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खाद्य तेल और दाल में घटबढ़; गेहूं, चीनी और गुड़ महंगा
Posted Date : 19-Sep-2021 9:01:56 pm

खाद्य तेल और दाल में घटबढ़; गेहूं, चीनी और गुड़ महंगा

नई दिल्ली ,19 सितंबर । विदेशी बाजारों में तेजी रहने के बावजूद बीते सप्ताह स्थानीय स्तर पर मांग कमजोर रहने से दिल्ली थोक जिंस बाजार में खाद्य तेलों के अलावा दाल की कीमतों में घटबढ़ रही जबकि गेहूं, गुड़ और चीनी 50 रुपये प्रति क्विंटल तक महंगी हो गई।
तेल तिलहन : वैश्विक स्तर पर मलेशिया के बुरसा मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज में पाम ऑयल का अक्टूबर वायदा समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान 109 रिंगिट उछलकर 4520 रिंगिट प्रति टन पर पहुंच गया। वहीं, दिसंबर का अमेरिकी सोया तेल वायदा 0.53 सेंट बढक़र सप्ताहांत पर 56.55 सेंट प्रति पाउंड रहा।
वैश्विक बाजारों की तेजी के बावजूद उठाव मजबूत रहने से बीते सप्ताह घरेलू बाजार में खाद्य तेलों में घटबढ़ देखी गई। सरसों तेल 512 रुपये, मूंगफली तेल 293 रुपये और वनस्पति तेल 148 रुपये प्रति क्विंटल चढ़ गये जबकि मांग फिसलने से सूरजमुखी तेल 367 रुपये, सोया रिफाइंड 147 रुपये और पाम ऑयल 146 रुपये प्रति क्विंटल लुढक़ गये। सप्ताहांत पर सरसों तेल 19633 रुपये, मूंगफली तेल 18095 रुपये, सूरजमुखी तेल 17215 रुपये, सोया रिफाइंड 15897 रुपये, पाम ऑयल 12967 रुपये और वनस्पति तेल 14286 रुपये प्रति क्विंटल पर रहा।

कोविड दवाओं पर जीएसटी में छूट की अवधि 31 दिसंबर तक बढी
Posted Date : 19-Sep-2021 2:40:49 am

कोविड दवाओं पर जीएसटी में छूट की अवधि 31 दिसंबर तक बढी

लखनऊ । माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद ने कोरोना के उपचार में मददगार दवाओं पर दी गयी जीएसटी छूट की अवधि 31 दिसंबर 2021 तक बढ़ा दी है।
कोरोना के कारण 18 महीने के बाद पहली हुयी जीएसटी की 45वीं बैठक में ये निर्णय लिये गये। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुयी इस बैठक में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के साथ ही वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मॉैजूद थे। लखनऊ में परिषद की बैठक पहली बार आयोजित की गयी थी। कोरोना के कारण पिछले डेढ़ वर्षों में जीएसटी परिषद की वर्चुअल बैठकें हो रही थी।
बैठक के बाद श्रीमती सीतारमण ने कहा कि कोरोना उपचार में मददगार दवाओं पर दी गयी जीएसटी छूट की अवधि को 31 दिसंबर 2021 तक बढ़ा दी गयी है। इसके साथ ही परिषद ने कई और दवाओं को भी इसके दायरे में लाने का निर्णय लिया है और कुछ दवाओं पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से कम कर पांच प्रतिशत कर दिया गया है। डीआरडीओ द्वारा विकसित डीओक्सी डी ग्जूकोज के साथ ही ईटोलिजूम्ब, पोसाबोनाजोल, इंफ्लिक्सींब, बाम्लानिविंब, फैविपैराविर आदि दवाओं पर भी जीएसटी को 12 प्रतिशत से कम कर पांच प्रतिशत करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत उपचार के लिए 16 करोड़ रुपये मूल्य वाली दवायें जोल्गेंस्मा और विल्टेप्सो को स्वास्थ्य मंत्रालय के सुझाव पर जीएसटी से छूट देने का निर्णय लिया गया है।

