मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने नई लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (एलसीआर) गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसके तहत बैंकों को 1 अप्रैल, 2026 से इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग-इनेबल्ड रिटेल और स्मॉल बिजनेस कस्टमर डिपॉजिट पर 2.5 प्रतिशत का अतिरिक्त रन-ऑफ रेट आवंटित करना होगा।
बैंकों को लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ) और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) के तहत मार्जिन आवश्यकताओं के अनुरूप सरकारी प्रतिभूतियों (स्तर 1 एचक्यूएलए) के बाजार मूल्य को भी एडजस्ट करना होगा। इसके अलावा, नई गाइडलाइंस में अन्य कानूनी संस्थाओं से होलसेल फंडिंग की संरचना को भी तर्कसंगत बनाया गया है। नतीजतन, ट्रस्ट (शैक्षणिक, धर्मार्थ और धार्मिक), पार्टनरशिप, एलएलपी आदि जैसी गैर-वित्तीय संस्थाओं से फंडिंग पर वर्तमान में 100 प्रतिशत की तुलना में 40 प्रतिशत की कम रन-ऑफ रेट लागू होगी। आरबीआई ने बयान में कहा, संशोधित गाइडलाइंस 1 अप्रैल, 2026 से लागू होंगी। इससे बैंकों को एलसीआर कैलकुलेशन के लिए अपने सिस्टम को नए मानकों में परिवर्तित करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।
रिजर्व बैंक ने 31 दिसंबर, 2024 तक बैंकों द्वारा दिए गए आंकड़ों के आधार पर उपरोक्त उपायों का प्रभावी विश्लेषण किया है। यह अनुमान लगाया गया है कि इन उपायों के प्रभाव से उस तिथि तक बैंकों के एलसीआर में समग्र स्तर पर लगभग 6 प्रतिशत अंकों का सुधार होगा। इसके अलावा, सभी बैंक न्यूनतम एलसीआर आवश्यकताओं को आराम से पूरा करना जारी रखेंगे। आरबीआई के एक बयान के अनुसार, उम्मीद है कि ये उपाय भारत में बैंकों की तरलता बढ़ाएंगे। आरबीआई के बयान में कहा गया है कि बैंकों की ओर से दिए गए फीडबैक की सावधानीपूर्वक जांच करने के बाद अंतिम एलसीआर गाइडलाइंस जारी की गई हैं। लिक्विडिटी कवरेज अनुपात बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बेसल समिति द्वारा विकसित एक रेगुलेटरी स्टैंडर्ड है। इसके लिए बैंकों को उच्च गुणवत्ता वाली लिक्विड संपत्तियों का एक बफर रखने की आवश्यकता होती है, जो 30 दिन के तनाव परिदृश्य में शुद्ध कैश आउटफ्लो को कवर कर सके।
बेंगलुरु । भारत के टॉप आठ शहरों में 2025 की पहली तिमाही में औद्योगिक और वेयरहाउसिंग की मांग 9 मिलियन वर्ग फीट पर मजबूत बनी रही, जिसमें सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई। दिल्ली-एनसीआर और चेन्नई ने मांग में बढ़त हासिल की, जो मिलाकर पहली तिमाही में कुल लीजिंग का लगभग 57 प्रतिशत था।
कोलियर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में ग्रेड ए औद्योगिक और वेयरहाउसिंग स्पेस की मांग में शानदार वृद्धि दर्ज की गई।
टॉप आठ शहरों में, इंजीनियरिंग क्षेत्र ने इस तिमाही में मांग को आगे बढ़ाया, जिसने कुल औद्योगिक और वेयरहाउसिंग स्पेस में लगभग 25 प्रतिशत का योगदान दिया, इसके बाद ई-कॉमर्स ने 21 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरा स्थान हासिल किया।
इन दोनों क्षेत्रों ने हमेशा सबसे आगे रहने वाले ‘थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक्स (3पीएल)’ प्लेयर्स की मांग को भी पीछे छोड़ दिया।
रिपोर्ट में बताया गया है कि चेन्नई और बेंगलुरु में इंजीनियरिंग क्षेत्र में रहने वालों की ओर से मजबूत रुझान देखा गया, जबकि दिल्ली-एनसीआर और मुंबई में ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से मांग दर्ज की गई।
