व्यापार

अप्रैल में थोक महंगाई घटकर 0.85 फीसदी पर आई, खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से घटी महंगाई
Posted Date : 14-May-2025 10:43:56 pm

अप्रैल में थोक महंगाई घटकर 0.85 फीसदी पर आई, खाने-पीने की चीजें सस्ती होने से घटी महंगाई

नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मंहगाई मार्च में 2.05 फीसदी से अप्रैल 2025 में 0.85 फीसदी तक गिर गई. मंहगाई में गिरावट मुख्य रूप से ईंधन एवं बिजली तथा प्राथमिक वस्तुओं के खंडों में कीमतों में गिरावट के कारण हुई. हालांकि विनिर्माण क्षेत्र ने लचीलापन दिखाना जारी रखा.
ऐसा मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों, अन्य विनिर्माण, केमिकल्स और केमिकल्स प्रोडक्ट, अन्य परिवहन उपकरणों के निर्माण और मशीनरी और उपकरणों के निर्माण आदि की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण हुआ है. यह मार्च में डब्ल्यूपीआई दर से कम है, जो 2.05 फीसदी थी.
डब्ल्यूपीआई बड़ी मात्रा में बेची जाने वाली वस्तुओं की कीमतों में औसत बदलाव को ट्रैक करता है और उत्पादन स्तर पर मुद्रास्फीति का एक महत्वपूर्ण संकेतक है. यह कृषि, खनन और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में आपूर्ति और मांग के रुझान को दिखाता है.
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई 2019 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई है. अप्रैल 2025 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक साल-दर-साल 3.16 प्रतिशत दर्ज किया गया, मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों से पता चला है. यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों की कम कीमतों के कारण हुई, जिसे भीषण गर्मी के बावजूद अच्छी फसल का समर्थन मिला. खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट में मुख्य योगदान देने वालों में सब्जियां, दालें, फल, मांस और मछली, अनाज और व्यक्तिगत देखभाल की वस्तुएं शामिल थी.

 

शेयर मार्केट में पैसे लगाने वाले निवेशक कुछ इस तरह बने करोड़पति! जब हकीकत पता लगी तो हो गया नुकसान
Posted Date : 13-May-2025 8:20:24 pm

शेयर मार्केट में पैसे लगाने वाले निवेशक कुछ इस तरह बने करोड़पति! जब हकीकत पता लगी तो हो गया नुकसान

नई दिल्ली  । ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ‘ग्रो’ ने सोमवार को जानकारी दी कि ऐप के कुछ यूजर्स को स्टॉक की कीमतों में विसंगतियों का सामना करना पड़ा। यह एक अस्थायी समस्या थी और बाद में इसे ठीक कर दिया गया।
इससे पहले तकनीकी गड़बड़ी के कारण ग्रो यूजर्स के निवेश मूल्यों को लेकर गलत जानकारी देखी गई। कुछ यूजर्स ने बताया कि उनके 1,000 रुपए के निवेश को ऐप पर गलत तरीके से 1,00,000 रुपए के निवेश के रूप में देखा जा रहा था। इससे कुछ यूजर्स को भ्रम की स्थिति का सामना करना पड़ा। तकनीकी गड़बड़ी के कारण कुछ यूजर्स के मुनाफे में 10,000 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई, जिससे कुछ अस्थायी रूप से करोड़पति बन गए, जबकि कुछ का निवेश मूल्य असल से बेहद कम हो गया। ‘ग्रो’ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया, हमारे कुछ यूजर्स को उनके स्टॉक प्राइस को लेकर विसंगतियों का सामना करना पड़ा। यह एक अस्थायी समस्या थी और अब इसका समाधान हो गया है।
‘ग्रो’ की ओर से आगे कहा गया कि जिन यूजर्स के जीटीटी (गुड टिल ट्रिगर) इस वजह से ट्रिगर हुए हैं, उनसे ग्रो सहायता टीम संपर्क कर रही है और समाधान की पेशकश कर रही है। ऑनलाइन ट्रेडिंग पोर्टल ने कहा, अगर आपको भी इस समस्या का सामना करना पड़ा है, तो हमें डायरेक्ट मैसेज करें। यह समस्या तब सामने आई जब कई यूजर्स ने विसंगतियों की रिपोर्ट करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। यूजर्स ने पोस्ट किया, मेरे खाते पर मेरे कुछ जीटीटी ऑर्डर आपके ‘ग्रो’ मूल्य विसंगति या ‘ग्रो’ मूल्य निर्धारण के साथ समस्याओं के कारण बेचे गए थे। मेरे पास आपके पिछले और वर्तमान मूल्य निर्धारण की स्थिति का स्क्रीनशॉट है। कृपया उचित कार्रवाई करें और मामले को हल करें। दूसरे यूजर ने पोस्ट किया, अगर हमारे नुकसान की भरपाई नहीं की गई तो हम ग्रो को छोड़ देंगे और दूसरे ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर चले जाएंगे। गलत मूल्य प्रदर्शन के कारण बड़े व्यवधान हुए, कुछ यूजर्स ने गलत डेटा के आधार पर ट्रेडिंग निर्णय लिए। यह स्थिति उन लोगों के लिए निराशा और वित्तीय नुकसान का कारण बनी, जिन्होंने भ्रामक जानकारी पर काम किया। एक ग्रो यूजर ने लिखा, वाकई ग्रो 2.8 लाख रुपए की यह जबरदस्त तेजी देखकर मैंने सोचा कि मुझे सोना मिल गया है, पता चला कि यह केवल एक बग था। अब मैं खरीद का ऑर्डर भी ठीक से नहीं दे सकता क्योंकि राशि पूरी तरह गड़बड़ है।