खाद्य सुरक्षा में कृषि अऩुसंधान का महत्वपूर्ण योगदान : तोमर
Posted Date : 19-Sep-2021 2:37:22 am

खाद्य सुरक्षा में कृषि अऩुसंधान का महत्वपूर्ण योगदान : तोमर

नई दिल्ली ,18 सितंबर । कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को कहा कि कृषि अनुसंधान ने खाद्य सुरक्षा की समस्या से निपटने, किसानों तथा खेतिहरों की आय में सुधार करने तथा लोगों के निर्वाह के लिए प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अनुसंधान खाद्य सुरक्षा के तीन पहलुओं- उपलब्धता, पहुंच और सामर्थ्य में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
तोमर इतालवी प्रेसीडेंसी द्वारा आज आयोजित जी-20 की कृषि मंत्रिस्तरीय बैठक में चार सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ वर्चुअल शामिल हुए। बैठक का एक सत्र स्थिरता के पीछे एक प्रेरक शक्ति के रूप में अनुसंधान विषय पर हुआ, जिसमें श्री तोमर ने कहा कि भारत में कृषि अनुसंधान ने देश को खाद्यान्न आयातक से, निर्यातक के रूप में बदलने में प्रमुख भूमिका निभाई हैं। समेकित अनुसंधान प्रयास बेहतर मृदा उत्पादकता, भंडारण के लिए जल प्रबंधन, विस्तार और दक्षता हेतु तकनीकों और पद्धतियों के पैकेज को विकसित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति मानव जाति के सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने की कुंजी है। आज सालाना 308 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन के साथ भारत न केवल खाद्य सुरक्षा के दायरे में हैं, बल्कि अन्य देशों को भी पूर्ति कर रहा हैं। भारत ने वैज्ञानिकों के कुशल अनुसंधान के कारण कृषि उपज के क्षेत्र में क्रांति का अनुभव किया है। तिलहन प्रौद्योगिकी मिशन से 10 साल में तिलहन उत्पादन दोगुना हुआ, वहीं हाल के दिनों में भारत ने बीज प्रणाली में नई किस्मों की शुरूआत के कारण दलहन उत्पादन में काफी प्रगति की है।
तोमर ने कहा कि वर्ष 2030-31 तक भारत की आबादी 150 करोड़ से ज्यादा होने की संभावना है, जिसके पोषण के लिए अनाज की मांग तब लगभग 350 मिलियन टन तक होने का अनुमान है। इसी तरह खाद्य तेलों, दूध व दूध से बने उत्पादों, मांस, अंडे, मछली, सब्जियों, फलों और चीनी की मांग काफी बढ़ जाएगी। इसके मुकाबले प्राकृतिक संसाधन सीमित है और जलवायु परिवर्तन की चुनौती भी है। बढ़ी मांग को पूरा करने की रणनीति उत्पादकता बढ़ाने व किसानों की आय वृद्धि के इर्द-गिर्द घूमती है। कृषि 21वीं सदी की तीन सबसे बड़ी चुनौतियों- खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना, जलवायु परिवर्तन की अनुकूलता और जलवायु परिवर्तन को कम करने में से एक है। पानी, ऊर्जा व भूमि जैसे महत्वपूर्ण संसाधन तेजी से कम हो रहे हैं। कृषि में स्थिरता की आवश्यकता है जिसमें उत्पादन व आय में एक साथ वृद्धि, फसल, पशुधन, मत्स्य पालन और कृषि वानिकी प्रणालियों को संतुलित करते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलता, संसाधन उपयोग दक्षता में वृद्धि, पर्यावरण की रक्षा तथा पारिस्थिति तंत्र सेवाएं बनाए रखना शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों में जीनोमिक्स, डिजिटल कृषि, जलवायु स्मार्ट प्रौद्योगिकियों और पद्धतियों, कुशल जल उपयोग उपकरण, उच्च उपज वाली एवं जैव अनुकूल किस्मों के विकास, सुव्यवस्थित उत्पादन, गुणवत्ता तथा सुरक्षा मानकों को लेकर कृषि अनुसंधान में ठोस प्रयास जारी रहेंगे। चरम जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिए पर्यावरणीय स्थिरता के साथ-साथ पर्याप्त व पौष्टिक भोजन प्राप्त करने हेतु वैज्ञानिक अनुसंधान में अधिक निवेश सहित कृषि अनुसंधान एवं विकास को नए तरीके से देखने व अनुकूल बनाने की जरूरत है। इस दिशा में काम करते हुए हमने विभिन्न फसलों की 17 किस्मों को विकसित और जारी किया हैं जो जैविक व अजैविक तनावों के प्रति प्रतिरोधी हैं। इसी प्रकार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद आईसीएआर लोगों की पोषण संबंधी आवश्यकता को पूरा करने के लिए जैव फोर्टिफाइड किस्मों का विकास कर रहा है। टिकाऊ कृषि पर राष्ट्रीय मिशन शुरू किया गया है जो कृषि में एकीकृत कृषि प्रणाली दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। लोगों के लाभ के लिए प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग, कृषि मूल्य श्रृंखलाओं के विकास तथा व्यापार को बढ़ावा देने के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनुसंधान एवं विकास तथा कार्यक्रम संबंधी हस्तक्षेपों में, सर्वोत्तम पद्धतियों के आदान-प्रदान में सहयोग के प्रयास भारत जारी रखेगा।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में श्री तोमर के अलावा, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव डॉ. अभिलाक्ष लिखी, संयुक्त सचिव सुश्री अलकनंदा दयाल एवं भारतीय दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी डॉ. बी. राजेंदर शामिल थे।

