नई दिल्ली। भारत में ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का चलन बढ़ता जा रहा है। हर कोई पेमेंट के लिए यूपीआई का उपयोग करता है। इस बीच पेमेंट एंड फाइनेंशियल सर्विस कंपनी पेटीएम को अपने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) बिजनेस में सुधार और मजबूत स्थिरता के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं। यह कंपनी के लिए जबरदस्त वापसी का संकेत है।
मई में पेटीएम प्लेटफॉर्म पर प्रोसेस्ड यूपीआई ट्रांसक्शन्स (लेनदेन) का कुल मूल्य बढक़र 1.24 ट्रिलियन रुपये हो गया। इसका श्रेय कंपनी द्वारा शुरू की गई कई पहलों को जाता है -- यूपीआई पर क्रेडिट कार्ड, यूपीआई लाइट आदि।
मई में प्लेटफॉर्म पर कुल लेनदेन 1.14 बिलियन पर स्थिर होने के साथ पेटीएम मार्केट हिस्सेदारी के मामले में तीसरा सबसे बड़ा प्लेयर बन गया। जबकि यह मार्च में एक थर्ड-पार्टी एप्लीकेशन प्रदाता (टीपीएपी) बन गया था। पेटीएम मार्केट हिस्सेदारी के मामले में तीसरी सबसे बड़ी कंपनी बनी हुई है। इसके अलावा, अपने मर्चेंट बेस के विस्तार को देखते हुए कंपनी पीयर-टू-मर्चेंट (पी2एम) यूपीआई लेनदेन में सबसे आगे बनी हुई है।
पेटीएम एकमात्र भारतीय कंपनी है जो गूगल पे और फोनपे के अधिकार (डुओपोली) को चुनौती दे रही है।
यूपीआई ने मई 2024 में करीब 14 बिलियन लेन-देन संभालकर एक मील का पत्थर हासिल किया। यह 49 प्रतिशत साल-दर-साल की वृद्धि है और 20.45 ट्रिलियन रुपये के लेनदेन संसाधित (प्रोसेस्ड) किए गए, जो 2016 में लॉन्च होने के बाद से सबसे ज्यादा है। यह उछाल भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों के बीच डिजिटल पेमेंट के लिए बढ़ती प्राथमिकता को रेखांकित करता है।
यूपीआई को लेकर पेटीएम उत्साहित है। उसने अपनी यूपीआई सर्विस को बढ़ाने के लिए एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और यस बैंक समेत विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ साझेदारी की है।
नोएडा हेड क्वार्टर वाली कंपनी ने अपनी आय के एक हिस्से के रूप में कहा है कि इस कदम से उसके व्यवसाय मॉडल का जोखिम और कम हो गया है। पेटीएम द्वारा अपने प्लेटफॉर्म पर लॉन्च किए गए यूपीआई लाइट जैसे फीचर यूजर्स को पेमेंट विफलताओं के जोखिम से बचने के लिए आसानी से पेमेंट करने में मदद करते हैं।
यह सर्विस खास तौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अक्सर किराने का सामान खरीदने, पार्किंग के लिए पेमेंट करने या रोज आने-जाने के लिए किराए का पेमेंट करने जैसे छोटे भुगतान करते हैं।
कंपनी को वित्त वर्ष 2024 के लिए 288 करोड़ रुपये का यूपीआई प्रोत्साहन प्राप्त हुआ, जो वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में 182 करोड़ रुपये था। यह पेमेंट बुनियादी ढांचे के साथ इसकी निरंतर ग्रोथ को दर्शाता है।
भारत में डिजिटल पेमेंट में ओवरऑल ग्रोथ, सहायक सरकारी नीतियों से प्रेरित होकर, नकदी रहित लेनदेन के प्रति उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव का संकेत देती है।
नईदिल्ली। अमेरिकी ऋणदाताओं के एक समूह ने शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी बैजूस की कुछ परिसंपत्तियों को दिवालिया करने के लिए याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि कंपनी अपने बकाया ऋण का भुगतान नहीं कर रही है।
बैजूस अल्फा इंक को 1.4 अरब डॉलर का ऋण देने वाले ऋणदाताओं के तदर्थ समूह ने कहा कि टर्म लोन और जीएलएएस ट्रस्ट कंपनी एलएलसी ( टर्म लोन के प्रशासनिक एजेंट और रेहन एजेंट) के कुछ धारकों ने अमेरिकी दिवालिया संहिता के अध्याय 11 के तहत याचिका दायर की है।
