संपादकीय

विज्ञान और मिथक
Posted Date : 13-Jan-2019 12:08:25 pm

विज्ञान और मिथक

देश के चुनिंदा विज्ञान शिक्षाविदों ने भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन को पत्र लिखकर 106वीं विज्ञान कांग्रेस में अवैज्ञानिक दावों के प्रति विरोध जताया है। ऐसे दावों को स्तब्ध करने वाला व चिंताजनक बताते हुए कहा गया है कि इससे विज्ञान व मिथकों का घालमेल होता है, जिससे दुनिया में भारतीय विज्ञान की प्रतिष्ठा को आंच आती है। विज्ञान कांग्रेस की प्रतिष्ठा का हवाला देते हुए कहा गया कि ऐसे प्रयासों से वैश्विक स्तर पर भारतीय वैज्ञानिक प्रयासों को हेय दृष्टि से देखा जायेगा। पत्र में कहा गया है कि पौराणिक ग्रंथों की कथाएं काव्यात्मक सौंदर्य, आनन्ददायक व नैतिक मूल्यों, कल्पनाशीलता की दृष्टि से उपयोगी हो सकती हैं मगर उन पर वैज्ञानिकता का मुलम्मा चढ़ाना अतार्किक है। आगाह किया गया कि यह फोरम वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने वाला है, भविष्य में इसका उपयोग विज्ञान और मिथकों के घालमेल के लिये न होने पाये। दरअसल, पिछले दिनों जालंधर में संपन्न विज्ञान कांग्रेस में आंध्र यूनिवर्सिटी के कुलपति जी. नागेश्वर राव ने दावा किया था कि महाभारत में कौरवों का जन्म स्टेम सेल और टेस्ट ट्यूब तकनीक से हुआ था। भारत में हजारों साल पहले इस तकनीक को खोजा गया था।
राव ने साथ ही दावा किया कि देवताओं के पास ऐसे अस्त्र यानी गाइडेड मिसाइलें थीं, जो लक्ष्य को भेदकर वापस आ जाती थीं। यह भी कि रावण के पास पुष्पक ही नहीं, 24 तरह के विमान थे। इन बयानों को लेकर खासा विवाद हुआ। इतना ही नहीं, अलबर्ट आइंस्टीन व स्टीफन हॉकिंग के बाबत भी सवाल खड़े किये गये। इसके चलते हाल में विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन ने ?फैसला लिया है कि भविष्य में वक्ताओं से उनका वक्तव्य पहले ही लिखित में लिया जायेगा ताकि मंच से कोई विवादित वक्तव्य न दिया जा सके। विज्ञान शिक्षाविदों का मानना है कि ऐसे आयोजन वैज्ञानिक व तार्किक चिंतन को बढ़ावा देने वाले होने चाहिए। मिथकीय बातों को विज्ञान के सबूतों के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता। ?इनका न कोई वैज्ञानिक आधार होता है और न ही वैज्ञानिक कल्पना से इन्हें सही सिद्ध किया जा सकता है। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का दावा है कि यदि किसी सभ्यता के पास स्टेम सेल, टेस्ट ट्यूब बेबी, गाइडेड मिसाइल और वैमानिकी जैसी तकनीकें थीं तो इससे संबंधित बिजली, धातु विज्ञान और यांत्रिकी के प्रमाण भी तो मिलने चाहिए। विज्ञान का प्रवाह किसी समाज में लगातार उन्नत होता है। आज जरूरत नयी खोजों की है, न कि अपनी धरोहर का दंभ भरने की। ऐसे प्रयासों से मिथकीय सौंदर्य भी क्षीण होता है।

 

