नई दिल्ली। घरेलू सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग अगले छह महीने के लिए नियुक्ति योजना को लेकर उत्साहित है और इसमें बड़े स्तर पर नियुक्ति कनिष्ठ स्तर पर होने की संभावना है। अमेरिका में प्रस्तावित वीजा पाबंदी के कारण पिछले कुछ महीनों की नरमी के बाद कंपनियां अब नियुक्ति का मन बना रही हैं। एक्सपेरिस आईटी रोजगार परिदृश्य सर्वे के अनुसार अगली दो तिमाहियों ( अक्टूबर 2018 से मार्च 2019 ) के लिए भारतीय कंपनियों की नए कर्मचारियों को नियुक्त करने की योजना है। जहां बड़ी कंपनियां खासकर आईटी सॉफ्टवेयर कंपनियां रोजगार परिदृश्य को लेकर उत्साहित हैं वहीं गैर-आईटी संगठन भी अपने डिजिटल बदलाव की विशेष जरूरतों को पूरा करने के लिए नियुक्ति की तैयारी में हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कुल सृजित होने वाले रोजगार में ज्यादातर नियुक्तियां कनिष्ठ स्तर पर होंगी। इसके लिए कंपनियां कड़ी चयन प्रक्रिया अपना सकती हैं और उन कर्मचारियों को बेहतर वेतन पैकेज मिल सकता है जिनकी सोच कुछ अलग और रचनात्मक है। दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में नियुक्ति परिदृश्य ज्यादा मजबूत दिख रहा है। सर्वे के अनुसार इन क्षेत्रों में रोजगार परिदृश्य 27 प्रतिशत है। देश में आईटी रोजगार में स्टार्टअप का भी उल्लेखनीय योगदान होगा। इनमें से ई स्टार्टअप कंपनियां कृत्रिम मेधा, ब्लॉकचेन, रोबोटिक आदि जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पर काम कर रही हैं। अक्टूबर 2018 से मार्च 2019 के बीच के किए गए इस सर्वे में देश भर में 550 आईटी पेशेवरों की राय ली गई।
इथिओपिया और स्वीडन के वैज्ञानिकों के अध्ययन के मुताबिक मलेरिया फैलाने वाले मच्छर चिकन और दूसरे पक्षियों से दूर भागते हैं। पश्चिमी इथिओपिया में किए गए एक शोध में मच्छरदानी में सोए हुए एक शख़्स के पास पिंजड़े में मुर्गी रखी गई। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अफ्रीका में पिछले साल मलेरिया से चार लाख लोगों की मौत हुई। मलेरिया के पैरासाइट खून में फैलने से पहले लीवर में छुपे होते हैं। मलेरिया के मच्छर संक्रमित व्यक्ति का खून पीते हैं और फिर उस पैरासाइट को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते हैं। ‘मलेरिया जरनल’ में प्रकाशित शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों इस परिणाम पर पहुंचे हैं कि मच्छर अपना शिकार महक से ढूंढते हैं, तो हो सकता है कि मुर्गी की महक में कुछ ऐसा हो जो उन्हें पसंद न आता हो।
इस शोध में शामिल अडीस अबाबा यूनिवर्सिटी के हाब्ते तेकी ने कहा कि मुर्गी की महक से कुछ रसायन निकालकर उन्हें मच्छर दूर रखने वाली क्रीम में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बीबीसी को बताया कि आगे शोध के फील्ड ट्रायल किए जाएंगे। स्वीडिश यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइन्सेज के शोधकर्ता भी इस अध्ययन में शामिल थे। इस प्रयोग में मुर्गी के पंखों से निकाले गए रसायनों और जीवित मुर्गियों का इस्तेमाल किया गया था। शोधकर्ताओं ने पाया कि मुर्गी और इन रसायनों से मच्छरों की संख्या में काफी कमी आई थी।
माप्ति तिथि वो समय सीमा है जिसके बाद वस्तु उस काम के लायक नहीं रहती है जिसके लिए वो बनाई गई है। और सामान्यतः जो भी जहरीली चीजे है , वो इस काम के लिए नहीं बनाई जाती की कोई व्यक्ति इसका सेवन करे और उस व्यक्ति को इस मृत्युलोक से छुटकारा मिल जाए, बल्कि वो किसी ओर काम के लिए बनती है बस उसमे कुछ ऐसे रसायन होते है जो इन्सानी सेहत के लिए हानिकारक व जानलेवा होते है।
अब यदि कोई पदार्थ जहरीला है तो समाप्ति तिथि के बाद वो पदार्थ कम जहरीला होगा या अधिक, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि समाप्ति तिथि के बाद उस पदार्थ की रासायनिक सरचना में क्या बदलाव होगा।
टूट जाते हैं रासायनिक संबंध
अगर पदार्थ के टूट के ऐसे रसायन बनाती है, जो अधिक जहरीले है तो वो अधिक जहरीला हो जाएगा, और नए रसायन यदि कम जहरीले हुए तो पदार्थ कम जहरीला हो जाएगा। यह भी हो सकता है कि पदार्थ उतना ही जहरीला रहे लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है कि समाप्ति तिथि के बाद वो ज़हरिला ही न रहे।
