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हमसफर एक्सप्रेस में जुड़ेंगे स्लीपर कोच, फ्लेक्सी फेयर हटा
Posted Date : 14-Sep-2019 2:07:41 pm

हमसफर एक्सप्रेस में जुड़ेंगे स्लीपर कोच, फ्लेक्सी फेयर हटा

नई दिल्ली ,14 सितंबर। रेलवे ने यात्रियों को राहत प्रदान करते हुए शुक्रवार को अपनी प्रीमियम ट्रेन हमसफर एक्सप्रेस से फ्लेक्सी फेयर हटाने की घोषणा की और इस ट्रेन में स्लीपर कोच जोडऩे का फैसला लिया। रेल मंत्रालय ने एक बयान में कहा, हमसफर क्लास की ट्रेनों की मौजूदा परिवर्तनशील किराया व्यवस्था हटा ली गई है। मतलब, इन ट्रनों के लिए अब निर्धारित किराया व्यवस्था ही लागू होगी।
मंत्रालय ने कहा कि यह राहत हमसफर क्लास की 35 जोड़ी ट्रेनों के लिए लागू होगी जिनमें इस समय सिर्फ वातानुकूलित (एसी) टियर-3 कोच हैं। रेलवे द्वारा कुछ ट्रेनों के एसी चेयर कार और एग्जिक्यूटिवक क्लास में बैठने वाली सीट के लिए 25 फीसदी छूट देने की पेशकश किए जाने के कुछ सप्ताह बाद यह राहत प्रदान की गई है।
रेलवे ने जिन ट्रेनों के एसी चेयरकार पर 25 फीसदी छूट दी है उनमें शताब्दी, गतिमान, तेजस, डबल डेकर और इंटरसिटी ट्रेन शामिल हैं। रेलवे ने गुरुवार को मालभाड़े के क्षेत्र में भी कई छूट देने की घोषणा की। हमसफर ट्रेन के तत्काल टिकट के किराये भी घटाए गए हैं। इसके लिए अब बेस फेय यानी मूल किराया को 1.3 गुना लगेगा जबकि पहले 1.5 गुना लगता था।
रेलवे ने यह भी घोषणा की है कि पहला चार्ट बनने के बाद करेंट बुकिंग के तहत बिकने वाले टिकट के लिए बेस फेयर पर 10 फीसदी छूट दी जाएगी और अन्य अनुपूरक प्रभार अन्य सभी ट्रेनों की तरह होगा। मंत्रालय ने कहा कि आनंद विहार-इलाहाबाद हमसफर एक्सप्रेस में शुक्रवार को स्लीपर क्लास के चार कोच पहले ही जोड़े गए हैं।

आयुष्मान भारत 2.0 में कैंसर की बीमारी के लिए बेहतर कवर
Posted Date : 12-Sep-2019 1:59:48 pm

आयुष्मान भारत 2.0 में कैंसर की बीमारी के लिए बेहतर कवर

नई दिल्ली ,12 सितंबर । कैंसर की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को अब आयुष्मान भारत योजना के तहत बेहतर हेल्थ कवर मिल सकेगा । योजना के तहत कैंसर का इलाज दवा की खुराक के आधार पर होगा न कि कैंसर के प्रकार के आधार पर। नई हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के तहत बेहद गरीब परिवारों के लिए करीब 200 अतिरिक्त पैकेजेस जोड़े जाएंगे, जिनमें कार्डियॉलजी और हड्डी रोगों से जुड़े बेहतर च्ॉलिटी के इम्प्लांट शामिल हैं। इस फ्लैगशिप प्रोग्राम को लागू करने वाली नोडल एजेंसी नैशनल हेल्थ अथॉरिटी(हृ॥्र) के गवर्निंग बोर्ड ने बुधवार को आयुष्मान 2.0 को मंजूरी दे दी। यह मंजूरी कैंसर के इलाज के क्षेत्र में एक बड़ा कदम है। आयुष्मान भारत ने कैंसर केयर के मामले में खुद को टाटा मेमोरियल अस्पताल के नैशनल कैंसर ग्रिड के साथ खड़ा कर दिया है। अब तक अस्पतालों द्वारा मुहैया कराया जाने वाला कैंसर इलाज इस बात पर निर्भर करता था कि कौन-सा कैंसर है। यानी कैंसर कहां है, लंग्स में या पैनक्रियास में? बहरहाल, अब कैंसर केयर प्रिस्क्राइब की गईं दवाओं के आधार पर की जाएगी। टाटा मेमोरिल अस्पताल द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले प्रोटोकॉल्स अब सभी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों के पास होंगे। ईटी को एक सूत्र ने बताया, च्अब तक कैंसर केयर पैकेजेस का उतना इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था, जितना हम चाहते थे, लेकिन अब सब बदल जाएगा।ज् गवर्निंग बोर्ड के अप्रूवल के बाद अब पैकेजेस में बदलाव किए जाएंगे और आईटी प्लैटफॉर्म पर अपलोड कर दिए जाएंगे। आयुष्मान 2.0 की शुरुआत 1 अक्टूबर से होनी है।
अब आयुष्मान भारत के तहत बेहतर इम्प्लांट्स की सुविधा मिलेगी। अब तक प्राइवेट अस्पतालों को घटुनों के रिप्लेसमेंट और स्टेंट आदि लगाने जैसी किसी भी इम्प्लांट सर्जरी के लिए के एकमुश्त रकम रीइम्बर्स की जाती थी। अब पैकेज में सर्जरी और इम्प्लांट, दोनों का खर्च अलग से मेंशन होगा। इसके जरिए मरीज को पहले बेहतर इम्प्लांट सुविधा मिल सकेगी।
सूत्र ने आगे बताया, इससे यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि अस्पताल कहीं सस्ता इम्प्लांट कर पूरे पैकेज की कीमत तो नहीं वसूल रहे। हेल्थकेयर में बदलाव की पूरी प्रक्रिया नीति आयोग के सदस्य प्रफेसर विनोद के पॉल की अगुवाई वाली एक्सपर्ट कमिटी ने पूरी की। इस कमिटी का गठन आयु।अमान भारत के तहत कवर किए जाने वाले 1300 पैकेजेस की समीक्षा के लिए किया गया था। कमिटी ने उन पैकेजेस की समीक्षा की, जो मरीजों और आयुष्मान लाभार्थियों के इलाज के बदले केंद्र द्वारा अस्पतालों का रीइम्बस्मेंट अमांउट तय करते थे। सितंबर 2018 में आयुष्मान भारत के लॉन्च के बाद से अस्पताल और मेडिकल प्रैक्टिशनर्स इसकी लगातार मांग कर रहे थे।
इस समीक्षा के बाद जो सबसे अहम बात निकल कर आई है, वह है आयुष्मान भारत के तहत 200 नए पैकेजेस की शुरुआत। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, आयुष्मान भारत के तहत कई पैकेजेस नहीं थे। इनके लिए अस्पताल मनमाना रीइम्बर्समेंट क्लेम करते थे। समीक्षा प्रक्रिया के तहत ऐसे पैकेजेस का पता लगाया गया, जो अकसर इस्तेमाल किए जा रहे थे और उन्हें आयुमान के तहत लाया गया।
समीक्षा के बाद डायलिसिस का खर्च भी कम किया गया है, अब सरकार अस्पतालों को इस प्रक्रिया के लिए कम राशि का रीइंबर्समेंट करेगी। वहीं, मोतियाबिंद की सर्जरी को आयुष्मान भारत योजना से बाहर कर दिया गया है।

विप्रो के बायबैक में अजीम प्रेमजी ने बेचे 7,300 करोड़ के शेयर, परोपकार में लगेगा पैसा
Posted Date : 12-Sep-2019 1:59:03 pm

विप्रो के बायबैक में अजीम प्रेमजी ने बेचे 7,300 करोड़ के शेयर, परोपकार में लगेगा पैसा

बेंगलुरु ,12 सितंबर । अजीम प्रेमजी और विप्रो लिमिटेड के प्रमोटर ग्रुप ने देश की चौथी बड़ी आईटी सर्विसेज कंपनी के बायबैक प्रोग्राम में 7,300 करोड़ से अधिक के शेयर बेचे ताकि वह वादे के मुताबिक अपनी ज्यादातर कमाई परोपकार के कामों पर खर्च कर सकें। देश में परोपकार के लिए संपत्ति दान करने के मामले में प्रेमजी से आगे कोई नहीं है। इतना ही नहीं, वह इस मामले में एशिया में सबसे आगे और दुनिया में पांचवें नंबर पर हैं। कंपनी के संस्थापक चेयरमैन और उनके नियंत्रण वाली कंपनियों ने हालिया शेयर बायबैक प्रोग्राम में 22.46 करोड़ शेयर बेचे। यह कंपनी में 3.96 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। मार्च में प्रेमजी ने विप्रो में 67 प्रतिशत शेयरों से होने वाली सारी आमदनी अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को देने की घोषणा की थी। उस वक्त इसकी वैल्यू 1,45,000 करोड़ यानी 21 अरब डॉलर लगाई गई थी। प्रेमजी फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट है, जो सरकार के साथ मिलकर कई राज्यों में प्राथमिक शिक्षा की च्ॉलिटी बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है। प्रेमजी फाउंडेशन के चीफ एंडॉमेंट ऑफिसर के आर लक्ष्मीनारायण ने बताया, ‘प्रेमजी ने ट्रस्ट को जो भी पैसा देने का वादा किया है, वह परोपकार के लिए है। यह पैसा एक फंड में जाता है।’
प्रेमजी परिवार और उनसे जुड़ी कंपनियों के पास विप्रो के 73.83 प्रतिशत शेयर हैं। शेयर बायबैक के बाद प्रमोटर ग्रुप की होल्डिंग कंपनी में बढक़र 74.05 प्रतिशत हो जाएगी। असल में बायबैक में कंपनियां जो शेयर खरीदती हैं, उन्हें रद्द कर दिया जाता है। इससे निवेशकों की कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ती है।
वेंचर फिलैंथ्रफी फंड दासरा के सह-संस्थापक देवल सांघवी ने बताया, ‘एशिया में परोपकार के लिए दान करने वालों में प्रेमजी और उनके ट्रस्ट सबसे आगे हैं। वह पोषण, घरेलू हिंसा रोकने, मीडिया की आजादी और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में मदद कर रहे हैं।’ बेन ऐंड कंपनी की इस साल की इंडियन फिलैंथ्रफी रिपोर्ट में बताया गया था कि अगर प्रेमजी के दान को हटा दें तो 2014 के बाद से भारत में 10 करोड़ और उससे अधिक के दान में 4 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि इस बीच 5 करोड़ डॉलर से अधिक संपत्ति वाले सुपररिच की कमाई में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इस साल अप्रैल में विप्रो के बोर्ड ने 325 रुपये प्रति शेयर के भाव पर 32.30 करोड़ शेयर बायबैक करने का ऐलान किया था, जिस पर कुल 10,500 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे। यह बायबैक अगस्त में खत्म हुआ। सरकार के 20 प्रतिशत का टैक्स लगाने के बाद विप्रो बायबैक करने वाली पहली लिस्टेड कंपनी है।

जीएसपी बहाली, ऊंचे टैरिफ पर अमेरिका से बात कर रहा भारत
Posted Date : 11-Sep-2019 1:35:00 pm

जीएसपी बहाली, ऊंचे टैरिफ पर अमेरिका से बात कर रहा भारत

नई दिल्ली 11 सितंबर। अमेरिका के साथ भारत व्यापार से जुड़े मुद्दों पर बातचीत कर रहा है। इनमें सामान्य तरजीही प्रणाली को बहाल करने, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन  में विवादों को आपसी सहमति से वापस लेने और स्टील और ऐल्युमिनियम पर ऊंचे टैरिफ को हटाने के मामले शामिल हैं। इस डिवेलपमेंट की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया, हम जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज को बहाल करने और ऊंचे टैरिफ को वापस लेने जैसे विभिन्न मुद्दों पर अमेरिका के साथ बातचीत कर रहे हैं।
दोनों देशों के बीच विवाद पिछले वर्ष अमेरिका के स्टील और ऐल्युमिनियम प्रॉडक्ट्स के इम्पोर्ट पर क्रमश: 25 पर्सेंट और 10 पर्सेंट का अतिरिक्त टैरिफ लगाने के बाद शुरू हुआ था। इसके जवाब में भारत ने अमेरिका से आने या वहां से एक्सपोर्ट होने वाले 28 प्रॉडक्ट्स पर टैरिफ लगाकर दिया था। इसके बाद, अमेरिका ने भारत के खिलाफ ङ्खञ्जह्र में शिकायत की थी। अमेरिका के इस वर्ष 5 जून से 6.3 अरब डॉलर के भारतीय एक्सपोर्ट पर इंसेंटिव वापस लेने के बाद दोनों पक्षों के बीच बातचीत टूट गई थी।
यूएस दौरे पर बात करेंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस महीने के अंत में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने अमेरिका जा रहे हैं। कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री मिनिस्टर पीयूष गोयल भी जल्द ही अमेरिका का दौरा कर सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि त्रस्क्क वापस लेने का भारत पर आर्थिक असर बहुत अधिक नहीं है, लेकिन ये मुद्दे लंबी अवधि में बड़े बन सकते हैं।
अन्य देशों को बहाल हुआ जीएसपी दर्जा
अर्जेंटीना, लाइबेरिया और म्यांमार ऐसे कुछ देश में जिनके लिए अमेरिका ने बेनिफिट बहाल कर दिए हैं। इन देशों ने इसके लिए अमेरिका की ओर से लगाई गई शर्तों को स्वीकार किया था। जीएसपी मौजूद न होने से भारत से केमिकल्स, इंजिनियरिंग गुड्स, लेदर प्रॉडक्ट्स और जेम ऐंड जूलरी के एक्सपोर्ट को नुकसान हुआ है। लेकिन कुछ एक्सपोर्टर्स ने बताया कि यह असर ज्यादा नहीं है।
क्या है जीएसपी दर्जा?
जीएसपी यानी जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज। अमेरिका द्वारा अन्य देशों को व्यापार में दी जाने वाली तरजीह की सबसे पुरानी और बड़ी प्रणाली है। इसकी शुरुआत 1976 में विकासशील में आर्थिक वृद्धि बढ़ाने के लिए की थी। दर्जा प्राप्त देशों को हजारों सामान बिना किसी शुल्क के अमेरिका को निर्यात करने की छूट मिलती है। भारत 2017 में जीएसपी कार्यक्रम का सबसे बड़ा लाभार्थी रहा। वर्ष 2017 में भारत ने इसके तहत अमेरिका को 5.7 अरब डॉलर का निर्यात किया था। अभी तक लगभग 129 देशों को करीब 4,800 गुड्स के लिए त्रस्क्क के तहत फायदा मिला है।
जीएसपी हटने का अधिक असर नहीं
केमिकल्स का एक्सपोर्ट करने वाले मुंबई के एक एक्सपोर्टर ने बताया, च्हमें पता है कि त्रस्क्क ऐसे विकासशील देशों को दिया जाता है, जो पात्रता की शर्तें पूरी करते हैं। हालांकि, अमेरिका के चीन से आने वाले केमिकल्स पर भी टैरिफ बढ़ाने से त्रस्क्क हटने का हमारे लिए अधिक असर नहीं हुआ है। जीएसपी के तहत भारतीय एक्सपोर्ट के लिए प्रेफरेंशियल टैरिफ 1-6 पर्सेंट के बीच है।
अमेरिकी मांगों पर विचार करेगा भारत
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी भारत में अमेरिकी प्रॉडक्ट्स पर अधिक टैरिफ लगने पर नाराजगी जता चुके हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत डेयरी प्रॉडक्ट्स जैसे सेगमेंट में अमेरिकी कंपनियों को उतरने का मौका दे। भारत ने अमेरिका की इस मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है।

मंदी के बाद भी त्यौहार में बोनस में कटौती नहीं करेगी कंपनियां!
Posted Date : 11-Sep-2019 1:34:23 pm

मंदी के बाद भी त्यौहार में बोनस में कटौती नहीं करेगी कंपनियां!

नई दिल्ली 11 सितंबर। आर्थिक सुस्ती के बावजूद कंपनियां अपने कर्मचरियों के फेस्टिव बोनस में कटौती करने या उसे देर से देने के मूड में नहीं हैं। इससे कन्ज्यूमर गुड्स कंपनियां और रिटेलर राहत की सांस लेते दिख रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस कदम से कन्ज्यूमर सेंटीमेंट मजबूत होगा और त्योहारी सीजन में खरीदारी बढ़ेगी।
फेस्टिव बोनस दे रही हैं कई कंपनियां
कंपनियों के एग्जिक्यूटिव्स ने बताया कि हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, गोदरेज ग्रुप, ऐक्सिस बैंक, फ्यूचर ग्रुप, होंडा मोटरसाइकिल ऐंड स्कूटर इंडिया, मारुति सुजुकी, आरपीजी ग्रुप, बिगबास्केट, ग्रोफर्स, प्यूमा, पैनासोनिक और डिक्सन टेक्नॉलजीज सरीखी कंपनियां कर्मचारियों को फेस्टिव बोनस दे रही हैं।
स्पेशल बोनस या सेल्स इन्सेंटिव
इस इन्सेंटिव में या तो फेस्टिव सीजन के लिए स्पेशल बोनस दिया जा रहा है या सेल्स इन्सेंटिव को ही इस मौके पर दिया जा रहा है या सितंबर-अक्टूबर के लिए एग्जिक्यूटिव्स और मैनेजरों को बोनस पेमेंट हो रहा है। कारखानों और शॉप फ्लोर्स पर काम करने वालों को भी स्टैट्यूटरी बोनस मिलेगा, जो उनकी बेसिक पे का हिस्सा है।
केरल में ओणम बोनस ने बढ़ाई सेल
कन्ज्यूमर गुड्स कंपनियों का कहना है कि केरल में ओणम के लिए फेस्टिव पेमेंट सितंबर के पहले हफ्ते में किया गया, जिसके कारण पिछले साल के मुकाबले इस बार बिक्री 3-4त्न प्रतिशत बढ़ी है। इस फेस्टिव पेमेंट से कन्जम्पशन में तेजी आने के बारे में पूछे जाने पर आईटीसी लिमिटेड के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर बी सुमंत ने कहा कि आगामी सीजन में उपभोग बढ़ेगा।
फेस्टिव बोनस से बनेगी बात!
गोदरेज अप्लायंसेज के बिजनस हेड कमल नंदी का मानना है कि फेस्टिव बोनस भर से शायद बात नहीं बनेगी। उन्होंने कहा, सरकार की ओर से बड़ा राहत पैकेज आने से कन्ज्यूमर्स का सेंटीमेंट मजबूत हागा। ऐसा नहीं होने पर फेस्टिव पेमेंट तो लोग बचत के लिए रख लेंगे।
सेल्स में सुस्ती दूर होने में लगेगी देर
कंपनियां रूरल डिमांड में तेजी आने के बारे में भी संदेह जता रही हैं। हालांकि पांच साल बाद अच्छे मॉनसूनी सीजन से उनकी उम्मीद बढ़ी है। मैरिको के एमडी सौगत गुप्ता ने कहा कि फेस्टिव सीजन में हो सकता है कि कुछ कैटिगरीज में तेजी आए, लेकिन सेल्स में सुस्ती को पूरी तरह दूर होने में कुछ समय लगेगा। उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि मॉनसून और सरकारी उपायों से कन्जम्पशन को दो-तीन महीनों बाद बढ़ावा मिलेगा।
अन्य वर्षों जैसा ही होगा बोनस
आरपीजी एंटरप्राइजेज के ग्रुप एचआर प्रेसिडेंट एस वेंकटेश ने कहा, पेमेंट की मात्रा या समय के बारे में हमारा रुख नहीं बदला है। ऐक्सिस बैंक के एचआर हेड राजमकल वेंपति ने कहा कि बैंक एग्जिक्यूटिव्स को अक्टूबर के आसपास इंसेंटिव्स देगा। उन्होंने कहा, यह इन्सेंटिव दूसरे वर्षों की तरह ही होगा। रिक्रूटमेंट ऐंड स्टाफिंग फर्म ष्टढ्ढश्वरु ॥क्र सर्विसेज के सीईओ आदित्य नारायण मिश्रा ने कहा कि अधिकतर कंपनियां अक्टूबर के आसपास सेल्स इन्सेंटिव और स्टैट्यूटरी बोनस देने वाली हैं।

प्रतिदिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करने से अब बच रहीं कंपनियां
Posted Date : 11-Sep-2019 1:33:30 pm

प्रतिदिन पेट्रोल-डीजल की कीमतें तय करने से अब बच रहीं कंपनियां

नई दिल्ली 11 सितंबर। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दो साल सरकारी तेल कंपनियों ने पहले जिस उत्साह से पेट्रोल और डीजल की कीमतों की रोजाना समीक्षा करने की परंपरा शुरू की थी, उससे शायद उसने खुद अपने पैर पीछे खींच लिए हैं। यह हम नहीं, बल्कि इससे जुड़े आंकड़े बता रहे हैं। यहीं नहीं, चुनाव के वक्त तो कई दिनों तक तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया।
जून से लेकर अगस्त तक की तीन महीने की अवधि में कंपनियों ने पेट्रोल की कीमत में 43 दिन तथा डीजल की कीमत में 47 दिनों तक कोई बदलाव नहीं किया। बड़ी बात यह है कि जून से अगस्त की ही अवधि में डीजल की कीमत में लगातार 13 दिनों तक कोई बदलाव नहीं किया गया, जबकि पेट्रोल की कीमत में लगातार आठ दिनों तक कोई बदलाव नहीं किया गया। इसके अलावा, नौ बार डीजल की कीमतों में लगातार चार दिन या उससे अधिक दिनों तक कोई बदलाव नहीं हुआ। वहीं, आठ बार पेट्रोल की कीमत में लगातार चार दिन या उससे अधिक दिनों तक कोई बदलाव नहीं आया।
पहले पाक्षिक फिर रोजाना समीक्षा
तेल कंपनियों ने जून 2017 से तेल की कीमतों की रोजाना समीक्षा की शुरुआत की थी। इससे पहले लगभग तीन वर्षों तक वह 15 दिनों पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों की समीक्षा करती थी।
18 अक्टूबर, 2014 को केंद्र सरकार ने डीजल की कीमतों पर से अपना नियंत्रण समाप्त कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप इसकी कीमत बाजार से नियंत्रित (पेट्रोल की कीमतों पर से अपना नियंत्रण सरकार ने 2010 में खत्म कर दिया था) होने लगीं।
जून 2017 से लेकर अब तक इन दो सालों के दौरान तेल कंपनियों ने चुनावों को छोडक़र रोजाना आधार पर तेल की कीमतों में परिवर्तन किया। चुनावों के दौरान कंपनियों ने तेल की कीमतें स्थिर रखीं।
चुनाव की बिसात और तेल का खेल
पिछले साल कर्नाटक चुनाव से पहले पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों में लगातार 20 दिनों तक कोई बदलाव नहीं हुआ। 12 मई को मतदान समाप्त होने के बाद 15 दिनों के भीतर पेट्रोल की कीमत में चार रुपये की बढ़ोतरी की गई।
इसके बाद, अगले दौर के विधानसभा चुनाव (छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं मिजोरम) से पहले तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण सरकार को पेट्रोल तथा डीजल पर उत्पाद शुल्क में 1.5 रुपये की कटौती करनी पड़ी और उसने तेल कंपनियों को लागत में प्रति लीटर एक रुपये का नुकसान सहने को कहा।
साल 2017 में 16 जनवरी से लेकर एक अप्रैल तक तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ। इस समय पंजाब, गोवा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा मणिपुर में चुनाव होने थे।