खराब हवा और लाजवाब बंदे
Posted Date : 10-Jan-2019 11:55:49 am

खराब हवा और लाजवाब बंदे


गोविंद शर्मा
अब तक तो हम यही सुनते रहे हैं कि अब उसकी हवा है, अब उसकी हवा खराब है, उधर वाले की हवा, पहले लहर थी, अब आंधी बन गई है। अब सुनने में आ रहा है कि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता खराब है। दिल्ली मत आना। हो सकता है, विदेशी पर्यटकों पर यह चेतावनी असर कर जाए। हम पर तो नहीं। तमाशा घुसकर देखने की तमन्ना के साथ दिल्ली पहुंच गये। पता लगा कि गुणवत्ता को खराब बताने की खबर वैज्ञानिकों ने फैलाई है। हमें तो विज्ञान पर नहीं, गुरुज्ञान पर विश्वास है। राजनीति वाले गुरु और साहित्य वाले गुरु गली-गली में मिल जायेंगे, चेले-चेलियां ढूंढ़ते, जिसे दलबदल कहा जाता है, वास्तव में गुरु बदल ही होता है। चेलों-चेलियों से ही गुरु को मान्यता मिलती है। इसीलिये तो कहते हैं— मान गये गुरुज्।
हम भी किस हवा में उडऩे लगे। बात हवा की होनी है। दिल्ली गये। एक जगह सडक़ किनारे खड़े हो गये। देखा, लोग भाग रहे हैं। कोई पैदल तो कोई रिक्शा, ऑटो, कार या बस में सवार होकर। कोई इधर तो कोई उधर। जब काफी देर तक यह तांता नहीं टूटा तो हमने अपने पास खड़े एक सज्जन की तरफ देखा ही था कि वह बोला— सडक़ पार करना चाहता हूं। पता नहीं कब यह आवागमन रास्ता देगा।
वह अंडर पास, फुट ब्रिज, सडक़ पर सफेद पट्टियां किस लिये हैं?
वह तुम जैसे कायरों के लिये हैं। अपन तो बहादुर हैं।
यह कहकर वह समरांगण (सडक़) में कूद पड़ा। पता नहीं उस पार कब पहुंचा। मैंने पास खड़े एक और सज्जन से पूछा—क्यों भाई साहब, जिस तरह से लोग भाग रहे हैं, उससे यह नहीं लगता कि शाम तक दिल्ली खाली हो जायेगी? हवा खराब है न यहां की।
उसने मुझे सिर से पांव तक निहारा, फिर पूछा— दरवाजा खुला रह गया था या दीवार कूद कर बाहर आये हो?
कहां से?
पागलखाने से।
नहीं, नहीं, मैं वह नहीं हूं, जो आप समझे हैं। दिल्ली की हवा खराब है, इसलिये देखो, लोग दिल्ली छोड़ कर भाग रहे हैं।
बोले, हवा खराब हो या न हो, हवा ने चलना बंद कर दिया हो तो भी न तो यह आवागमन बंद होगा, न दिल्ली खाली होगी।
क्यों? क्यों? यहां के लोग खराब हवा से डरते नहीं?
हवा खराब है ही नहीं यह खबर जिसने भी फैलाई, उसकी खुद की हवा खराब होगी अभी। जिस दिन मैं यह सुनूंगा कि पांच अफसरों ने दिल्ली से बाहर तबादला की अर्जी दी है,उस दिन मानूंगा कि यहां की हवा खराब है। जिस दिन दिल्ली का कोई मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद यह बयान देगा कि हम तो चले अपने प्रदेश यहां की हवा खराब है, तब मैं भी मानूंगा। अभी तो उन्हें देखो, दिल्ली पहुंचने के लिये सौ किस्म के जोड़तोड़ करते हैं। कोई गठबंधन बना रहा है, कोई किसी बहाने दिल्ली पहुंचने की टिकट का जुगाड़ कर रहा है। यहां तक कि लोग अपने प्रदेश में मुख्यमंत्री बनते ही प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने लगते हैं।
ऐसा माहौल है दिल्ली के चाहवान हवाबाजों का, फिर भी कहते हैं। दिल्ली की हवा खराब है। हद हो गई हवाई फेंकने वालों की।
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अब किसान पेंशन योजना
Posted Date : 07-Jan-2019 11:01:00 am

