हैदराबाद,25 जनवरी । आन्ध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आधी रात को पीएसएलवी के लॉन्च वीकल सी-44 के जरिए दो सैटलाइट का सफल प्रक्षेपण किया गया। पांच महीने में यह दूसरा ऐसा मौका था जब सैटलाइट का प्रक्षेपण रात के वक्त किया गया हो। लॉन्चिंग का समय निर्धारित करने में सैटलाइट माइक्रोसैट-आर ने मुख्य भूमिका निभाई। इसरो के चेयरमैन के सिवन का कहना है कि सैटलाइट की जरूरत के हिसाब से समय का चुनाव किया गया।
दरअसल 740 किलोग्राम भार वाला इमेंजिंग सैटलाइट माइक्रोसैट-आर को इस तरह योजनाबद्ध किया गया था कि यह हर दिन दोपहर 12 बजे के करीब भूमध्य रेखा को पार करे जब सूर्य भारतीय क्षेत्र को रोशन कर रहा होता है। गुरुवार को श्रीहरिकोटा के भारतीय स्पेसपोर्ट के पहले लॉन्च पैड से रात ग्यारह बजकर 37 मिनट पर पीएसएलवीसी-44 ने माइक्रोसैट-आर और कलामसैट आर सैटलाइट को साथ लेकर प्रक्षेपण किया।इसरो के चेयरमैन के सिवन ने बताया, लॉन्च का समय सैटलाइट की जरूरत पर निर्भर करता है। यहां वह चाहते थे कि सैटलाइट भूमध्यरेखा के दक्षिणी छोर से उत्तरी छोर में 12 बजे के करीब पार करे, यह सूरज की रोशन की स्थिति के कारण हो सकता है। उन्होंने आगे बताया, हमारा लॉन्चर भूमध्य रेखा के उत्तर से दक्षिण की ओर जाता है। इसलिए सैटलाइट की जरूरत को देखते हुए हमने रात में प्रक्षेपण कराया।
उन्होंने कहा, सैटलाइट टीम इस बात को तय करती है कि सैटलाइट कब तस्वीरें लेना शुरू करे। यह सर्वाधिक सूर्य की रोशनी में हो सकता है या फिर कम बादलों की स्थिति में। लॉन्च का समय उस पर निर्धारित किया जाता है। बता दें कि उड़ान के कुछ मिनटों बाद ही इसरो ने माइक्रोसैट-आर को उसकी वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया।
नई दिल्ली ,21 जनवरी । जीवाजी विश्वविद्यालय ने आयुर्वेद दवा बनाने वाली कंपनी एमिल फार्मास्युटिकल के साथ आयुर्वेद की मौजूदा दवाओं के प्रमाणीकरण और नई दवाओं की खोज के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। विश्वविद्यालय नैनो टेक्नोलॉजी के जरिए आयुर्वेद पर शोध करेगा। एमिल फार्मास्युटिकल ने एक बयान में कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के पूर्व सचिव प्रोफेसर वी. एम. कटोच की मौजूदगी में जीवाजी विवि की कुलपति डॉ. संगीता शुक्ला और एमिल फार्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक संचित शर्मा ने समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस मौके पर कटोच ने कहा, हमारे आयुर्वेद में कई लाइलाज बीमारियों का समाधान छुपा है। यदि इन दवाओं पर आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के नजरिए से गहन शोध हो तो विश्वस्तरीय दवाएं बनाई जा सकती हैं। कटोच ने कहा कि किस प्रकार पूर्व में डीआरडीओ ने शोध करके सफेद दाग की दवा ल्यूकोस्किन तैयार की थी और हाल में सीएसआईआर ने आयुर्वेद के इन्हीं फार्मूलों से मधुमेह की प्रभावी दवा बीजीआर-34 तैयार की। सरकार से हुए समझौते के तहत इन दोनों दवाओं को बाजार में लाने का बीड़ा एमिल ने उठाया था। बयान के अनुसार, एमिल फार्मा के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा, इस समझौते के तहत आयुर्वेद के पुराने फार्मूलों को परखने के साथ-साथ नई दवाएं विकसित करने पर भी जोर होगा। शोध में नैनो टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाएगा। नैनो टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पदार्थ के गुणों में व्यापक अंतर लाया जा सकता है। यानी पहले से ज्यादा प्रभावकारी दवाएं बनाना संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि समझौते के तहत जीवाजी विवि के पास वैज्ञानिकों का तंत्र है, तथा परीक्षण संबंधी सुविधाएं हैं। एमिल उन्हें आवश्यक उपकरण और संसाधन उपलब्ध कराएगा।
