लंदन: स्थित नेचुरल हिस्ट्री म्यूजिम देखने पहुंचेए ऑटिज़्म से पीडि़त एक 10 साल के बच्चे ने प्रदर्शित डायनासोर में म्यूजयि़म की एक बड़ी ग़लती पकड़ कर लोगों को चौंका दिया। म्यूजयि़म ने स्वीकार किया है कि 10 साल के बच्चे ने बताया कि एक डायनासोर पर ग़लत लेबल लगाया गया है। एसेक्स इलाके में रहने वाले चार्ली एस्पर्जर सिंड्रोम से ग्रस्त हैं, वो डायनासोर के फैन हैं। इस बीमारी को आमतौर पर ऑटिज़म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर बताया जाता है। जिसमें पीडि़त खुद में खोया रहता है। म्यूजयि़म में अपने परिवार के साथ घूमते हुए चार्ली ने पाया कि डायनासोर की प्रजातियों में से एक के बारे में दी गई जानकारी ग़लत है। हालांकि उसके परिजनों को इस बात पर भरोसा नहीं हुआ कि म्यूजयि़म ने ग़लती की है लेकिन चार्ली ने ये समझाने की पूरी कोशिश की कि जिस चित्र के ज़रिए डायनासोर को दिखाया गया है दरअसल वह दूसरी प्रजाति का है। चार्ली के परिजन अपने दोनों बेटों को लेकर 21 जुलाई को लंदन म्यूजियम गए थे, जब दूसरे बच्चे डायनासोर देखने में व्यस्त थे तब चार्ली ने उनके बारे में पढऩा शुरू किया। डायनासोर की प्रजाति ऑविरैप्टर की ख़ासियत यह थी कि उसकी एक चोंच होती थी और वह पिछले पैरों से चलता था, लेकिन म्यूजयि़म में जो चित्र लगा था उसमें उसे चारों पैरों से चलता दिखाया गया था। चार्ली की मां जैडे ने बीबीसी को बताया कि उसे डायनासोर के बारे में अच्छी जानकारी है।
एक शोध से पता चला है कि दिन भर में तीन बार कॉफी पीने से आपकी आयु लंबी हो सकती है
यह शोध यूरोप के दस देशों के करीब पांच लाख लोगों पर किया गयाण् यह शोध 35 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों पर किया गया। एनाल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन नाम के जर्नल में छपे शोध में कहा गया है कि एक कप अतिरिक्त कॉफी पीने से किसी इंसान की आयु लंबी हो सकती है। भले ही यह कॉफी डिकैफऩिटेड कैफीऩ निकाला गया ही क्यों ना हो। लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने शोध के नतीजों पर शंका जाहिर की है, इन विशेषज्ञों का कहना है कि यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है कि कॉफी की ही वजह से ही ऐसा हुआ है या फिर कॉफी पीने वाले लोगों के स्वस्थ जीवनशैली के कारण। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर एंड इम्पेरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक कॉफी पीने का ताल्लुक दिल और आंत की बीमारी से मरने का जोखि़म कम होने से है। यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैम्ब्रिज के प्रोफेसर सर डेविड स्पीगलहालटर का कहना है कि अगर कॉफी की वजह से मृत्यु की दर में कमी का आकलन किया जाए तो एक अतिरिक्त कप कॉफी हर दिन पीने से मर्दों की उम्र तीन महीने ज़्यादा हो सकती है, जबकि औरतों की आयु औसतन एक महीने बढ़ जाती है। हालांकि यह शोध बहुत बिलकुल सही तरीके से किया गया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसमें कोई चूक ना हुई हो, यह शोध ये भी नहीं बता सकता कि कॉफी के अंदर ऐसा क्या जादुई तत्व है, जिससे आयु बढ़ सकती है।
