0- कोराना वैक्सीन के 44 करोड़ डोज के लिए दिया ऑर्डर
नई दिल्ली ,08 जून । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योग दिवस यानी 21 जून से राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देने के ऐलान के अगले ही दिन केंद्र सरकार वैक्सीन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए एक्शन के मूड में आ गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को 44 करोड़ वैक्सीन का ऑर्डर जारी कर दिया है। इसमें 25 करोड़ कोविशील्ड और 19 करोड़ कोवाक्सिन शामिल हैं। सरकार ने कंपनियों को ऑर्डर की 30 फीसदी रकम एडवांस में ही जारी कर दी है।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल ने इसकी जानकारी दी है। इसके अलावा सरकार ने जैविक ई के टीके की 30 करोड़ खुराक खरीदने का भी आदेश दिया है, जो सितंबर तक उपलब्ध होगा। पॉल ने आगे कहा कि निजी क्षेत्रों (अस्पतालों) के लिए टीकों की कीमत वैक्सीन निर्माताओं द्वारा तय की जाएगी। वहीं राज्य निजी क्षेत्र द्वारा कुल मांग की निगरानी करेंगे। जिसका अर्थ है कि वे देखेंगे कि उसके पास सुविधाओं का कितना नेटवर्क है, और उसे कितनी खुराक की आवश्यकता है। वहीं जब डॉ वीके पॉल से पूछा गया कि क्या भारत सरकार ने एससी के फैसले के बाद टीकाकरण के लिए नए दिशानिर्देश पेश किए हैं। इसपर पॉल ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट की चिंता का सम्मान करते हैं, लेकिन भारत सरकार 1 मई से विकेंद्रीकृत मॉडल के कार्यान्वयन का मूल्यांकन कर रही थी। ऐसे निर्णय विश्लेषण और परामर्श के आधार पर निश्चित समय की अवधि में लिए जाते रहे हैं।
तीसरी लहर से नहीं होगा बच्चों को कोई खतरा
एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने मंगलवार को कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों पर कहर की आशंकाओं को खारिज किया है। किसी भारतीय या ग्लोबल स्टडी में ऐसी बात नहीं कही गई है कि बच्चों पर ज्यादा असर हो रहा है। यहां तक कि दूसरी लहर में भी जो बच्चे संक्रमित हुए, उनमें मामूली लक्षण ही थे। इसके अलावा कुछ और बीमारियों के चलते उनकी गंभीरता बढ़ गई थी। एम्स के निदेशक ने राहत की उम्मीद बंधाते हुए कहा कि मैं नहीं मानता कि भविष्य में भी बच्चों पर कोरोना का कोई गंभीर असर होगा। कई एक्सपर्ट्स ने तीसरी लहर में बच्चों पर असर की आशंका जताई है। ऐसे में एम्स के निदेशक की ओर से ऐसी आशंकाओं को खारिज किया जाना बड़ी राहत देने जैसा है।
0- 24 घंटे में 86,498 नए मामले , 2123 मरीजों ने गंवाई जान
नई दिल्ली ,08 जून । देश में दूसरी लहर के कहर के बाद 24 घंटे में एक लाख से कम दैनिक मामले दर्ज किये गये। कोरोना की दूसरी लहर देश में अप्रैल और मई माह पर इतनी भारी पड़ी कि एक दिन में संक्रमितों का आंकड़ा चार लाख के आंकड़े को पार कर गया था, लेकिन मई में अंतिम सप्ताह में इस आंकड़े में गिरावट आती रही, लेकिन मौतों के तांडव ने देश को हिलाकर रख दिया। हालांकि पिछले एक दिन में संक्रमण से मौतों का आंकड़ा ढाई हजार से कम रहा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार को जारी आंकड़े के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 86,498 नए मामले सामने आये, जो पिछले 63 दिन में सबसे कम एक लाख से कम मामले दर्ज किये गये है, इससे पहले दो अप्रैल को 24 घंटे में 81,466 नए मामले सामने आए थे। इस प्रकार देश में संक्रमितों की संख्या बढक़र 2,89,96,473 हो गई है। वहीं इस दौरान 47 दिन बाद 2,123 संक्रमण से मौत के आंकड़ों में कमी आई। इस प्रकार देश में संक्रमण से मौत का शिकार हुए लोगों की संख्या बढक़र 3,51,309 हो गई। कोविड-19 के एक लाख से कम मामले सामने आए और नमूनों के संक्रमित आने की दैनिक दर भी गिरकर 4.62 प्रतिशत हो गई है। दूसरी लहर की पीक अब खत्म हो चुकी है और अब दैनिक मामलों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी।
