नई दिल्ली । भारत के प्रमुख सेक्टरों के उद्योगों की विकास दर अक्टूबर में 3.1 प्रतिशत रही है। यह जानकारी वाणिज्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को दी गई।
प्रमुख उद्योगों में कोयला, बिजली, स्टील और सीमेंट को शामिल किया जाता है।
सितंबर की 2 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले अक्टूबर में प्रमुख उद्योगों की विकास में उछाल दर्ज किया गया है।
आठ प्रमुख उद्योगों के सूचकांक (आईसीआई) की संचयी वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से अक्टूबर के बीच पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 4.1 प्रतिशत रही है।
अक्टूबर 2023 की तुलना में अक्टूबर 2024 में कोयला उत्पादन में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
अक्टूबर 2023 की तुलना में अक्टूबर 2024 में स्टील उत्पादन में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इसी अवधि में सीमेंट उत्पादन में 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसकी वजह बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का बनना और कंस्ट्रक्शन गतिविधियों में उछाल आना है।
उर्वरक उत्पादन में भी पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में इस वर्ष अक्टूबर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
मुख्य उद्योगों के सूचकांक में 19.85 प्रतिशत भार वाले बिजली उत्पादन में अक्टूबर 2023 की तुलना में अक्टूबर 2024 में 0.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
सूचकांक में 28.04 प्रतिशत भार रखने वाले पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादन में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में अक्टूबर, 2024 में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो परिवहन क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि के उच्च स्तर को दर्शाता है।
अक्टूबर के दौरान कच्चे तेल के उत्पादन में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 4.8 प्रतिशत की गिरावट आई। वहीं, प्राकृतिक गैस उत्पादन में भी पिछले साल के अक्टूबर के मुकाबले 1.2 प्रतिशत की गिरावट आई।
जुलाई 2024 के लिए आईसीआई की अंतिम वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही है।
आठ प्रमुख उद्योगों की औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक है और इस वजह से यह समग्र औद्योगिक विकास का संकेत देता है।
अहमदाबाद । अदाणी पावर ने गुरुवार को कहा कि उसने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल द्वारा कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट (सीएसए) में 100 में से 67 का असाधारण स्कोर हासिल किया है। इस सेक्टर का औसत स्कोर 42 है। वहीं, अदाणी पावर का वित्त वर्ष 2022-23 में यह स्कोर 48 था। इस स्कोर के साथ अदाणी पावर लिमिटेड (एपीएल) सभी वैश्विक विद्युत उपयोगिताओं में शीर्ष 80 प्रतिशत में पहुंच गया है।
कंपनी ने कहा कि सीएसए स्कोर के कई तत्वों जैसे मानवाधिकार, पारदर्शिता और रिपोर्टिंग, जल, अपशिष्ट और प्रदूषण में अदाणी पावर शीर्ष 100 प्रतिशत में है। वहीं, तीन और तत्वों, जिसमें ऊर्जा, व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा और सामुदायिक संबंध शामिल है, उसमें कंपनी 90 प्रतिशत या उससे ऊपर की श्रेणी में है।
कंपनी ने कहा, यह उल्लेखनीय उपलब्धि सस्टेनेबल प्रैक्टिस के प्रति एपीएल की दृढ़ प्रतिबद्धता और अपने परिचालन में पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ईएसजी) सिद्धांतों को शामिल करने के प्रति समर्पण को रेखांकित करती है।