आरबीआई महंगाई पर नियंत्रण को प्रतिबद्ध
Posted Date : 17-Sep-2021 5:48:31 pm

आरबीआई महंगाई पर नियंत्रण को प्रतिबद्ध

नईदिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर डॉ माइकल देवव्रत पात्रा ने आज कहा कि मौद्रिक नीति समिति महंगाई दर में स्थिरता बनाए रखने की अपनी जिम्मेदारी से बंधी हुई है और 2023-24 तक मुद्रास्फीति घट कर निर्धारित चार प्रतिशत के लक्ष्य तक आ जाएगी।
वित्तीय क्षेत्र पर उद्योग मंडल सीआई द्वारा आयोजित सम्मेलन में उन्होंने कहा कि इस समय मुद्रास्फीति का दबाव मुख्य रूप से सीमित संख्या में कुछ वस्तुओं की कीमतों में उछाल की वजह से है।
उन्होंने कहा कि आगे की राह के बारे में रिजर्व बैंक के अनुमानों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2021-22 में खुदरा मुद्रास्फीति की दर औसतन 5.7 प्रतिशत या इससे नीचे रहेगी, 2022-23 में पांच प्रतिशत से नीचे और 2023-24 में चार प्रतिशत के लक्ष्य के नजदीक होगी।
डॉ पात्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति का आकलन है कि इस समय मुद्रास्फीति का दबाव आपूर्ति में अड़चनों के चलते है। अड़चनों के बारबार पैदा होने से मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के दबाव में बड़ा योग उत्पादों की एक सीमित सूची के कारण है।
उन्होंने कहा, सीपीआई (खुदरा मूल्य सूचकांक) में 20 प्रतिशत भार रखने वाली वस्तुओं का मुद्रास्फीति में 50 प्रतिशत से अधिक योगदान है।
डॉ़ पात्रा ने कहा,  मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत के आस-पास रखने के अपने उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध है। 
गौरतलब है कि अगस्त 2021 में खुदरा मुद्रास्फीति घट कर 5.3 प्रतिशत पर आ गयी जो इसका चार माह का न्यूनतम स्तर है। पेट्रोलियम उत्पादों, बिजली और कुछ विनिर्मित उप्तादों की कीमतों के ऊंचा रहने से अगस्त में थोक मुद्रास्फीति बढक़र 11.4 प्रतिशत पर पहुंच गयी।