मुंबई ,24 दिसंबर । पुणे की 20 साल की वेदांगी कुलकर्णी साइकिल से दुनिया का चक्कर लगाने वाली सबसे तेज एशियाई बन गई हैं। वेदांगी ने रविवार को कोलकाता में तडक़े साइकिल चलाकर इसके लिए जरूरी 29,000 किलोमीटर की मानक दूरी को तय किया। उन्होंने इस सफर की शुरूआत जुलाई में पर्थ से की थी और इस रिकॉर्ड को पूरा करने के लिए वह ऑस्ट्रेलिया के इस शहर में वापस जाएंगी।
वेदांगी ने बताया कि उन्होंने 14 देशों का सफर किया और 159 दिनों तक रोजाना लगभग 300 किलोमीटर साइकिल चलाती थीं। इस दौरान उन्हें कुछ अच्छे और बुरे अनुभव हुए। उनके पिता विवेक कुलकर्णी ने बताया दुनिया में कुछ ही लोगों ने इस मुश्किल चुनौती को पूरा किया है और उनकी बेटी दुनिया का चक्कर लगाने के मामले में सबसे तेज एशियाई हैं। ब्रिटेन की जेनी ग्राहम (38) के नाम महिलाओं के बीच सबसे कम दिनों में साइकिल से चक्कर लगाने का रिकॉर्ड है।
जेनी ग्राहम ने इसके लिए 124 दिन का समय लिया था। यह रिकॉर्ड पिछले रिकॉर्ड से तीन सप्ताह कम था। इस अभियान को पूरा करने के दौरान वेदांगी को कई चुनौतियों को सामना करना पड़ा। कनाडा में एक भालू उनका पीछे करने लगा था। रूस में बर्फ से घिरी जगहों पर उन्होंने कई रात अकेले गुजारी तो वहीं स्पेन में चाकू की नोक पर उनसे लूटपाट हुई। ब्रिटेन के बॉउर्नेमाउथ विश्व विद्यालय की खेल प्रबंध की इस छात्रा ने बताया कि उन्होंने इसके लिए दो साल पहले ही तैयारी शुरू कर दी थी।
उन्होंने साइकिल पर लगभग 80 प्रतिशत यात्रा को अकेले पूरा किया। यात्रा के दौरान उन्होंने न्यूनतम 0 से 20 डिग्री तक और अधिकतम 37 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेला। इस दौरान वह ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा, आइसलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, फ्रांस, बेल्जियम, जर्मनी, डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड और रूस से होकर गुजरीं।
0-श्रीहरिकोटा में काउंटडाउन शुरू
नईदिल्ली ,19 दिसंबर । इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो ने अपने संचार उपग्रह जीएसएलवी-एफ11/जीसैट-7ए से जुड़े मिशन के लिए 26 घंटे तक चलने वाला काउंटडाउन शुरू कर दिया है. 2,250 किलोग्राम वजनी जीसैट-7ए उपग्रह को लेकर जाने वाला रॉकेट लॉन्चर जीएसएलवी-एफ11 बुधवार शाम चार बजकर 10 मिनट पर श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट के दूसरे लांच पैड से लॉन्च किया जाएगा.
जीसैट-7ए का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया है और इसका जीवन 8 साल है. यह भारतीय क्षेत्र में केयू-बैंड के यूजर्स को संचार क्षमताएं मुहैया कराएगा.
इसरो ने कहा, ‘श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर में जीएसएलवी-एफ 11 के जरिये संचार उपग्रह जीसैट-7ए को लॉन्च करने के लिए 26 घंटे की उल्टी गिनती दोपहर दो बजकर 10 मिनट (भारतीय समयानुसार) पर शुरू हुई. इसकी लॉन्चिंग बुधवार शाम चार बजकर 10 मिनट तय की है.’
जीएसएलवी एफ-11 जीसैट-7ए को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर आर्बिट (जीटीओ) में छोड़ेगा और उसे आनबोर्ड प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए अंतिम भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा. जीएसएलवी-एफ11 इसरो की चौथी पीढ़ी का रॉकेट लॉन्चर है.
