मुंबई । गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी इकोफाई ने तिपहिया वाहनों के लिए कर्ज उपलब्ध कराने के लिए टीवीएस मोटर के साथ साझेदारी की घोषणा की है। दोनों कंपनियों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि इस रणनीतिक सहयोग का उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहन को अपनाने में तेजी लाना और पर्यावरण अनुकूल परिवहन को बढ़ावा देना है। एवरसोर्स कैपिटल समर्थित इकोफाई हरित क्षेत्र के लिए वित्त पोषण उपलब्ध करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है।
क्लीन एनर्जी को बढ़ावा
टीवीएस मोटर कंपनी दोपहिया और तिपहिया वाहन बनाने वाली देश की प्रमुख कंपनी है। इस बारे में इकोफाई के सह-संस्थापक, प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) राजश्री नाम्बियार ने बयान में कहा, टीवीएस मोटर कंपनी के साथ यह साझेदारी स्वच्छ ऊर्जा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप है। टीवीएस मोटर के मजबूत वितरण और नेटवर्क के साथ हम यात्री और कार्गो इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों दोनों के लिए व्यापक वित्त पोषण समाधान पेश कर सकेंगे।’’
मजबूत ग्रोथ की उम्मीद
उन्होंने कहा कि हमें चालू वित्त वर्ष में मजबूत वृद्धि की उम्मीद है, जो हमारी विस्तार यात्रा में एक मील का पत्थर होगा। टीवीएस मोटर कंपनी के वाणिज्यिक वाहन के कारोबार प्रमुख रजत गुप्ता ने कहा, इकोफाई के साथ सहयोग करने से हमें अपनी विनिर्माण विशेषज्ञता को उनकी अभिनव वित्तीय सेवाओं के साथ जोडऩे का मौका मिलेगा। यह पर्यावरण अनुकूल परिवहन समाधान प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
नई दिल्ली । भारतीय टेक सेक्टर में इस साल की तीसरी तिमाही में 76.1 करोड़ डॉलर मूल्य के 83 सौदे हुए, जो 2023 की दूसरी तिमाही के बाद से सबसे अधिक संख्या है। आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
ग्रांट थॉर्नटन भारत के डीलट्रैकर के अनुसार, दूसरी तिमाही की तुलना में सौदों की संख्या पांच प्रतिशत और मूल्य 31 प्रतिशत बढ़ा। इस दौरान 79 विलय-अधिग्रहण और निजी इक्विटी (पीई) के सौदे हुए जिनकी कुल कीमत 63.5 करोड़ डॉलर रही है।डील एक्टिविटी बड़े पैमाने पर अधिग्रहण की बजाय अधिक रणनीतिक निवेश की ओर बदलाव को दर्शाती है। हालांकि, इस तिमाही में दो करोड़ डॉलर से अधिक मूल्य के 12 सौदे हुए।
सौदों में पीई का बोलबाला रहा। कुल सौदों में मूल्य के आधार पर 82 प्रतिशत योगदान पीई सौदों का रहा, जिसमें 10 करोड़ डॉलर से अधिक के तीन बड़े सौदे शामिल हैं, जिनका योगदान 35.8 करोड़ डॉलर था।
भारत में पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही की तुलना में संख्या के लिहाज से इस वर्ष 58 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, लेकिन मूल्य के हिसाब से 53 प्रतिशत गिरावट आई।
जुलाई-सितंबर तिमाही में कुल 5.9 करोड़ डॉलर मूल्य के दो आईपीओ हुए, जो पिछली तिमाही से बेहतर रहे। 6.7 करोड़ डॉलर मूल्य के दो सौदों के साथ क्यूआईपी गतिविधि स्थिर रही।
साल 2024 की पहली तिमाही में गिरावट के बाद विलय और अधिग्रहण गतिविधियों में उछाल आया, जो 2023 की दूसरी तिमाही के बाद से सबसे अधिक सौदों की संख्या को दर्शाता है। साल 2024 की तीसरी तिमाही में सौदों की संख्या 44 प्रतिशत बढक़र 26 हो गई, जो पिछली तिमाही में 18 थी।
