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वैदिक मंत्रोच्चार के साथ केदारनाथ धाम के कपाट खुले, 15 क्विंटल फूलों से सजा मंदिर
Posted Date : 07-May-2022 4:19:35 am

वैदिक मंत्रोच्चार के साथ केदारनाथ धाम के कपाट खुले, 15 क्विंटल फूलों से सजा मंदिर

देहरादून। उत्तराखंड में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ केदारनाथ धाम के कपाट खुल गए हैं। कपाट को खोले जाने के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी हिस्सा लिया। चार धाम यात्रा के मौके पर केदारनाथ मंदिर को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया। केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के दौरान 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु मौजूद रहे। केदारनाथ धाम के कपाट शुभ मुहूर्त में शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 26 मिनट पर खोले गए। अब 6 महीने तक बाबा के भक्त केदार धाम में उनके दर्शन और पूजा-अर्चना कर पाएंगे। इससे पहले गुरुवार को भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली भक्तों के जयकारों के साथ धाम पहुंच गई थी।
यहां बाबा की डोली को मंदिर के पास विराजमान किया गया। कपाट खुलने के बाद बाबा की पंचमुखी मूर्ति केदार मंदिर में विराजमान हुई। विधिविधान और धार्मिक परंपराओं के साथ बाबा केदारनाथ के कपाट खोले दिए गए हैं। वहीं पहली पूजा पीएम नरेंद्र मोदी के नाम से की गई। वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भी पूजा-अर्चना कर बाबा केदार का आशीर्वाद लिया।
बाबा केदार की उत्सव डोली को मुख्य पुजारी केदार लिंग द्वारा भोज लगाया गया और पूजा की गई। इसके बाद डोली को सजाया गया। केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग, वेदपाठियों, पुजारियों, हक्क हकूकधारियों की मौजूदगी में कपाट पर वैदिक परंपराओं के अनुसार मंत्रौच्चारण किया गया और शुभ मुहूर्त पर कपाट खोले गए और डोली को मंदिर में प्रवेश कराया गया। इस दौरान केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग और सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत बीकेटीसी के सदस्य भी मौजूद रहे।

चारधाम यात्रा के लिए अभी तक 3,56,148 श्रद्धालुओं ने कराया पंजीकरण
Posted Date : 02-May-2022 3:11:50 am

चारधाम यात्रा के लिए अभी तक 3,56,148 श्रद्धालुओं ने कराया पंजीकरण

ऋषिकेश  ।  अक्षय तृतीया के रोज चारधाम यात्रा का शुभारंभ होने जा रहा है। यात्रा के प्रमुख संचालन केंद्र ऋषिकेश में यात्रा से संबंधित सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। यात्रा शुभारंभ होने से 48 घंटा पहले ऋषिकेश में कई प्रांतों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। ऋषिकेश स्थित पंजीकरण केंद्र में दोपहर 12.00 बजे तक 650 श्रद्धालु अपना पंजीकरण करा चुके हैं। तीन मई अक्षय तृतीया के दिन यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट विधिवत पूजा अर्चना के साथ खुल जाएंगे। एक रोज पूर्व सोमवार को ऋषिकेश से यात्रियों का जत्था यात्रा के लिए रवाना होगा। सभी यात्रियों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण की व्यवस्था की गई है।
यात्रा शुभारंभ होने से 48 घंटा पूर्व यात्रा संचालन केंद्र बस टर्मिनल कंपाउंड में जम्मू, राजस्थान, नेपाल आदि क्षेत्र से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। यह सभी लोग यहां पंजीकरण करा रहे हैं। इस वर्ष पंजीकरण कराने वाली एथिक्स इन्फोटेक कंपनी की ओर से कर्मचारियों के जरिए पंजीकरण की व्यवस्था की गई है।
इसके अतिरिक्त यात्री स्वयं अपना पंजीकरण करा सकते हैं। उसके लिए आठ कियोक्स की व्यवस्था की गई है। कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रेम अनन्त ने बताया कि रविवार दोपहर 12:00 बजे तक 650 श्रद्धालु अपना पंजीकरण करा चुके हैं। चारधाम यात्रा पर जाने वाले 3,56,148 श्रद्धालुओं ने रविवार दोपहर 12.00 बजे तक अपना पंजीकरण कराया है।
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से पंजीकरण के लिए वेबसाइट एचटीटीपी://रेजिस्ट्रेशनएंड टूरिस्टकेअरडॉटयूकेडॉट जीओवीडॉटइन
जारी की गई है। अब तक यमुनोत्री के लिए 59,395, गंगोत्री के लिए 61,403, केदारनाथ के लिए 1,28,696, बदरीनाथ के लिए 1,03,692 और श्री हेमकुंड धाम के लिए 2962 यात्रियों ने अपना पंजीकरण कराया है।
उधर, परिवहन विभाग की ओर से यात्रा मार्ग पर रविवार से चेक पोस्ट खोल दी गई है। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन अरविंद कुमार पांडेय ने बताया कि गंगोत्री हाइवे पर भद्रकाली और बदरीनाथ हाईवे पर ब्रम्हपुरी में चैक पोस्ट स्थापित कर वहां अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है। रविवार से ही अन्य प्रांत से आने वाले वाहनों के लिए ग्रीन कार्ड सुविधा उपलब्ध करा दी गई है।

