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सरकार की फिर भरी झोली, केंद्रीय उपक्रमों से भी मिलेगा रिकॉर्ड डिविडेंड
Posted Date : 02-Jun-2024 12:28:53 am

सरकार की फिर भरी झोली, केंद्रीय उपक्रमों से भी मिलेगा रिकॉर्ड डिविडेंड

नईदिल्ली। तेल विपणन कंपनियों, सरकारी बैंकों और भारतीय जीवन बीमा निगम से लाभांश बहुत बढऩे के कारण सरकार को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से करीब 1.26 लाख करोड़ रुपये इक्विटी डिविडेंड मिलेगा।
यह लाभांश का अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है और वित्त वर्ष 2023 के 97,750 करोड़ रुपये के लाभांश से 28.7 फीसदी अधिक है। इसमें सूचीबद्ध पीएसयू द्वारा पिछले वित्त वर्ष की शुरुआती तीन तिमाहियों में दिया गया अंतरिम डिविडेंड भी शामिल है।
केंद्रीय पीएसयू से मिलने वाले इस लाभांश का करीब 60 फीसदी सरकार को प्रवर्तक होने के कारण दिया जाएगा। इस प्रकार केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2024 में केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों से कुल 76,166 करोड़ रुपये की लाभांश आय की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 2022-23 में मिली 59,406 करोड़ रुपये की लाभांश आय के मुकाबले यह 28.2 फीसदी अधिक है। पिछले पांच साल में सीपीएसयू से लाभांश भुगतान 19.2 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है और इसमें सरकार की का हिस्सा 18.9 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है।
विभिन्न केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में भारत सरकार की हिस्सेदारी 51.1 फीसदी से 98.25 फीसदी के बीच है। एनटीपीसी में उसकी हिस्सेदारी सबसे कम 51.1 फीसदी और पंजाब ऐंड सिंध बैंक में सबसे ज्यादा 98.25 फीसदी है।
सीपीएसयू से इतना अधिक लाभांश केंद्र सरकार के बजट के लिए दोहरी लॉटरी की तरह है। पिछले हफ्ते ही भारतीय रिजर्व बैंक ने भी उसे करीब 2.11 लाख करोड़ रुपये बतौर लाभांश देने का ऐलान किया था, जो ऐतिहासिक रकम होगी।
इसी साल फरवरी में आए केंद्रीय बजट के संशोधित अनुमानों के अनुसार सरकार को रिजर्व बैंक और सीपीएसयू से कुल 1,54,407 करोड़ रुपये लाभांश मिलने की उम्मीद थी। वित्त वर्ष 2022-23 में केंद्र को सार्वजनिक क्षेत्र से लाभांश एवं मुनाफे में 99,913 करोड़ रुपये मिले थे।
तेल मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल से सरकार को वित्त वर्ष 2024 में सबसे अधिक लाभांश मिल रहा है। कंपनी वित्त वर्ष 2024 में अपने शेयरधारकों को लाभांश के तौर पर 16,945.5 करोड़ रुपये दे रही है, जो उससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 300 फीसदी अधिक है। उसके बाद कोल इंडिया (15,715 करोड़ रुपये), ओएनजीसी (15,411 करोड़ रुपये) और पावरग्रिड कॉरपोरेशन (10,463 करोड़ रुपये) लाभांश दे रही हैं।
इंडियन ऑयल के मुकाबले कोल इंडिया और ओएनजीसी में सरकार की हिस्सेदारी अधिक है। कोल इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी 63.13 फीसदी और ओएनजीसी में 58.89 फीसदी है। इंडियन ऑयल में उसकी हिस्सेदारी 51.15 फीसदी ही है।

 

सस्ता हुआ कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर
Posted Date : 02-Jun-2024 12:28:39 am

