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भारत-ताजिकिस्तान के बीच युवा मामलों में समझौता-ज्ञापन को मंत्रिमंडल की मंजूरी
Posted Date : 23-Nov-2018 7:28:41 am

भारत-ताजिकिस्तान के बीच युवा मामलों में समझौता-ज्ञापन को मंत्रिमंडल की मंजूरी

नयी दिल्ली,22 नवंबर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने भारत और ताजिकिस्तान के बीच युवा मामलों में सहयोग के समझौता-ज्ञापन को मंजूरी दे दी है। युवा मामलों में सहयोग को प्रोत्साहन देने के लिए भारत और ताजिकिस्तान के बीच इस साल आठ अक्टूबर को दुशाम्बे में एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। युवा मामलों एवं खेल, भारत सरकार के लिए ताजिकिस्तान में भारत के राजदूत श्री सोमनाथ घोष और ताजिकिस्तान गणराज्य के युवा एवं खेल मामलों की समिति के अध्यक्ष श्री अब्दुल्लोजोदा अहतम रुस्तम ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। पीआईबी की विज्ञप्ति के अनुसार समझौता-ज्ञापन 5 वर्ष की अवधि के लिए वैध होगा। युवा मामलों में सहयोग के क्षेत्रों में युवाओं, युवा संगठनों के प्रतिनिधियों और युवा नीति निर्माण मे संलग्न सरकारी अधिकारियों के आदान-प्रदान सहित दोनों देशों में युवा मामलों पर आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और संगोष्ठियों के लिए निमंत्रण, मुद्रित सामग्रियों, फिल्मों, अनुभवों, युवा मामलों पर शोध एवं अन्य सूचनाओं के आदान-प्रदान, युवा शिविरों, युवा उत्सवों और दोनों देशों में आयोजित होने वाले अन्य युवा कार्यक्रम शामिल हैं। इनके अलावा दोनों देशों के नियमों के अनुरूप संयुक्त रूप से स्वीकृत युवा मामलों पर सहयोगी गतिविधियां भी इसके दायरे में रखी गई हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य ताजिकिस्तान के साथ युवा मामलों पर सहयोग को प्रोत्साहित करना और उसे मजबूत बनाना है। इसके लिए दोनों पक्षों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों और गतिविधियों में हिस्सा लेना, सूचना और जानकारी को साझा करना तथा युवाओं का आदान-प्रदान करना भी शामिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस समझौते से युवा मामलों के क्षेत्र में आदान-प्रदान कार्यक्रमों के लिए सुविधा होगी, जिससे युवाओं में विचारों, मूल्यों और संस्कृति के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देने में मदद मिलेगी तथा भारत और ताजिकिस्तान के बीच दोस्ताना रिश्ते मजबूत होंगे। दोनों देशों के बीच इस तरह के द्विपक्षीय आदान-प्रदान कार्यक्रमों से जो लाभ होंगे, उनसे जाति, धर्म और लिंग से इतर सभी युवाओं को समान रूप से लाभ मिलेगा। इससे युवाओं में अंतरराष्ट्रीय समझ विकसित होगी और वे युवा मामलों के क्षेत्र में अपने ज्ञान और विशेषता को बढ़ा सकेंगे।

आईडीबीआई बैंक ने सरकार को बताया, एफवाई में मुनाफे में आएंगे
Posted Date : 23-Nov-2018 7:27:51 am