उदारहण के जरिए एक बात और कहना चाहता हूं, माना आपके पास कोई कीड़ो को मारने की दवा है, और आप उसका इस्तेमाल समाप्ति तिथि के बाद भी उसका इस्तेमाल यह सोच के करते है की मारने तो कीड़े ही है, मरे तो ठीक नहीं तो कोई बात नहीं । लेकिन यह गलत है , हो सकता है समाप्ति तिथि के बाद वो दवा और जहरीला हो गयी हो और उसका इस्तेमाल आपके लिए भी नुकसानदेह हो। ।इस लिए समाप्ति तिथि के बाद किसी भी वस्तु का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए , भले उसका सेवन करना हो या अन्य किसी काम में लेना हो।
यह बात मैं आयुर्वेद के अनुसार ही नहीं बल्कि सेहत पर जितने लेख पढ़े हैं, लोगों के अनुभव और राय, परन्तु सबसे अधिक अपने अनुभव पर आधारित बातों को सम्मलित करके बता रहा हूँ।
सुबह उठ कर सबसे पहले तीन गिलास जल पीना चाहिए। ये एक दम पीना न संभव है न ठीक। पहले एक गिलास जल लें। गर्मियाँ हैं तो ठंडा जल न लें । घड़े का भी नहीं। रूम टेम्परेचर, कमरे के तापमान पर किसी बर्तन में रखा जल ही, धीरे धीरे, घूँट घूँट, पियें। आधा गिलास समाप्त होने पर दो मिनट का अंतराल दें। तीन गिलास को लगभग १५ मिनट में समाप्त करें। यदि सर्दियाँ हों तो जल थोड़ा गुनगुना कर लें।
टॉक्सिन को कम करने में करता है मदद
इतना जल इकठ्ठा पीने का फायदा यह होगा की शरीर में पिछले दिन में इकठ्ठा हुए टोक्सिन, अम्ल, वसा आदि की धुलाई हो जाएगी।इसे ऐसा कल्पना करें। यदि किसी नाली में कुछ गन्दगी हो तो वह धीरे धीरे या थोड़ा पानी डालने से नहीं बहती। उसे बहाने के लिए ज्यादा पानी तेजी से डालना पड़ता है। ऐसे ही जब हम इकठ्ठा एक लीटर जल पीते हैं तो वो शरीर में शीघ्रता से प्रवाह होते हुए शरीर के टोक्सिन को बहा ले जाता है।
मैं ये नित्य सुबह करता हूँ । ऐसा करके 65 वर्ष की आयु में भी उच्च रक्त चाप व् मधु मेह जैसी भयानक बिमारियों से सुरक्षित रहा जा सकता है।
डेस्क डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को अपने खान-पान का खास ध्यान रखना पड़ता है। इसे कंट्रोल में रखने के लिए कुछ लोग दवाइयों का सहारा भी लेते हैं। लेकिन दवाइयों की जगह आप कुछ नेचुरल तरीके अपनाकर भी डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताएंगे, जिन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप डायबिटीज को कंट्रोल में रख सकेंगे।
हेल्दी डाइट– डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए अपनी डाइट में फाइबर युक्त चीजें और ताजा सब्जियों को शामिल करें। इसके अलावा अलसी के बीज, ब्रोकोली, अंडे, अमरूद और दालों का सेवन भी डायबिटीज मरीजों के लिए सही है।
अच्छी नींद– अगर आप ठीक तरह से सो नहीं पाते तो उसका सीधा असर शुगर लेवल पर पड़ता है। साथ ही इससे वजन भी बढ़ने लगता है इसलिए डायबिटीज को नेचुरली कंट्रोल करने के लिए अच्छी और गहरी नींद लें।
भरपूर पानी पिएं- शुगर को नेचुरली कंट्रोल रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीये। सही मात्रा में पानी पीने से डायबिटीज का खतरा बहुत कम होता है।
तांबे के बर्तन में पीएं पानी– रातभर तांबे के बर्तन में पानी भरकर रख दें और सुबह उस पानी को पिएं। यह पानी डायबिटीज को कंट्रोल रखता।
करवा चौथ पति-पत्नी के आपसी प्रेम और समर्पण का त्योहार है। सब लोग ये तो जानते हैं कि पत्नी द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए ये व्रत रखा जाता है जानते हैं कैसे हुई इस व्रत की शुरुआत , आइए आपको बताते हैं इसके बारे में ………..
पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में जब अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर गए तब बाकी पांडवों पर कई प्रकार के संकट आ गए। इन संकटों से मुक्ति के लिए द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से उपाय पूछा तो श्रीकृष्ण ने उन्हें कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत करने के बारे में बताया । श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए विधि विधान से द्रौपदी ने करवा चौथ का व्रत किया, जिससे उनके समस्त कष्ट दूर हो गए और तभी से स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और पति को संकटों से बचाने के लिए यह व्रत करने लगीं। करवा चौथ के व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन करना चाहिए। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा होती है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।