0- लोकसभा स्पीकर को लिखा पत्र
0- कहा शादी के मामले में गलत जानकारी दे कर संसद की गरिमा धूमिल की
नई दिल्ली ,22 जून । भाजपा सांसद संघमित्रा मौर्य ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिख कर टीएमसी सांसद नुसरत जहां की सदस्यता खत्म करने की मांग की है। सांसद मौर्य ने नुसरत जहां पर अपने शादी के मामले में संसद की गरिमा को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि इस मामले को संसद की एथिक्स कमेटी को भेजना जाना चाहिए। गौरतलब है कि टीएमसी सांसद की शादी इस समय विवादों में है। नुसरत ने तुर्की में हुई शादी को अमान्य बताया है।
स्पीकर को लिखे पत्र में मौर्य ने याद दिलाया है कि बतौर लोकसभा सदस्य शपथ लेते समय नुसरत ने खुद का नाम नुसरत जहां रूही जैन बताया था। संसद की कार्यवाही में वह सिंदूर लगा कर आई थी। इस दौरान दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी मामले में इस्लामिक कट्टरपंथियों के निशाने पर आने के बाद नुसरत ने पलटवार किया था। यही नहीं उनकी शादी के रिसेप्शन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री भी मौजूद थी।
सांसद मौर्य ने कहा कि हालांकि यह नुसरत जहां का निजी मामला है कि वह अपना जीवन कैसे व्यतीती करती हैं, मगर नुसरत का आचरण अमर्यादित है। शादी के मामले में उन्होंने संसद और अपने मतदाताओं को धोखे में रखा। इससे संसद की गरिमा धूमिल हुई है। ऐसे में नुसरत के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत है। संसद की गरिमा को बचाने के लिए मामले को एथिक्स कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए।
0- 24 घंटे में 1422 मरीजों की संक्रमण से मौत
नई दिल्ली ,21 जून । देश में कोरोना का कहर तेजी के साथ कम हो रहा है और पिछले में 88 दिन बाद ऐसा मौका आया जब एक दिन में कोरोना के सबसे कम 53,256 नए मामले दर्ज किये गये। इस दौरान संक्रमण से ग्रस्त 1,422 लोगों की मौत हुई। वहीं एक दिन में कोरोना के दैनिक मामलों के मुकाबले कहीं ज्यादा लोगो ने कोरोना को मात दी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में कोरोना के 53,256 नए केस सामने आए, जिसके बाद देश में संक्रमण कुल मामले बढ़ कर 2,99,35,221 हो गए। जबकि इस दौरान 1,422 मरीजों की मौत के बाद देश में संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढक़र 3,88,135 हो गई। देश में 65 दिन बाद संक्रमण से मौत के इतने कम मामले सामने आए हैं। देश में कोविड-19 से मत्यु दर 1.30 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटे में मरीजों की संख्या भी कम होकर 7,02,887 हो गई है। देश में अभी तक कुल 2,88,44,199 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं और मरीजों के ठीक होने की राष्ट्रीय दर भी बढक़र 96.36 प्रतिशत हो गई है। वहीं अभी तक 7,02,887 लोगों का कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज चल रहा है, जो कुल मामलों का 2.35 प्रतिशत है। देश में पिछले साल सात अगस्त को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त को 30 लाख और पांच सितंबर को 40 लाख से अधिक हो गई थी। वहीं, संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर को 50 लाख, 28 सितंबर को 60 लाख, 11 अक्तूबर को 70 लाख, 29 अक्तूबर को 80 लाख, 20 नवंबर को 90 लाख के पार हो गए। देश में 19 दिसंबर को ये मामले एक करोड़ के पार और चार मई को दो करोड़ के पार चले गए थे।
सवा 39 करोड़ की कोरोना जांच
आंकड़ों के अनुसार देश में अभी तक कुल 39,24,07,782 नमूनों की कोविड-19 संबंधी जांच की गई है, जिनमें से 13,88,699 नमूनों की जांच रविवार को की गई। नमूनों के संक्रमित आने की दैनिक दर 3.83 प्रतिशत है, पिछले 14 दिन से यह पांच प्रतिशत से कम बनी है। नमूनों के संक्रमित आने की साप्ताहिक दर भी कम होकर 3.32 प्रतिशत हो गई है। देश में अभी तक कुल 28,0036,898 लोगों को कोविड-19 रोधी टीके लग चुके हैं।
0- केंद्र की नई रणनीति लागू होते ही कुछ ही घंटे में लगे 47 लाख टीकें
