बेंगलुरू । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक आयोजन में कहा कि क्विक कॉमर्स जैसे भारतीय इनोवेशन समय के साथ अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी व्यापार क्षेत्र में सबसे बड़े प्लेयर की कैटेगरी में शामिल हो सकते हैं। वित्त मंत्री ने कई क्षेत्रों में एक मजबूत भारत ब्रांड का आह्वान किया। उन्होंने पारंपरिक खुदरा व्यापार की चुनौतियों का भी जिक्र किया और कहा कि इन चुनौतियों से उभरने के लिए मदद की जरूरत है।
बेंगलुरू में इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित 8वें इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत की स्टार्ट-अप और गिग इकोनॉमी इकाइयां उस इनोवेशन का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसकी भारत क्षमता रखता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा देश को स्टार्टअप और गिग इकॉनमी यूनिट का लाभ उठाना चाहिए। ताकि आधुनिक शहरी जरूरतों के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशन डेस्टिनेशन के रूप में ब्रांड इंडिया की स्थापना की जा सके।
वित्त मंत्री ने क्विक कॉमर्स को भारत में तेजी से बढ़ता उपभोक्ता इंटरनेट सेक्टर बताया। उन्होंने कहा कि क्विक कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों ने माल की फास्ट डिलीवरी के लिए मजबूत बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क डेवलप किए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में भारत फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) होना चाहिए, जो यूएस-एफडीए के समान मानक निर्धारित कर सके और दवा निर्माण के निर्यात में तेजी लाने में मदद कर सके। उन्होंने कहा, यूएस एफडीए की तरह ही, हमें भी वैश्विक मानकों वाला भारत एफडीए होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने देश के पर्यटन को नया दृष्टिकोण देने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत के टॉप 100 टूरिस्ट सेंटर में उस साइट के आर्किटेक्चर के डिजिटल सेल्फ-लर्निंग प्रोग्राम चलाए जाने की जरूरत है। हमें उन लोगों को लर्निंग मटेरियल प्रदान करना चाहिए जो, भारतीय वास्तुकला को समझना चाहते हैं ताकि टूरिज्म के लिए एक नया दृष्टिकोण मिले।
वित्त मंत्री ने सर्कुलर इकॉनमी मॉडल पर जोर देते हुए कहा, भारत ने पहले सर्कुलर इकॉनमी मॉडल और पुन: उपयोग के सिद्धांत का पालन नहीं किया क्योंकि भारत एक गरीब देश था। सर्कुलर इकॉनमी एक ऐसा मॉडल है, जिसमें वेस्ट को कम कर उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के सस्टेनेबल इस्तेमाल पर जोर दिया जाता है। हमें लालच से परे अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करना अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
नई दिल्ली । इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट खासकर मोबाइल फोन की मजबूत लोकल मैन्युफैक्चरिंग से उत्साहित भारत सरकार देश की घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देते हुए अरबों डॉलर का प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है।
सरकारी सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट के अनुसार, आगामी योजना लैपटॉप जैसे डिवाइस के लिए क्रिटिकल कंपोनेंट जैसे प्रिंटेड सर्किट बोर्ड्स की मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहन प्रदान कर सकती है। इसी के साथ लोकल सप्लाई चेन को बढ़ावा दिए जाने की संभावना है।
यह पहल भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार में एक बड़े प्लेयर रूप में स्थापित करेगी, क्योंकि वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग दिग्गज चीन से परिचालन को हटाने का लक्ष्य बना रहे हैं।
देश वित्त वर्ष 2030 तक 500 बिलियन डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और 60 लाख नौकरियों के अवसर लाने तक पहुंचने की आकांक्षा रखता है।
भारत सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री वर्तमान में लगभग 115 बिलियन डॉलर की है और ग्लोबल वैल्यू चेन देश से उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होंगी।