लंदन: ब्रिटेन की संसद नए सिरे से साइबर हमले की निशाना बनी है जब हैकरों ने सांसदों को उनके पासवर्ड का खुलासा करने के लिए अपने जाल में फंसाने की कोशिश की, अधिकारियों ने सांसदों और उनके सहायकों से कहा है कि वे इस तरह के खतरों से सावधान रहें, नेताओं को आगाह किया गया है कि हैकर खुद को संसदीय अधिकारी बताकर उनके पासवर्ड जानने की कोशिश कर सकते हैं, सांसदों और उनके कर्मचारियों को भेजे गए चेतावनी संदेश में कहा गया है, इस दोपहर में हमें पता चला कि संसद से जुड़े लोगों को फोन किया जा रहा है और उनके यूजरनेम और पासवर्ड पूछा जा रहा है। समाचार पत्र द संडे टेलीग्राफ के अनुसार संदेश में कहा गया है, फोन करने वाले लोग यूजर्स को यह सूचना दे रहे हैं कि उनको डिजिटल सेवा की तरफ से लगाया गया है कि साइबर हमले से मदद की जाए, ये फोन कॉल डिजिटल सेवा के नहीं हैं, हम कभी से पासवर्ड बताने के लिए नहीं कहेंगे। संसदीय अधिकारियों ने कहा कि पिछले सप्ताह 12 घंटे तक के हमले के बाद हैकरों ने फिर से निशाना बनाने का प्रयास किया है।
एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि स्मार्टफोन की उपस्थिति ब्रेन की संज्ञान लेने की क्षमता पर प्रतिकूल असर डालती है जिससे ब्रेन की डेटा प्रोसेस करने की शक्ति भी कम हो जाती है। अगर स्मार्टफोन आपके बेहद नजदीक या पहुंच में हैं तो स्विच ऑफ मोड में रहने पर भी यह हमारे दिमाग पर प्रतिकूल असर डालता है। यूएस की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस के मेककॉम्ब स्कूल ऑफ बिजनस की रिसर्च में यह खुलासा हुआ है। इस रिसर्च में यह नतीजा भी सामने आया है कि दिन-प्रतिदिन इंसान, स्मार्टफोन पर जितना ज्यादा निर्भर होता जा रहा है उससे इंसान की समस्याएं बढ़ रही हैं और वह अस्वस्थ हो रहा है। रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है, दो अलग अलग प्रयोगों से निकले निकर्ष इस बात का संकेत देते हैं कि अगर कोई व्यक्ति बार-बार अपना फोन चेक नहीं करता उसके बावजूद भी सिर्फ इस डिवाइस की मौजूदगी भर से ही व्यक्ति के ब्रेन की संज्ञान लेने की क्षमता कम हो जाती है। पहले प्रयोग में 520 लोगों से कहा गया कि वे अपना स्मार्टफोन साइलंट मोड पर कर दें और उसे अपने डेस्क पर फेसडाउन करके या फिर अपने पॉकेट या बैग में या किसी दूसरे कमरे में रख दें। उसके बाद उन लोगों को कुछ टेस्ट पूरे करने को कहा गया जिसका मकसद उनकी संज्ञान लेने की क्षमता का आकलन करना था। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन प्रतिभागियों ने अपने स्मार्टफोन को दूसरे कमरे में रख दिया था उन्होंने टेस्ट के दौरान उन लोगों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया जिन्होंने अपने फोन को फेसडाउन कर अपने डेस्क पर रखा था। वहीं दूसरे प्रयोग में 275 लोगों से कहा गया कि वे अपने फोन को साइलंट मोड पर या पूरी तरह से स्विच ऑफ कर दें और उसके बाद स्मार्टफोन को फेसडाउन कर डेस्क पर, पॉकेट या बैग में या दूसरे कमरे में रख दें। इन लोगों को कुछ टास्क पूरे करने थे। साथ ही उनसे कुछ सवाल भी पूछे गए यह जानने के लिए कि वे अपने स्मार्टफोन पर कितना ज्यादा निर्भर हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने कहा कि वे अपने स्मार्टफोन पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं उन्होंने इस टेस्ट के दौरान सबसे खराब प्रदर्शन किया। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा कि उनका स्मार्टफोन स्विच ऑफ था या साइलंट और वह उनके डेस्क पर था, पॉकेट में या फिर बैग में।