सौदों का मूल्य 205 प्रतिशत बढक़र 11.6 करोड़ डॉलर हो गया, जो दूसरी तिमाही में 3.8 करोड़ डॉलर था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 की तीसरी तिमाही की तुलना में, मात्रा में 53 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि बड़े सौदों की अनुपस्थिति के कारण मूल्यों में 89 प्रतिशत की कमी आई।
रिपोर्ट में कहा गया है, घरेलू विलय एवं अधिग्रहण गतिविधि 2022 की पहली तिमाही के बाद से अपने उच्चतम तिमाही स्तर पर पहुंच गई है, जो इस क्षेत्र में मजबूत गतिविधि को दर्शाता है। आउटबाउंड गतिविधि तीन वर्षों के उच्चतम तिमाही वॉल्यूम पर पहुंच गई है, जिसमें आउटबाउंड सौदे कुल सौदों का 62 प्रतिशत हैं।
जयपुर । हाजिर माल की कमी तथा चौतरफा डिमांड के चलते मगज तरबूज (तरबूज के बीज) की कीमतों में इन दिनों जोरदार तेजी देखने को मिल रही है। जयपुर मंडी में एक माह के अंतराल में ही मगज तरबूज 100 रुपए उछलकर वर्तमान में 525 रुपए प्रति किलो के आसपास थोक में बिकने लग गया है।
दीनानाथ की गली स्थित फर्म मालीराम दिनेश कुमार के मुकेश अग्रवाल ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के शुरू से ही अफ्रीकी देश सूडान से भारत में मगज तरबूज का आयात नहीं के बराबर हो रहा है, जबकि घरेलू स्तर पर इसका स्टॉक भी कम मात्रा में बचा हुआ है।
अग्रवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान जैसे महत्वपूर्ण उत्पादक राज्यों में मगज तरबूज का बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादकता घटती जा रही है। हाईब्रिड किस्म की खेती अधिक होने लगी है, जिसमें बीज कम होते हैं।
ध्यान रहे 31 मार्च 2024 तक सूडान सहित कुछ अन्य देशों से भारी मात्रा में तरबूज बीज का आयात होने से घरेलू स्तर पर इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ गई थी तथा कीमतों में भी नरमी आ गई थी। इसके भाव घटकर 400 रुपए प्रति किलो के आसपास आ गए थे। मगर अब फिर से डिमांड निकलने से इसकी कीमतें उछलने लगी हैं।
जहां तक देशी मगज तरबूज का सवाल है, पिछले साल इसका भाव 800 रुपए प्रति किलो की ऊंचाई पर पहुंच गया था। चूंकि इन दिनों सूडान से माल नहीं आ रहा है, लिहाजा स्टॉकिस्ट मगज तरबूज की भारी खरीदारी करने में व्यस्त हैं।
जानकारों के अनुसार तेजी का एक और कारण ये भी है कि इन दिनों काजू टुकड़ी के भाव 800 रुपए प्रति किलो के पार निकल गए हैं। इसलिए ग्रेवी एवं काजू कतली बनाने वालों की डिमांड भी मगज तरबूज में निकल गई है। ग्रेवी बनाने के लिए रेस्टोरेंट वालों की लिवाली मगज तरबूज में लगातार बनी हुई है। लिहाजा उक्त सभी कारणों को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि शीघ्र ही मगज तरबूज के भाव 650 रुपए प्रति किलो बन सकते हैं।
मुंबई । सुदर्शन केमिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड (एससीआईएल या कंपनी) ने घोषणा की है कि उसने एक परिसंपत्ति और शेयर सौदे के संयोजन में अधिग्रहण पर जर्मनी स्थित ह्यूबैक समूह के साथ एक निर्णायक समझौता किया है। इस रणनीतिक अधिग्रहण से एक वैश्विक पिगमेंट कंपनी बनेगी, जो एससीआईएल के परिचालन और विशेषज्ञता को ह्यूबैक की तकनीकी क्षमताओं के साथ जोड़ेगी।
अधिग्रहण के बाद, संयुक्त कंपनी के पास उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों का एक व्यापक पिगमेंट पोर्टफोलियो होगा और यूरोप और अमेरिका सहित प्रमुख बाजारों में इसकी मजबूत उपस्थिति होगी। यह एससीआईएल के उत्पाद पोर्टफोलियो को बढ़ाएगा, जिससे इसे ग्राहकों तक पहुंच मिलेगी और वैश्विक स्तर पर 19 साइटों पर एक विविध परिसंपत्ति पदचिह्न मिलेगा। संयुक्त कंपनी का नेतृत्व राजेश राठी और उच्च प्रदर्शन करने वाली प्रबंधन टीम द्वारा किया जाएगा, जिसमें गुणवत्ता निष्पादन कौशल और तकनीकी योग्यता होगी।