अब किसान पेंशन योजना

दीर्घकालीन हित हों प्राथमिकता 
किसानों की आय डबल करने का नारा, एमएसपी को लेकर आश्वासनों और कर्जमाफी प्रतिबद्धताओं के बाद, किसान को लुभाने के प्रयासों में नवीनतम है किसान पेंशन योजना। हरियाणा में खट्टर सरकार किसानों के लिए पेंशन योजना पर विचार कर रही है। योजना उन किसानों को अपनी ओर खींचने का नया दांव है, जिनकी निगाहें अब तक फसल मूल्य और बाजार, पानी और सुविधाओं या स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लेकर चलने वाले धरने-प्रदर्शनों के बीच अपना सच्चा खैरख्वाह तलाश रही हैं। किसान पेंशन योजना, सत्ता विरोधी लहरों को दूर करने के लिए एक चतुर प्रयास है और लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष की ऋण माफी के वादे के मुकाबले जवाबी दांव भी। राज्य सरकार के योगदान से किसानों के लिए पेंशन हरियाणा के किसानों के लिए लुभावना आफर हो सकता है। हरियाणा को किसानों के समग्र विकास के लिए ओडिसा की 10,000 करोड़ रुपये की कृषक सहायता का अध्ययन करना चाहिए, जिसमें लगभग 92 प्रतिशत लघु व सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने का दावा है।
उल्लेखनीय है कि तेलंगाना सरकार ने रिथु बंधु कार्यक्रम के तहत सभी भूमि-स्वामी किसानों को रबी और खरीफ सीजन की तैयारी के लिए प्रति एकड़ 4,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है, मतलब 8 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष। दरअसल, हालिया चुनावों में किसानों की वोट ताकत का अहसास होने के बाद सभी दलों में किसानों की कर्जमाफी से लेकर आर्थिक सहायता के नए-नए उपाय तलाशने और किसानों को लुभाने की होड़ लगी है। यह बात अलग है कि अधिकांश लोकलुभावन योजनाएं किसानों के सीमित वर्ग को मदद करने वाली हैं, वह भी छोटी अवधि में। एक मजबूत और स्थायी समाधान के लिए, एक सर्व-समावेशी व्यापक योजना आवश्यक है। हरियाणा को भी अपनी नई योजना और उसे लागू करने के तौर-तरीकों को व्यवहार्यता की कसौटी पर बारंबार कसना चाहिए और दीर्घकालिक व वास्तविक लाभ के लिए ही सरकारी खजाने का उपयोग करना चाहिए। आम धारणा है कि कर्जमाफी जैसी योजनाओं के चलते आज किसानों को मुश्किल वक्त में भी नया कर्ज मिलना टेढ़ी खीर साबित होने लगा है।

 

