नई दिल्ली। असम के मोरीगांव में टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड (टीएसएटी) की अगुआई में 27,000 करोड़ रुपये के निवेश से बनने वाली सेमीकंडक्टर यूनिट का विकास 2025 के मध्य में पूरा होने वाला है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के अनुसार, यह भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के लिए बड़ा बदलाव साबित होगा।
मोरीगांव प्लांट में प्रतिदिन 48 मिलियन सेमीकंडक्टर चिप्स का उत्पादन होने की उम्मीद है। इसमें फ्लिप चिप और इंटीग्रेटेड सिस्टम इन पैकेज (आईएसआईपी) जैसी एडवांस पैकेजिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा।
ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, दूरसंचार और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे सेक्टर की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन की गई यह परियोजना देश की प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग साइटों में से एक बनने जा रही है। यह आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम स्थापित करने के देश के लक्ष्य के लिए अहम है।
मोरीगांव यूनिट टेक्नोलॉजी विकास से कहीं आगे जाती है, यह 15,000 प्रत्यक्ष और 11,000-13,000 अप्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन कर महत्वपूर्ण सामाजिक-आर्थिक लाभ लाती है, जो असम और आस-पास के क्षेत्रों में क्षेत्रीय आर्थिक विकास में योगदान देती है।
बयान में कहा गया है कि उच्च क्षमता वाली उत्पादन साइट के रूप में, दैनिक उत्पादन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए होगा, जिससे भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में एक प्रतिस्पर्धी शक्ति के रूप में स्थापित होगा।
उद्योग अनुमानों के अनुसार 2023 में भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार लगभग 38 बिलियन डॉलर से 2030 तक 109 बिलियन डॉलर तक की वृद्धि का अनुमान है। इस तीव्र विस्तार का समर्थन करने और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए, भारत सरकार ने घरेलू सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई पहलों को लागू किया है।
भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) का उद्देश्य एक स्थायी सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का निर्माण करना है जो भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और डिजाइन में अग्रणी के रूप में स्थापित करेगा।
2021 में 76,000 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ शुरू किया गया, सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम प्रोत्साहन और रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से घरेलू सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने को लेकर अहम है।
यह पहल सेमीकंडक्टर उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों का समर्थन करती है, जो केवल निर्माण सुविधाओं (फैब्स) से आगे बढक़र पैकेजिंग, डिस्प्ले वायर, आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली और टेस्टिंग, सेंसर और दूसरे महत्वपूर्ण घटकों को शामिल करती है, जिससे एक बड़ा इकोसिस्टम बनता है।
कार्यक्रम के तहत, चार योजनाएं भारत में सेमीकंडक्टर फैब्स स्थापित करने की संशोधित योजना, भारत में डिस्प्ले फैब्स स्थापित करने की संशोधित योजना, भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब/डिस्क्रीट सेमीकंडक्टर फैब और सेमीकंडक्टर एटीएमपी/ओएसएटी सुविधाएं स्थापित करने की संशोधित योजना और डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव योजनाएं शुरू की गई हैं।
