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एपीडा का 2022 तक कृषि उत्पाद निर्यात लक्ष्य 60 अरब डॉलर : बड़ठाकुर
Posted Date : 08-Nov-2019 12:50:38 pm

एपीडा का 2022 तक कृषि उत्पाद निर्यात लक्ष्य 60 अरब डॉलर : बड़ठाकुर

ग्रेटर नोएडा ,08 नवंबर।  कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात प्राधिकरण (एपीडा) के अध्यक्ष पवन कुमार बड़ठाकुर ने कहा है कि नयी कृषि निर्यात नीति के बलबूते 2022 तक देश से कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर 60 अरब डॉलर किया जायेगा।
बड़ठाकुर ने शुक्रवार को यहां आयोजित ग्यारहवें जैविक उत्पाद मेले के दूसरे दिन कहा कि नयी कृषि निर्यात नीति की मदद से वाणिज्य और कृषि मंत्रालय के बीच अंतर को कम करने में मदद मिली है जिससे 2022 तक देश का कृषि उत्पादों का निर्यात 60 अरब डॉलर तक करने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कह कि यह महत्वकांक्षी लक्ष्य नहीं है। देश की निर्यात बास्केट में मुख्य रुप से मांस, समुन्द्री उत्पाद और बासमती चावल है जिसकी लगातार मांग बढ़ रही है। इसलिए इस लक्ष्य को हासिल कर लेना कोई मुश्किल काम नहीं होगा। वर्तमान में कृषि निर्यात 38 अरब डॉलर का है।
ग्यारहवें बायोफैच मेले में विदेशी खरीदारों की दिलचस्पी का जिक्र करते हुए बड़ठाकुर ने कहा कि भारतीय जैविक खाद्य उत्पादों की मांग बढ़ रही है और जल्द ही टेक्सटाइल और आयुर्वेदिक औषधियों को भी इस श्रेणी में शामिल किया जायेगा। तीन दिन का यह मेला सात नवंबर को शुरु हुआ और नौ नवंबर तक चलेगा।
एपीडा के महाप्रबंधक तरुण बजाज ने मेले में एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि चीन, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, म्यांमार, बंगलादेश, मैक्सिको और यूरोपीय संघ से आए विदेशी खरीदारों ने अपने देशों में जैविक उत्पादों की बढ़ती खपत को पूरा करने के लिए जैविक औषधीय पौधों, सौंदर्य प्रसाधनों, टेक्सटाइल से लेकर ज्वार जैसे मोटे अनाज तक भारतीय जैविक खाद्य उत्पादों में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। एपीडा के निमंत्रण पर विभिन्न देशों से 80 खरीदार आए हैं। मेले में करीब 200 कंपनियों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए हैं।
बजाज ने कहा विदेशी खरीदार भारतीय जैविक उत्पादों में दिलचस्पी दिखाने के अलावा कंपनियों तथा किसानों से भी संपर्क कर रहे हैं । वे कृषि पद्धतियों के बारे में सूचना, संसाधनों तथा जानकारी का आदान.प्रदान भी कर रहे हैं । विदेशी खरीदारों ने वैश्विक स्तर पर भारतीय जैविक उत्पादों का हिस्सा बढ़ाने के लिए किसानों से तीन पहलुओं--गुणवत्ता, मात्रा तथा कीमत पर ध्यान देने का सुझाव दिया है ।
उन्होंने कहा,दुनिया भर में लोग अब अपने खानपान और स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने लगे हैं। इससे जैविक उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है और वह रसायनजनित उत्पाद नहीं चाहते हैं। कुल कृषि निर्यात की तुलना में जैविक उत्पादों की हिस्सेदारी बहुत कम है किंतु इसमें जिस रफ्तार से बढ़ोतरी हो रही है वह बहुत प्रोत्साहित करने वाली है। जैविक उत्पाद की श्रेणी में तिलहन, मोटे अनाज , चीनी, फल जूस कंसेंट्रेट , चाय , मसालों , दालों , मेवों और औषधीय पौधे की मांग सबसे अधिक है।
महाप्रबंधक ने कहा कि भारतीय उत्पादों के बड़े खरीदार अमेरिका, यूरोपीय संघ के सदस्य देश और कनाडा है किंतु अब इजरायल, वियतनाम और मैक्सिकों जैसे कई नये देशों ने भी गहरी दिलचस्पी दिखाई है। अप्रसंस्कृत उत्पादों को यूरोपीय संघ और स्विट्जरलैंड में समान स्तर का माने जाने ओर यूएसडीए से हरी झंडी मिलने के बाद इन दिशों में निर्यात बढ़ाने में काफी मदद मिली है।
मेले की मुख्य विशेषता पूर्वोत्तर राज्यों में उत्पादित जैविक उत्पादों का प्रदर्शन है। ये राज्य अब भारतीय जैविक कृषि उतपादों के केंद्र बनते जा रहे हैं। असम की चाय, जोहा चावल और नींबू, सिक्किम की बड़ी इलायची और अदरक, मणिपुर से किंग मिर्च, मिजोरम का गन्ना, लोबिया और धान , मेघालय से पैशन फ्रूट और त्रिपुरा का अनानास प्रमुख हैं।