पॉजिटिविटी रेट गिरकर 4.62 फीसदी
आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी तक कुल 36,82,07,596 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई है, जिनमें से 18,73,485 नमूनों की जांच सोमवार को की गई। नमूनों के संक्रमित आने की दर भी गिरकर 4.62 प्रतिशत हो गई। पिछले 15 दिन से संक्रमण की दैनिक दर 10 प्रतिशत से कम बनी है। वहीं, संक्रमण की साप्ताहिक दर भी कम होकर 5.94 प्रतिशत हो गई है।
15 लाख से कम हुए सक्रिय मामले
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी 13,03,702 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 4.50 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मामलों में कुल 97,907 की गिरावट आई है। मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर 94.29 प्रतिशत है
रिकवरी रेट में जबरदस्त सुधार
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि जहां 7 मई को देश में प्रतिदिन के हिसाब से 4,14,000 मामले दर्ज किए गए थे, वे अब 1 लाख से भी कम हो गए हैं। अग्रवाल ने कहा कि 4 मई को देश में 531 ऐसे जिले थे, जहां प्रतिदिन 100 से अधिक मामले दर्ज किए जा रहे थे। ऐसे जिले अब 209 रह गए हैं। उन्होंने कहा कि स्थिति तेजी से सुधर रही है। लव अग्रवाल ने कहा कि 3 मई को देश में रिकवरी दर 81.8 फीसदी थी अब रिकवरी दर 94.3 फीसदी हो गई है। पिछले 24 घंटों में देश में 1,82,000 रिकवरी हुई हैं। हर राज्य में अब रिकवरी की संख्या प्रतिदिन दर्ज किए जा रहे मामलों की संख्या से ज्यादा है।
नई दिल्ली ,08 जून । केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दिव्यांग बच्चों के लिए ई-कंटेंट का विकास करने के संबंध में आज दिशा निर्देश जारी किए जाने को मंजूरी दे दी।
प्रधानमंत्री ई-विद्या नाम की एक व्यापक पहल 17 मई, 2020 को शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य डिजिटल/ ऑनलाइन/ ऑन एयर शिक्षा के संबंध में किए जा रहे सभी प्रयासों को एकीकृत करना था। इस पहल का लक्ष्य अन्य बातों के अलावा दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष प्रकार का ई-कंटेंट विकसित करना था। इस परिकल्पना को पूरा करने के लिए शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जो इन विशेष बच्चों के लिए ई-कंटेंट का विकास करने के लिए दिशा निर्देशों की सिफारिश करे।
इस तरह, पहली बार सीडब्ल्यूडी यानी विशिष्ट ज़रूरतों वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) के लिए दिशा निर्देश बनाने का प्रयास किया गया ताकि समावेशी शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इस समिति ने गाइडलाइंस फॉर दि डेवलपमेंट ऑफ ई-कंटेंट फॉर चिल्ड्रेन विद डिसएबिलिटीज़ शीर्षक अपनी रिपोर्ट जमा की जिसमें 11 खंड और दो परिशिष्ट थे। शिक्षा मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को शेयर किया, प्रस्तुत किया, इस पर विचार किया और फिर स्वीकार किया।
इस रिपोर्ट में ई-कंटेंट दिशानिर्देशों के बारे में मुख्य बातें
सीडब्ल्यूडी बच्चों के लिए ई-कंटेंट का विकास चार सिद्धांतों : समझने योग्य, लागू किए जाने योग्य, समझ में आने योग्य तथा सुदृढ़ता के आधार पर किया जाए ।
सभी पाठ, पहाड़े, आकृतियां, दृश्य (विजुअल्स), श्रव्य (ऑडिओ) आदि समेत सभी तरह का ई-कंटेंट अभिगम्यता (पहुंच बनाने वाले) स्तर, राष्ट्रीय स्तर (जीआईजीडब्ल्यू 2.0) और अंतर्राष्ट्रीय स्तर (डब्ल्यूसीएजी2.1 ,ई-पब, डेज़ी आदि) के होने चाहिए।
जिस वितरण प्लेटफार्म पर इसे अपलोड किया जाएगा (दीक्षा आदि) तथा पठन पाठन प्लेटफार्म उपकरण, जिसपर कंटेट तक पहुंच बनेगी और संवाद होगा (ई-पाठशाला) को तकनीकी मानकों के अनुरूप बनाना होगा ।
