नई दिल्ली । इक्विटी म्यूचुअल फंड इनफ्लो अक्टूबर में 21.69 प्रतिशत बढक़र 41,887 करोड़ रुपए हो गया है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के डेटा के अनुसार, यह बढ़त सभी इक्विटी फंड कैटेगरी में हुई है।
वहीं, सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) इनफ्लो अक्टूबर में ऑल-टाइम हाई 25,322 करोड़ रुपये रहा है। सितंबर में यह आंकड़ा 24,509 करोड़ रुपये पर था। यह पहला मौका है जब एसआईपी निवेश 25,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। अक्टूबर 2024 में एसआईपी खातों की संख्या अब तक की सबसे अधिक 10.12 करोड़ थी। सितंबर में यह 9.87 करोड़ थी। पिछले महीने नेट 24.19 लाख एसआईपी खाते जुड़े।
डेटा के मुताबिक, ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड्स का प्रदर्शन अक्टूबर में अच्छा रहा है। यह लगातार 44वां महीना था, जब इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश सकारात्मक रहा है। बीते महीने स्मॉलकैप, मिडकैप और लार्जकैप तीनों ही कैटेगरी में मजबूत निवेश हुआ है। लार्ज-कैप फंड कैटेगरी में अक्टूबर में इनफ्लो मासिक आधार पर दोगुना होकर 3,452 करोड़ रुपये रहा है। मिडकैप फंड कैटेगरी में शुद्ध निवेश मासिक आधार पर 50 प्रतिशत बढक़र 4,683 करोड़ रुपये रहा है।
स्मॉलकैप फंड कैटेगरी में इनफ्लो मासिक आधार पर 23 प्रतिशत बढक़र 3,772 करोड़ रुपये रहा है। म्यूचुअल फंड इनफ्लो में बढ़ोतरी ऐसे समय पर हुई है, जब शेयर बाजार का प्रदर्शन कमजोर बना हुआ है। अक्टूबर में सेंसेक्स और निफ्टी में क्रमश: 5.77 प्रतिशत और 6.22 प्रतिशत की गिरावट हुई है। सेक्टोरल और थिमैटिक फंड्स में इनफ्लो अक्टूबर में मासिक आधार पर 7 प्रतिशत गिरकर 12,279 करोड़ रुपये रहा है।
बीते महीने सेक्टोरल और थिमैटिक फंड्स कैटेगरी में आए न्यू फंड्स ऑफर्स ने 3,517 करोड़ रुपये जुटाए हैं। अक्टूबर में शॉर्ट-ड्यूरेशन लिक्विड फंड कैटेगरी में सबसे अधिक 83,863 करोड़ रुपये का निवेश आया है। इसके बाद ओवरनाइट फंड्स और मनी मार्केट फंड में 25,783 करोड़ रुपये और 25,303 करोड़ रुपये का इनफ्लो आया है।
नई दिल्ली । भारतीय शेयर बाजार का आउटलुक अगले हफ्ते आने वाले घरेलू महंगाई एवं इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन के आंकड़े, अमेरिका और चीन के आर्थिक डेटा एवं एफआईआई की गतिविधियों पर निर्भर करेगा। बीते हफ्ते भारतीय शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली। निफ्टी 0.64 प्रतिशत या 156 अंक गिरकर 24,248 और सेंसेक्स 0.30 प्रतिशत या 237 अंक गिरकर 79,486 पर बंद हुआ।
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट की वजह दूसरी तिमाही के नतीजों का कमजोर आना, डॉलर का मजबूत होना और एफआईआई द्वारा बाजार में लगातार बिकवाली करने को माना जा रहा है। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के बाद निफ्टी आईटी इंडेक्स 4 प्रतिशत की तेजी आई है और निफ्टी रियल्टी इंडेक्स 4 प्रतिशत फिसल गया है। 4 नवंबर से लेकर 8 नवंबर तक के कारोबारी सत्र में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा 19,638.24 करोड़ रुपये की बिकवाली की गई है और इस दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 14,391 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे गए हैं।
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च प्रमुख, संतोष मीना का कहना है कि आने वाले समय में यूएस बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स का प्रदर्शन काफी महत्वपूर्ण रहेगा, क्योंकि अमेरिकी चुनावों के नतीजों के साथ ही दोनों में तेजी देखने को मिली है। साथ ही निवेशकों की निगाहें आने वाले हफ्ते में एफआईआई की गतिविधियों पर भी रहेंगी।
मीना ने आगे कहा कि निफ्टी 20 दिन के मूविंग एवरेज 24,500 को पार करने में कठिनाई का सामना कर रहा है। अगर यह इस स्तर को पार कर टिकता है तो एक शॉर्ट कवरिंग देखने को मिल सकती है। इसमें ऊपर स्तरों पर रुकावट 24,700 और 25,000 के आसपास है। निचले स्तर पर सपोर्ट 24,075, 23,800 और 23,500 के करीब है।
पलका अरोड़ा चोपड़ा ने कहा कि बैंक निफ्टी 50,500 -52600 की रेंज में है। इस दो हजार अंक की रेंज में खरीदारी का स्तर 50,500 और बिकवाली का स्तर 52,500 के आसपास है। बाजार को स्थिति के मुताबिक इसके फिसलने की उम्मीद है। गिरावट पर बैंक निफ्टी का सपोर्ट 51,800 और 51,300 के आसपास है। अगर यह इन लेवल को होल्ड नहीं कर पाता है तो 50,800 के स्तर देखने को मिल सकते हैं।
