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ट्रेड मार्क वाले ब्रैंडेड अनाज पर ही लगेगा 5 फीसद जीएसटी: वित्त मंत्रालय
Posted Date : 15-Jul-2017 5:39:29 pm

ट्रेड मार्क वाले ब्रैंडेड अनाज पर ही लगेगा 5 फीसद जीएसटी: वित्त मंत्रालय

नई दिल्ली,(आरएनएस)। वित्त मंत्रालय ने बुधवार को स्पष्ट किया है केवल उन ब्रैंडेड अनाज पर ही 5 फीसद की दर से (वस्तु एवं सेवा कर) जीएसटी लगेगा जो ट्रेड मार्क के साथ रजिस्टर्ड हैं। बाकी के अन्य अनाज छूट के दायरे में बरकरार रहेंगे। आपको बता दें कि सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण उस समय आया है जब रजिस्टर्ड बैंड नेम को लेकर असमंजस की स्थिति चल रही थी। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि जीएसटी की पांच फीसद दर तब तक वस्तुओं की आपूर्ति पर नहीं लगेगी जबतक कि उसका ब्रैंड नेम या ट्रेड नेम रजिस्टर ऑफ ट्रेड माक्र्स में न हो और इसे ट्रेड माक्र्स एक्ट, 1999 के तहत ही लागू होना चाहिए। केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) की दर चना, पनीर, नैचुरल हनी, गेहूं और अन्य अनाज, दालें, अनाज का आटा और दालें, साथ ही उन चीजों के अलावा जो यूनिट कंटेनर में होते है और जिनका रजिस्टर्ड ब्रैंड नेम है, निल (0 फीसद) रखी गई है। साथ ही इन सब चीजों की आपूर्ति, जब यूनिट कंटेनर में डाली जाए और उसका रजिस्टर्ड ब्रैंड नेम ही हो तो इनपर 2.5 फीसद की दर से सीजीएसटी लगेगा।

 

ट्रांसपोर्टरों को जीएसटी से दो माह की छूट से कर चोरी बढऩे की आशंका
Posted Date : 07-Jul-2017 4:08:44 pm

ट्रांसपोर्टरों को जीएसटी से दो माह की छूट से कर चोरी बढऩे की आशंका

नई दिल्ली,(आरएनएस)। जीएसटी लागू होने से कुछ राज्यों में चुंगी नाके (चेकपोस्ट) खत्म होने लगे हैं, मगर टैक्स चोरी के डर से आरटीओ व पुलिस की चेकिंग बढ़ गई है। चूंकि ईवे बिल के लिए जीएसटीएन पोर्टल अभी पूरी तरह तैयार नहीं है, लिहाजा केंद्र सरकार ने ट्रांसपोर्टरों को दो महीने की मोहलत दे दी है। लेकिन राज्य सरकारों ने ट्रकों के खिलाफ गश्त बढ़ा दी है। उन्हें आशंका है कि ईवे बिल के कारण जीएसटी से मिली छूट का फायदा उठाकर ट्रांसपोर्टर इन दो महीनों के दौरान जम कर टैक्स चोरी कर सकते हैं। पहली जुलाई से पूरे देश में जीएसटी लागू हो गया है। लॉजिस्टिक्स व ट्रांसपोर्ट व्यवसाय भी इससे अछूता नहीं है। बड़ी लॉजिस्टिक्स कंपनियों, कॉमन कैरियर्स व गुड्स बुकिंग एजेंटों ने इसे अपनाने का संकेत दिया है। लेकिन ईवे बिल की दिक्कतों के कारण वे हिचक रहे हैं। जबकि मझोले ट्रांसपोर्टर पंजीकरण से बचने के कारण जीएसटी का विरोध कर रहे हैं। नतीजतन पहले दिन केवल 25 फीसद माल की बुकिंग होने के समाचार हैं। इससे ट्रक भाड़ों में गिरावट देखने में आ रही है। जीएसटी के चलते कई राज्यों में प्रवेश बिंदुओं पर बिक्रीकर नाके हटाए जाने की खबर है। तमिलनाडु में अधिकांश नाके हट गए हैं, लेकिन आरटीओ और पुलिस की चेकिंग बढ़ गई है। पहले माना जा रहा था कि जीएसटीएन पूरी तरह तैयार नहीं होने से चेक पोस्टें अभी तीन-चार महीने बनी रहेंगी। कई जगहों पर पहले ही दिन चुंगी नाकों का हटना आश्चर्यजनक है। ईवे बिल प्रणाली के तहत 50 हजार रुपये से ऊपर के कंसाइनमेंट का ब्योरा जीएसटीएन नेटवर्क पर डालना और ईवे बिल नंबर लेना जरूरी है। ट्रक ड्राइवर को सामान के कागजात के साथ यह नंबर लेकर चलना होगा। रास्ते में प्रवर्तन एजेंसियां सौ में एक ट्रक का औचक निरीक्षण कर ईवे बिल के साथ सामान का मिलान करेंगी और देखेंगी कि कर चोरी तो नहीं की जा रही है। पिछला अनुभव बताता है कि जब-जब कर व्यवस्था में बदलाव हुआ है, कुछ समय के लिए कर चोरी के मामले बढ़ जात हैं। इसीलिए एजेंसियां जगह-जगह ट्रकों को रोककर कागजात और सामान की जांच कर रही हैं। इसे देखते हुए ट्रांसपोर्टरों के फिलहाल माल की बुकिंग रोकने से ट्रक भाड़ों में गिरावट का रुख देखने में आ रहा है।

