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वैश्विक रेटिंग एजेंसियों की राय, एक साल में नई ऊंचाइयों पर होगा शेयर बाजार
Posted Date : 16-Jun-2024 8:47:35 pm

वैश्विक रेटिंग एजेंसियों की राय, एक साल में नई ऊंचाइयों पर होगा शेयर बाजार

नई दिल्ली। नई सरकार के गठन के बाद से भारतीय शेयर बाजारों में जोरदार तेजी देखी गई है। पिछले सप्ताह शेयर बाजार अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर बंद हुए। शीर्ष रेटिंग एजेंसियों के अनुसार, अगले 12 महीने में सूचकांक नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे।
खुदरा महंगाई में गिरावट के कारण लगातार दूसरे सप्ताह शेयर बाजारों के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी क्रमश: 77,145 अंक और 23,490 अंक के नये सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गये।
शेयर बाजार में एक तरफ विदेशी फंड पैसा लगा रहे हैं तो दूसरी ओर खुदरा निवेशक भी जमकर निवेश कर रहे हैं।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज के अनुसार, अगले एक साल में सेंसेक्स 82,000 अंक पर पहुंच सकता है यानि इसमें 14 प्रतिशत की तेजी आ सकती है।
मूडीज की हाल में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि एनडीए के फिर से चुनाव जीतने से बाजार को होने वाला मुख्य फायदा नीतिगत पूर्वानुमान है, जो आने वाले पांच वर्षों में विकास और इक्विटी रिटर्न को प्रभावित करेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा मानना है कि बाजार आगे संरचनात्मक सुधारों की उम्मीद कर सकता है, जिससे हमें आय चक्र में अधिक विश्वास मिलेगा। वास्तविक दरों के सापेक्ष बढ़ती जीडीपी वृद्धि के साथ मैक्रो स्थिरता उभरते बाजारों के इक्विटी पर भारत के बेहतर प्रदर्शन को आगे बढ़ाएगी।
मूडीज के अनुसार, भारत का शेयर बाजार नई ऊंचाइयों को छू रहा है, और अब बहस इस बात पर है कि बाजार को भौतिक रूप से ऊपर क्या ले जा सकता है।
इसमें कहा गया है, हमारे विचार में, सरकार के जनादेश के परिणामस्वरूप नीतिगत परिवर्तन होने की संभावना है जो आय चक्र को लंबा करेगा और बाजार को आश्चर्यचकित करेगा।
मोदी 3.0 के सत्ता में आने के साथ, अगले पांच वर्षों में और सकारात्मक संरचनात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।
इसके अलावा, भारत ने हांगकांग से चौथे सबसे बड़े वैश्विक इक्विटी बाजार का टैग वापस ले लिया है। देश का बाजार पूंजीकरण 10 प्रतिशत बढक़र 5.2 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया। इसकी तुलना में, हांगकांग शेयर बाजार का मार्केट कैप 5.17 ट्रिलियन डॉलर है, जो इस साल के 5.47 ट्रिलियन डॉलर के उच्च स्तर से 5.4 प्रतिशत कम है। वर्तमान में, भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उभरता हुआ बाजार है।
वैश्विक विश्लेषकों के अनुसार, वैश्विक निवेशक अब तरलता को प्राथमिकता दे रहे हैं और भारतीय शेयर बाजार को नजरअंदाज नहीं कर सकते, जो खुदरा निवेश के साथ तेजी से बढ़ रहा है।

पिछले साल इलेक्ट्रिक कार रजिस्ट्रेशन में बेंगलुरु सबसे आगे, कई शहरों को पछाड़ा
Posted Date : 16-Jun-2024 8:47:12 pm