अदाणी पावर के पास गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड और तमिलनाडु में 11 बिजली संयंत्र हैं और इनकी स्थापित ताप विद्युत क्षमता 17,510 मेगावाट की है, इसके अलावा गुजरात में 40 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र भी है।
अदाणी समूह की कंपनी ने इस वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर 2024) में 28,517 करोड़ रुपये की निरंतर आय में 20 प्रतिशत सालाना वृद्धि हासिल की। इस दौरान कर से पहले निरंतर लाभ (पीबीटी) 69 प्रतिशत बढक़र 8,020 करोड़ रुपये रहा है।
वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कंपनी की निरंतर आय 10.8 प्रतिशत बढक़र 13,465 करोड़ रुपये रहा है। वहीं, इस दौरान कंपनी का कर से पहले निरंतर लाभ (पीबीटी) 44.8 प्रतिशत बढक़र 3,537 करोड़ रुपये रहा है।
बिजली की मांग में सुधार और उच्च परिचालन क्षमता के कारण वित्त वर्ष 2024-25 में कंसोलिटेडेट बिजली बिक्री 46 बिलियन यूनिट (बीयू) रही, जो कि पिछले वित्त वर्ष की मांग 35.6 बीयू से 29.2 प्रतिशत अधिक है।
नई दिल्ली । केंद्र सरकार कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) और आयुष्मान भारत- प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) को जोडऩे पर काम कर रही है। इसका उद्देश्य एबी-पीएमजेएवाई मेडिकल केयर बेनिफिट्स को 14.43 करोड़ ईएसआई लाभार्थियों को प्रदान करना है। यह जानकारी श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा गुरुवार को दी गई।
मंत्रालय ने बताया कि ईएसआईसी केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया के मार्गदर्शन में कार्यबल और उनके आश्रितों तक स्वास्थ्य देखभाल पहुंच का विस्तार करने पर काम कर रहा है। मंत्रालय ने कहा, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) को आयुष्मान भारत- प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) की सुविधाओं से जोडऩे का सीधा फायदा 14.43 करोड़ ईएसआई लाभार्थियों और उनके परिवारों को होगा। इससे वे पूरे भारत में गुणवत्ता पूर्ण मेडिकल सेवाओं का लाभ उठा पाएंगे। ईएसआईसी के महानिदेशक, अशोक कुमार सिंह ने कहा कि इस स्कीम के शुरू होने के बाद ईएसआईसी लाभार्थियों को देश भर में 30,000 से अधिक एबी-पीएमजेएवाई-सूचीबद्ध अस्पतालों में माध्यमिक और तृतीयक चिकित्सा सेवाओं का लाभ मिलेगा। यह लाभ उपचार लागत पर कोई वित्तीय सीमा के बिना प्राप्त किया जा सकता है। आगे कहा कि यह साझेदारी सभी लाभार्थियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और सामर्थ्य को बढ़ावा देगी। ईएसआई लाभार्थियों के इलाज के लिए देश भर के चैरिटेबल हॉस्पिटल को भी सूचीबद्ध किया जाएगा।
वर्तमान में, ईएसआई योजना 165 हॉस्पिटल, 1,590 डिस्पेंसरी, 105 डिस्पेंसरी कम ब्रांच ऑफिस (डीसीबीओ) और लगभग 2,900 सूचीबद्ध निजी हॉस्पिटलों के तहत चिकित्सा देखभाल प्रदान करती है। पिछले 10 वर्षों में, ईएसआई योजना देश के 788 जिलों में से 687 जिलों में लागू की गई है। 2014 में यह योजना 393 जिलों में थी। मंत्रालय ने कहा, पीएमजेएवाई के साथ ईएसआई योजना को जोडक़र अब चिकित्सा देखभाल की इस व्यवस्था को शेष गैर-कार्यान्वित जिलों तक बढ़ाया जा सकता है।
नई दिल्ली । भारत सरकार देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और सप्लाई चेन के स्थानीयकरण पर जोर दे रही है। सरकार का टारगेट है कि 2030 तक देश में बिकने वाले 30प्रतिशत वाहन इलेक्ट्रिक हों। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा अनुमान है कि टाटा और जेएसडब्ल्यू ग्रुप अकेले ही आने वाले दशक में इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रिक वाहन सामग्री बनाने में 30 अरब डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे, जिसमें से लगभग 10 अरब डॉलर दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया (एसएसईए) में होगा।
दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के रूप में भारत के पास अपार संभावनाएं हैं। विशाल बाजार है जो ईवी से जुड़े निवेश को आकर्षित करता है।
समय के साथ भारत में ईवी अपनाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी क्योंकि ऐसे मॉडल लॉन्च किए जाएंगे जो आईसीई मॉडल की कीमतों के अनुरूप होंगे और इसके साथ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी सुधार होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा यह भी मानना है कि हाइब्रिड और सीएनजी से चलने वाले वाहन, हल्के वाहन और यात्री वाणिज्यिक वाहन सेगमेंट में ईवी के साथ-साथ महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी हासिल करेंगे।
सरकार ने हाल ही में पीएम ई-ड्राइव योजना शुरू की है, जिसका वित्तीय परिव्यय दो वर्षों की अवधि में 10,900 करोड़ रुपये है।
पीएम ई-ड्राइव योजना ईवी अपनाने में तेजी लाने और देश भर में महत्वपूर्ण चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आईसीई से ट्रांजिशन प्योर इलेक्ट्रिफिकेशन के बजाय दूसरे वैकल्पिक फ्यूल की ओर होगा। आयात और विदेशी निवेश पर सरकार की नीतियां भारत के वाहन इलेक्ट्रिफिकेशन को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
भारत कोरियाई कंपनियों हुंडई मोटर और किआ के लिए लगातार महत्वपूर्ण बना हुआ है। जो संयुक्त रूप से भारत में दूसरे सबसे बड़े कार निर्माता के रूप में अपनी पहचान बनाते हैं। भारतीय बाजार (वर्ष 2023 में) इस समूह की वैश्विक बिक्री मात्रा का 12 प्रतिशत हिस्सेदार था। हुंडई भारत में निवेश की योजना पर काम कर रहा है, जिसमें लोकल ईवी उत्पादन को भी शामिल किया गया है। कंपनी भारत में बना अपना पहला पूरी तरह से इलेक्ट्रिक मॉडल जनवरी 2025 में पेश करेगी।
कंपनी ने हाल ही में भारत में आईपीओ पेश किया है। इससे प्राप्त राशि का एक हिस्सा कंपनी के विकास को आगे बढ़ाने और बाजार में उत्पाद सुधार के लिए किया जाएगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा मानना है कि टाटा मोटर्स के पास अपने क्रेडिट मेट्रिक्स में ईवी निवेश करने के लिए पर्याप्त वित्तीय गुंजाइश है। सितंबर 2024 में, फर्म ने दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु में एक नए ईवी प्लांट में लगभग 1 अरब डॉलर का निवेश करने की योजना की घोषणा की।
इसकी मूल कंपनी टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड ने उत्तर-पश्चिमी राज्य गुजरात में 20 गीगावाट घंटे की शुरुआती क्षमता वाले लिथियम-आयन बैटरी प्लांट में निवेश की भी घोषणा की है। यह प्लांट उस क्षेत्र में ईवी सप्लाई चेन के विकास में मददगार होगा।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि प्रमुख कार निर्माता अगले कुछ वर्षों में दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उत्पादन पर 20 अरब डॉलर से अधिक खर्च करेंगे।
नई दिल्ली
टेलीकॉम और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में आवेदन करने वाली कंपनियों की बिक्री 65,320 करोड़ रुपये हो गई है। इसके साथ ही इन कंपनियों ने 12,384 करोड़ रुपये (30 सितंबर तक) का निर्यात किया है। यह जानकारी सरकार ने संसद में दी।
केंद्रीय संचार राज्य मंत्री, डॉ. चन्द्र शेखर पेम्मासानी ने लोकसभा में लिखित जबाव में कहा कि टेलीकॉम और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई स्कीम की 42 आवेदक कंपनियों (28 एमएसएमई सहित) ने संचयी रूप से 3,925 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
