नई दिल्ली । भारत को एक युवा राष्ट्र माना जाता है। देश की 377 मिलियन आबादी जनरेशन जेड से आती है। जनरेशन जेड देश की कंजप्शन ग्रोथ को लेकर एक बड़े योगदानकर्ता होंगे। बुधवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, जेन जेड 2025 तक 1.8 ट्रिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष खर्च लाने में सक्षम होंगे।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) के साथ साझेदारी में स्नैप इंक की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में, जनरेशन जेड का प्रत्यक्ष खर्च 250 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस समय तक हर दूसरा जनरेशन जेड कमाई कर रहा होगा।
जेन जेड की सामूहिक व्यय क्षमता 860 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जो 2035 तक 2 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगी। जनरेशन जेड, मिलेनियल्स के बराबर ही खरीदारी करता है। वे अपने खर्च पर 1.5 गुना ज्यादा रिसर्च करते हैं।
स्नैप इंक के भारत में प्रबंध निदेशक पुलकित त्रिवेदी ने कहा, भारत एक युवा राष्ट्र है, जिसकी 377 मिलियन जनरेशन जेड आबादी है, जो अगले दो दशकों में भारत के विकास के भविष्य को आकार देगी। जेन जेड को सेवा देने वाले प्लेटफॉर्म के रूप में हम ब्रांड और बिजनेस के साथ काम करने को तैयार हैं।
लगभग 45 प्रतिशत व्यवसाय जनरेशन जेड की क्षमता को पहचानते हैं, लेकिन केवल 15 प्रतिशत ही सक्रिय रूप से उन्हें संबोधित करने के लिए कार्रवाई करते हैं, जो एक बड़े अवसर का संकेत देता है।
स्नैपचैट के डेली एक्टिव यूजर्स में 90 प्रतिशत की आयु 13-34 वर्ष है, जिससे पता चलता है कि यह प्लेटफॉर्म भारत में युवाओं का लोकप्रिय मंच बन गया है।
बीसीजी इंडिया की सीनियर पार्टनर और मैनेजिंग डायरेक्टर निमिषा जैन ने कहा, जनरेशन जेड पहले से ही भारत के उपभोक्ता खर्च का 43 प्रतिशत हिस्सा चला रही है।
उनका प्रभाव चुनिंदा श्रेणियों तक सीमित नहीं है - यह फैशन, खाने-पीने से लेकर ऑटोमोबाइल और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स तक की श्रेणियों में फैला हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह गतिशील समूह अलग-अलग कैटेगरी में व्यय को प्रभावित कर रहा है। जैसे कि कुल व्यय का 50 प्रतिशत फुटवियर पर, 48 प्रतिशत भोजन पर, 48 प्रतिशत आउट-ऑफ-होम मनोरंजन पर और 47 प्रतिशत फैशन और जीवनशैली पर खर्च किया जा रहा है।
खर्च के वितरण का तरीका यह दर्शाता है कि वर्तमान में, जनरेशन जेड की कुल व्यय क्षमता 860 बिलियन डॉलर है। इसमें लगभग 200 बिलियन डॉलर प्रत्यक्ष व्यय (जो पैसा वे खुद कमाते हैं और खर्च करते हैं) से आता है। बाकी के 660 बिलियन डॉलर वे दूसरों के सुझाव या पसंद के आधार पर खर्च करते हैं।
नई दिल्ली 16 अक्टूबर । टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की राह में नई नौकरियों को लाए जाने की बात कही है।
चंद्रशेखरन ने जोर देकर कहा है कि भारत विकसित राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है और देश को बढ़ते कार्यबल की रोजगार जरूरतों को पूरा करने के लिए 10 करोड़ नौकरियों का सृजन करने की जरूरत है।
टाटा समूह देश में अधिक से अधिक विनिर्माण नौकरियां बनाने पर भी ध्यान दे रहा है, क्योंकि पूरा इकोसिस्टम भारतीय कंपनियों, विशेषकर 500,000 छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए कई अवसरों से भरा हुआ है।
चंद्रशेखरन के अनुसार, टाटा समूह सेमीकंडक्टर, प्रिसिशन मैन्युफैक्चरिंग, असेंबली, इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी और संबंधित उद्योगों में निवेश कर रहा है, इसलिए वह अगले पांच वर्षों में पांच लाख विनिर्माण नौकरियां पैदा कर सकता है।
सेमीकंडक्टर विनिर्माण जैसे क्षेत्र कई अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा कर सकते हैं। भारतीय गुणवत्ता प्रबंधन फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, हमें विकसित राष्ट्र बनने के लिए 100 मिलियन नौकरियां पैदा करने की जरूरत है।