पिछले साल इलेक्ट्रिक कार रजिस्ट्रेशन में बेंगलुरु सबसे आगे, कई शहरों को पछाड़ा

नईदिल्ली। पिछले साल में इलेक्ट्रिक कार अपनाने के मामले में बेंगलुरु ने दिल्ली, मुंबई और पुणे जैसे शहरों को पीछे छोड़ दिया।जाटो डायनेमिक्स इंडिया के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में बेंगलुरु में 8,690 इलेक्ट्रिक कार पंजीकृत हुई।यह आंकड़ा 2022 में बिकीं 2,479 ईवीएस की तुलना में सालाना आधार पर 121.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।फर्म के अनुसार, पिछले साल भारत में कुल 87,927 इलेक्ट्रिक कारों का रजिस्ट्रेशन हुआ था, जो 2022 की तुलना में 143.7 प्रतिशत अधिक है।
2023 में इलेक्ट्रिक कार रजिस्ट्रेशन के मामले में दिल्ली 8,211 के साथ देश में दूसरे स्थान पर रही है।इसी तरह हैदराबाद (6,408), मुंबई (5,425) और पुणे (3,991) क्रमश: तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर हैं।2022 में सबसे अधिक इलेक्ट्रिक कार बिक्री में 4,745 इलेक्ट्रिक कारों के साथ मुंबई शीर्ष पर थी।इनके अलावा दिल्ली (3,748), पुणे (2914), बेंगलुरु (2,479) और हैदराबाद (2,225) का क्रमश: दूसरा, तीसरा, चौथा और 5वां स्थान रहा था।
इससे पहले 2020 और 2021 में दिल्ली और मुंबई क्रमश: 4,42 और 1,700 इलेक्ट्रिक कारों के पंजीकरण के साथ शीर्ष स्थान पर थे।आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में इलेक्ट्रिक कारों को तेजी से बढ़ावा मिल रहा है।जाटो डायनेमिक्स के निदेशक रवि भाटिया के अनुसार, इसमें नए इलेक्ट्रिक कार मॉडल्स आने, ईवी चार्जिंग बुनियादी ढांचे में सुधार, इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति उपभोक्ता में जागरूकता के साथ सब्सिडी की भूमिका काफी अहम रही है।

 

अब सब्जियों की कीमतों पर सरकार की नजर, महंगाई रोकने उठा रही जरूरी कदम
Posted Date : 15-Jun-2024 9:12:14 pm

अब सब्जियों की कीमतों पर सरकार की नजर, महंगाई रोकने उठा रही जरूरी कदम

नईदिल्ली। देश में बढ़ती खाद्य महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है, ऐसे में ये सरकार के लिए भी चुनौती बनी हुई है. लेकिन अब सरकार खाद्य मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने जा रही है. इसके लिए सरकार आवश्यक वस्तुओं की सूची में 16 नए नामों को शामिल करने पर विचार कर रही है. दरअसल, सरकारी की योजना सब्जियों को भी निगरानी सूची में डालने की है. क्योंकि आवश्यक वस्तुओं की सूची में शामिल चीजों की कीमतों पर सरकार नजर रखती है. ऐसा करने से इनकी कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलती है. यही नहीं कीमतों में अत्यधिक बढ़ोतरी होने पर भी सरकार दाम को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप भी करती है.
बता दें कि खाने-पीने की चीजों में सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव सब्जियों की कीमतों में देखने को मिलता है. इसलिए सरकार मूल्य निगरानी वाली 16 नई संभावित वस्तुओं में सब्जियों को शामिल करने जा रही है. गौरतलब है कि फिलहाल सरकार इस सूची में शामिल सिर्फ 22 वस्तुओं की कीमतों की ही निगरानी करती है. अब इस सूची में 16 नाम और जुडऩे जा रहे हैं. इसके बाद इनकी संख्या बढक़र 38 हो जाएगी. 
इस सूची में शामिल जरूरी वस्तुओं की कीमतों होने वाले फेरबदल पर सरकार नजर रखती है. इससे सरकार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर इनके पडऩे वाले प्रभाव का आंकलन कर सकेगी. बता दें कि देशभर के 167 केंद्रों से इन वस्तुओं के थोक और खुदरा कीमतों को रोजाना एकत्रित किया जाता है. इसके बाद इनका विश्लेषण किया जाता है. आवश्यक वस्तुओं के दाम बढऩे पर सरकार हस्तक्षेप करके कीमतों को नियंत्रित करती है. इन हस्तक्षेपों को मूल्य स्थिरीकरण कोष अथवा मूल्य समर्थन योजना जैसी स्कीमों के जरिए आगे बढ़ाया जाता है.
बता दें कि मई के महीने में थोक मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी दर्ज की गई. तो वहीं खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मामूली गिरावट से खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.75 फीसदी पर आ गई है. जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में 4.83 फीसदी थी. वहीं, एक साल पहले यानी मई, 2023 में यह 4.31 फीसदी रही थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 8.69 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 8.70 प्रतिशत थी.
यानी एक महीने में इसमें मामूली गिरावट दर्ज की गई. वहीं कुल मुद्रास्फीति में फरवरी, से लगातार गिरावट जारी है. फरवरी में यह 5.1 फीसदी थी जबकि अप्रैल में ये घटकर 4.8 फीसदी पर आ गई. बता दें कि सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि सीपीआई मुद्रास्फीति दो प्रतिशत के उतार-चढ़ाव के साथ चार फीसदी पर बनी रहे.