नई दिल्ली ,21 जून । कोरोना वायरस के खिलाफ भारत में टीकाकरण के तीसरे चरण की शुरुआत सोमवार 21 जून से हो चुकी है और पहले दिन ही कुछ ही घंटे में 47 लाख ज्यादा खुराकें लगाकर एक नया रिकॉर्ड भी स्थापित कर दिया गया है। शाम तीन बजे तक भारत में 47.5 लाख लोगों को कोरोना रोधी वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी थी, जो कि अब तक किसी भी एक दिन में दी गई वैक्सीन की संख्या से कहीं ज्यादा है।
वहीं टीकाकरण की रफ्तार बढऩे के पीछे प्रधानमंत्री के उस फैसले को बताया जा रहा है जिसके तहत उन्होंने एलान किया था कि 21 जून से वैक्सीन लगाने की पूरी जिम्मेदारी केंद्र की होगी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात जून को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान कहा था कि, 21 जून यानी सोमवार से देश के हर राज्य में, 18 वर्ष से ऊपर की उम्र के सभी नागरिकों के लिए, भारत सरकार ही राज्यों को मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराएगी। देश की किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा। अब तक देश के करोड़ों लोगों को मुफ्त वैक्सीन मिली है। अब 18 वर्ष की आयु के लोग भी इसमें जुड़ जाएंगे।
नई दिल्ली ,21 जून । केंद्र सरकार ने देश में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के खिलाफ जंग को तेज कर दिया है। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए रोधी दवा एंफोटेरिसीन-बी का उत्पादन पांच गुणा से अधिक हो गया है।
केंद्र सरकार ने ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एंटीफंगल दवा एम्फोटेरिसिन बी दवा के उत्पादन बढ़ाने, आयात और समान वितरण सुनिश्चित करने के लिए कई उपाए किए हैं। अब तक सरकार राज्यों और केंद्रीय स्वास्थ्य संस्थानों में मरीजों के लिए एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की कुल 6.67 लाख से अधिक शीशियां जुटाने में कामयाब हुई है। इसके अलावा एम्फोटेरिसिन डीऑक्सीकोलेट और पॉसकोनाजोल जैसी अन्य दवाएं इस बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। औषधि विभाग और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन घरेलू विनिर्माण और अन्य देशों से आयात की जा रही दवाओं की उपलब्धता पर लगातार नजर रखे हुए है। मई माह में सभी दवा निर्माताओं से उत्पादन, भंडार, आपूर्ति और खरीद आदेशों की जानकारी मांगी गई थी। इसके अलावा सभी से मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को कम करने के लिए सभी से सहयोग भी मांगा गया है। जीवन रक्षक दवाओं का ठीक तरीके से स्टॉक हो, इसके लिए हाल ही में सभी प्रमुख विभागों की बैठक भी की। बैठक में ये तय किया गया कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सीमित भंडार का आवंटन किया जाएगा जिससे कि सभी राज्यों को पर्याप्त दवाई मिल सके। यह प्रक्रिया तब तक चलेगी, जब तक मांग और आपूर्ति के बीच के अंतर को खत्म नहीं कर लिया जाता।
0- दिल्ली का हर दूसरा आदमी बेरोजगार
नई दिल्ली ,21 जून । योग दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश-दुनिया को योग करने का संदेश दिया। लेकिन उनका ये संदेश उन लोगों के बहुत काम का नहीं है जिनके पास इस समय कोई नौकरी नहीं है और इस बढ़ती महंगाई ने उनके मुंह का निवाला छीन लिया है।
देश में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती के कारण इस समय बेरोजगारी चरम पर है। देश की राजधानी दिल्ली में बेरोजगारी दर 45.6 फीसदी तक पहुंच गई है, यानि यहां का लगभग हर दूसरा आदमी बेरोजगार है। हरियाणा में बेरोजगारी दर 29.1 फीसदी, तमिलनाडु में 28 फीसदी और राजस्थान में 27.6 फीसदी हो गई है। इसका अर्थ है कि इन राज्यों में लगभग हर तीसरे व्यक्ति के पास कोई काम नहीं है।सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के आंकड़ों के अनुसार इस समय राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर में कुछ सुधार आया है। अब यह 10.8 फीसदी पर पहुंच गया है। मई माह के अंत में यह 11.9 फीसदी पर पहुंच गया था। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 12.9 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्रों में 9.8 फीसदी तक पहुंच गई है। ज्यादा बेरोजगारी वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश में 13.5 फीसदी, बिहार में 13.8 फीसदी, गोवा में 20.6 फीसदी, जम्मू-कश्मीर में 12.1 फीसदी, झारखंड में 16 फीसदी, केरल में 23.4 फीसदी, पुडुचेरी में 24 फीसदी, त्रिपुरा में 20 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 19.3 फीसदी हो चुकी है। सबसे कम बेरोजगारी वाले राज्यों में असम सबसे ऊपर है जहां केवल 0.1 फीसदी लोगों ने कहा कि उनके पास कोई रोजगार नहीं है। इसके बाद गुजरात में 2.3 फीसदी, कर्नाटक में 5.3 फीसदी, मध्यप्रदेश में 5.3 फीसदी, ओडिशा में 7 फीसदी, उत्तराखंड में 5.5 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 6.9 फीसदी लोग बेरोजगार हैं।
