नई दिल्ली । शेयर बाजार में बिकवाली का दौर जारी है। अक्टूबर के बाद नवंबर में भी बाजार की शुरुआत बड़ी गिरावट से हुई है। सोमवार को शुरुआती कारोबार में बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। सेंसेक्स 800.00 अंक टूटकर 78,924.12 अंक पर कारोबार कर रहा है। वहीं, एनएसई निफ्टी 262.65 अंक गिरकर 24,041.70 अंक पर ट्रेड कर रहा है। बाजार में बड़ी गिरावट से निवेशकों के 2 लाख करोड़ से अधिक स्वाहा हो गए हैं। आपको बता दें कि 31 अक्टूबर को जब बाजार बंद हुआ था तो बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 4,44,71,429.92 यानी 4.44 लाख करोड़ से अधिक था। आज बाजार में बड़ी गिरावट से लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप घटकर 4,42,43,633.25 यानी 4.42 लाख करोड़ रह गया है। इस तरह निवेशकों को 2 लाख करोड़ रुपये का नुसकान एक झटके में हो गया है।
अक्टूबर में 30 लाख करोड़ डूबे
अगर पिछले महीने की बात करें तो निवेशकों के 31 लाख करोड़ रुपये डूब गए। अक्टूबर की शुरुआत में बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 4,74,86,463.65 रुपये था जो 31 अक्टूबर को घटकर 4,44,71,429.92 रह गया। इस तरह पिछले महीने निवेशकों के एक झटके में 30 लाख करोड़ रुपये डूब गए। बाजार में यह बिकवाली विदेशी निवेशकों के चलते आई है। वे अपना पैसा निकालकर चीन के बाजार में लगा रहे हैं। साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के कारण भी बाजार में गिरावट है।
अब क्या करें निवेशक?
मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार में यह गिरावट कहां तक जाएगी, इसका अनुमान लगाना अभी मुश्किल है। इसलिए निवेशक शेयर बाजार से दूरी बनाकर रखें। कोई भी नया निवेश नहीं करें। जब तक बाजार में क्लियर साइन नहीं मिल जाता है कि अब रिकवारी शुरू होगी, तब तक निवेश बिल्कुल नहीं करें। अपने पास पैसा रखें। जब सही मौका आएगा तो ही निवेश करें। अभी निवेशक करना खतरे से खाली नहीं है। पैसा डूब जाएगा।
मुंबई । भारतीय शेयर बाजार संवत 2081 के आगमन के साथ ही निवेशकों के लिए बेहतर निवेश का नया रास्ता खोलने जा रहा है। विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि निवेशकों के पास गतिशील और विकसित होते बाजार में अपने वित्तीय फैसलों को नया रूप देने का अवसर है। यह परंपरा और समृद्धि के साथ, हरित ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और फाइनेंशियल सर्विस जैसे सेक्टर में भारत की उच्च-विकास क्षमता के साथ जुड़ी निवेश रणनीतियों को लेकर एक आदर्श समय है।
बाजार के जानकारों के अनुसार, भारत की विकास पहल, मजबूत घरेलू मांग और इक्विटी बाजार में घरेलू बचत के बढ़ते रुझान को देखते हुए, आने वाला साल निवेश को लेकर नए मानक स्थापित करेगा। संवत वर्ष 2080 में, निवेशकों की संपत्ति केवल एक वर्ष में 128 लाख करोड़ रुपए (वर्तमान विनिमय दर पर लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर) बढक़र 453 लाख करोड़ रुपए हो गई। इससे संवत 2080 सबसे अधिक संपत्ति सृजन वाला वर्ष बन गया, जिसमें स्थिर सरकार, मजबूत बुनियादी ढांचे और घरेलू फंडों द्वारा रिकॉर्ड 4.7 लाख करोड़ रुपये का निवेश शामिल था। संवत 2080 में सोने और चांदी की कीमतों में भी जबरदस्त तेजी देखी गई, दोनों कीमती धातुओं ने क्रमश: 32 प्रतिशत और 39 प्रतिशत का रिटर्न दिया। टेलविंड फाइनेंशियल सर्विसेज के संयुक्त एमडी विवेक गोयल के अनुसार, आज के बाजार में विविधीकरण जरूरी है। उन्होंने आगे कहा, म्यूचुअल फंड, विशेष रूप से इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी और नवीकरणीय ऊर्जा में थीमैटिक फंड, किसी भी स्तर पर निवेशकों के लिए दीर्घकालिक विकास के साथ लाभ का संतुलित, सीधा रास्ता प्रदान करते हैं। निफ्टी 50 और सेंसेक्स जैसे इंडेक्स फंड भी भारत की शीर्ष प्रदर्शन करने वाली कंपनियों से पूंजी लगाने के लिए एक सुलभ और कम लागत वाला मार्ग प्रदान करते हैं। यह विशेष रूप से लगातार रिटर्न पाने के लक्ष्य वाले निष्क्रिय निवेशकों के लिए सही हैं।