वित्त वर्ष 2030 तक 500 बिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री को 20 प्रतिशत से अधिक चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) की जरूरत है।
देश की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग विकास कहानी का नेतृत्व एप्पल कर रहा है। भारत लोकल मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के मामले में पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ रहा है, इसलिए टेक दिग्गज एप्पल भारत से निर्यात के वित्त वर्ष 2024 के आंकड़ों को पार करने की राह पर है।
एक नए रिकॉर्ड में एप्पल चालू वित्त वर्ष के दौरान पहले सात महीनों में भारत से आईफोन निर्यात में लगभग 60,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
उद्योग के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में, क्यूपर्टिनो स्थित टेक दिग्गज ने लगभग 60,000 करोड़ रुपये (7 बिलियन डॉलर से अधिक) मूल्य के आईफोन निर्यात किए, जो चालू वित्त वर्ष में हर महीने लगभग 8,450 करोड़ रुपये (लगभग 1 बिलियन डॉलर) मूल्य के निर्यात के बराबर है।
वित्त वर्ष 2024 में, एप्पल ने 10 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के आईफोन निर्यात किए और इस वित्त वर्ष में, प्रौद्योगिकी दिग्गज ने पांच महीने पहले ही उस आंकड़े का 70 प्रतिशत हासिल कर लिया है।
एप्पल सरकार की मेक इन इंडिया और पीएलआई योजनाओं के दम पर एक नया निर्यात रिकॉर्ड बनाने की तैयारी में है।
एप्पल ने पिछले वित्त वर्ष में भारत में 14 बिलियन डॉलर के आईफोन का मैन्युफैक्चर और एसेंबल किया और 10 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के डिवाइस का निर्यात किया।
मुंबई। महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा की जीत के बाद शेयर बाजार के लिए अगल हफ्ता काफी अहम होने वाला है। इस दौरान निवेशकों की निगाहें विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) डेटा, दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े, रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष और कच्चे तेल की कीमतों के साथ अन्य फैक्टर्स पर होंगी। यह जानकारी एक्सपर्ट्स द्वारा दी गई।
पिछले हफ्ता शेयर बाजार के लिए उतार-चढ़ाव भरा रहा। हफ्ते की शुरुआत में बाजार में गिरावट देखने को मिली, लेकिन शुक्रवार को बाजार में बड़ी तेजी देखने को मिली और निफ्टी 2.39 प्रतिशत की तेजी के साथ 23,907.25 और सेंसेक्स 2.54 प्रतिशत बढक़र 79,117 पर बंद हुआ। इस तेजी के कारण साप्ताहिक आधार पर निफ्टी और सेंसेक्स में 1.6 प्रतिशत और 2 प्रतिशत की बढ़त हुई।
इस रैली में एनर्जी को छोडक़र सभी सेक्टरों की भागीदारी देखने को मिली। इसमें रियल्टी, ऑटो और एफएमसीजी प्रमुख थे।
जियोजित फाइनेंसियल सर्विसेज के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा, बाजार ने शुक्रवार को मजबूत उछाल के साथ मौजूदा हफ्ते के नुकसान की भरपाई की। इस दौरान निवेशकों ने तेजी के अवसर का उपयोग पिटे हुए शेयरों को खरीदने में किया।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड की निदेशक पल्का अरोड़ा चोपड़ा का कहना है कि महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन महायुति की जीत से राजनीतिक स्थिरता आएगी और यह निवेशकों के सेंटीमेंट के लिए काफी सकारात्मक है। इससे बाजार में एक रैली देखने को मिल सकती है।
चोपड़ा ने आगे कहा कि हफ्ते के दौरान निफ्टी ने हरे निशान में 23,900 के ऊपर बंद हुआ है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) बेंचमार्क के लिए 24,100 एक अहम रुकावट का स्तर होने वाला है। अगर इंडेक्स इस स्तर के ऊपर निकलता है तो यह 24,500 तक जा सकता है। 23,700 एक अहम सपोर्ट लेवल है। अगर यह इसे तोड़ता है तो 23,400 तक जा सकता है।
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च प्रमुख, संतोष मीणा ने कहा कि बैंक निफ्टी 200 दिन के मूविंग एवरेज से ऊपर बना हुआ है। 51,300 से लेकर 52,000 एक अहम रुकावट का स्तर है। अगर इसे तोड़ता है तो 52,600 से लेकर 53,300 एक रुकावट का स्तर होगा।
