नईदिल्ली। भवीश अग्रवाल की इलेक्ट्रिक वाहन स्टार्टअप ओला इलेक्ट्रिक को 7,250 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के लिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से मंजूरी मिल गई है। इस मामले से अवगत सूत्रों ने यह जानकारी दी। ओला इलेक्ट्रिक आईपीओ लाने वाली देश की पहली इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी होगी।
सूत्रों ने कहा कि सेबी से मंजूरी मिलने और बाजार में तेजी को देखते हुए कंपनी एक महीने के भीतर अपना आईपीओ ला सकती है।
मगर स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। इस मुद्दे पर जानकारी के लिए बार-बार कोशिश करने के बावजूद कंपनी से संपर्क नहीं हो सका। इस आईपीओ के तहत 5,500 करोड़ रुपये तक के ताजा शेयर जारी किए जाएंगे। इसके अलावा इसमें ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) के तहत करीब 1,750 करोड़ रुपये मूल्य के 9.5 करोड़ से अधिक शेयर शामिल होंगे।
ओला के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी भवीश अग्रवाल आईपीओ के तहत करीब 4.74 करोड़ शेयर यानी करीब 3.48 फीसदी हिस्सेदारी बेचेंगे।
आईपीओ के जरिये अपनी हिस्सेदारी बेचने वाले अन्य शेयरधारकों में इंडस ट्रस्ट, अल्पाइन अपॉर्चुनिटी फंड, डीआईजी इन्वेस्टमेंट, इंटरनेट फंड 3 (टाइगर ग्लोबल), मैकरिची इन्वेस्टमेंट्स, मैट्रिक्स पार्टनर्स, सॉफ्टबैंक विजन फंड, अल्फा वेव वेंचर्स और टेकने प्राइवेट वेंचर्स शामिल हैं।
ओला इलेक्ट्रिक का आईपीओ कुछ कारणों से अनोखा है। पिछले कई दशकों में यह पहला अवसर होगा जब कोई दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनी अपने आईपीओ के साथ पूंजी बाजार में दस्तक देगी। इसके अलावा अग्रवाल पहली बार किसी कंपनी को सूचीबद्ध कराने जा रहे हैं। कंपनी 7 से 8 अरब डॉलर के मूल्यांकन का लक्ष्य रख रही है।
ओला इलेक्ट्रिक ने 2017 में ईवी कारोबार में दस्तक दी थी और वित्त वर्ष 2024 में 35 फीसदी से अधिक बाजार हिस्सेदारी के साथ वह इस बाजार की अग्रणी कंपनी बन चुक है। वाहन पोर्टल के अनुसार, ओला इलेक्ट्रिक की बाजार हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2023 में 21 फीसदी से बढ़ी है।
आईपीओ दस्तावेज के अनुसार, कंपनी जुटाई जाने वाली रकम का उपयोग ऋण बोझ घटाने के अलावा पूंजीगत खर्च और अनुसंधान एवं विकास (आरऐंडडी) मद में करेगी। कंपनी पूंजीगत व्यय मद में 1,226 करोड़ रुपये और ऋण अदायगी मद में 800 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके अलावा आरऐंडडी मद में 1,600 करोड़ रुपये और कारोबार के विकास पर 350 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
कंपनी का कुल राजस्व वित्त वर्ष 2022 में 456 करोड़ रुपये के मुकाबले 510 फीसदी बढक़र 2,782 करोड़ रुपये हो गया। मगर कंपनी का शुद्ध घाटा भी बढक़र वित्त वर्ष 2023 में करीब 1,472 करोड़ रुपये हो गया।
नईदिल्ली। निर्मला सीतारमण ने लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए वित्त मंत्रालय का कार्यभार बुधवार को संभाल लिया। वह जल्द ही वित्त वर्ष 2025 के लिए अंतिम बजट पेश करेंगी जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत तीसरी सरकार की प्राथमिकता तथा विकसित भारत की दिशा तय करेगा। नॉर्थ ब्लॉक स्थित कार्यालय में वित्त सचिव टी. वी. सोमनाथन और अन्य शीर्ष अधिकारियों ने सीतारमण का स्वागत किया।