अक्टूबर से जर्मनी में फेसबुक, यूट्यूब और 20 लाख यूजऱ वाली अन्य वेबसाइटों को नफऱत फैलाने या अन्य आपराधिक सामग्री को 24 घंटे के अंदर अपने प्लेटफार्म से हटाना अनिवार्य हो जाएगा। पोस्ट की गई सामग्री ग़ैरकानूनी नहीं है, उसके बारे में सात दिन के अंदर कंपनियों को मूल्यांकन करना होगा, यह अपनी तरह का दुनिया का सबसे कड़ा क़ानून है। अगर कंपनी इस क़ानून को लागू करने में असफल होती है तो उस पर 50 लाख यूरो का ज़ुर्माना लगेगा और अपराध की गंभीरता के आधार पर इसे पांच करोड़ यूरो तक बढ़ाया जा सकता है। फ़ेसबुक ने एक बयान जारी कर कहा है कि वो नफऱत फैलाने वाली सामग्रियों को रोकने के लिए जर्मन सरकार के साथ मिल कर काम करती रही है, लंबी बहस के बाद नेट्सडीजी नामक इस क़ानून को जर्मन संसद ने पास कर दिया है। हालांकि मानवाधिकार संगठनों और उद्योग प्रतिनिधियों ने इसकी आलोचना की है। यह क़ानून सितंबर में होने जा रहे जर्मनी के आम चुनावों के पहले लागू नहीं हो पाएगा। कानून मंत्री हीको मास ने फेसबुक का का नाम लेते हुए कहा कि अनुभव बताता है कि बिना राजनीतिक दबाव के बड़े सोशल मीडिया ऑपरेटर ग़ैरकानूनी सामग्रियों को हटाने में अपने कर्तव्यों का ठीक से पालन नहीं करते।
स्पाइन की समस्या से ग्रस्त मरीजों के लिए अब इलाज और भी ज्यादा आसान हो गया है। पेसमेकर फॉर द स्पाइनल कॉर्ड तकनीक के जरिए स्पाइनल कॉर्ड से संबंधित सभी प्रकार के दर्द जैसे ब्रैंकियल प्लेक्सस इंजुरी के कारण उत्पन्न होने वाले दर्द, पीठ दर्द यानी बैक पेन का प्रभावी तौर पर इलाज किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि इस तकनीक के जरिए मरीज की नसों के मार्ग को दुरुस्त कर दिया जाता है जिससे पीठ दर्द से काफी हद तक राहत मिलती है। दरअसल, स्पाइन के मामलों में पेनकिलर गोलियां, इंजेक्शन आदि उपयोगी साबित नहीं होते हैं जबकि गंभीर केसों में तो नौबत सर्जरी तक आ जाती है। इसलिए स्पाइन को नजरदांज करना ठीक नहीं है। मेडिकल साइंस में जिन मरीजों की सर्जरी के बाद भी हालत सही नहीं होते उन्हें फेल्ड बैक सिंड्रोम या पोस्ट-लैमिनेटटॉमी सिंड्रोम कहा जाता है। ऐसे मरीजों के लिए अब पेसमेकर इंप्लांट काफी राहत प्रदान कर रहा है। इसके जरिए इस दर्द से मुक्ति मिल सकती है। पेसमेकर लगाने के बाद, स्पाइनल कॉर्ड स्पेस में इलेक्ट्रोड, जिसे एपिड्यूरल स्पेस कहते हैं, रखा जाता है। इस कारण इस स्पेस में कुछ मिलीएंपीयर के करंट के साथ हाई फ्रीक्वेंसी का इलेक्ट्रिकल इंपल्स उत्पन्न होता है। यह इंपल्स स्पाइनल कॉर्ड से होकर ब्रेन तक पहुंचने वाले दर्द के संकेतों को बीच में ही रोक देता है और उसे निष्प्रभावी कर देता है। इससे रोगी का दर्द कम हो जाता है। यह पूरी कार्यप्रणाली जिस सिद्धांत के तहत कार्य करती है उसे गेट कंट्राल थ्योरी ऑफ पेन कहते हैं। कुछ महत्वपूर्ण तथ्य - ऑपरेशन का घाव भर जाने के बाद, रोगी को दर्द से छुटकारा मिल जाता है। - इंप्लांट के सेंसेशन अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरह से महसूस होते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में एक हल्की सिहरन महसूस होती है। - यह एक आसान और दर्द को जल्द कम करने वाली थेरपी है। - इस थेरपी के साथ ही डॉक्टर द्वारा बतायी गई एक्सरसाइज को करना होता है। - जरूरत पडऩे पर इस उपकरण को चौबीसो घंटे इस्तेमाल किया जा सकता है।