बेंगलुरु । भारत सरकार की ओर से सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के लिए चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2024-25) में 1.54 लाख करोड़ रुपए का अतिरिक्त एमएसएमई लोन प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंकों और एनबीएफसी को एमएसएमई के लिए कुल लोन वृद्धि का लक्ष्य वित्त वर्ष 2024-25, 2025-26 और 2026-27 में क्रमश: 5.75 लाख करोड़ रुपए, 6.21 लाख करोड़ रुपए और 7 लाख करोड़ रुपए रखना चाहिए।
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग और स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) की पार्टनरशिप में आयोजित किए गए 'नेशनल एमएसएमई कल्स्टर आउटरीच' प्रोग्राम में केंद्रीय वित्त मंत्री ने देश में इनोवेशन, रोजगार पैदा करने और देश को आत्मनिर्भर बनाने में एमएसएमई के महत्व पर प्रकाश डाला।
वित्त मंत्री ने उद्यमियों से भी बातचीत की और बताया कि कैसे सरकार और वित्तीय संस्थाएं उनकी आगे बढऩे में मदद कर रही हैं। सीतारमण ने कहा कि बैंकों को एमएसएमई सेक्टर को लोन उपलब्ध कराने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है।
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री जीतन राम मांझी ने एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार की पहल पर प्रकाश डाला और सभी बैंकों से ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्यमों को अधिक लोन देने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
इवेंट में वित्त मंत्री सीतारमण ने कर्नाटक में वर्चुअल तरीके से छह नई सिडबी शाखाओं का भी उद्घाटन किया। इससे एमएसएमई तक सिडबी की पहुंच और वित्तीय सहायता का विस्तार हुआ है। इसके अलावा सीतारमण ने महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने के लक्ष्य के साथ बेंगलुरु, चेन्नई, जयपुर और विशाखापत्तनम में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की चार नारी शक्ति शाखाओं और बेंगलुरु में केनरा बैंक के लर्निंग सेंटर का भी उद्घाटन किया।
वित्त मंत्री सीतारमण ने सिडबी के 11 एमएसएमई ग्राहकों को कुल मिलाकर 25.75 करोड़ रुपये के लोन मंजूरी पत्र दिए। इसके साथ यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की नारी शक्ति शाखा के 2 एमएसएमई ग्राहकों को कुल 11 करोड़ रुपये के मंजूरी पत्र दिए।
नई दिल्ली । भारत का स्टील निर्यात इस साल अक्टूबर में सितंबर के मुकाबले 11 प्रतिशत बढ़ा है, जो दिखाता है कि इस सेक्टर के आउटलुक में सुधार हो रहा है। यह जानकारी स्टील मंत्रालय के द्वारा जारी किए गए डेटा से मिली।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अक्टूबर में भारत की ओर से 4.4 मिलियन टन स्टील का निर्यात किया गया है, जो कि सितंबर में 4 मिलियन टन था। आयात में गिरावट आई है जिससे घरेलू स्टील कंपनियों को तीसरी तिमाही में अपने उत्पादों के लिए बेहतर कीमत पाने में मदद मिलेगी।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में पहली बार इस महीने के दौरान आयात धीमा हो गया क्योंकि सरकार ने वियतनाम जैसे देशों से आने वाले खराब गुणवत्ता वाले स्टील पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके परिणामस्वरूप, स्टील आयात अक्टूबर में 4 प्रतिशत गिरकर 9.8 लाख टन रह गया है, जो कि सितंबर में 11 लाख टन था।
सेल के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, घरेलू स्टील क्षेत्र में कुछ सुधार हुआ है और लॉन्ग प्रोडक्ट्स की कीमत सितंबर की तुलना में लगभग 2 प्रतिशत बढक़र 53,000 रुपये प्रति टन हो गई है। वहीं, जेएसडब्ल्यू स्टील के सीईओ जयंत आचार्य ने एक इन्वेस्टर्स कॉल में कहा कि सितंबर में भारी गिरावट के बाद कीमतें बढ़ रही हैं, जब आयात रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था।
2024-25 में भारत का स्टील उत्पादन 8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि के साथ 152 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो हाइवे, पोर्ट और रेलवे जैसी बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर सरकारी खर्च से बढऩे, शहरीकरण और निर्माण गतिविधियों में वृद्धि से स्टील उत्पादों की मांग बढ़ रही है।
भारत में स्टील सेक्टर के तेजी से बढऩे की वजह अर्थव्यवस्था की तेजी गति का होना है। वित्त वर्ष 2023-24 में देश की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत रही थी, जो कि चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
नई दिल्ली । भारत विकास की राह पर अग्रसर है। देश 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए तैयार हो रहा है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत की विकास गाथा देश की मौजूदा 3.5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को अगले 25 वर्षों में 35 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाएगी।