भारत का फार्मा निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में 103 प्रतिशत बढ़ा
Posted Date : 02-May-2022 3:11:26 am

भारत का फार्मा निर्यात वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में 103 प्रतिशत बढ़ा

नई दिल्ली । भारत के फार्मा निर्यात ने वित्त वर्ष 2013-14 की तुलना में 103 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज कराई है और यह वित्त वर्ष 2013-14 के 90,415 करोड़ रूपये से बढ़ कर वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 1,83,422 करोड़ रुपये तक पहंच गया है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अर्जित निर्यात फार्मा सेक्टर का अब तक का सर्वश्रेष्ठ निर्यात प्रदर्शन है। यह एक उल्लेखनीय बढोतरी है जब निर्यात में 8 वर्षों में लगभग 10 बिलियन डॉलर की वृद्धि हो चुकी है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने एक ट्वीट के माध्यम से इस उपलब्धि को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सक्रिय नेतृत्व में भारत ‘विश्व के फार्मेसी’ के रूप में सेवा करता रहा है।
पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के असाधारण प्रदर्शन के आधार पर, भारतीय फार्मा निर्यात ने एक बार फिर वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान स्वस्थ प्रदर्शन दर्ज कराया है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान फार्मा निर्यात ने वैश्विक व्यापार बाधाओं तथा कोविड संबंधित दवाओं की मांग में कमी के बावजूद सकारात्मक वृद्धि बनाये रखी है। 15175.81 मिलियन डॉलर के अधिशेष के साथ व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में बना हुआ है।
अपनी कीमत प्रतिस्पर्धात्मकता तथा अच्छी गुणवत्ता के कारण सक्षम भारतीय फार्मा कंपनियों ने वैश्विक पहचान बनाई है जिसमें विश्व के 60 प्रतिशत टीके तथा 20 प्रतिशत जेनेरिक दवाएं भारत से आती हैं।
भारत मात्रा के हिसाब से दुनिया भर में तीसरे तथा मूल्य के लिहाज से विश्व में 14वें स्थान पर है। भारत की फार्मा सफलता गाथा के पीछे हमारी विश्व स्तरीय विनिर्माण उत्कृष्टता, मजबूत बुनियादी ढांचा, लागत-प्रतिस्पर्धात्मकता, प्रशिक्षित मानव पूंजी तथा नवोन्मेषण है। भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग का वर्तमान बाजार आकार लगभग 50 बिलियन डॉलर है।
हमारे वैश्विक निर्यातों में फार्मास्यूटिकल तथा औषधियों का हिस्सा 5.92 प्रतिशत है। फॉर्मूलेशन तथा बायोलॉजिकल्स की हमारे कुल निर्यातों में 73.31 प्रतिशत की प्रमुख हिस्सेदारी है जिसके बाद 4437.64 मिलियन डॉलर के निर्यातों के साथ बल्क ड्रग्स तथा ड्रग इंटरमीडिएट्स का स्थान आता है। भारत के शीर्ष फार्मा निर्यात गंतव्य देश हैं: अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, रूस तथा नाईजीरिया।
यह भी उल्लेखनीय है कि भारतीय फार्मा निर्यात का लगभग 55 प्रतिशत उच्च रूप से विनियमित बाजारों की मांग की पूर्ति करते हैं। भारतीय फार्मा कंपनियों की अमेरिका तथा यूरोपीय संघ में प्रिसक्रिप्शन बाजार में उल्लेखीनीय हिस्सेदारी है। अमेरिका के बाहर एफडीए स्वीकृत संयंत्रों की सबसे बड़ी संख्या भारत में है।
वित्त वर्ष 2020-21 में भी, भारतीय ड्रग्स तथा फार्मास्यूटिकल्स ने कोविड के निराशाजनक माहौल में तेज वृद्धि दर्ज कराई थी और 18 प्रतिशत की वर्ष दर वर्ष वृद्धि के साथ 24.4 बिलियन डॉलर का निर्यात दर्ज कराया था।
वित्त वर्ष 2020-21 में असाधारण निर्यात वृद्धि बार-बार होने वाले लॉकडाउन, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधाओं तथा निराशाजनक विनिर्माण सेक्टर की समस्याओं का सामना करते हुए हासिल की गई थी। भारतीय फार्मा उद्योग ने कोविड महामारी के खिलाफ मुकाबला करने तथा दुनिया को यह प्रदर्शित करते हुए कि जब वैश्विक स्वास्थ्य संकट से निपटने की बात आती है तो हम लगातार एक विश्वसनीय तथा भरोसेमंद साझीदार बने रहते हैं, में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत के टीकों के उद्योग ने अमेरिका तथा यूरोपीय संघ जैसे उच्च रूप से विकसित देशों के मुकाबले सबसे कम समय में आईसीएमआर तथा एनआईवी जैसे भारत के अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से स्वदेशी प्रौद्योगिकीयों के साथ कोविड टीके का विकास किया है। भारत ने 97 से अधिक देशों को टीकों की 115 मिलियन से अधिक खुराकें उपलब्ध कराईं।
व्यापार समझौते के हिस्से के रूप में, भारत ने यूएई तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ भी सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए जो भारतीय फार्मा उत्पादों को इन बाजारों में अधिक पहुंच उपलब्ध कराएगा। 

मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार कल छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में समग्र क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी) का शिलान्यास करेंगे
Posted Date : 02-May-2022 3:10:49 am

मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार कल छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में समग्र क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी) का शिलान्यास करेंगे

नई दिल्ली । केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार कल छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में दिव्यांगजनों के कौशल विकास, पुनर्वास और सशक्तिकरण के लिए समग्र क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी) के नए भवन का वर्चुअल माध्यम से शिलान्यास करेंगे।
इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री कुमारी प्रतिमा भौमिक, छत्तीसगढ़ सरकार की महिला और बाल विकास व समाज कल्याण मंत्री श्रीमती अनिला भेडिय़ा, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव निर्वाचन क्षेत्र के सांसद संतोष पाण्डेय,सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय केदिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की सचिव श्रीमती अंजलि भावरा, राजनांदगांव विधान सभा के सदस्यऔर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, सिकंदराबाद स्थित राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीआईडी) के निदेशक (कार्यवाहक) बी.वी. राम कुमार और राजनांदगांव स्थित सीआरसीके निदेशक कुमार राजू भी उपस्थित रहेंगे।
इस समारोह के दौरान 500 पात्र लाभार्थियों को कुल 33,28,681 रुपये की लागत से सहायक उपकरण औरशिक्षण सामग्री किट भी वितरित किए जाएंगे।
भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने दिव्यांगजनों के कौशल विकास, पुनर्वास और सशक्तिकरण के लिए राजनांदगांव में समग्र क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी) की स्थापना जून, 2016 में की थी। इसके बाद से सीआरसी एक अस्थायी परिसर में काम कर रहा है। इसके लिएजिला प्रशासन ने क्लिनिकल सेवाएं, प्रशासन और स्टोर की सुविधा के लिए 15 कमरे आवंटित किए हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस संस्थान को स्थायी भवन निर्माण के लिएराजनांदगांव के ठाकुरटोलामें 5 एकड़ भूमि आवंटित की है।
इस प्रस्तावित नए भवन में 24.28 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ विभिन्न सेवाओं के लिए 4,105.22 वर्गमीटर का मुख्य क्षेत्र होगा। इन सेवाओं में मूल्यांकन, चिकित्सीय सेवाएं, मनोविज्ञान, विशेष शिक्षा, क्रॉस-दिव्यांगता शुरुआती हस्तक्षेप केंद्र, कौशल प्रशिक्षण, दीर्घावधि और लघु प्रशिक्षण कार्यक्रम, प्रशासन, सम्मेलन कक्ष, राहत देखभाल औरअतिथि कक्षआदि शामिल हैं।
इस भवन में सब-स्टेशन, अग्निशमन प्रणाली, अग्नि चेतवानी प्रणाली, लिफ्ट, स्ट्रीट लाइटिंग, डीजी सेट, सीसीटीवी प्रणाली, यूपीएस, ईपीएबीएक्स प्रणाली, लैन नेटवर्किंग सहायक उपकरण और एसटीपी का भी प्रावधान होगा।
यह केंद्र कई तरह की सेवाएं प्रदान करता है। इनमें शुरुआती पहचान व हस्तक्षेप,पेशेवर चिकित्सा,फिजियोथेरेपी, शारीरिक चिकित्सा व पुनर्वास,मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप,प्रोस्थेटिक्स व ऑर्थोटिक्स, भाषा बोलना व सुनना, विशेष शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण, व्यावसायिक प्रशिक्षण, सहायक उपकरणों का वितरण,अध्यापन शिक्षण व संचार सामग्री, समाजिक कार्य, प्लेसमेंट (रोजगार लेना), आउटरीज सेवाएं, मानव संसाधन विकास, अनुसंधान व विकास छत्तीसगढ़ राज्य के लिए राजनांदगांव स्थित सीआरसी की किरण मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन (एमएचआरएच), कृत्रिम अंगों सहित शारीरिक अक्षमता सहायक उपकरणों का नियमित वितरण,एडीपीआई योजना के तहत बौद्धिक दिव्यांगजनों के लिए अध्यापनव शिक्षण सामग्री (टीएलएम) किट और श्रवण बाधितों के लिए बीटीई श्रवण यंत्र शामिल हैं।