ह्यूबैक समूह का 200 साल का इतिहास है और 2022 में क्लेरिएंट के साथ एकीकरण के बाद यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पिगमेंट समूह बन गया। ह्यूबैक का वित्त वर्ष 21 और वित्त वर्ष 22 में एक अरब यूरो से अधिक का राजस्व था, जिसमें विशेष रूप से यूरोप, अमेरिका और एपैक क्षेत्र में वैश्विक पहुंच थी। बढ़ती लागत, इन्वेंट्री मुद्दों और उच्च ब्याज दरों के कारण समूह को पिछले दो वर्षों में वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
एससीआईएल द्वारा ह्यूबैक का अधिग्रहण एक स्पष्ट टर्नअराउंड योजना के साथ इन चुनौतियों का समाधान करेगा। लेन-देन पर टिप्पणी करते हुए एससीआईएल के प्रबंध निदेशक राजेश राठी ने कहा कि हम इस लेन-देन से खुश हैं जो दो व्यवसायों को एक साथ लाता है जो प्रमुख वैश्विक बाजारों की सेवा करेंगे। हम इन दोनों कंपनियों को वास्तव में वैश्विक पिगमेंट कंपनी बनाने के लिए सावधानीपूर्वक एकीकृत करेंगे, जिसमें फ्रैंकफर्ट रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान बना रहेगा।
एससीआईएल अपनी चपलता और दक्षता के लिए जाना जाता है, और हम इस संस्कृति को संयुक्त कंपनी में शामिल करेंगे ताकि इसे सबसे अधिक ग्राहक-केंद्रित और लाभदायक पिगमेंट कंपनियों में से एक बनाया जा सके। यह अधिग्रहण 3-4 महीने में पूरा होने की उम्मीद है, बशर्ते कि नियामकों और एससीआईएल शेयरधारकों से अनुमोदन सहित पारंपरिक समापन शर्तें पूरी हो जाएं।
नई दिल्ली । मोबाइल टेलीफोन की कम दरें (लो-कॉस्ट मोबाइल टेलीफोनी) भारत को डिजिटल बनाने की राह पर लाने में मददगार रही हैं। वर्ष 2022-23 में 15 वर्ष से ज्यादा उम्र के 85 प्रतिशत लोग मोबाइल फोन कनेक्शन का इस्तेमाल कर रहे थे। मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वालों का यह आंकड़ा ठीक दो वर्ष पहले 2022-21 में 70.2 प्रतिशत था।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा रिलीज किए गए एक सर्वेक्षण से यह जानकारी सामने आई है। भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या में भी दो वर्षों में काफी सुधार देखा गया है।
सर्वेक्षण में सामने आई जानकारी बताती है कि 2020-21 में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों का आंकड़ा 41.8 प्रतिशत था। वहीं, 2022-23 में यह बढक़र 59.8 प्रतिशत हो गया। इनमें 15-29 आयु वर्ग के लोग 84.2 प्रतिशत से भी ज्यादा हैं।
सर्वेक्षण में सामने आई जानकारी के अनुसार, 15 वर्ष से अधिक उम्र की 78.7 प्रतिशत महिलाएं एक्टिव मोबाइल कनेक्शन का इस्तेमाल कर रही हैं। ठीक दो वर्ष पहले इस उम्र वर्ग की केवल 56.7 प्रतिशत महिलाएं ही मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर पा रही थी। वहीं, 2020-21 में 83.2 प्रतिशत पुरुष ही मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर पा रहे थे। ठीक दो वर्ष बाद 2022-23 में मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले पुरुषों का यह आंकड़ा 91.4 प्रतिशत पहुंच गया।
इस नए सर्वेक्षण के अनुसार, हर 5 में से 2 व्यक्ति बैंकिंग लेन-देन करने में सक्षम है। वहीं, 43.4 प्रतिशत लोग अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल ईमेल भेजने में कर सकते हैं।
