आज के मुख्य समाचार

जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लगाया चौका
Posted Date : 19-Jan-2019 12:39:59 pm

जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लगाया चौका

0-रायपुर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित क्रिकेट मड़ई टूर्नामेंट के फाइनल मैच कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हुए शामिल
रायपुर, 19 जनवरी । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा चौका लगाते ही खेल मैदान में तालियों की आवाज गूंजने लगी। श्री बघेल आज रायपुर प्रेस क्लब द्वारा राजधानी रायपुर के आकाशवाणी स्थित गॉस मेमोरियल मैदान में आयोजित क्रिकेट मड़ई टूर्नामेंट के फाइनल मुकाबले कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने मैदान में क्रिकेट का आनंद उठाते हुए एक चौका भी जड़ा। जिसके बाद मैदान के अंदर और बाहर उपस्थित लोगों ने तालियों से मुख्यमंत्री का अभिवादन किया। 
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रेस क्लब द्वारा आयोजित क्रिकेट मड़ई आयोजन का प्रशंसा करते हुए कहा कि व्यस्त काम के बावजूद पत्रकार समय निकालकर जब खेल में भागीदारी करते है तो उन्हें काम करने में और फूर्ति मिलती है। उन्होंने कहा कि खेल मैदान में सिर्फ फिल्डिंग करना और बॉल खेलने में ही मजा आता है न कि भाषण सुनने में। यह बातें कहते हुए मुख्यमंत्री ने क्रिकेट मड़ई के फाइनल मुकाबले में विजेता टीम को 51 हजार रूपये, उपविजेता टीम को 41 हजार रूपये तथा इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाली अन्य समस्त टीम को 10-10 हजार रूपये  पुरस्कार राशि देने की घोषणा की। 
कार्यक्रम के दौरान महापौर प्रमोद दुबे, जिंदल स्टील पावर लि. के मीडिया प्रभारी सुयश शुक्ला, प्रेस क्लब अध्यक्ष दामू आम्बेडारे, महासचिव प्रशांत दुबे, उपाध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर सहित प्रेस क्लब के अन्य पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में प्रेस क्लब के सदस्य मौजूद रहे। 

कोलकाता में विपक्ष का जमावड़ा, बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा भी पहुंचे
Posted Date : 19-Jan-2019 12:11:10 pm