ओमनी साइंस कैपिटल के स्मॉलकेस मैनेजर और सीईओ डॉ. विकास गुप्ता ने कहा कि जहां तक मैक्रो का सवाल है, इस बात पर विचार करें कि वास्तविक रूप से जीडीपी वृद्धि 7 प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद है, मुद्रास्फीति आरबीआई के लक्ष्य सीमा के भीतर है और अगले वर्ष वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना है।
उन्होंने कहा, एशिया से यूरोप तक सप्लाई चेन को पटरी से उतारने वाले ब्लैक स्वान को छोडक़र, बाजारों के लिए रास्ता साफ है। बड़े कैप के काफी कम मूल्यांकन और बड़ी आय लाभ की उम्मीदों के साथ, यह संभावना है कि निफ्टी 50 और सेंसेक्स संवत 2081 में बहुत अधिक लाभ दे सकते हैं। स्थिर ब्याज दरों के साथ, निश्चित आय वाली प्रतिभूतियां और डेट म्यूचुअल फंड स्थिरता के साथ नियमित आय प्रदान करते हैं, जबकि सोने और चांदी में निवेश उनके सांस्कृतिक महत्व और मुद्रास्फीति और अस्थिरता के खिलाफ बचाव की वजह से पसंद किया जा रहे हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ भी बहुमूल्य धातुओं को रखने के लिए टैक्स-एफिशिएंट और सुलभ तरीके प्रदान करते हैं। इसके अलावा, रियल एस्टेटस ट्रस्ट (आरईआईटी) के जरिए रियल एस्टेट एक मूल्यवान निवेश का तरीका बना हुआ है। यह निवेशकों को स्वामित्व की जटिलताओं के बिना भारत के बढ़ते वाणिज्यिक रियल एस्टेट क्षेत्र से लाभ उठाने का अवसर देता है।
मुंबई । विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने चार साल बाद अपना की रिकॉर्ड तोड़ दिया है। स्नक्कढ्ढ ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार से 94,000 करोड़ रुपये (करीब 11.2 अरब अमेरिकी डॉलर) निकाले हैं। इस तरह यह एफपीआई की निकासी के मामले में सबसे खराब महीना रहा है। इससे पहले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मार्च, 2020 में शेयरों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे। घरेलू बाजारों में ऊंचे मूल्यांकन तथा चीन के शेयरों के आकर्षक मूल्यांकन की वजह से एफपीआई भारतीय बाजार में बिकवाल बने हुए हैं। एफपीआई ने इस ताजा निकासी से पहले सितंबर में शेयरों में 57,724 करोड़ रुपये डाले थे। यह उनके निवेश का नौ माह का उच्चस्तर था। अप्रैल-मई में 34,252 करोड़ रुपये निकालने के बाद जून से एफपीआई लगातार लिवाल रहे थे।
इस कारण स्टॉक मार्केट से पैसा निकाल रहे निवेशक
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक, प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भविष्य में भू-राजनीतिक घटनाक्रम, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव, चीनी अर्थव्यवस्था में प्रगति और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे जैसे वैश्विक घटनाक्रम भारतीय शेयरों में विदेशी निवेश को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर मुद्रास्फीति का रुख, कंपनियों के तिमाही नतीजे और त्योहारी मांग के आंकड़ों पर एफपीआई की निगाह रहेगी। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। पूरे महीने में सिर्फ एक दिन एफपीआई लिवाल रहे हैं। इस तरह 2024 में शेयरों में उनका कुल निवेश घटकर 6,593 करोड़ रुपये रह गया है।
बिकवाली से सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट
एफपीआई की बिकवाली की वजह से प्रमुख सूचकांक अपने शीर्ष स्तर से करीब आठ प्रतिशत नीचे आ गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने समीक्षाधीन अवधि के दौरान बॉन्ड से सामान्य सीमा के माध्यम से 4,406 करोड़ रुपये निकाले हैं और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) से 100 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
मुंबई । मुंबई रियल्टी बाजार उफान पर है। मुंबई और एमएमआर रीजन में लग्जरी घरों की मांग जबरदस्त बनी हुई है। मांग को पूरा करने के लिए एक के बाद एक नए प्रोजेक्ट लॉन्च हो रहे हैं। अब रियल एस्टेट कंपनी हाउस ऑफ हीरानंदानी ने मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में कई परियोजनाओं के विकास के लिए अगले दो वर्षों में 12,500 करोड़ रुपये का निवेश करने का ऐलान किया है। एक बयान में कंपनी ने कहा कि वह 12,500 करोड़ रुपये के निवेश से एमएमआर में 5 प्रोजेक्ट विकसित करेगी। इस राशि को इक्विटी और आंतरिक स्रोतों के जरिये जुटाया जाएगा।
लग्जरी प्रोजेक्ट बनाने पर कंपनी का फोकस
हाउस ऑफ हीरानंदानी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुरेंद्र हीरानंदानी ने कहा कि मुंबई का बुनियादी ढांचा विकास और विश्वस्तरीय स्थलों की बढ़ती मांग एमएमआर क्षेत्र में हमारे लिए एक जबर्दस्त अवसर पेश करता है। इस निवेश के साथ हम अपनी नियोजित लक्जरी परियोजनाओं के माध्यम से एमएमआर रियल्टी बाजार को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए तैयार हैं। कंपनी ठाणे के हीरानंदानी एस्टेट में 25 एकड़ का भूखंड विकसित करेगी। वह पहले से ही कांदिवली में स्थित ‘कैस्टेलिया’, ठाणे के पंच पखाड़ी में ‘बेलिसिया’ और ठाणे में 350 एकड़ की टाउनशिप जैसे कुछ प्रीमियम लक्जरी टावर विकसित कर रही है। कंपनी अबतक 4.58 करोड़ वर्ग फुट क्षेत्र तथा 26,399 घरों का विकास कर चुकी है।
मुंबई में घरों की कीमत में 15-21 प्रतिशत की वृद्धि
घरों की मांग बढऩे के साथ कीमत भी तेजी से बढ़ी है। रियल एस्टेट प्रौद्योगिकी मंच आरईए इंडिया की अनुषंगी प्रापटाइगर डॉट कॉम की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2024 की तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में ज्यादातर शहरों के आवासीय बाजार में संपत्ति कीमत दहाई अंक में बढ़ी है। यह वृद्धि, खासकर लक्जरी मकानों की बढ़ती मांग के कारण हुई है।मुंबई और बेंगलुरु में भी आवासीय इकाइयों की कीमतों में 15-21 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि हुई। चेन्नई और कोलकाता में सालाना आधार पर 22 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार, अक्सर मुंबई की तुलना में किफायती विकल्प माने जाने वाले पुणे में भी 18 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
नई दिल्ली । दुनिया की शीर्ष मोबाइल फोन निर्माता कंपनी एप्पल अपने इंटेलिजेंस फीचर में तेजी से और अधिक भाषाओं को जोड़ रही है। कंपनी ने हाल ही में घोषणा की है कि अगले साल अप्रैल महीने से इसका सॉफ्टवेयर कई अन्य भाषाओं के साथ इंडियन इंग्लिश यानि भारतीय अंग्रेजी भाषा भी सपोर्ट करने लगेगा।
टेक की दिग्गज कंपनी एप्पल ने घोषणा की है कि आईफोन, आईपैड और मैक उपयोगकर्ताओं के लिए एप्पल इंटेलिजेंस सुविधाओं का पहला सेट अब आईओएस 18.1, आईपैड ओएस 18.1 और मैक ओएस सिकुआ 15.1 के रिलीज के साथ एक मुफ्त सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से उपलब्ध है।
बता दें कि एप्पल इंटेलिजेंस एक व्यक्तिगत इंटेलिजेंस प्रणाली है। यह भाषा और फोटो को समझ उसे क्रिएट करने के साथ ही रोजमर्रा के कार्यों को आसान और त्वरित बनाने के लिए जानकारी प्राप्त करती है। इसके साथ ही एप्पल एआई प्रणाली गोपनीयता बरकरार रखने में भी मदद करती है।
कंपनी ने कहा, आज सुविधाओं का पहला सेट उपलब्ध हो गया है, तथा आने वाले महीनों में कई और सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