मोरीगांव सेमीकंडक्टर सुविधा भारत की सेमीकंडक्टर उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार समर्थित परियोजनाओं के व्यापक नेटवर्क का हिस्सा है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूरे देश में कई सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना को मंजूरी दी है, जिसमें गुजरात के धोलेरा में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और गुजरात के साणंद में सीजी पावर की नई सुविधाएं शामिल हैं।
इसके अलावा, कायन्स सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड को साणंद में एक यूनिट स्थापित करने की भी मंजूरी दी गई।
यह विस्तार सेमीकंडक्टर आयात पर निर्भरता को कम करने और वैश्विक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
सरकार ने मोहाली में सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला के आधुनिकीकरण और इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टर के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना और बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को लागू करने पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
ये प्रयास सेमीकंडक्टर उत्पादन के हर सेगमेंट के लिए समर्थन सुनिश्चित करते हैं, एक इकोसिस्टम को बढ़ावा देते हैं जिसमें चिप डिजाइन, निर्माण, टेस्टिंग और असेंबली शामिल है।
बयान में कहा गया है कि दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की मांग बढऩे के साथ ही भारत का बढ़ता सेमीकंडक्टर इंफ्रास्ट्रक्चर इनोवेशन को बढ़ावा देगा, रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा और वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में एक बड़े प्लेयर के रूप में देश की स्थिति को मजबूत बनाएगा।
नई दिल्ली । भारत ने 2030 तक अपनी प्राथमिक ऊर्जा आवश्यकता का 50 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा से पूरा करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसी के साथ देश में लिथियम-आयन बैटरी की मांग वित्त वर्ष 2027 तक 54 गीगावाट घंटे (जीडब्ल्यूएच) और वित्त वर्ष 2030 तक 127 गीगावाट घंटे तक तेजी से बढऩे की उम्मीद की जा रही है।
वर्तमान में, 15 गीगावाट घंटे की घरेलू लिथियम-आयन बैटरी भंडारण मांग लगभग पूरी तरह से लिथियम-आयन सेल और बैटरी के आयात से पूरी की जाती है।
भारत अपनी लिथियम आयन बैटरी की जरूरत आयात से पूरी करता है। केयरएज रेटिंग्स को उम्मीद है कि देश की बैटरी को लेकर यह आयात जरूरत वित्त वर्ष 2027 तक घटकर 20 प्रतिशत रह जाएगी। हालांकि, लिथियम आयन बैटरी स्टोरेज के लिए बड़े पैमाने पर इंटीग्रेटेड कैपेसिटी पैदा करने की वजह से मांग में तेजी जारी रहेगी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि मांग में वृद्धि मुख्य रूप से ईवी के प्रवेश में वृद्धि और बिजली ग्रिड के डीकार्बोनाइजेशन से प्रेरित है, जिसे केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की महत्वाकांक्षी सरकारी लक्ष्यों और नीतियों/प्रोत्साहनों से समर्थन मिला है।
सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण योजना (एफएएमई), बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के लिए वीडीएफ योजना पर ध्यान दे रही है, जिससे ईवी और बीईएसएस की लागत कम करने में मदद मिली है, जिससे मांग को बढ़ावा मिला है।
केंद्र ने 2030 तक वार्षिक बिक्री के प्रतिशत के रूप में 30 प्रतिशत ईवी प्रवेश दर हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
भारत ने पहले ही पीएलआई योजना के तहत 40 गीगावाट घंटा इंटीग्रेटेड बैटरी कैपेसिटी आवंटित की है, शेष 10 गीगावाट घंटा जल्द ही आवंटित किए जाने की उम्मीद है।