व्यापारिक संगठन कैट के प्रमुख सदस्य सुमित अग्रवाल ने अमर उजाला से कहा कि बाज़ार में अभी भी अनिश्चितता का माहौल है। व्यापार में ढील देने से बाज़ार खुले हैं, लोग बाज़ारों में पहुंच रहे हैं, लेकिन लोगों के हाथ में नकदी नहीं है, लिहाजा लोग खर्च करने से बच रहे हैं और बाज़ार में तेजी नहीं आ रही है। कोरोना की तीसरी लहर के आने के समय और इसके असर को लेकर लोगों में अनिश्चितता है। देश के शीर्ष वैज्ञानिक-डॉक्टरों ने दो-तीन महीने में दोबारा कोरोना की लहर आने की आशंका व्यक्त की है। इस माहौल में व्यापारी बाज़ार में पैसा लगाने से बच रहा है क्योंकि अगर कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा भयावह हुई और इसके कारण लॉकडाउन लगाना पड़ा तो व्यापारियों को डर है कि उनका पैसा लंबे समय के लिए फंस सकता है। इससे भी बाज़ार में सुस्ती बनी हुई है।
माना जा रहा है कि देश के विभिन्न हिस्सों में लॉकडाउन में छूट दिए जाने के कारण इस दौरान आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं और इसके कारण बेरोजगारी दर में कमी आई है। मई माह की तुलना में जून माह में अब तक बेरोजगारी दर में गिरावट दर्ज की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में धान की बुवाई के कामकाज शुरू होने से वहां भी बेरोजगारी दर में कमी आई है। दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में आज से अन्य क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों में भी छूट मिल रही है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि अब बेरोजगारी दर में गिरावट आएगी।
0- कोरोना से मौत पर मुआवजा देने का मामला
नई दिल्ली ,21 जून । सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सोमवार को सुरक्षित रख लिया।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम आर शाह की विशेष अवकाशकालीन पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ वकील एस बी उपाध्याय और अन्य वकीलों की दलीलें करीब दो घंटे सुनीं। इसके बाद शीर्ष अदालत ने पक्षकारों से तीन दिन में लिखित अभिवेदन दाखिल करने को कहा और खासकर केंद्र से कहा कि वह कोविड-19 के कारण जान गंवाने वालों के आश्रितों को मृत्यु प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया को सरल बनाए। इससे पहले केंद्र ने न्यायालय से कहा था कि कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इसका वित्तीय बोझ उठाना मुमकिन नहीं है और केंद्र एवं राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।
शीर्ष अदालत में एक हलफनामे में गृह मंत्रालय ने कहा है कि आपदा प्रबंधन कानून, 2005 की धारा 12 के तहत न्यूनतम मानक राहत के तौर पर स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना बढ़ाने एवं प्रत्येक नागरिक को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और तेजी से कदम उठाए गए हैं। शीर्ष अदालत दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इनमें केंद्र और राज्यों को कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को कानून के तहत चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक समान नीति का अनुरोध किया गया है। मामले में एक याचिकाकर्ता के वकील गौरव कुमार बंसल ने दलील दी थी कि आपदा प्रबंधन कानून, 2005 की धारा 12 (तीन) के तहत हर वह परिवार चार-चार लाख रुपये मुआवजे का हकदार है, जिसके सदस्य की कोरोना वायरस से मौत हुई। एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील रीपक कंसल ने दलील दी थी कि कोविड-19 के कारण बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की जरूरत है, क्योंकि इसी के जरिए प्रभावित परिवार कानून की धारा 12 (तीन) के तहत मुआवजे का दावा कर सकते हैं।