सस्ता हुआ कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर

नई दिल्ली। तेल विपणन कंपनियों ने कमर्शियल रसोई गैस (एलपीजी) सिलेंडर के दामों में शनिवार को कटौती की। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 19 किलोग्राम के कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत 69.50 रुपये घटकर 1,676 रुपये हो गई है।
देश की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, इस कटौती के बाद 19 किलो वाले कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर के दाम कोलकाता में 72 रुपये कम होकर 1,787 रुपये,  मुंबई में 69.50 रुपये कम होकर 1,629 रुपये और चेन्नई में 70.50 रुपये कम होकर 1,840.50 रुपये हो गए हैं।
गैस की कीमतों की समीक्षा के बाद हर महीने की शुरुआत में एलपीजी सिलेंडर की नई कीमतें जारी की जाती हैं। एलपीजी गैस की कीमत तय करने में प्राकृतिक गैस की वैश्विक कीमत और मांग एवं आपूर्ति की बड़ी भूमिका होती है।
इससे पहले एक मई को कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर गैस के दाम 19 रुपये तक कम किए गए थे।
कमर्शियल गैस सिलेंडर का इस्तेमाल होटल, रेस्तरां या फिर व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जाता है। ऐसे में कमर्शियल एलपीजी गैस के दाम कम होने से कारोबारियों को राहत मिलेगी।
वहीं, 14.2 किलोग्राम वाला एलपीजी सिलेंडर घरेलू उपयोग के लिए होता है। इसके दाम में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। आखिरी बार, महिला दिवस के मौके पर सरकार ने घरेलू एलपीजी सिलेंडर के दाम में 100 रुपये की कटौती की थी।
मौजूदा समय में घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत दिल्ली में 803 रुपये, कोलकाता में 829 रुपये,  मुंबई में 802.50 रुपये और चेन्नई में 818.50 रुपये है।
सरकार द्वारा उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर पर सब्सिडी भी दी जाती है।

 

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ब्रिटेन से वापस मंगाया 100 टन सोना, 1991 के बाद पहली बार मंगाया इतना ज्यादा गोल्ड
Posted Date : 31-May-2024 9:33:58 pm

भारतीय रिज़र्व बैंक ने ब्रिटेन से वापस मंगाया 100 टन सोना, 1991 के बाद पहली बार मंगाया इतना ज्यादा गोल्ड

नईदिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1991 के बाद से पहली बार ब्रिटेन से 100 टन से ज़्यादा सोना वापस भारत लाकर अपने भंडार में रखा है। सूत्रों के मुताबिक, आने वाले सालों में भी ऐसा किया जा सकता है। अभी तक आरबीआई का ज़्यादातर सोना (आधे से ज़्यादा) विदेशों में, खासकर ब्रिटेन के बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स में सुरक्षित रखा जाता था। बचा हुआ सोना भारत में ही रखा जाता है। इस सोने को वापस लाने से आरबीआई को ब्रिटेन के बैंक को चुकाने वाले भंडारण शुल्क की बचत भी होगी।
आरबीआई के सालाना आंकड़ों के अनुसार, मार्च 31, 2024 तक भारत के पास विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में कुल 822.10 टन सोना था, जो कि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 794.63 टन सोने से ज़्यादा है। 1991 में, चंद्र शेखर सरकार ने भुगतान संकट से निपटने के लिए विदेशी बैंकों के पास 46.91 टन सोना गिरवी रखा था।
करीब 15 साल पहले, भारतीय रिज़र्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 200 टन सोना खरीदा था। 2009 में, मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए, यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान, भारत ने अपनी संपत्ति में विविधता लाने के लिए 6.7 बिलियन डॉलर मूल्य का 200 टन सोना खरीदा था।
पिछले कुछ वर्षों में, रिज़र्व बैंक द्वारा खरीदारी के माध्यम से सोने के भंडार में लगातार वृद्धि हुई है। रिज़र्व बैंक के भंडार में सोना रखने का मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति और विदेशी मुद्रा जोखिमों के खिलाफ बचाव के रूप में अपनी विदेशी मुद्रा संपत्ति के आधार में विविधता लाना है। आरबीआई ने दिसंबर 2017 से नियमित रूप से बाजार से सोना जमा करना शुरू कर दिया है। देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी दिसंबर 2023 के अंत में 7.75 प्रतिशत से बढक़र अप्रैल 2024 के अंत तक लगभग 8.7 प्रतिशत हो गई है।
देश के भीतर, सोना मुंबई के मिंट रोड पर आरबीआई की इमारत के साथ-साथ नागपुर में भी तिजोरियों में रखा जाता है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक केंद्रीय बैंकों के पास अब तक खनन किए गए सभी सोने का लगभग 17 प्रतिशत स्वामित्व है, जिसमें वर्ष 2023 के अंत तक भंडार 36,699 मीट्रिक टन  तक पहुंच गया है। उन्होंने 2010 में धातु के शुद्ध खरीदार बनने के बाद पिछले 14 वर्षों में इसका अधिकांश हिस्सा हासिल कर लिया।

 

मोदी सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र का कायापलट कर 10 लाख करोड़ से अधिक डूबा कर्ज वसूला: सीतारमण
Posted Date : 31-May-2024 9:33:40 pm

मोदी सरकार ने बैंकिंग क्षेत्र का कायापलट कर 10 लाख करोड़ से अधिक डूबा कर्ज वसूला: सीतारमण

नईदिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार ने विभिन्न सुधारों और बेहतर प्रशासन के जरिए बैंकिंग क्षेत्र का कायापलट किया है। इसके दम पर बैंकों ने 2014 से 2023 के बीच 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक डूबे कर्ज की वसूली की है।
उन्होंने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने करीब 1,105 बैंक धोखाधड़ी मामलों की जांच की है, जिसके परिणामस्वरूप 64,920 करोड़ रुपये की अपराध आय जब्त की गई है। दिसंबर 2023 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को 15,183 करोड़ रुपये की संपत्ति वापस कर दी गई है।
सीतारमण ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा,  हाल ही में, भारत के बैंकिंग क्षेत्र ने तीन लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार करते हुए अपना अब तक का सबसे अधिक शुद्ध लाभ दर्ज करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत और निर्णायक नेतृत्व के दम पर बैंकिंग क्षेत्र का कायापलट हुआ। हमारी सरकार ने व्यापक तथा दीर्घकालिक सुधारों के जरिए बैंकिंग क्षेत्र में संप्रग के पापों का प्रायश्चित किया।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने डूब कर्ज (खासकर बड़े डिफॉल्टर से) की वसूली में कोई ढील नहीं बरती और यह प्रक्रिया जारी है।
मंत्री ने कहा,  यह दुख की बात है कि विपक्षी नेता अब भी ‘राइट-ऑफ’ और माफी के बीच अंतर नहीं कर पा रहे हैं। आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार ‘राइट-ऑफ’ के बाद बैंक सक्रिय रूप से डूबे कर्ज की वसूली करते हैं। किसी भी उद्योगपति के ऋण को माफ नहीं किया गया है। 2014 से 2023 के बीच बैंकों ने खराब ऋणों से 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की है।
इस क्षेत्र के कुप्रबंधन के लिए कांग्रेस नीत संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा,  एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) संकट के बीज कांग्रेस नीत संप्रग काल में फोन बैंकिंग के जरिए बोए गए थे, जब संप्रग नेताओं तथा पार्टी पदाधिकारियों के दबाव में अयोग्य व्यवसायों को ऋण दिए गए।
मंत्री ने कहा,  मोदी सरकार हमारी बैंकिंग प्रणाली को मजबूत और स्थिर करने के लिए निर्णायक कदम उठाना जारी रखेगी तथा यह सुनिश्चित करेगी कि बैंक 2047 तक विकसित भारत के वृद्धि पथ पर भारत का समर्थन करें।

 

बैन रोकने के लिए केवल यूएस एल्गोरिदम लाने की रिपोर्ट का टिकटॉक ने किया खंडन
Posted Date : 31-May-2024 9:32:23 pm

बैन रोकने के लिए केवल यूएस एल्गोरिदम लाने की रिपोर्ट का टिकटॉक ने किया खंडन

नई दिल्ली। अमेरिका में बैन का सामना कर रहे चीनी शॉर्ट वीडियो ऐप टिकटॉक ने शुक्रवार को उस मीडिया रिपोर्ट का खंडन कर दिया, जिसमें ये बताया गया था कि कंपनी अपने सोर्स कोड को बांटने का काम कर रही है और केवल यूएस के लिए एक अलग एल्गोरिदम लाने जा रही है।
रिपोर्ट में दावा किया गया था कि टिकटॉक एक नए वर्जन पर काम कर रहा है और इसकी एल्गोरिदम प्रवर्तक कंपनी बाइटडांस की ओर से ऑपरेट किए जाने वाले वर्जन डौयिन से बिल्कुल स्वतंत्र रूप में कार्य करेगी।
टिक टॉक की ओर से सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर की गई एक पोस्ट में लिखा गया कि रॉयटर्स की ओर से आज जो स्टोरी पब्लिश की गई है वह पूरी तरह गलत है।
कंपनी ने अपनी कोर्ट फाइलिंग में कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका में टिकटॉक के ऑपरेशन जारी रखने के लिए एक्ट द्वारा की गई विनिवेश की मांग न व्यावसायिक रूप से, न तकनीकी रूप से, न कानूनी रूप से बिल्कुल भी संभव नहीं है।
टिकटॉक ने आगे कहा कि एक्ट द्वारा दी गई 270 दिनों की टाइमलाइन में यह नहीं हो सकता।
बता दें, चीनी कंपनी की ओर से बैन को रोकने के लिए कई कोशिशें की गई हैं।
इस महीने की शुरुआत में टिक टॉक और उसकी प्रवर्तक कंपनी की ओर से अदालत में अमेरिकी सरकार के खिलाफ केस दायर किया गया है, जिसमें कहा गया कि सरकार बाइटडांस को अपना लोकप्रिय ऐप बेचने का दबाव बना रही है। अगर ऐसा नहीं होता है कि ऐप को बैन कर दिया जाएगा।
पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने टिक टॉक बैन का बिल साइन किया था। इसे यूएस कांग्रेस के दोनों हाउस में पास करा लिया गया है।
बाइटडांस को टिकटॉक को किसी गैर-चीनी कंपनी को बेचने के लिए 270 दिनों का समय दिया गया है। यदि अमेरिकी राष्ट्रपति आवश्यक मानते हैं तो इसमें 90 दिनों के विस्तार की भी संभावना है।

