छत्तीसगढ़

फील्ड आउटरीच ब्यूरो ने 21 से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ सप्ताह का आयोजन
Posted Date : 19-Jan-2019 12:41:24 pm

फील्ड आउटरीच ब्यूरो ने 21 से बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ सप्ताह का आयोजन

रायपुर, 19 जनवरी ।  बेटी बचाओ बेटी पढाओ (बीबीबीपी) अवधारणा के बारे में अधिक प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से, रीजनल आउटरीच ब्यूरो छत्तीसगढ़, रायपुर के तत्वावधान में पेंटिंग प्रतियोगिताओं, स्वास्थ्य और पोषण पर वार्ता। 23 जनवरी को वृक्षारोपण, महिलाओं में, 21 जनवरी से राज्य के विभिन्न हिस्सों में, फील्ड आउटरीच ब्यूरो द्वारा छह दिवसीय बेटी बचाओ बेटी पढाओ सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। 21  से 26 जनवरी तक आयोजित बीबीबीपी अभियान के दौरान,  बेहतर कल के लिए लड़कियों का सशक्तिकरण  यह मुख्य विषय होगा। दस एफओबी के द्वारा बीबीबीपी अभियान के दौरान विभिन्न गतिविधियों, कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। 
पहले दिन, 21 जनवरी को विभिन्न गतिविधियों जैसे डोर टू डोर अभियान, स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रबंधन पर वार्ता, बीबीबीपी के बारे में जागरूकता संदेश का प्रसार। 22 जनवरी को प्रभात फेरी, रैलियों, कानूनी अधिकारों पर जागरूकता कार्यक्रम, नारा लेखन, ड्राइंग के कल्याण के लिए विभिन्न कानूनों और अधिनियमों पर टॉक शो।  24 जनवरी को सामुदायिक बैठक, प्रारंभिक बाल विवाह के निहितार्थ और यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा पर टॉक शो। 25 जनवरी को नुक्कड़ नाटक, फि ल्म शो, सांस्कृतिक कार्यक्रम, कठपुतली शो, पीसी और पीएनडीटी एक्ट और एमटीपी अधिनियम पर टॉक शो। बीबीबीपी अभियान का समापन समारोह 26 जनवरी को आयोजित किया जाएगा।
इस अभियान से हर पहलू में लड़कियों की शिक्षा और बालिकाओं के कल्याण के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा होगी। 

प्रयागराज कुंभ मेले में कल्पवास के लिए अनेक भक्त रवाना
Posted Date : 19-Jan-2019 12:31:11 pm

प्रयागराज कुंभ मेले में कल्पवास के लिए अनेक भक्त रवाना

0 कुंभ स्नान से अक्षय सुखों की प्राप्ति होती है
रायपुर, 19 जनवरी । भारत के चार धामों में प्रति 12 वर्ष में भरने वाला कुंभ मेला इस वर्ष मकर संक्रांति से प्रारंभ हो गया है। कुंभ स्नान के लिए राजधानी से अनेक भक्त सैकड़ों की संख्या में प्रयाग राज रोज जा रहे है। प्रयागराज से गुजरने वाली चारों दिशाओं से चलने वाली ट्रेनें इन दिनों पैक चल रही है। पं. अनंतधर शर्मा के अनुसार कुंभ स्नान का पौराणिक महत्व है। भगवान भोलेनाथ के सिध्द स्थानों में भरने वाले कुंभ मेले में माघ स्नान करने से अक्षय सुखों की प्राप्ति होती है। पौराणिक परंपरा के अनुसार गंगा तट के किनारे चलने वाले कुंभ मेले में तम्बू बनाकर लोग एक माह कल्पवास में बिताते है। शंकर नगर की डॉ. लाज गुप्ता कुंभ स्नान के लिए आज प्रयागराज रवाना हुई है। डॉ. गुप्ता ने बताया  कि वे पूरे एक माह गंगा तट पर कल्पवास करेंगी। उन्होंने बताया कि उनके साथ शहर के 80 भक्त आज सारनाथ एक्सप्रेस से प्रयागराज के लिए रवाना हो रहे है। भक्तों की श्रध्दा एवं कुंभ मेलों के प्रति पूरी दुनिया के लोगों का आगमन प्रयागराज में हो चुका है। विदेशी सैलानियों के लिए कुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा मेला है। जहां इतनी बड़ी संख्या में लोग  गंगा तट पर एकत्र होकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना इस विश्वास के साथ करते है कि गंगा मईया में डुबकी लगाते ही उनके सारे पाप कट जाते है और मां गंगा के स्नान के बाद उन्हें भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। प्राचीन भारतीय इतिहास के प्राध्यापक डॉ. विष्णु प्रताप सिंह के अनुसार कुंभ स्नान भारत में सदियों से चल रहा है। हर 12 वर्ष में चारों धाम में बारी-बारी से भरने वाले इस भक्तिभाव पूर्ण मेलें को देखने एवं समझने के लिए पूरी दुनिया के देशों को बेसब्री से इंतजार रहता है। 