अमेजिंग गोवा ग्लोबल बिजनेस समिट 2024 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए गोयल ने कहा कि 21वीं सदी भारत के नाम होगी। भारत आने वाले तीन वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। वर्तमान में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
उन्होंने आगे कहा, भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद की वजह से अर्थव्यवस्था में तेजी देखी जा रही है। हम सबसे तेजी से बढऩे वाली अर्थव्यवस्था हैं। कम मुद्रास्फीति, मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार और निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल ने पिछले दशक की तुलना में पिछले 10 वर्षों में भारत में दोगुना एफडीआई लाया है।
उन्होंने कहा, हम 2047 तक भारत को एक विकसित और समृद्ध राष्ट्र बनाने के लिए एक केंद्रित दृष्टिकोण के साथ काम कर रहे हैं। ठीक इसी समय में हम स्वतंत्रता के 100 साल पूरे होने का जश्न मना रहे होंगे।
उन्होंने कहा, हम 2014 में 10वें सबसे बड़े जीडीपी वाले देश थे और भारत के लोगों में बहुत कम उम्मीद थी। मुझे आपके साथ यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। अगले तीन वर्षों में हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि आज भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में एक भरोसेमंद भागीदार माना जाता है। वाइब्रेंट गोवा फाउंडेशन की पहल पर आयोजित इस शिखर सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु और अन्य लोग मौजूद थे।
मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने जोर देते हुए कहा कि गोवा पीएम मोदी के दृष्टिकोण में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, आज, हम नए गोवा को पेश करने के लिए यहां हैं, जो भविष्य में एक निवेश गंतव्य के रूप में उभरने के लिए तैयार है। हम पर्यटन से आगे बढक़र राज्य को उभरते उद्योगों का एक संपन्न केंद्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जो गोवा को वैश्विक मानचित्र पर उजागर करेगा।
नई दिल्ली । प्रीमियम, 5जी और एआई स्मार्टफोन की मजबूत मांग के कारण भारत के स्मार्टफोन बाजार में इस साल तेजी का अनुमान जताया जा रहा है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत के स्मार्टफोन बाजार में 7-8 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। वहीं, भारत में मोबाइल हैंडसेट बाजार में स्थिर वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है।
साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) के विश्लेषक-इंडस्ट्री इंटेलिजेंस ग्रुप (आईआईजी) पंकज जादली ने कहा, जैसे-जैसे ब्रांड टेक्नोलॉजी के अंतर को कम करने और किफायती 5जी डिवाइस पेश करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, प्रतिस्पर्धा तेज होने की संभावना बढ़ती जाती है। आने वाली तिमाहियों में एआई-इनेबल्ड डिवाइस को लेकर ग्राहकों की पसंद बनी रहेगी।
तीसरी तिमाही में, वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारत के स्मार्टफोन बाजार में 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भारत में उपभोक्ता मांग मजबूत बनी हुई है, जो मिड-रेंज और प्रीमियम स्मार्टफोन को पसंद करने के कारण है।
5जी स्मार्टफोन शिपमेंट की हिस्सेदारी बढक़र 82 प्रतिशत हो गई, जो कि सालाना आधार पर 49 प्रतिशत की एक बड़ी वृद्धि है।
तिमाही के दौरान 18 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ वीवो 5जी स्मार्टफोन बाजार में सबसे आगे रहा, जबकि सैमसंग 17 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर रहा।
सीएमआर की एनालिस्ट-इंडस्ट्री इंटेलिजेंस ग्रुप मेनका कुमारी के अनुसार, भारत का स्मार्टफोन बाजार अनुकूलनशीलता प्रदर्शित कर रहा है, जिसमें उपभोक्ता प्राथमिकताएं 5जी अपनाने और प्रीमियम सुविधाओं पर अधिक केंद्रित हैं।
5जी स्मार्टफोन की निरंतर वृद्धि 10 हजार-13 हजार प्राइस बैंड के साथ जुड़ी है। जो कि किफायती कीमत पर हाई-परफॉर्मेंस डिवाइस चाहने वाले ग्राहकों की बढ़ती संख्या का संकेत है।
इसके अतिरिक्त, प्रीमियम फोन की लहर मजबूत बनी हुई है, प्रीमियम सेगमेंट (25,000 रुपये से ऊपर) में 26 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि देखी गई। एप्पल ने सबसे महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की, जिसमें शिपमेंट में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में फीचर फोन बाजार में तीसरी तिमाही में 14 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण 4जी फीचर फोन शिपमेंट में 46 प्रतिशत की एक बड़ी गिरावट है।