सीडब्ल्यूडी बच्चों की विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उचित शैक्षणिक आवास बनाने की भी सिफारिश की गई।
तकनीकी मानकों और दिशानिर्देशों का विवरण रिपोर्ट के खंड 4 में दिया गया है।
समिति ने यह सिफारिश भी की कि धीरे धीरे पाठ्य पुस्तकों को सुगम्य डिजिटल पाठ्यपुस्तकों (एडीटीज़)में बदल दिया जाए। इन एडीटीज़ का कंटेंट कई प्रकार के फॉर्मेट जैसे पाठ, श्रव्य, दृश्य, वीडियो और सांकेतिक भाषा आदि में दिया जाए जिसमें टर्न आन और टर्न ऑफ जैसी सुविधाएं भी हों । इसके अलावा एडीटी को सीडब्ल्यूडी को अपनी सामग्री/अभ्यास का कई तरीकों से जवाब देने के लिए लचीलापन प्रदान करना चाहिए। हाल के एनसीईआरटी के अनुभव सहित प्रोटोटाइप के विकास में मौजूदा अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय अनुभव के साथ एडीटी विकसित करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश: बरखा: सभी के लिए एक रीडिंग सीरीज़ (प्रिंट और डिजिटल रूपों में), सभी के लिए एक्सेसिबल टेक्स्टबुक और यूनिसेफ की एक्सेसिबल डिजिटल टेक्स्टबुक सीखने के लिए यूनिवर्सल डिज़ाइन का उपयोग करने (दिव्यांग तथा अन्य शिक्षार्थियों के लिए) के बारे में रिपोर्ट के खंड 5 में विवरण प्रस्तुत किया गया है।
एडीटी के अलावा, धारा 6 से 9 में समिति ने बौद्धिक और विकासात्मक अक्षमताओं, एकाधिक दिव्यांगताओं, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार, विशिष्ट शिक्षा की ज़रूरत वाले छात्रों, दिव्यांगता, अंधापन, कम दृष्टि, बहरापन और सुनने में कठिनाई और अन्य के लिए आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 में निर्दिष्ट 21 अक्षमताओं के अनुसार पूरक ई-सामग्री के विकास के लिए विशिष्ट दिशानिर्देशों की सिफारिश की है।
सामग्री निर्माताओं, सामग्री डिजाइनरों, डेवलपर्स, प्रकाशकों के साथ व्यापक रूप से साझा करने के लिए रिपोर्ट की धारा 10 में सिफारिशों का सारांश प्रस्तुत किया गया है।
अभिगम्यता दिशानिर्देशों के अनुपालन को सुदृढ़ करने के सुझावों के साथ कार्यान्वयन रोडमैप रिपोर्ट की धारा 11 में प्रस्तुत किया गया है।
रिपोर्ट के परिशिष्ट-1 में सांकेतिक भाषा वीडियो के निर्माण के लिए व्यापक दिशानिर्देश और तकनीकी मानक दिए गए हैं।
सामग्री विकास और शैक्षणिक आवास के लिए यूनिवर्सल डिजाइन फॉर लर्निंग (यूडीएल) दिशानिर्देश रिपोर्ट के परिशिष्ट 2 में दिए गए हैं।
ये दिशानिर्देश विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए डिजिटल शिक्षा के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री के निर्माण की पहल करेंगे। ये बच्चे स्वभाव से गतिशील हैं और उनमें अनुभव और बेहतर प्रौद्योगिकी के आधार पर सुधार किया जा सकता है।
0- अब बिना कोरोना रिपोर्ट के श्रद्धालु कर रहे है दर्शन
वाराणसी ,08 जून । भोले भंडारी की नगरी काशी में भक्तों के दर्शन हेतु आज सुबह से ही बाबा विश्वनाथ मंदिर का कपाट आम भक्तों के लिए खुल गया। मंदिर का दरबार खुलने के साथ ही शिवभक्त अपने आराध्य के दर्शन पाने को मंदिर पहुंच गए। भोले-बम-बम, हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ भक्त मंदिर प्रबंधन द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक कर रहे हैं। वहीं अब भक्त बिना कोविड-19 आरटीपीसीआर रिपोर्ट के बाबा के दर्शन कर सकते हैं। कोरोना की दूसरी लहर जब पीक पर थी, जिसके चलते बीती 15 अप्रैल के बाद मंदिर में भक्तों के प्रवेश को रोक लगा दिया गया था। मंगलवार सुबह से ही बाबा विश्वनाथ के मंदिर पर अपनी मुराद पूरी करने की अभिलाषा लिए भक्त मंदिर पहुंच गए। मंदिर प्रबंधन समिति ने कोरोना गाइड लाइन के मुताबिक श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया। मंदिर में प्रवेश करने वाले भक्तों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए गोल घेरे के अन्दर खड़ा किया गया है, उनके हाथों का सैनिटाइज टाइज करते हुए उनके बॉडी तापमान भी मापा जा रहा है।
