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जियो के खत्‍म होने वाले हैं अब अच्‍छे दिन, वोडाफोन ने भारत में 8,000 करोड़ रुपए निवेश करने का बनाया प्‍लान
Posted Date : 09-Jun-2018 9:04:53 am

जियो के खत्‍म होने वाले हैं अब अच्‍छे दिन, वोडाफोन ने भारत में 8,000 करोड़ रुपए निवेश करने का बनाया प्‍लान

नई दिल्‍ली। ब्रिटिश टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने आइडिया सेल्‍युलर के साथ प्रस्‍तावित संयुक्‍त उद्यम में 1 अरब यूरो (लगभग 8,000 करोड़ रुपए) का निवेश करने की योजना बनाई है। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्‍युलर का आपस में विलय इस माह के अंत तक पूरा होने की संभावना है।

ब्रिटिश टेलीकॉम ऑपरेटर को यदि भारत में अतिरिक्‍त निवेश करने की आवश्‍यकता हुई तो वह इंडस टॉवर्स में अपनी हिस्‍सेदारी को बेचने पर विचार करेगी। आदित्‍य बिड़ला ग्रुप ने प्रस्‍तावित विलय के बाद बनने वाली इकाई वोडाफोन आइडिया लिमिटेड में अतिरिक्‍त निवेश करने का फैसला किया है।

आइडिया ने जनवरी 2018 में इक्विटी से 0.8 अरब यूरो जुटाए हैं, विलय पूरा होने पर वोडाफोन ग्रुप को भी इतनी ही राशि देनी होगी। वोडाफोन चीफ फाइनेंशियल ऑफ‍िसर निक रीड ने वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में शुद्ध पूंजी निवेश 1 अरब यूरो के आसपास होगा। वोडाफोन और आइडिया का विलय अब अंतिम चरण में है और उसे सरकार से मंजूरी मिलने का इंतजार है। नई इकाई में ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन की हिस्‍सेदारी 47.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। विलय के बाद बनने वाली नई इकाई भारत में सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी होगी और इसके ग्राहकों की संख्‍या लगभग 43 करोड़ होगी।

वोडाफोन ने कहा है कि यदि भविष्‍य में संयुक्‍त इकाई भागीदार अतिरिक्‍त पूंजी निवेश का फैसला लेते हैं तो वोडाफोन ग्रुप इंडस टॉवर्स में अपनी हिस्‍सेदारी बेचने पर विचार करेगा। भारत की सबसे बड़े मोबाइल टॉवर कंपनी इंडस टॉवर्स में वोडाफोन की 42 प्रतिशत हिस्‍सेदारी है। 2017-18 में इंडस टॉवर्स ने वोडाफोन ग्रुप को 13.8 करोड़ यूरो का डिविडेंड दिया है।

25 अप्रैल 2018 को वोडाफोन, भारती एयरटेल लिमिटेड और आइडिया ने इंडस टॉवर्स का भारती इंफ्राटेल में विलय करने की घोषणा की है। भारती एयरटेल और वोडाफोन विलय के बाद बनने वाली कंपनी पर संयुक्‍तरूप से नियंत्रण रखेंगे और वोडाफोन इस संयुक्‍त कंपनी में 78.31 करोड़ नए शेयर जारी करेगी।

पेट्रोल के बढ़ते दामों पर बोले पेट्रोलिय मंत्री प्रधान, जनता की पहुंच से दूर नहीं होने देंगे दाम !!
Posted Date : 07-Jun-2018 12:18:55 pm

पेट्रोल के बढ़ते दामों पर बोले पेट्रोलिय मंत्री प्रधान, जनता की पहुंच से दूर नहीं होने देंगे दाम !!