कोलकाता में विपक्ष का जमावड़ा, बीजेपी नेता शत्रुघ्न सिन्हा भी पहुंचे

0-ममता की ऐंटी-बीजेपी रैली
कोलकाता ,19 जनवरी । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ऐंटी-बीजेपी यूनाइटेड इंडिया रैली के लिए लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई है। अलग-अलग सियासी दल के नेता एक दिन पहले यानी शुक्रवार को ही कोलकाता पहुंच चुके हैं। इस ‘संयुक्त विपक्षी रैली’ में अधिकतर गैर-एनडीए दलों के शामिल होने की उम्मीद है। 
जमेगा देश भर के दलों का जमावड़ा 
तृणमूल कांग्रेस की ‘संयुक्त विपक्षी रैली’ ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड मैदान में होगी। इस रैली में शामिल होने के लिए अखिलेश यादव (एसपी), सतीश मिश्रा (बीएसपी), शरद पवार (एनसीपी), चंद्रबाबू नायडू (टीडीपी), एम.के. स्टालिन (डीएमके), एच.डी. देवेगौड़ा और उनके बेटे कुमारस्वामी (जेडीएस), मल्लिकार्जुन खडग़े और अभिषेक मनु सिंघवी (कांग्रेस), अरविंद केजरीवाल (आप), फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला (नैशनल कॉन्फ्रेंस), तेजस्वी यादव (आरजेडी), अजीत सिंह और जयंत चौधरी (आरएलडी) हेमंत सोरेन (जेएमएम), शरद यादव (लोकतांत्रिक जनता दल) ने सहमति जताई है और अधिकतर नेता पहुंच भी गए हैं।
बीजेपी के बागी नेता भी होंगे शामिल 
इन दलों के साथ ही बीजेपी के बागी नेता यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और अरुण शौरी भी मंच साझा करने के लिए कोलकाता पहुंच चुके हैं। हालांकि ओडिशा और तेलंगाना में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति ने इस रैली से दूर रहने का फैसला किया है। गैर-एनडीए में सिर्फ यही दोनों दल हैं, जिन्होंने कोलकाता आने पर सहमति नहीं जताई। वहीं लेफ्ट फ्रंट ने इस रैली से खुद को दूर किया हुआ है।
देश को नए प्रधानमंत्री का इंतजार 
इस रैली में केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार को हराने के बारे में महत्वपूर्ण फैसला लिया जा सकता है। इस रैली में जुट रहे देश भर के विपक्षी दल अपना कोई सर्वमान्य नेता चुनेंगे या नहीं, इस बारे में अभी कुछ स्पष्ट नहीं है। हालांकि इस बारे में अखिलेश यादव ने इशारों में कहा। कोलकाता पहुंचने पर अखिलेश ने कहा कि देश नए प्रधानमंत्री का इंतजार कर रहा है।
राहुल गांधी नहीं आए, खडग़े-सिंघवी को भेजा 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद इस रैली में शामिल नहीं हो रहे हैं। उन्होंने मल्लिकार्जुन खडग़े तथा अभिषेक मनु सिंघवी को कोलकाता भेजने का फैसला लिया है। क्षेत्रीय दलों को इक_ा कर रैली का आयोजन कर रही तृणमूल कांग्रेस ने कहा, ‘क्षेत्रीय राजनीतिक मजबूरियों को इस प्रस्तावित रैली से जुड़े बड़े राजनीतिक उद्देश्यों में नहीं मिलाना चाहिए।’ 
ज्ञात हो कि कांग्रेस खुद ही विपक्षी एकता के बीच सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरना चाहती है लेकिन मनु सिंघवी और खडग़े को भेजने के फैसले पर कोलकाता में कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि विकल्प खुले हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव बाद की स्थिति ऐसी हो सकती है कि कांग्रेस एसपी-बीएसपी और टीएमसी के गुट को नजरअंदाज न कर पाए।
रैली की मेजबानी कर रहीं ममता बनर्जी ने शुक्रवार को सभी नेताओं से मुलाकात की। केंद्र में तीसरे मोर्चे की सरकार चला चुके पूर्व पीएम एच.डी. देवेगौड़ा ने विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने के ममता बनर्जी के प्रयास की सराहना भी की। इसके अलावा हाल ही में बीजेपी छोडक़र अपनी पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके अरुणाचल प्रदेश के पूर्व सीएम गेगोंग अपांग ने भी ममता को ग्रेट लीडर करार दिया। वह भी रैली में मौजूद रहेंगे। 
ममता बनर्जी की रैली को राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है लेकिन उनके अपने ही राज्य में स्थिति जरा विपरीत है। यहां लेफ्ट फ्रंट ने रैली से खुद को दूर कर लिया है तो वहीं पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने कहा कि रैली में शामिल होने का कोई कारण नहीं है क्योंकि उन्हें आमंत्रण नहीं मिला है। 
इसी तरह बीजू जनता दल (बीजेडी) और टीआरएस भी रैली का हिस्सा नहीं होंगी क्योंकि वे कांग्रेस के साथ मंच साझा नहीं करना चाहते। बीजेपी प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद प्रताप केशरी देब ने कहा, हम कांग्रेस और बीजेपी दोनों से बराबर दूरी बनाए रखने की अपनी नीति पर अटल हैं।
बीजेपी ने रैली को बताया सर्कस 
दूसरी तरफ बीजेपी ने ममता बनर्जी की इस रैली को सर्कस करार देते हुए मजाक उड़ाया है। बीजेपी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, राजनीति से रिटायरमेंट ले चुके और थके हुए सभी पुराने नेता इस रैली में आ रहे हैं, जिनकी अपने प्रदेशों में ही पहचान सिमट रही है। जिन दलों को जनता नकार चुकी है, वे केवल लाइमलाइट के लिए इस सर्कस में आ रहे हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है जलवायु परिवर्तन : पेंटागन
Posted Date : 19-Jan-2019 12:02:15 pm

राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है जलवायु परिवर्तन : पेंटागन