टेलीकॉम पीएलआई स्कीम की खास बात यह है कि इसमें 33 टेलीकॉम और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए 4 से लेकर 7 प्रतिशत इंसेंटिव दिए जा रहे हैं। एमएसएमई को पहले तीन साल के लिए एक प्रतिशत अतिरिक्त इंसेंटिव और भारत में डिजाइन उत्पादों के लिए भी एक प्रतिशत अतिरिक्त इंसेंटिव कंपनियों को दिया जा रहा है।
मंत्री ने बताया कि स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए, ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए टेक्नोलॉजी, उत्पादों और सेवाओं के अनुसंधान और विकास के फंडिंग के उद्देश्य से 2022 में टेलीकॉम टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (टीटीडीएफ) योजना शुरू की गई थी। बड़े इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के लिए पीएलआई स्कीम 2020 में लॉन्च की गई थी। इसके तहत इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के निर्माण में शामिल पात्र कंपनियों को वृद्धिशील बिक्री पर इंसेंटिव दिए जाते हैं।
इसके अलावा सरकार ने देश में प्रमुख वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने के लिए रेडी बिल्ट फैक्ट्री (आरबीएफ) शेड/प्लग एंड प्ले सहित सामान्य सुविधाओं के साथ विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करने के लिए संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी 2.0) योजना को भी 2020 में अधिसूचित किया था। सरकार की कोशिश पीएलआई के जरिए भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है।
नई दिल्ली
त्योहारी सीजन के दौरान भारत में क्रेडिट कार्ड से खर्च 2 लाख करोड़ रुपये के पार हो गया, जो कि सितंबर माह की तुलना में 14.5 प्रतिशत अधिक है।भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में क्रेडिट कार्ड पर खर्च 2.02 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक है।
केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सिस्टम में बकाया क्रेडिट कार्ड 12.85 प्रतिशत बढक़र 106.88 मिलियन हो गए, जो सितंबर से 0.74 प्रतिशत अधिक है।
एचडीएफसी बैंक 241,119 क्रेडिट कार्ड जारी कर चार्ट में सबसे आगे रहा, उसके बाद एसबीआई कार्ड्स ने 220,265 कार्ड और आईसीआईसीआई बैंक ने 138,541 कार्ड जारी किए।
इस बीच, आरबीआई के मासिक आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई आधारित डिजिटल भुगतान में उछाल के कारण, डेबिट कार्ड आधारित लेनदेन अगस्त में लगभग 43,350 करोड़ रुपये से लगभग 8 प्रतिशत घटकर सितंबर में लगभग 39,920 करोड़ रुपये रह गया।
दूसरी ओर, देश में क्रेडिट कार्ड लेनदेन में वृद्धि हुई, जिसमें सितंबर के महीने में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो अगस्त में 1.68 लाख करोड़ रुपये से बढक़र 1.76 लाख करोड़ रुपये हो गई।
बाजार के जानकारों के अनुसार, क्रेडिट कार्ड खर्च में वृद्धि पिछले वर्ष और त्योहारी सीजन में लोअर बेस के कारण हुई है, क्योंकि त्योहारी सीजन के दौरान समान मासिक किस्तों जैसी प्रमोशनल स्कीम में तेजी आई है।
मार्च 2021 में डिजिटल भुगतान की हिस्सेदारी 14-19 प्रतिशत से बढक़र मार्च 2024 में 40-48 प्रतिशत हो गई, जिसमें यूपीआई की अहम भूमिका रही।
यूपीआई लेनदेन में 75 प्रतिशत सीएजीआर की शानदार गति से वृद्धि हुई है, जबकि अगस्त 2019-अगस्त 2024 की अवधि में यूपीआई खर्च 68 प्रतिशत सीएजीआर की दर से बढ़ा है, क्योंकि कार्ड इंडस्ट्री की वृद्धि धीमी रही है।
एक्सिस सिक्योरिटीज की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता लेनदेन मात्रा अनुपात से देखी जा सकती है, जो क्रेडिट कार्ड लेनदेन मात्रा का 38.4 गुना है।
हालांकि, यूपीआई लेनदेन के कम टिकट साइज को देखते हुए, अगस्त में यूपीआई-टू-क्रेडिट कार्ड खर्च 0.3 गुना रहा, जो वर्तमान स्तरों पर काफी हद तक स्थिर है।