 

इंडिया रेटिंग्स ने अदाणी ग्रीन एनर्जी को किया अपग्रेड, दी आईएनडी एए-रेटिंग
Posted Date : 30-May-2024 12:34:43 pm

इंडिया रेटिंग्स ने अदाणी ग्रीन एनर्जी को किया अपग्रेड, दी आईएनडी एए-रेटिंग

नई दिल्ली। इंडिया रेटिंग्स और रिसर्च (आईएनडी-आरए) की ओर से गुरुवार को अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) की लंबी अवधि की रेटिंग को आईएनडी ए+ से बढ़ाकर आईएनडी एए- कर दिया गया है। साथ ही कहा कि कंपनी का आउटलुक स्थिर है।
एजीईएल की रेटिंग बढ़ाने की वजह भारत की सबसे बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी होना है। इसके साथ संचालन के मापदंड पर भी कंपनी का प्रदर्शन काफी अच्छा है। वहीं, कंपनी के प्रवर्तकों की ओर से लक्ष्य को पूरा करने के लिए समय-समय पर इक्विटी डाली जा रही है।
कंपनी की ओर से क्षमता का भी लगातार विस्तार किया जा रहा है। कंपनी के पास मध्यम अवधि में 4 गीगावाट से लेकर 5 गीगावाट प्रति वर्ष क्षमता जोडऩे की क्षमता है, जो कि पहले 2.5 से लेकर 3.5 गीगावाट थी।
अपग्रेड की अन्य वजह कंपनी की ओर से विविधता लाना है। साथ ही प्राप्तियों में भी कमी आ रही है। इससे कंपनी पहले की अपेक्षा काफी मजबूत स्थिति में है।
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, अपग्रेड होल्डिंग कंपनी के लाभ के संबंध में एजीईएल की नीति में बदलाव को भी दर्शाता है, क्योंकि कंपनी ने अब 750 मिलियन डॉलर के होल्ड-को बांड के पुनर्भुगतान के लिए फंड्स को निर्धारित कर दिया है।
एनालिस्ट ने कहा, अपग्रेड करने के अन्य कारणों में एजीईएल की ओर से टोटल एनर्जी एसई के साथ एक प्लेटफॉर्म बनाना है। इसके जरिए कंपनी कंसोलिडेशन फायदों को रखते हुए अपनी एसेट्स का मोनेटाइजेशन कर सकती है। वारंट के जरिए प्रवर्तकों की ओर से इक्विटी डाली जा रही है और 25 प्रतिशत राशि कंपनी के पास आ चुकी है। कंपनी इक्विटी और डेट के जरिए अपने अंडर-कंस्ट्रक्शन पोर्टफोलियो को पूरी तरह फंड करने में सक्षम है।
एजीईएल ने इस महीने की शुरुआत में वित्त वर्ष 2024 के लिए 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 7,222 करोड़ रुपये का ईबीआईटीडीए दर्ज किया था। साथ ही कंपनी ने अपने रिन्यूएबल एनर्जी के 2030 के टारगेट को 45 गीगावाट से बढ़ाकर 50 गीगावाट कर दिया था।
एजीईएल ने पिछले वर्ष 2.8 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता का विस्तार किया था, जो कि इस दौरान पूरे देश में बढ़ी रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता का 15 प्रतिशत थी।
अपग्रेड पर एनालिस्ट ने आगे कहा कि इंडिया रेटिंग को उम्मीद है कि अंडर-कंस्ट्रक्शन पोर्टफोलियो से आने वाले समय में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। मौजूदा समय में कंपनी के पास 10.9 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता है। कंपनी द्वारा 5 गीगावाट का विस्तार इसमें हर वर्ष करने का लक्ष्य रखा गया है।
आगे कहा कि बुलेटेड संरचना के मुकाबले परिशोधन संरचना कर्ज के परिशोधन को सुनिश्चित करता है। इससे प्रोजेक्ट की टेल लाइफ 15 प्रतिशत हो जाती है। इससे रिफाइनेंस और टेल जोखिम कम होता है। इन सभी कारणों के चलते लीवरेज कम होकर 5.5 से लेकर 6.5 के स्तर पर आ गया है, जो कि पहले 9 के स्तर पर था।