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आम जनता को झटका, अब आधार अपडेट करवाना हुआ महंगा
Posted Date : 11-Jan-2019 11:44:56 am

आम जनता को झटका, अब आधार अपडेट करवाना हुआ महंगा

नई दिल्ली ,11 जनवारी । आम जनता के लिए एक जरुरी खबर है। अब आपको आधार कार्ड में अपना नाम या पता अपडेट करवाने के लिए अधिक पैसे खर्च करने होंगे। दरअसल, यूआईडीएआई ने नई अधिसूचना जारी करते हुए आधार में बदलाव करने पर लगने वाली फीस को बढ़ा दिया है। जिसके तहत अब बॉयोमिट्रिक अपडेट के लिए 100 रुपये और पता व फोन नंबर बदलवाने पर 50 रुपये देने होंगे। 
ई-केवाईसी या ए-4 साइज के पेपर पर आधार के कलर प्रिंटआउट के लिए उपभोक्ताओं को 30 रुपए देने होंगे। साथ ही यूआईडीएआई ने कहा कि अगर कोई भी इससे ज्यादा शुल्क चार्ज करता है तो वह गैर-कानूनी है। यह बढ़ी हुई फीस 1 जनवरी 2019 से लागू हो गई है।
आपको बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड की गोपनीयता देखते हुए इसके बैंक और टेलिकॉम कंपनियों द्वारा इसका उपयोग करने पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद अब केन्द्र सरकार ने इसे कानून का रूप देने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट और भारतीय टेलिग्राफ एक्ट में संशोधन को भी मंजूरी प्रदान कर दी थी।

अब डेबिट, क्रेडिट कार्ड के ऑरिजिनल नंबर नहीं, टोकन नंबर देकर कर पाएंगे पेमेंट
Posted Date : 10-Jan-2019 11:45:22 am

अब डेबिट, क्रेडिट कार्ड के ऑरिजिनल नंबर नहीं, टोकन नंबर देकर कर पाएंगे पेमेंट

बेंगलुरु,10 जनवारी । क्रेडिट और डेबिट कार्ड के इस्तेमाल के साथ कई जोखिम जुड़े हैं। इसी वजह से लोग किसी डिवाइस या ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर अपना कार्ड डेटा स्टोर करने से हिचकते हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) कार्ड नंबर की जगह 16 अकों का टोकन जारी करवाने की व्यवस्था करने जा रहा है। टोकन बैंकों की ओर से जारी किए जाएंगे जिन्हें कार्ड के असली नंबर की जगह इस्तेमाल किया जा सकेगा। आरबीआई का यह कदम गेम चेंजर साबित हो सकता है।
नए नियम से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को बड़ी राहत मिलने वाली है। खासकर थाइलैंड जैसे देश की यात्रा पर जाने के अपने जोखिम होते हैं क्योंकि वहां कार्ड-स्कीमिंग सिंडिकेट्स बेहद सक्रिय हैं जो पब्स और ईटरीज जैसी जगहों पर कार्ड डेटा स्कीम कर लेते हैं। कई बार इंटरनैशनल वेबसाइटों से ई-सिगरेट कार्टि्रज, माउंटेन साइकल पार्ट्स या ड्रोन आदि ऑर्डर करना भी काफी जोखिम भरा होता है क्योंकि उन वेबासइटों पर भारतीय वेबसाइटों की तरह टू-फैक्टर अथॉन्टिकेशन की अनिवार्यता नहीं होती है।
औद्योगिक जगत के दिग्गजों का कहना है कि कार्ड नंबर की जगह टोकन की व्यवस्था होने से डिजिटल पेमेंट्स को बहुत बढ़ावा मिलेगा। दरअसल, टोकन बेहद उच्च सुरक्षा मानकों के साथ जारी होते हैं। फाइनैंशल टेक्नॉलजी कंपनी एफएसएस के हेड ऑफ पेमेंट्स सुरेश राजगोपालन ने कहा, एक बार टोकन इशू हो गया तो आपके (कार्ड होल्डर के) सिवा कोई दूसरा आपका ऑरिजन कार्ड नंबर नहीं जान सकता। यहां तक कि कार्ड जारी करने वाले बैंक का एंप्लॉयी भी नहीं। आरबीआई की पहल के कारण टोकन का प्रचार बढ़ेगा और नॉर्मल रिटेल कस्टमर्स अपने बैंक से मुफ्त में टोकन जारी करवा सकेंगे।
टोकन का सबसे प्रमुख सिक्यॉरिटी फीचर इसमें लगातार बदलना है। कोटक महिंद्रा बैंक के डिजिटल हेड ने बताया, डेबिट कार्ड के बदले 16 डिजिट का टोकन हर ट्रांजैक्शन के बाद बदल जाएगा। देश में अब तक ज्यादातर इनोवेशन यूपीआई और आईएमपीएस प्लैटफॉर्मों को लेकर हो रहे हैं, लेकिन कार्ड्स को लेकर यह पहला बड़ा इनोवेशन है। इन्क्रिप्शन और टोकनिजम के जरिए हमें ई-कॉमर्स स्पेस में फर्जीवाड़े की बहुत कम गुंजाइश बच पाने की उम्मीद है। ईवीएम कार्ड और पिन के कारण एटीएम फ्रॉड में कमी आई है, लेकिन ऑनलाइन स्पेस में आगे का रास्ता टोकनिजम ही है।
इंडस्ट्री प्लेयर्स का कहना है कि ऐपलपे, सैमसंगपे जैसे वॉलिट्स के इस्तेमाल के लिए मोबाइल में कार्ड डेटा स्टोर करना पड़ता है। अब इन वॉलिट्स कंपनियों को भारतीय ग्राहकों के लिए टोकन वाली सुविधा देनी होगी।

