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राहुल ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर नमन किया
Posted Date : 30-Jan-2019 11:45:00 am

राहुल ने महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर नमन किया

नयी दिल्ली,30 जनवरी । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें नमन किया। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, बापू को उनकी पुण्यतिथि पर शत्शत् नमन। उन्होंने महात्मा गांधी के एक प्रसिद्ध कथन को उद्धृत करते हुए कहा, एक समाज की महानता और प्रगति का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि वहां कमजोर और असुरक्षित सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है- महात्मा गांधी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा, महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन। उन्होंने कहा, सांप्रदायिकता, नफरत की सोच, जिसकी वजह से बापू शहीद हुए, वही सोच आज भी देश के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है। उस सोच की पराजय में ही बापू का विजय है।  पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने भी बापू को श्रद्धांजलि दी।

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और पीएम ने दी श्रद्धांजलि
Posted Date : 30-Jan-2019 11:43:49 am

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और पीएम ने दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली ,30 जनवरी । राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 71वीं पुण्यतिथि पर आज राजघाट जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और तीनों सेनाओं के अध्यक्षों ने भी बापू को राजघाट पर श्रद्धांजलि दी।
30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। महात्मा गांधी वीवीआईपी कल्चर और नेताओं को दी जाने वाली सुरक्षा के सख्त खिलाफ थे। यहां तक कि जब केंद्र सरकार ने उन पर जान के खतरे की आशंका जताते हुए सुरक्षा की आवश्यकता बताई थी, तब भी उन्होंने इनकार कर दिया था। गांधी ने अधिकारियों को लगभग चेतावनी भरे लहजे में यह भी कहा था कि अगर उन पर जबरदस्ती सुरक्षा थोपी गई तो वह दिल्ली छोड़ देंगे।

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सूखे के कारण हजारों मछलियों की मौत, सफेद हो गई नदी
Posted Date : 30-Jan-2019 11:42:48 am

सूखे के कारण हजारों मछलियों की मौत, सफेद हो गई नदी

सिडनी ,30 जनवरी । सूखे की मार झेल रहे ऑस्ट्रेलिया में एक प्रमुख नदी में हजारों मछलियां मृत पाई गई हैं। आशंका जताई जा रही है कि मछलियों के मरने की सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है। मामले से संबंधित अथॉरिटी ने इस संबंध में चेतावनी दी है। इससे अब पारिस्थितिक आपदा का खतरा मंडराने लगा है। अधिकारियों और स्थानीय लोगों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
दो महीने से भी कम समय में इस क्षेत्र में इतनी बड़ी तादाद में मछलियों के मारे जाने की यह तीसरी घटना है। मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस बात की जानकारी होने के बाद वे सुदूरवर्ती पश्चिम न्यू साउथ वेल्स राज्य के एक छोटे से शहर मेनिन्डी के लिए रवाना हो गए। यह कस्बा डार्लिंग नदी के पास स्थित है, जो हजारों किलोमीटर फैले मुर्रे-डार्लिंग नदी तंत्र का हिस्सा है, जिसे देश के कृषि क्षेत्र की जीवनरेखा माना जाता है।
मेनिन्डी के पर्यटन संचालक रॉब ग्रेगोरी ने बताया, ‘काफी संख्या में छोटी (मृत) मछलियां मिली हैं, पिछली दो घटनाओं में भारी संख्या में बड़ी मछलियां पहले ही मारी जा चुकी हैं।

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चीन आर्थिक गुप्तचरी मामले में 56 कार्यालयों में जांच जारी : एफबीआई
Posted Date : 30-Jan-2019 11:40:46 am