एसबीआई ने दिया ग्राहकों को झटका, फिर एफडी ब्याज दरों में हुई कटौती
Posted Date : 08-Nov-2019 12:50:05 pm

एसबीआई ने दिया ग्राहकों को झटका, फिर एफडी ब्याज दरों में हुई कटौती

मुंबई ,08 नवंबर। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने 42 करोड़ ग्राहकों को झटका दिया है। बैंक ने सभी तरह के फिक्स डिपाजिट में ब्याज दरों पर कटौती करने का फैसला लिया है। ब्याज दरों में 0.05 प्रतिशत तक कटौती करने की घोषणा की गई है। इसके साथ ही बैंक ने जमा रकम की ब्याज दरों में 0.15-0.75 तक की भारी कटौती की है। जानकारी के अनुसार बैंक की नई दरें 10 नवंबर से लागू होंगी। बैंक ने चालू वित्त वर्ष में लगातार सातवीं बार कर्ज पर ब्याज दर में कटौती है। स्टेट बैंक ने बयान में कहा कि इस कटौती के साथ एक साल के ऋण का एमसीएलआर कम होकर 8 प्रतिशत पर आ जाएगा। बैंक ने सावधि जमा पर भी अपनी ब्याज दरों में बदलाव किया है। उसने 1 साल से 2 साल तक की अवधि वाले खुदरा सावधि जमा पर ब्याज दर में 0.15 प्रतिशत की कटौती की है। वहीं , सभी परिपक्वता अवधि की थोक सावधि जमा के लिए ब्याज दरों में 0.30 से 0.75 प्रतिशत तक की कटौती की गई है। आपको बता दें कि अब एसबीआई 7 से 45 दिन की एफजी स्कीम पर 4.50 प्रतिशत ब्याज देगा जबकि 46 से 179 दिन की एफडी स्कीम पर 5.50 प्रतिशत की दर से ब्याज देगा। अगर हम बात करें 180 से 210 दिन वाली एफडी स्कीम की तो इसमें बैंक 5.80 की दर से ब्याज देगा। जबकि 1 साल की एफडी पर अब बैंक ग्राहकों को मात्र 6.25 फीसदी ब्याज मिलेगा। इसी तरह एक साल से ऊपर और दस साल तक वाली एफडी स्कीम पर खाताधारकों को 6.25 फीसदी ब्याज मिलेगा।
इससे पहले अक्टूबर माह में भी एसबीआई ने एमसीएलआर और टर्म व बल्क डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज दरों में बदलाव किया था। तब बैंक ने एक से दो साल की अवधि के रिटेल टर्म डिपॉजिट और बल्क टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज में कमी की थी। एसबीआई ने एफडी पर ब्याज दर में 10 बेसिस प्वाइंट की कमी की थी। वहीं बल्क टर्म डिपॉजिट पर ब्याज दर में 30 बेसिस प्वाइंट की कमी की थी। इस टर्म डिपॉजिट की मियाद भी एक साल से दो साल तक की थी। 