कोलियर्स इंडिया के औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स सेवाओं के प्रबंध निदेशक विजय गणेश ने कहा, ऑटोमोबाइल कंपनियों ने भी 1.3 मिलियन वर्ग फीट में ग्रेड ए औद्योगिक और वेयरहाउसिंग स्पेस खरीदा है। ये समग्र विकास के स्वस्थ संकेत हैं, जो बड़े स्तर पर मांग को दर्शाते हैं।
तिमाही के दौरान इंजीनियरिंग और ई-कॉमर्स कंपनियों ने लीजिंग के बड़े हिस्से में अपना योगदान दिया, जो कुल मांग का लगभग 46 प्रतिशत था।
2025 की पहली तिमाही में लगभग 2.2 मिलियन वर्ग फीट लीजिंग के साथ, इंजीनियरिंग फर्मों ने ग्रेड ए औद्योगिक और वेयरहाउसिंग मांग का लगभग एक-चौथाई हिस्सा लिया।
चेन्नई और बेंगलुरु में मजबूत मांग के कारण इस क्षेत्र में वार्षिक आधार पर लीजिंग एक्टिविटी में 2 गुना से अधिक वृद्धि देखी गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-कॉमर्स में भी करीब 2 मिलियन वर्ग फीट लीजिंग देखी गई, जिसमें दिल्ली-एनसीआर और मुंबई का सबसे बड़ा योगदान रहा।
2025 की पहली तिमाही के दौरान 2,00,000 वर्ग फीट से ऊपर के बड़े सौदे 4.3 मिलियन वर्ग फीट की मांग के साथ 48 प्रतिशत के बराबर थे।
ये बड़े सौदे ई-कॉमर्स कंपनियों से जुड़े थे। इसके बाद इंजीनियरिंग और ऑटोमोबाइल फर्मों का स्थान रहा।
2025 की पहली तिमाही में 9.4 मिलियन वर्ग फीट की नई सप्लाई दर्ज की गई, जो सालाना आधार पर 16 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तिमाही के दौरान नई सप्लाई मजबूत लीजिंग एक्टिविटी को देखते हुए थी, जो औद्योगिक और वेयरहाउसिंग बाजार में डेवलपर के बेहतर आत्मविश्वास को दर्शाता है।
नई दिल्ली / सोने की कीमतों ने सोमवार को नया रिकॉर्ड हाई बनाया और 24 कैरेट सोने का भाव पहली बार 97,000 रुपये के करीब पहुंच गया है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर 24 कैरेट के 10 ग्राम सोने का भाव बढक़र 96,805 रुपये हो गया है, जो कि 97,000 रुपये से मामूली रूप से कम है। सोने की कीमतों में तेजी की वजह वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और डॉलर की कमजोरी को माना जा रहा है।
हाजिर बाजार में भी सोने की कीमतों में इजाफा देखने को मिल रहा है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, 24 कैरेट के सोने की कीमत बढक़र 96,659 रुपये प्रति ग्राम हो गई है। वहीं, 22 कैरेट के सोने की कीमत बढक़र 9,427 रुपये प्रति ग्राम हो गई है। वहीं, 20 कैरेट और 18 कैरेट की कीमत क्रमश: 8,596 और 7,824 रुपये प्रति ग्राम हो गई है।
घरेलू के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सोने की कीमतों में इजाफा देखा जा रहा है और कॉमैक्स पर सोने की कीमत बढक़र 3,400 डॉलर प्रति औंस हो गई है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण दुनिया भर के निवेशक सुरक्षित माने जाने वाले सोने में निवेश कर रहे हैं।
देश के अलग-अलग शहरों में आज यानी 21 अप्रैल को 22 और 24 कैरेट सोने के रेट में हल्का फर्क देखा गया। दिल्ली में 22 कैरेट सोना रु. 88,240 और 24 कैरेट रु. 96,260 प्रति 10 ग्राम रहा। वहीं मुंबई में 22 कैरेट सोना रु. 88,390 और 24 कैरेट सोना रु. 96,420 रहा। कोलकाता में 22 कैरेट सोना रु. 88,280 और 24 कैरेट रु. 96,300 पर रहा। चेन्नई में 22 कैरेट का भाव रु. 88,640 और 24 कैरेट रु. 96,700 दर्ज किया गया, जबकि बेंगलुरु में 22 कैरेट सोना रु. 88,460 और 24 कैरेट रु. 96,500 प्रति 10 ग्राम रहा।
जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के प्रणव मेर ने कहा, सोने की कीमतों में तेजी जारी रही और यह थोड़े समय के लिए 3,400 डॉलर प्रति औंस से ऊपर पहुंच गई थी। टैरिफ को लेकर अनिश्चितता, कमजोर अमेरिकी डॉलर और बढ़ते अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के कारण सोने की कीमतों में मजबूती बनी हुई हैं।
उन्होंने आगे कहा कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) की ओर से खरीदारी और भारत में आगामी त्योहारी मांग से भी सोने की कीमतों को समर्थन मिल रहा है। मेर के मुताबिक, व्यापारियों की नजर अमेरिका और उसके प्रमुख साझेदारों जैसे जापान, यूरोप और चीन के बीच चल रही व्यापार वार्ता पर भी रहेगी, जिससे बाजार की दिशा के बारे में अधिक स्पष्टता मिल सकती है।
नई दिल्ली । भारत के सबसे बड़े पोर्ट ऑपरेटर अदाणी पोर्ट्स ने ऑस्ट्रेलिया के नॉर्थ क्वींसलैंड एक्सपोर्ट टर्मिनल (हृक्तङ्गञ्ज) को वापस अपने नियंत्रण में लेकर भू-राजनीतिक और आर्थिक गलियारों में एक बड़ा रणनीतिक कदम उठाया है। 2.4 अरब अमेरिकी डॉलर का यह सौदा सीधे तौर पर नकद लेनदेन पर आधारित नहीं है, बल्कि अदाणी समूह की कंपनियों द्वारा कारमाइकल रेल और पोर्ट सिंगापुर होल्डिंग्स को 14.35 करोड़ नए शेयर जारी किए जाएंगे, जिससे प्रमोटर की हिस्सेदारी में 2.12त्न की वृद्धि होगी। यह अधिग्रहण महज एक व्यावसायिक सौदा नहीं है, बल्कि वैश्विक व्यापार परिदृश्य में भारत की बढ़ती रणनीतिक दूरदर्शिता का प्रमाण है।
ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी भाग में स्थित यह बंदरगाह भारत के लिए पश्चिम से पूर्व तक व्यापार मार्गों में प्रवेश का एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार साबित हो सकता है। इस बंदरगाह से होने वाले 90त्न कार्गो का सीधा संबंध एशियाई देशों, विशेषकर भारत और चीन से है। यह 'पावर प्ले' अदाणी समूह की वैश्विक विस्तार की रणनीति में पूरी तरह फिट बैठता है। बोवेन और गैलीली कोल माइंस से सीधी कनेक्टिविटी के कारण यह ऊर्जा और संसाधनों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करता है। भविष्य में, यही टर्मिनल ग्रीन हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ ईंधनों के निर्यात में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
आज के दौर में बंदरगाह केवल जहाजों के ठहरने की जगह नहीं रह गए हैं, बल्कि वे भू-राजनीतिक और आर्थिक शक्ति के नए केंद्र के रूप में उभरे हैं। ब्लैकरॉक जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियों का पनामा और अन्य महत्वपूर्ण बंदरगाहों में भारी निवेश इस बात का स्पष्ट संकेत है कि बंदरगाहों पर नियंत्रण भविष्य की शक्ति का निर्धारण करेगा। अदाणी पोर्ट्स का यह कदम भारत को इसी शक्ति के केंद्र में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
गौरतलब है कि नॉर्थ क्वींसलैंड एक्सपोर्ट टर्मिनल पहले भी अदाणी समूह के स्वामित्व में था, जिसे 2011 में खरीदा गया था और 2013 में घरेलू विस्तार पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रमोटर को हस्तांतरित कर दिया गया था। अब, जब भारत की वैश्विक ताकत कई गुना बढ़ चुकी है, कंपनी न केवल इस पोर्ट को वापस ले रही है, बल्कि रणनीतिक रूप से इसे और मजबूत कर रही है। क्षेत्रीय स्तर पर एक समझदारी भरा मूल्यांकन इस सौदे को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