बिना मास्क लगाये मंदिर में प्रवेश नही मिलेगा, वही एक समय में 5 भक्त ही मंदिर में प्रवेश पा सकेंगे। भक्त मंदिर की दीवार या किसी भी मूर्ति या किसी वस्तु को छूने पर रोक लगाई हुई है, श्रृद्धालु दर्शन के लिए बनाए गए नियमों का पालन करते हुए बाबा को दूर से ही जल चढ़ा सकते हैं। वही भक्तों की सुरक्षा के मद्देनजर गृभ गृह प्रवेश पर रोक लगाई गई है।
शिवलिंग पर जलाभिषेक दो गज की दूरी से किया जायेगा, उसके लिए मंदिर प्रबंधन ने विशेष व्यवस्था की है। मूर्तियों पर माला चढ़ाने की रोक के साथ चंदन टीका लगाने की भी अनुमति नहीं दी गई है। कोरोना की दूसरी लहर के चलते बाबा विश्वनाथ का दरबार बंद कर दिया गया था। आज 53 दिनों बाद मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही भक्तों के चेहरे खिल उठे, वही स्थानीय माला-फूल और प्रसाद बेचने वाले दुकानदारों में भी खुशी की लहर दिखाई दे रही है।
मंदिर से जुड़े छोटे दुकानदारों का मानना है कि कि अब मंदिर खुलने के साथ ही उनका बंद व्यवसाय अब चलेगा और उनकी दिक्कत परेशानियों भी दूर होंगी। मंदिर में पहुंचे हुए भक्तों का कहना है कि मंदिर कपाट खुलने से बेहद खुश है। अब बाबा के दर्शन मिलते ही भक्तों ने प्रार्थना की है कि अब कोरोना का खात्मा हो।
0- योग दिवस से देशभर में सबको लगेगी मुफ्त वैक्सीन : पीएम मोदी
0- दिवाली तक 80 करोड़ गरीबों को फ्री मिलेगा राशन
नई दिल्ली ,07 जून । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए कोरोना संकट से निपटने के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा 21 जून से 18 साल से अधिक आयु के सभी लोगों को फ्री टीका लगाया जाएगा। निजी अस्पतालों को लेकर भी पीएम मोदी ने कहा कि वे कोरोना वैक्सीन की एक डोज की तय कीमत के अलावा 150 रुपये से अधिक सर्विस चार्ज नहीं वसूल सकेंगे। वहीं उन्होंने कोरोना काल में लॉकडाउन में देश के 80 करोड़ से ज्यादा गरीबों के लिए पीएम गरीब अन्न योजना का विस्तार करते हुए ऐलान किया कि अब दीवाली तक गरीबों को मुफ्त राशन दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत कोरोना से जान गंवाने वालों को याद करके की। उन्होंने कहा कि पिछले 100 साल में यह सबसे बड़ी महामारी है। साथ ही, देश में वेंटिलेटर और स्वास्थ्य सुविधाओं का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि अप्रैल और मई के महीने में ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई। भारत में कभी इतनी मात्रा में इतनी ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया गया। सरकार के सभी तंत्र लगे। ऑक्सीजन रेल, एयरफोर्स, नौसेना को लगाया गया। लिक्विड ऑक्सीजन के प्रोडक्शन में 10 गुना ज्यादा बढ़ोतरी बहुत कम समय में हो गई। पीएम मोदी ने कहा कि लड़ाई में वैक्सीन सुरक्षा कवच की तरह है। पूरी दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां गिनी-चुनी हैं। अभी हमारे पास भारत में बनी वैक्सीन नहीं होती तो भारत जैसे विशाल देश में क्या होता। पिछले 50-60 साल का इतिहास देखेंगे तो पता चलेगा कि भारत को विदेशों से वैक्सीन हासिल करने में दशकों लग जाते थे। वैक्सीन का काम पूरा हो जाता था, तब भी हमारे देश में वैक्सीनेशन का काम शुरू नहीं हो पाता था। पोलियो, स्मॉल पॉक्स, हैपेटाइटिस बी की वैक्सीन के लिए देशवासियों ने दशकों तक इंतजार किया था।