वॉशिंगटन,19 जनवरी । अमेरिका के कई प्रमुख सैन्य संस्थानों को जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ती समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पेंटागन ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में ऐसा दावा किया। हालांकि आलोचकों ने समस्या को कमतर बताने के लिए इसे नकार दिया है। 22 पन्नों की रिपोर्ट में अमेरिका के आस-पास के 79 प्राथमिकता वाले सैन्य केंद्रों पर गौर किया गया और इनमें से कई के बाढ़ एवं जंगल की आग के साथ ही मरुस्थलीकरण, सूखे एवं बर्फ पिघलने के असर की चपेट में आने की आशंका देखी गई। रिपोर्ट में कहा गया है, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है जो रक्षा मंत्रालय के मिशनों, अभियान संबंधी योजनाओं एवं संस्थानों पर संभवत: असर डाल सकता है। रिपोर्ट में देखा गया कि 79 में से दो तिहाई संस्थानों के बार-बार आने वाली बाढ़ से प्रभावित होने और आधे से ज्यादा के मौजूदा या भविष्य में पडऩे वाले सूखे से घिरने की आशंका है। लेकिन आलोचकों ने रिपोर्ट में ब्यौरे नहीं देने को लेकर इसे खारिज किया है। उनका कहना है कि इसमें हाल में आए उन तूफानों का जिक्र नहीं है जिसने अमेरिकी सैन्य केंद्रों को तबाह या क्षतिग्रस्त कर दिया।

अब पंजीयन प्रक्रिया और आसान होगी, घर बैठे पंजीयन के लिए पासपोर्ट प्रक्रिया जैसा ही लगेगा समय
Posted Date : 16-Jan-2019 9:31:50 am

अब पंजीयन प्रक्रिया और आसान होगी, घर बैठे पंजीयन के लिए पासपोर्ट प्रक्रिया जैसा ही लगेगा समय

0-पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग की गतिविधियों की समीक्षा
0-राज्य शासन के फैसले के बाद अब तक पंाच डिसमिल से कम भू-खण्डों के 2470 पंजीयन