कुछ ही दिन रहेगी ई-कॉमर्स कंपनियों को मिली राहत
Posted Date : 07-Jul-2017 4:07:55 pm

कुछ ही दिन रहेगी ई-कॉमर्स कंपनियों को मिली राहत

नई दिल्ली,(आरएनएस)। सरकार की तरफ से ई-कॉमर्स कंपनियों को टीडीएस (स्नोत पर कर कटौती) और टीसीएस (स्नोत से कर संग्रह) पर दी गई राहत बहुत ज्यादा दिनों तक जारी नहीं रहेगी। वित्त मंत्रालय ने जीएसटी लागू होने के ठीक दो दिन पहले ई-कॉमर्स कंपनियों को छोटे कारोबारियों (सप्लायर) से टीडीएस व टीसीएस वसूलने में रियायत देने का फैसला किया था। लेकिन कई विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम पर यह सवाल उठाया है कि ई-कॉमर्स का सारा कारोबार ही ऑनलाइन होता है। उन्हें माल की आपूर्ति करने वाले छोटे से छोटे कारोबारी को भी सारा रिकॉर्ड ऑनलाइन रखना होता है तभी कारोबार की सारी प्रक्रिया पूरी होती है। ऐसे में इन्हें दी छूट को लेकर सरकार के भीतर भी आवाज उठ रही है। बहरहाल, वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जब ई-कॉमर्स कंपनियों को यह छूट दी गई थी, तभी सरकार ने परोक्ष तौर पर उन्हें स्पष्ट कर दिया था कि ज्यादा दिनों तक यह राहत नहीं रहने वाली है। इसके लिए अभी कोई समय सीमा तय नहीं की गई है, लेकिन निश्चित तौर पर यह कई महीनों तक जारी नहीं रहने वाली है। इस बीच ई-कॉमर्स कंपनियों को कहा गया है कि वे अपने छोटे सप्लायरों को पंजीकृत कराने का काम शीघ्रता से करें। उन्होंने आश्वासन दिया है कि कुछ हफ्तों में यह काम पूरा हो जाएगा। सरकारी अधिकारी अ"ले महीने की शुरुआत में ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ मिलकर पूरी स्थिति की समीक्षा करेंगे। सरकार के पूर्व आदेश से जीएसटी के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों का पंजीयन 25 जून से शुरू हुआ था। मगर वित्त मंत्रालय ने 26 जून को एक सूचना जारी कर इन कंपनियों को सप्लायरों की बिलिंग पर एक फीसद टीडीएस काटने के प्रावधान पर रोक लगा दी है। कहा गया है कि छोटे-छोटे सप्लायरों के लिए कुछ दिनों के भीतर जीएसटी पंजीयन कराना आसान नहीं है। इसका सबसे ज्यादा फायदा अमेजन और फ्लिपकार्ट को हुआ है। इन दोनों कंपनियों ने अपने ऑनलाइन साइट पर जीएसटी से ठीक पहले बिक्री का बड़ा अभियान शुरू करने की योजना बनाई थी। अगर इन्हें राहत नहीं मिलती तो इनके कार्यक्रम को धक्का लगना निश्चित था, क्योंकि न तो पंजीयन नहीं कराने वाले सप्लायर की बिलिंग हो पाती और न ही ग्राहकों को समय पर सामान की आपूर्ति मिल पाती।

जीएसटी इम्पैक्ट: मारुति ने ग्राहकों को दिया तोहफा, 3 प्रतिशत तक घटाए कार के दाम
Posted Date : 07-Jul-2017 4:05:10 pm

जीएसटी इम्पैक्ट: मारुति ने ग्राहकों को दिया तोहफा, 3 प्रतिशत तक घटाए कार के दाम

नई दिल्ली,(आरएनएस)। जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर बीती रात 12 बजे संसद के केंद्रीय कक्ष में तमाम बड़े नेताओं और मंत्रियों की उपस्थिति में लागू हो गया। इसके बाद आज (शनिवार) से ही इसका असर भी दिखने लगा है। ग्राहकों को तोहफा देते हुए मारुति ने कुछ कारों के दाम में कटौती की है। वहीं कुछ कारों के दाम बढ़ाए भी गए हैं।  जानकारी के अनुसार, मारुति ने ऐलान किया है कि कुछ चयनित कारों पर कंपनी ने तीन फीसदी तक दाम कम कर दिए हैं। वहीं, सियाज और एर्टिगा डीजल कारों के दाम बढा़ए हैं। कंपनी ने एक लाख रुपये दाम बढा़ दिए हैं। इससे पहले जीएसटी लागू करने से पहले संसद में भाषण देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी को गुड एंड सिंपल टैक्स बताया। उन्होंने कहा कि गुड का मतलब टैक्स के ऊपर टैक्स न लगने की प्रक्रिया और सिंपल का मतलब पूरे देश में एक समान कर व्यवस्था और एक सरल फार्म के जरिये व्यापार का ब्योरा देना।