संजय गुप्ता बने गूगल इंडिया के नए कंट्री मैनेजर और वाइस प्रेसिडेंट, देश को लेकर है बड़ा लक्ष्य
Posted Date : 08-Nov-2019 12:49:46 pm

संजय गुप्ता बने गूगल इंडिया के नए कंट्री मैनेजर और वाइस प्रेसिडेंट, देश को लेकर है बड़ा लक्ष्य

नई दिल्ली ,08 नवंबर। आर्थिक जगत से बड़ी खबर है। गूगल इंडिया ने संजय गुप्ता को अपना नया कंट्री मैनेजर और वाइस प्रेसिडेंट) नियुक्त किया है। एक बायन में गूगल की ओर से कहा गया है कि संजय गुप्ता भारत में इंटरनेट के इकोसिस्टम को बढ़ाने में मदद करेंगे। साथ ही, बिजनेस को बढ़ाने और इंटरनेट को बढ़ावा देने के गूगल की ओर से हो रहे प्रयासों में योगदान करेंगे। बता दें कि संजय गुप्ता इससे पहले डिजनी और स्टार को अपनी सेवाएं दे चुके हैं। राजन आनंदन के इस्तीफे के बाद से गूगल इंडिया अपना नया कंट्री मैनेजर और वीपी ढ़ूढ़ रहा था। पिछले 8 महीने से ये पद खाली था। गूगल को छोडऩे के बाद राजन आनंदन ने वेंचर फंड कंपनी सिक्योइया कैपिटल को जॉइन किया है। संजय गुप्ता इससे पहले स्टार और डिज्नी कै मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं. भारत में हॉटस्टार के पॉपुलैरिटी के पीछे इनका अहम रोल बताया जाता है। गूगल के मुताबिक संजय मुंबई में रह कर गूगल की गुडग़ांव और हैदराबाद की टीम के साथ काम करेंगे। अगले साल की शुरुआत से वो अपने इस पद को संभालेंगे। गूगल ज्वाइन करने के पर संजय गुप्ता ने कहा है, ‘गूगल इंडिया को लीड करने को लेकर मैं काफी उत्साहित हूं। यह भारत की कुछ अनोखी चुनौतियों को हल करने और इंटरनेट को लोगों और समुदायों के लिए आर्थिक विकास का इंजन बनाने के लिए ये अच्छा मौका है।’

जीएसटी को लेकर आज से लागू हुआ ये नया नियम, कारोबारियों पर पड़ेगा सीधा असर
Posted Date : 08-Nov-2019 12:49:29 pm