नयी दिल्ली। पेट्रोलिय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि सरकार सुधारों के मोर्चे पर कदम वापस किये बिना बिना पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के समग्र समाधान को लेकर काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि वह पेट्रोल और डीजल को आम जनता की पहुंच से बाहर जाने नहीं देंगे। पेट्रोल और डीजल के दाम के रिकार्ड स्तर पर पहुंचने के लिये तेल, रुपये की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव तथा स्थानीय करों को जिम्मेदार ठहराया। अपने सरकार की चार साल की उपलब्धियों के बारे में जानकारी देने के लिये बुलाये गये संवाददाता सम्मेलन में प्रधान ने कहा कि सरकार इसको लेकर संवेदनशील है और सुनिश्चित करेगी कि गरीब, मध्यम वर्ग को तकलीफ नहीं हो। हम मसले से निपटेंगे। उन्होंने कहा, ‘सरकार स्थिति से निपटने के लिये समग्र रुख अपनाएगी ताकि पेट्रोलियम की कीमतें तकलीक नहीं दे। सरकार हर संभव कदम उठाएगी।’

यह पूछे जाने पर कि क्या इसके समाधानों में नियंत्रण मुक्त ईंधन कीमत व्यवस्था में कुछ बदलाव शामिल हैं, प्रधान ने कहा कि बिल्कुल नहीं। यह सवाल ही नहीं उठता। सरकार सुधारों की समर्थक है और हमने जो सुधार किया है, उससे पीछे हटने का सवाल नहीं है। सरकार ने जून 2010 में पेट्रोल कीमत को नियंत्रण मुक्त किया और डीजल को अक्तूबर 2014 में। दैनिक आधार पर कीमत समीक्षा की मंजूरी पिछले साल जून में दी गयी। उन्होंने कहा कि हम कीमतों को आम लोगों की पहुंच से बाहर नहीं जाने देंगे। प्रधान ने इस बात से इनकार किया कि जो समाधान तलाशे जा रहे हैं ओएनजीसी जैसी तेल उत्पादक कंपनियों से कुछ बोझ उठाने को कहा जा सकता है ताकि ईंधन को कुछ सस्ता किया जा सके। उन्होंने कहा, ‘मैं उन समाधानों पर चर्चा नहीं कर सकता, जिस पर विचार किया जा रहा है।’ प्रधान ने कहा कि मुद्रा योजना को कौशल विकास से सम्बद्ध करने के लिए एक रूपरेखा बनाई जा रही है। इसक तहत जुलाई सितंबर की तिमाही में एक लाख युवा लक्षित स्वरोजगार हासिल करेंगे।

RBI ने ब्याज दरों में की बढ़ोतरी, बैंक से कर्ज लेना होगा महंगा
Posted Date : 06-Jun-2018 10:07:32 am

RBI ने ब्याज दरों में की बढ़ोतरी, बैंक से कर्ज लेना होगा महंगा

भारतीय र‍िजर्व बैंक ने तीन दिन तक विचार-विमर्श करने के बाद रेपो रेट की दरों की घोषणा कर दी है. बुधवार को आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है. मौद्रिक नीति समिति ने इसमें 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 6 फीसदी से बढ़कर  6.25%. फीसदी हो गया है.

भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद आम आदमी के लिए बैंकों से कर्ज लेना महंगा होगा. इसके साथ ही ईएमआई पर ब्याज का बोझ भी बढ़ेगा.इसके साथ ही मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में सीपीआई महंगाई के 4.8 से 4.9 के बीच रहने की संभावना जताई है. वहीं, दूसरी छमाही में इसके लिए 4.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है.भारतीय र‍िजर्व बैंक ने पिछली तीन बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया. इस दौरान विशेषज्ञ पहले इसकी संभावन जता चुके थे. इस समय कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और बजट में इकोनॉमी को लेकर की गई घोषणाओं का असर आरबीआई के फैसले पर दिखा. इसकी वजह से ही तय माना जा रहा था दरें नहीं घटेंगी.

इससे पहले रॉयटर्स पोल ने संभावना जताई थी कि भारतीय रिजर्व बैंक इस बार भी रेपो रेट में कटौती नहीं करेगा. पोल में कहा गया था कि आरबीआई इसे अगस्त के लिए टाल सकता है.इस पोल में 56 अर्थशास्त्री शामिल हुए थे. इनमें से 26 ने संभावना जताई थी कि आरबीआई रेपो रेट में इस बार बढ़ोतरी करेगा. हालांकि अन्य इसकी संभावना से इनकार किया था.फरवरी से पहले दिसंबर और अक्टूबर में भी आरबीआई ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था. दरअसल इस दौरान महंगाई की वजह से यह फैसला लिया गया था. इस वक्त रेपो रेट को 6 फीसदी पर ही रखा गया था.