सुरक्षाबलों के जवानों के लिए सप्ताह में 3 दिन 72 सीटर विमान उडऩ भरेगी 7 से
Posted Date : 02-May-2022 3:10:05 am

सुरक्षाबलों के जवानों के लिए सप्ताह में 3 दिन 72 सीटर विमान उडऩ भरेगी 7 से

० केंद्रिय गृह मंत्रालय ने सिर्फ नक्सल मोर्चे पर तैनात सुरक्षाबलों के जवानों के लिए दी है यह सुविधा 
जगदलपुर । बस्तर में नक्सल ग्रस्त क्षेत्रों में तैनात अर्धसैनिक बलों के जवानों को छुट्टी पर जाने में सुविधा के लिए केंद्रिय गृह मंत्रालय ने जगदलपुर से सीधे प्लेन में रायपुर और दिल्ली तक पंहुचाने के लिए एक नई व्यवस्था प्रदान किए हैं। जिसके तहत विमान कंपनी इंडिगो 07 मई से सप्ताह में तीन दिन जगदलपुर से रायपुर होकर दिल्ली तक के लिए एक 72 सीटर विमान उड़ाने की योजना बनाई है। जिसमें सिर्फ नक्सल मोर्चे पर तैनात सुरक्षाबलों के जवान और अफसर ही यात्रा कर सकेंगे, इस सुविधा की जानकारी मिलने के बाद सुरक्षाबलों के जवानों और अधिकारियों में काफी खुशी है। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार बस्तर समेत दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव और कांकेर में पैरा मिलिट्री फोर्स के जवान तैनात हैं। इसके अलावा ओडिशा के मलकानगिरी और कोरापुट में भी सुरक्षाबल के जवान तैनात हैं। जिन्हें जगदलपुर से जवानों के लिए हवाई सेवा शुरू होने पर काफी सहूलियत मिलेगी। इससे पहले वायु सेना का विमान जवानों को जगदलपुर लेने और दिल्ली छोडऩे जाता था, लेकिन महीने में केवल एक बार उड़ान भरने से जवानों को दिक्कत होती थी। वहीं अब 07 मई से शुरू होने वाली इंडिगो विमान सप्ताह में तीन दिन जगदलपुर से रायपुर और दिल्ली के लिए उड़ान भरेगी। जिससे जवानों को मिलने वाली छुट्टी में समय की बचत होगी, साथ ही जवान आरामदायक सफर कर अपने घर जा सकेंगे।
बस्तर में तैनात जवानों का कहना है कि केवल जवानों के लिए ही फ्लाइट होने से उन्हें काफी सहूलियत मिलेगी, वे अब छुट्टी के दिन ही अपने घर पहुंच सकेंगे। जवानों ने बताया कि कैंप से जगदलपुर शहर तक पहुंचना और फिर जगदलपुर से रायपुर जाना, उसके बाद ट्रेन से अपने घर जाने के दौरान सफर में ही छुट्टी के आधे दिन बीत जाते थे। यदि जगदलपुर से रायपुर और दिल्ली के लिए फ्लाइट शुरू होती है तो जवानों को काफी राहत मिलेगी। 
जगदलपुर एयरपोर्ट के डायरेक्टर के.के भौमिक ने बताया कि अर्धसैनिक बलों के लिए इंडिगो 72 सीटर विमान चलाएगा, यह सिर्फ अर्धसैनिक बलों के जवानों और अधिकारियों लिए उपलब्ध होगी। 