जीएसटी को लेकर आज से लागू हुआ ये नया नियम, कारोबारियों पर पड़ेगा सीधा असर

नई दिल्ली ,08 नवंबर। मोदी सरकार ने इनकम टैक्स के बाद अब जीएसटी में डीआईएन यानी डॉक्युमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर को लागू कर दिया है। देश के बिजनेसमैन के हितों की सुरक्षा के लिए ये कदम उठाया गया है। सीबीआईसी  के आदेश के मुताबिक, डिन का इस्तेमाल उन जीएसटी मामलों में होगा, जिनकी इन्क्वायरी चल रही है और उनमें अरेस्ट और सर्च वारंट जारी हो चुका है। CBIT के मुताबिक, 8 नवंबर के बाद जो भी कागज जारी होगा उस पर डिन देना जरूरी है। 
अब ये होगा
वित्त मंत्रालय की पहल के बाद इसे शुरू किया जा रहा है। अब विभाग से जारी हर नोटिस पर कंप्यूटर जेनरेटेड डॉक्यूमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर (DIN) होगा। साथ ही, अब नए फैसले के तहत अब ये नंबर टैक्सपेयर्स को मिले वाले सभी डॉक्युमेंट पर भी जरूरी हो गया है। यह सिस्टम टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन में अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी। 
क्या है डिन
टैक्स डिपार्टमेंट अब जो नोटिस जारी करता है उसमें DIN कंप्यूटर जेनरेटेड डॉक्यूमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर होता है। अगर किसी भी नोटिस पर ये नंबर नहीं है तो वो वैलिड नहीं है। 
बिना डिन मान्य नहीं होगा नोटिस
राजस्व सचिव डॉ. अजय भूषण पांडेय का कहना है कि इनडायरेक्ट टैक्स पर सरकार में सबसे पहले ष्ठढ्ढहृ का उपयोग किसी भी जांच प्रक्रिया के दौरान जारी समन, तलाशी के लिए अधिकृत करने, गिरफ्तारी पत्रक, जांच नोटिस और पत्रों के लिए किया जाएगा।
- अब से जीएसटी और सीमा शुल्क अथवा केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में भी होगा। अगर कम्प्यूटर जनरेटेड डिन के बिना ही कोई पत्र-व्यवहार करता है तो वह अमान्य होगा। यह कानूनन गलत होगा अथवा ऐसा समझा जाएगा कि इसे कभी जारी ही नहीं किया गया है। 
- ष्ठढ्ढहृ के फैसले सभी तरह के पत्र-व्यवहार की समुचित ऑडिट जानकारियों को सही तरीके से डिजिटल डायरेक्टरी में स्टोर किया जा सकेगा।
- ष्ठढ्ढहृ वाले सभी निर्दिष्ट पत्र-व्यवहार का सत्यापन ऑनलाइन पोर्टल ष्ड्ढद्बष्स्रस्रद्व.द्दश1.द्बठ्ठ पर हो सकेगा। 5 नवम्बर, 2019 को जारी डिन संबंधी सर्कुलर के अनुसार अगर दिशा-निर्देशों के मुताबिक, नोटिस जारी नहीं होता है तो वो मान्य नहीं होगा।

ऑयलमील निर्यात अक्टूबर में 55 फीसदी घटा
Posted Date : 08-Nov-2019 12:47:53 pm

ऑयलमील निर्यात अक्टूबर में 55 फीसदी घटा

नई दिल्ली ,08 नवंबर।  भारत का ऑयलमील निर्यात बीते महीने अक्टूबर में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 55 फीसदी कम रहा। भारत ने इस साल अक्टूबर में आयॅलमील यानी खल का कुल निर्यात 1,05,085 टन किया जबकि पिछले साल इसी महीने में ऑयलमील का कुल निर्यात 2,33,867 टन किया था। ऑयलमील निर्यात के ये आंकड़े खाद्य तेल उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स ऑफ इंडिया ने संकलित किए हैं। आंकड़ों के अनुसार, इस साल अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक भारत ने 13,92,564 टन ऑयलमील का निर्यात किया है जबकि पिछले साल इसी अवधि में देश से ऑयलमील का निर्यात 17,32,916 टन हुआ था। इस प्रकार चालू वित्त वर्ष के आरंभिक सात महीने में ऑयलमील के निर्यात में पिछले साल के मुकाबले 24 फीसदी की गिरावट आई है।
उद्योग संगठन के अनुसार, भारत का ऑयलमील महंगा होने के कारण दुनिया के बाजारों में प्रतिस्पर्धा में नहीं टिक पाता है और इसकी मांग कम हो जाती है।
उद्योग संगठन का कहना है कि खासतौर से सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी ज्यादा होने के कारण भारत के सोयाबीन खल के दाम और दुनिया के अन्य देशों के उत्पादों के दाम में अंतर है जिसके कारण इसके निर्यात में कमी आई है।

आर्थिक मोर्चे पर भारत को एक और झटका, मूडीज ने घटाई रेटिंग
Posted Date : 08-Nov-2019 12:47:34 pm