इसी साल दिसंबर से, एप्पल इंटेलिजेंस ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, आयरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका और यूके में स्थानीयकृत अंग्रेजी के लिए उपलब्ध होगा, और अप्रैल में एक सॉफ्टवेयर अपडेट के साथ स्थानीय भाषाओं को भी सपोर्ट देने लगेगा। इसके बाद इसमें कई और अपडेट आएंगे।
आईफोन निर्माता कंपनी ने कहा, चीनी, अंग्रेजी (भारत), अंग्रेजी (सिंगापुर), फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, जापानी, कोरियाई, पुर्तगाली, स्पेनिश, वियतनामी और अन्य भाषाओं को भी ये सपोर्ट करेगा।
एप्पल के सीईओ टिम कुक ने इसकी जानकारी देते हुए बताया, एप्पल इंटेलिजेंस आईफोन, आईपैड और मैक के लिए एक नए युग की शुरुआत करेगा। जो नए अनुभव और उपकरण प्रदान करता है, जो हमारे उपयोगकर्ताओं की जिंदगी को बदल कर रख देगा।
उन्होंने कहा, एप्पल इंटेलिजेंस बरसों की मेहनत के बाद तैयार किया गया है। जिसका ध्येय एआई और मशीन लर्निंग को एप्पल जनरेटिव मॉडल के मूल में रखना है। ये हमारे उपयोगकर्ताओं को एक व्यक्तिगत इंटेलिजेंस सिस्टम देता है, जिसका उपयोग करना आसान है। यह उनकी गोपनीयता की रक्षा भी करता है।
आईओएस, आईपैड ओएस और मैक ओएस में इंटीग्रेटेड है। जो यूजर्स को राइटिंग टूल के माध्यम से मेल, संदेश, नोट्स, पेज और थर्ड पार्टी एप्लिकेशन सहित री राइटिंग, प्रूफरीडिंग और टेक्स्ट का सारांश प्रस्तुत कर अपनी भाषा में लिखने की सहूलियत देता है।
मुंबई । धनतेरस के प्रमुख त्योहार के दौरान देश में सोने की मांग मजबूत हुई है। एमएमटीसी-पीएएमपी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह बात कही। अधिकारी के मुताबिक, आयात शुल्क में हाल ही में की गई कटौती और पारंपरिक खरीद पैटर्न के चलते बाजार में रौनक है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, एमएमटीसी-पीएएमपी के प्रबंध निदेशक और सीईओ विकास सिंह ने बताया कि हमारे शुद्ध सोने के प्रोडक्ट्स की लगातार मांग के साथ, इस धनतेरस सीजन में सोने के लिए बाजार की धारणा मजबूत बनी हुई है।
आयात शुल्क में कटौती का असर
खबर के मुताबिक, अधिकारी ने कहा कि आयात शुल्क में 15 प्रतिशत से 6 प्रतिशत की कटौती से त्योहारी सीजन में खरीदारी बढ़ी है, क्योंकि उपभोक्ता उच्च शुद्धता वाले सोने के उत्पादों को अधिक पसंद कर रहे हैं। सिंह ने कहा कि गुणवत्ता और शुद्धता के लिए ग्राहकों की प्राथमिकता खरीद फैसलों में एक प्रमुख चालक बनी हुई है, खासतौर से हमारे 99. 99 प्रतिशत से अधिक शुद्धता वाले 24 कैरेट सोने के उत्पादों के लिए। सिंह ने कहा कि पॉजिटिव गति आगामी शादी के मौसम में जारी रहने की उम्मीद है, जो परंपरागत रूप से भारत की वार्षिक सोने की खपत का लगभग आधा हिस्सा है।
सांस्कृतिक प्रथाओं से भी मिलता है बाजार को सपोर्ट
एमएमटीसी-पीएएमपी के मुताबिक, मौसमी कारकों से परे, सोने की मांग साल भर चलने वाली सांस्कृतिक प्रथाओं से भी लाभान्वित होती है। बच्चे के जन्म और नामकरण समारोह के दौरान पारंपरिक अनुष्ठान, जो साल के किसी भी समय हो सकते हैं, इस कीमती धातु के महत्व और आशीर्वाद के रूप में विचार के कारण इसके मूल्य में वृद्धि करते रहते हैं। भारत दुनिया के सबसे बड़े सोने के उपभोक्ताओं में से एक है, जिसकी मांग सांस्कृतिक और धार्मिक कारकों और निवेश संबंधी विचारों से प्रेरित है।
विश्व स्वर्ण परिषद ने बीते अगस्त में अनुमान लगाया था कि 2024 में भारत में सोने की खपत 850 टन हो सकती है। इससे पहले 750 टन का अनुमान लगाया था। इस बढ़ोतरी का श्रेय अच्छे मॉनसून और सोने पर शुल्क में कमी को दिया जा रहा है। मांग आभूषणों से प्रेरित है। दिवाली-धनतेरस से काफी उम्मीदें हैं।