 

केंद्र सरकार ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स घटाया
Posted Date : 15-Jun-2024 9:11:41 pm

केंद्र सरकार ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स घटाया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स में भारी कटौती करते हुए इसे 3,250 रुपये प्रति टन कर दिया है। पिछले पखवाड़े यह 5,200 रुपये प्रति टन था।
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, कर की नई दर 15 जून से प्रभावी हो गई है। डीजल, पेट्रोल और विमान ईंधन (एटीएफ) पर विंडफॉल टैक्स को शून्य बरकरार रखा गया है।
सरकार द्वारा हर 15 दिन में विंडफॉल टैक्स की समीक्षा की जाती है। हाल के महीनों में कई बार कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स कम किया जा चुका है। एक जून को इसे 5,700 रुपये प्रति टन से घटाकर 5,200 रुपये प्रति टन किया गया था।
वहीं, 16 मई को सरकार ने कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स 8,400 रुपये से घटाकर 5,700 रुपये प्रति टन कर दिया था। इससे पहले 1 मई को इसे 9,600 रुपये से घटाकर 8,400 रुपये प्रति टन किया गया था।
कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स कम करने का सीधा फायदा घरेलू स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादक कंपनियों जैसे ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को मिलता है।
कच्चे तेल की कीमत बढऩे के कारण कंपनियों को हो रहे अप्रत्याशित लाभ पर विंडफॉल टैक्स लगाया जाता है। इसे जुलाई 2022 से शुरू किया गया था।

महंगाई में कमी आने से ऑल टाइम हाई पर शेयर बाजार, छोटे और मझोले शेयरों में बड़ी तेजी
Posted Date : 15-Jun-2024 9:11:11 pm

महंगाई में कमी आने से ऑल टाइम हाई पर शेयर बाजार, छोटे और मझोले शेयरों में बड़ी तेजी

मुंबई। भारतीय शेयर बाजार के लिए पिछला कारोबारी हफ्ता काफी शानदार रहा। बाजार में यह लगातार दूसरा हफ्ता था, जब बाजार के मुख्य सूचकांक निफ्टी और सेंसेक्स उच्चतम स्तर पर बंद हुए।
आंकड़ों की बात करें तो 14 जून को समाप्त हुए हफ्ते में सेंसेक्स में 299 अंक या 0.39 प्रतिशत बढक़र 76,992 और निफ्टी 175 अंक या 0.75 प्रतिशत बढक़र 23,465 अंक पर बंद हुआ। इस दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के मुख्य बेंचमार्क ने 77,145 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के मुख्य बेंचमार्क ने 23,490 का उच्चतम स्तर को छुआ।
सरकार द्वारा बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों में बताया गया कि मई में खुदरा महंगाई दर गिरकर 4.75 प्रतिशत रह गई है, जो कि अप्रैल में 4.83 प्रतिशत थी। बीते हफ्ते विदेशी और घरेलू निवेशकों दोनों ने जमकर भारतीय बाजारों में निवेश किया। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 2,030 करोड़ रुपये और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने 6,293 करोड़ रुपये का निवेश किया।
स्मॉल कैप और मिडकैप शेयरों में इस दौरान जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स ने 5 प्रतिशत का रिटर्न दिया है और बीएसई मिडकैप इंडेक्स ने 4.4 प्रतिशत का रिटर्न इस दौरान दिया है।
स्मॉलकैप में पीटीसी इंडस्ट्रीज, एवनटेल, होंडा इंडिया पावर प्रोडक्ट्स, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजी, एचसीसी, जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर, वार्डविजार्ड इनोवेशन एंड मोबिलिटी, ईआईएच एसोसिएटेड होटल्स, होम फर्स्ट फाइनेंस कंपनी इंडिया, रिलायंस पावर और एशियन ग्रैनिटो इंडिया ने 25 प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न दिया है।
मिडकैप शेयरों में शेफलर इंडिया, ऑयल इंडिया, ओरेकल फाइनेंशियल सर्विसेज सॉफ्टवेयर, मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट, संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल, एंड्यूरेंस टेक्नोलॉजीज, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, हनीवेल ऑटोमेशन और न्यू इंडिया एश्योरेंस सबसे ज्यादा बढऩे वाले शेयर थे।
सेक्टर के हिसाब से देखें तो कैपिटल गुड्स इंडेक्स ने 6.4 प्रतिशत, रियल्टी इंडेक्स ने 5.4 प्रतिशत, टेलीकॉम इंडेक्स ने 4 प्रतिशत और ऑयल एंड गैस इंडेक्स ने 3.5 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।

