रायगढ़। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती चंदन संजय त्रिपाठी द्वारा जनपद पंचायत बरमकेला, वर्तमान पदस्थापना-पुसौर के तत्कालीन संविदा डाटा एन्ट्री आपरेटर विनोद कुमार पटेल को ग्राम पंचायत पोरथ के प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों की स्वीकृति वरीयताक्रम के अनुरूप नहीं किए जाने के संंबंध में कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया था। उक्त संबंध में श्री पटेल द्वारा प्रस्तुत जवाब संतोषप्रद नहीं पाए जाने एवं जनहित के अनुरूप कार्य न कर अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही पाया गया।
जगदलपुर, 02 मार्च । केंद्र सरकार द्वारा पांच लाख रूपए तक की चिकित्सा सुविधा के साथ शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना के लाभ के लिए पंजीकृत परिवारों को अगले छह माह और इंतजार करना पड़ सकता है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि यह योजना अगले सितंबर से ही शुरू हो पायेगी। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत बस्तर जिले के 1 लाख 35 हजार 270 परिवारों ने अपना पंजीयन कराया है।
इस संबंध में राज्य शासन द्वारा इस योजना को भविष्य में संचालित किया जायेगा या नहीं यह बाद में सुनिश्चित किया जायेगा। इस संबंध में यह स्मरणीय है कि पूर्व भाजपा शासन ने प्रदेश में इसको प्रभावशील किया था। जिससे पांच लाख रूपए तक की चिकित्सा सुविधा का उपचार मरीजों को दिया जा रहा था। अब सरकार बदल चुकी है और इस संबंध में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव की ईच्छा इस आयुष्मान योजना के प्रति बंद करने की है। उन्होंने इसके स्थान पर लोगों को शासकीय अस्पतालों से ही मरीजों को निशुल्क ईलाज कराने की सुविधा प्रदान करने की ईच्छा जताई है। इस उपचार में राशि की कोई सीमा तय नहीं की गई है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्र इस संबंध में बताते हैं कि इस संबंध में आयुष्मान भारत योजना को सितंबर 2019 तक ही चालू करने का निर्देश है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी देेवेन्द्र नाग ने कहा है कि अभी यह योजना सितंबर 2019 तक ही संचालित करने के निर्देश है। इसके उपरांत यह योजना आगे संचालित होगी या नहीं इसका निर्णिय राज्य सरकार तय करेगी।
जगदलपुर, 02 मार्च । कडक़नाथ मुर्गा के माध्यम से पशुपालन विभाग बस्तर में रोजगार की अपार संभावना जुटाने का कार्य कर रहा है और इसके माध्यम से बस्तर के बेरोजगारों को आर्थिक लाभ के साथ परिवार का भरण-पोषण करने का भी सहारा प्राप्त हो सकेगा।
जानकारी के अनुसार इस विशेष प्रजाति के कडक़नाथ मुर्गा पर कृषि महाविद्यालय में अनुसंधान कर इसकी संख्या बढ़ाने की जो कोशिश की वह सफल रही है और सफलता के साथ अब पशुपालन विभाग के माध्यम से यह योजना चलाने की कोशिश की जा रही है।
उल्लेखनीय है कि इसके लिए बेरोजगारों को कडक़नाथ के चूजे सरकार पोल्ट्री फार्म से प्रदान करेगी और उन्हें इसके विकसित करने के लिए सुविधायें व जानकारी देगी। वर्तमान में इन चूजों की कीमत 600 रूपए किलो रखी गई है, लेकिन शीघ्र ही इसका मूल्य भी कम हो जायेगा। इस संबंध में पशुपालन विभाग के सूत्र बताते हैं कि काले रंग के कडक़नाथ मुर्गे की मांग देश के कोने-कोने तक है। इसके मांस का स्वाद अलग होने के चलते इसकी मांग भी बढ़ गई है। कृषि महाविद्यालय में इसके सफल होने के बाद पशुपालन विभाग ने इसकी योजना बनाई है।