कलार समाज एकजुट होकर सभी क्षेत्र में प्रतिनिधित्व कर रहा-डॉ. महंत
Posted Date : 19-Jan-2019 12:29:22 pm

कलार समाज एकजुट होकर सभी क्षेत्र में प्रतिनिधित्व कर रहा-डॉ. महंत

० विधानसभा अध्यक्ष व मध्यप्रदेश के खनिज मंत्री हुए शामिल
कोरबा 19 जनवरी । जिले के समग्र विकास के साथ-साथ प्रत्येक समाज के विकास के लिए शासन हर संभव प्रयास करेगी। यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आज यह समाज एकजुट होकर सभी क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व कर रहा है। निश्चित ही इससे समाज के युवाओं को भी हर क्षेत्र में आगे बढऩे की प्रेरणा मिलेगी। समाज के विकास के लिए जो भी बुनियादी आवश्यकताएं होंगी उसे हम जरूर पूरा करेंगे। 
उक्त बातें छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने जायसवाल  (सर्ववर्गीय) समाज जायसवाल युवा सभा द्वारा कल्चुरी समाज के नवनिर्मित भवन के उद्घाटन अवसर पर कही। डॉ. महंत ने कहा कि कोरबा से उनका विशेष लगाव रहा है। प्रदेश के विकास के साथ-साथ कोरबा का समग्र विकास उनकी पहली प्राथमिकता रहेगी। किसी भी समाज का स्वयं का भवन होना बहुत आवश्यक है। आज कल्चुरी कलार समाज भी इस भवन से गौरवान्वित महसूस करेगा। कार्यक्रम में पहुंचे मध्यप्रदेश के खनिज संसाधन मंत्री प्रदीप जायसवाल (गुड्डा भैया)ने कहा कि मंत्री होने के अलावा समाज के सदस्य होने के नाते कार्यक्रम में बतौर अतिथि उपस्थित होकर वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कल्चुरी कलार समाज आज संपूर्ण देश में हर जगह अपनी मौजूदगी का अहसास करा रही है। राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक सभी क्षेत्रों में समाज के लोग गौरवशाली पदों पर आसीन हंै लेकिन आज भी समाज के कुछ लोग इन क्षेत्रों में पिछड़े हैं। स्वयं आगे बढऩे के साथ-साथ सभी सक्षम लोग ऐसे पिछड़े लोगों को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक रूप से अपने साथ ले जाने के उद्देश्य से काम करें। कल्चुरी समाज के ईष्ट देव भगवान शहस्त्रबाहु सामथ्र्य और पुरुषार्थ के प्रतीक हंै। इन्हीं की प्रेरणा से आज वे भी मध्यप्रदेश शासन में निर्दलीय विधायक होने के बावजूद खनिज संसाधन मंत्री के रूप में जनता की सेवा कर रहे हैं। 
जायसवाल (सर्ववर्गीय) समाज के संरक्षक व सांसद डॉ. बंशीलाल महतो ने कहा कि अल्प अवधि में समाज के भवन का निर्माण कराया गया। यह भवन सामाजिक समरसता का प्रतीक बनेगा और सामाजिक कार्यक्रमों के सफल आयोजन में सहायक होगा। कार्यक्रम में जायसवाल (सर्ववर्गीय) समाज के प्रदेश अध्यक्ष रामगोपाल डिक्सेना, आनंद प्रसाद जायसवाल, गोकुल प्रसाद डिक्सेना, नगर पालिका कटघोरा अध्यक्ष श्रीमती ललिता डिक्सेना, जायसवाल युवा सभा के जिलाध्यक्ष राजेंद्र जायसवाल, उपाध्यक्ष संजय जायसवाल, सचिव मनीष जायसवाल सहित सुरेंद्रप्रताप जायसवाल, ओमप्रकाश डिक्सेना, धनीराम जायसवाल, बारासिवनी मध्यप्रदेश की पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष स्मिता जायसवाल, कटनी जायसवाल समाज के अध्यक्ष विनोद जायसवाल, हेमंत जायसवाल, आशीष जायसवाल, शिव जायसवाल, भुवनेश्वर महतो, पंकज जायसवाल, अनिल जायसवाल, अनुज जायसवाल, अर्पित जायसवाल, पिंटू जायसवाल, संदीप जायसवाल, गौरव, लक्की सहित बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे।