नवंबर तक 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले साल जब लॉकडाउन लगाना पड़ा तो प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 80 करोड़ देशवासियों को 8 महीने तक मुफ्त राशन दिया गया। दूसरी वेव के कारण मई और जून के लिए भी ये योजना बढ़ाई गई। आज सरकार ने फैसला लिया है कि इस योजना को अब दीपावली तक आगे बढ़ाया जाएगा। सरकार गरीब की हर जरूरत के साथ उसका साथी बनी है। नवंबर तक 80 करोड़ गरीबों को तय मात्रा में मुफ्त अनाज उपलब्ध होगा। मेरे किसी भी गरीब भाई-बहन को, उसके परिवार को भूखा नहीं सोना पड़ेगा।
21 जून से सबको मुफ्त वैक्सीन
पीएम मोदी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर नई गाइडलाइन के अनुसार जरूरी तैयारी कर लेगी। संयोग है कि 21 जून को ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भी है। 21 जून सोमवार से देश के हर राज्य में 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन उपलब्ध कराएगी। वैक्सीन निर्माताओं से कुल उत्पादन का 75त्न हिस्सा खुद खरीदकर राज्य सरकार को मुफ्त देगी। किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन को कुछ भी खर्च नहीं करना होगा।
अब टीके की पूरी जिम्मेदारी केंद्र के पास
पीएम मोदी ने कहा, एक अच्छी बात रही कि समय रहते राज्य पुनर्विचार की मांग के साथ फिर आगे आए। राज्यों की इस मांग पर हमने भी सोचा कि देशवासियों को तकलीफ न हो। सुचारु रूप से उनका वैक्सीनेशन हो। इसके लिए 16 जनवरी से अप्रैल अंत वाली व्यवस्था को फिर लागू किया जाए। आज ये फैसला लिया गया है कि राज्यों के पास वैक्सीनेशन से जुड़ा जो 25त्न काम था, उसकी जिम्मेदारी भारत सरकार उठाएगी। ये व्यवस्था दो हफ्ते में लागू की जाएगी।
जल्द बढ़ेगी वैक्सीन की सप्लाई
पीएम मोदी बोले, पिछले साल अप्रैल में जब कोरोना के कुछ हजार केस थे, तभी हमने वैक्सीन टास्क फोर्स का गठन कर दिया था। भारत के लिए वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को हर तरह से सपोर्ट किया। वैक्सीन निर्माताओं को क्लीनिकल ट्रायल में मदद की गई। रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए जरूरी फंड दिया गया। हर स्तर पर सरकार उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चली। आत्मनिर्भर पैकेज के तहत मिशन कोविड सुरक्षा के जरिए हजारों करोड़ रुपए उपलब्ध कराए गए। पिछले कई समय से देश जो लगातार प्रयास कर रहा है, उससे आने वाले दिनों में वैक्सीन की सप्लाई बढऩे वाली है।
भारत किसी से पीछे नहीं
पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश के वैज्ञानिकों ने ये दिखा दिया कि भारत बड़े-बड़े देशों से पीछे नहीं है। आज जब बात कर रहा हूं तो देश में 23 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी है। हमारे यहां कहा जाता है कि विश्वासेन सिद्धि यानी हमारे प्रयासों से सफलता तब मिलती है जब हमें स्वयं पर विश्वास होता है। हमें पूरा विश्वास था कि हमारे वैज्ञानिक बहुत ही कम समय में वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर लेंगे। इसी विश्वास के चलते जब हमारे वैज्ञानिक अपना रिसर्च वर्क कर रहे थे, तभी हमने तैयारियां कर ली थीं।
एक साल में बनाई दो देसी वैक्सीन
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमने 5-7 साल में ही वैक्सीनेशन कवरेज 60त्न से बढ़ाकर 90त्न तक पहुंचा दिया। हमने वैक्सीनेशन की स्पीड और दायरा दोनों बढ़ा दिया। बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए कई नए टीकों को अभियान का हिस्सा बनाया। हमें हमारे देश के बच्चों की चिंता थी, गरीब की चिंता थी, गरीब के बच्चों की चिंता थी, जिन्हें कभी टीका लग ही नहीं पाया। हम सही तरह से आगे बढ़ रहे थे कि कोरोना वायरस ने हमें घेर लिया। देश ही नहीं दुनिया के सामने फिर पुरानी आशंकाएं घिरने लगीं कि भारत कैसे इतनी बड़ी आबादी को बचा पाएगा। जब नीयत साफ होती है और नीति स्पष्ट होती है और निरंतर परिश्रम होता है तो नतीजे भी मिलते हैं। हर आशंका को दरकिनार करके भारत में एक साल के भीतर ही एक नहीं बल्कि दो मेड इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च कर दी।