पूंजी बाजार के नाम रहा डेढ़ साल : त्यागी
Posted Date : 17-Sep-2021 5:48:03 pm

पूंजी बाजार के नाम रहा डेढ़ साल : त्यागी

मुंबई ,17 सितंबर । भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष अजय त्यागी ने आज कहा कि निवेशकों के निवेश एवं कंपनियों के पूंजी जुटाने का विश्वसनीय प्लेटफॉर्म होने की वजह से पिछला डेढ़ साल पूंजी बाजार के नाम रहा है। श्री त्यागी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के 12वें वित्त बाजार सम्मेलन में कहा कि निवेशकों के निवेश एवं कंपनियों के पूंजी जुटाने का विश्वसनीय प्लेटफॉर्म होने की वजह से पिछला डेढ़ साल पूंजी बाजार के नाम रहा है। उन्होंने कहा कि जनवरी 2020 में बाजारों के नई ऊंचाईयों को छूने के बाद कोरोना महामारी के पांव पसारते ही मार्च में बाजार सूचकांक गिरने लगे। 23 मार्च को सूचकांकों ने निचले स्तर को छुआ, जो जनवरी के उच्चतम स्तर से लगभग 40 प्रतिशत कम था। लेकिन, इसके बाद से बाजार में सुधार हुआ है और अप्रैल 2021 में आई गिरावट की एक छोटी अवधि को छोड़ दें तो बाजार लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। आज की तारीख में प्रमुख सूचकांक मार्च 2020 के सबसे निचले स्तर के मुकाबले दोगुने से अधिक हैं।
सेबी के अध्यक्ष ने कहा कि वास्तव में, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान, भारतीय इक्विटी बाजारों ने दुनिया के किसी भी अन्य बाजार के मुकसबने डॉलर के संदर्भ में सबसे अच्छा रिटर्न दिया है, चाहे वह उभरते या विकसित बाजार हों। इस अवधि में द्वितीयक बाजार के कारोबार में भारी वृद्धि ने बाजार के बुनियादी ढांचे को और मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि एक नई दुनिया के लिए भारत के निर्माण को उभरती अर्थव्यवस्था के वित्त पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूंजी बाजारों को और प्रोत्साहन दिये जाने और विकास की जरूरत है। हालांकि अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। वर्तमान में, भारत में कुल फंड जुटाने में पूंजी बाजार हिस्सेदारी विकसित देशों के मुकाबले काफी पीछे है।
श्री त्यागी ने कहा कि कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से शेयर बाजारों में व्यक्तिगत निवेशकों की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। इस संबंध में उपलब्ध आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019-20 में देश में हर महीने औसतन चार लाख नए डीमैट खाते खोले गए, जो वर्ष 2020-21 में तीन गुना बढक़र 12 लाख प्रति माह हो गया। चालू वित्त वर्ष में अबतक यह आंकड़ा बढक़र लगभग 26 लाख प्रति माह हो गया है। वित्त वर्ष 2019-20 में नकद बाजार कारोबार में व्यक्तिगत औसत हिस्सेदारी 39 प्रतिशत थी, जो वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 में यह बढक़र लगभग 45 प्रतिशत हो गयी।
सेबी अध्यक्ष ने कहा कि हाल में आईपीओ के जरिए पूंजी जुटाने में तेजी आई है। वित्त वर्ष 2021 में आईपीओ के माध्यम से 46 हजार करोड़ रुपये पूंजी जुटाई गई जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष में यह राशि 21 हजार करोड़ रुपये रही थी। चालू वित्त वर्ष में अगस्त तक केवल पांच महीनों में आईपीओ के जरिये जुटाई गई राशि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान जुटाई गई राशि के करीब है।
श्री त्यागी ने कहा, वास्तव में, हम महामारी के बाद एक पूरी तरह से नई दुनिया देख रहे हैं। पूंजी बाजार ने महामारी के दौरान काफी अच्छा प्रदर्शन किया है तथा निवेशकों और कंपनियों दोनों की मदद की है। हालांकि निवेशकों के लिए निवेश करते समय बाजार के जोखिमों से अवगत होना महत्वपूर्ण है। साथ ही कंपनियों अपनी ओर से कॉरपोरेट गवर्नेंस के उच्च मानकों को बनाए रखने की आवश्यकता है। बाजारों, विशेष रूप से बॉन्ड बाजार को अर्थव्यवस्था की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए और अधिक वृद्धि करने की जरूरत है। पूंजी बाजार के आगे के विकास के लिए नए विचारों और सुझावों के साथ सेबी हमेशा तत्पर है।