इस अधिग्रहण के साथ, अदाणी पोर्ट्स के पास अब कुल 19 बंदरगाह होंगे, जिनमें इजऱाइल, श्रीलंका, तंजानिया और अब ऑस्ट्रेलिया में स्थित 4 विदेशी बंदरगाह शामिल हैं। यह भारत की उस विदेश नीति के अनुरूप है, जिसके तहत उन क्षेत्रों में निवेश किया जा रहा है जो भारतीय व्यापारिक हितों के साथ संरेखित हैं। ऑस्ट्रेलिया, जहां पहले से ही चीनी निवेश 9 अरब डॉलर से अधिक है, में भारत की मजबूत उपस्थिति न केवल एक रणनीतिक संतुलन बनाए रखने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा, कच्चे माल की आपूर्ति और हरित ईंधन के क्षेत्र में भारत की सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित करेगी।
अदाणी पोर्ट्स का यह अधिग्रहण मात्र व्यापार की मात्रा या मुनाफे का विषय नहीं है, बल्कि यह भारत की उस महत्वाकांक्षी सोच का प्रतीक है जो अब स्थानीय सीमाओं को लांघकर वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। आज भारत उन व्यापार, ऊर्जा और रणनीतिक मार्गों को मजबूत कर रहा है, जो भविष्य की दुनिया की दिशा तय करेंगे, और हर उस मार्ग पर अदाणी पोर्ट्स जैसा एक भारतीय संस्थान अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। यह स्पष्ट संकेत है कि भारत अब केवल एक 'बाजार' नहीं रह गया है, बल्कि एक 'मार्गदर्शक' की भूमिका में भी उभर रहा है।
नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक ने बच्चों को वित्तीय रूप से सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। अब 10 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे अपना बैंक खाता खुद ऑपरेट कर सकेंगे। यह नई व्यवस्था जुलाई 2025 से देश के सभी वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों में लागू होगी। आरबीआई ने यह निर्णय बच्चों को बैंकिंग के प्रति जागरूक करने और उन्हें वित्तीय जिम्मेदारियों को समझने का मौका देने के लिए लिया है। इससे माता-पिता को भी बच्चों को स्वतंत्रता देने में आसानी होगी।
बदलावों में मुख्य तौर पर 10 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे खुद से सेविंग और फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट ऑपरेट कर सकेंगे। सभी बैंकों को निकासी और जमा सीमा को लेकर अपने-अपने नियम तय करने की छूट दी गई है। यह नियम उन खातों पर भी लागू होंगे जो माता-पिता द्वारा खोले गए हैं लेकिन बच्चों द्वारा ऑपरेट किए जा रहे हैं। 18 वर्ष की उम्र होते ही खाताधारक का नया केवाईसी और हस्ताक्षर लिया जाएगा। खाता खोलने के लिए आधार कार्ड जैसे दस्तावेज अनिवार्य होंगे।
RBI ने सभी बैंकों को जुलाई 2025 से पहले आवश्यक बदलाव लागू करने और तकनीकी व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं, ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से बचा जा सके। इस फैसले से न केवल बच्चों में वित्तीय समझ विकसित होगी, बल्कि यह भविष्य की जिम्मेदार नागरिकता की दिशा में भी एक अहम कदम साबित होगा।
सैन फ्रांसिस्को। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और मौजूदा सरकार द्वारा प्रदान की गई स्थिरता के कारण ‘भारत’ सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था बन गया है।