०
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूपीआई नेटवर्क के तेजी से विस्तार के कारण भारत डिजिटल पेमेंट टेक्नोलॉजी में वर्ल्ड लीडर के रूप में उभर रहा है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट में दी गई।
यूपीआई के जरिए अक्टूबर में 16.6 अरब लेनदेन हुए हैं। साथ ही इस दौरान इंस्टेंट डेबिट रिवर्सल 86 प्रतिशत रहा है, जो कि पिछले साल की समान अवधि में 77 प्रतिशत था।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा ने रिपोर्ट में कहा है कि भारत का यूपीआई एक ओपन-एंडेड सिस्टम है। इसमें एक सिंगल एप्लीकेशन के जरिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या फिर व्यक्ति से व्यापारी के बीच आसानी से लेनदेन किए जा सकते हैं।
पात्रा के अनुसार, डिजिटल क्रेडिट परिदृश्य में इनोवेशन जैसे अकाउंट एग्रीगेटर्स, ओसीईएन और ओएनडीसी पर वित्तीय सेवाओं ने भी उत्पादकता बढ़ाने में योगदान दिया है।
ओएनडीसी मार्च 2024 तक 720 से ज्यादा शहरों में काम कर रहा है। इसके पास 49.72 मिलियन ऑर्डर हैं। ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (टीआरईडीएस) एमएसएमई के लगभग 52.2 ट्रिलियन रुपये के अनुमानित क्रेडिट गैप को बैंकों और क्लाइंट्स से जोडक़र पूरा करता है, जिससे फंडिंग लागत में 2.5 प्रतिशत तक की कमी आती है।
पात्रा ने लिखा, टीआरईडीएस के माध्यम से फाइनेंस चालानों का मूल्य 23 गुना से अधिक बढ़ गया है। अक्टूबर 2024 तक लगभग 5,000 सक्रिय फिनटेक, एमएसएमई सहित व्यवसायों को विभिन्न वित्तीय और तकनीकी समाधान प्रदान करने में शामिल हैं, जिससे व्यवसायों को अपने संचालन को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने और आपूर्ति श्रृंखला वित्त में सुधार करने में मदद मिलती है।
भारत में ग्रामीण आबादी का लगभग 40 प्रतिशत और 20-30 वर्ष आयु वर्ग की कुल आबादी का 78 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं, जिनमें से लगभग एक तिहाई परिवार उपभोग्य सामग्रियों और सेवाओं की ऑनलाइन खरीदारी करते हैं।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने कहा कि भारत अपने डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई), एक वाइब्रेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) क्षेत्र और सबसे बड़े एआई प्रतिभा आधारों में से एक सहित बढ़ती युवा आबादी के साथ विकास के नए रास्ते खोलने के लिए अद्वितीय स्थिति में है।
नई दिल्ली। सरकार ने शनिवार को कहा कि व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (टीईपीए) में यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) देशों में बाजार पहुंच के साथ भारतीय निर्यात में 99.6 प्रतिशत की वृद्धि करने और 100 अरब डॉलर का निवेश बढ़ाने की क्षमता है।
शुक्रवार को वाणिज्य विभाग के सचिव सुनील बर्थवाल के नेतृत्व में नॉर्वे की यात्रा के दौरान यह बात कही गई।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, वाणिज्य सचिव ने नॉर्वे के उद्योग के लिए कई बड़े अवसरों पर प्रकाश डाला, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले तीन-चार वर्षों में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है।
बर्थवाल ने नॉर्वे के व्यापार, उद्योग और मत्स्य पालन मंत्रालय के राज्य सचिव टॉमस नोरवेल से मुलाकात की। उन्होंने व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने, भारतीय पेशेवरों के लिए गतिशीलता, मौजूदा संस्थागत मेकैनिज्म को फिर से सक्रिय करने और टीईपीए के लिए अगले कदमों पर चर्चा की।
वाणिज्य सचिव ने व्यापार और उद्योग मंत्री महामहिम सेसिली मायर्सेथ और स्वास्थ्य और देखभाल सेवा मंत्री महामहिम जान क्रिश्चियन वेस्ट्रे से भी मुलाकात की।
इस यात्रा में नॉर्वेजियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (एनएचओ), इनोवेशन नॉर्वे, शिपबिल्डर्स एसोसिएशन, रेडर बिंग लॉ फर्म और कई बड़ी नॉर्वेजियन कंपनियों के नेताओं और सीईओ सहित व्यापार हितधारकों के साथ चर्चा भी शामिल थी।