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने 17 सांसदों, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री और अधिकारियों के साथ राजस्थान में जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन की समीक्षा की
Posted Date : 30-Apr-2022 3:49:24 am

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने 17 सांसदों, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री और अधिकारियों के साथ राजस्थान में जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन की समीक्षा की

नई दिल्ली। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज जयपुर में राजस्थान के 17 सांसदों और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी (पीएचईडी) के अधिकारियों के साथ जल जीवन मिशन (जेजेएम) पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक का उद्देश्य राज्य में मिशन के क्रियान्वयन को गति देना था। सभी एक्जीक्यूटिव इंजीनियर/सुपरिंटेंडेन्ट इंजीनियर वर्चुअल  माध्यम से हिस्सा ले रहे थे। बैठक राजस्थान पीएचईडी के एसीएस के स्वागत भाषण से शुरू हुई। उसके बाद अपर सचिव और राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के निदेशक ने एक संक्षिप्त प्रस्तुतिकरण दिया, जिसमें मिशन का परिचय तथा राष्ट्रीय औसत के मद्देनजर राजस्थान के विभिन्न जिलों में क्रियान्वयन की स्थिति के बारे में बताया गया। उन्होंने योजना की स्थिति तथा मिशन के क्रियान्वयन में सांसदों की भूमिका के बारे में भी जानकारी दी।
दिन भर चलने वाली समीक्षा बैठक में सक्रिय भागीदारी करने पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने राजस्थान के सभी संसदों को धन्यवाद दिया। उन्होंने उनकी चिंताओं और मूल्यवान सुझावों की भी प्रशंसा की, जो सांसदों ने मिशन के क्रियान्वयन को तेज करने के लिये दिये थे। उन्होंने सबको कार्य की गुणवत्ता के प्रति आश्वस्त किया। जीवन में आमूल बदलाव लाने के लिये केंद्र सरकार द्वारा किये जाने वाले कामों का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि गरीबों और वंचितों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है तथा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ‘कोई भी पीछे न छूट जाये।’ उन्होंने राजस्थान जैसे राज्य के संदर्भ में जल जीवन मिशन के महत्व को रेखांकित किया। शेखावत ने कहा कि सामुदायिक भागीदारी और सशक्तिकरण ही जल जीवन मिशन की आत्मा है, जो उसे सफलता की ओर ले जायेगी। इसलिये, राज्य को स्थानीय ग्रामीण समुदायों को मिशन कार्य में संलग्न करना चाहिये तथा जल जीवन मिशन को ‘जन आंदोलन’ बनाने के लिये सांसदों की सक्रिय भूमिका भी सुनिश्चित करना चाहिये।
शेखावत ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों से अपील की कि वे नियमित निगरानी और खामियों को दूर करने के उपायों के जरिये काम की गुणवत्ता सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दें। उन्होंने आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार द्वारा निधि की कमी नहीं होगी और केंद्र राज्य को पूरा सहयोग देगा, ताकि तय समय सीमा में ‘हर घर जल’ का लक्ष्य पूरा हो जाये। उन्होंने राज्य पीएचईडी मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों से आग्रह किया कि राज्य में पेयजल आपूर्ति से जुड़े किसी भी मुद्दे पर वे लोग कभी भी उनसे संपर्क कर सकते हैं।
अंत में उन्होंने पेयजल स्रोत में सुधार की बात की, ताकि ग्रामीण घरों में जलापूर्ति में व्यवधान न आने पाये। उन्होंने एमजीएनआरईजीएस, 15वें वित्त आयोग समर्थित अनुदान, डीएमडीएफ आदि, जैसे स्रोतों को मद्देनजर रखते हुये ग्रामीण स्तर पर विभिन्न योजनाओं की पड़ताल करने पर जोर दिया।
