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22-Nov-2018 6:39:03 am
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पूंजी पर राहत से सरकार को 14000 करोड़ का फायदा!

मुंबई ,21 नवंबर । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बोर्ड ने सोमवार को बेसल 3 रूल्स पर अमल के लिए बैंकों को एक साल की मोहलत दी थी, उससे उन्हें 14 हजार करोड़ तक का बेनेफिट हो सकता है। इसमें से ज्यादा पैसा सरकार की जेब से जाना था। इसलिए इस ढील का सबसे ज्यादा लाभ भी उसे ही होगा।
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज के अनुमान के मुताबिक, अगर सितंबर तिमाही के कॉमन इच्टिी टियर 1 रेशियो और रिस्क वेटेड एसेट्स को ध्यान में रखें, तो इससे बैंकों में 13,390 करोड़ रुपये कम लगाने होंगे। आरबीआई बोर्ड ने कैपिटल कंजर्वेशन बफर (सीसीबी) को 1.875 से बढ़ाकर 2.5 पर्सेंट करने की डेडलाइन बढ़ाकर मार्च 2020 कर दी, जो पहले मार्च 2019 थी। यह कदम इसलिए उठाया गया, ताकि बैंक इस पैसे का इस्तेमाल कर्ज बांटने के लिए कर सकें। ऐसे में मार्च 2019 तक के लिए सीईटी 1 (कॉमन इच्टिी टियर) रिचयरमेंट 7.375 पर्सेंट होगा। इससे उन 10 बैंकों को राहत मिलेगी, जो इच्टिी कैपिटल रेशियो के मामले में पीछे छूट गए थे। इससे उनका जो रिजर्व फ्री होगा, वह बैंकिंग सिस्टम में आएगा। 
7.35 पर्सेंट कॉमन इच्टिी टियर 1 रिचयरमेंट के लिहाज से ऑरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, इंडियन ओवरसीज बैंक, आंध्रा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, यूनाइटेड बैंक, यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक को 21,420 करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी, जबकि 8 पर्सेंट कैपिटल रिचयरमेंट के लिए उन्हें 34,800 करोड़ की जरूरत पड़ती। 19 नवंबर को 9 घंटे चली आरबीआई की बोर्ड मीटिंग में यह फैसला लिया गया। इससे पहले एक महीने से आरबीआई और सरकार के बीच कई मुद्दों को लेकर तकरार चल रही थी। इसमें फाइनैंशल सिस्टम में कैश की कमी और एमएसएमई लोन रिस्ट्रक्चरिंग जैसे मसले भी शामिल थे। 
जेफरीज ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में बताया, ‘इससे सरकार का बोझ कम होगा। हालांकि, अगर वह पब्लिक सेक्टर के बैंकों की बैलेंस शीट ग्रोथ चाहती है तो उसे उन्हें फंड देना होगा।’ सरकार और आरबीआई के बीच एमएसएमई सेक्टर की सुस्ती को लेकर भी बहस हो रही थी। नोटबंदी और जीएसटी लागू किए जाने के चलते छोटी कंपनियों की ग्रोथ सुस्त पड़ गई है। 
जेफरीज की रिपोर्ट में बताया गया है, ‘एमएसएमई लोन रिस्ट्रक्चरिंग से सेक्टर को राहत मिलेगी। हालांकि, हमें यह पता नहीं है कि क्या बैंकों के लॉस बर्दाश्त किए बिना रिस्ट्रक्चरिंग या साइक्लिकल ग्रोथ से इस मसले का टिकाऊ हल निकलेगा।’ एमएसएमई सेगमेंट में चुनौती के बावजूद एसेट च्ॉलिटी अच्छी बनी हुई है। माइक्रो और एसएमई सेगमेंट का एनपीए पिछले दो साल में 1.2 पर्सेंट बढक़र 11.5 पर्सेंट पहुंचा है, जबकि इस दौरान बड़ी कंपनियों का एनपीए 7.5 पर्सेंट बढक़र 19.5 पर्सेंट और मिड साइज कॉरपोरेट का एनपीए 2 पर्सेंट बढक़र 16.6 पर्सेंट पहुंच गया है। 

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