संपादकीय

07-Jan-2019 11:01:00 am
Posted Date

अब किसान पेंशन योजना

दीर्घकालीन हित हों प्राथमिकता 
किसानों की आय डबल करने का नारा, एमएसपी को लेकर आश्वासनों और कर्जमाफी प्रतिबद्धताओं के बाद, किसान को लुभाने के प्रयासों में नवीनतम है किसान पेंशन योजना। हरियाणा में खट्टर सरकार किसानों के लिए पेंशन योजना पर विचार कर रही है। योजना उन किसानों को अपनी ओर खींचने का नया दांव है, जिनकी निगाहें अब तक फसल मूल्य और बाजार, पानी और सुविधाओं या स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लेकर चलने वाले धरने-प्रदर्शनों के बीच अपना सच्चा खैरख्वाह तलाश रही हैं। किसान पेंशन योजना, सत्ता विरोधी लहरों को दूर करने के लिए एक चतुर प्रयास है और लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले विपक्ष की ऋण माफी के वादे के मुकाबले जवाबी दांव भी। राज्य सरकार के योगदान से किसानों के लिए पेंशन हरियाणा के किसानों के लिए लुभावना आफर हो सकता है। हरियाणा को किसानों के समग्र विकास के लिए ओडिसा की 10,000 करोड़ रुपये की कृषक सहायता का अध्ययन करना चाहिए, जिसमें लगभग 92 प्रतिशत लघु व सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाने का दावा है।
उल्लेखनीय है कि तेलंगाना सरकार ने रिथु बंधु कार्यक्रम के तहत सभी भूमि-स्वामी किसानों को रबी और खरीफ सीजन की तैयारी के लिए प्रति एकड़ 4,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है, मतलब 8 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रतिवर्ष। दरअसल, हालिया चुनावों में किसानों की वोट ताकत का अहसास होने के बाद सभी दलों में किसानों की कर्जमाफी से लेकर आर्थिक सहायता के नए-नए उपाय तलाशने और किसानों को लुभाने की होड़ लगी है। यह बात अलग है कि अधिकांश लोकलुभावन योजनाएं किसानों के सीमित वर्ग को मदद करने वाली हैं, वह भी छोटी अवधि में। एक मजबूत और स्थायी समाधान के लिए, एक सर्व-समावेशी व्यापक योजना आवश्यक है। हरियाणा को भी अपनी नई योजना और उसे लागू करने के तौर-तरीकों को व्यवहार्यता की कसौटी पर बारंबार कसना चाहिए और दीर्घकालिक व वास्तविक लाभ के लिए ही सरकारी खजाने का उपयोग करना चाहिए। आम धारणा है कि कर्जमाफी जैसी योजनाओं के चलते आज किसानों को मुश्किल वक्त में भी नया कर्ज मिलना टेढ़ी खीर साबित होने लगा है।

 

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