इसके अतिरिक्त, भारत में मौजूदा पारंपरिक बैटरी निर्माता और कुछ अन्य कंपनियों से योजना के बाहर बैटरी क्षमता स्थापित करने की उम्मीद है।
केयरएज रेटिंग्स के निदेशक हार्दिक शाह ने कहा कि भारत में लिथियम-आयन बैटरी स्टोरेज की मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है, जो मुख्य रूप से ईवी और रिन्यूएबल एनर्जी स्टोरेज से जुड़ी जरूरतों की ओर माइग्रेशन से जुड़ी है।
इसके परिणामस्वरूप, भारत में गीगा-साइज इंटीग्रेटेड बैटरी कैपेसिटी आने के कारण, आयात पर भारत की निर्भरता वर्तमान में लगभग पूर्ण निर्भरता से वित्त वर्ष 27 तक तेजी से घटकर 20 प्रतिशत हो जाने की उम्मीद है।
नई दिल्ली । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस युग में पांच में से एक आईटी निर्णयकर्ता को एआई और मशीन लर्निंग से जुड़े टैलेंट को खोजने में परेशानी आती है।
लेटेस्ट रिपोर्ट एडवांस स्किल जैसे एआई और मशीन लर्निंग से जुड़े टैलेंट को लेकर एक बड़ी कमी को उजागर करती है।
ट्रांसफॉर्मेटिव लर्निंग एक्सपीरियंस प्लेटफॉर्म स्किलसॉफ्ट की रिपोर्ट से पता चला है कि आईटी निर्णयकर्ता साइबर सिक्योरिटी और इंफोर्मेशन सिक्योरिटी जैसी भूमिकाओं की हायरिंग के लिए भी परेशानी झेल रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, एआई/एमएल आईटी निर्णयकर्ताओं के लिए शीर्ष निवेश प्राथमिकता बनी हुई है क्योंकि वे लगभग 30 दक्षताओं में टीम के सदस्यों के बीच इस स्किल सेट को सबसे कम रैंक देते हैं।
5,100 से अधिक वैश्विक आईटी निर्णयकर्ताओं और पेशेवरों पर आधारित वार्षिक रिपोर्ट, आईटी उद्योग की स्थिति की जांच करती है और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल रखने के लिए कार्यबल को अपस्किलिंग और रीस्किलिंग की बढ़ती आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
लगभग 65 प्रतिशत आईटी निर्णयकर्ताओं ने कहा कि उनकी टीमों में कौशल (स्किल) की कमी है, जबकि 72 प्रतिशत मौजूदा प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें दूर करने की योजना बना रहे हैं।
स्किलसॉफ्ट की मुख्य सूचना अधिकारी ओरला डेली ने कहा, इस वर्ष ने यह दिखाया है कि जब टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री की बात आती है, तो परिवर्तन और निरंतर अनुकूलन की आवश्यकता होती है।हमारी रिपोर्ट वर्तमान संगठनात्मक प्राथमिकताओं और कौशल आवश्यकताओं पर प्रकाश डालती है। साथ ही रिपोर्ट इस बारे में बताती है कि लीडर्स और आम व्यक्ति बेहतर व्यावसायिक परिणाम प्राप्त करने के लिए सीखने के अवसरों को कैसे अपना सकते हैं।
डेली ने आगे कहा, एआई टेक्नोलॉजी वर्कप्लस में इस्तेमाल होती जा रही है। इसी के साथ साइबर सिक्योरिटी टैलेंट और लीडरशिप स्किल की मांग बढ़ रही है। यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है कि संगठन कौशल निर्माण के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाएं। इसमें न केवल समग्र प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना शामिल है, बल्कि नए कौशल को व्यवहार में लाने के अवसरों के साथ निरंतर सीखने और इनोवेशन को बढ़ावा देना भी शामिल है।
रिपोर्ट कौशल कार्यक्रमों की प्रभावशीलता में बड़े अंतरों को दिखाती है। आईटी के लगभग एक चौथाई (22 प्रतिशत) निर्णयकर्ताओं ने अपने संगठन की प्रतिभा विकास पहलों से असंतोष व्यक्त किया।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि आईटी पेशेवरों को इन-पर्सन और इंस्ट्रक्टर-लेड सेशन ज्यादा प्रभावी लगते हैं। इसके बाद ऑनलाइन, इन-पर्सन ट्रेनिंग और ऑनलाइन-इंस्ट्रक्टर-लेड ऑप्शन्स पसंद आते हैं, जो कस्टमाइज ट्रेनिंग मेथड की जरूरत को दर्शाता है।