देश में हर महीने लगभग दस लाख लोग कार्यबल में शामिल होते हैं, जिससे देश के भविष्य के विकास के लिए विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन आवश्यक हो जाता है।
पिछले महीने, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टाटा संस और ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कारपोरेशन (पीएसएमसी) की नेतृत्व टीम से मुलाकात की, जो गुजरात के धोलेरा में 91,000 करोड़ रुपये की लागत से मेगा सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन फैसिलिटी का निर्माण कर रहे हैं।
मार्च में, प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में टाटा-पीएसएमसी चिप प्लांट की आधारशिला रखी थी। फैब निर्माण से क्षेत्र में 20,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कुशल नौकरियां पैदा होंगी।
असम में टाटा समूह का सेमीकंडक्टर प्लांट प्रतिदिन 4.83 करोड़ सेमीकंडक्टर चिप्स का उत्पादन करेगा, साथ ही चालू होने पर 15,000 प्रत्यक्ष और 13,000 तक अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करेगा।
टाटा समूह देश में एक नए आईफोन असेंबली प्लांट के लिए तैयार है, जिसके जल्द ही चालू होने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2024 में नौकरियों में वृद्धि हुई है, भारत के विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिसमें 1.3 मिलियन नई नौकरियां पैदा हुईं - जो वित्त वर्ष 2022 में 1.1 मिलियन थीं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में वित्त वर्ष 23 में विनिर्माण क्षेत्र की नौकरियों और श्रमिकों के वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि का श्रेय पीएम मोदी को दिया, जहां इनमें क्रमश: 7.6 प्रतिशत और 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
नई दिल्ली । भारत ने सितंबर महीने में रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन में 200 गीगावाट का आंकड़ा पार कर लिया है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, रिन्यूएबल एनर्जी आधारित बिजली उत्पादन क्षमता ने सितंबर में 200 गीगावाट का आंकड़ा पार कर लिया।
आंकड़ों के अनुसार, कुल रिन्यूएबल एनर्जी उत्पादन 201,457.91 मेगावाट तक पहुंच गया, जिसमें 90,762 मेगावाट सौर ऊर्जा और 47,363 मेगावाट पवन ऊर्जा उत्पादन शामिल है।
देश की कुल गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली क्षमता अब कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 46.3 प्रतिशत है।
आंकड़ों के अनुसार, बिजली उत्पादन के मामले में राजस्थान 31.5 गीगावाट बिजली के साथ पहले स्थान पर है। इसके बाद 28.3 गीगावाट बिजली उत्पादन कर गुजरात दूसरे नंबर पर और 23.7 गीगावाट के साथ तमिलनाडु तीसरे स्थान पर है।
लिस्ट में कर्नाटक का नाम 22.3 गीगावाट बिजली उत्पादन के साथ चौथे स्थान पर आता है।
सरकार के अनुसार, देश में 2014 से नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से बिजली उत्पादन में 86 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो 193.5 बिलियन यूनिट से बढक़र 360 बिलियन यूनिट हो गई।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी ने पिछले सप्ताह कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने 2014 से अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में परिवर्तनकारी वृद्धि देखी है, जो 75 गीगावाट से 175 प्रतिशत बढक़र आज 200 गीगावाट से अधिक हो गई है।
भारत हरित नौवहन क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। देश का लक्ष्य 2030 तक शीर्ष 10 जहाज निर्माण देशों में तथा 2047 तक शीर्ष 5 देशों में शामिल होना है।
अंतरराष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) के अनुसार, भारत में 2023 में कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता 44.7 गीगावाट थी, जो विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है।