ऐसा इसलिए किया गया है ताकि अमेरिका के डिस्ट्रिक्ट ऑफ डेलावेयर की दिवालिया अदालत में कंपनी के टर्म लोन के तीन अमेरिकी गारंटर- एपिक!, न्यूरॉन फ्यूल (डीबीए टिंकर) और टैंजिबल प्ले (डीबीए ऑस्मो) के खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके।
ऋणदाताओं ने आरोप लगाया है कि बैजूस ने साल 2021 में कंपनी की अमेरिकी सहायक कंपनी बैजूस अल्फा को ऋण देने के तुरंत बाद अपने टर्म लोन चुकाना बंद कर दिया। ऋणदाताओं ने कहा कि उन्होंने बैजूस की चूक को ठीक करने के लिए कई उत्पादक और सहयोगात्मक काम करने का हरसंभव प्रयास किया।
ऋणदाताओं ने आरोप लगाया, ‘मगर यह स्पष्ट हो गया है कि बैजूस प्रबंधन अब अपने टर्म लोन चुकाने का इरादा नहीं रखता है अथवा उसकी क्षमता नहीं है। दरअसल, बैजूसस के संस्थापक बैजू रवींद्रन, रिजू रवींद्रन और दिव्या गोकुलनाथ ने अवैध तरीके से ऋण में 53.3 करोड़ डॉलर का हेरफेर किया है, जिसका खुलासा अब तक नहीं हो पाया है।’
ऋणदाताओं का यह भी आरोप है कि बैजूस के असफल नेतृत्व और कुप्रबंधन की वजह से कंपनी की परिसंपत्तियों और मूल्य को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा है कि बैजूस के शेयरधारकों और ऋणदाताओं ने भी अपने निवेश मूल्य में गिरावट देखी है। कंपनी के कर्मचारियों और वेंडरों को समय पर भुगतान नहीं हो रहा है और ग्राहकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
ऋणदाताओं ने कहा, ‘अन्य बड़े लक्ष्यों के अलावा हमने एपिक!, न्यूरॉन फ्यूल और टैंजिबल प्ले के मूल्य की रक्षा के लिए यह कार्रवाई की है। हमने उनकी सफलता के लिए प्रतिबद्ध हैं और कारोबार को फिर से सुचारू करने के लिए आवश्यकता पर पूंजी लगाने को भी तैयार है। न्यायालय की देखरेख में अब ऋणदाताओं को उम्मीद है कि एपिक!, न्यूरॉन फ्यूल और टैंजिबल प्ले को इससे लाभ मिलेगा।
नईदिल्ली। स्पाइसजेट के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा कि कंपनी अगस्त के मध्य तक 25 करोड़ डॉलर (2,085 करोड़ रुपये) जुटाने की योजना बना रही है। इससे विमानन कंपनी को अपनी बैलेंस शीट दुरुस्त करने और वृद्धि की राह पकडऩे में मदद मिलेगी।
विमान पट्टेदाताओं, इंजन पट्टेदाताओं, लेनदारों और पूर्व प्रवर्तक कलानिधि मारन को बकाया चुकाने के मामले में चल रहे मुकदमों के बीच पिछली कुछ तिमाहियों से स्पाइसजेट नकदी संकट का सामना कर रही है। विमानन कंपनी के शेयरधारक इस साल पहले ही 2,241 करोड़ रुपये जुटाने के लिए इक्विटी व वॉरंट जारी करने की मंजूरी दे चुके हैं।
इनमें से कंपनी ने अब तक 1,060 करोड़ रुपये जुटाए हैं। कापा इंडिया एविएशन समिट 2024 में सिंह ने कहा कि हमने 2-3 महीने एक बार रकम जुटाई है। अगले कुछ महीनों में हम और रकम जुटाएंगे जो हमें वृद्धि की राह पर ले जाएगी। हमें 15 करोड़ डॉलर मिले हैं। अब हम 25 करोड़ और डॉलर जुटाने जा रहे हैं। हमें उम्मीद है कि अगस्त के मध्य तक यह काम हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि विमानन कंपनी अगली दो तिमाहियों में अपनी बैलेंस शीट दुरुस्त करने की उम्मीद कर रही है। उन्होंने कहा कि स्पाइसजेट को खत्म करना काफी मुश्किल है। हमारे में फिर से बहाल होने की प्रवृत्ति है। हम एक बार फिर बढऩे की कोशिश कर रहे हैं।
एविएशन एनालिटिक्स फर्म सिरियम के मुताबिक स्पाइसजेट का नेटवर्क पिछले पांच साल में करीब 70 फीसदी कम हुआ है और अभी कंपनी हर हफ्ते 1,180 उड़ानों का परिचालन करती है। सिंह ने कहा कि अभी मांग का माहौल इतना अच्छा है कि जहां भी स्पाइसजेट अपनी उड़ानों का संचालन कर रही है, उसे सीटें भरने में किसी तरह की दिक्कत नहीं हो रही। अभी विमानन कंपनी के बेड़े में करीब 66 विमान हैं।