नई दिल्ली । सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अक्टूबर में देश में कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री 14.2 प्रतिशत बढक़र 21.64 लाख यूनिट हो गई, जबकि अक्टूबर 2023 में यह आंकड़ा 18.96 लाख यूनिट था।
कार और एसयूवी को मिलाकर यात्री वाहनों की बिक्री भी अक्टूबर में बढक़र 3.93 लाख यूनिट के अपने उच्चतम मासिक स्तर पर पहुंच गई, जो अक्टूबर 2023 के 3.9 लाख यूनिट के उच्च आधार आंकड़े से 0.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
सियाम के महानिदेशक राजेश मेनन ने कहा, अक्टूबर 2024 में दो प्रमुख त्योहार दशहरा और दीपावली थे, दोनों एक ही महीने में पड़े, जो उच्च उपभोक्ता मांग बढ़ावा देने की वजह बने। इससे ऑटो इंडस्ट्री की परफॉर्मेंस को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला।
यात्री वाहनों (पीवी) ने अक्टूबर 2024 में 3.93 लाख यूनिट की अपनी अब तक की सबसे अधिक बिक्री दर्ज की, जो 0.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ पिछले अक्टूबर के उच्च आधार पर है।
यह उच्च वृद्धि वाहन व्हीकल रजिस्ट्रेशन डेटा में भी दिखी, जिसमें अक्टूबर 2023 की तुलना में अक्टूबर 2024 में यात्री वाहनों और दोपहिया वाहनों दोनों के रजिस्ट्रेशन में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई।
मेनन के अनुसार, हालांकि, पिछले साल के अक्टूबर की तुलना में तिपहिया वाहनों की बिक्री में मामूली 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई। यह बिक्री अक्टूबर 2024 में 0.77 लाख यूनिट रही। पिछले अक्टूबर की तुलना में रजिस्ट्रेशन में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि दोपहिया वाहनों की बिक्री में वृद्धि का श्रेय ग्रामीण आय में वृद्धि को जाता है क्योंकि इस साल सामान्य मानसून के कारण फसल की पैदावार बेहतर हुई, जिसके परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र में आय में वृद्धि हुई।
सरकार द्वारा विभिन्न फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है, जिसके कारण ग्रामीण परिवारों द्वारा उपभोग वस्तुओं पर अधिक व्यय किया गया है।
यह भारत के फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) सेक्टर में भी देखा गया, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में खपत शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी है।
नील्सनआईक्यू सर्वेक्षण के अनुसार, इस वर्ष जुलाई-सितंबर तिमाही में एफएमसीजी वस्तुओं की बिक्री में मूल्य के हिसाब से 5.7 प्रतिशत और मात्रा के हिसाब से 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो लगातार तीसरी तिमाही में ग्रामीण मांग के कारण हुई। इतना ही नहीं, यह शहरी बाजारों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी।
नई दिल्ली । रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम कंपनी जियो ने सैटेलाइट कम्यूनिकेशन्स कंपनियों को नीलामी के बिना स्पेक्ट्रम आवंटित करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। जियो ने कहा कि स्पेक्ट्रम नीलामी भारतीय कंपनियों को विदेशी सैटेलाइट कम्यूनिकेशन्स कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगी। कंपनी ने इस मामले में टेलीकॉम रेगुलेटर ञ्जक्र्रढ्ढ को लिखी एक चि_ी में कहा कि एलन मस्क की स्टारलिंक और अमेजन की कुइपर का जॉइंट सैटकॉम बैंडविड्थ पिछले कुछ सालों में सभी तीन प्रमुख भारतीय टेलीकॉम कंपनियों की बनाई गई क्षमता से ज्यादा है।
विदेशी कंपनियों को लेकर क्या बोला जियो