आसपास हों बदलाव के अहसास
Posted Date : 05-Jan-2019 11:59:28 am

आसपास हों बदलाव के अहसास

ओम वर्मा
राम ने रहीम को और रहीम ने राम को सोशल मीडिया पर दी नववर्ष की शुभकामनाएं, वर्षभर दोनों मगर रहे एक-दूसरे से सदा डरे-डरे, घबराए-घबराए ख़ौफ़ खाए-खाए।
हे प्रभु! अब तो खोल देना सबके लिए सबरीमाला के द्वार, भक्तिनों को भी मिल जाए दर्शन का अधिकार। महज तीन शब्द बोलकर न त्यागी जा सके कोई नारी, एक कानून अब बने ऐसा क्रांतिकारी। न बदला जाए फिर कोई और नाम, जनता चाहती है काम, काम, बस काम। जैसे घोटाले के बिना बीता है पिछला साल, वैसे ही रहे इस साल भी घोटालों का अकाल। संसद में नहीं हो फिर आंख मारने का तमाशा, कम से कम इतनी तो रख सकता हूं मैं उनसे नववर्ष में आशा।
आने वाले चुनाव में, हे मेरे भगवान! काबू में रखना नेताओं की जुबान। सुन लेना पुकार हे मेरे परमात्मा! पड़ोस से परोसे जा रहे आतंक का कर देना खात्मा। केसर की क्यारियों में हो कुछ ऐसा असर, आकाश में उडऩे लगें सारे सफेद कबूतर। पत्थरबाज़ों तक पहुंचा दे कोई ये पैगाम, ईश्वर की नजऱ में पत्थर मारना है हराम। दुश्मन को गले लगाकर जो बनना चाहते हैं महान, काश! वे फूलों में छुपे खंजरों की भी कर सकें पहचान।
फिर खदानों में फंसे नहीं कोई मजदूर, सबको इतनी शक्ति देना मेरे हुजूर। सभी साइंसदानों में भर देना इतना दम, पड़ जाएं चांद पे हमारे भी कदम। बार-बार गिरे नहीं रुपये के दाम, लगी रहे पेट्रोल के मूल्य पर भी लगाम। चाहे खिले ‘कमल’ या छाएं कमलनाथ, नहीं हों किसानों के बेटे और अब अनाथ। पाते हैं जो देश में मान और सम्मान, डर का भय बताकर न कर पाएं संविधान का अपमान। फिर दिखा दें कोहली के लडक़े चमत्कार, ले के आएं वर्ल्ड कप फिर एक बार। है मेरी यह हार्दिक अभिलाषा, बन जाए हिंदी संयुक्त राष्ट्र की भी भाषा। महापुरुष के बुत की ऊंचाई से न तय हो राष्ट्रभक्ति, जगा दो प्रभु उनके उसूलों में आसक्ति। अब जब भी कोई बनाए और रिलीज़ करे ‘पद्मावत’, तो न छिड़े कोई विवाद और न हो कोई बगावत।
चाहे बुलेट ट्रेन देश में आए या न आए, मगर आतंकवादियों की बुलेट इस साल चल न पाए। गाय को भी मिले इस देश में पूरी सुरक्षा, साथ में ज़रूरी है हर मानव की भी रक्षा। एट्रोसिटी एक्ट में हो सरकार की जिम्मेदारी, बिना जांच के न हो किसी की गिरफ्तारी। भडक़े नहीं और अब आरक्षण की आग, सभी योग्य बच्चों की किस्मत जाए जाग। तन-मन से रहे हर शख्स भला-चंगा, निर्मल रहे हर नदी चाहे यमुना हो या गंगा। किसानों को मिले फसलों के सही दाम, कज़ऱ्माफ़ी पर लग सके विराम। ट्रंप और जोंग में न हो जुबानी जंग, ताकि न हो अन्य देशों की शांति अब भंग।
और अंत में यह कि हे नववर्ष! माल्या और नीरव मोदी को ले आना तुम पकड़ के, और शांति और सद्भाव को रखना खूब जकड़ के। चौकीदार को नहीं कहे अब कोई चोर, ये भी जान लें कि वे भी नहीं रहे ‘पप्पू’ एनी मोर।

 

 