राजस्थान के पीएचईडी मंत्री ने कहा कि नल से जल सुविधा कायम रखने और ‘ढाणी’ नामक दूर-दराज की तमाम छोटी-छोटी बस्तियों तक पानी पहुंचाने में राज्य को भौगोलिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि राज्य के लिये मिशन के कार्यान्वयन को तेज करने की जरूरत है और साथ में काम की गुणवत्ता भी सुनिश्चित करनी है।
अगस्त, 2019 में मिशन की शुरुआत के बाद से राज्य के 105.69 लाख ग्रामीण घरों में से केवल 11.74 लाख घरों तक ही नल से जल पहुंचा था, जो अब तक 25.61 लाख घर (24.23 प्रतिशत) हो गया है। राज्य को केंद्रीय अनुदान के रूप में लगभग 11,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गये हैं, जो 15वें वित्त आयोग की पेयजल तथा स्वच्छता सम्बंधी सिफारिशों पर दिये गये हैं। यह अनुदान आरएलबी/पीआरआई के सम्बंध में है। राज्य की योजना है कि 2022-23 में 32.64 लाख ग्रामीण घरों तक नल से जल पहुंचा दिया जाये। इसके लिये वार्षिक कार्य योजना को जल शक्ति मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है।
सांसदों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में कार्य की प्रगति, कार्य की गुणवत्ता आदि पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि इन दोनों चीजों पर फौरन ध्यान दिया जाना चाहिये, पेयजल की गुणवत्ता सुधारी जानी चाहिये, नियमित जलापूर्ति हो, इस कार्य में स्थानीय समुदायों, विशेषकर ग्राम पंचायतों/ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति को संलग्न किया जाये। ये निकाय योजना की शुरुआत से जोड़े जायें और कार्यान्वयन की निगरानी करें, ताकि काम की गुणवत्ता सुनिश्चित हो और तमाम गांवों से सम्बंधित योजनाओं/प्रमुख परियोजनाओं के लिये उचित जल आवंटन हो सके। छोटी योजनाओं का भी ध्यान रखा जाये। इसके अलावा सांसदों ने योजना और वास्तविकता के आधार पर घरों की संख्या में तालमेल न होने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने बताया कि ज्यादातर गांवों में काम नहीं शुरू हुआ है, जिला कार्य योजनाओं को अंतिम रूप नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि जैसलमेर, बारमेड़, जोधपुर, पाली आदि जैसे रेगिस्तानी इलाकों में, जहां पानी कनेक्शन कठिन प्रतीत होता है, वहां के लिये फौरन योजना पर अमल शूरू हो।
सांसदों ने राज्य सरकार से यह भी आग्रह किया कि वे योजना शुरू होने से लेकर उसकी कारगर निगरानी, मिशन के बेहतर कार्यान्वयन से सांसदों को जोड़ें, ताकि इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य पूरा किया जा सके। सबने इस बात पर भी सहमति जताई कि हर निर्माण स्थल का ब्यौरा निश्चित जगह पर बोर्ड पर दिया जाये, जिसमें पेय जल आपूर्ति, अनुमानित लागत, नलों की संख्या, काम करने वाले का संपर्क विवरण, पीएचईडी इंजीनियर का संपर्क विवरण, जीपी/वीडब्ल्यूएससी अध्यक्ष आदि का विवरण शामिल हो। यह सुझाव भी दिया गया कि चालू और अंतिम बिल के भुगतान के लिये कोई जीपी/वीडब्ल्यूएससी प्रतिनिधियों के साथ तीसरा पक्ष संयुक्त निरीक्षण करे। यह मांग भी रखी गई कि पशुधन के लिये भी जलापूर्ति का प्रावधान किया जाये क्योंकि देश में सबसे ज्यादा पशुधन राजस्थान में हैं। सांसदों ने ‘हर घर जल’ गांवों के प्रमाणीकरण की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ग्राम सभाओं के साथ बात की जाये और यह संकल्प किया जाये कि गांव के हर घर और सार्वजनिक संस्थानों को पेयजल आपूर्ति की जाये।
राजस्थान पीएचईडी के अपर मुख्य सचिव ने सभी प्रतिभागियों को उनके अमूल्य सुझावों के लिये धन्यवाद दिया और आश्वस्त किया कि राज्य की टीम नई ऊर्जा और उत्साह के साथ काम करेगी, ताकि राज्य के हर ग्रामीण घर में नल से जल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।