जियो ने कहा, ‘‘नीलामी के माध्यम से स्पेक्ट्रम आवंटन भारतीय कंपनियों को विदेशी कंपनियों के साथ सीधे प्रतिस्पर्धा करने का अवसर प्रदान करेगा। विदेशी कंपनियों ने पहले आओ, पहले पाओ पर आधारित आईटीयू (अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ) प्राथमिकता लिस्ट को बाधित किया है और अपने खुद के समूह की योजना बनाई है।’’ कंपनी ने कहा कि स्पष्टता और निश्चितता के अभाव में स्पेक्ट्रम आवंटन/प्राथमिकता के बावजूद, कोई भी भारतीय कंपनी कभी भी अपना खुद का एनजीएसओ (गैर-जियोस्टेशनरी कक्षा) शुरू नहीं कर पाएगी।
जियो ने इस तर्क को भी किया खारिज
बताते चलें कि टेलीकॉम एक्ट-2023 में सैटकॉम कंपनियों को नीलामी के बिना प्रशासनिक व्यवस्था के माध्यम से स्पेक्ट्रम आवंटन करने की बात कही गई है। इसका कारण उपग्रह कंपनियों को आवंटित रेडियो तरंगों को एक साझा स्पेक्ट्रम माना जाता है और माना जाता है कि सैटकॉम कंपनी को अलग से ‘फ्रीक्वेंसी’ आवंटित करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है। जियो ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि सैटकॉम सेवाएं उन टेलीकॉम सेवाओं की पूरक होंगी जहां कोई नेटवर्क कवरेज नहीं है।
स्टारलिंक को करना होगा सभी नियमों का पालन
बताते चलें कि एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने के लिए सभी जरूरतों को पूरा करने की प्रक्रिया में है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंपनी को भारत में सेवाएं शुरू करने का लाइसेंस मिल जाएगा। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अभी हाल ही में कहा था कि स्टारलिंक को लाइसेंस प्राप्त करने के लिए सभी नियमों का पालन करना होगा। उन्होंने कहा था कि एक बार पूरा प्रोसेस हो जाने पर उन्हें लाइसेंस मिल जाएगा।
नई दिल्ली । शेयर मार्केट में चल रही गिरावट के बीच आईपीओ मार्केट भी सुस्त नजर आ रहा है। अगले हफ्ते प्राइमरी मार्केट में सिर्फ 3 नये आईपीओ लॉन्च होंगे। इसमें भी केवल एक ही मेनबोर्ड आईपीओ हैं और 2 एसएमई आईपीओ हैं। इसके अलावा अगले हफ्ते 3 कंपनियों के शेयर भी स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्ट होंगे। ये तीनों एसएमई कंपनियां हैं। आइए जानते हैं कि अगले हफ्ते कौन-कौन से आईपीओ लॉन्च हो रहे हैं।
एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिये 19 नवंबर को खुलेगा और 22 नवंबर को बंद होगा। यह 10,000 करोड़ रुपये का एक मेनबोर्ड आईपीओ है। इस आईपीओ में एक लॉट 138 शेयरों का है। आईपीओ में शेयरों की लिस्टिंग 27 नवंबर को होगी। ग्रे मार्केट में शनिवार सुबह यह शेयर 108 रुपये के इश्यू प्राइस के मुकाबले 1.40 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड करता दिखा। इस तरह यह शेयर 1.30 फीसदी के प्रीमियम के साथ 109.4 रुपये पर लिस्ट हो सकता है। आईपीओ में प्राइस बैंड 102 से 108 रुपये प्रति शेयर रखा गया है।
यह 99.07 करोड़ रुपये का एक एसएमई आईपीओ है। यह सब्सक्रिप्शन के लिए 22 नवंबर को खुलेगा और 26 नवंबर को बंद होगा। शेयरों की लिस्टिंग 29 नवंबर को होगी। आईपीओ में एक लॉट 600 शेयरों का है। ग्रे मार्केट में यह शेयर अच्छे-खासे प्रीमियम पर ट्रेड करता दिखा है। शनिवार सुबह यह शेयर ग्रे मार्केट में 226 रुपये के इश्यू प्राइस के मुकाबले 220 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड करता दिखाई दिया। इस तरह यह शेयर 97.35 फीसदी के प्रीमियम के साथ 446 रुपये पर लिस्ट हो सकता है। इस आईपीओ में प्राइस बैंड 214 से 226 रुपये प्रति शेयर रखा गया है। यह 61.20 करोड़ रुपये का एक एसएमई आईपीओ है। यह आईपीओ 21 नवंबर को खुलेगा और 27 नवंबर को बंद होगा। आईपीओ में एक लॉट 600 शेयरों का है। इस आईपीओ में शयरों की लिस्टिंग 29 नवंबर को होगी।