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी भी इस दौरान मौजूद थे। चौधरी ने मंगलवार की शाम को पदभार ग्रहण किया। आधिकारिक बयान के अनुसार, कार्यभार संभालने के बाद वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री को विभिन्न विभागों के सचिवों द्वारा मौजूदा नीतिगत मुद्दों की जानकारी दी गई। सीतारमण ने कहा कि सरकार अपने नागरिकों के ‘‘जीवन की सुगमता’’ सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इस संबंध में आगे भी कदम उठाती रहेगी। उन्होंने कहा कि 2014 से किए गए सुधार जारी रहेंगे, जिससे भारत व्यापक आर्थिक स्थिरता तथा वृद्धि हासिल करेगा।
उन्होंने वैश्विक चुनौतियों के बीच हाल के वर्षों में भारत की सराहनीय वृद्धि गाथा को रेखांकित किया और कहा कि आने वाले वर्षों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण आशावादी है। उन्होंने विभागों से राजग सरकार के विकास एजेंडे को नए जोश के साथ आगे बढ़ाने तथा प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने के लिए उत्तरदायी नीति निर्माण सुनिश्चित करने का आग्रह किया। सीतारमण ने कहा कि सरकार ‘ सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ में विश्वास रखती है।
उन्होंने मजबूत तथा जीवंत अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए उद्योग जगत के लोगों, नियामकों और नागरिकों सहित सभी हितधारकों से निरंतर समर्थन व सहयोग का आह्वान किया। सीतारमण लगातार सातवां बजट और लगातार छठा पूर्ण बजट पेश करके एक रिकॉर्ड बनाएंगी।
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट अगले महीने, नवगठित 18वीं लोकसभा में पेश किए जाने की संभावना है। सीतारमण के नाम मोदी सरकार में लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए मंत्री के रूप में शामिल होने वाली पहली महिला बनने का रिकॉर्ड भी है। अपने राजनीतिक करियर में उन्होंने कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। 2017 में वह पहली महिला रक्षा मंत्री बनी। इससे पहले वह उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री थीं।
अरुण जेटली (वित्त मंत्री 2014-19) के बीमार होने पर सीतारमण ने 2019 के आम चुनाव के बाद नव निर्वाचित मोदी सरकार में वित्त विभाग का प्रभार संभाला था। वह स्वतंत्र भारत में पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनीं।
इससे पहले, इंदिरा गांधी ने भारत की प्रधानमंत्री रहते हुए थोड़े समय के लिए अतिरिक्त विभाग के रूप में वित्त का कार्यभार संभाला था। सीतारमण का जन्म 18 अगस्त 1959 को मदुरै में रेलवे में कार्यरत नारायण सीतारमण और सावित्री के घर हुआ था। सीतारमण ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर और एम.फिल की है।
राजनीति में आने से पहले सीतारमण ब्रिटेन में कॉरपोरेट जगत का हिस्सा थीं, जहां वह अपने पति परकाला प्रभाकर के साथ रह रही थीं। दोनों की मुलाकात जेएनयू में पढ़ाई के दौरान हुई और 1986 में दोनों ने शादी कर ली। उनकी एक बेटी परकाला वांगमयी है। सीतारमण ने हैदराबाद में सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी स्टडीज की उप निदेशक के रूप में कार्य किया। शहर में उन्होंने एक स्कूल भी शुरू किया। वह 2003 से 2005 तक राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रहीं।
नईदिल्ली। वेवर्क के दिवालियापन से उभरने के बाद कंपनी के सीईओ डेविड टॉली ने इस्तीफा दे दिया। यह कंपनी की पुनर्गठन प्रक्रिया के अंत का प्रतीक है जिसके कारण कंपनी को कई स्थानों पर बंद करना पड़ा था।