लगातार दो रिटर्न नहीं भरने वालों की माल ढुलाई होगी बंद
Posted Date : 10-Jan-2019 11:44:38 am

लगातार दो रिटर्न नहीं भरने वालों की माल ढुलाई होगी बंद

0-ई-वे बिल जेनरेट करने पर लगी रोक
नई दिल्ली ,10 जनवारी । जीएसटी कलेक्शन में लगातार गिरावट से चिंतित सरकार ने टैक्स चोरी रोकने के मकसद से रिटर्न नहीं भरने वालों पर सख्ती शुरू कर दी है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आदेश के मुताबिक रिटर्न नहीं भरने वाले कारोबारियों के ई-वे बिल जेनरेट करने पर रोक लगा दी गई है और अब वे 50,000 रुपये से ज्यादा के माल की ढुलाई नहीं कर सकते।
आदेश के तहत जीएसटीएन सभी सप्लायर्स या रेसिपिएंट को ई-वे फाइलिंग पोर्टल पर ब्लॉक करेगा, जिन्होंने किसी भी दो टैक्स पीरियड (महीने या तिमाही) में रिटर्न नहीं भरा है। इससे अब उनके लिए माल का ट्रांसपोर्टेशन मुमकिन नहीं होगा, क्योंकि जीएसटी कानून के तहत 50 हजार रुपये से ज्यादा माल की आवाजाही पर ई-वे बिल भरना अनिवार्य है। यह इंटरस्टेट और राज्य के भीतर दोनों तरह की ढुलाई पर लागू होगा।
टैक्स चोरों को पकडऩा होगा आसान 
फिलहाल करीब 28त्न असेसी जीएसटी रिटर्न नहीं भर रहे हैं, जबकि ई-वे बिल जेनरेशन की तादाद ज्यादा है। सरकार को आशंका है कि ऐसे लोग माल सप्लाई तो कर रहे हैं, लेकिन उस पर वाजिब टैक्स नहीं दे रहे हैं। 20 दिसंबर तक भरे गए नवंबर महीने के जीएसटी आर-3 बी की फाइलिंग के लिए 99 लाख असेसी एलिजिबल थे, लेकिन करीब 70 लाख ने ही इसे भरा। इसी तरह छोटी कैटिगरी के कंपोजिशन डीलर्स में से करीब 25 पर्सेंट ने हालिया तिमाही रिटर्न नहीं भरा है। नॉन-फाइलर्स की तादाद में दिसंबर में रेकॉर्ड इजाफा हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि ई-वे बिल पर रोक के बाद टैक्स चोरी करने वाले नॉन-फाइलर्स को पकडऩा आसान हो जाएगा।
ई-वे बिल फाइलिंग 
ई-वे बिल की फाइलिंग दो चरणों में होती है। कोई माल भेजने से पहले सप्लायर और रेसिपिएंट को पार्ट-ए भरना होता है, जबकि माल डिलीवर करने के बाद ट्रांसपोर्टर को पार्ट-बी भरना होता है। अधिकारियों का कहना है कि माल ट्रांसपोर्टेशन के दौरान पकड़े जाने के डर से कई असेसी ई-वे बिल का अनुपालन तो करते हैं, लेकिन रिटर्न नहीं भरते। नॉन-फाइलर्स पर और भी कई बंदिशें लगाई जा सकती हैं, जिसमें भारी पेनाल्टी भी शामिल है। 
15 हजार करोड़ की टैक्स चोरी 
सरकार ने बुधवार को ही यह खुलासा किया कि अप्रैल से दिसंबर 2018 तक 15,278 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी पकड़ में आई है। वित्त राज्य मंत्री श्री प्रकाश शुक्ला ने राज्यसभा को बताया कि 3626 मामलों की जांच में ये चोरी सामने आई है, जिसमें से अब तक 9969 करोड़ रुपये रिकवर कर लिए गए हैं। दिसंबर में कुल 94,726 करोड़ रुपये जीएसटी का कलेक्शन हुआ था, जो पिछले साल की इसी अवधि में हुए कलेक्शन 97,636 करोड़ से कम है।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मिलेंगी एयरपोट्स वाली सुविधाएं
Posted Date : 10-Jan-2019 11:44:00 am