विमानन क्षेत्र के लिए कम करों की जरूरत पर बात करते हुए सिंह ने कहा कि आम आदमी के लिए नागरिक उड्डयन क्षेत्र की अहमियत के बारे में देश के सांसदों के बीच बेहतर समझ है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई सांसद उनकी कंपनी से अपने संसदीय क्षेत्र के लिए उड़ानें संचालित करने को कह रहे हैं।
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की शुक्रवार को समाप्त हो रही तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो दर तथा अन्य नीतिगत दरों में बदलाव की संभावना नहीं है क्योंकि केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाये रखने का प्रयास रहा है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक बुधवार को शुरू हुई थी और शुक्रवार को समाप्त होगी। इसमें देश की आर्थिक स्थिति, मुद्रास्फीति, मानसून की स्थिति, वैश्विक कारकों आदि के आधार पर नीतिगत दरों पर फैसले लिए जाएंगे। संभावना है कि समिति रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला कर सकती है।
रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि उधार देता है ताकि वे तरलता की अपनी तात्कालिक जरूरतें पूरी कर सकें। इसका असर बैंकों द्वारा कॉर्पोरेट तथा आम ग्राहकों को दिये जाने वाले ऋण की ब्याज दरों पर पड़ता है।
ब्याज दर घटने से निवेश तथा उपभोग लागत में कमी आती है, हालांकि उपभोग बढऩे से मुद्रास्फीति (महंगाई दर) बढऩे का खतरा रहता है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांता दास ने कहा है कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति कम करने की नीति जारी रखेगा ताकि आर्थिक विकास में स्थिरता बनी रहे। उन्होंने कहा कि खाने-पीने के सामान की महंगाई दर ज्यादा होने से मुद्रास्फीति का दबाव बना हुआ है।
आरबीआई ने पिछली बार फरवरी 2023 में नीतिगत दरों में बदलाव किया था। उसने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो दर में कुल 2.5 प्रतिशत की वृद्धि की थी। फरवरी 2023 के बाद से रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है।
खुदरा महंगाई की दर इस साल अप्रैल में घटकर 4.83 प्रतिशत पर आ गई थी। हालांकि यह अब भी आरबीआई के चार प्रतिशत के मध्यावधि लक्ष्य से ऊपर है। वित्त वर्ष 2023-24 में देश की आर्थिक विकास दर बढक़र 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गई। इससे आरबीआई के पास अभी ब्याज दरों में कटौती को टालने के विकल्प है।
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0-मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर के पार
मुंबई। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चिप बनाने वाली कंपनी एनवीडिया का मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है। इस कारण एप्पल को पछाडक़र एनवीडिया दुनिया की दूसरी सबसे वैल्यूएबल कंपनी बन गई है।
आखिरी कारोबारी सत्र में एनवीडिया के शेयर में 5.16 प्रतिशत की तेजी आई और कंपनी का मार्केट कैप 3.01 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया। एप्पल के शेयर में 0.78 प्रतिशत की बढ़त हुई है और उसका मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर पर है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चिप की मांग बढऩे के कारण एनवीडिया के शेयर में लगातार तेजी बनी हुई है। पिछले एक साल में यह 200 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दे चुका है।