अमेरिका में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, जब हम कहते हैं कि भारत एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है तो इस तथ्य को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक (वर्ल्ड बैंक) भी स्वीकार करते हैं। वे मानते हैं कि अपनी विकास क्षमता के कारण भारत विश्व व्यापार को बढ़ाने वाले एक इंजन के रूप में काम कर सकता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि इस क्षमता के विकास के साथ हम वैश्विक स्तर पर विभिन्न अनिश्चितताओं के कारण देखे जा रहे ट्रेंड को बदल सकते हैं। मौजूदा ट्रेंड में ग्रोथ और ट्रेड दोनों ही कम हैं, लेकिन कुछ स्थानों पर मुद्रास्फीति अधिक है, जिसकी वजह से लोग सोच रहे हैं कि भविष्य में मंदी आने वाली है।
उन्होंने आगे कहा, अगर इन मौजूदा परिस्थितियों में भी भारत की क्षमता को पहचाना जा रहा है और इसकी आर्थिक ताकत को स्वीकारा जा रहा है तो इस क्षेत्र में उच्च उपलब्धि प्राप्त करने वाले लोग भारत के साथ व्यक्तिगत या व्यावसायिक रूप से, कॉरपोरेशन टू कॉरपोरेशन की साझेदारी से लाभ पा सकते हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत की साझेदारी से दोनों ही देशों को लाभ मिलता है।
अमेरिका में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, साथ मिलकर, हम वैश्विक व्यापार और विकास को आगे बढ़ाएंगे। मुझे लगता है कि यह एक बहुत बड़ा योगदान है जो यहां रहने वाले भारतीय प्रवासी दे सकते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय प्रवासियों से अपील की कि वे अधिक रुचि लें और अपने चुने हुए क्षेत्रों में भारत के साथ साझेदारी करें।
भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के कदमों पर वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, कोविड-19 महामारी के दौरान, हमारा राजकोषीय घाटा बढ़ गया था। लेकिन 2021 में, हम एक स्पष्ट संकेत के साथ आए कि हम अपने राजकोषीय घाटे का प्रबंधन किस तरह करना चाहते हैं। हमने साल-दर-साल लक्ष्य निर्धारित किए और 2026 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत से नीचे लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम हर साल बिना किसी चूक के इसका पालन कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का प्राथमिक ध्यान 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करना है।
इस दृष्टिकोण में महिलाओं, गरीबों, युवाओं और किसानों को प्रभावित करने वाले विभिन्न क्षेत्रों में सुधार शामिल हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पांच दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर हैं। सैन फ्रांसिस्को पहुंचने पर उनका स्वागत भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने किया।
अपने विजिट के दौरान वित्त मंत्री स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में मुख्य भाषण देंगी और सैन फ्रांसिस्को में निवेश और तकनीकी प्रगति पर सीईओ के साथ चर्चा करेंगी।
इस यात्रा में उनका प्रवासी कार्यक्रमों में भाग लेना भी शामिल होगा, जिससे भारत की वैश्विक सांस्कृतिक उपस्थिति बढ़ेगी।
वाशिंगटन डीसी में, वित्त मंत्री सीतारमण आईएमएफ और विश्व बैंक स्प्रिंग मीटिंग्स और जी20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नर्स की बैठकों में भाग लेंगी।
वह अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, सऊदी अरब और अन्य देशों के समकक्षों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगी।
अपनी अमेरिकी यात्रा पूरी करने के बाद, वित्त मंत्री 26 से 30 अप्रैल तक पेरू की यात्रा पर जाएंगी।