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मिलेंगी एयरपोट्स वाली सुविधाएं

नई दिल्ली,10 जनवारी । मार्च महीने तक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का उच्च श्रेणी प्रतीक्षालय (अपर क्लास वेटिंग रूम) बिल्कुल बदल जाएगा। इसे हवाई अड्डों के प्रतीक्षालयों की तरह विकसित किया जा रहा है। इसके तहत, एलसीडी टेलिविजन से लेकर फूड ट्रॉलीज और चार्जिंग पॉइंट्स तक, विभिन्न सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
इन प्रतीक्षालयों में ठहरने के लिए 10 रुपये प्रति घंटे के हिसाब से चार्ज किया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि यात्री यहां अपग्रेडेड क्लॉक रूम का भी इस्तेमाल कर पाएंगे जहां नाम मात्र की फी पर डिजिटल लॉकर्स मुहैया किए जाएंगे जिनकी सीसीटीवी से निगरानी होगी। पैसेंजर्स को इन सुविधाओं का इस्तेमाल मोबाइल ऐप के जरिए करना होगा और मोबाइल वॉलिट्स से ही पेमेंट भी करना होगा।
पब्लिक इन्फर्मेशन सिस्टम के अलावा इन लॉन्जेज में कांच की दीवार होगी जिससे यात्री सीधे प्लैटफॉर्म देख पाएंगे। प्रतीक्षालय में प्रवेश का प्रबंधन कार्ड बेस्ड सिस्टम पर होगा। दिल्ली डिविजनल के डिविजनल रेलवे मैनेजर आर. एन. सिंह ने कहा, नई दिल्ली स्टेशन पर जल्द ही एक नए प्रारूप का वेटिंग लॉन्जेज होंगे जिनमें शानदार आंतरिक साज-सज्जा, आधुनिक फर्नीचर और शौचालय के साथ-साथ ट्रेवल डेस्क, प्रिंटर्स, फूड स्टॉल, फ्री मैगजीन्स, टी/कॉफी मशीन्स और डीटीएच टीवी सर्विस जैसी अतिरिक्त सुविधाएं होंगी ताकि यात्री अपनी प्रतीक्षा की घड़ी उत्पादक तौर पर बिता सकें।
सिंह ने कहा कि इन लॉन्जेज के लिए कम चार्ज रखा गया है ताकि यात्री प्लैटफॉर्म्स पर भीड़ न लगाकर इन कमरों का इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा, एयरपोर्ट्स के लॉन्जेज के मुकाबले यहां की फी किफायती है। हम निजामुद्दीन और पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशनों पर भी यही मॉडल अपनाएंगे। सामान्य श्रेणी के प्रतीक्षालय (जनरल वेटिंग रूम) मुफ्त ही रहेंगे। 
सिंह ने बताया, क्लॉक रूम और वेटिंग लॉन्जेज, दोनों फरवरी के आखिर तक तैयार हो जाएंगे। हम इनके इस्तेमाल पर पैसेंजर्स के फीडबैक भी लेंगे। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पिछले छह महीनों में कई बदलाव आ चुके हैं। वहां वॉल पेंटिंग, प्लैटफॉर्मों पर फॉल्स सीलिंग और न्यू कलर स्कीम देखे जा सकते हैं।