सॉफ्टवेयर दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट 3.15 ट्रिलियन डॉलर के मार्केट कैप के साथ दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है। यह पहला मौका नहीं है, जब एनवीडिया की मार्केट कैप एप्पल से ज्यादा है।
इससे पहले 2002 में भी ऐसा हो चुका है। उस समय दोनों कंपनियों की वैल्यूएशन 10 बिलियन डॉलर से कम थी।
एनवीडिया के शेयर में तेजी की वजह एआई के इस्तेमाल में बढ़त होना है। इससे कंपनी द्वारा बनाई जाने वाली चिप की मांग पूरी दुनिया में बढ़ गई है। हाल ही में कंपनी ने हर साल नई एआई चिप डिजाइन करने का फैसला किया था।
कंपनी के सीईओ जेन्सेन हुआंग जनरेटिव एआई को नई औद्योगिक क्रांति बता चुके हैं। उन्होंने बताया कि एनवीडिया एआई से आने वाले बदलाव में बड़ी भूमिका निभाएगी।
एप्पल को इस साल की शुरुआत से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है। चीन में आईफोन की बिक्री घट रही है और वहीं, यूरोपीय यूनियन में मांग में ज्यादा सुधार नहीं है। इसके कारण कंपनी के शेयर की कीमत में भी उछाल नहीं देखने को मिला है।
ग्रेटर नोएडा। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सभी जगह पर अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। विभिन्न माध्यमों से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार से ग्रेटर नोएडा के एक्सपो सेंटर में विश्व पर्यावरण एक्सपो के नाम से पर्यावरण और स्थिरता विकास पर देश का सबसे बड़ा आयोजन शुरू हो रहा है।
एक्सपो में देश की 20 हजार से ज्यादा कंपनियां एक छत के नीचे जमा होंगी और अपने-अपने उत्पादों की प्रदर्शनी करेंगी। यह आयोजन 7 जून तक चलेगा। इसमें बुधवार को केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री अश्वनी चौबे भी हिस्सा लेंगे।
एक्सपो में प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित नवाचार, जल संरक्षण प्रौद्योगिकी, कूड़ा प्रबंधन और ईको फ्रेंडली परियोजनाओं से जुड़ी कंपनियां हिस्सा लेंगी। सभी कंपनियां उत्पादों प्रदर्शनी लगाएंगी और इन पर सभागार में विचार विमर्श भी होगा।
कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के 20 से अधिक महापौर उपस्थित रहेंगे। आरडब्लूए परिसंघ-उत्तर प्रदेश (सीओआरडब्ल्यूए-यूपी), फ्लैट ओनर्स फेडरेशन गाजियाबाद और ग्रीन सोसायटी ऑफ इंडिया भारतीय प्रदर्शनी सेवाओं के सहयोग से मुख्य विषय अपशिष्ट और जल प्रबंधन पर चर्चा करेंगे।
इस आयोजन में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण और प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, सौर पैनल और सौर उत्पाद, सफाई और स्वच्छता उपकरण, हरित नवाचार, ऊर्जा दक्षता उपकरण और प्रौद्योगिकियां, पर्यावरण अनुकूल उत्पाद, जल संरक्षण प्रौद्योगिकियां और जल प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकी पर 5वीं अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है। इस प्रदर्शनी में प्रदर्शक अपने नवाचारों और प्रौद्योगिकियों को संभावित सहयोगियों और नीति निर्माताओं के सामने प्रदर्शित कर सकते हैं और साथी उद्यमियों से जुड़ सकते हैं तथा नेटवर्क बना सकते हैं।
इस प्रदर्शनी में बायोफ्यूल एक्सपो, बायोडिग्रेडेबल एक्सपो, ग्रीनोवेशन वर्ल्ड ऑफ रीसाइक्लिंग एक्सपो, विश्व पर्यावरण सम्मेलन, इंडिया बायोफ्यूल मीट, ग्रीन इंडिया अवार्ड्स, ऑल इंडिया मेयर एंड आरडब्ल्यूए समिट, तथा रूफटॉप एक्सपो का भी आयोजन होगा।
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