आर्थिक मोर्चे पर भारत को एक और झटका, मूडीज ने घटाई रेटिंग

मुंबई ,08 नवंबर। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत की रेटिंग पर अपना परिदृश्य बदलते हुए इसे स्थिर से नकारात्मक कर दिया है। पहले के मुकाबले आर्थिक वृद्धि के बहुत कम रहने की आशंका है। एजेंसी ने भारत के लिए बीएए2 विदेशी-मुद्रा एवं स्थानीय मुद्रा रेटिंग की पुष्टि की है। रेटिंग एजेंसी ने एक बयान में कहा, परिदृश्य को नकारात्मक करने का मूडीज का फैसला आर्थिक वृद्धि के पहले के मुकाबले काफी कम रहने के बढ़ते जोखिम को दिखाता है। मूडीज के पूर्व अनुमान के मुकाबले वर्तमान की रेटिंग लंबे समय से चली आ रही आर्थिक एवं संस्थागत कमजोरी से निपटने में सरकार एवं नीति के प्रभाव को कम होते हुए दिखाती है। जिस कारण पहले ही उच्च स्तर पर पहुंचा कर्ज का बोझ धीरे-धीरे और बढ़ सकता है। इसके पहले अक्टूबर में ही मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने 2019-20 में त्रष्ठक्क ग्रोथ के अनुमान को घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया था। मूडीज की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पहले के मुकाबले भारतीय अर्थव्यवस्था में जोखिम बढ़ गया है, इसलिए आउटलुक को घटाने का फैसला किया है। आपको बता दें कि दुनिया की अन्य बड़ी रेटिंग एजेंसी फिच और एसएंडपी ने भारत के आउटलुक को स्टेबल रखा है।
अब क्या होगा
कैपिटल सिंडिकेट के मैनेजिंग पार्टनर पशुपति सुब्रमण्यम ने बताया है कि रेटिंग एजेंसी के इस फैसले से खास असर नहीं होगा, क्योंकि अब दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिल रहे है। क्योंकि, ब्याज दरें घटाने के बाद निवेशकों का भरोसा भी लौटा है। इसीलिए शेयर बाजार में तेजी आई है। भारत में विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर महीने में करीब 8595.66 करोड़ रुपये लगाए हैं। वहीं, नवंबर में अभी तक  2,806.10 करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं। वीएम पोर्टफोलियो के हेड विवेक मित्तल कहते हैं कि मौजूदा तिमाही में भी जीडीपी ग्रोथ पर दबाव रह सकता है। लेकिन अगले साल के शुरुआती महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौट सकती है। इसके संकेत कंपनियों के तिमाही नतीजों से मिले है। जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनियों का प्रदर्शन अनुमान से बेहतर रहा है। इसीलिए घरेलू शेयर बाजार पर रेटिंग घटाने का खास असर नहीं है। ऐसे माहौल में निवेशकों के पास अच्छे शेयरों में खरीदारी करने का मौका है। 
भारत की रेटिंग क्च्र्र2
रेटिंग के बारे में जानकारी देते हुए मूडीज ने कुछ चीजों को लेकर चिंताएं जाहिर की है। मूडीज का कहना है कि आर्थिक मंदी को लेकर चिंताएं लंबे समय तक रहेंगी और कर्ज बढ़ सकता है। 
कौन है मूडीज
आपको बता दें कि रेटिंग देने के इस सिस्टम देने की शुरुआत 1909 में जॉन मूडी ने की थी। इसका मकसद इन्वेस्टर्स को एक ग्रेड देना है, ताकि मार्केट में उसकी क्रेडिट बन सके। रूशशस्र4ज्ह्य कॉर्पोरेशन, रूशशस्र4ज्ह्य इन्वेस्टर्स सर्विस की पेरेंट कंपनी है, जो क्रेडिट रेटिंग और रिसर्च का काम करती है। मूडीज की रेटिंग का मतलब मूडीज एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है। ये एजेंसी 100 से भी अधिक आर्थिक विशेषज्ञों के साथ किसी देश की रेटिंग तय करते हैं। हालांकि, इसके लिए कोई भी फॉर्मूला नहीं है। इसमें किसी भी देश पर कर्ज और उसे चुकाने की क्षमता को ध्यान में रखा जाता है। इसके अलावा रेटिंग एजेंसी देश में आर्थिक सुधारों और उसके भविष्य के प्रभाव को भी ध्यान में रखता है।