 

15 महीने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची थोक महंगाई दर, मई में दोगुनी हुई कीमतें
Posted Date : 14-Jun-2024 8:58:51 am

15 महीने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची थोक महंगाई दर, मई में दोगुनी हुई कीमतें

नईदिल्ली । देश में थोक महंगाई दर में बड़ा इजाफा हुआ है. ये अप्रैल के मुकाबले मई में बढक़र दोगुनी हो गई. ये लगातार तीसरा महीना है जब थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है. थोक महंगाई दर 15 महीने के उच्च स्तर 2.61 प्रतिशत पर पहुंच गई. जो अप्रैल के महीने में 1.26 फीसदी थी. शुक्रवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने जानकारी दी कि खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों और विनिर्मित चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते थोक महंगाई मई में लगातार तीसरे महीने बढक़र 2.61 प्रतिशत पर पहुंच गई. वहीं थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 1.26 प्रतिशत थी, जो मई 2023 में शून्य से 3.61 प्रतिशत नीचे रही थी.
ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में थोक महंगाई दर का असर देश के आम लोगों और रिटेल बाजार में भी दिखाई दे सकता है. अगर ऐसा होता है तब सबकी निगाहें भारतीय रिजर्व बैंक पर होगीं कि वह इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाता है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, मई 2024 में मुद्रास्फीति बढऩे की मुख्य वजह खाद्य वस्तुओं, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में हुई बढ़ोतरी रही है. आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति मई में 9.82 प्रतिशत बढ़ गई. जबकि अप्रैल में ये 7.74 प्रतिशत पर थी.
आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति मई में 9.82 प्रतिशत बढ़ गई, जबकि अप्रैल में यह 7.74 प्रतिशत थी. सब्जियों की मुद्रास्फीति मई में 32.42 प्रतिशत रही, जो अप्रैल में 23.60 प्रतिशत थी. वहीं प्याज की मुद्रास्फीति 58.05 प्रतिशत और आलू की मुद्रास्फीति 64.05 फीसदी रही. जबकि मई में दालों की महंगाई दर 21.95 प्रतिशत बढ़ गई. वहीं ईंधन और बिजली बास्केट में मुद्रास्फीति की दर 1.35 प्रतिशत रही, जो अप्रैल की 1.38 प्रतिशत थी, यानी इसमें मई के महीने में मामूली गिरावट दर्ज की गई है. वहीं विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति अप्रैल में (-) 0.42 प्रतिशत से बढक़र 0.78 प्रतिशत पर पहुंच गई.
बता दें कि मई के थोक मूल्य सूचकांक में वृद्धि इसी महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के विपरीत है. गौरतलब है कि आरबीआई मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है. इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार मई में खुदरा मुद्रास्फीति एक साल के निचले स्तर 4.75 प्रतिशत पर आ गई. बता दें कि जून के महीने में आरबीआई ने आठवीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया.