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अदाणी ग्रुप का पोर्टफोलियो बहुत मजबूत, सबसे अच्छा समय आना अभी बाकी : गौतम अदाणी
Posted Date : 25-Jun-2024 9:16:29 am

अदाणी ग्रुप का पोर्टफोलियो बहुत मजबूत, सबसे अच्छा समय आना अभी बाकी : गौतम अदाणी

अहमदाबाद  । अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने सोमवार को कहा कि अपने इतिहास में सबसे दमदार नतीजे, मजबूत कैश पोजीशन और सबसे कम डेट रेश्यो के साथ ग्रुप का पोर्टफोलियो का रास्ता बड़ी उपलब्धियों के वादों के साथ रोशन है। बता दें, अदाणी ग्रुप का प्रदर्शन वित्त वर्ष 2023-24 में काफी शानदार रहा है।
अदाणी एंटरप्राइजेज की एनुअल जनरल मीटिंग (एजीएम) में गौतम अदाणी ने अपने शेयरधारकों से कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में हमने 45 प्रतिशत की वृद्धि के साथ अब तक का सबसे अधिक 82,917 करोड़ रुपये (करीब 10 अरब डॉलर) का ईबीआईटीडीए हासिल किया है। इसके कारण हमारा टैक्स के बाद मुनाफा सालाना आधार पर 71 प्रतिशत बढक़र 40,129 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं, हमारा डेट टू ईबीआईटीडीए 2.2 गुना पर आ गया है जो कि पहले 3.3 गुना पर था। शानदार प्रदर्शन के कारण अदाणी ग्रुप की लिक्विडिटी ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई है और कैश बैलेंस 59,791 करोड़ रुपये है।
ग्रुप के चेयरमैन ने कहा कि ये प्रदर्शन हमारी स्थिरता को दिखाता है। इसी के कारण हमारी कंपनियों की रेटिंग और आउटलुक अपग्रेड हुए हैं। मौजूदा समय में अंबुजा, एसीसी और अदाणी पोर्ट एएए रेटिंग की कंपनियां हैं। ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (एईएल) के लिए भी ये वर्ष काफी शानदार रहा है। गौतम अदाणी ने शेयरधारकों से कहा कि हमारे एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की संख्या की वृद्धि दर दोहरे अंक में है और यह 8.86 करोड़ पहुंच गई है। साथ ही हमें यह भी सौभाग्य मिला कि लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अत्याधुनिक टर्मिनल 3 का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।
एईएल के पोर्टफोलियो के तहत मुंद्रा में मौजूद कच्छ कॉपर लिमिटेड ने अपनी ग्रीनफील्ड कॉपर रिफाइनरी में परिचालन शुरू कर दिया है। गौतम अदाणी ने आगे कहा कि हमारा लक्ष्य इस दशक के अंत तक इसे एक लोकेशन पर मौजूद दुनिया की सबसे बड़ी कॉपर स्मैलटर बनाना है। इसकी क्षमता एक एमएमटीपीए की होगी। इससे भारत को अपनी मेटल की आवश्कताओं में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। अदाणी पोर्ट के लिए भी ये वर्ष काफी शानदार रहा है। कंपनी की ओर से 420 एमएमटी कार्गों हैंडल किया गया। चेयरमैन ने कहा कि हमारे 10 पोर्ट ने रिकॉर्ड कार्गों वॉल्यूम हासिल किया है। गोपालपुर और कराईकल पोर्ट का हमने अधिग्रहण किया है। इससे हमारी स्थिति इस सेक्टर में और मजबूत हुई है। रिन्यूएबल एनर्जी में अदाणी ग्रीन एनर्जी की ओर से वित्त वर्ष 2029-30 के लिए अपना लक्ष्य बढ़ाकर 50 गीगावाट कर दिया, जो कि पहले 45 गीगावाट था।
इस साल कंपनी ने 2.8 गीगावाट की क्षमता जोड़ी है, जो कि भारत में जोड़ी गई कुल अतिरिक्त क्षमता का 15 प्रतिशत है। गौतम अदाणी ने आगे कहा कि दुनिया के सबसे बड़े रिन्यूएबल एनर्जी प्लांट खावड़ा में 12 महीनों में पहले दो गीगावाट का परिचालन शुरू हो गया है, जो ग्रुप की क्षमताओं को दर्शाता है। अदाणी टोटल गैस का सीएनजी स्टेशन नेटवर्क 900 को पार कर गया है। वहीं, पीएनजी कनेक्शन 8.45 लाख से बढक़र 9.76 लाख हो गए हैं। इसके अलावा 606 नए ईवी चार्जिंग प्वाइंट्स लगाए गए हैं। इसके अलावा भारत के सबसे बड़े बायोमास प्लांट बरसाना के पहले फेज को भी पूरा कर दिया गया है। इसके अलावा एसीसी और अंबुजा सीमेंट का अधिग्रहण करने के साथ कंपनी ने उत्पादन क्षमता को 67.5 एमटीपीए से बढ़ाकर 79 एमटीपीए कर दिया है। वहीं, अधिग्रहण के बाद से प्रति टन ईबीआईटीडीए दोगुना हो गया है। गौतम अदाणी ने कहा कि हमारा लक्ष्य 2028 तक सीमेंट उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 140 एमटीपीए करना है। हमें ये बताते हुए गर्व हो रहा है कि 21.8 किलोमीटर लंबे मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक के लिए अंबुजा सीमेंट सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
ग्रुप की मीडिया कंपनी एनडीटीवी भी अच्छा कर रही है। डिजीटल के साथ-साथ कंपनी की रीजनल पहुंच बढ़ी है। इसके ग्लोबल डिजिटल ट्रैफिक में 39 प्रतिशत की बढ़त हुई है। गौतम अदाणी ने कहा कि प्रोग्राम की क्वालिटी को ध्यान में रखते हुए हमने अगली पीढ़ी के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया है। इसके साथ मुंबई और दिल्ली एनसीआर में नई सुविधाओं को जोड़ा है। 

 

1 जुलाई से बदल जाएगा क्रेडिट कार्ड से बिल पेमेंट का तरीका, लागू होंगे आरबीआई के नए नियम
Posted Date : 24-Jun-2024 9:27:28 am

1 जुलाई से बदल जाएगा क्रेडिट कार्ड से बिल पेमेंट का तरीका, लागू होंगे आरबीआई के नए नियम

नई दिल्ली  । जून का महीना खत्म होने में महज कुछ ही दिन बचे हैं इसके बाद जुलाई का महीना शुरू हो जाएगा। जुलाई महीना शुरू होते ही क्रेडिट कार्ड से बिल पेमेंट करने वाले लोगों के लिए बड़े अपडेट आ रहे हैं। 1 जुलाई से क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट को लेकर आरबीआई के कुछ नियम लागू होने वाले हैं जिनका सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो क्रेडिट कार्ड के जरिए बिल पेमेंट का इस्तेमाल करते हैं। इसका मकसद पेमेंट के प्रोसेस को सुव्यवस्थित करना और इसकी सुरक्षा बढ़ाना है। कुछ प्लेटफॉर्म के जरिये क्रेडिट कार्ड बिल पेमेंट में मुश्किल हो सकती है। इनमें क्रेड, फोनपे, बिलडेस्क जैसे कुछ प्रमुख फिनटेक शामिल हैं।
दरअसल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने निर्देश दिए हैं कि 30 जून के बाद सभी क्रेडिट कार्ड पेमेंट भारत बिल पेमेंट सिस्टम के जरिए से प्रोसेस की जानी चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक ने बीबीपीएस एक्टिवेट नहीं किया है। वहीं इन बैंकों ने अभी तक निर्देशों का पालन भी नहीं किया है। अभी तक सिर्फ 8 बैंकों ने ही बीबीपीएस पर बिल पेमेंट एक्टिव किया है।
भारत बिल पेमेंट सिस्टम बिल पेमेंट का इंटीग्रेटेड सिस्टम है, जो ग्राहकों को ऑनलाइन बिल पेमेंट सर्विस देती है। यह बिल पेमेंट के लिए एक इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म है। यह सिस्टम नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी एनपीसीआई के अंतर्गत काम करता है। क्कढ्ढ और क्रह्वक्कड्ड4 की तरह क्चक्चक्कस् को भी नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने बनाया है। भारत बिल-पे एक इंटरफेस है, जो क्रेड, फोनपे, बिलडेस्क, भीम, पेटीएम, मोबिक्विक जैसे ऐप पर मौजूद है। इसके जरिए एक ही प्लेटफॉर्म पर सारे बिल का पेमेंट किया जा सकता है।
अभी तक 26 बैंकों ने इसे इनेबल नहीं किया है। पेमेंट इंडस्ट्री ने 90 दिन तक समय-सीमा बढऩे की मांग की है। पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया ने इस मामले में क्रक्चढ्ढ के पास याचिका दायर की है। हालांकि, अभी तक रेगुलेटर ने इसपर कोई भी फैसला नहीं किया है।

 

मेटा एआई अब भारत में व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य पर उपलब्ध
Posted Date : 24-Jun-2024 9:27:01 am

मेटा एआई अब भारत में व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य पर उपलब्ध

नई दिल्ली  । टेक क्षेत्र की दिग्गज कंपनी मेटा ने सोमवार को भारत में व्हाट्सएप, फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम और मेटा डॉट एआई पर अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) असिस्टेंस की उपलब्धता की घोषणा की। इसे लेटेस्ट ‘लामा 3’ लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) के साथ बनाया गया है।
कंपनी ने एक बयान में कहा कि देश में लाखों यूजर्स अपने काम को पूरा करने, कंटेंट क्रिएट करने और टॉपिक पर जानकारी प्राप्त करने के लिए फीड, चैट और अन्य ऐप्स में मेटा एआई का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपने द्वारा उपयोग किए जा रहे ऐप को छोडऩे की जरूरत नहीं है।
मेटा ने कहा, भारत में इसे अंग्रेजी में शुरू किया जा रहा है। आप व्हाट्सएप, फेसबुक, मैसेंजर और इंस्टाग्राम पर मेटा एआई का इस्तेमाल करके काम कर सकते हैं, सीख सकते हैं, क्रिएट कर सकते हैं और उन चीजों से जुड़ सकते हैं जो आपके लिए बेहद जरूरी हैं।
कंपनी ने पिछले साल के ‘कनेक्ट’ इवेंट में पहली बार मेटा एआई की घोषणा की थी।
भारत में यूजर्स व्हाट्सएप ग्रुप चैट में मेटा एआई से आपके और आपके दोस्तों के लिए शानदार व्यूज वाले और वेगन रेस्तरां रिकमेंड करने के लिए कह सकते हैं।
कंपनी ने कहा, मेटा एआई से पूछें कि रोड ट्रिप पर रुकने के लिए कौन सी जगह अच्छी है? यदि आप किसी टेस्ट की तैयारी कर रहे हैं तो मेटा एआई से वेब पर मल्टीपल चॉइस टेस्ट के बारे में पूछें।
फेसबुक फीड पर स्क्रॉल करते समय भी मेटा एआई तक पहुंचा जा सकता है।
कंपनी के अनुसार, क्या आपको कोई ऐसा पोस्ट मिला है जिसमें आपकी दिलचस्पी है? आप मेटा एआई से सीधे पोस्ट से ही ज्यादा जानकारी ले सकते हैं।

 

जीएसटी परिषद में गेमिंग सेक्टर की मांग पर नहीं हुई चर्चा
Posted Date : 24-Jun-2024 9:26:41 am

जीएसटी परिषद में गेमिंग सेक्टर की मांग पर नहीं हुई चर्चा

नई दिल्ली  । जीएसटी परिषद की 53वीं बैठक में गेमिंग सेक्टर की मांग पर किसी प्रकार की चर्चा नहीं हुई। गेमिंग कंपनियां लंबे समय से मांग कर रही हैं कि 28 प्रतिशत जीएसटी दांव पर लगाई जाने वाली पूरी राशि की बजाय इंडस्ट्री द्वारा हासिल किए जाने वाले सकल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) पर लगाना चाहिए।
गेमिंग कंपनियों के अनुसार, स्किल आधारित ऑनलाइन गेम्स पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगने से गेमिंग इंडस्ट्री पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इससे फंडिंग में कमी आई है। साथ ही, रोजगार के मौके घट रहे हैं और सेक्टर के भविष्य को लेकर दुविधा की स्थिति है। जेएसए एडवोकेट्स और सॉलिसिटर में पार्टनर मनीष मिश्रा ने कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक में ऑनलाइन गेमिंग पर टैक्स को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। सेक्टर उम्मीद कर रहा था कि टैक्स की दरों को लेकर कुछ राहत मिलेगी।
ईवाई और यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (यूएसआईएसपीएफ) की ओर से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अक्टूबर 2023 से नया जीएसटी रिजीम आने के कारण कुछ कंपनियों से वैश्विक निवेशक हट गए हैं। नया जीएसटी रिजीम आने से पहले जीएसटी की लागत कुल आय का 15.25 प्रतिशत थी। एक अक्टूबर, 2023 के बाद 33 प्रतिशत कंपनियों के लिए जीएसटी की लागत आय के 50 से 100 प्रतिशत तक हो गई है। कुछ स्टार्टअप्स के लिए यह लागत आय से भी ज्यादा है। रिपोर्ट में बताया गया कि ये स्टार्टअप नुकसान में कारोबार कर रहे हैं। 

 

2030 तक 240 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है देश का इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट विनिर्माण
Posted Date : 23-Jun-2024 8:40:23 am

2030 तक 240 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है देश का इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट विनिर्माण

नई दिल्ली। सरकार की ओर से घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा दिए जाने के कारण देश के इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट और सब-असेंबली का बाजार 2030 तक 240 अरब डॉलर के आंकड़े को छू सकता है। इससे 2026 तक करीब 2.8 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी और 500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के लक्ष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की रविवार को जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि प्राथमिक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट और सब-असेंबली (पीसीबीए सहित) की मांग 2030 तक 30 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़ते हुए 139 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है।
पिछले वर्ष इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट और सब-असेंबली की मांग 45.5 अरब डॉलर पर थी जिसने करीब 102 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के विनिर्माण में मदद की।
रिपोर्ट में बताया गया है कि बैटरी (लिथियम आयन), कैमरा मॉड्यूल, मैकेनिकल, डिस्प्ले और पीसीबी के लिए कंपोनेंट को सरकार ने उच्च प्राथमिकता में रखा है। वर्ष 2022 में देश की कुल इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट की मांग में 43 प्रतिशत का योगदान इन्हीं उत्पादों का था। वर्ष 2030 तक इस मांग के 51.6 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया कि पीसीबीए में भारत के लिए काफी संभावनाएं हैं क्योंकि इसकी मांग की ज्यादातर पूर्ति आयात से की जाती है। यह सेगमेंट 30 प्रतिशत की दर से बढ़ सकता है। इसकी मांग 2030 में 87.46 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है।
रिपोर्ट में कुछ विशेष इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट के लिए वित्तीय सहायता देने की भी मांग की गई है। छह से आठ साल तक वित्तीय सहायता मिलने से इन उत्पादों की विनिर्माण क्षमता बढ़ाने के लिए उत्पादकों के पास पर्याप्त समय होगा।
इसके अतिरिक्त रिपोर्ट में प्रमोशन ऑफ मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट एंड सेमीकंडक्टर 2.0 स्कीम शुरू करने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि दूसरे चरण में 25 से 40 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाए ताकि संभावित निवेशकों को आसानी हो।
सीआईआई ने कहा है कि भारतीय उत्पादों की निर्यात मांग पैदा करने से दोतरफा फायदा होगा। पहला, निर्यात की मात्रा बढ़ जाएगी। दूसरी तरफ घरेलू कंपोनेंट और सब-असेंबली के विनिर्माण के लिए भी यह मददगार होगा।

 

प्रवासी भारतीयों का देश की अर्थव्यवस्था पर बढ़ा भरोसा, अप्रैल में भारी भरकम रकम हुई जमा
Posted Date : 23-Jun-2024 8:40:02 am

प्रवासी भारतीयों का देश की अर्थव्यवस्था पर बढ़ा भरोसा, अप्रैल में भारी भरकम रकम हुई जमा

नई दिल्ली।  दुनिया भर में रह रहे प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) ने अकेले अप्रैल महीने में देश में लगभग 1 बिलियन डॉलर जमा किए। मतलब साफ है कि तमाम वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद भी भारत की अर्थव्यवस्था में उन्होंने अपना भरोसा दिखाया है। साल 2023 में प्रवासी भारतीयों ने अप्रैल के महीने में 150 मिलियन डॉलर जमा किए थे, जो भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।
इससे साफ पता चल रहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास गति तेजी से बढ़ी है और यहीं वजह है कि लोगों का इसमें विश्वास भी बढ़ा है। भारत के विकास की गति जो 2003-19 के औसत 7 प्रतिशत के मुकाबले 2021-24 में 8 प्रतिशत या उससे भी अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नवीनतम आंकड़ों को देखें तो एनआरआई जमा में वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन को दर्शाती है।
प्रवासी भारतीयों के लिए देश में तीन प्रमुख जमा योजनाएं हैं – फॉरेन करेंसी नॉन रेजिडेंट (बैंक) या एफसीएनआर (बी); नॉन रेजिडेंट एक्सटर्नल रूपी अकाउंट या एनआरई(आरए) और नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी (एनआरओ) डिपॉजिट स्कीम। अप्रैल के महीने में प्रवासी भारतीयों ने एनआरई (आरए) योजना में 583 मिलियन डॉलर जमा किए, इसके साथ ही एफसीएनआर (बी) योजना में 483 मिलियन डॉलर जमा किए।
कोविड महामारी के दौरान एनआरआई जमा 131 बिलियन डॉलर से बढक़र 142 बिलियन डॉलर हो गया। भारत की विदेशी मुद्रा निधि 655.8 बिलियन डॉलर के नए अभी तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इस सब के बीच आरबीआई के ताजा आंकड़ों की मानें तो भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.3 बिलियन डॉलर बढक़र 655.8 बिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है और रुपये के मूल्य के अस्थिर होने पर उसे स्थिर करने के लिए अधिक संभावना प्रदान करता है।