एक बार फिर हसीना
Posted Date : 02-Jan-2019 11:34:28 am

एक बार फिर हसीना

प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने बांग्लादेश में रविवार को हुए आम चुनाव में लगातार तीसरी बार शानदार जीत दर्ज की है। सत्तारूढ़ अवामी लीग के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने 266 सीटें जीतीं जबकि उसकी सहयोगी जातीय पार्टी को 21 सीटें हासिल हुईं। विपक्षी नेशनल यूनिटी फ्रंट (यूएनएफ) को सिर्फ सात सीटों पर जीत मिली। यूएनएफ में केंद्रीय भूमिका पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के नेतृत्व वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की थी।
गौरतलब है कि बांग्लादेश की ‘जातीय संसद’ की सदस्य संख्या 350 है, जिनमें 300 सीटों के लिए मतदान होता है, बाकी 50 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इन 50 सीटों के लिए निर्वाचित 300 प्रतिनिधि एकल समानुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर वोट डालते हैं। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव में जबर्दस्त धांधली हुई है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि वह इसकी जांच करेगा। बांग्लादेश की राजनीति एक लंबे अर्से से शेख हसीना और खालिदा जिया के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। बीएनपी की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल में सजा काट रही हैं। उनके बेटे तारिक रहमान को शेख हसीना को जान से मारने के षड्यंत्र में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है और वे लंदन में आत्म निर्वासन में रह रहे हैं। बेगम जिया के कारावास के बाद उनकी पार्टी की बागडोर तारिक रहमान संभाल रहे है। पिछले कुछ वर्षों में अवामी लीग के नेतृत्व में बांग्लादेश ने आर्थिक रूप से अपनी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार किया है। अभी उसकी हालत पाकिस्तान से बेहतर है। यह चुनाव भी शेख हसीना ने विकास के मुद्दे पर ही लड़ा। 
उन्होंने ‘डिवेलपमेंट एंड डेमोक्रेसी फर्स्ट’ के साथ स्थायी विकास का नारा दिया था। हालांकि उन पर राजनीतिक हिसाब चुकता करने के आरोप भी लगते रहे हैं। इस चुनाव की मुश्किल यह है कि इसमें विपक्ष का लगभग सफाया हो गया है, जो बांग्लादेश के लिए काफी मुश्किलें पैदा कर सकता है। पिछले कुछ समय से वहां इस्लामिक कट्टरपंथियों का तेज उभार देखा गया है। उन्होंने आधुनिकता की वकालत और इस्लामी कट्टरपंथ की आलोचना करने वाले कई प्रोग्रेसिव ब्लॉगरों की हत्या की, जिनमें मुस्लिम और हिंदू दोनों शामिल थे। दुर्भाग्यवश, हसीना सरकार ने ऐसे तत्वों के खिलाफ कठोर कदम नहीं उठाए। 1971 के मुक्तियुद्ध के गद्दारों को उन्होंने फांसी जरूर दिलवाई पर इस्लामी कट्टरपंथियों पर हाथ डालने से बचती रहीं। संसदीय प्रतिनिधित्व के अभाव में यह कट्टरवादी तबका आगे और उत्पात मचा सकता है। ऐन पड़ोस में ऐसे तत्वों का सक्रिय होना हमारे लिए चिंता का विषय रहेगा। शेख हसीना से भारत के रिश्ते बहुत अच्छे हैं, फिर भी बांग्लादेश गए भारतीय नेता वहां के विपक्षी लीडरों से भी मिलते रहे हैं। वहां की आंतरिक राजनीति को लेकर तटस्थता ही हमारी स्थायी नीति होनी चाहिए। हमारी भलाई इसी में है कि यह पड़ोसी मुल्क अमन-चैन के साथ विकास की राह पर आगे बढ़े।

 