वैक्सीनेशन के लिए मिशन मोड में काम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2014 में देशवासियों ने हमें सेवा का अवसर दिया तो भारत में वैक्सीनेशन का कवरेज सिर्फ 60त्न के आसपास था। हमारी नजर में ये चिंता की बात थी। जिस रफ्तार से भारत का टीकाकरण कार्यक्रम चल रहा था, उस रफ्तार से देश को शत-प्रतिशत टीकाकरण कवरेज हासिल करने में 40 साल लग जाते। हमने इस समस्या के समाधान के लिए मिशन इंद्रधनुष को लॉन्च किया है। हमने तय किया कि इस मिशन के माध्यम से युद्ध स्तर पर वैक्सीनेशन किया जाएगा और देश में जिसको भी वैक्सीनेशन की जरूरत है। उसे वैक्सीन देने का प्रयास होगा। हमने मिशन मोड में काम किया।
ऑक्सीजन की कमी का किया जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत कोरोना से जान गंवाने वालों को याद करके की। उन्होंने कहा कि पिछले 100 साल में यह सबसे बड़ी महामारी है। साथ ही, देश में वेंटिलेटर और स्वास्थ्य सुविधाओं का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि अप्रैल और मई के महीने में ऑक्सीजन की डिमांड अकल्पनीय रूप से बढ़ गई। भारत में कभी इतनी मात्रा में इतनी ऑक्सीजन की जरूरत महसूस नहीं की गई। इस जरूरत को पूरा करने के लिए युद्ध स्तर पर काम किया गया। सरकार के सभी तंत्र लगे। ऑक्सीजन रेल, एयरफोर्स, नौसेना को लगाया गया। लिक्विड ऑक्सीजन के प्रोडक्शन में 10 गुना ज्यादा बढ़ोतरी बहुत कम समय में हो गई।
0- 24 घंटे में एक लाख नए मामले, 2427 मौतें की मौत
नई दिल्ली ,07 जून । देश में 61 दिनों के बाद कोरोना वायरस के सबसे कम मामले सामने आए हैं। बीते 24 घंटे में देश में कोरोना वायरस के एक लाख मामले दर्ज किए गए हैं और 2427 मरीजों ने इस खतरनाक वायरस के आगे दम तोड़ा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे में कोविड-19 के 1,00,636 नए मामले सामने आने के बाद देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या बढक़र 2,89,09,975 हो गई। वहीं उपचाराधीन मरीजों की संख्या कम होकर 14,01,609 हो गई है।वहीं बीते 24 घंटे में 2,427 और लोगों की संक्रमण से मौत के बाद मृतक संख्या बढक़र 3,49,186 हो गई। पिछले 45 दिन में संक्रमण से मौत के ये सबसे कम मामले सामने आए हैं। इससे पहले छह अप्रैल को 24 घंटे में संक्रमण के 96,982 नए मामले सामने आए थे। आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी तक कुल 36,63,34,111 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई है, जिनमें से 15,87,589 नमूनों की जांच रविवार को की गई। नमूनों के संक्रमित आने की दर 6.34 प्रतिशत है। पिछले 14 दिन से संक्रमण की दैनिक दर 10 प्रतिशत से कम बनी है। वहीं, संक्रमण की साप्ताहिक दर भी कम होकर 6.21 प्रतिशत हो गई है।
सक्रिय मामले 15 लाख से नीचे
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में अभी 14,01,609 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 4.85 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में उपचाराधीन मामलों में कुल 76,190 की गिरावट आई है। संक्रमण मुक्त हुए लोगों की संख्या लगातार 25वें दिन संक्रमण के नए मामलों से अधिक रही। देश में अभी तक कुल 2,71,59,180 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं और मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर भी बढक़र 93.94 प्रतिशत हो गई है। वहीं, कोविड-19 से मृत्यु दर 1.21 प्रतिशत हो गई है।