आईडीबीआई बैंक ने सरकार को बताया, एफवाई में मुनाफे में आएंगे

नई दिल्ली,22 नवंबर । बैड लोन से त्रस्त आईडीबीआई बैंक ने सरकार को बताया है कि वह इस वित्त वर्ष के अंत में मुनाफे में आ सकता है। लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एलआईसी) इस बैंक में कंट्रोलिंग स्टेक खरीदने जा रही है। 
वित्त मंत्रालय के आला अधिकारियों और एलआईसी के साथ हुई मीटिंग में बैंक ने इस वित्त वर्ष के अपने अनुमान की जानकारी दी। इस टर्नअराउंड प्लान में एलआईसी से मिलने वाली मदद को भी शामिल किया गया है। बैंक का मानना है कि एलआईसी का बिजनेस हैंडल करने से उसे सालाना 2,000 करोड़ का प्रॉफिट हो सकता है। बैंक के एक बड़े अधिकारी ने बताया, हमने सरकार से कहा है कि प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) में डाले जाने के बाद लगी पाबंदियों के बावजूद हमें रिटेल बिजनेस बढऩे और बैड लोन में कमी आने की उम्मीद है। हालांकि, अधिकारी ने यह भी कहा कि बैंक को इस वित्त वर्ष की आखिरी दो तिमाहियो में कुछ प्रोविजनिंग करनी पड़ सकती है। 
सितंबर तिमाही में आईडीबीआई बैंक का घाटा बढक़र 3,602 करोड़ रुपये हो गया था, जो साल भर पहले की इसी तिमाही में 197 करोड़ था। इसका ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स रेशियो सितंबर तिमाही में 31.78 पर्सेंट पहुंच गया था, जो साल भर पहले 24.98 पर्सेंट था। 
ऊपर जिस मीटिंग का जिक्र किया गया है, वह पिछले हफ्ते हुई थी। इसमें इस पर बात हुई कि बैंक में 51 पर्सेंट हिस्सेदारी लेने में एलआईसी को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आईडीबीआई को इस डील से 20 हजार करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। अभी एलआईसी के पास बैंक के 7.98 पर्सेंट शेयर हैं। बैड लोन के मामले में आईडीबीआई बैंक दूसरे सभी सरकारी बैंकों से आगे है। एसेट च्ॉलिटी संबंधी दिक्कतों को देखते हुए रिजर्व बैंक ने आईडीबीआई सहित 11 सरकारी बैंकों को पीसीए में डाला है। पिछले सोमवार को आरबीआई की बोर्ड मीटिंग में इस पर सहमति बनी थी कि पीसीए में डाले गए बैंकों को कुछ छूट देने पर रिजर्व बैंक का बोर्ड फॉर फाइनेंशियल सुपरविजन (बीएफएस) विचार करेगा। 
वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि दिवालिया कानून के तहत लोन रिजॉल्यूशन से आईडीबीआई बैंक को काफी फायदा होगा। उन्होंने कहा, अगली दो तिमाहियों में बैंक ने 8,000 करोड़ की लोन रिकवरी की उम्मीद जताई है। इसमें से आधी रकम दिवालिया कानून के तहत निपटाए जाने वाले मामलों से आएगी। सरकार को यह भी उम्मीद है कि उसे आईडीबीआई बैंक में एलआईसी के 51 पर्सेंट हिस्सेदारी लेने की जल्द ही अदालत से मंजूरी मिल जाएगी। 

दिल्ली में 76 रुपये लीटर से नीचे आया पेट्रोल, डीजल भी 71 से कम
Posted Date : 23-Nov-2018 7:26:54 am

दिल्ली में 76 रुपये लीटर से नीचे आया पेट्रोल, डीजल भी 71 से कम

नई दिल्ली ,22 नवंबर । पेट्रोल और डीजल के दाम में एक दिन की स्थिरता के बाद गुरुवार को फिर गिरावट दर्ज की गई। देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल का भाव 76 रुपये लीटर से नीचे आ गया है। वहीं, डीजल 71 रुपये लीटर से नीचे के दाम पर वाहन चालकों को मिलने लगा है। 
दिल्ली में पेट्रोल के दाम में 41 पैसे और डीजल में 30 पैसे प्रति लीटर की कटौती दर्ज की गई है। वहीं, कोलकाता में पेट्रोल 40 पैसे प्रति लीटर सस्ता हुआ है तो डीजल 30 पैसे प्रति लीटर। मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल के दाम में क्रमश: 40 पैसे और 43 पैसे प्रति लीटर की कटौती दर्ज की गई, जबकि दोनों महानगरों में 32 पैसे प्रति लीटर कमी आई।
इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में गुरुवार को पेट्रोल के भाव क्रमश: 75.97 रुपये, 77.93 रुपये, 81.50 रुपये और 78.88 रुपये प्रति लीटर दर्ज किए गए। चारों महानगरों में डीजल की कीमतें क्रमश: 70.97 रुपये, 72.83 रुपये, 74.34 रुपये और 74.99 रुपये प्रति लीटर दर्ज की गईं।

पायलटों के सिक लीव पर जाने से जेट की 25 फ्लाइट्स रद्द
Posted Date : 22-Nov-2018 6:41:17 am