बस्तर के 7 लाख सामान्य में केवल 15 प्रतिशत लोगों को ही मिल पाएगा आरक्षण का लाभ
Posted Date : 19-Jan-2019 12:28:46 pm

बस्तर के 7 लाख सामान्य में केवल 15 प्रतिशत लोगों को ही मिल पाएगा आरक्षण का लाभ

जगदलपुर, 19 जनवरी । केंद्र सरकार की गरीब तबके को 10 फीसदी आरक्षण देने संविधान में संशोधन के लिए लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद लोग अपनी पात्रता तलाशने में लगे हैं। 
बस्तर में कुल करीब 12 लाख 65 हजार लोग हैं, जिनमें से आरक्षित वर्ग अजा में 14759 और अजजा वर्ग में 520779 लोग हैं। इसके बाद करीब 7 लाख 30 हजार लोग अब भी अनारक्षित हैं। आरक्षित वर्गों को पहले से ही आरक्षण का फायदा तो मिल रहा है, लेकिन अनारक्षित वर्ग के सवा 7 लाख लोगों में कई ऐसे भी हैं, जो गरीब तो हैं, लेकिन उन्हें कोई भी फायदा न तो शिक्षा में और न ही नौकरी में मिल पा रहा है। इन हालातों में अब इन सवा 7 लाख लोगों की उम्मीदें भी जगी हैं, पर केंद्र सरकार के तय मानकों में फिट बैठ पाने पर अब भी संदेह है। इन सवा 7 लाख लोगों में से करीब 55 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनकी कुल वार्षिक आय 8 लाख से ज्यादा है। करीब 85 फीसदी लोगों के पास 1000 वर्गफीट से ज्यादा जगह है। 15 से 25 फीसदी लोगों को ही इस आरक्षण का फायदा मिल पाने की बात कही जा रही है। 
संशोधन के मुताबिक परिवार की कुल आय 8 लाख से कम, 1000 वर्गफीट से कम जमीन पर मकान, 5 एकड़ से कम जमीन को मानक बनाया गया है। ऐसे में आय की श्रेणी में अधिकांश लोग पात्र तो हैं, लेकिन जमीन के मामले में आरक्षण कटता दिख रहा है। अनारक्षित वर्ग के अधिकांश लोगों के पास 1000 वर्गफीट से ज्यादा जमीन पर मकान या कब्जा है। इसके चलते आरक्षण का फायदा लेने वाले करीब 15 से 25 फीसदी लोग ही पात्र माने जा रहे हैं। 
साल 2011 में हुए जनसंख्या सर्वेक्षण में ग्रामीण क्षेत्र में कुल जनसंख्या 698864 और शहरी क्षेत्र में 135511 थी। वहीं इसमें हिंदुओं की संख्या 1265787, मुस्लिम 10335, सिख 2329, इसाई 17379, जैन 3915, बौद्ध 944, अन्य 4734 और 1250 ऐसे परिवार हैं, जिनके धर्म को लेकर कोई भी जानकारी सांख्यिकी विभाग के पास मौजूद नहीं है। हिंदुओं में अनारक्षित के साथ अजजा वर्ग के भी लोग शामिल हैं। ऐसे में अनारक्षित वर्ग में 7 लाख 45 हजार लोग मौजूद हैं। इसके अलावा मुस्लिम, सिख, इसाई, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के चलते संख्या करीब 8 लाख से ज्यादा है। 

स्वीमिंग पुल का पानी बना डबरा और पुल बन गया चूहों का अड्डा
Posted Date : 19-Jan-2019 12:27:34 pm