रायपुर, 16 जनवरी । राज्य शासन के फैसले के बाद प्रदेश में अब तक पांच डिसमिल से कम भूमि की 2470 रजिस्ट्रियां हो चुकी हैं। पंजीयन प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाने के प्रयास राज्य शासन द्वारा किए जा रहे हैं। अब पंजीयन प्रक्रिया और भी अधिक आसान होगी। घर बैठे पंजीयन की प्रक्रिया की जा सकेगी और पंजीयन प्रक्रिया पासपोर्ट की भांति निर्धारित समयावधि में पूरी होगी। यह जानकारी आज यहां  महानिरीक्षक पंजीयन कार्यालय, जीएसटी भवन, अटलनगर में आयोजित पंजीयन विभाग की समीक्षा बैठक में दी गई।     
वाणिज्यिक कर (पंजीयन) विभाग के सचिव  सुबोध कुमार सिंह ने विभाग की गतिविधियों की समीक्षा की। पांच डिसमिल से कम रकबा की रजिस्ट्री के संबंध में जिला पंजीयकों ने बैठक में बताया कि सभी जिलों में पांच डिसमिल से कम भूमि की रजिस्ट्री हो रही है। जनवरी माह में पांच डिसमिल से कम रकबा के अब तक दो हजार 470 दस्तावेजों का पंजीयन हो चुका है।  सिंह ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि सभी रजिस्ट्रियां विधिक रूप से सही-सही हो, पंजीयन प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाया जाए, यह भी सुनिश्चित करें कि पंजीयन कार्य कम से कम समय में पूर्ण हो सके। इसके तहत प्री-रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था भी एक सप्ताह के अंदर की जाए। इस व्यवस्था के तहत इच्छुक व्यक्ति घर बैठे पंजीयन की सारी प्रक्रिया करने के बाद केवल सत्यापन के लिए पंजीयन कार्यालय में आना होगा। इससे पंजीयन प्रक्रिया सरल और सुविधाजनक हो जाएगी। सुबोध कुमार सिंह ने उप-पंजीयक कार्यालय में पदस्थ सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देशित किया कि आवेदकों के साथ उचित व्यवहार करें और पंजीयन प्रक्रिया में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो, इसके लिए आवेदकों को मार्गदर्शन दें। सभी पंजीयन कार्यालयों में पक्षकारों के बैठने की समुचित व्यवस्था, साफ-सफाई, पेयजल, शौचालय आदि की व्यवस्था करने के भी निर्देश उन्होंने दिए। बैठक में पंजीयन कार्यालयों में एक सुझाव पुस्तिका/पेटी रखने के भी निर्देश दिए गए, जिसमें आम जनता अपनी शिकायत दर्ज कर सके। जिला पंजीयकों को इन शिकायतों पर तत्काल निराकरण करने के निर्देश भी दिए गए और पंजीयन कार्यालयों में स्वाइप मशीन भी उपलब्ध कराने कहा गया। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि कम मूल्य के ई-स्टाम्प कम समय में आम जनता को उपलब्ध हों। इसके लिए आवेदन फार्म को सरल बनाने स्टॉक होल्डिंग कार्पोरेशन को निर्देशित किया जाए। पंजीयन कार्य के दौरान नेटवर्क/सर्वर सुचारू रूप से चले इसके लिए संबंधित सेवा प्रदाता को भी निर्देशित किया गया। जिलों में आम जनता के उपयोग के लिए या उनकी मांग अनुसार स्टॉम्प की कहीं भी कमी नहीं होने दी जाए। राज्य में ई-स्टाम्प की सुविधा भी 300 केन्द्रों पर उपलब्ध है, जहां ई-स्टाम्प भी जारी किया जा रहा है। स्टाम्पों की समुचित व्यवस्था और अच्छे से की जाए, जिन स्टॉम्प वेंडरों के विरूद्ध स्टॉम्प में अंकित मूल्य से ज्यादा में स्टॉम्प बिक्री की शिकायत मिलती है, उन स्टॉम्प वेंडरों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए। बैठक में अधिकारियों को प्रदेश के जिला पंजीयक कार्यालयों में सूचनात्मक जानकारी उपलब्ध कराने, शासन द्वारा वर्ष 2018-19 के लिए निर्धारित राजस्व लक्ष्य को भी प्राप्त करने के निर्देश दिए गए। जिन विभागों में पंजीयन योग्य दस्तावेज निष्पादित किए जाते हैं, जिनका पंजीयन अभी तक नहीं कराया गया है। उन विभागों को, जिसमें हाउसिंग बोर्ड, विकास प्राधिकरण, नगर निगम, उद्योग, खनिज आदि विभाग सम्मिलित हैं, को शासन स्तर से पत्र लिखा जाए और सभी जिला कलेक्टरों को अवगत कराकर इन विभागों में पंजीयन योग्य लंबित दस्तावेजों का शीघ्र पंजीयन करवाया जाए। जिन जिलों में भुईंया कार्यक्रम में राजस्व अभिलेख अभी तक अपडेट नहीं हुए हैं, उन जिलों के कलेक्टरों को पत्र लिखकर राजस्व अभिलेख को भुईंया कार्यक्रम में अपडेट कराने निर्देशित किया गया। समीक्षा बैठक में महानिरीक्षक पंजीयन  धर्मेश कुमार साहू, उप महानिरीक्षक पंजीयन  मदन कोर्पे एवं  एफ.एल. कृपाल सहित सभी जिलों के जिला पंजीयक उपस्थित थे। 