कंपनी ने कमर्शियल रियल एस्टेट इंडस्ट्री के दिग्गज जॉन सैंटोरा को अपना नया प्रमुख नियुक्त किया। उन्होंने हाल ही में ग्लोबल रियल एस्टेट सेवा फर्म कुशमैन एंड वेकफील्ड में ट्राई-स्टेट चेयरमैन के रूप में कार्य किया।
कभी अमेरिका का सबसे मूल्यवान स्टार्टअप रहा वेवर्क तेजी से विस्तार करता गया, लेकिन महंगे लीज़ और कोरोना महामारी के कारण मांग में तेज गिरावट के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद नवंबर 2023 में कंपनी ने दिवालियापन संरक्षण के लिए आवेदन किया।
वेवर्क को पिछले महीने के अंत में एक अमेरिकी दिवालियापन न्यायाधीश से पुनर्गठन योजना की मंजूरी मिली, जिससे इसे 4 बिलियन डॉलर का कर्ज खत्म करने और अपनी इक्विटी को ऋणदाताओं और रियल एस्टेट टेक्नोलॉजी कंपनी यार्डी सिस्टम्स के समूह को सौंपने की अनुमति मिली।
टॉली फरवरी 2023 में बोर्ड सदस्य के रूप में वेवर्क में शामिल हुए। उन्होंने अक्टूबर में सीईओ का पद संभाला और कंपनी को एक मुश्किल समय से बाहर निकाला, जिसमें प्रमुख परिचालन और वित्तीय सुधार शामिल थे।
उनके कार्यकाल के दौरान, वेवर्क ने अपने रियल एस्टेट पोर्टफोलियो में तेजी से कमी की, 190 से अधिक पट्टों पर फिर से बातचीत की, 170 से अधिक गैर-लाभकारी स्थानों से बाहर निकला, और वार्षिक किराया और किरायेदारी खर्च में 800 मिलियन डॉलर से अधिक की कटौती की।
इसने अपने भविष्य के विकास को समर्थन देने के लिए नई इक्विटी पूंजी में $400 मिलियन भी सुरक्षित किए, जबकि अपने खर्चों में 30त्न से अधिक की कटौती की।
यह स्टार्टअप सॉफ्टबैंक ग्रुप के सबसे बड़े दांवों में से एक था, जिसके पास पिछले नवंबर में लगभग 71त्न हिस्सेदारी थी, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इसने अपना अधिकांश निवेश लिख लिया था।
वेवर्क ने अप्रैल में सह-संस्थापक और पूर्व मालिक एडम न्यूमैन के $650 मिलियन के प्रस्ताव को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके प्रस्ताव में ऋणदाताओं का दिल जीतने के लिए पर्याप्त उच्च कीमत की पेशकश नहीं की गई है।
नईदिल्ली। राहुल भाटिया की प्रमोटर एंटिटी इंटरग्लोब एविएशन के शेयरों में आज मार्केट ओपन होने के बाद गिरावट देखने को मिली। इंट्रा ड्रे ट्रेड के दौरान बीएसई पर कंपनी के शेयर 4 फीसदी तक गिर गए और 4361 रुपये पर आ गए। कंपनी के शेयरों में यह गिरावट 3,689 करोड़ रुपये की ब्लॉक डील के बाद देखने को मिली है। यह ब्लॉक डील 4,406 रुपये प्रति शेयर के एवरेज प्राइस पर हुई।
इंटरग्लोब एविएशन यानी इंडिगो ने आज ब्लॉक डील के जरिये कंपनी के 2.23 फीसदी यानी 83.7 लाख शेयरों की बिकवाली की। दरसअल, पहले माना जा रहा था कि कंपनी ब्लॉक डील के जरिये 2 फीसदी यानी 77 लाख शेयरों की बिकवाली 4,266 प्रति शेयर पर कर सकती है। हालांकि, अभी तक इस बात का पता नहीं चल सका है कि किसने कितने शेयरों की खरीदारी की है।
बता दें कि राहुल भाटिया और उनकी फैमिली इंटरग्लोब एविएशन की प्रमोटर हैं। उनकी इंटरग्लोब एविएशन में कुल हिस्सेदारी 37.75 फीसदी है। लेनदेन में भाटिया फैमिली को आगे की हिस्सेदारी बेचने से पहले 365 दिनों की लॉक-इन अवधि भी दी जाएगी।
एक सूत्र के हवाले से बताया कि कई सालों में ऐसा पहली बार है कि राहुल भाटिया वैल्यू अनलॉक करने और कुछ रिटर्न हासिल करने पर विचार कर रहे हैं।