स्वीमिंग पुल का पानी बना डबरा और पुल बन गया चूहों का अड्डा

जगदलपुर, 19 जनवरी । नगर पालिक निगम के द्वारा संचालित स्वीमिंग पूल रख रखाव के अभाव में बदहाली के कगार पर पहुंच गया है। स्वीमिंग पूल का पूरा परिसर गंदगी से अटा पड़ा है। देखरेख के अभाव में चूहों ने यहां डेरा जमा लिया है। स्वीमिंग पूल का पानी तक बदलने की आवश्यकता निगम नहीं समझता है। आठ माह से स्वीमिंग पूल में भरा गया पानी गंदगी में तब्दील हो गया है। 
उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष स्वीमिंग पूल में डूबकर एक नव युवक की मौत हो गई थी जिसके बाद स्वीमिंग पूल को बंद कर दिया गया था। करोड़ों की लागत से निर्मित स्वीमिंग पूल निगम के लिए सफेद हाथी साबित हो रहा है। स्वीमिंग पूल से आय से अधिक खर्च होने का मामला भी सामने आया था जिसके बाद निगम प्रशासन के द्वारा स्वीमिंग पूल को ठेके में दिए जाने का दौर भी जारी रहा। बावजूद इसके स्वीमिंग पूल के रखरखाव समूचित ढंग से नहीं हो पाया है। जिसे मजबूरन पुन: निगम के द्वारा संचालित किए जाने का प्रयास किया जाता रहा है। प्रतिवर्ष फरवरी माह से मई माह तक के लिए स्वीमिंग पूल का संचालन निगम के द्वारा किया जाता है। इसके बाद इसे उपेक्षित छोड़ दिया जाता है। जिससे स्वीमिंग पूल की हालत बद से बदतर होती जा रही है। दिन प्रतिदिन बदहाली की कगार पर पहुंच रहा स्वीमिंग पूल पूरी तरह से कंडम स्थिति में पहुंच जाएगा जिसके बाद शहर का एकमात्र बचा स्वीमिंग पूल बंद हो जाए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। जनवरी माह के आखिरी पड़ाव में पहुंच जाने के बावजूद स्वीमिंग पूल को शुरू करने की कवायद अब तक नहीं हुई है। जबकि फरवरी माह से स्वीमिंग पूल आम जनता के लिए प्रारम्भ किया जाना है। बदहाल स्वीमिंग पूल की हालत देखकर ऐसा नहीं लगता है कि इस वर्ष स्वीमिंग पूल का संचालन फरवरी माह से शुरू भी हो जाएगा। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वीमिंग में नियुक्त निगम के कर्मचारी अन्यत्र संलग्न कर दिया गया है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि निगम के द्वारा इस वर्ष स्वीमिंग पूल का संचालन नहीं किया जाएगा। इस संबंध में निगम आयुक्त से संपर्क करने का प्रयास किया गया है लेकिन संपर्क नहीं हो पाया है। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवेदनशील पहल प्रदेश में वरिष्ठ नागरिकों की देख-रेख के लिए बनेंगे प्रशामक गृह
Posted Date : 19-Jan-2019 12:24:14 pm

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की संवेदनशील पहल प्रदेश में वरिष्ठ नागरिकों की देख-रेख के लिए बनेंगे प्रशामक गृह

0-समाज कल्याण विभाग ने जारी किया परिपत्र
0-स्वैच्छिक संगठनों, त्रि-स्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों द्वारा किया जा सकेगा इनका संचालन

