकार द्वारा दिल्ली विधानसभा में पूर्व पीएम राजीव गांधी से भारत रत्न वापसी वाले प्रस्ताव ने गठबंधन की बात पूरी तरह बिगाड़ दी थी। दिल्ली की पूर्व सीएम शीला ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था और कहा था कि दिल्ली की सत्तारूढ़ दल भरोसेमंद नहीं है।
तीन राज्यों में चुनावी जीत से कांग्रेस का मनोबल बढ़ा 
आप के उदय में कांग्रेस के वोटों का बिखराव था। हालांकि अभी भी कांग्रेस की स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं दिख रहा है लेकिन मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी की जीत से मनोबल बढ़ा है। अगर आप और कांग्रेस गठबंधन होता ऐंटी बीजेपी वोटरों का बिखराव रुक सकता था।
2017 नगर निगम चुनाव में आप को मिली थी हार 
2015 में भले ही आप को शानदार और बड़ी जीत मिली थी लेकिन पार्टी को 2017 के नगर निगम चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। दिल्ली की तीनों नगर निगम में बीजेपी ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। बीजेपी 2018 में बवाना विधानसभा उपचुनाव जरूर हारी थी लेकिन बावजूद इसके बीजेपी दिल्ली में एक ताकतवर राजनीतिक फोर्स बनी हुई है। 
आप का आधार वोट भी खिसका! 
2015 के विधानसभा चुनाव में आप को मिडिल क्लास और रेजिडेंशल कॉलोनियों में जबरदस्त समर्थन मिला था। लेकिन आप के अनाधिकृत कॉलोनियों के लिए नीति बनाने के कारण उनका समर्थन इन वर्गों में घटा है। इसके अलावा पार्टी का दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। अब पार्टी दिल्ली, हरियाणा और पंजाब के लिए 15 फरवरी से पहले अपने उम्मीदवारों की घोषणा पर काम कर रही है।

आप के साथ गठबंधन की कोई गुंजाइश नहीं है: शीला
Posted Date : 12-Jan-2019 11:07:20 am

आप के साथ गठबंधन की कोई गुंजाइश नहीं है: शीला

नई दिल्ली ,12 जनवारी । पूर्व मुख्यमंत्री और दिल्ली कांग्रेस चीफ शीला दीक्षित ने पद संभालने के साथ ही आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दे दिया है। शीला ने आप के साथ गठबंधन की खबरों से इनकार किया है, यह बीजेपी के लिए जरूर राहत की खबर हो सकती है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भले ही शीला ने इनकार किया हो, लेकिन पार्टी में गठबंधन को लेकर एक राय अभी तक नहीं है।उन्होंने कहा, आप के साथ काम करने का कोई संभव रास्ता नहीं है। मैंने कभी नहीं कहा कि हम आप के साथ किसी तरह के गठबंधन के पक्ष में हैं। अगर मेरे हवाले से इस तरह की बात कही जा रही है तो मैं बस यही कहूंगी कि मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। हम आप के साथ गठबंधन के किसी विकल्प पर विचार नहीं कर रहे हैं।
बता दें कि विजय गोयल ने शीला के पद संभालते ही गठबंधन की खबरों पर तंज करते हुए ट्वीट किया था। गोयल ने कहा था, शीला दीक्षित जी को बधाई! उम्मीद है कि आप ने कई मौकों पर उनका कितना अपमान किया है, यह वह नहीं भूलेंगी। गोयल ने अपने ट्वीट में शीला दीक्षित के मुख्यमंत्री रहने के दौरान अरविंद केजरीवाल की तरफ से लगाए गए आरोपों और गोल मार्केट में केजरीवाल के हाथों हुई शीला की हार का जिक्र किया था।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ हैं। बीजेपी के लिए यह अच्छी खबर पंजाब से भी है क्योंकि सिंह ने आप के साथ कांग्रेस के गठबंधन की खबरों को पूरी तरह से नकार दिया है। पंजाब के सीएम आम आदमी पार्टी और केजरीवाल की भी कई बार खुलकर आलोचना कर चुके हैं।
दिल्ली में गठबंधन की कोई उम्मीद नहीं है, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में कांग्रेस और आप के गठबंधन को लेकर हाई कमान पर बातचीत हो सकती है। खुद पार्टी के अंदर गठबंधन को लेकर एक राय नहीं है। कांग्रेस का एक धड़ा भले ही गठबंधन के खिलाफ हो, लेकिन एक वर्ग इसके समर्थन में भी है। सूत्रों के अनुसार, आप दिल्ली में कांग्रेस को दो से ज्यादा सीट देने पर तैयार नहीं है और कांग्रेस 4 सीट की मांग कर रही है।