इस संबंध में पशुपालन विभाग की उपसंचालक डॉ लक्ष्मी अजगले ने बताया कि इस योजना का सबसे अधिक फायदा बस्तर के बेरोजगारों को मिलेगा। बस्तर जिले में पशुपालन की परंपरा सालों पुरानी है और वह सफल होती रही है। इसीलिए यह योजना बनाई गई है।
जगदलपुर, 02 मार्च । छत्तीसगढ़ के पड़ोसी प्रांत ओडिशा से बस्तर के रास्ते होने वाली गांजे की तस्करी नक्सलियों की मदद से हो रही है।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे नक्सल संगठन के अब धन जुटाने के लिए गांजे की तस्करी से जुड़े होने की बातें सामने आ रही हैं। माना जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के पड़ोसी प्रांत ओडिशा से बस्तर के रास्ते होने वाली गांजे की तस्करी नक्सलियों की मदद से हो रही है। नक्सल मामलों के जानकार भी ये मान रहे हैं कि गांजे की इंटरस्टेट तस्करी में कहीं न कहीं नक्सलियों का हाथ हैं। गांजे की तस्करी में नक्सली किस तरह से मदद गार बने हुए हैं। इसकी जानकारी सुरक्षा एजेसियों के पास भी पहुंची है, जिसके बाद सुरक्षा एंजेसियां अब अपने स्तर से इसकी जानकारी जुटाने में लगी हुई है।
बस्तर में लंबे समय से नक्सलियों के संरक्षण में बड़े पैमाने पर गांजे की तस्करी की जा रही है। दरअसल छत्तीसगढ़ के पड़ोसी प्रांत ओडिशा के मलकानगिरी में बड़े पैमाने पर गांजे की खेती और तस्करी किए जाने का कारोबार फल फूल रहा है। गांजे की तस्करी के लिए बस्तर का रास्ता काफी ज्यादा तस्करों के लिए मुफीद माना जाता है। बस्तर के रास्ते गांजा जब बिहार, दिल्ली, कोलकाता, महाराष्ट्र, सहित मध्यप्रदेश भेजा जाता है, तब कई बार सुरक्षा एंजेसियां इसपर कार्रवाई भी करती हैं।
जगदलपुर, 02 मार्च । इस वर्ष अचानक ही मौसम के बदलाव से बस्तर वासी संभले नहीं है और गर्मी का आभास लोगों को फरवरी माह में से ही होने लगा है। गर्मी की शुरूवात होते ही इंद्रावती नदी का जल स्तर भी कम हो रहा है। अभी जबकि उच्चतम तापमान 35 डिग्री तक पहुंच रहा है और दिन के समय ही लोगों को धूप की तेजी दिखाई देती है। इसके साथ ही बस्तर की यहां से होकर बहने वाली इंद्रावती नदी में पानी घटता जा रहा है। पिछले सप्ताह नदी का जलस्तर 2.390 मीटर था वह अब घटकर 2.060 मीटर हो गया है। हर दिन कम हो रहे जलस्तर से लोगों को गर्मी में पानी की समस्या न हो इसलिए जल संसाधन विभाग ने तैयारी करते हुये संभागिय मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर कुडक़ानार में बने एनीकेट को बंद कर दिया है व शहर से लगे इंद्रावती नदी पर पुराने पुल के पास बने एनीकेट के दरवाजे को बंद करते हुये पानी को रोकने की कोशिश शुरू कर दी है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष पानी की होती जा रही इस कमी से आयोग चिंतित है और आसन्न गर्मी के दिनों में लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने अभी से तैयारी कर रहा है। इसके अंतर्गत नदी के पानी के स्तर की जानकारी हर दिन आयोग के अधिकारियों को दी जा रही है। इस आंकड़े को जल संसाधन विभाग को भी दिया जा रहा है। इस संबंध में जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता पीजीएस राजपूत ने कहा कि यह बात सही है कि गर्मी से पहले नदी का जलस्तर कम हो गया है। गर्मी में लोगों को खासतौर पर शहरवासियों को पानी की किल्लत न हो इसलिए एनीकट के गेट बंद किए जा रहे हैं वहीं पानी की कमी न हो इसके लिए ओडिशा के अधिकारियों से भी बात की जाएगी।