 

टोयोटा प्रमुख का इलेक्ट्रिक वाहनों के पर्यावरणीय प्रभाव पर सवाल, हाइब्रिड को बताया बेहतर विकल्प
Posted Date : 13-May-2025 8:20:00 pm

टोयोटा प्रमुख का इलेक्ट्रिक वाहनों के पर्यावरणीय प्रभाव पर सवाल, हाइब्रिड को बताया बेहतर विकल्प

टोयोटा प्रमुख का इलेक्ट्रिक वाहनों के पर्यावरणीय प्रभाव पर सवाल, हाइब्रिड को बताया बेहतर विकल्प
नईदिल्ली  । टोयोटा कंपनी के बड़े अधिकारी अकीओ टोयोडा ने आजकल इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को लेकर कुछ जरूरी बातें कही हैं। उनका कहना है कि इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को पूरी तरह से साफ-सुथरी नहीं माना जा सकता। इसकी वजह ये है कि इन गाडिय़ों की बैटरी बनाने और उन्हें चार्ज करने के लिए जो बिजली चाहिए होती है, वो अक्सर ऐसी चीजों से बनती है जिनसे प्रदूषण होता है। 
टोयोडा ने बताया कि इलेक्ट्रिक गाडिय़ों की बैटरी बनाने में लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसी धातुओं का इस्तेमाल होता है। इन धातुओं को जमीन से निकालने (माइनिंग) का काम पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है। इसके अलावा, इन बैटरियों को बनाने और एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में भी कार्बन गैस निकलती है, जो हवा को खराब करती है। अगर इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को चार्ज करने के लिए जो बिजली इस्तेमाल हो रही है, वो कोयला या गैस जैसे प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों से आ रही है, तो इन गाडिय़ों को चलाने का कुल मिलाकर पर्यावरण पर अच्छा असर नहीं पड़ता। टोयोटा कंपनी ने अब तक 2 करोड़ 70 लाख से भी ज्यादा हाइब्रिड गाडिय़ां बेची हैं। 
टोयोडा का कहना है कि ये गाडिय़ां इलेक्ट्रिक गाडिय़ों के मुकाबले कम कार्बन गैस छोड़ती हैं और इन्हें चार्ज करने के लिए अलग से कोई स्टेशन भी नहीं चाहिए होता। भारत में अभी हर जगह चार्जिंग स्टेशन नहीं हैं और बिजली की सप्लाई में भी कई बार दिक्कत आती है। ऐसे में टोयोडा मानते हैं कि हाइब्रिड गाडिय़ां यहां ज्यादा काम की और पर्यावरण के लिए भी बेहतर साबित हो सकती हैं। 
अकीओ टोयोडा की ये बातें हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि इलेक्ट्रिक गाडिय़ों के पर्यावरण पर पडऩे वाले असर को सिर्फ ये देखकर नहीं आंकना चाहिए कि उनसे धुआं नहीं निकलता। उनकी बैटरी कैसे बनती है, उन्हें चार्ज करने के लिए बिजली कहां से आती है और दूसरी चीजों का भी ध्यान रखना जरूरी है। भारत जैसे देशों के लिए, जहां चार्जिंग की सुविधा और साफ बिजली अभी उतनी आसानी से नहीं मिलती, हाइब्रिड तकनीक एक अच्छा विकल्प हो सकती है।