रायपुर, 19 जनवरी । मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल ने गंभीर बीमारियों से पीडि़त वरिष्ठ नागरिकों की बेहतर देखभाल और उनके इलाज की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए संवेदनशीलता के साथ पहल की है और समाज कल्याण विभाग को  प्रशामक देख-रेख गृहों की स्थापना के लिए आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उनके निर्देशों के अनुरूप समाज कल्याण विभाग ने यहां मंत्रालय (महानदी भवन) से संचालक, समाज कल्याण संचालनालय को परिपत्र जारी किया है। विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि प्रशामक देख-रेख गृहों का संचालन समाज कल्याण कल्याण विभाग से मान्यता प्राप्त अशासकीय स्वैच्छिक संगठनों, त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं अथवा नगरीय निकायों के माध्यम से किया जा सकेगा। इसके लिए निर्धारित नियम-प्रक्रिया के अनुसार विभागीय अनुदान भी मिलेगा। त्रि-स्तरीय पंचायतों और नगरीय निकायों को शत-प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। परिपत्र में कहा गया है कि राज्य शासन द्वारा वृद्धावस्था के कारण गंभीर बीमारी जैसे डेमेन्शिया और बिस्तर पर निष्क्रिय अवस्था में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों को चिकित्सा सुविधा देने और उनकी देख-रेख के लिए प्रशामक देख-रेख गृह स्थापना का निर्णय लिया। प्रशामक देख-रेख गृह में 60 साल या उससे अधिक उम्र के ऐसे वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल की जाएगी, जिन्हें वृद्धावस्था में गंभीर बीमारी के कारण अपनी सम्पूर्ण दिनचर्या और क्रियाकलाप के लिए बिस्तर में रहने को बाध्य होना पड़ता है। प्रशामक देख-रेख गृहों का संचालन समाज कल्याण विभाग से मान्यता प्राप्त अशासकीय स्वैच्छिक संगठनों द्वारा अथवा त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं (ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत) अथवा नगरीय निकायों के माध्यम से किया जाएगा। समाज कल्याण विभाग के परिपत्र में बताया गया है कि प्रशामक देख-रेख गृहों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों को चाय-नाश्ता, भोजन, वस्त्र, तेल, साबुन, इलाज और दवाईयों आदि की सुविधाएं दी जाएंगी। उनके लिए वहां मनोरंजन, खेल, पत्र-पत्रिकाओं के साथ टेलिविजन की भी व्यवस्था रहेगी। उनके लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक के लिए प्रशामक देख-रेख गृह में अलग-अलग बिस्तर, पलंग और मच्छरदानी की व्यवस्था की जाएगी। उनके नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की भी व्यवस्था होगी। प्रशामक देख-रेख गृह के परिसर में बगीचा भी रहेगा। 
परिपत्र के अनुसार प्रत्येक प्रशामक देख-रेख गृह में पर्याप्त रौशनी, शीतल और स्वच्छ पेयजल तथा बैठने के लिए आरामदायक फर्नीचर की भी व्यवस्था की जाएगी। प्रशामक देख-रेख गृह में संस्था द्वारा कलेक्टर अथवा संबंधित जिले के समाज कल्याण विभाग के संयुक्त संचालक अथवा उप संचालक की अनुशंसा से हितग्राही को प्रवेश दिया जाएगा और उनका बायोडाटा भी रखा जाएगा। किसी अन्त:वासी (हितग्राही) की मृत्यु होने पर अगर उनके परिवार का कोई भी सदस्य 24 घंटे के भीतर उनके पार्थिव शरीर को लेने के लिए उपस्थित नहीं होंगे, तो दिवंगत के धार्मिक रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार किया जा सकेगा। परिपत्र में यह भी बताया गया है कि प्रशामक देख-रेख गृह का संचालन करने के लिए अनुदान उन संस्थाओं को मिलेगा, जिन्हें कम से कम तीन साल से वृद्धाश्रम अथवा बहु-सेवा केन्द्र के संचालन का अनुभव हो। विभागीय मान्यता प्राप्त स्वैच्छिक संस्थाओं के प्रस्ताव जिला कलेक्टर की अनुशंसा से समाज कल्याण कल्याण संचालनालय को भेजे जाएंगे, जिनका परीक्षण अनुदान नियमों के अनुसार किया जाएगा। इनके संचालन के लिए त्रि-स्तरीय पंचायत राज संस्थाओं और नगरीय निकायों को शत-प्रतिशत अनुदान मिलेगा। 
प्रत्येक प्रशामक गृह में डॉक्टर, अधीक्षक, योग प्रशिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता, नर्स, रसोईया, भृत्य-सह-चौकीदार, स्वीपर और केयर टेकर भी रखना होगा, जिनकी शैक्षणिक योग्यता और जिम्मेदारी के बारे में भी समाज कल्याण विभाग के परिपत्र में जानकारी दी गई है। प्रशामक देख-रेख गृहों में ऐलोपैथिक, आयुर्वेदिक अथवा होम्योपैथिक डॉक्टर रखे जा सकेंगे। वहां काम करने के लिए डॉक्टर को एमबीबीएस अथवा बीएएमएस या बीएचएमएस होना चाहिए। उनका निवास संबंधित प्रशामक देख-रेख गृह के नजदीक होना चाहिए, ताकि आपात स्थिति में भी वे संबंधित वरिष्ठ नागरिक का इलाज कर सके। अधीक्षक की शैक्षणिक योग्यता स्नातक रखी गई है। इसी तरह योग प्रशिक्षक के लिए योग में डिप्लोमा होना चाहिए।