पायलटों के सिक लीव पर जाने से जेट की 25 फ्लाइट्स रद्द

नई दिल्ली,21 नवंबर । जेट एयरवेज को कई पायलटों के सिक लीव पर चले जाने से सोमवार को 25 फ्लाइट्स कैंसल करनी पड़ीं। मुसीबतों के दौर से गुजर रही एयरलाइन कंपनी की 10 फ्लाइट्स रविवार को इसी वजह से कैंसल हुई थीं। ऐसा लगता है कि समय पर सैलरी नहीं मिलने की वजह से बड़ी संख्या में पायलट एक साथ सिक लीव पर जा रहे हैं।
जेट के एक सीनियर एग्जिक्यूटिव ने पहचान जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, सोमवार को 25 फ्लाइट्स कैंसल हुई जबकि कई फ्लाइट्स में देरी हुई। पायलट सैलरी नहीं मिलने का विरोध अलग से कर रहे हैं, इसलिए आने वाले समय में हालात बिगड़ सकते हैं। हालांकि एयरलाइन कंपनी रोस्टर में हुई एक गलती को इसका जिम्मेदार ठहरा रही है। उसका कहना है कि फ्लाइट पायलटों के ड्यूटी पर नहीं आने के चलते कैंसल नहीं हो रही हैं।
एयरलाइन कंपनी के दूसरे एग्जिक्यूटिव ने बताया कि पायलट अलग से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि जेट एयरवेज की पायलट असोसिएशन नैशनल एविएटर्स गिल्ड (एनएजी) ने अपने मेंबर्स को विरोध प्रदर्शन के बाबत कोई ऑर्डर जारी नहीं किया है। दूसरे एग्जिक्यूटिव ने भी पहचान जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर कहा, असल में एनएजी ने अपने मेंबर्स से एयरलाइन को रिवाइव करने में जुटे मैनेजमेंट का सपोर्ट करने की अपील की है। पायलट अपनी मर्जी से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं जिससे कंपनी का कामकाज प्रभावित हो रहा है। जेट एयरवेज ने कहा कि सोमवार को उसकी चुनिंदा फ्लाइट्स ही कैंसल हुई थीं। 
एयरलाइन की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, सोमवार को कैंसल हुई फ्लाइट्स की संख्या और उसकी जो वजह बताई जा रही है, उसे जेट एयरवेज खारिज करती है। कैंसलेशन पायलट के नॉन-कोऑपरेशन नहीं, बल्कि एक सिस्टम एरर के चलते हुई थीं। कंपनी के ऑपरेशंस शेड्यूल के हिसाब से चल रहे हैं। पायलट और इंजीनियर सहित कंपनी के सभी एंप्लॉयी सुचारू कामकाज के लिए सक्रियता से सहयोग कर रहे हैं। पायलटों के सिक लीव पर जाने और उसके चलते कंपनी का कामकाज प्रभावित होने की बातें कयासबाजी है। 
जेट एयरवेज क्रूड में तेजी और रुपये में कमजोरी के बीच खासतौर पर कम एयरफेयर चलते बहुत बड़ी वित्तीय मुश्किल में फंसी है। एयरलाइन को मौजूदा फिस्कल के पहले क्वॉर्टर में लगभग 2,500 करोड़ रुपये का लॉस हुआ था। यह फिलहाल स्टेक सेल के लिए संभावित खरीदारों से बातचीत कर रही है। जेट एयरवेज वजूद बचाए रखने के लिए एसेट और बिजनेस का बड़ा हिस्सा बेचने के लिए स्ट्रैटेजिक और फाइनेंशियल इनवेस्टर्स, दोनों के साथ बातचीत कर रही है। कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को फ्रिक्वेंट फ्लायर बिजनेस जेट प्रिविलेज में भी स्टेक बेचने की योजना से भी वाकिफ कराया है। 
सिंगापुर एयरलाइन के साथ फुल सर्विस एयरलाइन विस्तारा और लो-कॉस्ट एयरलाइन एयरएशिया के साथ एयरएशिया इंडिया वाले दो एविएशन जेवी के पार्टनर टाटा ग्रुप ने इस बात को सही बताया है कि वह बायआउट और विस्तारा में मर्जर के लिए जेट एयरवेज के साथ बात कर रही है।