चीन आर्थिक गुप्तचरी मामले में 56 कार्यालयों में जांच जारी : एफबीआई

वाशिंगटन,30 जनवरी । संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने कांग्रेस को मंगलवार को बताया कि देशभर में उसके करीब 56 कार्यालयों में चीनी आर्थिक गुप्तचरी के मामले में जांच जारी है। एफबीआई के निदेशक ने विदेशी खतरों पर सीनेट की खुफिया समिति की सुनवाई में कहा, ‘‘हम वस्तुत: हमारे सभी 56 क्षेत्र कार्यालयों में से हर एक में आर्थिक गुप्तचरी के मामले में जांच कर रहे हैं।’’ रे का यह बयान अमेरिकी न्याय मंत्रालय के ओर से चीन की टेलीकॉम कपंनी ‘हुआवेई’ पर व्यापार संबंधी खुफिया जानकारी चुराने और ईरान पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने का आरोप लगाने के एक दिन बाद आया है। उन्होंने कहा, ‘‘ पिछले तीन या चार वर्ष में इनकी संख्या दोगुनी हुई है और इनमें से सब नहीं लेकिन अधिकतर का नाता चीन से है।’’ सुनवाई में अमेरिकी खुफिया प्रमुख ने कहा कि चीन, अमेरिका के लिए राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक रूप से सबसे शक्तिशाली खतरा है और यह खतरा बढ़ रहा है। रक्षा खुफिया एजेंसी के निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रॉबर्ट एशले ने सुनवाई में कहा कि बीजिंग नेतृत्व और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीनी उद्योगपतियों के लिए बिना किसी चिंता के केवल कारोबार करना मुश्किल बना दिया है।

एनडीएफबी चीफ रंजन दैमारी समेत 15 दोषी करार
Posted Date : 29-Jan-2019 12:07:40 pm

एनडीएफबी चीफ रंजन दैमारी समेत 15 दोषी करार

असम सीरियल ब्लास्ट 2008
गुवाहाटी  । केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने 30 अक्टूबर, 2008 को असम में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में नैशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के प्रमुख रंजन दैमारी सहित 15 लोगों को दोषी ठहराया है। दोषियों को बुधवार को सजा सुनाई जाएगी। दैमारी इस सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में मुख्य आरोपी था, जिसमें 88 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 540 अन्य घायल हुए थे।
बता दें कि 30 अक्टूबर 2008 को गुवाहाटी के गणेशगुरी, पानबाजार और कचहरी क्षेत्र में और बारपेटा, कोकराझार और बोंगाईगांव में करीब-करीब एकसाथ बम धमाके हुए थे। सीबीआई ने 2009 में एनडीएफबी प्रमुख और 22 लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था। आरोप-पत्र में 650 प्रत्यक्षदर्शियों के नाम थे और पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स, पकड़े गए लोगों के कबूलनामे, कुछ आरोपियों द्वारा कॉल की जानकारी समेत 682 दस्तावेज शामिल थे। 
अभियोजन के अनुसार, कुल मिलाकर नौ विस्फोट किए गए थे, जिसमें से गुवाहाटी में हुए तीन विस्फोटों में 53 लोग मारे गए थे। कोकराझार में हुए तीन विस्फोट में 20 लोग और बारपेट में हुए विस्फोट में 15 लोग मारे गए थे। बोंगईगांव में हुए विस्फोट में कोई हताहत नहीं हुआ था। दैमारी को बांग्लादेश में गिरफ्तार किया गया था और मई 2010 में उसे भारतीय अधिकारियों को सुपुर्द कर दिया गया था। डी.आर. नाबला के रूप में भी पहचाने जाने वाले दैमारी ने 3 अक्टूबर, 1986 को बोडो सुरक्षा बल का गठन किया था और बाद में इसका नाम बदलकर एनडीएफबी कर दिया था। हालांकि, इस संगठन ने 2005 में भारत सरकार के साथ संघर्ष विराम का समझौता किया था लेकिन उसने प्राय: समझौते का उल्लंघन किया। जांच एजेंसी द्वारा 2008 में सिलसिलेवार बम विस्फोट में दैमारी को नामजद करने के बाद संगठन दो भागों में बंट गया था। संगठन ने इसके साथ ही दैमारी को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद उसने एनडीएफबी (रंजन) नामक गुट बना लिया। सिलसिलेवार विस्फोट में दैमारी के खिलाफ कुल 14 मामले दर्ज किए गए। सीबीआई ने यह देखते हुए कि वह सरकार के साथ शांति वार्ता में भाग ले रहा है, उसकी सशर्त जमानत पर कोई आपत्ति नहीं की थी, जिसके बाद उसे 2013 में जमानत दे दी गई।