सरकार के निर्णय से डिजिटल इंडिया का लक्ष्य हासिल करना होगा आसान: उद्योग
Posted Date : 17-Sep-2021 4:18:37 am

सरकार के निर्णय से डिजिटल इंडिया का लक्ष्य हासिल करना होगा आसान: उद्योग

नईदिल्ली,16 सितंबर । दूरसंचार उद्योग ने सरकार के उन पर शुल्क, ब्याज और दंड ब्याज के प्रावधानों में भारी राहत देने तथा कारोबार सुगमता के लिए कई दूरगामी निर्णयों की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि इससे डिजिटल इंडिया के लक्ष्य को हासिल करने में काफी मदद मिलेगी।
सेल्युलर ऑपरेटरों के संगठन सीओएआई ने सरकार के इस निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा, हम दूरसंचार क्षेत्र के लिए आवश्यक सुधारों के लिए सरकार के साहसिक और दूरदर्शी निर्णय का स्वागत करते हैं। महामारी के दौर में अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने वाले दूरसंचार उद्योग को एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के रूप में मान्यता देने के लिए हम प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हैं।
उसने कहा कि यह निर्णय डिजिटल इंडिया की सफलता की पटकथा लिखने और डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को पूरा करने की यात्रा को गति देने के उद्देश्य से दूरसंचार क्षेत्र में आवश्यक ढांचागत सुधारों के लिए सरकार की मंशा को स्पष्ट करता है। सरकार का यह कदम वित्तीय बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र को राहत, निवेश को बढ़ावा देने, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने और ग्राहकों को पसंद की पेशकश करने में मददगार साबित होगा।
दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी भारती एयरटेल के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल ने कहा, हम प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में दूरसंचार उद्योग को ऊपर उठाने के लिए इन मौलिक सुधारों को शुरू करने के लिए धन्यवाद देते हैं। यह सुधार दूरसंचार उद्योग को निडर होकर निवेश करने और देश की डिजिटल लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित होगा। भारती एयरटेल अर्थव्यवस्था के विकास के लिए निवेश करने और उसे गति देने के लिए प्रतिबद्ध है।
एयरटेल के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल विट्टल ने कहा, उनकी कंपनी ने ढाई दशक से अधिक समय से देश की दूरसंचार क्रांति का बीड़ा उठाया हुआ है। ये नए सुधार इस रोमांचक डिजिटल भविष्य में निवेश करने के हमारे प्रयासों को और बढ़ावा देंगे और हमें देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था में अग्रणी कंपनियों में से एक बनने में सक्षम बनाएंगे।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने कहा, दूरसंचार क्षेत्र अर्थव्यवस्था के प्रमुख प्रेरकों में से एक है और भारत को एक डिजिटल समाज बनाने के लिए प्रमुख प्रवर्तक है, मैं भारत सरकार के सुधारों और राहत उपायों की घोषणा का स्वागत करता हूं। जो उद्योग को डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा। मैं प्रधानमंत्री को इस सहासिक पहल के लिए धन्यवाद देता हूं।
कॉर्पोरेट रेटिंग कंपनी इक्रा लिमिटेड ने भी सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार के इस पैकेज से वित्तीय बोझ से दबे दूरसंचार क्षेत्र को राहत मिलने की उम्मीद है। दूरसंचार कंपनियों के सकल समायोजित राजस्व (एजीआर) को पुन: परिभाषित करते हुए इसमें टेलीकॉम से इतर के राजस्व को हटाने, कंपनियों को लाइसेंस फीस और अन्य शुल्कों के बकायों के भुगतान के लिए चार साल की मोहलत के साथ दस वर्ष का समय तथा उन पर दंड ब्याज माफ करने के साथ-साथ ब्याज के बोझ को हल्का करने का फैसला इस उद्योग को राहत देगा।