रिलायंस ने गैस बिक्री में किया शर्तों का उल्लंघन
Posted Date : 22-Nov-2018 6:39:45 am

रिलायंस ने गैस बिक्री में किया शर्तों का उल्लंघन

नई दिल्ली ,21 नवंबर । रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने पूरा प्रॉडक्शन खुद को बेचकर कोल बेड मीथेन (सीबीएम) पर कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों और नीतियों का उल्लंघन किया। एक आधिकारिक जांच रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इससे कंपनी की सैकड़ों करोड़ डॉलर की गैस बेचने की डील रद्द हो सकती है।
रिलायंस ने मध्य प्रदेश की माइंस से पिछले साल सीबीएम का कमर्शल प्रॉडक्शन शुरू किया था। उसने इससे मिलने वाली गैस बेचने के लिए एक के बाद एक तीन ऑक्शंस किए। इनमें से पहली दो नीलामी कम अवधि और सितंबर 2017 में हुई तीसरी नीलामी मार्च 2021 तक पैदा होने गैस की बिक्री के लिए हुई थी। तीनों ही नीलामी में रिलायंस ने सबसे ऊंची बोली लगाई थी। कंपनी पहले इस मामले में कह चुकी है कि इससे सरकार की आमदनी बढ़ेगी। 
डीजीएच ने नीलामियों को बताया गलत 
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन्स (डीजीएच) ने पिछले साल हुई इन नीलामियों को गलत बताया था। उसने कहा था कि इनमें दूसरे बिडर्स के साथ रिलायंस खुद शामिल हुई थी। उसने इस मामले में सीबीएम पॉलिसी का पालन नहीं किया, जिसमें किसी सहयोगी को गैस बेचने की मनाही है, क्योंकि इससे हितों का टकराव होता है। 
पेट्रोलियम मंत्रालय ने की जांच 
डीजीएच की रिपोर्ट के बाद पेट्रोलियम मिनिस्ट्री ने इस मामले की जांच की। इसमें अधिकारियों ने पॉलिसी की शर्तों पर महीनों तक बहस की। कानून मंत्रालय की राय मांगी गई और रिलायंस इंडस्ट्रीज का पक्ष भी सुना गया। एक साल की जांच के बाद यह पाया गया कि खुद को गैस की बिक्री करके रिलायंस ने गलती की। यह सीबीएम पॉलिसी का उल्लंघन तो था ही, प्रॉडक्शन शेयरिंग एग्रीमेंट भी इसकी इजाजत नहीं देता। इस पॉलिसी में सीबीएम ऑपरेटर्स को गैस की बिक्री निष्पक्षता से करने को कहा गया है। रिलायंस अपनी ही गैस की नीलामी में शामिल हुई, जिससे हितों का टकराव हुआ। यह कॉन्ट्रैक्ट और सीबीएम पॉलिसी का उल्लंघन है। 
खत्म करने होंगे सीबीएम सेल्स कॉन्ट्रैक्ट 
सीबीएम पॉलिसी में कहा गया है कि अगर कॉम्पिटीटिव प्रोसेस में कोई खरीदार नहीं मिलता तो किसी सहयोगी को गैस की बिक्री की जा सकती है। हालांकि, रिलायंस ने खरीदार मिलने का इंतजार नहीं किया। इसके बजाय वह दूसरे संभावित खरीदारों के साथ नीलामी में शामिल हुई। आधिकारिक जांच रिपोर्ट से वाकिफ सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया कि अब रिलायंस को अपने साथ किए गए सीबीएम सेल्स कॉन्ट्रैक्ट खत्म करने होंगे और भविष्य में निकलने वाली गैस के लिए फिर से उसे नीलामी करनी होगी। 
उन्होंने कहा कि जिस गैस की बिक्री इन कॉन्ट्रैक्ट के जरिये की जा चुकी है, उन पर सरकार के फैसले का असर नहीं पड़ेगा। इस बारे में पूछे गए सवालों का पेट्रोलियम मिनिस्ट्री और रिलायंस ने जवाब नहीं दिया। हालांकि, रिलायंस ने पहले कहा था कि क्रिसिल की मॉनिटरिंग में उसने नीलामी के लिए पारदर्शी तरीका अपनाया था और नीलामी से सरकार को अधिकतम आमदनी हुई, जो सीबीएम पॉलिसी का मकसद था।

पूंजी पर राहत से सरकार को 14000 करोड़ का फायदा!
Posted Date : 22-Nov-2018 6:39:03 am

पूंजी पर राहत से सरकार को 14000 करोड़ का फायदा!