रूस के तेल फील्ड में हिस्सेदारी खरीदने के लिये एचपीसीएल भी बातचीत में शामिल
Posted Date : 02-Jul-2017 8:08:21 pm

रूस के तेल फील्ड में हिस्सेदारी खरीदने के लिये एचपीसीएल भी बातचीत में शामिल

नयी दिल्ली (आरएनएस)। सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन एचपीसीएल उस भारतीय समूह से जुड़ी है जो रूस की वैंकोर कलस्टर तेल फील्ड में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिये बातचीत कर रही है। यह तेल क्षेत्र आर्कटिक क्षेत्र में स्थित है। मूल रूप से तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम ओएनजीसी की विदेश निवेश इकाई ओएनजीसी विदेश लि. ने वेंकोर कलस्टर के नाम से चर्चति सुजुनसकोय, ता"ुलस्कोय तथा लोडोचनोय फील्डों में हिस्सेदारी खरीदने की संभावना तलाशने के लिये सहमति पत्र पर दस्तखत किया था। बाद में इंडियन आयल कारपोरेशन आईओसी, आयल इंडिया तथा भारत पेट्रो रिसोर्सेस बीपीआरएल इससे जुड़ी। बीपीआरएल भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन की इकाई है। मामले से जुड़े सूत्र ने बताया कि अब एचपीसीएल ने इसमें रूचि दिखायी है औ बातचीत में शामिल हुई है। ये फील्ड रूस की राष्ट्रीय तेल कंपनी रोसनेफ्ट की है और वह बहुलांश हिस्सेदारी अपने पास रखते हुए इसमें 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है। सूत्रों के अनुसार ओवीएल की इसमें शुरू मं 20 से 26 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने को लेकर गंभीर है।अगर ओवीएल 26 प्रतिशत हिस्सेदारी लेती है तब ओआईएल-आईओसी-बीपीआरएल-एचपीसीएल के पास 23.9 प्रतिशत हिस्सेदारी हो सकती है।
रोसनेफ्ट की अनुषंगी वेंकोरनेफ्ट वेंकोर तेल एवं गैस फील्ड का विकास कर रही है। यह पूर्वी साइबेरिया के उारी हिस्से में स्थित है।

ओएनजीसी केजी-बेसिन में गैस उत्पादन के लिये जीएसपीसी के समुद्री बुनियादी ढांचे का उपयोग करेगी
Posted Date : 02-Jul-2017 8:01:52 pm

ओएनजीसी केजी-बेसिन में गैस उत्पादन के लिये जीएसपीसी के समुद्री बुनियादी ढांचे का उपयोग करेगी

नयी दिल्ली (आरएनएस)। तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम, ओएनजीसी: की बंगाल की खाड़ी स्थित अपने केजी-बेसिन फील्ड से गैस उत्पादन के लिये गुजरात की कंपनी जीएसपीसी के समुद्री बुनियादी ढांचे के उपयोग की योजना है। ओएनजीसी पिछले साल गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम जीएसपीसी की केजी-ओएसएन-2001ा3 ब्लाक में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने पर सहमति जतायी थी। यह ब्लाक सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के केजी-डीडब्ल्यूएन-98ा2 या केजी-डी5 ब्लाक के समीप है। कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, हमने केजी-डी5 में खोज को तीन समूह में विभाजित किया है। संकुल-1 के लिये जीएसपीसी ब्लाक बुनियादी ढांचा से गठजोड़ किया जा सकता है। उसने कहा कि ओएनजीसी ने संकुल-दो के 2019-20 तक विकास के लिये 5.07 अरब डालर की योजना बनायी है। सबसे पहले जून 2019 तक गैस उत्पादन पर जोर होगा और मार्च 2020 तक तेल का उत्पादन शुरू होगा। संकुल-1 में डी, ई और जी4 फील्ड शामिल हैं। ये फील्ड रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी-डी6 ब्लाक से लगा है। ओएनजीसी ने मुकेश अंबानी की कंपनी पर इन फील्डों से गैस निकालने का आरोप लगाया है। अधिकारी ने कहा, हम उस खोज को नहीं देख रहे जहां सै गैस निकाली गयी। संकुल-1 के शेष भागों के लिये जीएसपी के बुनियादी ढांचे के उपयोग को लेकर "ठजोड़ किया जाएगा। ओएनजीसी ने संकुल-दो के 10 तेल एवं गैस फील्डों से उत्पादन के लिये 34,012 करोड़ :करीब 5 अरब डालर रुपये के निवेश की योजना बनायी है। इसके अलावा कंपनी की 2022-23 तक गहरे सागर में स्थित यूडी-1 के विकास के लिये 21,528.10 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है।