नईदिल्ली  । टोयोटा कंपनी के बड़े अधिकारी अकीओ टोयोडा ने आजकल इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को लेकर कुछ जरूरी बातें कही हैं। उनका कहना है कि इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को पूरी तरह से साफ-सुथरी नहीं माना जा सकता। इसकी वजह ये है कि इन गाडिय़ों की बैटरी बनाने और उन्हें चार्ज करने के लिए जो बिजली चाहिए होती है, वो अक्सर ऐसी चीजों से बनती है जिनसे प्रदूषण होता है। 
टोयोडा ने बताया कि इलेक्ट्रिक गाडिय़ों की बैटरी बनाने में लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसी धातुओं का इस्तेमाल होता है। इन धातुओं को जमीन से निकालने (माइनिंग) का काम पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है। इसके अलावा, इन बैटरियों को बनाने और एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में भी कार्बन गैस निकलती है, जो हवा को खराब करती है। अगर इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को चार्ज करने के लिए जो बिजली इस्तेमाल हो रही है, वो कोयला या गैस जैसे प्रदूषण फैलाने वाले स्रोतों से आ रही है, तो इन गाडिय़ों को चलाने का कुल मिलाकर पर्यावरण पर अच्छा असर नहीं पड़ता। टोयोटा कंपनी ने अब तक 2 करोड़ 70 लाख से भी ज्यादा हाइब्रिड गाडिय़ां बेची हैं। 
टोयोडा का कहना है कि ये गाडिय़ां इलेक्ट्रिक गाडिय़ों के मुकाबले कम कार्बन गैस छोड़ती हैं और इन्हें चार्ज करने के लिए अलग से कोई स्टेशन भी नहीं चाहिए होता। भारत में अभी हर जगह चार्जिंग स्टेशन नहीं हैं और बिजली की सप्लाई में भी कई बार दिक्कत आती है। ऐसे में टोयोडा मानते हैं कि हाइब्रिड गाडिय़ां यहां ज्यादा काम की और पर्यावरण के लिए भी बेहतर साबित हो सकती हैं। 
अकीओ टोयोडा की ये बातें हमें सोचने पर मजबूर करती हैं कि इलेक्ट्रिक गाडिय़ों के पर्यावरण पर पडऩे वाले असर को सिर्फ ये देखकर नहीं आंकना चाहिए कि उनसे धुआं नहीं निकलता। उनकी बैटरी कैसे बनती है, उन्हें चार्ज करने के लिए बिजली कहां से आती है और दूसरी चीजों का भी ध्यान रखना जरूरी है। भारत जैसे देशों के लिए, जहां चार्जिंग की सुविधा और साफ बिजली अभी उतनी आसानी से नहीं मिलती, हाइब्रिड तकनीक एक अच्छा विकल्प हो सकती है।

 

एक्सिस बैंक और लक्ष्य शूटिंग क्लब मिलकर नवी मुंबई में बनाएंगे धांसू शूटिंग सेंटर
Posted Date : 13-May-2025 8:19:38 pm