स्कूलों में संस्कृत में प्रार्थना हो या नहीं, संविधान बेंच तय करेगी
Posted Date : 29-Jan-2019 12:07:04 pm

स्कूलों में संस्कृत में प्रार्थना हो या नहीं, संविधान बेंच तय करेगी

नई दिल्ली  । केंद्रीय विद्यालयों की तरह स्कूलों में असतो मा सद्गमय जैसी धार्मिक प्रार्थनाएं गाई जा सकती हैं या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ फैसला करेगी। खुद को नास्तिक कहने वाले विनायक शाह की ओर से दायर जनहित याचिका में देश भर में केंद्र सरकार के प्रशासन वाले स्कूलों में इसे प्रार्थना के तौर पर शुरू करने की सरकारी नीति को चुनौती दी गई थी।
शाह ने दावा किया था कि केंद्रीय विद्यालय संगठन की ओर से 28 दिसंबर, 2012 को जारी संशोधित एजुकेशन कोड में सभी छात्रों के लिए सुबह की प्रार्थना में इसे गाना अनिवार्य बनाया गया था। इससे नास्तिक विचारधारा रखने वाले लोगों को परेशानी हुई है। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन देने के बावजूद इस चलन को बंद नहीं किया गया है। 
शाह ने दलील दी थी कि स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के दौरान धार्मिक स्तुतियां और प्रार्थना गाना संविधान के आर्टिकल 28 के तहत निषेध है। यह आर्टिकल सरकारी स्कूलों और सरकार से अनुदान प्राप्त करने वाले स्कूलों में किसी धार्मिक निर्देश पर विशेष रोक लगाता है। यह धर्मनिरपेक्षता का एक अनिवार्य हिस्सा है। शाह की ओर से सीनियर एडवोकेट कोलिन गोंजाल्विस कोर्ट में दलीलें दे रहे हैं। उनकी दलील थी कि संविधान के तहत प्रत्येक व्यक्ति को एक मूलभूत अधिकार के तौर पर अपने तरीके से प्रार्थना करने की अनुमति या कोई प्रार्थना न करने की अनुमति है। शाह ने कहा कि स्कूलों में कुछ भी अनिवार्य तौर पर शुरू नहीं किया जा सकता।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि संस्कृत श्लोक असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय... कोई धार्मिक उपदेश नहीं है बल्कि ये यूनिवर्सल सत्य है। इसे सभी धर्म और मान्यताओं में माना जाता है। 

क्रिश्चन स्कूलों में ईमानदारी को सर्वोपरि नीति बताया जाता है तो क्या इसे भी धार्मिक मसला कहा जाएगा? इस पर जस्टिस नरीमन ने कहा कि लेकिन यह श्लोक तो उपनिषद से लिया गया है। तब सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आधिकारिक लोगो (चिह्न) भी तो भगवद् गीता से लिया गया है। कोर्ट में जज जहां बैठते हैं, उनके ठीक पीछे ...यतो धर्मस्य ततो जय लिखा हुआ है यानी जहां धर्म है, वहां विजय है। इसमें कुछ भी धार्मिक और सांप्रदायिक नहीं है। लेकिन जस्टिस नरीमन ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट हैं कि मामला संविधान बेंच को रेफर किया जाए। जस्टिस नरीमन ने इस मामले को एक उपयुक्त बेंच के सामने सुनवाई के लिए रखने के उद्देश्य से देश के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के पास भेज दिया।