ये फर्म अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं, विशेष रूप से, रिन्यूएबल एनर्जी, शिपिंग इंडस्ट्री, उपभोक्ता सामान, ग्रीन हाइड्रोजन, कपड़ा, समुद्री भोजन, खनन, सूचना प्रौद्योगिकी और आपसी हित के अन्य क्षेत्र।
भारत ने चार विकसित देशों - स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन के साथ टीईपीए पर हस्ताक्षर किए - जो यूरोप में एक महत्वपूर्ण आर्थिक ब्लॉक है।
सरकार के अनुसार, यह समझौता मेक इन इंडिया को बढ़ावा देगा और युवा और प्रतिभाशाली वर्कफोर्स को अवसर प्रदान करेगा।
ईएफटीए अपनी टैरिफ लाइनों का 92.2 प्रतिशत प्रदान कर रहा है, जो भारत के 99.6 प्रतिशत निर्यात को कवर करता है।
ईएफटीए की बाजार पहुंच पेशकश में गैर-कृषि उत्पादों का 100 प्रतिशत और पीएपी पर टैरिफ रियायत शामिल है।
भारत अपनी टैरिफ लाइनों का 82.7 प्रतिशत प्रदान कर रहा है, जो ईएफटीए निर्यात का 95.3 प्रतिशत कवर करता है। भारत ने ईएफटीए को 105 उप-क्षेत्रों की पेशकश की है और नॉर्वे से 114 उप-क्षेत्रों में कमिटमेंट पाया है।
टीईपीए से अगले 15 वर्षों में भारत में व्यावसायिक और टेक्निकल ट्रेनिंग के लिए बेहतर सुविधाओं सहित भारत के युवा आकांक्षी कार्यबल के लिए बड़ी संख्या में नई नौकरियों के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
०
बेंगलुरू। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में एक आयोजन में कहा कि क्विक कॉमर्स जैसे भारतीय इनोवेशन समय के साथ अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी व्यापार क्षेत्र में सबसे बड़े प्लेयर की कैटेगरी में शामिल हो सकते हैं। वित्त मंत्री ने कई क्षेत्रों में एक मजबूत भारत ब्रांड का आह्वान किया। उन्होंने पारंपरिक खुदरा व्यापार की चुनौतियों का भी जिक्र किया और कहा कि इन चुनौतियों से उभरने के लिए मदद की जरूरत है।
बेंगलुरू में इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित 8वें इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत की स्टार्ट-अप और गिग इकोनॉमी इकाइयां उस इनोवेशन का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसकी भारत क्षमता रखता है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा देश को स्टार्टअप और गिग इकॉनमी यूनिट का लाभ उठाना चाहिए। ताकि आधुनिक शहरी जरूरतों के लिए इनोवेटिव सॉल्यूशन डेस्टिनेशन के रूप में ब्रांड इंडिया की स्थापना की जा सके।
वित्त मंत्री ने क्विक कॉमर्स को भारत में तेजी से बढ़ता उपभोक्ता इंटरनेट सेक्टर बताया। उन्होंने कहा कि क्विक कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों ने माल की फास्ट डिलीवरी के लिए मजबूत बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क डेवलप किए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में भारत फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) होना चाहिए, जो यूएस-एफडीए के समान मानक निर्धारित कर सके और दवा निर्माण के निर्यात में तेजी लाने में मदद कर सके। उन्होंने कहा, यूएस एफडीए की तरह ही, हमें भी वैश्विक मानकों वाला भारत एफडीए होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने देश के पर्यटन को नया दृष्टिकोण देने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत के टॉप 100 टूरिस्ट सेंटर में उस साइट के आर्किटेक्चर के डिजिटल सेल्फ-लर्निंग प्रोग्राम चलाए जाने की जरूरत है। हमें उन लोगों को लर्निंग मटेरियल प्रदान करना चाहिए जो, भारतीय वास्तुकला को समझना चाहते हैं ताकि टूरिज्म के लिए एक नया दृष्टिकोण मिले।
वित्त मंत्री ने सर्कुलर इकॉनमी मॉडल पर जोर देते हुए कहा, भारत ने पहले सर्कुलर इकॉनमी मॉडल और पुन: उपयोग के सिद्धांत का पालन नहीं किया क्योंकि भारत एक गरीब देश था। सर्कुलर इकॉनमी एक ऐसा मॉडल है, जिसमें वेस्ट को कम कर उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के सस्टेनेबल इस्तेमाल पर जोर दिया जाता है। हमें लालच से परे अपनी जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल करना अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।