कौशल विकास सुनहरे भविष्य की गारंटी
Posted Date : 31-Dec-2018 12:37:55 pm

कौशल विकास सुनहरे भविष्य की गारंटी

जयंतीलाल भंडारी
इन दिनों देश और दुनिया में भारत के कौशल प्रशिक्षित युवाओं की मांग बढ़ रही है। भारतीय पेशेवरों की आवश्यकता बताने वाली कई और महत्वपूर्ण रिपोर्टें दुनिया और देशभर में रेखांकित हो रही हैं। ये रिपोर्टें बता रही हैं कि भारत के आईटी, मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, मेडिकल, लॉ, अकाउंटिंग आदि पेशेवर पढ़ाई वाले शिक्षित-प्रशिक्षित युवाओं की जरूरत बढ़ती जा रही है।
गौरतलब है कि दुनिया के ख्यातिप्राप्त मानव संसाधन परामर्श संगठन कॉर्न फेरी ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि जहां दुनिया में 2030 तक कुशल कामगारों का संकट होगा, वहीं भारत के पास 24.5 करोड़ अतिरिक्त कुशल श्रमबल हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक दुनिया के 19 विकसित और विकासशील देशों में 8.52 करोड़ कुशल श्रम शक्ति की कमी होगी। वहीं, दुनिया में भारत इकलौता देश होगा, जिसके पास अतिरिक्त कुशल कामगार उपलब्ध हो सकेंगे। भारत ऐसे में विश्व के तमाम देशों में कुशल कामगारों को भेजकर फायदा उठा सकेगा। इसी तरह विश्व बैंक की वैश्विक रोजगार से संबंधित नवीनतम रिपोर्ट में भी कहा गया है कि दुनिया के अधिकांश विकसित और विकासशील देशों में कामकाजी आबादी कम हो रही है। ऐसे में इन देशों में भारत के कौशल प्रशिक्षित युवाओं की मांग बढ़ रही है।
निश्चित रूप से भारत की नई पीढ़ी की चमकीली रोजगार संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। लेकिन इसके लिए कौशल प्रशिक्षण के नए प्रयासों की जरूरत है। भारत सहित पूरी दुनिया में भारत की नई पीढ़ी की प्रतिभा क्षमता और कौशल क्षमता से संबंधित हाल ही में प्रकाशित तीन रिपोर्टों को गंभीरतापूर्वक पढ़ा जा रहा है। पहली रिपोर्ट विश्व विख्यात आईएमडी बिजनेस स्कूल स्विट्जरलैंड द्वारा प्रकाशित की गई ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग 2018 है, जिसमें भारतीय प्रतिभाओं में कौशल प्रशिक्षण की भारी कमी बताई गई है। दूसरी रिपोर्ट भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की आईटी पेशेवरों में रोजगार योग्यता की कमी से संबंधित चिंताओं पर है। तीसरी रिपोर्ट कामकाजी पेशेवरों के लिए काम करने वाली ऑनलाइन एजुकेशन फर्म ग्रेटर लर्निंग की है, जिसमें भारत में टेलेंट की कमी के कारण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में बड़ी संख्या में पद खाली होने की बात कही गई है।
उल्लेखनीय है कि आईटीएमडी बिजनेस स्कूल की रिपोर्ट में भारत 63 देशों की सूची में पिछले वर्ष के 51वें स्थान से दो पायदान फिसलकर 53वें स्थान पर आ गया है। इस टैलेंट रैंकिंग में स्विट्जरलैंड लगातार पांचवें साल शीर्ष पर रहा है। एशिया में सिंगापुर सूची में सबसे ऊपर है। वह 13वें स्थान पर है। चीन इस सूची में 39वें स्थान पर है। टैलेंट रैंकिंग की वैश्विक सूची में प्रतिभाओं के विकास, उन्हें आकर्षित करने, उन्हें देश में ही जोड़े रखने तथा उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए किए जा रहे निवेश के आधार पर रैंकिंग दी गई है।
सूची में शामिल विभिन्न देशों में टैलेंट की स्थिति के बारे में भी टिप्पणियां की गई हैं। भारत के बारे में कहा गया है कि टैलेंट पूल की गुणवत्ता के मामले में भारत का प्रदर्शन औसत से बेहतर है। लेकिन अपनी शैक्षणिक प्रणाली की गुणवत्ता और सरकारी शिक्षा के क्षेत्र में निवेश की कमी के कारण निवेश और विकास के मामले में भारत सूची में शामिल सभी देशों में सबसे पीछे है। इसी प्रकार भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक हालिया रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत में 91 फीसदी आईटी पेशेवर नौकरी के योग्य नहीं हैं। वस्तुत: आईटी क्षेत्र में नई तकनीकों पर काम हो रहा है और उसके मद्देनजर भारतीय आईटी पेशेवर उपयुक्त रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं। ऐसे में नए तकनीकी बदलावों के कारण भारतीय आईटी पेशेवरों के सामने आने वाले समय में रोजगार संबंधी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के अंत तक आईटी क्षेत्र में करीब 72 लाख नए पेशेवरों की जरूरत होगी। इनमें ग्रेजुएट और नॉन ग्रेजुएट आईटी पेशेवर दोनों शामिल हैं।
इसी तरह एनालिटिक्स मैगजीन ने ऑनलाइन एजुकेशन फर्म ग्रेट लर्निंग के साथ मिलकर जो रिपोर्ट तैयार की है, उसके मुताबिक वर्ष 2018 में भारत में एआई सेक्टर 30 प्रतिशत बढक़र 23 करोड़ डॉलर यानी करीब 1,650 करोड़ रुपए तक पहुंचा गया है। लेकिन टैलेंट की कमी के कारण मीडियम और सीनियर लेवल पर 4,000 से ज्यादा पद खाली हैं। आईटी, फाइनेंस, हेल्थकेयर और ई-कॉमर्स सेक्टर की कंपनियों में मध्यम और वरिष्ठ क्रम पर नौकरी के बड़ी संख्या में मौके बने हुए हैं।
गौरतलब है कि भारत की जनसंख्या में करीब पचास प्रतिशत से ज्यादा उन लोगों का है, जिनकी उम्र पच्चीस साल से कम है। भारत की 65 प्रतिशत आबादी 35 साल में कम आयु की है। चूंकि भारत के पास विकसित देशों की तरह रोजगार बढ़ाने के विभिन्न संसाधन और आर्थिक शक्तियां नहीं हैं, अतएव भारत की युवा आबादी ही कौशल प्रशिक्षित होकर मानव संसाधन के परिप्रेक्ष्य में दुनिया के लिए उपयोगी और भारत के लिए आर्थिक कमाई का प्रभावी साधन सिद्ध हो सकती है। इस समय रोजगार में वृद्धि के लिए विभिन्न देश अलग-अलग कदम उठा रहे हैं। दुनिया के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि तथा आर्थिक वृद्धि से रोजगार में बड़ी मात्रा में वृद्धि नहीं हो सकती है। नई पीढ़ी के कौशल प्रशिक्षण से ही भारत में तेजी से रोजगार वृद्धि होगी।
ऐसे में जरूरी है कि भारत डिग्री के साथ टेक्निकल स्किल्स एवं प्रोफेशनल स्किल्स से दक्ष प्रतिभाओं का निर्माण करे। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि रोजगार के मोर्चे पर रोबोट चुनौती देते हुए दिखाई दे रहे हैं। जहां रोबोट ने मनुष्य को शारीरिक क्षमताओं के मामले में पीछे छोड़ दिया है, वहीं अब दिमागी कामों के मामले में भी रोबोट इनसान को पछाड़ सकते हैं। जापान की सॉफ्ट बैंक कॉर्प जैसी दुनिया की कई कंपनियां मानवीय मस्तिष्क की तरह काम करने वाले रोबोट विकसित कर रही हैं। ये रोबोट डॉक्टर, इंजीनियर, एडवोकेट, सैनिक, प्रोफेसर, संपादक, इंजीनियर, कंप्यूटर इंजीनियर, अकाउंटेंट और सेल्समैन जैसे कई तरह के कार्य कर करेंगे। यह कहा जा रहा है कि अधिकांश रोबोटों की उत्पादकता भी मनुष्यों से लगभग 3-4 गुना ज्यादा है और इनकी गणनाएं अधिक सटीक होती हैं। एक रोबोट कम से कम 3 आदमियों के बराबर काम कर सकता है।
देश में कौशल विकास के लिए विशेष मंत्रालय गठित करके कौशल विकास के काम को गतिशील बनाने की पहल के भी आशाजनक परिणाम नहीं आए हैं। देश की नई पीढ़ी को कौशल प्रशिक्षित करने के लिए छात्रों को 9वीं कक्षा से ही व्यावसायिक पाठ्यक्रम से शिक्षित-प्रशिक्षित करना होगा। व्यावसायिक पाठ्यक्रम को स्कूली और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना होगा। नई पीढ़ी को कौशल विकास और रोजगार की जरूरत के अनुरूप मानव संसाधन (ह्यूमन रिसोर्स) के रूप में गढऩा होगा।
आशा है कि सरकार ग्लोबल टैलेंट रैंकिंग और सूचना प्रौद्यौगिकी मंत्रालय की रोजगार योग्यता में नई तकनीकी की कमी से संबंधित रिपोर्ट में बताए गए विभिन्न पहलुओं पर विचार मंथन करके देश की नई पीढ़ी को देश और दुनिया की नई रोजगार जरूरतों के मुताबिक कौशल प्रशिक्षण से सुसज्जित करके प्रतिभाशाली बनाने की डगर पर आगे बढ़ाएगी।