विपक्ष अभी भी सदमें में, तय नहीं कर पा रहे है नेता प्रतिपक्ष-भूपेश बघेल
Posted Date : 03-Jan-2019 1:20:20 pm

विपक्ष अभी भी सदमें में, तय नहीं कर पा रहे है नेता प्रतिपक्ष-भूपेश बघेल

रायपुर, 03 जनवरी । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज विपक्ष पार्टी भाजपा पर तंज करते हुए कहा कि भाजपा अभी तक सदमें से बाहर नहीं आ पायी है जिसके चलते अभी तक वे नेता प्रतिपक्ष तय नहीं कर पाये है। 
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि चुनाव के पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 65 प्लस की बात कहीं थी, पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने आखरी गेंद पर छक्का लगाने की बात कहीं थी ये सभी बातें हमारी पार्टी पर लागू हो हुई। उन्होंने कहा कि विपक्ष भले ही संख्या में कम है लेकिन अगर सदन में सही बात रखते हैं तो हम उसे स्वीकार करने से पीछे नहीं हटेंगे।
विधानसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस से डा. चरणदास महंत को उम्मीदवार बनाया गया है। डा. महंत ने आज मुख्यमंत्री एवं मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों की मौजूदगी में विधानसभा अध्यक्ष के लिए नामांकन दाखिल किया। मुख्यमंत्री ने उक्त बातें आज नामांकन दाखिल करने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहीं।

बार-बार दुहराने से झूठ सच नहीं हो जाता: राजनाथ
Posted Date : 31-Dec-2018 11:52:34 am

बार-बार दुहराने से झूठ सच नहीं हो जाता: राजनाथ

नई दिल्ली ,31 दिसंबर । राफेल विमान सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जाँच की विपक्ष की माँग को खारिज करते हुये सरकार ने आज कहा कि झूठ को बार-बार दुहराने से वह सच नहीं हो जाता। लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडगे द्वारा यह मुद्दा उठाये जाने पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, झूठ बार-बार बोले जाने से सच नहीं हो सकता। हम बात करने के लिए तैयार हैं तो ये बात से क्यों भाग रहे हैं। 
इससे पहले अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने खडगे को शून्यकाल में यह मुद्दा उठाने की अनुमति दी। कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी तीन सप्ताह से सदन में यह मसला उठाने का प्रयास कर रही है। पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार ने जब यह सौदा किया था तो एक राफेल विमान की कीमत 520 करोड़ रुपये थी। रक्षा मंत्री ने इसकी कीमत 670 करोड़ रुपये बतायी थी। लेकिन विमान बनाने वाली कंपनी दासो एविएशन ने 16 फरवरी 2017 को इसकी कीमत 1,660 करोड़ रुपये बतायी जो संप्रग के समय से तीन गुणा अधिक है।
खडगे ने सरकार पर गलतबयानी और घोटाले का आरोप लगाते हुये कहा कि इस सौदे में 30,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। उन्होंने इसकी जेपीसी से जाँच कराने की मांग करते हुये कहा, जेपीसी बिठाइए। (प्रधानमंत्री) मोदी जी कब गये, अपने दोस्तों को क्यों ले गये, समझौता कब हुआ सबकी जाँच होनी चाहिए।