संपादकीय

05-Jan-2019 11:59:28 am
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आसपास हों बदलाव के अहसास

ओम वर्मा
राम ने रहीम को और रहीम ने राम को सोशल मीडिया पर दी नववर्ष की शुभकामनाएं, वर्षभर दोनों मगर रहे एक-दूसरे से सदा डरे-डरे, घबराए-घबराए ख़ौफ़ खाए-खाए।
हे प्रभु! अब तो खोल देना सबके लिए सबरीमाला के द्वार, भक्तिनों को भी मिल जाए दर्शन का अधिकार। महज तीन शब्द बोलकर न त्यागी जा सके कोई नारी, एक कानून अब बने ऐसा क्रांतिकारी। न बदला जाए फिर कोई और नाम, जनता चाहती है काम, काम, बस काम। जैसे घोटाले के बिना बीता है पिछला साल, वैसे ही रहे इस साल भी घोटालों का अकाल। संसद में नहीं हो फिर आंख मारने का तमाशा, कम से कम इतनी तो रख सकता हूं मैं उनसे नववर्ष में आशा।
आने वाले चुनाव में, हे मेरे भगवान! काबू में रखना नेताओं की जुबान। सुन लेना पुकार हे मेरे परमात्मा! पड़ोस से परोसे जा रहे आतंक का कर देना खात्मा। केसर की क्यारियों में हो कुछ ऐसा असर, आकाश में उडऩे लगें सारे सफेद कबूतर। पत्थरबाज़ों तक पहुंचा दे कोई ये पैगाम, ईश्वर की नजऱ में पत्थर मारना है हराम। दुश्मन को गले लगाकर जो बनना चाहते हैं महान, काश! वे फूलों में छुपे खंजरों की भी कर सकें पहचान।
फिर खदानों में फंसे नहीं कोई मजदूर, सबको इतनी शक्ति देना मेरे हुजूर। सभी साइंसदानों में भर देना इतना दम, पड़ जाएं चांद पे हमारे भी कदम। बार-बार गिरे नहीं रुपये के दाम, लगी रहे पेट्रोल के मूल्य पर भी लगाम। चाहे खिले ‘कमल’ या छाएं कमलनाथ, नहीं हों किसानों के बेटे और अब अनाथ। पाते हैं जो देश में मान और सम्मान, डर का भय बताकर न कर पाएं संविधान का अपमान। फिर दिखा दें कोहली के लडक़े चमत्कार, ले के आएं वर्ल्ड कप फिर एक बार। है मेरी यह हार्दिक अभिलाषा, बन जाए हिंदी संयुक्त राष्ट्र की भी भाषा। महापुरुष के बुत की ऊंचाई से न तय हो राष्ट्रभक्ति, जगा दो प्रभु उनके उसूलों में आसक्ति। अब जब भी कोई बनाए और रिलीज़ करे ‘पद्मावत’, तो न छिड़े कोई विवाद और न हो कोई बगावत।
चाहे बुलेट ट्रेन देश में आए या न आए, मगर आतंकवादियों की बुलेट इस साल चल न पाए। गाय को भी मिले इस देश में पूरी सुरक्षा, साथ में ज़रूरी है हर मानव की भी रक्षा। एट्रोसिटी एक्ट में हो सरकार की जिम्मेदारी, बिना जांच के न हो किसी की गिरफ्तारी। भडक़े नहीं और अब आरक्षण की आग, सभी योग्य बच्चों की किस्मत जाए जाग। तन-मन से रहे हर शख्स भला-चंगा, निर्मल रहे हर नदी चाहे यमुना हो या गंगा। किसानों को मिले फसलों के सही दाम, कज़ऱ्माफ़ी पर लग सके विराम। ट्रंप और जोंग में न हो जुबानी जंग, ताकि न हो अन्य देशों की शांति अब भंग।
और अंत में यह कि हे नववर्ष! माल्या और नीरव मोदी को ले आना तुम पकड़ के, और शांति और सद्भाव को रखना खूब जकड़ के। चौकीदार को नहीं कहे अब कोई चोर, ये भी जान लें कि वे भी नहीं रहे ‘पप्पू’ एनी मोर।

 

 

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