एक्सिस बैंक और लक्ष्य शूटिंग क्लब मिलकर नवी मुंबई में बनाएंगे धांसू शूटिंग सेंटर

नागपुर  । देश के बड़े प्राइवेट बैंकों में से एक एक्सिस बैंक अब खेलों को बढ़ावा देने के लिए आगे आया है। उन्होंने लक्ष्य शूटिंग क्लब के साथ मिलकर नवी मुंबई में एक शानदार शूटिंग सेंटर बनाने का फैसला किया है। इस सेंटर का नाम होगा ‘एक्सिस बैंक लक्ष्य शूटिंग क्लब हाई परफॉर्मेंस सेंटर’ (एचपीसी)। 
समझौते पर एक्सिस बैंक के बड़े अधिकारी विजय मुलबागल और लक्ष्य शूटिंग क्लब की चेयरमैन, सुश्री सुमा शिरूर ने साइन किए। सुमा शिरूर खुद एक ओलंपियन और अर्जुन पुरस्कार विजेता हैं और उन्होंने भारतीय निशानेबाजी टीम को पेरिस ओलंपिक 2024 में मेडल जीतने के लिए ट्रेनिंग भी दी है। यह खास शूटिंग सेंटर उन नए खिलाडिय़ों के लिए बहुत काम का होगा जो शूटिंग में अपना नाम करना चाहते हैं। यहां उन्हें वर्ल्ड क्लास की सुविधाएं मिलेंगी, बढिय़ा ट्रेनिंग प्रोग्राम मिलेंगे और साथ ही कई तरह की एक्टिविटीज भी होंगी जिनसे वे जुड़ सकेंगे। 
इस सेंटर का मकसद ओलंपिक लेवल के टॉप शूटर्स तैयार करना है और एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना है जहां हर किसी को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिले। एक्सिस बैंक और लक्ष्य शूटिंग क्लब मिलकर चाहते हैं कि भारत निशानेबाजी के खेल में दुनिया में टॉप पर आए। इस सेंटर में क्या-क्या होगा? यहां एयर राइफल, एयर पिस्टल और 50 मीटर राइफल के लिए दो एकदम नए शूटिंग रेंज होंगे। इसके अलावा एक ऐसा सेंटर भी होगा जहां खिलाडिय़ों की परफॉर्मेंस का एनालिसिस किया जाएगा, उन्हें चोटों से बचाया जाएगा और रिकवरी में मदद मिलेगी। 
खिलाडिय़ों के दिमाग और भावनाओं को मजबूत करने के लिए एक स्पोर्ट्स साइकोलॉजी यूनिट भी होगी। इतना ही नहीं, दूर से आने वाले खिलाडिय़ों और कोच के रहने के लिए कमरे और ट्रेनिंग की दूसरी सुविधाएं भी होंगी। उम्मीद है कि इस सेंटर में हर साल 400 से ज्यादा खिलाड़ी आएंगे, जिनमें रहने वाले और बाहर से आने वाले दोनों शामिल होंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि यह सेंटर हर तरह के खिलाडिय़ों के लिए आसान होगा, यहां तक कि पैरा-एथलीट्स (दिव्यांग खिलाड़ी) भी आसानी से आ-जा सकेंगे। जो खिलाड़ी पैरालिंपिक और डेफलिंपिक में भारत का नाम रोशन कर चुके हैं, उन्हें भी यहां सपोर्ट मिलेगा। 
एक्सिस बैंक के विजय मुलबागल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि वे भारतीय खेलों को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रहे हैं। उनका मानना है कि यह सेंटर भारत के टॉप शूटर्स को ओलंपिक में जीतने में मदद करेगा और देश में नए शूटर्स को ढूंढकर उन्हें आगे बढ़ाएगा। सुमा शिरूर ने कहा कि एक्सिस बैंक के साथ यह साझेदारी उनके सपने को सच करने के करीब ले जाती है। वे एक ऐसा सेंटर बनाना चाहती थीं जहां खिलाडिय़ों को सही सपोर्ट मिले और हर युवा शूटर को यह लगे कि उनके पास सफल होने का पूरा मौका है।

 

अपस्ट्रीम ऑयल सेक्टर में गैस उत्सर्जन की जांच के लिए नियम को सख्त करने जा रही सरकार
Posted Date : 12-May-2025 9:22:54 pm

अपस्ट्रीम ऑयल सेक्टर में गैस उत्सर्जन की जांच के लिए नियम को सख्त करने जा रही सरकार