सर्वेक्षण में सामने आई जानकारी के अनुसार, लगभग 94 प्रतिशत आबादी के पास उनके निवास स्थान से दो किलोमीटर के भीतर बारहमासी सडक़ों तक पहुंच थी और शहरी क्षेत्रों में 93.7 प्रतिशत लोगों के पास 500 मीटर के भीतर परिवहन सेवा उपलब्ध थी।
स्वच्छता और पेयजल की उपलब्धता में दो वर्ष पहले की तुलना में सुधार हुआ है और यह लगभग पूर्ण हो गई है। शहरी क्षेत्रों में जेब से किया जाने वाला खर्च घटकर 1,446 रुपये और ग्रामीण क्षेत्रों में 950 रुपये रह गया, जिससे स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में भी सुधार का संकेत मिलता है।
नई दिल्ली । एक सरकारी सर्वेक्षण से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 15 से 25 वर्ष की आयु के 82 प्रतिशत से अधिक युवा इंटरनेट का उपयोग करते हैं। वहीं, शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा लगभग 92 प्रतिशत है। इसमें यह भी पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 15-24 वर्ष की आयु के 95.7 प्रतिशत लोग मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 97 प्रतिशत से थोड़ा कम है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जुलाई 2022 से जून 2023 तक आयोजित एक व्यापक वार्षिक मॉड्यूलर सर्वेक्षण (सीएएमएस) के प्रमुख निष्कर्ष जारी किए। यह नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) के 79वें दौर का हिस्सा है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ग्रामीण क्षेत्रों में 15-24 वर्ष आयु वर्ग के 82.1 प्रतिशत युवा इंटरनेट का उपयोग कर सकते हैं, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 91.8 प्रतिशत है।
सर्वेक्षण से पता चलता है कि 15-24 वर्ष आयु वर्ग के 78.4 प्रतिशत युवा अटैच फाइल के साथ मैसेज सेंड कर सकते हैं। वहीं, 71.2 प्रतिशत युवा कॉपी-पेस्ट टूल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा, 26.8 प्रतिशत युवा एडवांस टास्क जैसे मेल भेजने, जानकारियों को खोजने और ऑनलाइन बैंकिंग जैसे कामों को करने में सक्षम हैं।
सर्वेक्षण से सामने आई जानकारी के मुताबिक, 95.1 प्रतिशत लोग टेलीफोन या मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 94.2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 97.1 प्रतिशत लोग मोबाइल फोन रखते हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार, कंप्यूटर (डेस्कटॉप, पीसी, लैपटॉप) का इस्तेमाल 9.9 प्रतिशत लोग करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 4.2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 21.6 प्रतिशत लोग कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं।
सर्वेक्षण से अन्य प्रमुख निष्कर्षों के अलावा यह भी पता चला कि 15-24 वर्ष की आयु के 96.9 प्रतिशत व्यक्ति सरल कथनों को समझ कर पढऩे और लिखने में सक्षम हैं तथा सरल अंकगणितीय गणनाएं करने में भी सक्षम हैं। इसी आयु वर्ग में, पुरुषों के लिए यह आंकड़ा लगभग 97.8 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 95.9 प्रतिशत है।
मंत्रालय ने कहा, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए औपचारिक शिक्षा में स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष अखिल भारतीय स्तर पर 8.4 वर्ष है और 25 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए यह 7.5 वर्ष हैं।