भारत ने 2023 में 2.8 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता बढ़ाई, पांच साल तक इसकी गति धीमी रही लेकिन अब इसने रफ्तार पकड़ ली है।
नई दिल्ली । चालू वित्त वर्ष में भारत में यात्री वाहनों की बिक्री में वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है।
इस बारे में जानकारी देते हुए सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) के अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने कहा, चालू वित्त वर्ष में भारत में यात्री वाहनों की बिक्री 3-5 प्रतिशत बढऩे की उम्मीद है।
चंद्रा का कहना है कि आर्थिक संकेतकों को लेकर किसी तरह की चिंता नहीं है, ऐसे में यात्री वाहनों की बिक्री में 3-5 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि की उम्मीद है।
2024-25 के पहले छह महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यात्री वाहनों की थोक बिक्री में ज्यादा वृद्धि नहीं दिखती। यात्री वाहनों की थोक बिक्री 0.5जी बढक़र 20.81 लाख यूनिट हो गई।
वहीं, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कारों और एसयूवी की बिक्री में 1.8त्न की गिरावट आई। कारों और एसयूवी की बिक्री में आई गिरावट का कारण हैचबैक और सेडान की बिक्री में गिरावट रहा।
एसआईएएम को उम्मीद है कि फेस्टिव सीजन में नई कार के लॉन्च के साथ बिक्री को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
चंद्रा का कहना है कि दूसरी छमाही के दौरान बिक्री को लेकर यकीनन तेजी देखने को मिलेगी। इस तेजी के साथ पहली छमाही में हुई स्थिर वृद्धि की भरपाई की भी उम्मीद है।
इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर चंद्रा का कहना है कि बुनियादी ढांचे की कमी ईवी को अपनाने में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। वे इसे चिकन एंड एग की स्थिति बताते हैं।
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए चंद्रा कहते हैं कि अब चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी बाधाओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, सरकार ने पीएम ई-ड्राइव स्कीम के तहत चार पहिया वाहनों के लिए 22,000 फास्ट चार्जर स्थापित करने के लिए धन आवंटित किया है। इससे मदद मिलने वाली है। बहुत सारे नए लॉन्च हुए हैं, इसलिए ग्राहकों के पास अलग-अलग ब्रांड, बॉडी स्टाइल के विकल्प हैं जो बाजार को उत्साहित करते हैं। ईवी की कीमत एक स्तर तक गिर गई हैं, जहां वे स्वचालित ट्रांसमिशन वाले आईसीई वाहनों से मेल खा रही हैं। ड्राइविंग रेंज भी बढ़ रही है। यह देखते हुए कि यह भविष्य की तकनीक है, अल्पकालिक अड़चनें वास्तव में बहुत ज्यादा परेशान करने वाली नहीं हैं।
वह कहते हैं कि बीते दो वर्षों में बैटरी की कीमत में 50 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है। इस वजह से ईवी की कीमत में कमी देखने को मिली है। सस्ते बैटरी सेल्स, बढ़ते स्थानीयकरण और पैमाने के साथ ईवी की कीमत में और अधिक कमी आएगी।
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में कमर्शियल वाहनों की बिक्री में सालाना आधार पर 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। दूसरी तिमाही में यात्री वाहनों की बिक्री में भी कमी दर्ज हुई है। जबकि, दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री में क्रमश: 12.6त्न और 6.6त्न की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है।
नई दिल्ली । केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत के प्रत्येक नागरिक को सुरक्षित, विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच मिले।
राष्ट्रीय राजधानी में ‘विश्व मानक दिवस’ पर मुख्य भाषण देते हुए मंत्री ने कहा कि उपभोक्ताओं की भलाई गुणवत्तापूर्ण उत्पादों तक पहुंच पर निर्भर करती है, जबकि उद्योग की वृद्धि और लाभ सीधे इन उच्च गुणवत्ता वाले सामानों की मांग से जुड़ी हुई है।