हाईकोर्ट ने मांगा सेना और सरकार से जवाब
Posted Date : 16-Jan-2019 9:30:48 am

हाईकोर्ट ने मांगा सेना और सरकार से जवाब

0-जाति आधारित नियुक्ति
नई दिल्ली ,16 जनवारी । भारतीय सेना में जाति को लेकर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सेना और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। थल सेना में ही सिर्फ जाति आधारित भर्तियां होती हैं, वायु और नौ सेना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। ज्ञात हो कि भारतीय सेना के तीन जातियों (जाट, जाट सिख, राजपूत) से आनेवाले जवान ही सिर्फ आर्मी की सबसे पुरानी रेजिमेंट में, भारतीय राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड (पीबीजी) के तौर पर भर्ती हो सकते हैं।
रेजिमेंट और क्षेत्र का है रिश्ता 
इस एक रेजिमेंट को छोडक़र किसी अन्य रेजिमेंट में शामिल होने के लिए जाति कोई आधार नहीं है। क्षेत्र और धर्म के आधार पर भी भर्ती में भेदभाव का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि, समूह में कुछ रेजिमेंट में जवानों की भर्ती होती है जैसे मराठा रेजिमेंट, राजस्थान राइफल्स, डोगरा रेजिमेंट और जाट रेजिमेंट।
क्यों है यह मामला महत्वपूर्ण 
देश की कई अदालतों में समय-समय पर ऐसी याचिकाएं दाखिल की जाती रही हैं जिनमें सेना में जाति आधारित भर्तियों को रद्द करने की मांग की जाती है। इसे अंसवैधानिक करार देते हुए इस प्रावधान को खत्म करने की मांग समय-समय पर की जाती रही है।
आर्मी के पास हैं अपने तर्क 
आर्मी का कहना है कि पीबीजी में नियुक्ति का एक पुराना इतिहास रहा है और यह सिर्फ ऐतिहासिक परंपरा का ही उदाहरण है। यह ब्रिटिश काल से ही प्रक्रिया में है। ब्रिटिश साम्राज्य ने वीरता और वफादारी के अपने निजी अनुभव के आधार पर यह व्यवस्था शुरू की थी। 1857 की क्रांति के बाद से इस परंपरा पर जोर दिया गया था। 
भारतीय सेना क्षेत्र आधारित रेजिमेंट को जरूरी मानती है। सेना का कहना है कि प्रशासनिक सुविधा के साथ ऑपरेशन के दौरान इन क्षेत्र आधारित रेजिमेंट बहुत सहायक होते हैं। सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई समानता को ध्यान में रखते हुए इन रेजिमेंट्स को बनाया गया है। ऑपरेशन के दौरान ऐसी समानता के कारण युद्द क्षेत्र में संग्राम जीतना आसान रहता है।

पूर्व सीएम गेगांग अपांग ने बीजेपी से दिया इस्तीफा
Posted Date : 16-Jan-2019 9:28:52 am

पूर्व सीएम गेगांग अपांग ने बीजेपी से दिया इस्तीफा

ईटानगर ,16 जनवारी । अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग ने भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। भारत में दूसरे सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहे अपांग ने कहा है कि भाजपा अब पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांतों का पालन नहीं कर रही है। अपांग ने मंगलवार को अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भेजा था।
उत्तर पूर्व क्षेत्र में बीजेपी के पहले सीएम रहे गेगांग अपांग ने अपने इस्तीफे में कहा, ‘मुझे यह देखकर निराशा हुई कि बीजेपी इस समय स्वर्गीय वाजपेयी जी के सिद्धांतों का पालन नहीं कर रही है। पार्टी अब सत्ता पाने का जरिया बन गई है।’ उन्होंने कहा कि पार्टी ऐसे लोगों के नेतृत्व में काम कर रही है, जो विकेंद्रीकरण या लोकतांत्रिक फैसले नहीं लेते और जिन मूल्यों के लिए पार्टी की स्थापना की गई थी, उन पर विश्वास नहीं करते हैं। 
अपांग ने कहा, ‘बीजेपी और केंद्र सरकार सरकारी योजनाओं को आमलोगों तक पहुंचाने के मुद्दे पर नाकाम रही है। नगा शांति वार्ता, चकमा-हाजोंग मुद्दा, नागरिकता बिल, दूरसंचार व वास्तविक समय में डिजिटल कनेक्टिविटी के साथ ही बांग्लादेश, म्यांमार और चीन जैसे पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने जैसे अहम मुद्दों का समाधान खोजने में मोदी सरकार नाकाम रही है।‘
गेगांग अपांग ने यह भी कहा कि 2014 में अरुणाचल प्रदेश के लोगों ने बीजेपी को सरकार बनाने का जनादेश नहीं दिया था। बीजेपी नेतृत्व ने डर्टी ट्रिक्स का इस्तेमाल कर दिवंगत कलिखो पुल को मुख्यमंत्री बनाया था। उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट के एक प्रतिकूल फैसले के बावजूद, बीजेपी ने राज्य में सरकार बनाई। पुल की आत्महत्या के मामले में भी उचित जांच नहीं की गई और न ही वर्तमान बीजेपी नेतृत्व ने पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में सरकार बनाने में नैतिकता का ख्याल रखा। 
अपांग ने कई अन्य मुद्दों को लेकर भी अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग ने साल 2014 में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। गेगांग अपांग लगभग 22 साल तक अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे। इससे पहले अपांग बीजेपी 2003 में अरुणाचल में बीजेपी नीत गठबंधन सरकार का 42 दिनों तक नेतृत्व किया था।