नई दिल्ली  । केंद्र सरकार अपस्ट्रीम ऑयल सेक्टर में गैस उत्सर्जन की जांच के लिए नियम को सख्त करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए ड्राफ्ट पॉलिसी भी तैयार कर ली गई है। 
अपस्ट्रीम ऑयल एंड गैस एक्सप्लोरेशन और उत्पादन क्षेत्र के लिए तैयार की गई केंद्र की नई ड्राफ्ट पॉलिसी का उद्देश्य गैस फ्लेयरिंग गतिविधियों सहित खनिज तेल संचालन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और फ्लेयर्ड गैस की करीब से निगरानी करना है।
तेल क्षेत्रों से उत्पादन के दौरान गैस का नियमित रूप से प्रज्वलन होता रहता है, क्योंकि उत्पादन क्षेत्रों में गैस के उपयोग के लिए फैलिसिटीज जैसे रिइंजेक्शन, ऑन-साइट उपयोग, बाजार तक परिवहन आदि की कमी होती है।
ड्राफ्ट पॉलिसी में यह प्रावधान है कि सभी पट्टेधारक और ठेकेदारों को प्रत्येक कैलेंडर तिमाही के अंत से पंद्रह दिनों के भीतर निश्चित फॉर्मेट के अनुसार तिमाही आधार पर प्रज्वलित गैस की मात्रा और उससे संबंधित उत्सर्जन की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि हर पट्टेदार और ठेकेदार खनिज तेल उत्पादक परिचालन के दौरान होने वाली ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के उपाय अपनाएगा और लागू पर्यावरण कानूनों और मानदंडों का अनुपालन करेगा।
ड्राफ्ट नियमों में कहा गया है कि प्रत्येक पट्टेदार और ठेकेदार को पट्टे पर दिए गए क्षेत्र से खनिज तेल का उत्पादन शुरू होने के 180 दिनों के भीतर खनिज तेल परिचालन से ग्रीनहाउस उत्सर्जन के स्रोतों की पहचान और मापने से विधि के लिए एक निगरानी प्लान प्रस्तुत करना होगा।
ड्राफ्ट नियमों में आगे कहा गया कि पट्टेदार या ठेकेदार भारत सरकार को एक पर्यावरण प्रबंधन योजना और आपदा योजना प्रस्तुत करेगा, जिसमें भूजल दूषित होने और वायुमंडलीय उत्सर्जन सहित पर्यावरण के लिए जोखिम को कम करने के उपायों की रूपरेखा होगी।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने ड्राफ्ट नियमों पर पक्षकारों से टिप्पणियां मांगी हैं।

 

आने वाले समय में चीन से बेहतर प्रदर्शन करेगी भारतीय अर्थव्यवस्था : जिम रोजर्स
Posted Date : 12-May-2025 9:22:24 pm

आने वाले समय में चीन से बेहतर प्रदर्शन करेगी भारतीय अर्थव्यवस्था : जिम रोजर्स

नई दिल्ली  । दिग्गज वैश्विक निवेशक जिम रोजर्स ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे अच्छा निवेश स्थान बनने की ओर आगे बढ़ रहा है और इसकी तुलना चीन से जरूर की जाएगी। साथ ही कहा कि आने वाले समय में देश की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन चीन से भी अच्छा हो सकता है। 
जिम रोजर्स ने कहा, मैं दशकों से निवेश की दुनिया से जुड़ा रहा हूं और अपने जीवन में पहली बार मैंने दिल्ली को इस तरह से अर्थशास्त्र को समझते देखा है।
अमेरिकी निवेशक ने आगे कहा, भारत फिर से उभर रहा है। मुझे लगता है कि दिल्ली के लोग समझते हैं कि क्या किया जाना चाहिए और वे सही चीजें करने की कोशिश कर रहे हैं। यह भारत और दुनिया के लिए बहुत अच्छा होगा। अगर भारत वास्तव में खुल सकता है और पूरी दुनिया के साथ व्यापार कर सकता है तो आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि भविष्य में भारत कितना आकर्षक स्थान हो सकता है।
रोजर्स ने कहा, फिलहाल भारत में मेरा कोई निवेश नहीं है, लेकिन मैं सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में और अधिक निवेश करना चाहता हूं।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर बाजार नीचे चला जाता है और कुछ समय तक नीचे ही रहता है, तो मैं भारत में पैसा लगाना चाहूंगा।
आईएमएफ की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2025 में विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इस दौरान देश की जीडीपी का आकार बढक़र 4,187.017 अरब डॉलर हो जाएगा, जबकि जापान की जीडीपी का आकार 4,186.431 अरब डॉलर रह जाएगा।
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) पर रोजर्स ने आईएएनएस से कहा कि यह दुनिया के साथ विशेष रूप से भारत के लिए अच्छा है।
भारत ने अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ 13 एफटीए पर हस्ताक्षर किए हैं। देश वर्तमान में ईयू, ऑस्ट्रेलिया, ओमान, पेरू और श्रीलंका के साथ व्यापारिक समझौतों को लेकर बातचीत कर रहा है।