ई-कॉमर्स डील्स, कैशबैक पर रोक नहीं चाहते कंज्यूमर्स
Posted Date : 10-Jan-2019 11:43:12 am

ई-कॉमर्स डील्स, कैशबैक पर रोक नहीं चाहते कंज्यूमर्स

बेंगलुरु,10 जनवारी । भारतीय कंज्यूमर्स, ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर डिस्काउंट और कैशबैक की मॉनिटरिंग के लिए नियम बनाने के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि वे यह जरूर चाहते हैं कि नई ई-कॉमर्स पॉलिसी में सरकार फेसबुक और वॉट्सऐप जैसी सोशल नेटवर्क कंपनियों को शामिल करे। लोकलसर्किल्स के एक सर्वे से यह बात सामने आई है। इसमें शामिल 60 पर्सेंट लोगों ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा ऑफर किए जाने वाले कैशबैक को कानूनी दायरे में नहीं लाना चाहिए। 72 पर्सेंट ने डिस्काउंट पर नियमों का विरोध किया। हालांकि 88 पर्सेंट ने कहा कि सोशल नेटवर्क प्लेटफॉर्म्स को ई-कॉमर्स रेगुलेशन के तहत लाया जाना चाहिए। हाल के दिनों में इंडिविजुअल द्वारा प्रॉडक्ट की बिक्री के लिए सोशल नेटवर्क कंपनियों का इस्तेमाल बढ़ा है।
यह सर्वे ऐसे समय में आया है, जब सरकार नई ई-कॉमर्स पॉलिसी को लागू करने की तैयारी में जुटी है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक नई पॉलिसी में ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर डीप डिस्काउंटिंग और प्रीडेटरी प्राइसिंग (लागत से कम दाम पर सामान बेचना) को लगाम लगाने की कोशिश की गई है। हालांकि दूसरी तरफ कंज्यूमर्स चाहते हैं कि पॉलिसी बनाते वक्त उनको मिलने वाले फायदों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। 
सर्वे में कहा गया, कंज्यूमर्स चाहते हैं कि ई-कॉमर्स सेक्टर को कानूनी दायरे में लाना चाहिए। ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के प्रॉडक्ट और सर्विसेज दोनों पहलुओं को पॉलिसी के अंदर लाया जाना चाहिए। हालांकि कैशबैक और डिस्काउंटिंग जैसे मामलों को बाजार के हाथ में छोड़ देना चाहिए। 
डिस्काउंट और कैशबैक पर कम निगरानी की मांग के साथ सर्वे में ज्यादातर लोगों ने कहा कि नई पॉलिसी में इस बारे में कड़े प्रावधान लाए जाने चाहिए कि ई-कॉमर्स कंपनियां शिकायतों को किस तरीके से लेती हैं। उन्होंने कहा कि पॉलिसी में जाली प्रॉडक्ट की बिक्री को रोके जाने के प्रावधान भी होने चाहिए। सर्वे में शामिल 78 पर्सेंट लोगों ने कहा कि अगर ई-कॉमर्स साइट्स पर सेलर्स की जानकारी दी जाए तो जाली प्रॉडक्ट की गतिविधियों में काफी कमी आएगी। 93 पर्सेंट ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों को कंज्यूमर्स की शिकायतें 72 घंटे में दूर करनी चाहिए। 
ई-कॉमर्स पॉलिसी के अंदर सोशल नेटवर्क कंपनियों को लाए जाने की मांग करते हुए कंज्यूमर्स ने पीयर-टु-पीयर सेलिंग की भी प्रभावी निगरानी की बात कही। फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जहां इंडिविजुअल के लिए प्रॉडक्ट बिक्री के लोकप्रिय प्लेटफॉर्म बनकर उभरे हैं, वहीं मीशो, ग्लोरोड, बूप्लर और शॉप101 जैसे कुछ नए प्लेटफॉर्म भी सामने आए हैं। 
थर्डआईसाइट के सीईओ देवांग्शु दत्ता ने बताया कि कंज्यूमर्स की यह मांग देश में कंज्यूमर्स प्रॉटेक्शन की कमी का संकेत है। उन्होंने कहा, भारत में कंज्यूमर्स के हितों की रक्षा के लिए मजबूत ढांचा नहीं है। कुछ पॉलिसी और नियम जरूर बनाए गए हैं, लेकिन बुनियादी ढांचा काफी कमजोर हैं। अगर आपको बतौर कस्टमर ठगा गया है और आप कंपनी को इसके लिए कटघरे में खड़ा करना चाहते हैं, तो यह काफी मंहगा है। 
एक ऑनलाइन सेलर ग्रुप के प्रतिनिधि ने बताया कि सेलर्स की भी यही राय है। सेलर्स भी कैशबैक और डिस्काउंट के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि वे डीप डिस्काउंटिंग की निगरानी चाहते हैं। जाली प्रॉडक्ट के सेलर्स के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इन्हें सिस्टम से हटाना सबके लिए फायदेमंद होगा।