कंपोजीशन स्कीम की समीक्षा कर सकती है केंद्र सरकार
Posted Date : 04-Aug-2017 6:18:47 pm

कंपोजीशन स्कीम की समीक्षा कर सकती है केंद्र सरकार

नई दिल्ली,(आरएनएस)।  वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत छोटे कारोबारियों के लिए शुरू हुई कंपोजीशन स्कीम व्यापारियों को रास नहीं आ रही है। जीएसटी में अब तक करीब 70 लाख असेसी जुड़ चुके हैं, लेकिन इनमें से मात्र एक लाख व्यापारियों ने ही कंपोजीशन स्कीम का चुनाव किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार आने वाले दिनों में इस स्कीम की समीक्षा कर सकती है। सूत्रों ने कहा कि सरकार यह पता ल"ाने की कोशिश कर रही है कि आखिर लघु उद्यमी कंपोजीशन स्कीम का विकल्प चुनने में हिचक क्यों दिखा रहे हैं। माना जा रहा है कि सरकार इस योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार अभियान भी चला सकती है। स्कीम के तहत 75 लाख रुपये तक सालाना कारोबार वाले व्यापारी इस योजना के तहत पंजीकृत हो सकते हैं। हालांकि हिमाचल प्रदेश और पूवरेत्तर के आठ राज्यों के संबंध में कंपोजीशन स्कीम की सीमा 50 लाख रुपये है। इस योजना के तहत पंजीकृत होने वाले व्यापारियों को एक प्रतिशत, मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों को दो फीसद और रेस्टोरेंट को पांच प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना है। हालांकि तंबाकू, पान मसाला और आइसक्रीम कंपनियों को यह सुविधा प्राप्त नहीं है। कंपोजीशन के तहत असेसी को मासिक रिटर्न दाखिल करने के बाद तिमाही आधार पर अपनी खरीद-बिक्री का ब्योरा देना होता है। स्कीम अपनाने वालों को विभिन्न तरह का विवरण भी नहीं रखना होता है। अब तक 70 लाख कारोबारी जीएसटी के तंत्र से जुड़ चुके हैं। इसमें करीब एक लाख कारोबारियों ने कंपोजीशन स्कीम का चुनाव किया है। इस स्कीम को लेकर कारोबारियों का उत्साह फीका रहने की एक वजह यह है कि इसके तहत पंजीकृत व्यापारी अंतरराज्यीय व्यापार नहीं कर सकता। कंपोजीशन स्कीम वाले डीलर से खरीद पर कंपनियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा का लाभ भी नहीं मिलेगा।

 

खेत से लेकर किसानों की जेब तक दिखने लगा कृषि क्षेत्र में सुधार के उपायों का असर
Posted Date : 04-Aug-2017 6:18:15 pm

खेत से लेकर किसानों की जेब तक दिखने लगा कृषि क्षेत्र में सुधार के उपायों का असर

नई दिल्ली,(आरएनएस)। कृषि क्षेत्र में सुधार के उपायों का असर खेतों से लेकर किसानों की जेब तक होने लगा है। खेती की लागत में कटौती करने की सरकार की मंशा सिरे चढऩे लगी है। फसल की अधिक उपज लेने की चाहत में फर्टिलाइजर के अंधाधुंध प्रयोग पर अंकुश दिखना शुरू हो गया है। जबकि रासायनिक खाद के संतुलित प्रयोग से उपज की पैदावार में बढ़त दर्ज की गई है। मिट्टी की सेहत जांचने की सरकार की योजना के सकारात्मक नतीजे सामने आने लगे हैं। खेती की लागत में कमी लाने और पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार ने दोहरी योजना बनाई। इसके तहत लागत घटाने के कई उपाय किए गए, जिसमें मिट्टी की जांच को उच्च प्राथमिकता दी गई। कुल 12 करोड़ किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड देने का लक्ष्य तय किया गया। दो वर्ष के भीतर अब तक नौ करोड़ लोगों को यह कार्ड वितरित भी कर दिया गया है। मिट्टी की जांच होने के चलते बेहिसाब रासायनिक खादों के प्रयोग पर रोक लगी। उर्वरक की खपत में 10 फीसद तक की कमी आई है। कम खाद के इस्तेमाल के बावजूद 12 फीसद तक पैदावार में वृद्धि दर्ज की गई है। खेती की लागत घटाने में सफलता मिली है। संसदीय सलाहकार समिति की बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने यह रिपोर्ट पेश की। 1समिति के सदस्यों ने स्वायल हेल्थ कार्ड के बारे में विस्तार से जानकारी मांगते हुए इसके फौरी नतीजे बताने को कहा। सिंह ने स्वायल हेल्थ कार्ड से किसानों में आई जागरूकता के बारे में बताया। कृषि मंत्री ने किसानों की आय बढ़ाने के अन्य उपायों के संबंध में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि खेती के साथ अन्य उद्यम पर जोर दिया जा रहा है। पशुपालन, मुर्गीपालन, बकरीपालन, मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन के साथ कृषि वानिकी जैसी योजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। स्वायल हेल्थ कार्ड बनाने के मामले में 16 राज्यों ने पूर्ण लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। जबकि नौ राज्यों में इसी महीने के आखिर तक लक्ष्य पूरा हो जाएगा। लेकिन उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब, असम, जम्मू-कश्मीर और मणिपुर जैसे सात राज्यों में स्वायल हेल्थ कार्ड बनाने की गति बहुत धीमी है।