10:06 बजे इंडिगो यानी इंटरग्लोब एविएशन के शेयरों में 3.69 फीसदी की गिरावट देखने को मिली और ये 4,398.10 रुपये पर ट्रेड कर रहे थे। कंपनी के शेयर 4,400 रुपये पर ओपन हुए थे, जबकि इंट्रा डे के दौरान अभी तक 4,474.30 के हाई और 4,372.55 के लो लेवल तक पहुंचे। इसके शेयर कल यानी 10 जून को 4,566.60 पर क्लोज हुए थे। शेयरों में 1 साल में 75 फीसदी के करीब उछाल देखने को मिला है, जबकि 6 महीने में इसके शेयरों में 50 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली।
गौरतलब है कि देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो अपने बिजनेस में विस्तार कर रही है। कंपनी ने हाल ही में अपने विमानों में बिजनेस क्लास की सुविधा शुरू करने की घोषणा की थी। फिलहाल उसके सभी 370 विमानों में केवल इकॉनमी क्लास की सीटें हैं। पिछले साल जून में कंपनी ने 500 ए320नियो कैटेगरी के विमानों का ऑर्डर दिया था जो दुनिया का सबसे बड़ा विमान ऑर्डर था। इस साल अप्रैल में उसने 30 ए 350 वाइड बॉडी विमानों के लिए एक अन्य ऑर्डर दिया है।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एडलविस एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पद पर राजकुमार बंसल की दोबारा नियुक्ति को खारिज कर दिया है।
कंपनी ने शेयर बाजारों को एक बयान में यह जानकारी दी। हालांकि उसने आरबीआई के इस कदम के पीछे के कारण के बारे में नहीं बताया है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले केंद्रीय बैंक ने एडलविस एआरसी के किसी जोखिम में पड़ी परिसंपत्ति के अधिग्रहण पर रोक लगा दी थी।
आरबीआई ने पिछले महीने एडलविस समूह की कंपनियों के संबंध में कई चिताओं का उल्लेख किया था जिनकी वजह एआरसी की सहयोगी कंपनी ईसीएल फाइनेंस के जोखिम में पड़ी संपत्तियों के एक्सपोजर को छिपाने वाले ट्रांजेक्शन थे।
नियामक ने अपने नोटिफिकेशन में ईसीएल फाइनेंस के कुल एक्सपोजर से संबंधित स्ट्रक्चर्ड ट्रांजेक्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि उसे पुनर्भुगतान और खातों को बंद करने की अनुमति दी गई थी।
इसके अलावा वित्तीय नियामक ने दोनों कंपनियों को अपने एश्योरेंस फंक्शन में मजबूती लाने की हिदायत दी थी।
आरबीआई के मानकों के अनुरूप संतोषप्रद सुधार के बाद ही प्रतिबंध समाप्त किये जायेंगे।
इस घटनाक्रम के बाद समूह की प्रवर्तक कंपनी एडलविस फाइनेंशियल सर्विसेज के शेयर 8.2 प्रतिशत तक टूट गये हैं।
नईदिल्ली। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) चालू वित्त वर्ष 2025 में बॉन्ड के माध्यम से 30,000 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना बना रहा है ताकि ऋण देने के कार्यों में मदद की जा सके। यह जानकारी रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने दी है।
बाजार के माध्यम से जुटाई गई पूंजी में बॉन्ड और मुद्रा बाजार से जुड़ी योजनाएं आदि शामिल हैं और मार्च 2024 के अंत में नाबार्ड की कुल उधारी में इनकी लगभग 51.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी।
क्रिसिल के आकलन के अनुसार, सरकारी स्वामित्व वाले विकास वित्तीय संस्थान (डीएफआई) की कुल उधारी मार्च 2024 तक 7,89,191 करोड़ रुपये थी। क्रिसिल ने प्रस्तावित बॉन्ड पेशकश को ‘एएए’ की रेटिंग दी है जिसे भारत सरकार का समर्थन है। नाबार्ड ने बिजऩेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया।
वित्त वर्ष 2024 के बैलेंसशीट के मुताबिक बकाया बॉन्ड और डिबेंचर, मार्च 2024 में 2,86,150 करोड़ रुपये था जो एक साल पहले के 2,46,677 करोड़ रुपये से अधिक था। इस प्रकार, डिबेंचर व बॉन्ड के माध्यम से शुद्ध उधारी वित्त वर्ष 2024 में 39,473 करोड़ रुपये बढ़ी।