रेलवे में सभी मानवरहित क्रॉसिंग खत्म, इलाहाबाद में बची सिर्फ एक
Posted Date : 10-Jan-2019 11:42:00 am

रेलवे में सभी मानवरहित क्रॉसिंग खत्म, इलाहाबाद में बची सिर्फ एक

नई दिल्ली ,10 जनवारी । भारतीय रेलवे ने अपने नेटवर्क से मानवरहित क्रॉसिंग्स को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अब सिर्फ इलाहाबाद डिविजन में ही एक फाटक बचा है, जो मानवरहित है। रेल मंत्रालय का कहना है कि इसे स्थानीय लोगों के विरोध के चलते नहीं हटाया जा सका है, लेकिन जल्दी ही यहां भी मानवरहित क्रॉसिंग को खत्म कर लिया जाएगा। मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल 3,478 मानवरहित फाटक खत्म किए गए।
सबसे अंत में मानवरहित क्रॉसिंग जोधपुर संभाग के बाड़मेर-मुनाबाओ खंड में खत्म हुई। रेलवे ने उन मानवरहित फाटकों को बंद कर दिया, जहां बहुत कम ट्रेनें गुजरती हैं या फिर उन्हें समीप के मानवयुक्त फाटक से संलग्न कर दिया। कुछ स्थानों पर उसने रेलमार्ग के नीचे से गुजरने वाली सडक़ या सबवे बनाया तो कुछ स्थानों पर उसने उन्हें मानवयुक्त फाटक बना दिया।
रेलवे के लिए इन मानवरहित फाटकों को खत्म करना उसके अपने नेटवर्क में सुरक्षा में सुधार की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। रेलवे के मुताबिक मौजूदा रेलमंत्री पीयूष गोयल ने इस काम को प्राथमिकता बनाया, तब से ऐसे फाटकों पर मौतों में भारी कमी आई। एक अधिकारी ने कहा, यह रेलवे के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि ये (मानवरहित फाटक) मौत के भंवरजाल हैं। जिस रफ्तार से यह काम पूरा किया गया है, इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। 
रेलवे के मुताबिक वर्ष 2009-10 में केवल 930 मानवरहित फाटक खत्म किए गए थे, जबकि 2015-2016 में 1253 मानवरहित फाटक खत्म किए गए। पिछले साल सभी संभागों में 3,478 मानवरहित फाटक खत्म किए गए। पिछले सात महीने में यह काम पिछले सालों की तुलना में पांच गुणा तेजी से किया गया। 
2014-2015 में मानवरहित फाटकों पर विभिन्न घटनाओं में 130 लोगों की जान चली गई थी। 2015-16 में ऐसे फाटकों पर 58 लोगों और 2016-17 में 40 लोगों की मौतें हुईं। 2017-2018 में 26 लोग ऐसे फाटकों पर अपनी जान गंवा बैठे, जबकि पहली अप्रैल, 2018 से 15 दिसंबर, 2018 तक 16 लोग काल कवलित हो गए, उनमें 13 लोग कुशीनगर हादसे में मारे गए, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे। 
पिछले साल अप्रैल में हुए कुशीनगर हादसे के बाद ही गोयल ने सभी मानवरहित फाटकों को खत्म करने की समय सीमा 2020 से घटाकर सितंबर, 2019 कर दी। ऐसा आखिरी मानव रहित फाटक उत्तर प्रदेश में हैं, लेकिन इसे स्थानीय लोगों के प्रतिरोध के कारण खत्म नहीं किया जा सका है। अधिकारियों ने बताया कि इसे भी इस वर्ष तक खत्म कर दिया जाएगा।