 

सरकार को नीतिगत ब्याज दर में कटौती की उम्मीद
Posted Date : 04-Aug-2017 6:17:34 pm

सरकार को नीतिगत ब्याज दर में कटौती की उम्मीद

नई दिल्ली,(आरएनएस)।  विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए सरकार इस बार भारतीय रिजर्व बैंक का पूरा साथ चाहती है। निचली ब्याज दरों को अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए अहम मान रही सरकार चाहती है कि रिजर्व बैंक की तरफ से आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कम से कम 50 अंकों यानी आधा फीसद की कमी की जाए। सरकार की राय है कि महंगाई की दर से लेकर अर्थव्यवस्था के बाकी संकेतक भी इसके पक्ष में हैं। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) आगामी सप्ताह में दो दिवसीय बैठक में अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा करेगी और इस आधार पर ब्याज दर के संबंध में फैसला लेगी। सूत्र बताते हैं कि शुक्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक में उन्हें इस बात का स्पष्ट संकेत दे दिया गया है कि सरकार क्या चाहती है। बीते माह थोक और खुदरा महंगाई दोनों की दरें ऐतिहासिक तौर पर नीचे आ चुकी हैं और ये रिजर्व बैंक के चार फीसद के लक्ष्य से नीचे चल रही हैं। पिछली अर्ध तिमाही समीक्षा में भी सरकार रिजर्व बैंक से ब्याज दर में कटौती की उम्मीद लगाये थी। लेकिन रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को यथावत बनाये रखा था। इस पर वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने खुले तौर पर रिजर्व बैंक की आलोचना की थी। इस बार रिजर्व बैंक की मौद्रिक समिति की बैठक एक और दो अगस्त को मुंबई में होनी है। दो अगस्त को ही गवर्नर समिति के निर्णय की घोषणा करेंगे। वित्त मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक सरकार को लगता है कि ब्याज दरों में कटौती का यह मुफीद समय है। महंगाई की दरें कम हैं, कारखानों की रफ्तार धीमी है, अर्थव्यवस्था को आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहक निर्णय की आवश्यकता है। रिजर्व बैंक के सामने मौका है कि वह अर्थव्यवस्था की रफ्तार में सहायक बने। सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्रलय के अधिकारियों के साथ पटेल की बैठक में सरकार की इस राय से उन्हें अवगत भी करा दिया गया है। पिछले दिनों अर्थशास्त्रियों के बीच हुए सर्वे में भी दो तिहाई से अधिक ने ब्याज दरों में कटौती की संभावना जतायी है। जिन 56 अर्थशास्त्रियों को सर्वे में शामिल किया गया था उनमें से 40 का मानना है कि रिजर्व बैंक 25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.25 फीसद कटौती कर सकता है। केवल दो अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह कटौती 50 बेसिस प्वाइंट यानी आधा फीसद की हो सकती है। जबकि 14 अर्थशास्त्री ऐसे हैं जो यह मानते हैं कि दो अगस्त की समीक्षा में भी रिजर्व बैंक रेपो रेट की दरों को यथावत बनाये रख सकता है।