0-अब इंटरनेट स्पीड में क्रांति
नई दिल्ली ,05 दिसंबर । देश के सबसे वजऩी सैटलाइट यानी जीएसएटी-11 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया। 5,854 किलोग्राम के इस सैटलाइट को बुधवार सुबह यूरोपियन स्पेस एजेंसी फ्रेंच गयाना से लॉन्च किया गया। यह एक कम्युनिकेशन सैटलाइट है, जो देश में इंटरनेट की स्पीड बढ़ाने में मदद करेगा। यह सैटलाइट इतना बड़ा है कि प्रत्येक सोलर पैनल चार मीटर से ज्यादा लंबे है, जो कि एक बड़े रूम के बराबर है।
पहले इस सैटलाइट को इस साल की शुरुआत में लॉन्च किया जा रहा था, लेकिन सिस्टम में तकनीकी कमी के शक के चलते भारतीय स्पेस एजेंसी ने इसे चेक करने के लिए फ्रेंच गयाना से अप्रैल में वापस मंगवा लिया। यह फैसला जीएसएटी-6ए की असफलता को देखते हुए भी लिया गया था। दरअसल अप्रैल के आसपास ही जीएसएटी-6ए अनियंत्रित हो गई थी और 29 मार्च को इसके लॉन्च होने के तुरंत बाद ही संपर्क टूट गया। ऐसे में जीएसएटी-11 को उस वक्त लॉन्च न करने का फैसला किया गया। कई तरह के परीक्षण और जांच के बाद अब जाकर जीएसएटी-11 को लॉन्च कर दिया गया है।
आपका काम अगर घंटों कुर्सी पर बैठने वाला है तो यह आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। चलने-फिरने और वर्कआउट के फायदे तो आपने खूब सुने होंगे लेकिन आपको बता दें कि फिट रहने के लिए जरूरी नहीं है कि आप जिम में ही पसीना बहाएं। किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि आपके लिए फायदेमंद है। अमेरिकी सरकार ने अपने नागरिकों के लिए नई हेल्थ गाइडलाइन्स जारी की है और भारतीयों को भी इसमें सीखने के लिए बहुत कुछ है।
पिछली बार अमेरीका ने यह गाइडलाइन लगभग एक दशक पहले जारी की थी। इसके बाद अब इसे अपडेट किया गया है। इस दौरान स्वास्थ्य मानकों में भी कई बदलाव हुए हैं। अब फिजिकल एक्सरसाइज, वर्कआउट, सीढिय़ों का इस्तेमाल आदि करने के पहले से ज्यादा मजबूत कारण हैं। आपको बतातें हैं क्या है इस गाइडलाइन में।
बच्चों के लिए
आजकल बच्चे अपना ज्यादातर समय स्कूल में बैठे हुए या फिर घर पर टीवी या मोबाइल पर बिताते हैं। यह उनके लिए अच्छा नहीं है। पुरानी गाइडलाइन कहती थी कि 6 साल की उम्र से ही बच्चों में फिजिकल एक्सरसाइज की आदत डालनी चाहिए लेकिन नई गाइडलाइन के अनुसार इसे और जल्दी शुरू करने की जरूरत है। 3 साल की उम्र से बच्चों को ज्यादा से ज्यादा फिजिकली ऐक्टिव बनाएं। उन्हें खेलने के लिए बाहर भेजें। इसके लिए कोई सीमा नहीं बताई गई है लेकिन बच्चों को कम से कम 3 घंटे खेलकूद में बिताने चाहिए। 6 साल से 17 साल की उम्र के बच्चों को कम से कम 1 घंटा अलग-अलग प्रकार की फिजिकल ऐक्टिविटी में बिताना चाहिए। इनमें से ज्यादातर खुली जगह में हों जैसे कि साइकलिंग, टहलना, दौडऩा आदि।
बड़ों के लिए
बड़ों को कम से कम 2 से 5 घंटे हल्की इंटेनसिटी की एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसके अलावा हफ्ते में कम से कम 2 दिन आप मांस-पेशियों के लिए एक्सरसाइज करें जैसे पुशअप्स या फिर वेटलिफ्टिंग। किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधी आपको कोई न कोई फायदा जरूर पहुंचाती है। इससे आपको ब्लड प्रेशर कम रखने और घबराहट से दूर रहने में मदद मिलेगी।