मंत्री जोशी ने उपस्थित लोगों से कहा, यह उपभोक्ताओं और उत्पादकों की परस्पर निर्भरता को स्वीकार करने वाला एक समग्र नजरिया है, जो मजबूत गुणवत्ता पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देता है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस दृष्टिकोण पर जोर दिया कि देश को अपनी सर्वोत्तम गुणवत्ता के लिए पहचाना जाए और भारत खुद को विश्व मानकों का पर्याय बनाने का प्रयास करे।
मंत्री ने जोर देकर कहा, बीआईएस को गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और वैश्विक व्यापार में इसका योगदान भी है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास को समृद्ध बनाने, मेड इन इंडिया लेबल को बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर ब्रांड भारत की स्थापना करने में बीआईएस की बहुत बड़ी भूमिका है।
नया बीआईएस अधिनियम 2016 व्यापार करने में आसानी को और मजबूत करेगा और मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा देगा।
मंत्री के अनुसार, 22,300 से अधिक मानक लागू हैं और 94 प्रतिशत भारतीय मानकों को आईएसओ और आईएसई मानकों के साथ सुसंगत बनाया जा रहा है। मंत्री जोशी ने बताया कि आज 732 उत्पादों के 174 गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) अनिवार्य बीआईएस प्रमाणन के लिए अधिसूचित किए गए हैं, जबकि 2014 तक 106 उत्पादों के केवल 14 क्यूसीओ थे।
उन्होंने कहा, भारत, जो वर्तमान में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, को मानकों में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि वे समाज की रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करते हैं, उत्पाद और सेवा में सुरक्षा, गुणवत्ता और विश्वास सुनिश्चित करते हैं।
नई दिल्ली । संकटग्रस्त एयरलाइन स्पाइसजेट ने मंगलवार को कहा कि उसने एयरकैसल (आयरलैंड) डेजिग्नेटेड एक्टिविटी कंपनी और विलमिंगटन ट्रस्ट एसपी सर्विसेज (डबलिन) लिमिटेड के साथ 23.39 मिलियन डॉलर के विवाद को कुल 5 मिलियन डॉलर में सुलझा लिया है।
कुछ एयरक्राफ्ट इंजन के ट्रीटमेंट से जुड़े समझौते के साथ ही नया समझौता हुआ है। विमानन फर्म ने एक बयान में कहा कि समझौते के तहत, पक्षों के बीच चल रहे सभी मुकदमे और विवाद वापस ले लिए जाएंगे।
पिछले सप्ताह, कम लागत वाली एयरलाइन ने अपने पट्टेदारों, होराइजन एविएशन 1 लिमिटेड, होराइजन ढ्ढढ्ढ एविएशन 3 लिमिटेड और होराइजन एविएशन 2 लिमिटेड के साथ विवादों को सुलझा लिया है। एयरलाइन ने 131.85 मिलियन डॉलर के विवाद को 22.5 मिलियन डॉलर में सुलझा लिया था।
पिछले महीने एयरलाइन ने इंजन लीज फाइनेंस कॉरपोरेशन (ईएलएफसी) के साथ विवाद का निपटारा किया था, जिसने शुरू में 16.7 मिलियन डॉलर का दावा किया था, लेकिन राशि का खुलासा नहीं किया गया था।
स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा, एयरकैसल और विलमिंगटन ट्रस्ट के साथ लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद को सफलतापूर्वक सुलझाकर हम खुश हैं।
यह समझौता कंपनी और सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हित में मामलों को सही तरीके से सुलझाने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
इस बीच, विमान पट्टादाता एविएटर एमएल 29641 लिमिटेड ने लगभग 58 करोड़ रुपये के बकाया किराये को लेकर राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में नया दिवालियापन मामला दायर किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला 16 जून, 2017 को साइन किए बोइंग 737 विमान के लिए लीज समझौते से जुड़ा है। एनसीएलटी ने स्पाइसजेट को अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है और अगली सुनवाई 11 नवंबर को तय की है।
यह ताजा मामला स्पाइसजेट के खिलाफ दिवालियापन याचिकाओं की सीरीज में शामिल हो गया है, जो विक्रेताओं और पट्टेदारों को बकाया राशि का भुगतान न किए जाने से संबंधित है।
एयरलाइन की वित्तीय कठिनाइयों के कारण अदालत ने बकाया राशि का भुगतान न किए जाने के कारण पट्टे पर दिए गए इंजन और विमानों को उड़ान से रोकने का आदेश दिया है।