मुंबई ,21 नवंबर । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बोर्ड ने सोमवार को बेसल 3 रूल्स पर अमल के लिए बैंकों को एक साल की मोहलत दी थी, उससे उन्हें 14 हजार करोड़ तक का बेनेफिट हो सकता है। इसमें से ज्यादा पैसा सरकार की जेब से जाना था। इसलिए इस ढील का सबसे ज्यादा लाभ भी उसे ही होगा।
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के अनुमान के मुताबिक, अगर सितंबर तिमाही के कॉमन इच्टिी टियर 1 रेशियो और रिस्क वेटेड एसेट्स को ध्यान में रखें, तो इससे बैंकों में 13,390 करोड़ रुपये कम लगाने होंगे। आरबीआई बोर्ड ने कैपिटल कंजर्वेशन बफर (सीसीबी) को 1.875 से बढ़ाकर 2.5 पर्सेंट करने की डेडलाइन बढ़ाकर मार्च 2020 कर दी, जो पहले मार्च 2019 थी। यह कदम इसलिए उठाया गया, ताकि बैंक इस पैसे का इस्तेमाल कर्ज बांटने के लिए कर सकें। ऐसे में मार्च 2019 तक के लिए सीईटी 1 (कॉमन इच्टिी टियर) रिचयरमेंट 7.375 पर्सेंट होगा। इससे उन 10 बैंकों को राहत मिलेगी, जो इच्टिी कैपिटल रेशियो के मामले में पीछे छूट गए थे। इससे उनका जो रिजर्व फ्री होगा, वह बैंकिंग सिस्टम में आएगा। 
7.35 पर्सेंट कॉमन इच्टिी टियर 1 रिचयरमेंट के लिहाज से ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, इंडियन ओवरसीज बैंक, आंध्रा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, यूनाइटेड बैंक, यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक को 21,420 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी, जबकि 8 पर्सेंट कैपिटल रिचयरमेंट के लिए उन्हें 34,800 करोड़ की जरूरत पड़ती। 19 नवंबर को 9 घंटे चली आरबीआई की बोर्ड मीटिंग में यह फैसला लिया गया। इससे पहले एक महीने से आरबीआई और सरकार के बीच कई मुद्दों को लेकर तकरार चल रही थी। इसमें फाइनैंशल सिस्टम में कैश की कमी और एमएसएमई लोन रिस्ट्रक्चरिंग जैसे मसले भी शामिल थे। 
जेफरीज ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में बताया, ‘इससे सरकार का बोझ कम होगा। हालांकि, अगर वह पब्लिक सेक्टर के बैंकों की बैलेंस शीट ग्रोथ चाहती है तो उसे उन्हें फंड देना होगा।’ सरकार और आरबीआई के बीच एमएसएमई सेक्टर की सुस्ती को लेकर भी बहस हो रही थी। नोटबंदी और जीएसटी लागू किए जाने के चलते छोटी कंपनियों की ग्रोथ सुस्त पड़ गई है। 
जेफरीज की रिपोर्ट में बताया गया है, ‘एमएसएमई लोन रिस्ट्रक्चरिंग से सेक्टर को राहत मिलेगी। हालांकि, हमें यह पता नहीं है कि क्या बैंकों के लॉस बर्दाश्त किए बिना रिस्ट्रक्चरिंग या साइक्लिकल ग्रोथ से इस मसले का टिकाऊ हल निकलेगा।’ एमएसएमई सेगमेंट में चुनौती के बावजूद एसेट च्ॉलिटी अच्छी बनी हुई है। माइक्रो और एसएमई सेगमेंट का एनपीए पिछले दो साल में 1.2 पर्सेंट बढक़र 11.5 पर्सेंट पहुंचा है, जबकि इस दौरान बड़ी कंपनियों का एनपीए 7.5 पर्सेंट बढक़र 19.5 पर्सेंट और मिड साइज कॉरपोरेट का एनपीए 2 पर्सेंट बढक़र 16.6 पर्सेंट पहुंच गया है।